पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३६४

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चतुर्वेदकोष | ३६८ (क्रि. ) बड़ाई अथवा प्रशंसा करना । ष्ट्यै, ( क्रि. ) घेरा दे लेना । ठग्, (क्रि. ) छिपाना । ष्ठा, (क्रि.) ठहरना | ष्ठिवू, (क्रि. ) थूकना । ष्ठत (त्रि.) थूका गया । वमन किया r गया । हणा, (क्रि. ) स्नान करना | साफ़ करना ।' ष्णिहू, (क्रि. ) प्यार करना। ष्मि, (क्रि.) मुसकुराना । ध्वद्, (क्रि.) प्यार करना चाटना । ध्वञ्ज, (क्रि. ) गले लगाना । प्वप्, (क्रि.) सोना । विद्, (क्रि.) स्नान करना । स स, (पुं.) सर्प । पवन । पक्षी । षडज | शिव | विष्णु | जब यह किसी शब्द के पहले लगाया जाता है, तब उस शब्द का अर्थ सम, तुल्य, सह, सदृश का अर्थ | बतलाता है । यथा - सपुत्र, सभार्थ, सतृप्य, सधन, सरोष, सकोप आदि । संक्षेप, ( पुं. ) थोड़े में । संक्षोभ, (पु. ) क्षोभ । घबराहट | संग्राहिन्, ( पुं. ) कुटज नाम का पेड़ | एकत्र करने वाला | संघ, ( पुं. ) बहुत से जीव । मेल । संघर्ष, ( पुं.) परस्पर की रगड़ | टकर | लड़ाई | संश, ( न. ) गन्थ द्रव्य विशेष | चेतना, बुद्धि, आख्या, हाथ आदि से अपने भाव को प्रकट करना । संज्ञा, (स्त्री.) गायत्री | सूर्यपली । संज्ञापन, (न. ) मारण । जतलाना । संज्ञासुत, (पुं. ) शनैश्चर । संशु (त्रि.) घुटन टेके हुए । संज्वर, ( पुं. ) आग से उत्पन्न हुई गर्मी । संमई, ( पुं. ) आपस की रगड़ । संव संयत, (त्रि. ) बँधा हुआ शास्त्र के नियम से बेंधा हुआ । प्रिय । इष्ट | माना हुआ । संयन्त्र, (त्रि. ) नियन्ता | नियम पर चलाने वाला । संयम, (पुं० ) इन्द्रियनिग्रह | व्रत के पहिले दिन किये जाने वाले कर्म । संयमन, (स्त्री. ) यमकी नगरी । संयमिन्, ( पुं. ) माने विशेष । ( त्रि. ) इन्द्रियों को रोकनेवाला । संयाव, ( पुं. ) हलवा | मोहनभोग | संयुज, ( त्रि. ) संयुक्त | जुड़ा हुआ । संयुग, ( न. ) युद्ध | लड़ाई । जङ्ग । । संयुत, (नि.) संयुक्त | मिला हुआ । संयोग, ( पुं. ) मेल । संयोजित, (त्रि. ) मिलाया हुआ । मिला हुआ। संरम्भ, (पुं.) कोप | निन्दा | उत्साह | वेग | संराधन, ( न. ) अच्छे प्रकार सोचना । संराव, (पुं.) शब्द । श्रावाज | संरूढ, (त्रि.) प्रौढ | श्रङ्कुरित | जमा हुआ। संरोध, (पुं. ) रोकना | फेंकना | संलग्न, (त्रि. ) लगा हुआ | सटा हुआ | संलप, (पुं. ) एकान्त मे बातचीत संवत्सर, (पुं. ) वत्सर । बरिस साल | संवत्, ([अव्य. ) विक्रमादित्य के राज्य से " चला शाका | संवर्त, (पुं. ) प्रलयकाल । धर्मशास्त्र - प्रणेता मुनि विशेष । भेघ । मेघराज प्रलय के समय बरसने वाला मेघ | वैसीही आग | वैसाही वायू : संवर्तक, (न.) वलदेव का हल । ( पुं. ) बाडवानल | संवर्तिका, ( स्त्री. ) दीप की लाट । नया पत्ता | संवर्द्धक, (त्रि. ) बढाने हारा | संवलित, (त्रि. ) मिला हुआ |