पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१०२

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ऋत चतुर्वेदीकोष । १०२ नारायण । ऋत, (न. ) त्राह्मण की उपजीव्य वृत्ति । ब्राह्मण के भोजन करने योग्य भोजन । मोक्ष । कर्म का फल । प्रिय वचन सत्य जो कायिक, वाचिक, मानसिक हो । चमकता हुआ | पूज्य | सच्चा ईमानदार | ऋतधामन् (पुं.) विष्णु जिसका सत्य घर है। ऋतम्, ( श्रव्य. ) सत्य | सच्चा | ऋतम्भरा, (स्त्री.) योगशास्त्रानुसार सत्य को धारण और पुष्ट करने वाली चित्त की वृत्ति का एक भेद । ऋति, (स्त्री. ) सौभाग्य | कल्याय्य मार्ग | स्पर्धा | निन्द्रा | जाना। जुराई । ऋतु (पुं.) वसन्तादि छः ऋतु । मौसम । स्त्रियों का मासिक समय जब रजोधर्मयुक्त हो शुद्ध होती हैं । चमक । ठीक समय जैसे- चैत्र से दो दो मास में एक एक ऋतु होती है। ऋतुमती, ( स्त्री. ) रजस्वला । ऋतुराज, (पुं.) ऋतुओं का अर्थात् वसन्त । विना | सिवाय | ऋ ( ऋतेजा नियमानुकूल रहना । ऋतेरस (न. ) भूत प्रेतों को भगाना | ऋ ( स्त्री. ) सत्य वचन | ऋत्वन्त, (पुं. ) ऋतु का अन्त । वसन्तादि एक ऋतु का समाप्त होना। स्त्री के रजो- धर्म से १६ वीं रात्रि । राजा. ऋत्विज्, ( पुं. ) जो निरन्तर यज्ञ करता यज्ञकर्त्ता । पुरोहित | ऋत्विय, ( पुं. ) नियमानुसार । निरन्तर | ऋत्विक कर्म को जानने वाला । विशेष | दुर्गा | ॠधक, (क्रि. ) देना | करना | लड़ना, " । ॠद्ध (न. ) पका और मींजा हुआ अन्न । · समृद्ध । सम्पत्तिशाली । सिद्धान्त | बढ़ा हुआ । ऋद्धि (स्त्री.) बढ़ती। देवभेद । श्रौषध मारना । निन्दा ऋभु, (पं.) देव । देवता । चतुर । चालाक | जो स्वर्ग में या अदिति में हुए हों। ऋभुक्ष, ( पुं. ) स्वर्ग | वज्र | इन्द्र | ऋभ्वन, (पु. ) पटु । दक्ष ऋष, (क्रि.) जाना। गति । ॠ ऋष्य, ( पुं. ) एक प्रकार का बारहसिंहा । ऋषभ ( पु. ) बैल | एक श्रोषधि । जैनियों का मान्य पहला अवतार ऋषभदेव मुनि विशेष | अच्छा ।

ऋषभतर, (पुं. ) कमजोर बैल । ऋषभध्वज, (पुं.) शिवजी | महादेव | ऋषमा (स्त्री.) पुरुष के रूपवाली स्त्री | शिवा लता । ऋषि, (पुं.) वेद | मंत्रद्रष्टा मुनि | अनुष्ठा नादि कर्म बतलाने वाले सूत्रों के रचयिता | आचार्य | गोत्र और प्रवर के प्रवर्तक । मत्स्यविशेष | ऋषियश (पुं. ) ब्रह्मयज्ञ | वेदाध्ययन | ऋषु, गर्म । अङ्गारा | ऋष्य ( पु. ) मृगभेद | एक प्रकार का हिरन, ॠष्टि (स्त्री..) दुधारा खन। दोनों ओर धार वाली तलवार । भाला | ऋष्यमूक (पु.) पम्पा सरोवर के समीप फूले हुए वृक्षों से लदा हुआ पर्वत । ऋष्यशृङ्ग, ( पुं. ) विभाण्डक मुनि के पुत्र जिन्होंने लोमपाद राजा को शान्ता नामक कन्या के साथ विवाह किया था और राजा परीक्षित् को सर्प काटने का शाप दिया था । ( पुं. ) बड़ा | ऊँचा | अच्छा देखने योग्य | इन्द्र और अग्नि का नाम । ऋष्य, ॠ ॠ, नागरी वर्णमाला का आठवाँ अक्षर ॠ, (स्त्री, पुं.) जाना ( श्रव्य. बचाना | रक्षा निन्दा । डरना । छाती दैत्य और देवताओं की माता । स्मरणशक्ति ! जाना। भैरव । दैत्य । दया