पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५४

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श्रया चतुर्वेदीकोष | ५३ योज्य:, (त्रि. ) जात्य । पतित । नहीं यज्ञ कराने योग्य | श्रयि, ( श्र. ) प्रश्न | अनुनय | सम्बोधन | अनुराग | अयुग्मः, ( पुं.) विषम असमान अयुग्मच्छदः, ( पुं . ) सप्तपर्ण नामक वृक्ष जिसके विषम पत्ते हों | अयुत, ( त्रि. ) असंयुक्त असंबद्ध नहीं मिला हुआ । संख्याविशेष । दस हज़ार । १०००० श्रयुतसिद्धि, ( पुं. ) जिन दो पदार्थों में एक दूसरे के श्राश्रय से रहे । यथा अवयव अवयवी गुण गुणी क्रिया क्रियावान् । जाति और व्यक्ति । अये, ( ) क्रोध | विषाद | सम्भ्रम | स्मरण | सम्बुद्धि | योगः, (पुं.) विधुर | दुःख कूट | विश्लेष | कठिन उद्यम वमन विरेचन आदि की प्रतिकूल वृत्ति । योगवः, (पुं. ) वर्णसङ्कर | जातिविशेष | शूद के औरस और वैश्य कन्या के गर्भ अ. से उत्पन्न पुत्र | योवाहः, (पुं. ) अनुस्वार और विसर्ग | अयोधन, ( पुं. ) हथौड़ा । हथौड़ी जिससे लोहा पीटा जाता है । अयोध्या ( स्त्री. ) इस नाम से प्रसिद्ध नगरी | साकेतपुर । उत्तरकोशला । अयोनिज, (पुं.) हरि । जो माता के गर्भ से उत्पन्न न हुआ हो। जिसकी उत्पत्ति न हो । ( स्त्री. ) सीता | जानकी योमुखः, ( पुं. ) अस्त्रविशेष सुर विशेष : 3 अरम्, (न. ) शीघ्र । चक्राङ्ग । पहिये की नाभि और नेमि के बीच की लकड़ी । अरग्वध, (पुं.) वृक्षविशेष | राजवृक्ष | अरघट्टः, (पुं. ) बड़ा भारी कूप । पानी निकालने का यन्त्र | अर . अरजाः, ( स्त्री. ) कन्या | जिसे मासिक धर्म न हुआ हो ? अरणिः, (पुं.) सूर्य | गणियारी नाम का वृक्ष | यज्ञ के लिये आग निकालने की लकड़ी | अरण्यम्, ( न. ) वन | जंगल | तपोवन । अरण्यानी, ( स्त्री. ) बड़ा भारी वन । अरतिः, ( स्त्री. ) क्रोध । चित्त का स्थिर न होना । प्रेम का अभाव | घबराहट । इष्ट वियोग से व्याकुलता अरनि:, ( पुं. ) फैलाया हुआ हाथ | मुट्ठी बँधा हुआ हाथ । निमूँठ हाथ कोहनी 1 रम्, (.) पर्याप्त । वश । अररम्, (त्रि.) कपाट । किवाड़ | अरविन्दम्, ( न. ) कमल | पद्म | बगला | ताँबा | नील कमल | अरसिकः, ( त्रि. ) अरसश । मूर्ख | विदग्ध । रस का न जानने वाला अराजक, (त्रि.) राजशून्य देश । जिस देश का कोई राजा न हो । उपद्रवयुक्त देश | अरातिः, ( पुं. ) शत्रु । राल, ( पुं. ) सर्ज का रस। मतवारा हाथी । राल । राला, ( स्त्री. ) वेश्या । अरिः, ( पुं. ) शत्रु | लग्न से छठा स्थान | पहिया | चक्र | खैरभेद । अरित्रम्, ( न. ) कान | हाली, जिससे नाव चलायी जाती है । अरिन्दम ( पुं. ) शत्रु को जीतने वाला । अरिमर्दः, ( पुं. ) खाँसी को दूर करने वाला एक वृक्ष । शत्रु का जीतने वाला अरिभेद, (पुं. ) वृक्षावशेष । देशविशेष । अरिषडष्टक, ( न. ) ज्योतिषशास्त्र का एक योग । यह योग वर अथवा कन्या की राशि से छठा या आठवाँ घर शत्रु के होने पर होता है। यह योग निवाह में निषिद्ध माना जाता है ।