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पुटमेतत् सुपुष्टितम्
१२
गोपालसहस्रनामस्तोत्रम्


 श्रीगोपालदेवतायै नमः --- हृदये 
 ओं क्लीं कीलकाय नमः --- नाभौ 
 ओं ह्रीं शक्तये नमः --- गुह्ये 
 श्री कीलकाय नमः --- पादयोः 
 ओं क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा  
 ओं क्लां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः --- १
 ओं क्लीं तर्जनीभ्यां नमः --- २
 ओं क्लूं मध्यमाभ्यां नमः --- ३
 ओं क्लैं अनामिकाभ्यां नमः --- ४
 ओं क्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः --- ५
 ओं क्ल: करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः --- ६
 ओं क्लां हृदयाय नमः --- १
 ओं क्लीं शिरसे स्वाहा --- २
 ओं क्लं शिखायै वषट् --- ३
 ओं क्लैं कवचाय हुं --- ४
 ओं क्लौं नेत्रत्रयाय वौषट् --- ५
 ओं क्लं: अस्त्राय फट् --- ६

 

अथ मूलमन्त्रन्यास:-

 ओं क्लीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः --- १
 ओं कृष्णाय तर्जनीभ्यां नमः --- २
 ओं गोविन्दाय मध्यमाभ्यां नमः --- ३
 ओं गोपीजन अनामिकाभ्यां नमः --- ४
 ओं वल्लभाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः --- ५
 ओं स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः --- ६


इति न्यासः ।


 1.ख.ग.घ. 'अथ मूलमन्त्रन्यासः' इत्यारभ्य इति हृदयादिन्यासः'


इति पर्यन्तो भाग: नास्ति ।