पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५६

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

अर्चि चतुर्वेदीकोष । ५५ श्रर्चि, (श्री.) आग की लपट | किरण | चमक | मित्, (पुं. ) सूर्य | अग्नि | अर्ज, (क्रि.) उपार्जन करना | कमाना । अर्जक ( पुं. ) वृक्षविशेष | बावुई वृक्ष जिस के सूतों से रस्सी बनती है | उपार्जन करने वाला एकत्र करने वाला । अर्जुन, ( पुं. ), वृक्षविशेष । राजा पाण्डु का तीसरा पुत्र | कार्त्तवीर्य राजा | तृण | ने रोग | मोर | चित्ता रङ्ग | नेत्र का एक रोग । व, ( पुं. ) समुद्र । छन्दविशेष | स, (न. ) जल | पानी | नीर | समुद्र । अर्तन, (न. ) निन्दा | तिरस्कार | जुगुप्सा | अर्ति, ( स्त्री. ) पीड़ा | धनुष की नोक या सिरा | कि, ( स्त्री. ) बड़ी बहिन । तुक, (गु. ) लड़ाकू | झगड़ालू | स्पर्धक । अर्थ (क्रि. ) माँगना । अर्थ, विषम नाम | धन | वस्तु | निवृत्ति | हटाव | प्रकार प्रयोजन | हेतु । अभिलाषा | उद्देश्य । अर्थदूषण, ( न. ) धन की चोरी | दुर्व्यसनामें जैसे जुआ वेश्यागमनादि में धन का व्यय करना । अर्थना, ( स्त्री. ) भिक्षा माँगना । प्रार्थना । बिनती। अर्थपति, (पुं ) राजा | कुबेर | प्रयोग, (पुं. ) वृद्धि के अर्थ धनप्रदान | सूद पर रुपये लगाना। अर्थवाद, (पुं. ) प्रशंस्य गुणों का कहना | प्रशंसा | अर्थव्ययश, (त्रि.) कौन कैसे कहां कितना धन किसके लिये व्यय करना उचित हैं इन बातों को जाननेवाला । अर्थशास्त्र, (न.) सम्पत्तिशास्त्र | धनसम्बन्धी नीति को बताने वाला शास्त्र | अभिचार अर्थात् मारण आदि कर्म का प्रतिपादन श्रई r करनेवाला शास्त्र | दण्डनीत । आन्वीक्षिकी । खेती की विद्या । अर्थागम, (पुं.) धन का आना। आय। आमदनी धनागम | अर्थान्तरन्यास, (पुं) प्रकृत अर्थ की सिद्धि के लिये अन्य अर्थ को लाना । अर्थालङ्कार का एक भेद । अर्धापत्ति, (स्त्री.) अनकहे अर्थ का समझना | मीमांसक इसे अनुमान से भिन्न बतलाते है और नैयायिक व्यतिरेक व्याप्त ज्ञान से उपजे हुए अनुमान ही को समझते है। अर्थात् - ( [अव्य. ) या । अथवा । वस्तुतः । अर्थिक, (पुं. ) सोये हुए बड़े धनी मनुष्यों को जगाने के लिये सुति करने वाला | वैता- लिक । भिक्षुक । भाट । भिखारी । मॅगता । अर्थिन्, (त्रि.) याचक । भिक्षुक | मँगता । भिखारी | सेवक । सहायक | धनी । वादी । धनरहित । अर्थ्य, (त्रि. ) न्याय्य | उचित | उचित रीति से कमाया । पण्डित । ई, (क्रि.) मारना । ईन, (क्रि.) पाड़ा पहुँचाना । मारना । कष्ट देना । अनिः, माँग | भिक्षा | बीमारी | अग्नि । , (पुं.) खण्ड टुकड़ा । आधा (स्त्री. ) कावेरी नदी । अर्थात् वह नदी जिसमें स्नानादि करने से गङ्गा की आधा फल हो । [ अर्द्धचन्द्र, (पुं. ) चन्द्रार्द्ध | अष्टमी का चाँद । चाँद के आकार के नख का घाव। गलहस्त । गरदनिया | सानुनासिक चिह्न ( ) ! श्रर्द्धनारीश्वर, (पुं. ) महादेव / शिव पार्वती की मूर्ति विशेष । हरगौरी रूप शिव । रावत, (पुं. ) जिसकी आधी देह कबूतर जैसी हो । चित्रकण्ठ | कपोत | तीतर | (पं.) आधीरात |