पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५५

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चतुर्वेदीकोप । ५४ रि i । अरिषदुर्ग, ( पुं. ) काम कोष श्रादि वः शत्रु का समूह काम, क्रोध, लोभ, माह, मद, ईर्ष्या ये छः षड्वर्ग है । अरिष्ट, ( पुं. ) कन्दविशेष । लशुन | नीम सौरघर | असुविशेष । ( न.) मद्य का एक भेद | कौवा रीठा अशुभ मङ्गल अरिष्टताति, ( पुं. ) मङ्गल की कामना । आशीर्वाद के अर्थ में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है । इसका प्रयोग वेदों में अधिकता से किया गया है ! अरिष्टसूदन (पुं. ) अष्ट नामक असुर का मारने वाला । विष्णु । ( त्रि. ) अशुभ को हटाने वाला। मङ्गलमय अरुचि, ( पुं. ) जिसके कारण रुचेि ( इच्छा ) न हो । रोगविशेष | अजीर्ण रोग अतृप्ति । सन्तोष का भाव । अरुचिर ( त्रि. ) मनोहर नहीं | अशुभ | श्रमङ्गल । अरुज, (पुं. ) वृक्षविशेष । ( त्रि. ) नीरोग | रोगरहित । अरुण, (पुं.) सूर्य । सूर्य के सारथिका नाम । गुड़ | सन्ध्या समय की आकासको लाली । शब्दरहित । दैत्यविशेष रोग- विशेष कोरोग का एक भेद । ( न. ) लाल रंग । केसर । सिन्दूर । ( श्री. ) मजीठ | अरुणलोचन, ( पुं. ) जिसके नेत्र लाल. रङ्ग के हों। कबूतर । कोइल अरुणित ( त्रि. ) लाल किया हुआ | लाल. रङ्ग से रंगा हुआ " अरुणिमा, ( पुं. ) रक्तता लालाई । लाल रङ्ग । रक्तवर्ण : अरुणोदय, (पुं.) काल विशेष सूर्य के उदय होने के चार घड़ी पहले का समय अरुन्तुद, (त्रि. ) मर्मपीड़क । अरुन्धती, (स्त्री.) महर्षि वसिष्ठकी स्त्री का नाम । यह प्रजापति कर्दम मुनि की कन्या थी इस 1 अर्चा नाम की एक तारा जो सप्तर्पिभण्डल में सब से छोटी आठवी तारा है और वसिष्ठ के समीप रहती है। अरुन्धतीदर्शनम्, (देखो “न्याय”)। अरुस्, (पुं.) सूर्य । रक्तखदिर | वटखदिर (न. ) मर्म । शरीर का कोमल स्थान | अरुक (पुं ) एक वृक्ष का नाम, (भल्लातक) • भेलावां । अरुसिको, एक प्रकार का रोग जिसमें खोपड़ी की खाल पर फुंसियां हो जाती हैं और उनमें, बड़ी बुरी पांदा होती है | अरुहा, एक वृक्ष का नाम अर्थात् भूम्यामलकी 1. अरूक्ष, (गु.) जो कड़ा न हो । मुलायम नरम रूप, (गु.) रूपरहित । श्राकारशून्य कुरूप भद्दा । रूपः, सूर्य । एक प्रकार का सर्प । अरे, ([अव्य. ) अपमानपूर्वक सम्बोधन अथवा क्रोधपूर्वक किसी को बुलाना हो, तब अरे का प्रयोग किया जाता है !. अर्क, तपना और स्तुति करना । अर्क, (पं.) सूर्य 1 इन्द्र | तांबा | बिल्लौर | विष्णु | पण्डित । आकन्द वृक्ष कामदार अर्कचन्दन, (पुं.) लालचन्दन । श्रर्कतनय, (पुं-) सुप्रीत्र | कर्ण । (श्री.) यमुना अर्कव्रत, (पुं. ) सूर्य का व्रत । यथा माशुला सप्तमी आदि । अर्काश्मन् (पुं. ) सूर्यकान्तमणि शीशा । श्रमणोपल . तशी अर्गलः, (पुं.) बेड़ा जो किवाड़ों में उन्हें बन्द करते समय अटकाया जाता है। दुर्गापाठ, का एक स्तोत्रविशेष | अर्ध, ( कि. ) मोल लेना । (पुं.) पूजाविधि | मुख्य | दाम | अर्ध्य, (न. ) के लिये जल । अर्घटम्, (न.) राख । अर्च, (क्रि.) पूजा करना (गु. ) चमकदार | अर्चा, ( श्री. ) प्रतिमा मूर्ति | चित्र । }