पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१७१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

जल चतुर्वेदीकोष । १७१ जलशायिन, (पुं.) विष्णु | नारायण । जलशुक्लि, ( स्त्री. ) जलजीव | घोंघा | सीप जलहस्तिन, (पुं.) मगर | ग्राह| जलहास, (पुं.) फेन । झाग । समुद्रफेन । जलाधार, (पुं.) तालाव | समुद्र । सिंघाड़ा उशीर | चन्दन | जलावत, ( पुं. ) भँवर । जलूका, ( स्त्री. ) जोंक | जलेचर, (पुं. ) हंस | बतक आदि जल में बिचरने वाले जीत्र | जलेन्धन, (पुं. ) समुद्री आग | वाड़वानल | जलेश्वर, (पुं.) वरुण । समुद्र । जलोच्छ्वास, ( पुं. ) बहुत पानी का चारों ओर बहना । जलोदर, (पुं. ) उदरामय रोग। वह बीमारी जिसके कारण पेट में पानी भर जाता और पेट बढ़ जाता है । जलौकस, ( स्त्री. ) जोंक जलौका, ( स्त्री. ) जोंक । जल्पू, (क्रि. ) बोलना । कहना । बकना । जल्प, (पुं.) दूसरे की बात को काट कर, अपनी बात रखने वाला वचन । बात । गप्प | जल्पाक, (त्रि. ) बड़े बुरे वचन कहने वाला । बकवादी । बक्की वाचाल । बहुत बोलने वाला । जव, (पुं. ) वेग | तेज जवन, (पुं.) वेगवान् घोड़ा । देशविशेष । जातिविशेष । जवनिका, (स्त्री.) परदा | कनात | जवस, (न. ) घास 66 यवस्" भी होता है । अविन्, (पुं. ) घोड़ा । ऊँट । जष, (क्रि.) मारना | छुड़ःनः । जहत्स्वार्था, (स्त्री.) लक्षणाविशेष । जिसे अपना अर्थ छोड़ता है । जवस [११] का जातु जह्नु, ( पुं. ) चन्द्रवंशीय एक रजा । जो गङ्गा को पी गया था । जह्नुतनया, (स्त्री.) गङ्गा । जागर, (पुं.) निद्राऽभाव | नींद का न आना जागना । कवच | जागरित, (न. ) जागा हुआ । जागरूक, (त्रि. ) सावधान | जागा हुआ | जागर्ग्य, ( श्री. ) जागना । जागृ, (क्रि.) जागना । जाग्रत, (न.) जागा हुआ। जाङ्गल, (पुं. ) कपिञ्जल पक्षी । निर्जल देश | हिरन, आदि पशु । कुरुदेश का समीपवर्ती देश, या उस देश के रहने वाले । जाकि, (त्रि. ) धावक | हलकारा । ऊँट । घोड़ा । जात, (न. ) समूह | व्यक्त | प्रकट | जन्म | अच्छा | प्रशस्त । जातक, (न. ) उत्पन्न प्राणी का शुभाशुभ दृष्ट बतलाने वाला । ज्योतिष का एक अन्थ । एक प्रकार का संस्कार | जातरूप, (न. ) सुन्दर | सुस्वरूप | सुवर्ण । जातवेदस्, (पुं. ) वह्नि | आग | चित्रा | चित्रक वृक्ष । जाति, ( स्त्री. ) जन्म । षड्न आदि सात स्वर अद्धद्वारविशेष । चुल्ली । आउला । छन्दभेद | मालतो । फूलदार वृक्षविशेष | जातिब्राह्मण, ( पुं. ) केवल जाति से ब्राह्मण किन्तु कर्म द्वारा नहीं । तप और वेदहीन ब्राह्मण निन्दा योग्य विप्र । जातिस्मर, (त्रि.) पहले जन्म का स्मरय्य रखने वाला । जातीफल, ( न. ) जायफल । जातीय, (त्रि.) जातिसम्बन्धी सजातीय जातु, ( श्रव्य . ) कदाचित् | कभी । निन्दा निषेध | निस्सन्देह । जातुधान, (पुं.) जो पकड़ा जाता है। राक्षस पा कर कभी