पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२८

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श्रन. चतुर्वेदीकोष | २७ श्रमन्यगतिक, (त्रि. ) एकाश्रय | गत्यन्तर- रहित । अनन्यचेता, (त्रि.) एक में जिसका चित्त लगा हो । एक में चासक्त | अनन्यजः, (पुं. ) कामदेव । अन्य से उत्पन्न नहीं । केवल एकही से उत्पन्न । अनन्यभवः, (त्रि.) किसी एक के द्वारा साधन होने योग्य कर्म | दूसरे के द्वारा असाध्य | अनन्यभावः, (त्रि. ) एकान्त भक्त । जिसका भाव एक के अतिरिक्त दूसरे में न हो । अनन्यवृत्ति, (त्रि.) इष्टदेव के अतिरिक्त जो दूसरे का ध्यान न करे । एकाग्र । एक- तान | एगन्तचित्त । अनन्व, () अननुगत | अधीन नहीं | जो वश में न हो । अनन्वयः, (पुं. ) अर्थानद्वारविशेष | जहाँ एकही उपमान और उपमेय हो। वहाँ यह अलङ्कार होता है । (त्रि. ) अन्वयशून्य | सम्बन्धरहित । अपाय (त्रि.) अपायशून्द | अनश्वर | अविनाशी । निश्चल | अपेक्षः, (नि.) निरपेक्ष | निःस्पृह | अपेक्षा वर्जित । हेय | अनभिज्ञः, (त्रि.) अविद्वान् । मूर्ख। श्रभिज्ञ नहीं । अभियुक्तः, (त्रि.) अनादृत | असत | तिरस्कृत | अनभिलाषः, (पुं. ) रुचि | अनिच्छा | अनयः, (पुं. ) अशुभभाग्य । विपत्ति । व्यसन । अनीति । अनर्गल, (त्रि. ) वे रोकटोक । प्रतिबन्धक शून्य | यथेच्छ । अनर्थ्य, (त्रि.) अमूल्य | जिसका मोल न हो । अर्थ:, (पुं. ) प्रयोजन प्रयोजन का अभाव | धनिष्ट | अननीप्सित नहीं चाहा गया। जिसका कुछ अर्थ या प्रयोजन न हो। श्र 1 अनर्थक, (न.) अर्थशव्याप | अर्थ के विना । सम्बन्धरहित वाक्य - धनर्थमूलम् (न.) आत्मज्ञान का अभाव | अपने बलाबल का न जानना । अनर्थान्तरम् (न. ) अभिन । समान । भेद नहीं । अनलः, (पुं. ) जिसकी तृप्ति न हो । अनेक पदार्थों के जलाने पर भी जिसकी तृप्ति न हो । अग्नि । अष्ट वसमें का पञ्चम वसु । कृत्तिका नामक नक्षत्र । क्योंकि इसका देवता अग्नि है । वृक्षविशेष । जो चिता नाम से प्रसिद्ध है । ( पुं. ) भिलावा नामक वृश्च । शरीरस्थ पित्त । नल नामक तृण से भिन्न | साठ वर्षों में पचासवाँ वर्ष । शनलदः, (पुं. ) जल । सन्ताप को शान्त करनेवाला । अनलप्रभा, ( स्त्री. ) जिसकी प्रभा श्रग्नि के समान हो । ज्योतिष्मती नामक लता । अनलि, (पं.) वृक्षविशेष | अनवः, (त्रि. ) प्राचीन | नवीन नहीं | अनवधानम्, (न.) प्रमाद | मन न लगाना | अनवधाजता, ( स्त्री. ) प्रमाद । विना विचार से किया गया कर्म । चित्तवृत्तिविशेष | अनवनः, (त्रि. ) रक्षा नहीं करना। मारना | अनवमः, (त्रि. ) समान | राहश | अनुवरः, (त्र.) गधान | श्रेष्ठ | बड़ा | छोटा नहीं | अनवरतम्, (न.) अविरत । निरन्तर । उत्कृष्ट | चच्छा । अनवलोभन, ( न. ) संस्कारविशेष | सामन्तोचयन के पश्चात् चौथे मास में बालक के किये जाने वाला संस्कार । अनवसरः, (त्रि.) जिसका ठीक समय न हो । बेमौका । निरवकाश । अनवस्करम् (त्रि. ) माहित | साफ़ | सन्छ । निर्मल | विमल । अनवस्थः, (त्रि.) अवस्थितिरहित । प्र- तिष्ठितं | दरिद्र । निर्धन । i L