बड् चतुर्वेदीकोष । ३६७ षड्धा, ( श्रव्य. ) छः प्रकार | षड्रस, ( पुं. ) छः रस ( मधुर, श्रम्ल, लवण, कट्टु, तिक्त और कषाय ) । षड्वर्ग, ( पुं. ) षट्टिपु । काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य | षण, (क्रि. ) देना । शण्ड, } ( पं. ) बैल । हिजड़ा । ढेर । षरामुख, (पुं.) स्वामिकार्त्तिक । षडानन । षद्, (क्रि. ) विषाद करना । वध करना । जाना । बञ्ज, ( कि. ) मिलना । षषू, (त्रि. ) छः । ६ । षष्टि, ( स्त्री. ) साठ | पष्टितम (त्रि.) साठवीं | षष्टिसंवत्सर, (पुं. ) प्रभव आदि ज्योतिष के प्रसिद्ध साठवर्ष । . षष्ठ, (त्रि.) छठा । षष्ठक, (त्रि. ) छठवाँ हिस्सा। षष्ठांश, (पुं. ) छठवां हिस्सा जो कररूप में किसान राजा को देते हैं । षष्ठान, (त्रि. ) दिन के छठवें भाग में भोजन करने वाला । षष्ठी, (स्त्री.) मातृका । छठी देवी । षस्, (क्रि. ) सोना । षस्ज्, (क्रि. ) फैलना। सरकना । षहू, (क्रि. ) सहारना । क्षमा करना । षाड्गुण्य, ( न. ) राजनीति के सन्धि आदि छः अङ्ग । बारामातुर, (पुं. ) कार्तिकेय | जिनकी छः माता हैं। बारणमासिक, (न. ) छमाही श्राद्ध । छः महीने में पारवर्तन होने वाला अयन । " षाधू, (क्रि. ) पाना। बान्त्व, (क्रि. ) आश्वासन देना । षि, (क्रि.) बांधना। पिटू, ( कि. ) अनादर करना। . षोढा षिड्ग, ( पुं. ) धूर्त्त । लम्पट विधू, (क्रि.) जाना | व्,ि (क्रि. ) सीना | षु, ( कि. ) सोमरस का निकालना और मथना। नहाना | ष, (क्रि. ) उत्पन्न होना । पैदा होना फेंकना । ष, (क्रि. ) हटाना. षेव, ( क्रि ) सेवा करना षो, ( क्रि. ) नाश होना । षोडत, (पुं. ) छः दाँत की उम्र का बैल । षोडशन्, (त्रि.) सोलह की संख्या । षोडश, (पुं.) सोलहवाँ | चन्द्रकला | षोडशक, (न. ) प्रेत के उद्धारार्थ या निमित्त दी गयीं सोलह वस्तुएँ - पृथिवीं, श्रासन, जल, • वस्त्र, दीपक, अन्न, पान, छाता, गन्ध, माला, फल, शय्या, पादुका, गौ, सोना, चांदी । षोडशमातृका, ( स्त्री. ), यथाः—गौरी, पद्मा, शची, मेधा, सावित्री, विजया, जया, देवसेना स्वधा, स्वाहा, माता, लोकमाता, शान्ति, पुष्टि, धृति, तुष्टि । षोडशाङ्ग, (पुं.) गुग्गुल आदि सोलह माताएँ वस्तुओं की बनाई हुई धूप वह पूजा जिसमें सोलह उपचार हों। १ षोडशांघ्रि, (पुं. ) केकड़ा । षोडशार, (न.) सोलह पत्रों का कमल एक यन्त्र | 1 षोडशिन्, (पुं. ) चन्द्रमा | सोमरस डालने का पात्र । षोडशोपचार, (न. ) पूजन की सोलह वस्तु । यथा - आसन, अर्ध्य, आचमनीयक, मधुपर्क, आचमन, स्वागत, पाद्य, स्नान, वस्त्र, भूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, वन्दन | षोढा, ( श्रव्य. ) छः प्रकार | षोढान्यास, ( पुं. ) छःप्रकार के न्यास विशेष ( तंत्रोक्ल अङ्गन्यास और करन्यास ) |
पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३६३
दिखावट