पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९

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gar चतुर्वेदीकोप | ३८ अन्नादः, (त्रि. ) अन्न के भोक्ता | प्रदीप्त अग्नि | नीरोग | ( पुं. ) विष्णु | अन्नाशनम्, (न.) विधि पूर्वक अन्न का खाना । अन्नप्राशन । अन्य:, (त्रि. स. ) असदृश | भिन्न | दूसरा | अन्यतम, (त्रि.) समूह से एक को निश्चित करना । बहुतों में की एक अन्यतर, (त्रि. ) दो में से एक को निर्द्धारण करना । अन्यतः, (अ.) अन्यत्र | दूसरी ओर | अन्य ( . ) व्यतिरेक | दूसरा विना | अन्यस्थान | . अन्यथा . ( . ) असत्य | प्रकारान्तर | दूसरा प्रकार पक्षान्तर । अन्यथासिद्धि, ( स्त्री. ) कार्य की उत्पति के पहले वर्तमान रहने पर भी जो का रण न हो । अन्यदा, (अ.) कालान्तर । अन्य काल में । दूसरे समय में अन्य समय | पश्चात् । फिर | । अन्यपूर्वा, ( स्त्री.) एक बार व्याह के पश्चात् दूसरी बार व्याही गयी स्त्री । अन्यभृत् (पुं. ) काक । यह कोइल को पोसता है। अन्यवादी, (पुं. ) सत्यवादी | उलट पलट बोलने वाला । अन्यादृश, (त्रि. ) अन्य प्रकार | दूसरे के सदृश अन्याय, (पुं. ) विचार | दूसरे का धन आदि हरण करना । चनुचित कार्य । अन्याय्यम्, (त्रि.) योग्य | अनुचित | अन्येयुः, ( अ ) दूसरे दिन अन्योदर्यः, (त्रि. ) वैमात्रेय । सौतेला भाई । अन्योन्यम्, (त्रि.) परस्पर आपस में | अर्थालङ्कार विशेष दो वस्तुओं को एक क्रिया के द्वारा परस्पर उपकार्य और उप- कारक भाव का जहां वर्णन हो वहां यह कार होता है। अन्य में एक अन्योन्याभावः, (पुं. ) दूसरे का अभाव | परस्पर श्रभाव | यथा - घट का पट में और पट का घट में अभाव | अन्योन्याश्रय (त्रि.) जो एक दूसरे के श्राश्रय से वर्तमान हो । तर्क विशेष । एक पदार्थ की सिद्धि दूसरे पदार्थ की सिद्धि के आपेक्षिक हो । जैसे-एक पदार्थ वा ज्ञान होना दूसरे पदार्थ के अधीन है और उस दूसरे पदार्थ का ज्ञान पहले पदार्थ के अधीन है। इसीको अन्योन्याय कहते हैं। यह एक दोष है। अवम् (त्र) पीछा करना । दौड़ना । प्रत्यक्ष | इन्द्रियजन्य ज्ञान | अन्व, (त्रि.) अनुकू । श्रनुपद अनुगामी पीछा करनेवाला । अन्वय, (पुं. ) सन्तति । कुल परस्पर सम्बन्ध | अनुगम | अनुवृत्ति | एक पदार्थ की सत्ता के अधीन दूसरे पदार्थ की सत्ता । अन्वयबोधः, (पुं. ) पदां से उपस्थित अर्थो के सम्बन्ध का ज्ञान | नैयायिक मत से शान्द प्रमागा | वैशपिक मत से शब्द से उत्पन्न अनुमान | अन्यव्यतिरेकी, सत् हेतु जिस हेतु में रेक वर्तमान हो । अन्वयव्याप्तिः, (सी.) हेतु विशेष न्य के साथ नियम से रहना। जहां धूम है वहां अग्नि इस प्रकार की व्यामि । वर्ग:, (पुं.) इच्छानुसार काम करने की आज्ञा देना । - पदों का त्रि. ) हेतुनिशेष | और व्यनि- अन्वयः, (पुं. ) वंश | सन्तान | कुल | अन्वष्टका (स्त्री.) अग्निहोत्रियों का श्राद्ध विशेष पूस माघ फागुन और आश्विन के कृष्णपक्ष की नवमी को होने वाला श्राद्ध | अहम्, (अ.) प्रत्यक्ष प्रतिि