श्रीगोपालदेवतायै नमः --- हृदये ३
ओं क्लीं कीलकाय नमः --- नाभौ ४
ओं ह्रीं शक्तये नमः --- गुह्ये ५
श्री कीलकाय नमः --- पादयोः ६
ओं क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ७
ओं क्लां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः --- १
ओं क्लीं तर्जनीभ्यां नमः --- २
ओं क्लूं मध्यमाभ्यां नमः --- ३
ओं क्लैं अनामिकाभ्यां नमः --- ४
ओं क्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः --- ५
ओं क्ल: करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः --- ६
ओं क्लां हृदयाय नमः --- १
ओं क्लीं शिरसे स्वाहा --- २
ओं क्लं शिखायै वषट् --- ३
ओं क्लैं कवचाय हुं --- ४
ओं क्लौं नेत्रत्रयाय वौषट् --- ५
ओं क्लं: अस्त्राय फट् --- ६
अथ मूलमन्त्रन्यास:-
ओं क्लीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः --- १
ओं कृष्णाय तर्जनीभ्यां नमः --- २
ओं गोविन्दाय मध्यमाभ्यां नमः --- ३
ओं गोपीजन अनामिकाभ्यां नमः --- ४
ओं वल्लभाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः --- ५
ओं स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः --- ६
इति न्यासः ।
1.ख.ग.घ. 'अथ मूलमन्त्रन्यासः' इत्यारभ्य इति हृदयादिन्यासः'
इति पर्यन्तो भाग: नास्ति ।