पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१६९

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चतुर्वेदीकोष | १६६ जून जनकेसुता, (स्त्री. ) सीता । श्रीरामचन्द्र की धर्मपत्नी । जनता, (खी. ) भीड़ | बहुत जन । जननि, (स्त्री.) माता | माँ । औषध | लाख का रङ्ग । मजीठ | जटामांसी | जनपद, (पुं.') देश - नगर । जनमेजय, का पौत्र । .) राजा परीक्षित् के पुत्र । अर्जुन जनयितृ, (पुं.) उत्पादक। पिता । माता । जनलोक, ( पुं. ) जगविशेष | वह लोक जो महालोक के ऊपर है। जनश्रुति, ( स्त्री.) लोकप्रवाद । किंव- दन्ती । अफवाह | जनस्थान, ( न. ) दण्डकवन के समीप एक स्थान । जहाँ खर दूषण की चौकी थी । लोगों के रहने का स्थान जनार्दन, (पुं.) विष्णु । नारायण । जनाश्रय, (पुं. ) मण्डप | घर । कुटी। झांपड़ी। जनि-नी, ( स्त्री. ) उत्पत्ति । नारी । मोँ । स्नुषा | बहू । जाया । औषधविशेष । जतुका । जनुस्, न. ) उत्पत्ति | जनु-नू, ( ली. ) उत्पत्ति । जन्तु, ( पुं. ) प्राण वाला । अविद्या के कारण शरीर में आत्माभिमान करने वाला जीव । जन्तुन्न, (पुं. ) वायविडङ्ग । हींग । जीवों को मारने वाला । जन्तुफल, ( सं . ) उदुम्बर | गूलर | जन्तुला, (स्त्री.) काही । बहुत कीड़ों वाली । जन्मन्, (न. ) उत्पत्ति । अपूर्व शरीरादि का सम्बन्ध । जन्मलग्न | जन्मनक्षत्र | जन्मान्तर, (न.) दूसरा जन्म | देहान्तर | जन्माष्टमी, ( स्त्री. ) श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि । भादो मास की कृष्णाष्टमी । जन्मी ( पुं) प्राणधारी जीव । जन्य, (त्रि.) उत्पन्न हुए। उत्पन्न होने योग्य | पिता । अटारी । बदनामी। प्रीति । युद्ध । जय शरीर । नयी विवाहिता स्त्री के जाति भाई । माँ की सहेली | जप्, (क्रि. ) मन ही मन उच्चारण करना | जप, (पुं. ) वेद के मन्त्रों को बार बार उच्चारण करना । जपा, (स्त्री. ) वृक्षविशेष के फूल । जभू, ( क्रि.) मैथुन करना । जमुहाई लेना । जम्, (क्रि. ) भक्षण करना । खाना । जमदग्नि, ( पुं. ) परशुराम का पिता | मुनि- विशेष | जम्पती, ( पुं. ) स्त्री और पुरुष का जोड़ा । दम्पती । जम्बाल, ( पुं. ) कीचड़ | सिवार। केतकी । जिसमें केवड़ा | र्जस्वालिनी, ( स्त्री. ) नदी जम्वाल हो । जम्बु-म्बू, ( स्त्री. ) जामुन का फल । जम्बुक, ( पुं. ) जामुन का पेड़ । गीदड़ | शृगाल | जम्बुद्वीप, (पुं.) सप्तद्वीपों में से एक जम्बूक, ( पुं. ) शृगाल । नीच । वरुण । जामुन । दास । जम्भ, (पुं. ) एक दैत्य । दाँत । अंश । ठोड़ी | तर्कस | (क्रि. ) खाना । जमुहाई लेना । जम्भभेदिन, ( पुं. ) इन्द्र । जम्भला, ( बी. ) एक राक्षसी । कहते हैं, इसका नाम लेने से ज्वर और ज्वर के पूर्व जमुहाई का आना नष्ट हो जाता है। "समुद्रस्योत्तरे तीरे जम्भला नाम राक्षसी । " जय, (पुं.) जीत । नारायण का द्वारपाल। " युधिष्ठिर का कल्पित नाम जो उन्होंने अज्ञात वासके समय रखा था | देवी (स्त्री.) । जयढक्का, ( स्त्री. ) विजयवाद्य । विजय- सूचक बाजा | जयद्रथ (पुं.) सिन्धुदेश का राजा । दुर्यो- धन का बहनोई । अभिमन्यु का मारने वाला । यह अर्जुन द्वारां मारा गया था।