पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१४५

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● खुरा चतुर्वेदीकोष | १४५ सुरालिक, ( पुं. ) जो खुरों की कतारों से i चमकता है। नाऊ के शस्त्र रखने का स्थान । संजोह । गुच्छी । नाराचास्त्र | बाण | तकिया । खुई, (क्रि. ) खेलना | खेचर, (पुं. ) जो आकाश में विचरै । शिव जी । सूर्य्यादि ग्रह। विद्याधर | मुद्राभेद ( स्त्री. ) खेचरी मुद्रा योगशास्त्र में । खलिनी, (स्त्री.) तालमूली। दुष्टों का समूह | धानों के खल खलिवर्द्धनः, ( पुं. ) दाँत के रोगविशेष | मारुतनाधिकोदन्तो जायते तीव्रवेदनः । खलिवर्धनसंज्ञोऽसौ जाते रुक् च प्रशाम्यति ॥ खलिशः, (पुं.) खलिशामाच् इति गौड़भाषा प्रसिद्ध मत्स्य । कंकपक्षी के चांच को भी कहते हैं। खलीकारः, (पुं. ) अपकारी । द्रोह करना . खलः, (पुं.) निन्दा करने वाला । खलीनः, ( पुं. न. ) घोड़े के मुख में जो छिप जावै । लगाम खलु, ( श्र. ) वाक्य के सजाने में पूछना ।. शान्ति में । कहने की इच्छा में। मान में । वर्जन में । पदों की पूर्ति में वाक्यपूरण में विनती करने में । निश्चय खलुक, (पुं.) अन्धकार खलुरेषः, ( पुं ) हरियों के जातिभेद । 1 खलूरिका, (स्त्री.) शस्त्राभ्यास करने की जगह | खलेवाली, (स्त्री.) बैलों के बाँधने का गाड़ा हुआ काष्ठ अर्थात् खूँटा बैलों का । खलेशः, खलेशयः, ( पुं ) दुष्ट आशय । स्खल्या, (स्त्री.) दुष्टा स्त्री | खलों का समुदाय | खल्लः, (पुं. ) कपड़ों का भेद । गड्ढा । निम्न । चमड़ा। मपीहा । दवा घोटने . का पात्र | खल | मसक " भिस्ती के कामवाली " ! स्वली, ( मी. ). बली चढ़ना हाथ पाँव की ! खात्र प्रायः हैज़े की बीमारी में होती है उसकी दवा कूट सेंधानमक चूक तिल का तेल पका कर मालिश करना सहता हुआ अधिक गर्म नहीं मलना । खल्वाटः, (पुं.) इन्द्रलुप्तरोग बार झड़ा ● हुआ सिर । स्खल्विका, ( स्त्री. ) पिसान वगैरह भूंजने -का बरतन । कड़ाही । तसला | खवलरी, (स्त्री. ) त्राकाशबेल । खवली, (स्त्री.) अमरबेल जो पेड़ों पर ही रहती है। इसका गुण वैद्यनिघण्टु में ऐसा लिखा है--- खवली माहिणी तिला पिच्छिलाश्यामयापहा | तुवराऽग्निकरी हृद्या पित्तश्लेष्मामनाशिनी ॥ खवारि, (न.) आकाश का जल खशा, (स्त्री.) तालपत्री । मुरा नाम मुगन्धि पदार्थ | कश्यप ऋषि की स्त्री । दक्ष प्रजापति की कन्या । यक्ष राक्षस की माता । खश्वासः, (पुं.) वायु | हवा | खप्पः, ( पुं. ) क्रोध | बल से करना । खसकन्दः, (पुं. ) क्षीरकंचुकी का वृक्ष । खसमः, (पुं.) बौद्धमतावलम्बी | बुन्न । खसम्भवा, (त्री. ) बुद्ध जातिविशेष | खसा, (स्त्री. ) राक्षसों की माता । खसात्मजः, (पुं.) राक्षसी का पुत्र । खसूमः, (पुं.) विप्रचित्ति का बेटा | खस्खसः, ( पुं. ) पोस्त का दाना १ खसखसरसः, ( पुं. ) अफीम | खस्तनी, ( स्त्री. ) ज़मीन । खस्फटिक, (पुं. ) चन्द्रकान्तमसि | सूर्य्य कान्तमणि | खायसः, ( पुं. ) खसखस का दाना । प्रमाण वैद्यनिघण्टुः । उक्तं च - स्यात् खाखसफलोद्भूतं वल्कलं शीतलं लघुः । आहि तिक्तं कषायं च वातकृत् कफकासहृत् ॥ धातूनां शोषकं रूक्षं मदकृञ्चान्निवर्धनम् । मुहर्मोहक रुथ्यं सेवनति पुंस्त्वनाशनम् ॥