पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५३

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चतुर्वेदीकोष । ५२ अम्बुपत्रां, (स्त्री..) उच्चटा नामक पौधा । यद्द जल में उत्पन्न होता है और सुगन्धित होता है। अम्बुप्रसादनम्, ( न. ) कतक । निर्मली नामक फल | जिससे जल साफ हो जाता है। अम्बुप्रायम्, (न.) अनूप जल के समीप का देश । अम्बुभृत् (पुं. ) मेघ । समुद्र | सागर । अम्बुरुह, (न. ) कमल | पद्म ( त्रि. ) जल. ● में उत्पन्न होने वाला। जोंक r अम्बुवाची, ( स्त्री. ) रजस्वला भूमि । श्रार्द्रा नक्षत्र के पहले तीन दिन। इसी कारण ये तीन दिन अच्छे कामों के लिये और अन आदि बोने के लिये निषिद्ध हैं । अम्बुवाह, (पुं.) श्रबुद | मेघ मोथाः | श्रम्बुसर्पिणी, ( स्त्री. ) जलौका | जोक | एक प्रकार का जलकृमि । अम्बूकृत, (त्रि.) थूक युक्त वचन | ऐसा बोलना जिसमें थूक निकले ! अभः (न. ) जल । देवता । मनुष्य | पिता । असुर लग्न से चौथी राशि | अम्भःसार, (न. ) मुक्ला । मोती । भोज, (न.) अम्बुज । कमल (पुं.) चन्द्रमा । (त्रि. ) जल से उत्पन्न पदार्थ | भोजखण्डम्, (न. ) कमलसमूह | अम्भोजिनी, ( स्त्री. ) कमलसमूह । कमल युक्त देश। पद्मलता # श्रया. से यह गुण और अग्नि की अधिकता उत्पन्न होता है । अम्लः, ( पुं. ) थोड़ा खट्टा वृक्ष विशेष | अम्लकेशरः, (पुं. ) बीजपूरक । चकोतरा : अलफल, (न. ) तिंतिडीफल | इमली । अम्लानः, ( पुं. ) महासहा । कटसरैया वृक्ष । ( त्रि. ) निर्मल 1 ग्लानिरहित । अय, (धा. श्रात्म.) जाना । गमन करना । गति । श्रय, (पुं.) पूर्वजन्मकृत शुभभाग्य | सौभाग्य | श्रयःपानम्, ( न. ) नरकविशेष । जहाँ तपा लोहा पीना पड़ता है। समुद्र मेघ । दः, (पुं. ) मेघ । बादल। धर, (पुं.) भोधिः, (पुं. ) समुद्र । सिन्धु भनिधिः, (पुं.) ब्धि | समुद्र म्भोरुहम्, (न. ) श्रबुज | कमल | अम्मयम्, ( न. ) जल का विकार झाग । फेन आदि । ( पुं. ) आम का वृक्ष । जिसकी गन्ध अम्र, दूर दूर तक फैलती हो । अम्लः, (पुं. ) रसविशेष खडा रस । जल अयशः, ( पुं. ) दैवादि यज्ञ से भिन्न यज्ञ | (त्रि. ) यज्ञरहित । यज्ञहीन । यशियः, (त्रि.) जो यज्ञ के लिये उपयुक्त न हो । . अयथा, (घ. ) अनुचित । अयोग्य | यथार्थानुभवः, (पुं. ) मिथ्या अनुभव | अन्य वस्तु में अन्य वस्तु का ज्ञान । वह संशय विपर्यय और तर्क भेद से तीन प्रकार का है । श्रयनम्, (न.) मार्ग | रास्ता | सूर्य की दक्षिणो- तरगति । स्थान. आश्रय मकर और कर्क की संक्रान्ति | नांश, (पुं.) सूर्य आदिकों के दृश्य बनाने का एक संस्कार विशेष जिसकी वार्षिक गति इस समय ५० पल है। गतिविशेष का भाग । यन्त्रितः, (त्रि.) अनर्गल अनियन्त्रित शृङ्खलित । अयशः, ( न. ) धर्म से उत्पन्न लोकनिन्दा | कीर्ति । श्रयस, (न ) लोहा अयस्कान, (पुं. ) लोह चुम्बक पत्थर | यकार:, (. पुं. ) लौहकार | लुहार । श्रयाचितम्, (न. ) अयत नामक वृत्ति विशेष | (त्रि.) विना माँगे मिली हुई वस्तु । अयाचितव्रतम्, (न.) विना माँगे स्वयं मिले पदार्थ से जीविका निर्वाह ।