पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३७

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

श्रन्त चतुर्यदकोष । ३६ अन्तरिन्द्रियम्, ( न. ) अन्त:करण । अन्तरिक्षम्, (न. ) आकाश । व्योम | अन्तरीपः, (न. पुं. ) वह स्थान जिसके बीच में जल हो । द्वीप | दो आम | अन्तरीप, (न. ) पहिनने का कपड़ा | नीचे पहनने का वस्त्र । लोती । अन्तरे (अ.) मध्य | बीच | अन्तरे, ( . ) विना | रहित | मध्य | बीच । [अन्तर्ग, (त्रि.) निरर्थक | गले की गिलटी जिस प्रकार निरर्थक होती है उसी प्रकार का निरर्थक । प्रहेलिका । पहेली | [[अन्तर्गतम्, (त्रि.) मध्यप्राप्त | अन्तर्भूत | विस्मृत | [[अन्तर्गृहम् ( न. ) बीच का घर, घर के भीतर का घर । अन्ते प्राणियों के हृदय में प्रविष्ट होकर इन्द्रियों को अपने अपने काम में लगाता है। ईश्वर | (त्रि.) मनोगत बातों को जाननेवाला । हृदयज्ञ । अन्तर्वशिकः, (पुं. ) राजाओं के अन्तःपुर के अधिकारी वामन । कुब्ज । नपुं- सक श्रादि । अन्तर्वती, ( स्त्री. ) गर्भिणी । गर्भवती स्त्री । . (त्रि. ) शास्त्रज्ञ | विद्वान् | . श्रघम- ● पण्डित | अन्तर्वेदी (स्त्री.) देशविशेष | हरिद्वार से लेकर प्रयाग तक का देश मह्मावर्त नाम से प्रसिद्ध देश | अन्तर्हासः, ( पुं. ) उद्धर्धेन । गूढ़ हास्य । मुसकाना | अन्तर्हितम्, (त्रि. ) संगीत । तिरोभूत | छिपा हुआ | अन्तवत्, (नि.) विनाशी | नाशवान् | अन्तवासी (पुं. ) समीप रहनेवाला । जो स्वभाव से ही सभीप रहे। शिष्य | अन्तशय्या, (सी.) मरया | भूमिशय्या । भरगा के लिये भूमिशय्या | श्रन्तसद्, हू, (पुं.) शिष्य । विद्यार्थी । अन्तःस्थ (पुं.) स्पर्श और ऊष्मा के मध्य का वर्ण । य, व, र, ल, आदि । अन्तावसायी, ( पं. यकच । नाई | नख केश आदि का काटनेवाला । एक मुनि, जिसने वृद्धावस्था में तच्च ज्ञान प्राप्त किया था। हिंसक । चण्डाल | अन्तिक, (त्रि.) निकट | समीप पास | श्रन्तिका, (स्त्री. ) श्रौषधविशेष । नाटक में जेठी महिन को कहते हैं । अन्तिकाश्रयः, ( मुं. ) पास रहने वाला। विद्यार्थी । अन्तिमः, (त्रि. ) चरम अन्त में होने अन्तर्धनः, (पुं. ) देशविशेष । अन्तर्जठर, (न. ) कोठा । पेट के बीच का एक कोठा । अन्तर्जलम्, (न. ) जल के मध्य र्षण मन्त्र का जप करना । [अन्तर्ज्योतिः, ( न. ) भीतर ज्योति के समान प्रकाश करनेवाला । अन्तरात्मा । अन्तः, ( पुं. ) भीतर का सन्ताप | हृदय का दाह । अन्तर्द्वार, (पुं. ) भीतर का द्वार घर के भीतर का द्वार । खिड़की । गुप्त दर्शाजा | अन्तद्धनम्, (न.) छिपना गुप्त होना । तिरोधान। श्रदृश्य होना। शरीर त्याग । अन्तर्द्धि, (पुं.) व्यवधान | छिपाव | लुकात्र | अन्तर्भूत, (त्रि.) मध्यस्थित । अन्तर्गत । बीच में आया हुआ | अन्तर्मना, (त्रि.) व्याकुल चित्त । एकाग्र चित्त । खिन चित्त । योगी जिसका मन बाह्य विषयों से विरक्त होकर भीतर अवस्थित रहता है। वाला । अन्तर्यामी, (पुं. ) वायु | प्राणु वायु | जो | आप्तेवासी, ( पुं. ) शिप | विद्यार्थी |