पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१०३

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सु चतुर्वेदीकोष । १०३ लृ सु, नागरी वर्णमाला का नवाँ अक्षर | अव्यय में इसका अर्थ होता है। देवता और दैत्यों की माता । पृथिवी । पर्वत । लृ लु, नागरी वर्णमाला का दसवाँ अक्षर | लु, ( अव्य. ) देवताओं की माता | देवस्खी महादेव ( पुं. ) दैत्यों की माता ( स्त्री. ) विष्णु ( पुं ) संस्कृत का कोई भी शब्द ऌ या ऌ से श्रारम्भ नहीं होता। प, नागरी वर्णमाला का ग्यारहवाँ अक्षर । ए, ( श्रव्य. ) दया । स्मरण करना । घृणा करना | बुलाना । ( पुं. ) विष्णु । एक, (त्रि.) संख्या एक मुख्य केवल । और सच्चा । एक ही । समान | थोड़ा । एकक, (त्रि.) असहाय । अकेला । एकचक्र, (न. ) एक पहिये वाला सूर्य का रथ । एक पुरी का नाम । जहाँ रह कर पाण्डवों ने बकासुर को मारा था । चक्र- वर्ती राजा । एकचर, (त्रि. ) अकेला बूमने वाला । साँप । एकजाति, (पुं.) जिसका एक ही बार जन्म होता है। शुद्र । एकजातीय, (त्रि.) एक प्रकार का | एक जाति का बराबर । एकतम (त्रि. ) अनेकों में एक । एकतर, (त्रि.) दो के बीच एक दो में से एक । एकतस्, (अव्य. ) एक ओर से । एकतान, (क्रि. ) श्रद्धा करना । भरोसा करना। एक पर विश्वास करने वाला । एक ही ओर ध्यान नाला । एक ही ओर ध्यान लगाने वाला 1. एकत्र, ( अव्य. ) एक जगह। एक स्थान पर एक जगह में। एका एकत्व, (न. ) अभेद । एक । बराबर | सायुज्य मुक्ति | ध्येय और जीव की भेद दशा । एकदण्डिन्, (पु.) एकमात्र दण्ड को धारण करने वाला । शिखा यज्ञोपवीतादि रहित । संन्यासी । एकदन्त, ( पुं.) एक हाँत वाला। गणेश | एकदा, ( अव्य. ) एक बार | किसी समय । एक नेत्रवाला । काना । एकटकू, (त्रि. काक : अभिन्न भाव वाला । शिव । एकधा, (अन्य ) एक प्रकार का । - एकपत्नी ( स्त्री. ) पतिव्रता | सच्ची औरत । एकपदी (स्त्री.) छोटा रास्ता । पगडंडी | एकपदे, ([अव्य. सहसा अकस्मात् अचानक एक ही बेर । एकपिङ्ग, ( पुं. ) पीली एक आँख वाला कुन्देर । एकभक्कव्रत, (पुं. न. ) आधा दिन बीतने पर भोजन करने वाला और फिर रात में न खाने वाला । एकयष्टिका, (स्त्री.) इकलरी एक लरकी। एकराजू, (पुं. ) सार्वभौम | चक्रवर्ती | बारह मण्डल का अधिपति । एकविंशति, ( स्त्री. ) इक्कीस संख्या विशेष । २१ । एकवीर, ( पुं.) बड़ा वीर। एक प्रकार · का वृक्ष । एकाशफ, ( पुं. ) एक खुर वाले । गधा | घोड़ा | खञ्चर आदि । एकशेष, (पुं. ) द्वन्द्व समास का एक भेद जिसमें एक ही बच रहै । एकश्रुति, ( स्त्री. ) प्रातिशाख्य में प्रसिद्ध उदात्त, अनुदात्त और वरित का विभाग किये विना बोलना । एकसर्ग, ( त्रि. ) एक ओर मन वाला । एकाग्रचित्त । एकाकिन्, (त्रि.) अकेला । श्रसद्दाय ।