पृष्ठम्:अष्टाध्यायी (शिक्षापरिभाषादिसहिता).pdf/९१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

द्वितीयोऽध्यायः । (५) मारम् दासीमाणवकम् शाटीपटीरम् शाटीमच्छदम् शाटीपट्टिकम् उष्ट्रखरम् उष्ट्रशशम् मूत्रशकृत् मूत्रपुरीषम् यकृन्मेद: मांसशोणितम् दर्भशरम् दर्भपूतीकम् अर्जुनशिरीषम् अर्जुनपुरुषम् तृणोपलम् ( तृणोलपम् ) दासीदासम् कुटीकुटम् भागवतीभागवतम् ॥ इति गवाश्वप्रभृतीनि ॥ १६ ॥ ९१ न दधिपयआदीनि । २ । ४ । १४ ॥ दधिपयसी सर्पिर्मधुनी मधुसर्पिषी ब्रह्ममजापती शिववैश्रवणौ स्कन्दविशाखौ परिव्राजककौशिकौ ( परित्राशिकौ ) प्रव- र्ग्योपसदौ शुक्लकृष्णौ इध्माबर्हिपी दीक्षातपसी ( श्रद्धातपसी मेधातपसी ) अध्ययनतपसी उलूखलमुसले आद्यवसाने श्रद्धामेधे ऋक्सामे वाङ्मनसे || इति दधिपय- आदीनि ॥ १७ ॥ ८१ अर्धर्चाः पुंसि च । २ । ४ । ३१ ॥ अर्धर्च गोमय कषाय कार्षापण कुतप कुसप ( कुणप ) कपाट शङ्ख गूथ यूथ ध्वज कवन्ध पद्म गृह सरक कंस दिवस यूष अन्धकार दण्ड कमण्डलु मण्ड भूत द्वीप द्यूत चक्र धर्म कर्मन् मोदक शतमान यान नख नखर चरण पुच्छ दाडिम हिम रजत सक्नु पिधान सार पात्र घृत सैन्धव औषध आढक चषक द्रोण खलीन पात्रीव पष्टिक वारवाण ( वारवारण ) मोथ कपित्थ [ शु- क ] शाल शील शुक्ल ( शुल्क ) शोधु कवच रेणु [ ऋण ] कपट शीकर मुसल सुवर्ण वर्णं पूर्व चमस क्षीर कर्ष आकाश अष्टापद मङ्गल निधन निर्यास जृम्भ वृत्त पुस्त बुस्त क्ष्वेडित श्रृङ्ग निगड [ खल ] मूलक मधु मूळ स्थूल शराव नाल वम विमान मुख मग्रीव शूल वज्र कटक कण्टक [ कर्पट ] शिखर कल्क [ वल्क ] नटमक [नाटमस्तक ] वलय कुसुभ तृण पङ्क कुण्डल किरीट [ कुमुद ] अर्बुद अङ्कुश तिमिर आश्रय भूषण इक्कस [ इप्वास ] मुकुल वसन्त तटाक [ तडाग ] पिटक विटङ्क विडङ्ग पिण्याक माष कोश फलक दिन दैवत पिनाक समर स्थाणु अनीक उपवास शाक कर्पास [ वि- शाळ ] चषाल [ चखाल ] खण्ड दर विटप [ रण बल मक ] मृणाल हस्त आई हल [ सूत्र ] ताण्डव गाण्डीव मण्डप पटह सौध योध पार्श्व शरीर फल [ छल ] पुर [पुरा] राष्ट्र अम्बर बिम्ब कुट्टिम मण्डल [ कुक्कुट ] कुडप ककुद खण्डल तोमर तोरण मञ्चक पञ्चक पुङ्ख मध्य [ वाल] छाल वल्मीक वर्ष वस्त्र वसु देह उद्यान उद्योग स्नेह स्तेन [ स्तन स्वर ] संगम निष्कक्षेम शूक क्षेत्र पवित्र यौवन कलह मालक [ पालक ] मू- षिक [ मण्डल वल्कल ] कुज [ कुञ्ज ] विहार लोहित विषाण भवन अरण्य पुलिन दृढ आसन ऐरावत शूर्पं तीर्थ लोमन [ लोमश ] तमाल लोह दण्डक शपथ भतिसर दारु धनुम् मान वर्चस्क कूर्च तण्डक मठ सहस्र ओदन मवाल शकट अपराह्न नीड शकल तण्डुल || इत्यर्धर्चादिः ।। १८ ।। १०६ पैलादिभ्यश्च | २ | ४|५९ ॥ पैल शाळा सात्यकि सात्यकामि राहवि रावणि औदश्चि औदवनि औदमेधि औव्यचि ( औदमणि) औदभुजि दैवस्थानि