पृष्ठम्:अष्टाध्यायी (शिक्षापरिभाषादिसहिता).pdf/१०८

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( २२ ) गणपाठः । १५६ हायनान्तयुवादिभ्योऽण् ५ | १|१३०|| युवन् स्थविर होतृ यजमान | पुरुषासे । भ्रातृ कुतुक श्रमण ( श्रवण ) कटुक कमण्डलु कुस्खी सुखी दुःखी मुहृदय दुर्हदय सुहृद दुर्हदू सुभ्रातृ दुर्भातृ वृषल परिव्राजक सब्रह्मचारिन् अनृशंस । हृदयासे कुशल चपल निपुण पिशुन कुतूहल क्षेत्रज्ञ | श्रोत्रियस्य यलोपश्च|| इति युवादिः ||२२|| १५६ द्वन्द्वमनोज्ञादिभ्यश्च ५ | १ | १३३ || मनोज्ञ प्रियरूप अभिरूप कल्याण मेधाविन् आढ्य कुलपुत्र छान्दस छात्र श्रोत्रिय चोर धूर्त विश्वदेव युवन् कुपुत्र ग्रामपुत्र ग्राम कुलाल ग्रामड ( ग्रामपण्ड ) ग्रामकुमार सुकुमार बहुल आश्वपुत्र अमुष्यपुत्र आमुष्यकुल सारपत्र शतपुत्र ॥ इति मनोज्ञादिः ॥ २३ ॥ १५८ तस्य पाकमूले पील्वादिर्केर्णादिभ्यः कुणब्जाहचौ| २ | २४|| १ पीलु कर्कन्धू ( कर्कन्धु ) शमी करीर वल ( कुवल ) बदर अश्वत्थ खदिर || इति पील्वादिः ॥ २४ ॥ २ कर्ण अक्षि नख मुख केश पाद गुल्फ भ्रू शृङ्ग दन्त ओष्ठ पृष्ठ ॥ इति कर्णादिः२५ || १५९ तदस्य संजातं तारकादिभ्य इतच् ५ |२|३६ || तारका पुष्प कर्णक मञ्जरी ऋजीष क्षण सूच सूत्र निष्क्रमण पुरीप उच्चार प्रचार विचार कुडूमल कण्टक मुसल मुकुल कुसुम कुतूहल स्तवक ( स्तवक ) किसलय पल्लव खण्डवेग निद्रा मुद्रा बुभुक्षा घेनुष्या पिपासा श्रद्धा अभ्र पुलक अङ्गारक वर्णक द्रोह दोह सुख दुःख उत्कण्ठा भर व्याधि वर्मन् व्रण गौरव शास्त्र तरङ्ग तिलक चन्द्रक अन्धकार गर्व कुमुर ( मुकुर ) हर्ष उत्कर्ष रण कुवलय गर्ध क्षुधू सीमन्त ज्वर गर रोग रोमाञ्च पण्डा कोरक कल्लोल स्थपुट फल कञ्चुक शृङ्गार अकुर शैवल बकुल श्वभ्र अराल कलङ्क कर्दम कन्दल मूर्च्छा अङ्गार हस्तक प्रतिविम्व विघ्नतन्त्र प्रत्यय दीक्षा गर्ज | गर्भादमाणिनि ॥ इति तारकादिः आकृतिगणः ॥ २६ ॥ कज्जल 4 १६० विमुक्तादिभ्योऽण् ५ | २|६१ ॥ विमुक्त देवासुर रक्षोसुर उपसद सुवर्ण परिसारक सदसत् वसु मरुत् पत्नीवत् वसुमत् महीयत्त्व सत्त्वत् बर्हवद् दशार्ण दशा वयस् हविर्धान पतत्रिन् महिनी अस्यहत्य सोमापूषन् इडा अनाविष्णू उर्वशी वृत्रहन् || इति विमुक्तादिः ॥ २७ ॥ १६१गोषदादिभ्योवुन्५|२|६२ ॥ गोषद इषेत्वा मातरिश्वन् देवस्यत्वा देवीरापः कृष्णोस्याखरेष्ठः देवींधिया ( देवींधियम् ) रक्षोहण युञ्जन अञ्ञ्जन मभूत प्रतूर्त कृशानु ( कृशाकु ) ॥ इति गोषदादिः ॥ २८ ॥ १६१आकर्षादिभ्यः कन् ५। २ |६४॥आकर्षं ( आकष ) त्सरु पिशाच पिचण्ड अशनि अश्मन् निचय जय चय विजय आचय नय पाद दीप हृद हाद ह्लाद गद्गद शकुनि ॥ इत्याकर्षादिः ॥ २९ ॥ . >