पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१६८

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छटि ( छोटिन्, (पुं. ) महुआ। धीमर । छोलग, (पुं. ) चूना | छथु, (क्रि.) जाना । तुर्वेदकोष १६८ ज, (पुं. ज ) समास के अन्त में आता है और तब इसका श्रथ होता है - " उससे या इससे " जैसे " पङ्कज हुआ । सम्बन्धी विजयी | पिता । जन्म । उत्पन्न हुआ । । बना विष । कान्ति । विष्णु | शिव | भोग । गति । वेग | गण । अक्षू. (क्रि. ) खाना । जगञ्चक्षु, ( पुं.) सूर्य | भास्कर | जगत्, (पुं.) लोक । वायु जगत्प्राण, (पुं.) वायु | पवन | जगत्साक्षिन्, ( पुं. ) सूर्य्य | चन्द्र | पृथिवी 1 वायु | यम | जगती, (स्त्री.) धरती । भुवन | जन । लोक जम्बुद्वीप | एक छन्द जिसका बारह अक्षर वाला पाद हो । जगदाधार, (पुं. ) वायु । जगत् का सहारा | जगद्धात्री, ( स्त्री.) जगत् की माँ । जगदम्बा | लक्ष्मी जी । दुर्गा । जगद्योनि, ( पुं. ) जगत् की उत्पत्ति करने वाला। हिरण्यगर्भ । कुमार | विष्णु । शिव । पृथिवी । जगन्नाथ, ( पुं) जगत् के स्वामी | विष्णु । विष्णु का क्षेत्र । तान्त्रिकों के मतानुसार विमंला पीठ का भैरव । यथा - " विमला भैरवी यत्र जगन्नाथस्तु भैरवः " । जग्ध, (त्रि.) खाया हुआ। भुक्त | जग्धि, ( स्त्री. ) एकत्र बैठ कर भोजन करना | भोजन | खाना | जघन, (न.) जाँघ । पद जघन्य, (त्रि.) अधम । नीच । सबसे पिछला शुद्ध पुरुष का गुह्याङ्ग । जघन्यज, (पुं) शुद्ध | कनिष्ठ | सबसे बोटा | अन जङ्गम, (त्रि. ) चलने की शक्ति वाला । लिङ्गायित सम्प्रदाय के गुरु जङ्गम कहलाते हैं | जङ्गल, (न.) वन । बेहड़ | अकेला । (पुं.) मांस | जङ्घा, ( स्त्री. ) जाम । गुल्फ बीच का देश जङ्घाकरिक, (त्रि. ) डाकिया । चर । दूत | दौड़ने वाला । " जाङ्घाल, (त्रि. ) बड़ी वेग वाली जद्दा वाला | दौड़इया । कई एक पशु जज्, (क्रि. ) लड़ना । जट्, (क्रि. ) जुड़ना । एकत्र होना । जटा, (स्त्री.) जूड़ा। शेर के श्रयाल । वृक्षादि की जड़ | जटामांसी । वेद का पाठविशेष | लता । शतावरी । जटाजूट, (पुं.) जटाओं का समुदाय | जटानांसी, (स्त्री. ) सुगन्धिद्रव्यविशेष | •जटायु, (पुं.) बड़ी आयु वाला । पक्षी- विशेष | गूगल | जठौर जटाल, (पुं.) वट | गूगल | कपूर । ( स्त्री ) जटामांसी। जटा थाला (त्रि.) । जटिन्, (पुं.) पाकुर का वृक्ष | जटा वाला जटिल, (पुं. ) जटा वाला। सिंह । ब्रह्मचारी | जटामांसी । पिप्पली बच । दमन वृक्ष ( गु. ) उलझन डालने वाला । जठर, (न.) पेट | कुक्षि | बढ़ा हुआ तथा कठिन | जड, (त्रि.) अच्छा बुरा न जानने वाला मूक । बुद्धिहीन | मूर्ख । जल और सीसा | जतु, (न.) लाख | जत्रु, ( न. ) काँख : बगल । गले के नीचे की दो हड्डियाँ । जन्, (क्रि. ) उत्पन्न होना । जन, ( पुं.) लोग | सर्व साधारण लोग | नीच लोग । जीव । महालोक से ऊपर का लोक । जनक, (पुं.) पिता बाप | मिथिलानगरी का एक राजा | कारण । हेतु । सीता के पिता |