पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३६५

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

संव चतुर्वेदीकोष | ३६६. संवसथ, (पं.) ग्राम कुटिया | संवह, (पुं. ) सप्तवायु में से एक । संवार, (पुं. ) उच्चारणसम्बन्धी प्रयत्न | छिपाना । संघास, (पुं. ) घर | निवासस्थान | संवाह, ( पुं. ) अयों को दावन वाला | चापी करने वाला संवाहन, (न. ) भार उठाना । श्रृङ्गों को 2 बाह्य दाबना । संधिग्न, (त्रि. ) उद्विग्न | घबड़ाया हुआ | संवित्ति, ( स्त्री. ) समझ | प्रतिपत्ति | बुद्धि | स्वीकृति । संविद्, ( स्त्री. ) ज्ञान । प्रतिपत्ति | समाधि | नाम । श्राचार | सङ्केत लड़ाई | प्रसन्नता । प्रतिज्ञा । संषिदा, ( स्त्री. ) सिद्धि | भाँग | उत्तम | श्रवण | श्रेष्ठ ज्ञान | संविद्वयतिक्रम, (पुं, ) प्रतिज्ञा भङ्ग के कारण उत्पन्न विवाद | संविदित, ('त्रि. ) अङ्गीकृत 1 अच्छी तरह समझा । संविधान, (न. ) उपाय | रचना कार्य । संवीक्षण, (न. ) खोजना । भली भांति देखना | संवीत, (त्रि.) ढका हुआ । रुका हुआ मिला हुश्रा | संवृत, ( त्रि.) ढका हुआ । छिपा हुआ । संवेग, ( पुं. ) पूरा वेग । भरपूर । संवेद, ( पुं. ) उत्तम ज्ञान । संवेश, (पुं. ) नींद ( संवेशन, (न.) रतिक्रिया | भोग । संव्यान, ( न. ) चादर या ऊपर से श्रोदने का वस्त्र । हुपट्टा । अँगोळा । संशप्तक, (पुं. ) संग्राम में प्रतिज्ञापूर्वक जाने और वहां से न लौटने वाला सैनिक नीर पुरुष | संशय, (पुं. ) सन्देह संस संशयस्थ, (त्रि. ) संशययुक्त | संशयात्मन् (पुं. ) सन्देह करने वाला। शकी। संशयालु, ( त्रि. ) शक्की । जिसे सदा सन्देह बना रहे । संशयितृ, ( त्रि. ) सन्देह करने वाला संशरण, (न.) जिस में अधिक नाश हो । क्रमण युद्धारम्भ 1 संशित, (त्रि. ) निर्णय किया हुआ । संशितव्रत, (त्रि. ) अपने व्रत या नियम को भली भांति पूरा करने वाला। संशुद्धि, ( स्त्री. ) भले प्रकार की हुई सफाई | संश्यान, (त्रि. ) शीत श्रादि से सिकुड़ा हुआ । संश्रय, (पुं. ) त्रासरा | निवासस्थान | संधव, (पुं. ) श्रृङ्गीकार संश्रुत, (त्रि. ) अङ्गीकृत संश्लिष्ट, ( त्रि. ) मिला हुआ । संश्लेष, (पुं. ) मेल, संसल, (त्रि. ) मिला हुआ । अति निकट | संसद्, (स्त्री.) सभा | कमेटी | संसरण, (न.) बहाव । गमन । वाल । आक्रमण युद्धारम्भ | संसर्ग, ( पुं. ) मेल । सम्बन्ध | संसर्गाभाव (पुं. ) अनमेल मेल का न होना । संसार, ( पुं. ) विश्व | दुनिया | संसारमार्ग, ( पुं. ) योनिद्वार | दुनियाँ की राह । जगत् । संसारिन्, (त्रि.) जीवात्मा । संसिद्ध, (त्रि ) भली भांति बना हुआ | संसृति, ( स्त्री. ) सङ्गत | मेल । संसृष्ट, ( पुं. ) मिला हुआ । साझीदारों का साझा | सफ़ा किया हुआ | संसृष्टिन्, ( पुं. ) साझीदार | फिर से मिले भाई बन्द | संसर्प, (क्रि. ) डोलना | चलना । सरपट कर चलना ।