पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१०७

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श्री चतुर्वेदीकोप । १०७. श्रौर्य, (पुं. ) ऊनी । श्रौदेहिक, (त्रि. ) श्राद्धादि कर्म | प्रेत- कर्म । मरने के बाद प्रेतसंस्कार से लगा कर मङ्गल श्राद्ध पर्यन्त की जाने वाली किया । दशगात्रविधि | श्र, (पुं.) उर्व की औलाद । नमक | पृथिवी का | और्वशेय, (पुं.) उर्वशी से उत्पन्न । श्रौलूक, (न. ) उल्लुओं का समूह । श्रौलूक्य, (पुं. ) वैशेषिक दर्शनकार कणाद वाड़वानल | मुनि । श्रौशनस्, (न. ) शुक्र से कही हुई राज- नीति । श्रौशीर, (न. ) चौर की डण्डी | शय्या और पीठ | शयन । विस्तर | श्रासन | औषध-धी, (न. स्त्री. ) दवाई | सिद्ध की हुई दवा । श्रौषस, (गु. ) प्रातःकाल का । श्रौष्ट्र, ( उ.) ऊँट से उत्पन्न दूध । श्रौष्ट्रक, (गु. ) ऊँटों का गिरोह । श्रौष्ठ्य ( त्रि. ) होठों की सहायता से उच्चारित अक्षर | औ, ( न, ) गरम । गरमी | धूप | सन्ताप | औौम्य, (न. ) सन्ताप । उष्णता । क क, व्यञ्जनों में प्रथम अक्षर । पांचों वर्गों में प्रथम अक्षर । क, ( पुं. न. ) कौन | क्या । जल | ब्रह्म । वायु । श्रात्मा । यम । दक्ष प्रजापति । सूर्य | अग्नि । विष्णु । काल । राजा | भोर । शरीर । मन | धन | प्रकाश | शब्द | सुख | शिर । रोग | कंस, (पुं. ) उग्रसेन का पुत्र राजा कंस | तेज बढ़ाने वाली वस्तु । काँसा धातु । सोने व चाँदी का बना हुआ मंदिरा- पान के लिये बरतन । कटोरा । थादक के नाम से प्रसिद्ध तौल । P कंसक, (न. ) नेत्र रोग के लिये हीराकस नामक एक विशेष औषधि । जस्त का सार । कौसीस । कंसकार, (पुं. ) कसेरा | मरतन बनाने वाली एक जाति । कंसजित्, (पुं. ) श्रीकृष्ण | कंसाराति, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | कक्, (क्रि. ) चाहना | जाना । ककुत्स्थ, (पुं. ) सूर्यवंशी एक राजा | जिसकी सन्तान ने बैल की ठुड्डी पर बैठ कर शत्रु विजय करने के कारण ककुत्स्थ उपाधि धारण की थी । इक्ष्वाकु का पोता । इसी कुल में श्रीरामावतार हुआ था । ककु, (क्रि. ) हँसना । ककुद् (स्त्री. ) छाता आदि राजचिह्न | प्रधान | पर्वत की चोटी । बैल के कन्धे ● का मांस | ककुझतू, (पुं.) बैल | कुब्ब वाला । पर्वत । कमर | ककुझती, (स्त्री. ) रेवत राजा की कन्या रेवती, जिसको साथ ले कर राजा ब्रह्मा से पूछने गया और लौट कर बलदेव जी को ब्याही | कमर | ककुन्दर, ( न. ) कूपक | खूआ | रॉन । ककुभ, (बी. ) दिशा | शोभा । चम्पे के फूलों की माला । शास्त्र । रागिनीभेद | पहाड़ की चोटी । वृक्षविशेष । ककुब्जय, (पुं. ) दिग्विजय कक्कोल, (पुं. ) गन्धद्रव्य | वनकपूर | शीतलचीनी । कक्ष, (पुं.) स्त्रियों के पट्टे के पीछे का आँचल | लता। समीप का भाग राजा का अन्तःपुर | भुजाओं का मूल | कन्ध | आँचल | हाथी बाँधने का रस्सा की।