पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५७

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अर्द्ध चतुर्वेदीकोप । ५६ (न.)धा देखना पूरा न देखना | 0 असन, (न. ) आधा आसन । आसन का आधा भाग । स्नेह अथवा प्रेमप्रकाशक । दय (पुं. ) माघ मास | अमावस तिथि | श्रवण नक्षत्र और व्यतीपात होने पर एक योगविशेष | श्रद्धरुक, (न.) पदों के नीचे तक शरीर को ढाकने वाला कपड़ा । श्रेष्ठ रमणियों के पहिनने का वस्त्र जो अभिया जैसा होता है । लहँगा । घाँघरा' | साड़ी । अर्पण, (फि. ) देना | भेंट करना। सौंपना | ति, (त्रि.) दिया गया। सौंपा हुआ । भेंट किया हुआ | • अर्पिस, (पुं. ) हृदय । हृदय का मांस । अ (क्रि.) मारना । एक ओर जाना । अर्बुद, (न. ) रोगविशेष दस करोड़ की संख्या (पुं. ) पर्वतविशेष जो भारतवर्ष के पश्चिम में है । अर्भक, (पुं.) बालक । मूर्ख । दुबला | लटा 6 निर्बल । अशक्त | थोड़ा । यथा -- 66 श्रुतस्य यायादयमन्तमर्भकः ” । अभंग, ( गु. ) युवा | जवान । ( इसका प्रयोग वैदिक साहित्य में होता है) । अर्म:, आँख का एक रोग । अर्मक, (गु.) सङ्कीर्ण । पतला | अण, तौलविशेष | द्रोण अर्थ, (त्रि.) स्वामी । सर्वोत्तम । प्रतिष्ठित । अनुरक्त । सत्य | मन् (पुं. ) सूर्य । पितरां के अधिपति | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की स्वामी देवता । अर्क नामक पौधा । द्वादश आदित्यों में से एक परम प्रिय मित्र । साथ खेलने वाला । म्य, सूर्य प्रायोपम मित्र । , (क्रि.) मारना । अम्, (न. ) राख | रखे । अल न्, (पुं) घोड़ा| इन्द्र | ( गु.) नीन्च | अयोग्य | अश, (गु. ) फुर्तीला । तेज | अर्वोच्, (व्य. ) पूर्व पर। निकट । पहिले । पीछे । समीप अर्वा, (गु. ) समीप । निकट अर्वाचीन, ( त्रि. ) प्रतिकूल | विरुद्ध । वर्तमान समय का उत्पन्न | नूतन | नया | अर्बुक, एक जाति के लोगों का नाम जिनके विषय में महाभारत में लिखा है कि सहदेव ने जीता था । अस्, (न. ) रोगविशेष | बवासीर । श्र- श्लील | चोट । अषण, (गु. ) जङ्गम | चलनेवाला । अर्ह, (गु.) योग्य | पूज्य | इन्द्र | ईश्वर | ) पूजा करना । ( (पुं. ) पूजा का साधन | पूज्य" | बुद्ध । (पुं.) बौद्धों में सब से उच्च पद | जैनियों के एक पूज्य देवता । अल् (क्रि.) सजाना | योग्य होना । रोकना। i अलम् (श्रव्य. ) भूषण । पर्याप्ति | वारण | निवारण | शक्लि । अलक, (पुं. ) कुन्तल । घुँघराले बाल | उन्मत्त कुत्ता । अलका, ( स्त्री. ) चाट से लेकर दस वर्ष की अवस्था वाली लड़की । कुबेर की राजधानी का नाम । श्रलकम्, व्यर्थ । निरर्थक | अल, (पुं.) लाक्षारस लाख का रह वृक्ष का रस विशेष । अलक्षण, (त्रि.) जिसका अनुमान न हो सके अच्छे चिह्न से शून्य । अलङ्कार, (पं.) भूषण | साहित्य शोख का एक श्रङ्ग । काव्य के गुण दोष को बतलाने वाला शास्त्र | गहना | }