पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/६२

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श्राव चतुर्वेदीकोष । ६१ विकल, (गु. ) नितान्त । सम्पूर्ण ज्यों । कात्यो । अविश, (गु. ) न जानने वाला । अशिक्षित । अवितथ, (न.) सत्य | सच्चा वित्त, (गु. ) अप्रसिद्ध । अज्ञात | निर्धन | श्रविदित, (गु. ) शीत । विद्या (स्त्री.) विद्या का अभाव । अज्ञान जो कार का कारण है। माया । अविनाभाव, ( पुं. ) जो विना व्यापक अर्थात् कारण के न रहसके । व्याप्ति । अविरत, (त्रि. ) विराम | शून्य । लगातार | अविरल, (त्रि.) मिला हुआ । घन | निविड । सघन । विवेक, (पुं. ) अज्ञानता | अविस्पष्ट, ( न. ) जो स्पष्ट अर्थात् साफ साफ़ न हो । श्रवीचि, (पुं. ) नरकविशेष | वीर, (त्रि.) पतिपुत्ररहित । बलहीन । अवेक्षण, (न.) देखना | मन लगाना | विचारना | अव्यक्त, (पुं. ) विष्णु । मूर्ख । प्रधान । श्रात्मा शरीर । कामदेव । शिव । परमारमा | सूक्ष्म अशो 7 श्रव्यर्थ, ( गु. ) जो व्यर्थ न जाय । अचूक । लाभकर । प्रभावोत्पादकं । श्रव्यवस्था, ( स्त्री. ) श्रविधि | नियम के विरुद्ध व्यवस्था “किमव्यवस्थां चलि- तोsपि केशवः । ११ श्रव्यक्करा, (पुं. ) थोड़ा लाल । अरुणवर्णं । अव्यञ्जन, ( पुं. ) विना सींग का पशु । शुभ लक्षणशून्य चिह्नरहित । अव्यथ, (पुं. ) साँप | पीड़ारहित । • अव्यथिन्, (पुं. ) घोड़ा । जो बहुत चलने पर भी व्यथित न हो। अव्यभिचारिन्, (त्रि. ) कैसा भी प्रतिकूल कारण क्यों न हो पर जो हटे नहीं। न हटने वाला । न रुकने वाला । न्यायमतानु- सार। शुद्ध हेतु अव्यय, ( पुं. ) सब विभक्तियों थौर वचनों में एकसा रहने वाला। शिव । विष्णु । आदि अन्त रहित । विकारशून्य । अव्ययीभाष, (पुं.) व्याकरण का एक समास विशेष । अव्यवस्थित, (गु. ) जो व्यवस्थित न हो । चञ्चल । अस्विर । जो नियमानुकूल न चलता हो । अव्यवहार्य, (त्रि. ) जो व्यवहार करने योग्य न हो । जो अपने धर्म से गिर गया हो । 7 अव्यवहित, (त्रि.) साथ | लगा हुआ | अव्याकृत, (त्रि.) वेदान्त मत में बीजरूप जगत् का कारण अर्थात् अज्ञान | साङ्ख्य में प्रधान । अव्याप्यवृत्ति, (त्रि.) जो अपने आश्रम में न हो । , (क्रि. ) भीतर घुसना | व्याप्त होना । पहुँचना । पाना अनुभव करना । खाना । अन, (पुं.) पीला साल वृक्ष । पौधा । व्याप्ति | फैलना | भोजन ( न. ) अन्न | श्रशनाया, ( स्त्री. ) अतिलोभ के वशवर्ती हो जो खोना चाह्रै । अशनायित, (त्रि.) भूखा | क्षुधातुर । अशनि, ( पुं. ) वज्र । बिजली । अशास्त्र, (न. ) नास्तिक दर्शन | अशित, (त्रि.) खाया हुआ । भक्षित | अशितङ्गवीन, (त्रि. ) गौओं के चरने का स्थान | अशितम्भव, (त्रि.) अन्न | खाने के पदार्थ | जिनसे तृप्ति हो । अशिश्वी (स्त्री.) सन्तानहीन स्त्री | अशीति, ( स्त्री. ) अस्सी की सख्या=८० | अशुभ, (न. ) अमङ्गल । अशेष (त्रि.) अन्तरहित । शेषहीन | सम्पूर्ण । अशोक, (पुं. ) अशोक वृक्ष |