पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३६

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अने अनेडमूकः, (नि. ) शठ | मूक चतुर्वेदीकोष | ३५ + बधिर । गंगा | बहरा | बोलने और सुनने की शक्ति से रहिन । अनेनस्, (त्रि. ) निर्दाप | दोषरहित । नेहा (पुं. ) काल | समय | अनेकान्तिक, (पुं. ) व्यभिचारी हेतु | हेतु का एक प्रकार का अभाव | इसके तीन भेद है । साधारण और अनुपसंहारी | अनैक्यम्, (नि. ) एकता का अभाव | विरोध | यम् (न.) पुगता। दक्षता का अभाव | श्वर्य. ( न. ) सामर्थ्य । अशक्ति । अनोक ( पुं. ) वृक्ष | पेड़ | मोचिती, ( सी. ) उचित नही | मनीदा को अतिक्रम करना ! लौकिक मर्यादा का उल्लङ्घन करना |

. 1 [[अन्तम् (न. ) स्वरूप। रवभाव । ( पुं. ) नाश । ( न. पुं. ) समाप्ति | (त्रि. ) समीप | प्रदेश | अत्यन्त मनोहर | रुचिर | अवगन - निर्णय || सीमा | अन्तःकरैण॒म्, (न. ) महार । और चिन | हृदयस्थत ज्ञानका साधन | अन्तःकुटिलः, (पुं.) शङ्ख । (नि.) कुटिल- हृदय करगा । श्रन्तःपुरम् (न. ) राजाओं का रनिवास | राजमहल | शुद्धान्त अन्तःपुराध्यक्ष, (पुं. ) राजाओं के अन्तःपुर का अध्यक्ष रनिवाम का कारबारी । अन्तः सत्त्वा, ( मी. ) गर्भिणी। जिसके पेट में प्राणी हो । अन्तः स्वेदः, (पुं. श्री. ) गज : हाथी | अन्तकः, ( पु. ) नाश करनेवाला । यगराज | भरणी नक्षत्र | अन्तकरः, (वि. ) नाशक | नाश करनेवाला। (न. ) गगन । गुबह । प्र + अन्त श्रन्तकाल ( . ) अन्तमममरण्काल | अन्त:, (त्रि. ) पार जानेवाला | पारग कार्य की सिद्धि तक जानेवाला अन्तगत अन्ततः, ( त्रि. ) समाप्त हुआ | सान प्राप्त ! अन्ततः, ( . ) सम्भावना अवयव अन्तः, (अ.) मभ्य बीच । प्रान्त । अभ्यु- पगम चित | अन्तरम् (न.) वाश अवधि प का पा लिप॥ भेद विशेष | आत्मीय विना छोड़कर | अवसर मध्य | आत्मा । सुदृश | अन्तरङ्गः (नि.)का सभ्यात्मग अपना व्याकरण में अन्तरा उसको कहते है जिसका निमित दूसरे की अपेक्षा थोड़ा हो अन्तरक्षः, (नि.) छोटे बड़े का मंद जाननेवाला । ● अन्तरप्रभवः, (त्रि. ) सङ्घर्ण जानि | अनु लोम प्रतिलोमज सङ्कर । अन्तग, ( अ ) निकट | मध्य | रहिन । विना | अन्तरात्मा (पं.) श्रन्नःकरण हृदयस्थित यामा | सर्वान्तर्यामी परमात्मा करण का अधिष्ठाता जीवात्मा | अन्तरापत्या, (मी.) गर्भिणी | अन्तराय, (पुं. ) विज्ञ | बाधा चित्तविशेष | रुकावः | अन्तरागमः, (त्रि.) योगी जीवन्मुक वासना नाश होने के कारण जिसने सासा- किमुखी का त्याग किया है । अन्तरालम्, (न. ) अभ्यन्तर | मध्य | बीच | अन्तरिक्षम, ( न. ) आकाश | पनी और मेवों के घूमने का मार्ग । मूलांक और सूर्यलोक के मध्य का स्थान | अन्तरित ( त्रि. ) तिरस्कृत | व्यति या गया