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ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-५

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मण्डलम्-५
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-ऋ. वे. ३:८/१२-
(ऋ. वे. ५,१)
अबोधि | अग्निः | सम्-इधा | जनानाम् | प्रति | धेनुम्-इव | आयतीम् | उषसम् | यह्वाः-इव | प्र | वयाम् | उत्-जिहानाः | प्र | भानवः | सिस्रते | नाकम् | अच्छ // ऋ. वे. ५,१.१ //
अबोधि | होता | यजथाय | देवान् | ऊर्ध्वः | अग्निः | सु-मनाः | प्रातः | अस्थात् | सम्-इद्धस्य | रुशत् | अदर्शि | पाजः | महान् | देवः | तमसः | निः | अमोचि // ऋ. वे. ५,१.२ //
यत् | ईम् | गणस्य | रशनाम् | अजीगरिति | शुचिः | अङ्क्ते | शुचि-भिः | गो--भिः | अग्निः | आत् | दक्षिणा | युज्यते | वाज-यन्ती | उत्तानाम् | ऊर्ध्वः | अधयत् | जुहूभिः // ऋ. वे. ५,१.३ //
अग्निम् | अच्छ | देव-यताम् | मनांसि | चक्षूंषी-इव | सूर्ये | सम् | चरन्ति | यत् | ईम् | सुवाते | उषसा | विरूपेइतिवि-रूपे | श्वेतः | वाजी | जायते | अग्रे | अह्नाम् // ऋ. वे. ५,१.४ //
जनिष्ट | हि | जेन्यः | अग्रे | अह्नाम् | हितः | हितेषु | अरुषः | वनेषु | दमे--दमे | सप्त | रत्ना | दधानः | अग्निः | होता | नि | ससाद | यजीयान् // ऋ. वे. ५,१.५ //
अग्निः | होता | नि | असीदत् | यजीयान् | उप-स्थे | मातुः | सुरभौ | ॐ इति | लोके | युवा | कविः | पुरुनिः-ष्ठः | ऋत-वा | धर्ता | कृष्टीनाम् | उत | मध्ये | इद्धः // ऋ. वे. ५,१.६ //
//१२//.

-ऋ. वे. ३:८/१३-
प्र | नु | त्यम् | विप्रम् | अध्वरेषु | साधुम् | अग्निम् | होतारम् | ईऌअते | नमः-भि ः | आ | यः | ततान | रोदसी इति | ऋतेन | नित्यम् | मृजन्ति | वाजिनम् | घृतेन // ऋ. वे. ५,१.७ //
मार्जाल्यः | मृज्यते | स्वे | दमूनाः | कवि-प्रशस्तः | अतिथिः | शिवः | नः | सहस्र-शृङ्गः | वृषभः | तत्-ओजा | विश्वान् | अग्ने | सहसा | प्र | असि | अन्यान् // ऋ. वे. ५,१.८ //
प्र | सद्यः | अग्ने | अति | एषि | अन्यान् | आविः | यस्मै | चारु-तमः | बभूथ | ईऌएन्यः | वपुष्यः | विभावा | प्रियः | विशाम् | अतिथिः | मानुषीणाम् // ऋ. वे. ५,१.९ //
तुभ्यम् | भरन्ति | क्षितयः | यविष्ठ | बलिम् | अग्ने | अन्तितः | आ | उत | दूरात् | आ | भन्दिष्ठस्य | सु-मतिम् | चिकिद्धि | बृहत् | ते | अग्ने | महि | शर्म | भद्रम् // ऋ. वे. ५,१.१० //
आ | अद्य | रथम् | भानु-मः | भानुम् | अन्तम् | अग्ने | तिष्ठ | यजतेभिः | सम्-अन्तम् | विद्वान् | पथीनाम् | उरु | अन्तरिक्षम् | आ | इह | देवान् | हविः-अद्याय | वक्षि // ऋ. वे. ५,१.११ //
अवोचाम | कवये | मेध्याय | वचः | वन्दारु | वृषभाय | वृष्णे | गविष्ठिरः | नमसा | स्तोमम् | अग्नौ | दिवि-इव | रुक्मम् | उरु-व्यञ्चम् | अश्रेत् // ऋ. वे. ५,१.१२ //
//१३//.

-ऋ. वे. ३:८/१४-
(ऋ. वे. ५,२)
कुमारम् | माता | युवतिः | सम्-उब्धम् | गुहा | बिभर्ति | न | ददाति | पित्रे | अनीकम् | अस्य | न | मिनत् | जनासः | पुरः | पश्यन्ति | नि-हितम् | अरतौ // ऋ. वे. ५,२.१ //
कम् | एतम् | त्वम् | युवते | कुमारम् | पेषी | बिभर्षि | महिषी | जजान | पूर्वीः | ह् इ | गर्भः | शरदः | ववर्ध | अपश्यम् | जातम् | यत् | असूत | माता // ऋ. वे. ५,२.२ //
हिरण्य-दन्तम् | शुचि-वर्णम् | आरात् | क्षेत्रात् | अपश्यम् | आयुधा | मिमानम् | ददानः | अस्मै | अमृतम् | विपृक्वत् | किम् | माम् | अनिन्द्राः | कृणवन् | अनुक्थाः // ऋ. वे. ५,२.३ //
क्षेत्रात् | अपश्यम् | सनुतरिति | चरन्तम् | सु-मत् | यूथम् | न | पुरु | शोभमानम् | न | ताः | अगृभ्रन् | अजनिष्ट | हि | सः | पलिक्नीः | इत् | युवतयः | भवन्ति // ऋ. वे. ५,२.४ //
के | मे | मर्यकम् | वि | यवन्त | गोभिः | न | येषाम् | गोपाः | अरणः | चित् | आस | ये | ईम् | जगृभुः | अव | ते | सृजन्तु | आ | अजाति | पश्वः | उप | नः | चिकित्वान् // ऋ. वे. ५,२.५ //
वसाम् | राजानम् | वसतिम् | जनानाम् | अरातयः | नि | दधुः | मर्त्येषु | ब्रह्माणि | अत्रेः | अव | तम् | सृजन्तु | निन्दितारः | निन्द्यासः | भवन्तु // ऋ. वे. ५,२.६ //
//१४//.

-ऋ. वे. ३:८/१५-
शुनः-शेपम् | चित् | नि-दितम् | सहस्रात् | यूपात् | अमुञ्चः | अशमिष्ट | हि | सः | एव | अस्मत् | अग्ने | वि | मुमुग्धि | पासान् | होतरिति | चिकित्वः | इह | तु | नि-सद्य // ऋ. वे. ५,२.७ //
हृणीयमानः | अप | हि | मत् | ऐये | प्र | मे | देवानाम् | व्रत-पाः | उवाच | इन्द्रः | विद्वान् | अनु | हि | त्वा | चचक्ष | तेन | अहम् | अग्ने | अनु-शिष्टः | आ | अगाम् // ऋ. वे. ५,२.८ //
वि | ज्योतिषा | बृहता | भाति | अग्निः | आविः | विश्वानि | कृणुते | महि-त्वा | प्र | अदेवीः | मायाः | सहते | दुः-एवाः | शिशीते | शृङ्गेइति | रक्षसे | वि-निक्षे // ऋ. वे. ५,२.९ //
उत | खानासः | दिवि | सन्तु | अग्नेः | तिग्म-आयुधाः | रक्षसे | हन्तवै | ॐ इति | मदे | चित् | अस्य | प्र | रुजन्ति | भामाः | न | वरन्ते | परि-बाधः | अदेवीः // ऋ. वे. ५,२.१० //
एतम् | ते | स्तोमम् | तुवि-जात | विप्रः | रथम् | न | धीरः | सु-अपाः | अतक्षम् | यदि | इत् | अग्ने | प्रति | त्वम् | देव | हर्याः | स्वः-वतीः | अपः | एन | जयेम // ऋ. वे. ५,२.११ //
तुवि-ग्रीवः | वृषभः | ववृधानः | अशत्रु | अर्यः | सम् | अजाति | वेदः | इति | इमम् | अग्निम् | अमृताः | अवोचन् | बर्हिष्मते | मनवे | शर्म | यंसत् | हवि ष्मते | मनवे | शर्म | यंसत् // ऋ. वे. ५,२.१२ //
//१५//.

-ऋ. वे. ३:८/१६-
(ऋ. वे. ५,३)
त्वम् | अग्ने | वरुणः | जायसे | यत् | त्वम् | मित्रः | भवसि | यत् | सम्-इद्धः | त्वे | विश्वे | सहसः | पुत्र | देवाः | त्वम् | इन्द्रः | दाशुषे | मर्त्याय // ऋ. वे. ५,३.१ //
त्वम् | अर्यमा | भवसि | यत् | कनीनाम् | नाम | स्वधावन् | गुह्यम् | बिभर्षि | अञ्जन्ति | मित्रम् | सु-धितम् | न | गोभिः | यत् | दम्पती इतिदम्-पती | स-मनसा | कृणोषि // ऋ. वे. ५,३.२ //
तव | श्रिये | मरुतः | मर्जयन्त | रुद्र | यत् | ते | जनिम | चारु | चित्रम् | पदम् | यत् | विष्णोः | उप-मम् | नि-धायि | तेन | पासि | गुह्यम् | नाम | गोनाम् // ऋ. वे. ५,३.३ //
तव | श्रिया | सु-दृशः | देव | देवाः | पुरु | दधानाः | अमृतम् | सपन्त | होतारम् | अग्निम् | मनुषः | नि | सेदुः | दशस्यन्तः | उशिजः | शंसम् | आयोः // ऋ. वे. ५,३.४ //
न | त्वत् | होता | पूर्वः | अग्ने | यजीयान् | न | काव्यैः | परः | अस्ति | स्वधावः | विशः | च | यस्याः | अतिथिः | भवासि | सः | यज्ञेन | वन-वत् | देव | मर्तान् // ऋ. वे. ५,३.५ //
वयम् | अग्ने | वनुयाम | त्वाऊताः | वसु-यवः | हविषा | बुध्यमानाः | वयम् | स-मर्ये | विदथेषु | अह्नाम् | वयम् | राया | सहसः | पुत्र | मर्तान् // ऋ. वे. ५,३.६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ३:८/१७-
यः | नः | आगः | अभि | एनः | भराति | अधि | इत् | अघम् | अघ-शंसे | दधात | जहि | चिकित्वः | अभि-शस्तिम् | एताम् | अग्ने | यः | नः | मर्चयति | द्वयेन // ऋ. वे. ५,३.७ //
त्वाम् | अस्याः | वि-उषि | देव | पूर्वे | दूतम् | कृण्वानाः | अयजन्त | हव्यैः | सम्-स्थे | यत् | आग्ने | ईयसे | रयीणाम् | देवः | मर्तैः | वसु-भिः | इध्यमानः // ऋ. वे. ५,३.८ //
अव | स्पृधि | पितरम् | योधि | विद्वान् | पुत्रः | यः | ते | सहसः | सूनो इति | ऊहे | कदा | चिकित्वः | अभि | चक्षसे | नः | अग्ने | कदा | ऋत-चित् | यातयासे // ऋ. वे. ५,३.९ //
भूरि | नाम | वन्दमानः | दधाति | पिता | वसो इति | यदि | तत् | जोषयासे | कुवित् | देवस्य | सहसा | चकानः | सुम्नम् | अग्निः | वनते | ववृधानः // ऋ. वे. ५,३.१० //
त्वम् | अङ्ग | जरितारम् | यविष्ठ | विश्वानि | अग्ने | दुः-इता | अति | पर्षि | स्तेनाः | अदृश्रन् | रिपवः | जनासः | अज्ञात-केताः | वृजिनाः | अभूवन् // ऋ. वे. ५,३.११ //
इमे | यामासः | त्वद्रिक् | अभूवन् | वसवे | वा | तत् | इत् | आगः | अवाचि | न | अह | अयम् | अग्निः | अभि-शस्तये | नः | न | रिषते | ववृधानः | परा | दात् // ऋ. वे. ५,३.१२ //
//१७//.

-ऋ. वे. ३:८/१८-
(ऋ. वे. ५,४)
त्वाम् | अग्ने | वसु-पतिम् | वसूनाम् | अभि | प्र | मन्दे | अध्वरेषु | राजन् | त्वया | वाजम् | वाज-यन्तः | जयेम | अभि | स्याम | पृत्सुतीः | मर्त्यानाम् // ऋ. वे. ५,४.१ //
हव्य-वाट् | अग्निः | अजरः | पिता | नः | वि-भुः | विभावा | सु-दृशीकः | अस्मे इति | सु-गार्हपत्याः | सम् | इषः | दिदीहि | अस्मद्र्यक् | सम् | मिमीहि | श्रवांसि // ऋ. वे. ५,४.२ //
विशाम् | कविम् | विश्पतिम् | मानुषीणाम् | शुचिम् | पावकम् | घृत-पृष्ठम् | अग्निम् | नि | होतारम् | विश्व-विदम् | दधिध्वे | सः | देवेषु | वनते | वार्याणि // ऋ. वे. ५,४.३ //
जुषस्व | अग्ने | इऌअया | स-जोषाः | यतमानः | रश्मि-भिः | सूर्यस्य | जुषस्व | नः | सम्-इधम् | जात-वेदः | आ | च | देवान् | हविः-अद्याय | वक्षि // ऋ. वे. ५,४.४ //
जुष्टः | दमूनाः | अतिथिः | दुरोणे | इमम् | नः | यज्ञम् | उप | याहि | विद्वान् | विश्वा | अग्ने | अभि-युजः | वि-हत्य | शत्रु-यताम् | आ | भर | भोजनानि // ऋ. वे. ५,४.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ३:८/१९-
वेधेन | दस्युम् | प्र | हि | चातयस्व | वयः | कृण्वानः | तन्वे | स्वायै | पिपर्षि | यत् | सहसः | पुत्र | देवान् | सः | अग्ने | पाहि | नृ-तम | वाजे | अस्मान् // ऋ. वे. ५,४.६ //
वयम् | ते | अग्ने | उक्थैः | विधेम | वयम् | हव्यैः | पावक | भद्र-शोचे | अस्मे इति | रयिम् | विश्व-वारम् | सम् | इन्व | अस्मे इति | विश्वानि | द्रविणानि | धेहि // ऋ. वे. ५,४.७ //
अस्माकम् | अग्ने | अध्वरम् | जुषस्व | सहसः | सूनो इति | त्रि-सधस्थ | हव्यम् | वयम् | देवेषु | सु-कृतः | स्याम | शर्मणा | नः | त्रि-वरूथेन | पाहि // ऋ. वे. ५,४.८ //
विश्वानि | नः | दुः-गहा | जात-वेदः | सिन्धुम् | न | नावा | दुः-इता | अति | पर्षि | अग्ने | अत्रि-वत् | नमसा | गृणानः | अस्माकम् | बोधि | अविता | तनूनाम् // ऋ. वे. ५,४.९ //
यः | त्वा | हृदा | कीरिणा | मन्यमानः | अमर्यः | जोहवीमि | जात-वेदः | यशः | अस्मासु | धेहि | प्र-जाभिः | अग्ने | अमृत-त्वम् | अश्याम् // ऋ. वे. ५,४.१० //
यस्मै | त्वम् | सु-कृते | जात-वेदः | ॐ इति | लोकम् | अग्ने | कृणवः | स्योनम् | अश्विनम् | सः | पुत्रिणम् | वीर-वन्तम् | गो--मन्तम् | रयिम् | नशते | स्वस्ति // ऋ. वे. ५,४.११ //
//१९//.

-ऋ. वे. ३:८/२०-
(ऋ. वे. ५,५)
सु-समिद्धाय | शोचिषे | घृतम् | तीव्रम् | जुहोतन | अग्नये | जात-वेदसे // ऋ. वे. ५,५.१ //
नराशंसः | सुसूदति | इमम् | यज्ञम् | अदाभ्यः | कविः | हि | मधु-हस्त्यः // ऋ. वे. ५,५.२ //
ईऌइतः | अग्ने | आ | वह | इन्द्रम् | चित्रम् | इह | प्रियम् | सु-खैः | रथेभिः | ऊतये // ऋ. वे. ५,५.३ //
ऊर्ण-म्रदाः | वि | प्रथस्व | अभि | अर्काः | अनूषत | भव | नः | शुभ्र | सातये // ऋ. वे. ५,५.४ //
देवीः | द्वारः | वि | श्रयध्वम् | सुप्र-अयनाः | नः | ऊतये | प्र-प्र | यज्ञम् | पृणीतन // ऋ. वे. ५,५.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ३:८/२१-
सुप्रतीके इतिसु-प्रतीके | वयः-वृधा | यह्वी | ऋतस्य | मातरा | दोषाम् | उषसम् | ईमहे // ऋ. वे. ५,५.६ //
वातस्य | पत्मन् | ईऌइता | दैव्या | होतारा | मनुषः | इमम् | नः | यज्ञम् | आ | गतम् // ऋ. वे. ५,५.७ //
इऌआ | सरस्वती | मही | तिस्रः | देवीः | मयः-भुवः | बर्हिः | सीदन्तु | अस्रि धह् // ऋ. वे. ५,५.८ //
शिवः | त्वष्टः | इह | आ | गहि | वि-भुः | पोषे | उत | त्मना | यज्ञे--यज्ञे | नः | उत् | अव // ऋ. वे. ५,५.९ //
यत्र | वेत्थ | वनस्पते | देवानाम् | गुह्या | नामानि | तत्र | हव्यानि | गमय // ऋ. वे. ५,५.१० //
स्वाहा | अग्नये | वरुणाय | स्वाहा | इन्द्राय | मरुत्-भ्यः | स्वाहा | देवेभ्यः | हविः // ऋ. वे. ५,५.११ //
//२१//.

-ऋ. वे. ३:८/२२-
(ऋ. वे. ५,६)
अग्निम् | तम् | मन्ये | यः | वसुः | अस्तम् | यम् | यन्ति | धेनवः | अस्तम् | अवर्न्तः | आशवः | अस्तम् | नित्यासः | वाजिनः | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.१ //
सः | अग्निः | यः | वसुः | गृणे | सम् | यम् | आयन्ति | धेनवः | सम् | अर्वन्तः | रघु-द्रुवः | सम् | सु-जातासः | सूरय | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.२ //
अग्निः | हि | वाजिनम् | विशे | ददाति | विश्व-चर्षणिः | अग्निः | राये | सु-आभुवम् | सः | प्रीतः | याति | वार्यम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.३ //
आ | ते | अग्ने | इधीमहि | द्यु-मन्तम् | देव | अजरम् | यत् | ह | स्या | ते | पनीयसी | सम्-इत् | दीदयति | द्यवि | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.४ //
आ | ते | अग्ने | ऋचा | हविः | शुक्रस्य | शोचिषः | पते | सु-चन्द्र | दस्म | विश्पते | हव्य-वाट् | तुभ्यम् | हूयते | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ३:८/२३-
प्रो इति | त्ये | अग्नयः | अग्निषु | विश्वम् | पुष्यन्ति | वार्यम् | ते | हिन्विरे | ते | इन्विरे | ते | इषण्यन्ति | आनुषक् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.६ //
तव | त्ये | अग्ने | अर्चयः | महि | व्राधन्त | वाजिनः | ये | पत्व-भिः | शफानाम् | व्रजा | भुरन्त | गोनाम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.७ //
नवाः | नः | अग्ने | आ | भर | स्तोतृ-भ्यः | सु-क्षितीः | इषः | ते | स्याम | ये | आनृचुः | त्वादूतासः | दमे--दमे | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.८ //
उभे | सु-चन्द्र | सर्पिषः | दर्वी इति | श्रीणीषे | आसनि | उतो इति | नः | उत् | पुपूर्याः | उक्थ्येषु | शवसः | पते | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.९ //
एव | अग्निम् | अजुर्यमुः | गीः-भिः | यज्ञेभिः | आनुषक् | दधत् | अस्मे इति | सु-वीर्यम् | उत | त्यत् | आशु-अश्व्यम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ५,६.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ३:८/२४-
(ऋ. वे. ५,७)
सखायः | सम् | वः | सम्यञ्चम् | इषम् | स्तोमम् | च | अग्नये | वर्षिष्ठाय | क्षि तीनाम् | ऊर्जः | नप्त्रे | सहस्वते // ऋ. वे. ५,७.१ //
कुत्र | चित् | यस्य | सम्-ऋतौ | रण्वाः | नरः | नृ-सदने | अर्हन्तः | चित् | यम् | इन्धते | सम्-जनयन्ति | जन्तवः // ऋ. वे. ५,७.२ //
सम् | यत् | इषः | वनामहे | सम् | हव्या | मानुषाणाम् | उत | द्युम्नस्य | शवसा | ऋतस्य | रश्मिम् | आ | ददे // ऋ. वे. ५,७.३ //
सः | स्म | कृणोति | केतुम् | आ | नक्तम् | चित् | दूरे | आ | सते | पावकः | यत् | वनस्पतीन् | प्र | स्म | मिनाति | अजरः // ऋ. वे. ५,७.४ //
अव | स्म | यस्य | वेषणे | स्वेदम् | पथिषु | जुह्वति | अभि | ईम् | अह | स्व-जेन्यम् | भूम | पृष्टाइव | रुरुहुः // ऋ. वे. ५,७.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ३:८/२५-
यम् | मर्त्यः | पुरु-स्पृहम् | विदत् | विश्वस्य | धायसे | प्र | स्वादनम् | पितूनाम् | अस्त-तातिम् | चित् | आयवे // ऋ. वे. ५,७.६ //
सः | हि | ष्म | धन्व | आक्षितम् | दाता | न | दाति | आ | पशुः | हिरि-श्मश्रुः | शुचि--दन् | ऋभुः | अनिभृष्ट-तविषिः // ऋ. वे. ५,७.७ //
शुचिः | स्म | यस्मै | अत्रि-वत् | प्र | स्वधितिः-इव | रीयते | सु-सूः | असूत | माता | क्राणा | यत् | आनशे | भगम् // ऋ. वे. ५,७.८ //
आ | यः | ते | सर्पिः-आसुते | अग्ने | शम् | अस्ति | धायसे | आ | एषु | द्युम्नम् | उत | श्रवः | आ | चित्तम् | मर्त्येषु | धाः // ऋ. वे. ५,७.९ //
इति | चित् | मन्युम् | अध्रिजः | त्वादातम् | आ | पशुम् | ददे | आत् | अग्ने | अपृणतः | अत्रिः | ससह्यात् | दस्यून् | इषः | ससह्यात् | नॄन् // ऋ. वे. ५,७.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ३:८/२६-
(ऋ. वे. ५,८)
त्वाम् | अग्ने | ऋत-यवः | सम् | ईधिरे | प्रत्नम् | प्रत्नासः | ऊतये | सहः-कृत | पुरु-चन्द्रम् | यजतम् | विश्व-धायसम् | दमूनसम् | गृह-पतिम् | वरेण्यम् // ऋ. वे. ५,८.१ //
त्वाम् | अग्ने | अतिथिम् | पूर्व्यम् | विशः | शोचिः-केशम् | गृह-पतिम् | नि | सेदिरे | बृहत्-केतुम् | पुरु-रूपम् | धन-स्पृतम् | सु-शर्माणम् | सु-अवसम् | जरत्-विषम् // ऋ. वे. ५,८.२ //
त्वाम् | अग्ने | मानुषीः | ईऌअते | विशः | होत्राविदम् | विविचिम् | रत्न-धातमम् | गुहा | सन्तम् | सु-भग | विश्व-दर्शतम् | तुवि-स्वणसम् | सु-यजम् | घृत-श्र् इयम् // ऋ. वे. ५,८.३ //
त्वाम् | अग्ने | धर्णसिम् | विश्व-धा | वयम् | गीः-भिः | गृणन्तः | नमसा | उप | सेदिम | सः | नः | जुषस्व | सम्-इधानः | अङ्गिरः | देवः | मर्तस्य | यशसा | सुदीति-भिः // ऋ. वे. ५,८.४ //
त्वम् | अग्ने | पुरु-रूपः | विशे--विशे | वयः | दधासि | प्रत्न-था | पुरुस्तुत | पुरूणि | अन्ना | सहसा | वि | राजसि | त्विषिः | सा | ते | तित्विषाणस्य | न | आधृषे // ऋ. वे. ५,८.५ //
त्वाम् | अग्ने | सम्-इधानम् | यविष्ठ्य | देवाः | दूतम् | चक्रिरे | हव्य-वाहनम् | उरु-ज्रयसम् | घृत-योनिम् | आहुतम् | त्वेषम् | चक्षुः | दधिरे | चोदयत्-मति // ऋ. वे. ५,८.६ //
त्वाम् | अग्ने | प्र-दिवः | आहुतम् | घृतैः | सुम्न-यवः | सु-समिधा | सम् | ईधिरे | सः | ववृधानः | ओषधी-भिः | उक्षितः | अभि | ज्रयांसि | पार्थिवा | वि | त् इष्ठसे // ऋ. वे. ५,८.७ //
//२६//.





-ऋ. वे. ४:१/१-
(ऋ. वे. ५,९)
त्वाम् | अग्ने | हविष्मन्तः | देवम् | मर्तासः | ईऌअते | मन्ये | त्वा | जात-वेदसम् | सः | हव्या | वक्षि | आनुषक् // ऋ. वे. ५,९.१ //
अग्निः | होता | दास्वतः | क्षयस्य | वृक्त-बर्हिषः | सम् | यज्ञासः | चरन्त् इ | यम् | सम् | वाजासः | श्रवस्यवः // ऋ. वे. ५,९.२ //
उत | स्म | यम् | शिशुम् | यथा | नवम् | जनिष्ट | अरणी इति | धर्तारम् | मानुषीणाम् | विशाम् | अग्निम् | सु-अध्वरम् // ऋ. वे. ५,९.३ //
उत | स्म | दुः-गृभीयसे | पुत्रः | न | ह्वार्याणाम् | पुरु | यः | दग्धा | असि | वना | अग्ने | पशुः | न | यवसे // ऋ. वे. ५,९.४ //
अध | स्म | यस्य | अर्चयः | सम्यक् | सम्-यन्ति | धूमिनः | यत् | ईमहे | त्र् इतः | दिवि | उप | ध्माताइव | धमति | शिशीते | ध्मातरि | यथा // ऋ. वे. ५,९.५ //
तव | अहम् | अग्ने | ऊति-भिः | मित्रस्य | च | प्रशस्ति-भिः | द्वेषः-युतः | न | दुः-इता | तुर्याम | मर्त्यानाम् // ऋ. वे. ५,९.६ //
तत् | नः | अग्ने | अभि | नरः | रयिम् | सहस्वः | आ | भर | सः | क्षेपयत् | सः | पोषयत् | भुवत् | वाजस्य | सातये | उत | एधि | नः | वृधे // ऋ. वे. ५,९.७ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:१/२-
(ऋ. वे. ५,१०)
अग्ने | ओजिष्ठम् | आ | भर | द्युम्नम् | अस्मभ्यम् | अध्रिगो इत्य् अध्रि-गो | प्र | नः | राया | परीणसा | रत्सि | वाजाय | पन्थाम् // ऋ. वे. ५,१०.१ //
त्वम् | नः | अग्ने | अद्भुत | क्रत्वा | दक्षस्य | मंहना | त्वे इति | असुर्यम् | आ | अरुहत् | क्राणा | मित्रः | न | यज्ञियः // ऋ. वे. ५,१०.२ //
त्वम् | नः | अग्ने | एषाम् | गयम् | पुष्टिम् | च | वर्धय | ये | स्तोमेभिः | प्र | सूरयः | नरः | मघानि | आनशुः // ऋ. वे. ५,१०.३ //
ये | अग्ने | चन्द्र | ते | गिरः | शुम्भन्ति | अश्व-राधसः | शुष्मेभिः | शुष्मिणः | नरः | दिवः | चित् | येषाम् | बृहत् | सु-कीर्तिः | बोधति | त्मना // ऋ. वे. ५,१०.४ //
तव | त्ये | अग्ने | अर्चयः | भ्राजन्तः | यन्ति | धृष्णु-या | परि-ज्मानः | न | वि-द्युतः | स्वानः | रथः | न | वाजयुः // ऋ. वे. ५,१०.५ //
नु | नः | अग्ने | ऊतये | स-बाधसः | च | रातये | अस्माकासः | च | सूरयः | वि श्वाः | आसाः | तरीषणि // ऋ. वे. ५,१०.६ //
त्वम् | नः | अग्ने | अङ्गिरः | स्तुतः | स्तवानः | आ | भर | होतः | विभ्व-सहम् | रयिम् | स्तोतृ-भ्यः | स्तवसे | च | नः | उत | एधि | पृत्-सु | नः | वृधे // ऋ. वे. ५,१०.७ //
//२//.

-ऋ. वे. ४:१/३-
(ऋ. वे. ५,११)
अनस्य | गोपाः | अजनिष्ट | जागृविः | अग्निः | सु-दक्षः | सुविताय | नव्यसे | घृत-प्रतीकः | बृहता | दिवि-स्पृशा | द्यु-मत् | वि | भाति | भरतेभ्यः | शुचिः // ऋ. वे. ५,११.१ //
यज्ञस्य | केतुम् | प्रथमम् | पुरः-हितम् | अग्निम् | नरः | त्रि-सधस्थे | सम् | ईधिरे | इन्द्रेण | देवैः | सरथम् | सः | बर्हिषि | सीदत् | नि | होता | यजथाय | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ५,११.२ //
असम्-मृष्टः | जायसे | मात्रोः | शुचिः | मन्द्रः | कविः | उत् | अतिष्ठः | विवस्वतः | घृतेन | त्वा | अवर्धयन् | अग्ने | आहुत | धूमः | ते | केतुः | अभवत् | दिवि | शृइतः // ऋ. वे. ५,११.३ //
अग्निः | नः | यज्ञम् | उप | वेतु | साधु-या | अग्निम् | नरः | वि | भरन्ते | गृहे--गृहे | अग्निः | दूतः | अभवत् | हव्य-वाहनः | अग्निम् | वृणानाः | वृणते | कवि-क्रतुम् // ऋ. वे. ५,११.४ //
तुभ्य | इदम् | अग्ने | मधुमत्-तमम् | वचः | तुभ्यम् | मनीषा | इयम् | अस्तु | शम् | हृदे | त्वाम् | गिरः | सिन्धुम्-इव | अवनीः | महीः | आ | पृणन्ति | शवसा | वर्धयन्ति | च // ऋ. वे. ५,११.५ //
त्वाम् | अग्ने | अङ्गिरसः | गुहा | हितम् | अनु | अविन्दन् | शिश्रियाणम् | वने--वने | सः | जायसे | मथ्यमानः | सहः | महत् | त्वाम् | आहुः | सहसः | पुत्रम् | अङ्गिरः // ऋ. वे. ५,११.६ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:१/४-
(ऋ. वे. ५,१२)
प्र | अग्नये | बृहते | यज्ञियाय | ऋतस्य | वृष्णे | असुराय | मन्म | घृतम् | न | यज्ञे | आस्ये | सु-पूतम् | गिरम् | भरे | वृषभाय | प्रतीचीम् // ऋ. वे. ५,१२.१ //
ऋतम् | चिकित्वः | ऋतम् | इत् | चिकिद्धि | ऋतस्य | धाराः | अनु | तृन्धि | पूर्वीः | न | अहम् | यातुम् | सहसा | न | द्वयेन | ऋतम् | सपामि | अरुषस्य | वृष्णः // ऋ. वे. ५,१२.२ //
कया | नः | अग्ने | ऋतयन् | ऋतेन | भुवः | नवेदाः | उचथस्य | नव्यः | वेद | मे | देवः | ऋतु-पाः | ऋतूनाम् | न | अहम् | पतिम् | सनितुः | अस्य | रायः // ऋ. वे. ५,१२.३ //
के | ते | अग्ने | रिपवे | बन्धनासः | के | पायवः | सनिषन्त | द्यु-मन्तः | के | धासिम् | अग्ने | अनृतस्य | पान्ति | के | असतः | वचसः | सन्ति | गोपाः // ऋ. वे. ५,१२.४ //
सखायः | ते | विषुणाः | अग्ने | एते | शिवासः | सन्तः | अशिवाः | अभूवन् | अधूर्षत | स्वयम् | एते | वचः-भिः | ऋजु-यते | वृजिनानि | ब्रुवन्तः // ऋ. वे. ५,१२.५ //
यः | ते | अग्ने | नमसा | यज्ञम् | ईटे | ऋतम् | सः | पाति | अरुषस्य | वृष्णः | तस्य | क्षयः | पृथुः | आ | साधुः | एतु | प्र-सर्स्राणस्य | नहुषस्य | शेषः // ऋ. वे. ५,१२.६ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:१/५-
(ऋ. वे. ५,१३)
अर्चन्तः | त्वा | हवामहे | अर्चन्तः | सम् | इधीमहि | अग्ने | अर्चन्तः | ऊतये // ऋ. वे. ५,१३.१ //
अग्नेः | स्तोमम् | मनामहे | सिध्रम् | अद्य | दिवि-स्पृशः | देवस्य | द्रविणस्यवः // ऋ. वे. ५,१३.२ //
अग्निः | जुषत | नः | गिरः | होता | यः | मानुषेषु | आ | सः | यक्षत् | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. ५,१३.३ //
त्वम् | अग्ने | स-प्रथाः | असि | जुष्टः | होता | वरेण्यः | त्वया | यज्ञम् | वि | तन्वते // ऋ. वे. ५,१३.४ //
त्वाम् | अग्ने | वाज-सातमम् | विप्राः | वर्धन्ति | सु-स्तुतम् | सः | नः | रास्व | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ५,१३.५ //
अग्ने | नेमिः | अरान्-इव | देवान् | त्वम् | परि-भूः | असि | आ | राधः | चित्रम् | ऋञ्जसे // ऋ. वे. ५,१३.६ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:१/६-
(ऋ. वे. ५,१४)
अग्निम् | स्तोमेन | बोधय | सम्-इधानः | अमर्त्यम् | हव्या | देवेषु | नः | दधत् // ऋ. वे. ५,१४.१ //
तम् | अध्वरेषु | ईऌअते | देवम् | मर्ताः | अमर्त्यम् | यजिष्ठम् | मानुषे | जने // ऋ. वे. ५,१४.२ //
तम् | हि | शश्वन्तः | ईऌअते | स्रुचा | देवम् | घृत-श्चुता | अग्निम् | हव्याय | वोऌहवे // ऋ. वे. ५,१४.३ //
अग्निः | जातः | अरोचत | घ्नन् | दस्यून् | ज्योतिषा | तमः | अविन्दत् | गाः | अपः | स्वः // ऋ. वे. ५,१४.४ //
अग्निम् | ईऌएन्यम् | कविम् | घृत-पृष्ठम् | सपर्यत | वेतु | मे | षृणवत् | हवम् // ऋ. वे. ५,१४.५ //
अग्निम् | घृतेन | ववृधुः | स्तोमेभिः | विश्व-चर्षणिम् | सु-आधीभिः | वचस्यु-भिः // ऋ. वे. ५,१४.६ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:१/७-
(ऋ. वे. ५,१५)
प्र | वेधसे | कवये | वेद्याय | गिरम् | भरे | यशसे | पूर्व्याय | घृत-प्रसत्तः | असुरः | सु-शेवः | रायः | धर्ता | धरुणः | वस्वः | अग्निः // ऋ. वे. ५,१५.१ //
ऋतेन | ऋतम् | धरुणम् | धारयन्त | यज्ञस्य | शोके | परमे | वि-ओमन् | दिवः | धर्मन् | धरुणे | सेदुषः | नॄन् | जातैः | अजातान् | अभि | ये | ननक्षुः // ऋ. वे. ५,१५.२ //
अंहः-युवः | तन्वः | तन्वते | वि | वयः | महत् | दुस्तरम् | पूर्व्याय | सः | सम्-वतः | नव-जातः | तुतुर्यात् | सिंहम् | न | क्रुद्धम् | अभितः | परि | स्थुः // ऋ. वे. ५,१५.३ //
माताइव | यत् | भरसे | पप्रथानः | जनम्-जनम् | धायसे | चक्षसे | च | वयः-वयः | जरसे | यत् | दधानः | परि | त्मना | विषु-रूपः | जिगासि // ऋ. वे. ५,१५.४ //
वाजः | नु | ते | शवसः | पातु | अन्तम् | उरुम् | दोघम् | धरुणम् | देव | रायः | पदम् | न | तायुः | गुहा | दधानः | महः | राये | चितयन् | अत्रिम् | अस्पर् इत्य् अस्पः // ऋ. वे. ५,१५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:१/८-
(ऋ. वे. ५,१६)
बृहत् | वयः | हि | भानवे | अर्च | देवाय | अग्नये | यम् | मित्रम् | न | प्रशस्त् इ-भिः | मर्तासः | दधिरे | पुरः // ऋ. वे. ५,१६.१ //
सः | हि | द्यु-भिः | जनानाम् | होता | दक्षस्य | बाह्वोः | वि | हव्यम् | अग्निः | आनुषक् | भगः | न | वारम् | ऋण्वति // ऋ. वे. ५,१६.२ //
अस्य | स्तोमे | मघोनः | सख्ये | वृद्ध-शोचिषः | विश्वा | यस्मिन् | तुवि-स्वणि | सम् | अर्ये | शुष्मम् | आदधुः // ऋ. वे. ५,१६.३ //
अध | हि | अग्ने | एषाम् | सु-वीर्यस्य | मंहना | तम् | इत् | यह्वम् | न | रोदसी इति | परि | श्रवः | बभूवतुः // ऋ. वे. ५,१६.४ //
नु | नः | आ | इहि | वार्यम् | अग्ने | गृणानः | आ | भर | ये | वयम् | ये | च | सूरयः | स्वस्ति | धामहे | सचा | उत | एधि | पृत्-सु | नः | वृधे // ऋ. वे. ५,१६.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:१/९-
(ऋ. वे. ५,१७)
आ यज्ञैः | देव | मर्त्यः | इत्था | तव्यांसम् | ऊतये | अग्निम् | कृते | सु-अध्वरे | पूरुः | ईऌईत | अवसे // ऋ. वे. ५,१७.१ //
अस्य | हि | स्वयशः-तरः | आसा | वि-धर्मन् | मन्यसे | तम् | नाकम् | चित्र-शोचिषम् | मन्द्रम् | परः | मनीषया // ऋ. वे. ५,१७.२ //
अस्य | वै | असौ | ॐ इति | अर्चिषा | यः | अयुक्त | तुजा | गिरा | दिवः | न | यस्य | रेतसा | बृहत् | शोचन्ति | अर्चयः // ऋ. वे. ५,१७.३ //
अस्य | क्रत्वा | वि-चेतसः | दस्मस्य | वसु | रथे | आ | अध | विश्वासु | हव्यः | अग्निः | विक्षु | प्र | शस्यते // ऋ. वे. ५,१७.४ //
नु | नः | इत् | हि | वार्यम् | आसा | सचन्त | सूरयः | ऊर्जः | नपात् | अभिष्टये | पाहि | शग्धि | स्वस्तये | उत | एधि | पृत्-सु | नः | वृधे // ऋ. वे. ५,१७.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:१/१०-
(ऋ. वे. ५,१८)
प्रातः | अग्निः | पुरु-प्रियः | विशः | स्तवेत | अतिथिः | विश्वानि | यः | अमर्त्यः | हव्या | मर्तेषु | रण्यति // ऋ. वे. ५,१८.१ //
द्विताय | मृक्त-वाहसे | स्वस्य | दक्षस्य | मंहना | इन्दुम् | सः | धत्ते | आनुषक् | स्तोता | चित् ते | अमर्त्य // ऋ. वे. ५,१८.२ //
तम् | वः | दीर्घायु-शोचिषम् | गिरा | हुवे | मघोनाम् | अरिष्टः | येषाम् | रथः | वि | अश्व-दावन् | ईयते // ऋ. वे. ५,१८.३ //
चित्रा | वा | येषु | दीधितिः | आसन् | उक्था | पान्ति | ये | स्तीर्णम् | बर्हिः | स्वः-नरे | श्रवांसि | दधिरे | परि // ऋ. वे. ५,१८.४ //
ये | मे | पञ्चाशतम् | ददुः | अश्वानाम् | सध-स्तुति | द्यु-मत् | अग्ने | महि | श्रवः | बृहत् | कृधि | मघोनाम् | नृ-वत् | अमृत | नृणाम् // ऋ. वे. ५,१८.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:१/११-
(ऋ. वे. ५,१९)
अभि | अव-स्थाः | प्र | जायन्ते | प्र | वव्रेः | वव्रिः | चिकेत | उप-स्थे | मातुः | वि | चष्ते // ऋ. वे. ५,१९.१ //
जुहुरे | वि | चितयन्तः | अनिमिषम् | नृम्णम् | पान्ति | आ | दृऌहाम् | पुरम् | विविशुः // ऋ. वे. ५,१९.२ //
आ | श्वैत्रेयस्य | जन्तवः | द्यु-मत् | वर्धन्त | कृष्टयः | निष्क-ग्रीवः | बृहत्-उक्थः | एना | मध्वा | न | वाज-युः // ऋ. वे. ५,१९.३ //
प्रियम् | दुग्धम् | न | काम्यम् | अजामि | जाम्योः | सचा | घर्मः | न | वाज-जठरः | अदब्धः | शश्वतः | दभः // ऋ. वे. ५,१९.४ //
क्रीऌअन् | नः | रश्मे | आ | भुवः | सम् | भस्मना | वायुना | वेविदानः | ताः | अस्य | सन् | धृषजः | न | तिग्माः | सु-संशिताः | वक्ष्यः | वक्षणे--स्थाः // ऋ. वे. ५,१९.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:१/१२-
(ऋ. वे. ५,२०)
यम् | अग्ने | वाज-सातम | त्वम् | चित् | मन्यसे | रयिम् | तम् | नः | गीः-भिः | श्रवाय्यम् | देव-त्रा | पनय | युजम् // ऋ. वे. ५,२०.१ //
ये | अग्ने | न | ईरयन्ति | ते | वृद्धाः | उग्रस्य | शवसः | अप | द्वेषः | अप | ह्वरः | अन्य-व्रतस्य | सश्चिरे // ऋ. वे. ५,२०.२ //
होतारम् | त्वा | वृणीमहे | अग्ने | दक्षस्य | साधनम् | यज्ञेषु | पूर्व्यम् | गिरा | प्रयस्वन्तः | हवामहे // ऋ. वे. ५,२०.३ //
इत्था | यथा | ते | ऊतये | सहसावन् | दिवे--दिवे | राये | ऋताय | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | गोभिः | स्याम | सध-मादः | वीरैः | स्याम | सध-मादः // ऋ. वे. ५,२०.४ //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:१/१३-
(ऋ. वे. ५,२१)
मनुष्वत् | त्वा | नि | धीमहि | मनुष्वत् | सम् | इधीमहि | अग्ने | मनुष्वत् | अङ्गि रः | देवान् | देव-यते | यज // ऋ. वे. ५,२१.१ //
त्वम् | हि | मानुषे | जने | अग्ने | सु-प्रीतः | इध्यसे | स्रुचः | त्वा | यन्ति | आनुषक् | सु-जात | सर्पिः-आसुते // ऋ. वे. ५,२१.२ //
त्वाम् | विश्वे | सजोषसः | देवासः | दूतम् | अक्रत | सपर्यन्तः | त्वा | कवे | यज्ञेषु | देवम् | ईऌअते // ऋ. वे. ५,२१.३ //
देवम् | वः | देव-यज्यया | अग्निम् | ईऌईत | मर्त्यः | सम्-इद्धः | शुक्र | दीदि हि | ऋतस्य | योनिम् | आ | असदः | ससस्य | योनिम् | आ | असदः // ऋ. वे. ५,२१.४ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:१/१४-
(ऋ. वे. ५,२२)
प्र | विश्व-सामन् | अत्रि-वत् | अर्च | पावक-शोचिषे | यः | अध्वरेषु | ईड्यः | होता | मन्द्र-तमः | विशि // ऋ. वे. ५,२२.१ //
नि | अग्निम् | जात-वेदसम् | दधात | देवम् | ऋत्विजम् | प्र | यज्ञः | एतु | आनुषक् | अद्य | देवव्यचः-तमः // ऋ. वे. ५,२२.२ //
चिकित्वित्-मनसम् | त्वा | देवम् | मर्तासः | ऊतये | वरेण्यस्य | ते | अवसः | इयानासः | अमन्महि // ऋ. वे. ५,२२.३ //
अग्ने | चिकिद्धि | अस्य | नः | इदम् | वचः | सहस्य | तम् | / त्वा | सु-शिप्र | दम्-पते | स्तोमैः | वर्धन्ति | अत्रयः | गीः-भिः | शुम्भन्ति | अत्रयः // ऋ. वे. ५,२२.४ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:१/१५-
(ऋ. वे. ५,२३)
अग्ने | सहन्तम् | आ | भर | द्युम्नस्य | प्र-सहा | रयिम् | विश्वाः | यः | चर्षणीः | अभि | आसा | वाजेषु | ससहत् // ऋ. वे. ५,२३.१ //
तम् | अग्ने | पृतनासहम् | रयिम् | सहस्वः | आ | भर | त्वम् | हि | सत्यः | अद्भुतः | दाता | वाजस्य | गो--मतः // ऋ. वे. ५,२३.२ //
विश्वे | हि | त्वा | स-जोषसः | जनासः | वृक्त-बर्हिषः | होतारम् | सद्म-सु | प्रियम् | व्यन्ति | वार्या | पुरु // ऋ. वे. ५,२३.३ //
सः | हि | स्म | विश्व-चर्षणिः | अभि-माति | सहः | दधे | अग्ने | एषु | क्षयेषु | आ | रेवत् | नः | शुक्र | दीदिहि | द्यु-मत् | पावक | दीदिहि // ऋ. वे. ५,२३.४ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:१/१६-
(ऋ. वे. ५,२४)
अग्ने | त्वम् | नः | अन्तमः | उत | त्राता | शिवः | भव | वरूथ्यः // ऋ. वे. ५,२४.१ //
वसुः | अग्निः | वसु-श्रवा | अच्छ | नक्षि | द्युमत्-तमम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. ५,२४.२ //
सः | नः | बोधि | श्रुधि | हवम् | उरुष्य | नः | अघ-यतः | समस्मात् // ऋ. वे. ५,२४.३ //
तम् | त्वा | शोचिष्ठ | दीदि-वः | सुम्नाय | नूनम् | ईमहे | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ५,२४.४ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:१/१७-
(ऋ. वे. ५,२५)
अच्छ | वः | अग्निम् | अवसे | देवम् | गासि | सः | नः | वसुः | रासत् | पुत्रः | ऋषूणाम् | ऋत-वा | पर्षति | द्विषः // ऋ. वे. ५,२५.१ //
सः | हि | सत्यः | यम् | पूर्वे | चित् | देवासः | चित् | यम् | ईधिरे | होतारम् | मन्द्र-जिह्वम् | इत् | सुदीति-भिः | विभावसुम् // ऋ. वे. ५,२५.२ //
सः | नः | धीती | वरिष्थया | श्रेष्ठया | च | सु-मत्या | अग्ने | रायः | दिदीहि | नः | सुवृक्ति-भिः | वरेण्य // ऋ. वे. ५,२५.३ //
अग्निः | देवेषु | राजति | अग्निः | मर्तेषु | आविशन् | अग्निः | नः | हव्य-वाहनः | अग्निम् | धीभिः | सपर्यत // ऋ. वे. ५,२५.४ //
अग्निः | तुविश्रवः-तमम् | तुवि-ब्रह्माणम् | उत्-तमम् | अतूर्तम् | श्रवयत्-पतिम् | पुत्रन् | ददाति | दाशुषे // ऋ. वे. ५,२५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:१/१८-
अग्निः | ददाति | सत्-पतिम् | ससाह | यः | युधा | नृ-भिः | अग्निः | अत्यम् | रघु-स्यदम् | जेतारम् | अपराजितम् // ऋ. वे. ५,२५.६ //
यत् | वाहिष्ठम् | तत् | अग्नये | बृहत् | अर्च | विभावसो इतिविभावसो | महिषी-इव | त्वत् | रयिः | त्वत् | वाजाः | उत् | ईरते // ऋ. वे. ५,२५.७ //
तव | द्यु-मन्तः | अर्चयः | ग्रावाइव | उच्यते | बृहत् | उतो इति | ते | तन्यतुः | यथा | स्वानः | अर्त | त्मना | दिवः // ऋ. वे. ५,२५.८ //
एव | अग्निम् | वसु-यवः | सहसानम् | ववन्दिम | सः | नः | विश्वा | अत् इ | द्विषः | पर्षत् | नावाइव | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ५,२५.९ //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:१/१९-
(ऋ. वे. ५,२६)
अग्ने | पावक | रोचिषा | मन्द्रया | देव | जिह्वया | आ | देवान् | वक्षि | यक्षि | च // ऋ. वे. ५,२६.१ //
तम् | त्वा | घृतस्नो इतिघृत-स्नो | ईमहे | चित्रभानो इतिचित्र-भानो | स्वः-दृशम् | देवान् | आ | वीतये | वह // ऋ. वे. ५,२६.२ //
वीति-होत्रम् | त्वा | कवे | द्यु-मन्तम् | सम् | इधीमहि | अग्ने | बृहन्तम् | अध्वरे // ऋ. वे. ५,२६.३ //
अग्ने | विश्वे--भिः | आ | गहि | देवे--भिः | हव्य-दातये | होतारम् | त्वा | वृणीमहे // ऋ. वे. ५,२६.४ //
यजमानाय | सुन्वते | आ | अग्ने | सु-वीर्य | वह | देवैः | आ | सत्सि | बर्हिषि // ऋ. वे. ५,२६.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:१/२०-
सम्-इधनः | सहस्र-जित् | अग्ने | धर्माणि | पुष्यसि | देवानाम् | दूतः | उक्थ्यः // ऋ. वे. ५,२६.६ //
नि | अग्निम् | जात-वेदसम् | होत्र-वाहम् | यविष्ठ्यम् | दधात | देवम् | ऋत्विजम् // ऋ. वे. ५,२६.७ //
प्र | यज्ञः | एतु | आनुषक् | अद्य | देवव्यचः-तमः | स्तृणीत | बर्हिः | आसदे // ऋ. वे. ५,२६.८ //
आ | इदम् | मरुतः | अश्विना | मित्रः | सीदन्तु | वरुणः | देवासः | सर्वया | वि शा // ऋ. वे. ५,२६.९ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:१/२१-
(ऋ. वे. ५,२७)
अनस्वन्ता | सत्-पतिः | ममहे | मे | गावा | चेतिष्ठः | असुरः | मघोनः | त्रैवृष्णः | अग्ने | दश-भिः | सहस्रैः | वैश्वानर | त्रि-अरुणः | चिकेत // ऋ. वे. ५,२७.१ //
यः | मे | शता | च | विंशतिम् | च | गोनाम् | हरी इति | च | युक्ता | सु-धुरा | ददाति | वैश्वानर | सु-स्तुतः | ववृधानः | अग्ने | यच्छ | त्रि-अरुणाय | शर्म // ऋ. वे. ५,२७.२ //
एव | ते | अग्ने | सु-मतिम् | चकानः | नविष्ठाय | नवमम् | त्रसदस्युः | यः | मे | गिरः | तुविजातस्य | पूर्वीः | युक्तेन | अभि | त्रि-अरुणः | गृणाति // ऋ. वे. ५,२७.३ //
यः | मे | इति | प्र-वोचति | अश्व-मेधाय | सूरये | ददत् | ऋचा | सनिम् | यते | ददत् | मेधाम् | ऋत-यते // ऋ. वे. ५,२७.४ //
यस्य | मा | परुषाः | शतम् | उत्-हर्षयन्ति | उक्षणः | अश्व-मेधस्य | दानाः | सोमाः-इव | त्रि-आशिरः // ऋ. वे. ५,२७.५ //
इन्द्राग्नी इति | शत-दाव्नि | अश्व-मेधे | सु-वीर्यम् | क्षत्रम् | धारयतम् | बृहत् | दिवि | सूर्यम्-इव | अजरम् // ऋ. वे. ५,२७.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:१/२२-
(ऋ. वे. ५,२८)
सम्-इद्धः | अग्निः | दिवि | शोचिः | अश्रेत् | प्रत्यङ् | उषसम् | उर्विया | वि | भाति | एति | प्राची | विश्व-वारा | नमः-भिः | देवान् | ईऌआना | हविषा | घृताची // ऋ. वे. ५,२८.१ //
सम्-इध्यमानः | अमृतस्य | राजसि | हविः | कृण्वन्तम् | सचसे | स्वस्तये | विश्वम् | सः | धत्ते | द्रविणम् | यम् | इन्वसि | आतिथ्यम् | अग्ने | नि | च | धत्ते | इत् | पुरः // ऋ. वे. ५,२८.२ //
अग्ने | शर्ध | महते | सौभगाय | तव | द्युम्नानि | उत्-तमानि | सन्तु | सम् | जः-पत्यम् | सु-यमम् | आ | कृणुष्व | शत्रु-यताम् | अभि | तिष्ठ | महांसि // ऋ. वे. ५,२८.३ //
सम्-इद्धस्य | प्र-महसः | अग्ने | वन्दे | तव | श्रियम् | वृषभः | द्युम्न-वान् | असि | सम् | अध्वरेषु | इध्यसे // ऋ. वे. ५,२८.४ //
सम्-इद्धः | अग्ने | आहुत | देवान् | यक्षि | सु-अध्वर | त्वम् | हि | हव्य-वाट् | असि // ऋ. वे. ५,२८.५ //
आ | जुहोत | दुवस्यत | अग्निम् | प्र-यति | अध्वरे | वृणीध्वम् | हव्य-वाहनम् // ऋ. वे. ५,२८.६ //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:१/२३-
(ऋ. वे. ५,२९)
त्री | अर्यमा | मनुषः | देव-ताता | त्री | रोचना | दिव्या | धारयन्त | अर्चन्ति | त्वा | मरुतः | पूत-दक्षाः | त्वम् | एषाम् | ऋषिः | इन्द्र | असि | धीरः // ऋ. वे. ५,२९.१ //
अनु | यत् | ईम् | मरुतः | मन्दसानम् | आर्चन् | इन्द्रम् | पपि-वांसम् | सुतस्य | आ | अदत्त | वज्रम् | अभि | यत् | अहिम् | हन् | अपः | यह्वीः | असृजत् | सर्तवै | ॐ इति // ऋ. वे. ५,२९.२ //
उत | ब्रह्माणः | मरुतः | मे | अस्य | इन्द्रः | सोमस्य | सु-सुतस्य | पेयाः | तत् | हि | हव्यम् | मनुषे | गाः | अविन्दत् | अहन् | अहिम् | पपि-वान् | इन्द्रः | अस्य // ऋ. वे. ५,२९.३ //
आत् | रोदसी इति | वि-तरम् | वि | स्कभायत् | सम्-विव्यानः | चित् | भयसे | मृगम् | करितिकः | जिगर्तिम् | इन्द्रः | अप-जर्गुराणः | प्रति | श्वसन्तम् | अव | दानवम् | हन्नितिहन् // ऋ. वे. ५,२९.४ //
अध | क्रत्वा | मघ-वन् | तुभ्यम् | देवाः | अनु | विश्वे | अददुः | सोम-पेयम् | यत् | सूर्यस्य | हरितः | पतन्तीः | पुरः | सतीः | उपराः | एतशे | करितिकः // ऋ. वे. ५,२९.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:१/२४-
नव | यत् | अस्य | नवतिम् | च | भोगान् | साकम् | वज्रेण | मघ-वा | विवृश्चत् | अर्चन्ति | इन्द्रम् | मरुतः | सध-स्थे | त्रैस्तुभेन | वचसा | बाधत | द्याम् // ऋ. वे. ५,२९.६ //
सखा | सख्ये | अपचत् | तूयम् | अग्निः | अस्य | क्रत्वा | महिषा | त्री | शतानि | त्री | साकम् | इन्द्रः | मनुषः | सरांसि | सुतम् | पिबत् | वृत्र-हत्याय | सोमम् // ऋ. वे. ५,२९.७ //
त्री | यत् | शता | महिषाणाम् | अघः | माः | त्री | सरांसि | मघ-वा | सोम्या | अपाः | कारम् | न | विश्वे | अह्वन्त | देवाः | भरम् | इन्द्राय | यत् | अहिम् | जघान // ऋ. वे. ५,२९.८ //
उशना | यत् | सहस्यैः | अयातम् | गृहम् | इन्द्र | जूजुवानेभिः | अश्वैः | वन्वानः | अत्र | सरथम् | ययाथ | कुत्सेन | देवैः | अवनोः | ह | शुष्णम् // ऋ. वे. ५,२९.९ //
प्र | अन्यत् | चक्रम् | अवृहः | सूर्यस्य | कुत्साय | अन्यत् | वरिवः | यातवे | अकर् इत्य् अकः | अनासः | दस्यून् | अमृणः | वधेन | नि | दुर्योणे | अवृणक् | मृध्र-वाचः // ऋ. वे. ५,२९.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:१/२५-
स्तोमासः | त्वा | गौरि-वीतेः | अवर्धन् | अरन्धयः | वैदथिनाय | पिप्रुम् | आ | त्वाम् | ऋजिश्वा | सख्याय | चक्रे | पचन् | पक्तीः | अपिबः | सोमम् | अस्य // ऋ. वे. ५,२९.११ //
नव-ग्वासः | सुत-साओमासः | इन्द्रम् | दश-ग्वासः | अभि | अर्चन्ति | अर्कैः | गव्यम् | चित् | ऊर्वम् | अपिधान-वन्तम् | तम् | चित् | नरः | शशमानाः | अप | व्रन् // ऋ. वे. ५,२९.१२ //
कथो इति | नु | ते | परि | चराणि | विद्वान् | वीर्या | मघ-वन् | या | चकर्थ | या | चो इति | नु | नव्या | कृणवः | शविष्ठ | प्र | इत् | ॐ इति | ता | ते | विदथेषु | ब्रवाम // ऋ. वे. ५,२९.१३ //
एता | विश्वा | चकृ-वान् | इन्द्र | भूरि | अपरि-इतः | जनुषा | वीर्येण | या | चित् | नु | वज्रिन् | कृणवः | दधृष्वान् | न | ते | वर्ता | तविष्याः | अस्ति | तस्याः // ऋ. वे. ५,२९.१४ //
इन्द्र | ब्रह्म | क्रियमाणा | जुषस्व | या | ते | शविष्ठ | नव्याः | अकर्म | वस्त्राइव | भद्रा | सु-कृता | वसु-युः | रथम् | न | धीरः | सु-अपाः | अतक्षम् // ऋ. वे. ५,२९.१५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:१/२६-
(ऋ. वे. ५,३०)
क्व | स्यः | वीरः | कः | अपश्यत् | इन्द्रम् | सुख-रथम् | ईयमानम् | हरि-भ्याम् | यः | राया | वज्री | सुत-सोमम् | इच्छन् | तत् | ओकः | गन्ता | पुरु-हूतः | ऊती // ऋ. वे. ५,३०.१ //
अव | अचचक्षम् | पदम् | अस्य | सस्वः | उग्रम् | नि-धातुः | अनु | आयम् | इच्छन् | अपृच्छम् | अन्यान् | उत | ते | मे | आहुः | इन्द्रम् | नरः | बुबुधानाः | अशेम // ऋ. वे. ५,३०.२ //
प्र | नु | वयम् | सुते | या | ते | कृतानि | इन्द्र | ब्रवाम | यानि | नः | जुजोषः | वेदत् | अविद्वान् | शृणवत् | च | विद्वान् | वहते | अयम् | मघ-वा | सर्व-सेनः // ऋ. वे. ५,३०.३ //
स्थिरम् | मनः | चकृषे | जातः | इन्द्र | वेषि | इत् | एकः | युधये | भूयसः | चित् | अश्मानम् | चित् | शवसा | दिद्युतः | वि | विदः | गवाम् | ऊर्वम् | उस्रियाणाम् // ऋ. वे. ५,३०.४ //
परः | यत् | त्वम् | परमः | आजनिष्ठाः | परावति | श्रुत्यम् | नाम | बिभ्रत् | अतः | चित् | इन्द्रात् | अभयन्त | देवाः | विश्वाः | अपः | अजयत् | दास-पत्नीः // ऋ. वे. ५,३०.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:१/२७-
तुभ्य | इत् | एते | मरुतः | सु-शेवाः | अर्चन्ति | अर्कम् | सुन्वन्ति | अन्धः | अहिम् | ओहानम् | अप | आशयानम् | प्र | मायाभिः | मायिनम् | सक्षत् | इन्द्रः // ऋ. वे. ५,३०.६ //
वि | सु | मृधः | जनुषा | दानम् | इन्वन् | अहन् | गवा | मघ-वन् | सम्-चकानः | अत्र | दासस्य | नमुचेः | शिरः | यत् | अवर्तयः | मनवे | गातुम् | इच्छन् // ऋ. वे. ५,३०.७ //
युजम् | हि | माम् | अकृथाः | आत् | इत् | इन्द्र | शिरः | दासस्य | नमुचेः | मथायन् | अश्मानम् | चित् | स्वर्यम् | वर्तमानम् | प्र | चक्रियाइव | रोदसी इति | मरुत्-भ्यः // ऋ. वे. ५,३०.८ //
स्त्रियः | हि | दासः | आयुधानि | चक्रे | किम् | मा | करन् | अबलाः | अस्य | सेनाः | अन्तः | हि | अख्यत् | उभे इति | अस्य | धेनेइति | अथ | उप | प्र | ऐत् | युधये | दस्युम् | इन्द्रः // ऋ. वे. ५,३०.९ //
सम् | अत्र | गावः | अभितः | अनवन्त | इह-इह | वत्सैः | वि-युताः | यत् | आसन् | सम् | ताः | इन्द्रः | असृजत् | अस्य | शाकैः | यत् | ईम् | सोमासः | सु-सुताः | अमन्दन् // ऋ. वे. ५,३०.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:१/२८-
यत् | ईम् | सोमाः | बभ्रु-धूताः | अमन्दन् | अरोरवीत् | वृषभः | सादनेषु | पुरम्-दरः | पपि-वान् | इन्द्रः | अस्य | पुनः | गवाम् | अददात् | उस्रियाणाम् // ऋ. वे. ५,३०.११ //
भद्रम् | इदम् | रुशमाः | अग्ने | अक्रन् | गवाम् | चत्वारि | ददतः | सहस्रा | ऋणम्-चयस्य | प्र-यता | मघानि | प्रति | अग्रभीष्म | नृ-तमस्य | नृणाम् // ऋ. वे. ५,३०.१२ //
सु-पेशसम् | मा | अव | सृजन्ति | अस्तम् | गवाम् | सहस्रैः | रुशमासः | अग्ने | तीव्राः | इन्द्रम् | अममन्दुः | सुतासः | अक्तोः | वि-उष्टौ | परि-तक्म्यायाः // ऋ. वे. ५,३०.१३ //
औच्छत् | सा | रात्री | परि-तक्म्या | या | ऋणम्-चये | राजनि | रुशमानाम् | अत्यः | न | वाजी | रघुः | अज्यमानः | बभ्रुः | चत्वारि | असनत् | सहस्रा // ऋ. वे. ५,३०.१४ //
चतुः-सहस्रम् | गव्यस्य | पश्वः | प्रति | अग्रभीष्म | रुशमेषु | अग्ने | घर्मः | चित् | तप्तः | प्र-वृजे | यः | आसीत् | अयस्मयः | तम् | ॐ इति | आदाम | विप्राः // ऋ. वे. ५,३०.१५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:१/२९-
(ऋ. वे. ५,३१)
इन्द्रः | रथाय | प्र-वतम् | कृणोति | यम् | अधि-अस्थात् | मघ-वा | व्ज-यन्तम् | यूथाइव | पश्वः | वि | उनोति | गोपाः | अरिष्टः | याति | प्रथमः | सिसासन् // ऋ. वे. ५,३१.१ //
आ | प्र | द्रव | हरि-वः | मा | वि | वेनः | पिशङ्ग-राते | अभि | नः | सचस्व | नहि | त्वत् | इन्द्र वस्यः | अन्यत् | अस्ति | अमेमान् | चित् | जनि-वतः | चकर्थ // ऋ. वे. ५,३१.२ //
उत् | यत् | सहः | सहसः | आ | अजनिष्ट | देदिष्टे | इन्द्रः | इन्द्रियाणि | विश्वा | प्र | अचोदयत् | सु-दुघाः | वव्रे | अन्तः | वि | ज्योतिषा | सम्-ववृत्वत् | तमः | अवर् इत्य् अवः // ऋ. वे. ५,३१.३ //
अनवः | ते | रथम् | अश्वाय | तक्षन् | त्वष्टा | वज्रम् | पुरु-हूत | द्यु-मन्तम् | ब्रह्माणः | इन्द्रम् | महयन्तः | अर्कैः | अवर्धयन् | अहये | हन्तवै | ॐ इति // ऋ. वे. ५,३१.४ //
वृष्णे | यत् | ते | वृषणः | अर्कम् | अर्चान् | इन्द्र | ग्रावाणः | अदितिः | स-जोषाः | अनश्वासः | ये | पवयः | अरथाः | इन्द्र-इषिताः | अभि | अवर्तन्त | दस्यून् // ऋ. वे. ५,३१.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:१/३०-
प्र | ते | पूर्वाणि | करणानि | वोचम् | प्र | नूतना | मघ-वन् | या | चकर्थ | शक्त् इ-वः | यत् | वि-भराः | रोदसी इति | उभे इति | जयन् | अपः | मनवे | दानु-चित्राः // ऋ. वे. ५,३१.६ //
तत् | इत् | नु | ते | करणम् | दस्म | विप्र | अहिम् | यत् | घ्नन् | ओजः | अत्र | अभिमीथाः | शुष्णस्य | चित् | परि | मायाः | अगृभ्णाः | प्र-पित्वम् | यन् | अप | दस्यून् | असेधः // ऋ. वे. ५,३१.७ //
त्वम् | अपः | यदवे | तुर्वशाय | अरमयः | सु-दुघाः | पारः | इन्द्र | उग्रम् | अयातम् | अवहः | ह | कुत्सम् | सम् | ह | यत् | वाम् | उशना | अरन्त | देवाः // ऋ. वे. ५,३१.८ //
इन्द्राकुत्सा | वहमाना | रथेन | आ | वाम् | अत्याः | अपि | कर्णे | वहन्तु | निः | सीम् | अत्-भ्यः | धमथः | निः | सध-स्थात् | मघोनः | हृदः | वरथः | तमांसि // ऋ. वे. ५,३१.९ //
वातस्य | युक्तान् | सु-युजः | चित् | अश्वान् | कविः | चित् | एषः | अजगन् | अवस्युः | विश्वे | ते | अत्र | मरुतः | सखायः | इन्द्र | ब्रह्माणि | तविषीम् | अवर्धन् // ऋ. वे. ५,३१.१० //
//३०//.

-ऋ. वे. ४:१/३१-
सूरः | चित् | रथम् | परि-तक्म्यायाम् | पूर्वम् | करत् | उपरम् | जूजु-वांसम् | भरत् | चक्रम् | एतशः | सम् | रिणाति | पुरः | दधत् | सनिष्यति | क्रतुम् | नः // ऋ. वे. ५,३१.११ //
आ | अयम् | जनाः | अभि-चक्षे | जगाम | इन्द्रः | सखायम् | सुत-सोमम् | इच्छन् | वदन् | ग्रावा | अव | वेदिम् | भ्रियाते | यस्य | जीरम् | अध्वर्यवः | चरन्ति // ऋ. वे. ५,३१.१२ //
ये | चाकनन्त | चाकनन्त | नु | ते | मर्ताः | अमृत | मो इति | ते | अंहः | आ | अरन् | ववन्धि | यज्यून् | उत | तेषु | धेहि | ओजः | जनेषु | येषु | ते | स्याम // ऋ. वे. ५,३१.१३ //
//३१//.

-ऋ. वे. ४:१/३२-
(ऋ. वे. ५,३२)
अदर्दः | उत्सम् | असृजः | वि | खानि | त्वम् | अर्णवान् | बद्बधानान् | अरम्णाः | महान्तम् | इन्द्र | पर्वतम् | वि | यत् | वरितिवः | सृजः | वि | धाराः | अव | दानवम् | हन्नितिहन् // ऋ. वे. ५,३२.१ //
त्वम् | उत्सान् | ऋतु-भिः | बद्बधानान् | अरंहः | ऊधः | पर्वतस्य | वज्रि न् | अहिम् | चित् | उग्र | प्र-युतम् | शयानम् | जघन्वान् | इन्द्र | तविषीम् | अधत्थाः // ऋ. वे. ५,३२.२ //
त्यस्य | चित् | महतः | निः | मृगस्य | वधः | जघान | तविषीभिः | इन्द्रः | यः | एकः | इत् | अप्रतिः | मन्यमानः | आत् | अस्मात् | अन्यः | अजनिष्ट | तव्यान् // ऋ. वे. ५,३२.३ //
त्यम् | चित् | एषाम् | स्वधया | मदन्तम् | मिहः | नपातम् | सु-वृधम् | तमः-गाम् | वृष-प्रभर्मा | दानवस्य | भामम् | वज्रेण | वज्री | नि | जघान | शुष्णम् // ऋ. वे. ५,३२.४ //
त्यम् | चित् | अस्य | क्रतु-भिः | नि-सत्तम् | अमर्मणः | विदत् | इत् | अस्य | मर्म | यत् | ईम् | सु-क्षत्र | प्र-भृता | मदस्य | युयुत्सन्तम् | तमसि | हर्म्ये | धाः // ऋ. वे. ५,३२.५ //
त्यम् | चित् | इत्था | कत्पयम् | शयानम् | असूर्ये | तमसि | ववृधानम् | तम् | चित् | मन्दानः | वृषभः | सुतस्य | उच्चैः | इन्द्रः | अप-गूर्य | जघान // ऋ. वे. ५,३२.६ //
//३२//.

-ऋ. वे. ४:१/३३-
उत् | यत् | इन्द्रः | महते | दानवाय | वधः | यमिष्ट | सहः | अप्रति-इतम् | यत् | ईम् | वज्रस्य | प्र-भृतौ | ददाभ | विश्वस्य | जन्तोः | अधमम् | चकार // ऋ. वे. ५,३२.७ //
त्यम् | चित् | अर्णम् | मधु-पम् | शयानम् | असिन्वम् | वव्रम् | महि | आदत् | उग्रः | अपादम् | अत्रम् | महता | वधेन | नि | दुर्योणे | अवृणक् | मृध्र-वाचम् // ऋ. वे. ५,३२.८ //
कः | अस्य | शुष्मम् | तविषीम् | वराते | एकः | धना | भरते | अप्रति-इतः | इमे | चित् | अस्य | ज्रयसः | नु | देवी इति | इन्द्रस्य | ओजसः | भियसा | जिहातेइति // ऋ. वे. ५,३२.९ //
नि | अस्मै | देवी | स्व-धितिः | जिहीते | इन्द्राय | गातुः | उशती-इव | येमे | सम् | यत् | ओजः | युवते | विश्वम् | आभिः | अनु | स्वधाव्ने | क्षितयः | नमन्त // ऋ. वे. ५,३२.१० //
एकम् | नु | त्वा | सत्-पतिम् | पाञ्च-जन्यम् | जातम् | शृणोमि | यशसम् | जनेषु | तम् | मे | जगृभ्रे | आशसः | नविष्ठम् | दोषा | वस्तोः | हवमानासः | इन्द्रम् // ऋ. वे. ५,३२.११ //
एव | हि | त्वाम् | ऋतु-था | यातयन्तम् | मघा | विप्रेभ्यः | ददतम् | शृणोमि | किम् | ते | ब्रह्माणः | गृहते | सखायः | ये | त्वाया | नि-दधुः | कामम् | इन्द्र // ऋ. वे. ५,३२.१२ //
//३३//.




-ऋ. वे. ४:२/१-
(ऋ. वे. ५,३३)
महि | महे | तवसे | दीध्ये | नॄन् | इन्द्राय | इत्था | तवसे | अतव्यान् | यः | अस्मै | सु-मतिम् | वाज-सातौ | स्तुतः | जने | स-मर्यः | चिकेत // ऋ. वे. ५,३३.१ //
सः | त्वम् | नः | इन्द्र | धियसानः | अर्कैः | हरीणाम् | वृषन् | योक्त्रम् | अश्रेः | याः | इत्था | मघ-वन् | अनु | जोषम् | वक्षः | अभि | प्र | अर्यः | सक्षि | जनान् // ऋ. वे. ५,३३.२ //
न | ते | ते | इन्द्र | अभि | अस्मत् | ऋष्व | अयुक्तासः | अब्रह्मता | यत् | असन् | ति ष्ठ | रथम् | अधि | तम् | वज्र-हस्त | आ | रश्मिम् | देव | यमसे | सु-अश्वः // ऋ. वे. ५,३३.३ //
पुरु | यत् | ते | इन्द्र | सन्ति | उक्था | गवे | चकर्थ | उर्वरासु | युध्यन् | ततक्षे | सूर्याय | चित् | ओकसि | स्वे | वृषा | समत्-सु | दासस्य | नाम | चित् // ऋ. वे. ५,३३.४ //
वयम् | ते | ते | इन्द्र | ये | च | नरः | शर्धः | जज्ञानाः | याताः | च | रथाः | आ | अस्मान् | जगम्यात् | अहि-शुष्म | सत्वा | भगः | न | हव्यः | प्र-भृथेषु | चारुः // ऋ. वे. ५,३३.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:२/२-
पपृक्षेण्यम् | इन्द्र | त्वे इति | हि | ओजः | नृम्णानि | च | नृतमानः | अमर्तः | सः | नः | एनीम् | वसवानः | रयिम् | दाः | प्र | अर्यः | स्तुषे | तुवि-मघस्य | दानम् // ऋ. वे. ५,३३.६ //
एव | नः | इन्द्र | ऊति-भिः | अव | पाहि | गृणतः | शूर | करून् | उत | त्वचम् | ददतः | वाज-सातौ | पिप्रीहि | मध्वः | सु-सुतस्य | चारोः // ऋ. वे. ५,३३.७ //
उत | त्ये | मा | पौरु-कुतस्यस्य | सूरेः | त्रसदस्योः | हिरणिनः | रराणाः | वहन्तु | मा | दश | श्येतासः | अस्य | गैरि-क्षितस्य | क्रतु-भिः | नु | सश्चे // ऋ. वे. ५,३३.८ //
उत | त्ये | मा | मारुत-अश्वस्य | शोणाः | क्रत्वामघासः | विदथस्य | रातौ | सहस्रा | मे | च्यवतानः | ददानः | आनूकम् | अर्यः | वपुषे | न | आर्चत् // ऋ. वे. ५,३३.९ //
उत | त्ये | मा | ध्वन्यस्य | जुष्टाः | लक्ष्मण्यस्य | सु-रुचः | यतानाः | मह्ना | रायः | सम्-वरणस्य | ऋषेः | व्रजम् | न | गावः | प्र-यताः | अपि | ग्मन् // ऋ. वे. ५,३३.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ४:२/३-
(ऋ. वे. ५,३४)
अजात-शत्रुम् | अजरा | स्वः-वती | अनु | स्वधा | अमिता | दस्मम् | ईयते | सुनोतन | पचत | ब्रह्म-वाहसे | पुरु-स्तुताय | प्र-तरम् | दधातन // ऋ. वे. ५,३४.१ //
आ | यः | सोमेन | जठरम् | अपिप्रत | अमन्दत | मघ-वा | मध्वः | अन्धसः | यत् | ईम् | मृगाय | हन्तवे | महावधः | सहस्र-भृष्टिम् | उशना | वधम् | यमत् // ऋ. वे. ५,३४.२ //
यः | अस्मै | घ्रंसे | उत | वा | यः | ऊधनि | सोमम् | सुनोति | भवति | द्यु-मान् | अह | अप-अप | सक्रः | ततनुष्टिम् | ऊहति | तनू-शुभ्रम् | मघ-वा | यः | कव-सखः // ऋ. वे. ५,३४.३ //
यस्य | अवधीत् | पितरम् | यस्य | मातरम् | यस्य | शक्रोअः | भ्रातरम् | न | अतः | ईषते | वेति | इत् | ॐ इति | अस्य | प्र-यता | यतम्-करः | न | किल्बिषात् | ईषते | वस्वः | आकरः // ऋ. वे. ५,३४.४ //
न | पञ्च-भिः | दश-भिः | वष्टि | आरभम् | न | असुन्वता | सचते | पुष्यता | चन | जिनाति | वा | इत् | अमुया | हन्ति | वा | धुनिः | आ | देव-युम् | भजति | गो--मति | व्रजे // ऋ. वे. ५,३४.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:२/४-
वि-त्वक्षणः | सम्-ऋतौ | चक्रम्-आसजः | असुन्वतः | विषुणः | सुन्वतः | वृधः | इन्द्रः | विश्वस्य | दमिता | वि-भीषणः | यथावशम् | नयति | दासम् | आर्यः // ऋ. वे. ५,३४.६ //
सम् | ईम् | पणेः | अजति | भोजनम् | मुषे | वि | दाशुषे | भजति | सूनरम् | वसु | दुः-गे | चन | ध्रियते | विश्वः | आ | पुरु | जनः | यः | अस्य | तविषीम् | अचुक्रुधत् // ऋ. वे. ५,३४.७ //
सम् | यत् | जनौ | सु-धनौ | विश्व-शर्धसौ | अवेत् | इन्द्रः | मघ-वा | गोषु | शुभ्रिषु | युजम् | हि | अन्यम् | अकृत | प्र-वेपनी | उत् | ईम् | गव्यम् | सृजते | सत्व-भिः | धुनिः // ऋ. वे. ५,३४.८ //
सहस्र-साम् | आग्नि-वेशिम् | गृणीषे | शत्रिम् | अग्ने | उप-माम् | केतुम् | अर्यः | तस्मै | आपः | सम्-यतः | पीपयन्त | तस्मिन् | क्षत्रम् | अम-वत् | त्वेषम् | अस्तु // ऋ. वे. ५,३४.९ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:२/५-
(ऋ. वे. ५,३५)
यः | ते | साधिष्ठः | अवसे | इन्द्र | क्रतुः | टम् | आ | भर | अस्मभ्यम् | चर्षण् इ-सहम् | सस्निम् | वाजेषु | दुस्तरम् // ऋ. वे. ५,३५.१ //
यत् | इन्द्र | ते | चतस्रः | यत् | शूर | सन्ति | तिस्रः | यत् | वा | पञ्च | क्षितीनाम् | अवः | तत् | सु | नः | आ | भर // ऋ. वे. ५,३५.२ //
आ | ते | अवः | वरेण्यम् | वृषन्-तमस्य | हूमहे | वृष-जूतिः | हि | जज्ञिषे | आभूभिः | इन्द्र | तुर्वणिः // ऋ. वे. ५,३५.३ //
वृषा | हि | असि | राधसे | जज्ञिषे | वृष्णि | ते | शवः | स्व-क्षत्रम् | ते | धृषम् | मनः | सत्राहम् | इन्द्र | पैंस्यम् // ऋ. वे. ५,३५.४ //
त्वम् | तम् | इन्द्र | मर्त्यम् | अमित्र-यन्तम् | अद्रि-वः | सर्व-रथा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | नि | याहि | शवसः | पते // ऋ. वे. ५,३५.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:२/६-
त्वाम् | इत् | वृत्रहन्-तम | जनासः | वृक्त-बर्हिषः | उग्रम् | पूर्वीषु | पूर्व्यम् | हवन्ते | वाज-सातये // ऋ. वे. ५,३५.६ //
अस्माकम् | इन्द्र | दुस्तरम् | पुरः-यावानम् | आजिषु | स-यावानम् | धने--धने | वाज-यन्तम् | अव | रथम् // ऋ. वे. ५,३५.७ //
अस्माकम् | इन्द्र | आ | इहि | नः | रथम् | अव | पुरम्-ध्या | वयम् | शविष्ठ | वार्यम् | दिवि | श्रवः | दधीमहि | दिवि | स्तोमम् | मनामहे // ऋ. वे. ५,३५.८ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:२/७-
(ऋ. वे. ५,३६)
सः | आ | गमत् | इन्द्रः | यः | वसूनाम् | चिकेतत् | दातुम् | दामनः | रयीणाम् | धन्व-चरः | न | वंस-गः | तृषाणः | चकमानः | पिबतु | दुग्धम् | अंशुम् // ऋ. वे. ५,३६.१ //
आ | ते | हनूइति | हरि-वः | शूर | शिप्रेइति | रुहत् | सोमः | न | पर्वतस्य | पृष्ठे | अनु | त्वा | राजन् | अर्वतः | न | हिन्वन् | गीः-भिः | मदेम | पुरु-हूत | विश्वे // ऋ. वे. ५,३६.२ //
चक्रम् | न | वृत्तम् | पुरु-हूत | वेपते | मनः | भिया | मे | अमतेः | इत् | अद्रि-वः | रथात् | अधि | त्वा | जरिता | सदावृध | कुवित् | नु | स्तोषम् | मघ-वन् | पुरु-वसुः // ऋ. वे. ५,३६.३ //
एषः | ग्रावाइव | जरिता | ते | इन्द्र | इयर्ति | वाचम् | बृहत् | आशुषाणः | प्र | सेव्येन | मघ-वन् | यंसि | रायः | प्र | दक्षिणित् | हरि-वः | मा | वि | वेनः // ऋ. वे. ५,३६.४ //
वृषा | त्वा | वृषणम् | वर्धतु | द्यौः | वृषा | वृष-भ्याम् | वहसे | हरि-भ्याम् | सः | नः | वृषा | वृष-रथः | सु-शिप्र | वृषक्रतो इतिवृष-क्रतो | वृषा | वज्रिन् | भरे | धाः // ऋ. वे. ५,३६.५ //
यः | रोहितौ | वाजिनौ | वाजिनी-वान् | त्रि-भिः | शतैः | सचमानौ | अदिष्ट | यूने | सम् | अस्मै | क्षितयः | नमन्ताम् | श्रुत-रथाय | मरुतः | दुवः-या // ऋ. वे. ५,३६.६ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:२/८-
(ऋ. वे. ५,३७)
सम् | भानुना | यतते | सूर्यस्य | आजुह्वानः | घृत-पृष्ठः | सु-अञ्चाः | तस्मै | अमृध्राः | उषसः | वि | उच्छान् | यः | इन्द्राय | सुनवाम | इति | आह // ऋ. वे. ५,३७.१ //
समिद्ध-अग्निः | वनवत् | स्तीर्ण-बर्हिः | युक्त-ग्रावा | सुत-सोमः | जराते | ग्रावाणः | यस्य | इषिरम् | वदन्ति | अयत् | अध्वर्युः | हविषा | अव | सिन्धुम् // ऋ. वे. ५,३७.२ //
वधूः | इयम् | पतिम् | इच्छन्ती | एति | यः | ईम् | वहाते | महिषीम् | इषिराम् | आ | अस्य | श्रवस्यात् | रथः | आ | च | घोषात् | पुरु | सहस्रा | परि | वर्तयाते // ऋ. वे. ५,३७.३ //
न | सः | राजा | व्यथते | यस्मिन् | इन्द्रः | तीव्रम् | सोमम् | पिबति | गो--सखायम् | आ | सत्वनैः | अजति | हन्ति | वृत्रम् | क्षेति | क्षितीः | सु-भगः | नाम | पुष्यन् // ऋ. वे. ५,३७.४ //
पुष्यात् | क्षेमे | अभि | योगे | भवाति | उभे इति | वृतौ | संयती इतिसम्-यती | सम् | जयाति | प्रियः | सूर्ये | प्रियः | अग्ना | भवाति | यः | इन्द्राय | सुत-सोमः | ददाशत् // ऋ. वे. ५,३७.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:२/९-
(ऋ. वे. ५,३८)
उरोः | ते | इन्द्र | राधसः | वि-भ्वी | रातिः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | अध | नः | विश्व-चर्षणे | द्युम्ना | सु-क्षत्र | मंहय // ऋ. वे. ५,३८.१ //
यत् | ईम् | इन्द्र | श्रवाय्यम् | इषम् | शविष्ठ | दधिषे | पप्रथे | दीर्घश्रुत्-तमम् | हिरण्य-वर्ण | दुस्तरम् // ऋ. वे. ५,३८.२ //
शुष्मासः | ये | ते | अद्रि-वः | मेहना | केत-सापः | उभा | देवौ | अभिष्टये | दिवः | च | ग्मः | च | राजथः // ऋ. वे. ५,३८.३ //
उतो इति | नः | अस्य | कस्य | चित् | दक्षस्य | तव | वृत्र-हन् | अस्मभ्यम् | नृम्णम् | आ | भार | अस्मभ्यम् | नृ-मनस्यसे // ऋ. वे. ५,३८.४ //
नु | ते | आभिः | अभिष्टि-भिः | तव | शर्मन् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | इन्द्र | स्याम | सु-गोपाः | शूर | स्याम | सु-गोपाः // ऋ. वे. ५,३८.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:२/१०-
(ऋ. वे. ५,३९)
यत् | इन्द्र | चित्र | मेहना | अस्ति | त्वादातम् | अद्रि-वः | राधः | तत् | नः | विदद्वसो
इतिविदत्-वसो | उभयाहस्ति | आ | भर // ऋ. वे. ५,३९.१ //
यत् | मन्यसे | वरेण्यम् | इन्द्र | द्युक्षम् | तत् | आ | भर | विद्याम | तस्य | ते | वयम् | अकूपारस्य | दावने // ऋ. वे. ५,३९.२ //
यत् | ते | दित्सु | प्र-राध्यम् | मनः | अस्ति | सृउतम् | बृहत् | तेन | दृऌहा | चित् | अद्रि-वः | आ | वाजम् | दर्षि | सातये // ऋ. वे. ५,३९.३ //
मंहिष्ठम् | वः | मघोनाम् | राजानम् | चर्षणीनाम् | इन्द्रम् | उप | प्र-शस्तये | पूर्वीभिः | जुजुषे | गिरः // ऋ. वे. ५,३९.४ //
अस्मै | इत् | काव्यम् | वचः | उक्थम् | इन्द्राय | शंस्यम् | तस्मै | ॐ इति | ब्रह्म-वाहसे | गिरः | वर्धन्ति | अत्रयः | गिरः | शुम्भन्ति | अत्रयः // ऋ. वे. ५,३९.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:२/११-
(ऋ. वे. ५,४०)
आ | याहि | अद्रि-भिः | सुतम् | सोमम् | सोम-पते | पिब | वृषन् | इन्द्र | वृष-भि ः | वृत्रहन्-तम // ऋ. वे. ५,४०.१ //
वृषा | ग्रावा | वृषा | मदः | वृषा | सोमः | अयम् | सुतः | वृषन् | इन्द्र | वृष-भिः | वृत्रहन्-तम // ऋ. वे. ५,४०.२ //
वृषा | त्वा | वृषणम् | हुवे | वज्रिन् | चित्राभिः | ऊति-भिः | वृषन् | इन्द्र | वृष-भिः | वृत्रहन्-तम // ऋ. वे. ५,४०.३ //
ऋजीषी | वज्री | वृषभः | तुराषाट् | शुष्मी | राजा | वृत्र-हा | सम-पावा | युक्त्वा | हरि-भ्याम् | उप | यासत् | अर्वाङ् | माध्यन्दिने | सवने | मत्सत् | इन्द्रः // ऋ. वे. ५,४०.४ //
यत् | त्वा | सूर्य | स्वः-भानुः | तमसा | अविध्यत् | आसुरः | अक्षेत्र-वित् | यथा | मुग्धः | भुवनानि | अदीधयुः // ऋ. वे. ५,४०.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:२/१२-
स्वः-भानोः | अध | यत् | इन्द्र | माया | अवः | दिवः | वर्तमानाः | अव-अहन् | गूऌहम् | सूर्यम् | तमसा | अप-व्रतेन | तुरीयेण | ब्रह्मणा | अविन्दत् | अत्रि ः // ऋ. वे. ५,४०.६ //
मा | माम् | इमम् | तव | सन्तम् | अत्रे | इरस्या | द्रुग्धः | भियसा | नि | गारीत् | त्वम् | मित्रः | असि | सत्य-राधाः | तौ | मा | इह | अवतम् | वरुणः | च | राजा // ऋ. वे. ५,४०.७ //
ग्राव्णः | ब्रह्मा | युयुजानः | सपर्यन् | कीरिणा | देवान् | नमसा | उप-शिक्षन् | अत्रिः | सूर्यस्य | दिवि | चक्षुः | आ | अधात् | स्वः-भानोः | अप | माया | अधुक्षत् // ऋ. वे. ५,४०.८ //
यम् | वै | सूर्यम् | स्वः-भानुः | तमसा | अविध्यत् | आसुरः | अत्रयः | तम् | अनु | अविन्दन् | नहि | अन्ये | अशक्नुवन् // ऋ. वे. ५,४०.९ //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:२/१३-
(ऋ. वे. ५,४१)
कः | नु | वाम् | मित्रावरुणौ | ऋत-यन् | दिवः | वा | महः | पार्थिवस्य | वा | दे | ऋतस्य | वा | सदसि | त्रासीथाम् | नः | यज्ञ-यते | वा | पशु-सः | न | वाजान् // ऋ. वे. ५,४१.१ //
ते | नः | मित्रः | वरुणः | अर्यमा | आयुः | इन्द्रः | ऋभुक्षाः | मरुतः | जुषन्त | नमः-भिः | वा | ये | दधते | सु-वृक्तिम् | स्तोमम् | रुद्राय | मीऌहुषे | स-जोषाः // ऋ. वे. ५,४१.२ //
आ | वाम् | येष्ठा | अश्विना | हुवध्यै | वातस्य | पत्मन् | रथ्यस्य | पुष्टौ | उत | वा | दिवः | असुराय | मन्म | प्र | अन्धांसि-इव | यज्यवे | भरध्वम् // ऋ. वे. ५,४१.३ //
प्र | सक्षणः | दिव्यः | कण्व-होता | त्रितः | दिवः | स-जोषाः | वातः | अग्निः | पूषा | भगः | प्र-भृथे | विश्व-भोजाः | आजिम् | न | जग्मुः | आश्वश्व-तमाः // ऋ. वे. ५,४१.४ //
प्र | वः | रयिम् | युक्त-अश्वम् | भरध्वम् | रायः | एषे | अवसे | दधीत | धीः | सु-शेवः | एवैः | औशिजस्य | होता | ये | वः | एवाः | मरुतः | तुराणाम् // ऋ. वे. ५,४१.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:२/१४-
प्र | वः | वायुम् | रथ-युजम् | कृणुध्वम् | प्र | देवम् | विप्रम् | पनितारम् | अर्कैः | इषुध्यवः | ऋत-सापः | पुरम्-धीः | वस्वीः | नः | अत्र | पत्नीः | आ | धिये | धुरितिधुः // ऋ. वे. ५,४१.६ //
उप | वः | एषे | वन्द्येभिः | शूषैः | प्र | यह्वी इति | दिवः | चितयत्-भिः | अर्कैः | उषसानक्ता | विदुषीइवेतिविदुषी-इव | विश्वम् | आ | ह | वहतः | मर्त्याय | यज्ञम् // ऋ. वे. ५,४१.७ //
अभि | वः | अर्चे | पोष्यावतः | नॄन् | वास्तोः | पतिम् | त्वष्टारम् | रराणः | धन्या | स-जोषाः | धिषणा | नमः-भिः | वनस्पतीन् | ओषधीः | रायः | एषे // ऋ. वे. ५,४१.८ //
तुजे | नः | तने | पर्वताः | सन्तु | स्व-एतवः | ये | वसवः | न | वीराः | पनितः | आप्त्यः | यजतः | सदा | नः | वर्धात् | नः | शंसम् | नर्यः | अभिष्टौ // ऋ. वे. ५,४१.९ //
वृष्णः | अस्तोषि | भूम्यस्य | गर्भम् | त्रितः | नपातम् | अपाम् | सु-वृक्ति | गृणीते | अग्निः | एतरि | न | शूषैः | शोचिः-केशः | नि | रिणाति | वना // ऋ. वे. ५,४१.१० //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:२/१५-
कथा | महे | रुद्रियाय | ब्रवाम | कत् | राये | चिकितुषे | भगाय | आपः | ओषधीः | उत | नः | अवन्तु | द्यौः | वना | गिरयः | वृक्ष-केशाः // ऋ. वे. ५,४१.११ //
शृणोतु | नः | ऊर्जाम् | पतिः | गिरः | सः | नभः | तरीयान् | इषिरः | परि-ज्मा | शृण्वन्तु | आपः | पुरः | न | शुभ्राः | परि | स्रुचः | बबृहाणस्य | अद्रेः // ऋ. वे. ५,४१.१२ //
विद | चित् | नु | महान्तः | ये | वः | एवाः | ब्रवाम | दस्माः | वार्यम् | दधानाः | वयः | चन | सु-भ्वः | आ | अव | यन्ति | क्षुभा | मर्तम् | अनु-यतम् | वध-स्नैः // ऋ. वे. ५,४१.१३ //
आ | दैव्यानि | पार्थिवानि | जन्म | अपः | च | अच्छ | सु-मखाय | वोचम् | वर्धन्ताम् | द्यावः | गिरः | चन्द्र-अग्राः | उदा | वर्धन्ताम् | अभि-साताः | अर्णाः // ऋ. वे. ५,४१.१४ //
पदे--पदे | मे | जरिमा | नि | धायि | वरूत्री | वा | शक्रा | या | पायु-भिः | च | सिसक्तु | माता | मही | रसा | नः | स्मत् | सूरि-भिः | ऋजु-हस्ता | ऋजु-वनिः // ऋ. वे. ५,४१.१५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:२/१६-
कथा | दाशेम | नमसा | सु-दानून् | एव-या | मरुतः | अच्छ-उक्तौ | प्र-श्रवसः | मरुतः | अच्छ-उक्तौ | मा | नः | अहिः | बुध्न्यः | रिषे | धात् | अस्माकम् | भूत् | उपमाति-वनिः // ऋ. वे. ५,४१.१६ //
इति | चित् | नु | प्र-जायै | पशु-मत्यै | देवासः | वनते | मर्त्यः | वः | आ | देवासः | वनते | मर्त्यः | वः | अत्र | शिवाम् | तन्वः | धासिम् | अस्याः | जराम् | च् इत् | मे | निः-ऋतिः | जग्रसीत // ऋ. वे. ५,४१.१७ //
ताम् | वः | देवाः | सु-मतिम् | ऊर्जयन्तीम् | इषम् | अश्याम | वसवः | शसा | गोः | सा | नः | सु-दानुः | मृऌअयन्ती | देवी | प्रति | द्रवन्ती | सुविताय | गम्याः // ऋ. वे. ५,४१.१८ //
अभि | नः | इऌआ | यूथस्य | माता | स्मत् | नदीभिः | उर्वशी | वा | गृणातु | उर्वशी | वा | बृहत्-दिवा | गृणना | अभि-ऊर्ण्वाना | प्र-भृथस्य | आयोः // ऋ. वे. ५,४१.१९ //
सिसक्तु | नः | ऊर्जव्यस्य | पुष्टेः // ऋ. वे. ५,४१.२० //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:२/१७-
(ऋ. वे. ५,४२)
प्र | शम्-तमा | वरुणम् | दीधिती | गीः | मित्रम् | भगम् | अदितिम् | नूनम् | अश्याः | पृषत्-योनिः | पञ्च-होता | शृणोतु | अतूर्त-पन्थाः | असुरः | मयः-भुः // ऋ. वे. ५,४२.१ //
प्रति | मे | स्तोमम् | अदितिः | जगृभ्यात् | सूनुम् | न | माता | हृद्यम् | सु-शेवम् | ब्रह्म | प्रियम् | देव-हितम् | यत् | अस्ति | अहम् | मित्रे | वरुणे | यत् | मयः-भुः // ऋ. वे. ५,४२.२ //
उत् | ईरय | कवि-तमम् | कवीनाम् | उनत्त | एनम् | अभि | मध्वा | घृतेन | सः | नः | वसूनि | प्र-यता | हितानि | चन्द्राणि | देवः | सविता | सुवाति // ऋ. वे. ५,४२.३ //
सम् | इन्द्र | णः | मनसा | नेषि | गोभिः | सम् | सूरि-भिः | हरि-वः | सम् | स्वस्ति | सम् | ब्रह्मणा | देव-हितम् | यत् | अस्ति | सम् | देवानाम् | सु-मत्या | यज्ञ् इयानाम् // ऋ. वे. ५,४२.४ //
देवः | भगः | सविता | रायः | अंशः | इन्द्रः | वृत्रस्य | सम्-जितः | धनानाम् | ऋभुक्षाः | वाजः | उत | वा | पुरम्-धिः | अवन्तु | नः | अमृतासः | तुरासः // ऋ. वे. ५,४२.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:२/१८-
मरुत्वतः | अप्रति-इतस्य | जिष्णोः | अजूर्यतः | प्र | ब्रवाम | कृतानि | न | ते | पूर्वे | मघ-वन् | न | अपरासः | न | वीर्यम् | नूतनः | कः | चन | आप // ऋ. वे. ५,४२.६ //
उप | स्तुहि | प्रथमम् | रत्न-धेयम् | बृहस्पतिम् | सनितारम् | धनानाम् | यः | शंसते | स्तुवते | शम्-भविष्ठः | पुरु-वसुः | आगमत् | जोहुवानम् // ऋ. वे. ५,४२.७ //
तव | ऊति-भिः | सचमानाः | अरिष्टाः | बृहस्पते | मघ-वानः | सु-वीराः | ये | अश्व-दाः | उत | वा | सन्ति | गो--दाः | ये | वस्त्र-दाः | सु-भगाः | तेषु | रायः // ऋ. वे. ५,४२.८ //
वि-सर्माणम् | कृणुहि | वित्तम् | एषाम् | ये | भुञ्जते | अपृणन्तः | नः | उक्थैः | अप-व्रतान् | प्र-सवे | ववृधानान् | ब्रह्म-द्विषः | सूर्यात् | यवयस्व // ऋ. वे. ५,४२.९ //
यः | ओहते | रक्षसः | देव-वीतौ | अचक्रेभिः | तम् | मरुतः | नि | यात | यः | वः | समीम् | शशमानस्य | निन्दात् | तुच्छ्यान् | कामान् | करते | सिस्विदानः // ऋ. वे. ५,४२.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:२/१९-
तम् | ॐ इति | स्तुहि | यः | सु-इषुः | सु-धन्वा | यः | विश्वस्य | क्षयति | भेषजस्य | यक्ष्व | महे | सौमनसाय | रुद्रम् | नमः-भिः | देवम् | असुरम् | दुवस्य // ऋ. वे. ५,४२.११ //
दमूनसः | अपसः | ये | सु-हस्ताः | वृष्णः | पत्नीः | नद्यः | विभ्व-तष्टाः | सरस्वती | बृहत्-दिवा | उत | राका | दशस्यन्तीः | वरिवस्यन्तु | शुभ्राः // ऋ. वे. ५,४२.१२ //
प्र | सु | महे | सुशरणाय | मेधाम् | गिरम् | भरे | नव्यसीम् | जायमानाम् | यः | आहनाः | दुहितुः | वक्षणासु | रूपा | मिनानः | अकृणोत् | इदम् | नः // ऋ. वे. ५,४२.१३ //
प्र | सुष्टुतिः स्तनयन्तं रुवन्तम् इऌअस् पतिञ् जरितर् नूनम् अश्याः | यो अब्दिमांम् इयर्तिप्र विद्युता रोदसी उक्षमाणः // ऋ. वे. ५,४२.१४ //
एषः | स्तोमः | मारुतम् | शर्धः | अच्छ | रुद्रस्य | सूनून् | युवन्यून् | उत् | अश्याः | कामः | राये | हवते | मा | स्वस्ति | उप | स्तुहि | पृषत्-अश्वान् | अयासः // ऋ. वे. ५,४२.१५ //
प्र | एषः | स्तोमः | पृथिवीम् | अन्तरिक्षम् | वनस्पतीन् | ओषधीः | राये | अश्याः | देवः-देवः | सु-हवः | भूतु | मह्यम् | मा | नः | माता | पृथिवी | दुः-मतौ | धात् // ऋ. वे. ५,४२.१६ //
उरौ | देवाः | अनि-बाधे | स्याम // ऋ. वे. ५,४२.१७ //
सम् | अश्विनोः | अवसा | नूतनेन | मयः-भुवा | सु-प्रनीती | गमेम | आ | नः | रयिम् | वहतम् | आ | उत | वीरान् | आ | विश्वानि | अमृता | सौभगानि // ऋ. वे. ५,४२.१८ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:२/२०-
(ऋ. वे. ५,४३)
आ | धेनवः | पयसा | तूर्णि-अर्थाः | अमर्धन्तीः | उप | नः | यन्तु | मध्वा | महः | राये | बृहतीः | सप्त | विप्रः | मयः-भुवः | जरिता | जोहवीति // ऋ. वे. ५,४३.१ //
आ | सु-स्तुती | नमसा | वर्तयध्यै | द्यावा | वाजाय | पृथिवी इति | अमृध्रेइति | पिता | माता | मधु-वचाः | सु-हस्ता | भरे--भरे | नः | यशसौ | अविष्टाम् // ऋ. वे. ५,४३.२ //
अध्वर्यवः | चकृ-वांसः | मधूनि | प्र | वायवे | भरत | चारु | शुक्रम् | होताइव | नः | प्रथमः | पाहि | अस्य | देव | मध्वः | ररिम | ते | मदाय // ऋ. वे. ५,४३.३ //
दश | क्षिपः | युञ्जते | बाहू इति | अद्रिम् | सोमस्य | या | शमितारा | सु-हस्ता | मध्वः | रसम् | सु-गभस्तिः | गिरि-स्थाम् | चनिश्चदत् | दुदुहे | शुक्रम् | अंशुः // ऋ. वे. ५,४३.४ //
असावि | ते | जुजुषाणाय | सोमः | क्रत्वे | दक्षाय | बृहते | मदाय | हरी इति | रथे | सु-धुरा | योगे | अर्वाक् | इन्द्र | प्रिया | कृणुहि | हूयमानः // ऋ. वे. ५,४३.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:२/२१-
आ | नः | महीम् | अरमतिम् | स-जोषाः | ग्नाम् | देवीम् | नमसा | रात-हव्याम् | मधोः | मदाय | बृहतीम् | ऋत-ज्ञाम् | आ | अग्ने | वह | पथि-भिः | देव-यानैः // ऋ. वे. ५,४३.६ //
अञ्जन्ति | यम् | प्रथयन्तः | न | विप्राः | वपावन्तम् | न | अग्निना | तपन्तः | पितुः | न | पुत्रः | उपसि | प्रेष्ठः | आ | घर्मः | अग्निम् | ऋतयन् | असादि // ऋ. वे. ५,४३.७ //
अच्छ | मही | बृहती | शम्-तमा | गीः | दूतः | न | गन्तु | अश्विना | हुवध्यै | मयः-भुवा | सरथा | आ | यातम् | अर्वाक् | गन्तम् | नि-धिम् | धुरम् | आणिः | न | नाभिम् // ऋ. वे. ५,४३.८ //
प्र | तव्यसः | नमः-उक्तिम् | तुरस्य | अहम् | पूष्णः | उत | वायोः | अदिक्षि | या | राधसा | चोदितारा | मतीनाम् | या | वाजस्य | द्रविणः-दौ | उत | त्मन् // ऋ. वे. ५,४३.९ //
आ | नाम-भिः | मरुतः | वक्षि | विश्वान् | आ | रूपेभिः | जात-वेदः | हुवानः | यज्ञम् | गिरः | जरितुः | सु-स्तुतिम् | च | विश्वे | गन्त | मरुतः | विश्वे | ऊती // ऋ. वे. ५,४३.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:२/२२-
आ | नः | दिवः | बृहतः | पर्वतात् | आ | सरस्वती | यजता | गन्तु | यज्ञम् | हवम् | देवी | जुजुषाणा | घृताची | शग्माम् | नः | वाचम् | उशती | शृणोतु // ऋ. वे. ५,४३.११ //
आ | वेधसम् | नील-पृष्ठम् | बृहन्तम् | बृहस्पतिम् | सदने | सादयध्वम् | सादत्-योनिम् | दमे | आ | दीदि-वांसम् | हिरण्य-वर्णम् | अरुषम् | सपेम // ऋ. वे. ५,४३.१२ //
आ | धर्णसिः | बृहत्-दिवः | रराणः | विश्वेभिः | गन्तु | ओम-भिः | हुवानः | ग्नाः | वसानः | ओषधीः | अमृध्रः | त्रिधातु-शृङ्गः | वृषभः | वयः-धाः // ऋ. वे. ५,४३.१३ //
मातुः | पदे | परमे | शुक्रे | आयोः | विपन्यवः | रास्पिरासः | अग्मन् | सु-शेव्यम् | नमसा | रात-हव्याः | शिशुम् | मृजन्ति | आयवः | न | वासे // ऋ. वे. ५,४३.१४ //
बृहत् | वयः | बृहते | तुभ्यम् | अग्ने | धियाजुरः | मिथुनासः | सचन्त | देवः-देवः | सु-हवः | भूतु | मह्यम् | मा | नः | माता | पृथिवी | दुः-मतौ | धात् // ऋ. वे. ५,४३.१५ //
उरौ | देवाः | अनि-बाधे | स्याम // ऋ. वे. ५,४३.१६ //
सम् | अश्विनोः | अवसा | नूतनेन | मयः-भुवा | सु-प्रनीती | गमेम | आ | नः | रयिम् | वहतम् | आ | उत | वीरान् | आ | विश्वानि | अमृता | सौभगानि // ऋ. वे. ५,४३.१७ //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:२/२३-
(ऋ. वे. ५,४४)
तम् | प्रत्न-था | पूर्व-था | विश्व-था | इम्-अथा | ज्येष्ठ-तातिम् | बर्हि-सदम् | स्वः-विदम् | प्रतीचीनम् | वृजनम् | दोहसे | गिरा | आशुम् | जयन्तम् | अनु | यासु | वर्धसे // ऋ. वे. ५,४४.१ //
श्रिये | सु-दृशीः | उपरस्य | याः | स्वः | वि-रोचमानः | ककुभाम् | अचोदते | सु-गोपाः | असि | न | दभाय | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | परः | मायाभिः | ऋते | आस | नाम | ते // ऋ. वे. ५,४४.२ //
अत्यम् | हविः | सचते | सत् | च | धातु | च | अरिष्त-गातुः | सः | होता | सहः-भरिः | प्र-सर्स्राणः | अनु | बर्हिः | वृषा | शिशुः | मध्ये | युवा | अजरः | वि-स्रुहा | हितः // ऋ. वे. ५,४४.३ //
प्र | वः | एते | सु-युजः | यामन् | इष्टये | नीचीः | अमुष्मै | यम्यः | ऋत-वृधः | सुयन्तु-भिः | सर्व-शासैः | अभीशु-भिः | क्रिविः | नामानि | प्रवणे | मुषायति // ऋ. वे. ५,४४.४ //
सम्-जर्भुराणः | तरु-भिः | सुते--गृभम् | वयाकिनम् | चित्त-गर्भासु | सु-स्वरुः | धार-वाकेषु | ऋजु-गाथ | शोभसे | वर्धस्व | पत्नीः | अभि | जीवः | अध्वरे // ऋ. वे. ५,४४.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:२/२४-
यादृक् | एव | ददृशे | तादृक् | उच्यते | सम् | छायया | दधिरे | सिध्रया | अप्-सु | आ | महीम् | अस्मभ्यम् | उरु-साम् | उरु | ज्रयः | बृहत् | सु-वीरम् | अनप-च्युतम् | सहः // ऋ. वे. ५,४४.६ //
वेति | अग्रुः | जनि-वान् | वै | अति | स्पृधः | स-मर्यता | मनसा | सूर्यः | कविः | घ्रंसम् | रक्षन्तम् | परि | विश्वतः | गयम् | अस्माकम् | शर्म | वनवत् | स्व-वसुः // ऋ. वे. ५,४४.७ //
ज्यायांसम् | अस्य | यतुनस्य | केतुना | ऋषि-स्वरम् | चरति | यासु | नाम | ते | यादृश्मिन् | धायि | तम् | अपस्यया | विदत् | यः | ॐ इति | स्वयम् | वहते | सः | अरम् | करत् // ऋ. वे. ५,४४.८ //
समुद्रम् | आसाम् | अव | तस्थे | अग्रिमा | न | रिष्यति | सवनम् | यस्मिन् | आयता | अत्र | न | हार्दि | क्रवणस्य | रेजते | यत्र | मतिः | विद्यते | पूत-बन्धनी // ऋ. वे. ५,४४.९ //
सः | हि | क्षत्रस्य | मनसस्य | चित्ति-भिः | एव-वदस्य | यजतस्य | सध्रेः | अव-त्सारस्य | स्पृणवाम | रण्व-भिः | शविष्ठम् | वाजम् | विदुषा | चित् | अर्ध्यम् // ऋ. वे. ५,४४.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:२/२५-
श्येनः | आसाम् | अदितिः | कक्ष्यः | मदः | विश्व-वारस्य | यजतस्य | मायिनः | सम् | अन्यम्-अन्यम् | अर्थयन्ति | एतवे | विदुः | वि-साणम् | परि-पानम् | अन्ति | ते // ऋ. वे. ५,४४.११ //
सदापृणः | यजतः | वि | द्विषः | वधीत् | बाहु-वृक्तः | श्रुत-वित् | तर्यः | वः | सचा | उभा | सः | वरा | प्रति | एति | भाति | च | यत् | ईम् | गणम् | भजते | सुप्रयाव-भिः // ऋ. वे. ५,४४.१२ //
सुतम्-भरः | यजमानस्य | सत्-पतिः | विश्वासाम् | ऊधः | सः | धियाम् | उत्-अञ्चनः | भरत् | धेनुः | रस-वत् | शिश्रिये | पयः | अनु-ब्रुवाणः | अधि | एति | न | स्वपन् // ऋ. वे. ५,४४.१३ //
यः | जागार | तम् | ऋचः | कामयन्ते | यः | जागार | तम् | ॐ इति | सामानि | यन्ति | यः | जागार | तम् | अयम् | सोमः | आह | तव | अहम् | अस्मि | सख्ये | नि-ओकाः // ऋ. वे. ५,४४.१४ //
अग्निः | जागार | तम् | ऋचः | कामयन्ते | अग्निः | जागार | तम् | ॐ इति | सामानि | यन्ति | अग्निः | जागार | तम् | अयम् | सोमः | आह | तव | अहम् | अस्मि | सख्ये | नि-ओकाः // ऋ. वे. ५,४४.१५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:२/२६-
(ऋ. वे. ५,४५)
विदाः | दिवः | वि-स्यन् | अद्रिम् | उक्थैः | आयत्याः | उषसः | अर्चिनः | गुः | अप | अवृत | व्रजिनीः | उत् | स्वः | गात् | वि | दुरः | मानुषीः | देवः | आवर् इत्य् आवः // ऋ. वे. ५,४५.१ //
वि | सूर्यः | अमतिम् | न | श्रियम् | सात् | आ | ऊर्वात् | गवाम् | माता | जानती | गात् | धन्व-अर्णसः | नद्यः | खादः-अर्णाः | स्थूणाइव | सु-मिता | दृंहत | द्यौः // ऋ. वे. ५,४५.२ //
अस्मै | उक्थाय | पर्वतस्य | गर्भः | महीनाम् | जनुषे | पूर्व्याय | वि | पवर्तः | जिहीत | साधत | द्यौः | आविवासन्तः | दसयन्त | भूम // ऋ. वे. ५,४५.३ //
सु-उक्तेभिः | वः | वचः-भिः | देव-जुष्टैः | इन्द्रा | नु | अग्नी इति | अवसे | हुवध्यै | उक्थेभिः | हि | स्म | कवयः | स्-यज्ञाः | आविवासन्तः | मरुतः | यजन्ति // ऋ. वे. ५,४५.४ //
एतो इति | नु | अद्य | सु-ध्यः | भवाम | प्र | दुच्छुनाः | मिनवाम | वरीयः | आरे | द्वेषांसि | सनुतः | दधाम | अयाम | प्राञ्चः | यजमानम् | अच्छ // ऋ. वे. ५,४५.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:२/२७-
आ | इत | धियम् | कृणवाम | सखायः | अप | या | माता | ऋणुत | व्रजम् | गोः | यया | मनुः | विशि-शिप्रम् | जिगाय | यया | वणिक् | वङ्कुः | आप | पुरीषम् // ऋ. वे. ५,४५.६ //
अनूनोत् | अत्र | हस्त-यतः | अद्रिः | आर्चन् | येन | दश | मासः | नव-ग्वाः | ऋतम् | यती | सरमा | गाः | अविन्दत् | विश्वानि | सत्या | अङ्गिराः | चकार // ऋ. वे. ५,४५.७ //
विश्वे | अस्याः | वि-उषि | माहिनायाः | सम् | यत् | गोभिः | अङ्गिरसः | नवन्त | उत्सः | आसाम् | परमे | सध-स्थे | ऋतस्य | पथा | सरमा | विदत् | गाः // ऋ. वे. ५,४५.८ //
आ | सूर्यः | यातु | सप्त-अश्वः | क्षेत्रम् | यत् | अस्य | उर्विया | दीर्घ-याथे | रघुः | श्येनः | पतयत् | अन्धः | अच्छ | युवा | कविः | दीदयत् | गोषु | गच्छन् // ऋ. वे. ५,४५.९ //
आ | सूर्यः | अरुहत् | शुक्रम् | अर्णः | अयुक्त | यत् | हरितः | वीत-पृष्ठाः | उद्ना | न | नावम् | अनयन्त | धीराः | आशृण्वतीः | आपः | अर्वाक् | अतिष्ठन् // ऋ. वे. ५,४५.१० //
धियम् | वः | अप्-सु | दधिषे | स्वः-साम् | यया | अतरन् | दश | मासः | नव-ग्वाः | अया | धिया | स्याम | देव-गोपाः | अया | धिया | तुतुर्याम | अति | अंहः // ऋ. वे. ५,४५.११ //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:२/२८-
(ऋ. वे. ५,४६)
हयः | न | विद्वान् | अयुजि | स्वयम् | धुरि | ताम् | वहामि | प्रतरणीम् | अवस्युवम् | न | अस्याः | वश्मि | वि-मुचम् | न | आवृतम् | पुनः | विद्वान् | पथः | पुरः-एता | ऋजु | नेषति // ऋ. वे. ५,४६.१ //
अग्ने | इन्द्र | वरुण | मित्र | देवाः | शर्धः | प्र | यन्त | मारुत | उत | विष्णो इति | उभा | नासत्या | रुद्रः | अध | ग्नाः | पूषा | भगः | सरस्वती | जुषन्त // ऋ. वे. ५,४६.२ //
इन्द्राग्नी इति | मित्रावरुणा | अदितिम् | स्वर् इति स्वः | पृथिवीम् | द्याम् | मरुतः | पर्वतान् | अपः | हुवे | विष्णुम् | पूषणम् | ब्रह्मणः | पतिम् | भगम् | नु | शंसम् | सव् इतारम् | ऊतये // ऋ. वे. ५,४६.३ //
उत | नः | विष्णुः | उत | वातः | अस्रिधः | द्रविणः-दा | उत | सोमः | मयः | करत् | उत | ऋभवः | उत | राये | नः | अश्विना | उत | त्वष्टा | उत | विभ्वा | अनु | मंसते // ऋ. वे. ५,४६.४ //
उत | त्यम् | नः | मारुतम् | शर्धः | आ | गमत् | दिवि-क्षयम् | यजतम् | बर्हिः | आसदे | बृहस्पतिः | शर्म | पूषा | उत | नः | यमत् | वरूथ्यम् | वरुणः | मित्रः | अर्यमा // ऋ. वे. ५,४६.५ //
उत | त्ये | नः | पर्वतासः | सु-शस्तयः | सु-दीतयः | नद्यः | त्रामणे | भुवन् | भगः | वि-भक्ता | शवसा | अवसा | आ | गमत् | उरु-व्यचाः | अदितिः | श्रोतु | मे | हवम् // ऋ. वे. ५,४६.६ //
देवानाम् | पत्नीः | उशतीः | अवन्तु | नः | प्र | अवन्तु | नः | तुजये | वाज-सातये | याः | पार्थिवासः | याः | अपाम् | अपि | व्रते | ताः | नः | देवीः | सु-हवाः | शर्म | यच्छत // ऋ. वे. ५,४६.७ //
उत | ग्नाः | व्यन्तु | देव-पत्नीः | इन्द्राणी | अग्नायी | अश्विनी | राट् | आ | रोदसी इति | वरुणानी | शृणोतु | व्यन्तु | देवीः | यः | ऋतुः | जनीनाम् // ऋ. वे. ५,४६.८ //
//२८//.





-ऋ. वे. ४:३/१-
(ऋ. वे. ५,४७)
प्रयुञ्जती | दिवः | एति | ब्रुवाणा | मही | माता | दुहितुः | बोधयन्ती | आविवासन्ती | युवतिः | मनीषा | पितृ-भ्यः | आ | सदने | जोहुवाना // ऋ. वे. ५,४७.१ //
अजिरासः | तत्-अपः | ईयमानाः | आतस्थि-वांसः | अमृतस्य | नाभिम् | अनन्तासः | उरवः | विश्वतः | सीम् | परि | द्यावापृथिवी इति | यन्ति | पन्थाः // ऋ. वे. ५,४७.२ //
उक्षा | समुद्रः | अरुषः | सु-पर्णः | पूर्वस्य | योनिम् | पितुः | आ | विवेश | मध्ये | दिवः | नि-हितः | पृश्निः | अश्मा | वि | चक्रमे | रजसः | पाति | अन्तौ // ऋ. वे. ५,४७.३ //
चत्वारः | ईम् | बिभ्रति | क्षेम-यन्तः | दश | गर्भम् | चरसे | धापयन्ते | त्रि-धातवः | परमाः | अस्य | गावः | दिवः | चरन्ति | परि | सद्यः | अन्तान् // ऋ. वे. ५,४७.४ //
इदम् | वपुः | नि-वचनम् | जनासः | चरन्ति | यत् | नद्यः | तस्थुः | आपः | द्वे इति | यत् | ईम् | बिभृतः | मातुः | अन्ये | इह-इह | जाते इति | यम्या | सबन्धूइतिस-बन्धू // ऋ. वे. ५,४७.५ //
वि | तन्वते | धियः | अस्मै | अपांसि | वस्त्रा | पुत्राय | मातरः | वयन्ति | उप-प्रक्षे | वृषणः | मोदमानाः | दिवः | पथा | वध्वः | यन्ति | अच्छ // ऋ. वे. ५,४७.६ //
तत् | अस्तु | मित्रावरुणा | तत् | अग्ने | शम् | योः | अस्मभ्यम् | इदम् | अस्तु | शस्तम् | अशीमहि | गाधम् | उत | प्रति-स्थाम् | नमः | दिवे | बृहते | सादनाय // ऋ. वे. ५,४७.७ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:३/२-
(ऋ. वे. ५,४८)
कत् | ॐ इति | प्रियाय | धाम्ने | मनामहे | स्व-क्षत्राय | स्व-यशसे | महे | वयम् | आमेन्यस्य | रजसः | यत् | अभ्रे | आ | अपः | वृणाना | वि-तनोति | मायिनी // ऋ. वे. ५,४८.१ //
ताः | अत्नत | वयुनम् | वीर-वक्षणम् | समान्या | वृतया | विश्वम् | आ | रजः | अपो इति | अपाचीः | अपराः | अप | ईजते | प्र | पूर्वाभिः | तिरते | देव-युः | जनः // ऋ. वे. ५,४८.२ //
आ | ग्राव-भिः | अहन्येभिः | अक्तु-भिः | वरिष्ठम् | वज्रम् | आ | जिघर्ति | मायिनि | शतम् | वा | यस्य | प्र-चरन् | स्वे | दमे | सम्-वर्तयन्तः | वि | च | वतर्यन् | अहा // ऋ. वे. ५,४८.३ //
ताम् | अस्य | रीतिम् | परशोः-इव | प्रति | अनीकम् | अख्यम् | भुजे | अस्य | वर्पसः | सचा | यदि | पितुमन्तम्-इव | क्षयम् | रत्नम् | दधाति | भर-हूतये | वि शे // ऋ. वे. ५,४८.४ //
सः | जिह्वया | चतुः-अनीकः | ऋञ्जते | चारु | वसानः | वरुणः | यतन् | अरिम् | न | तस्य | विद्म | पुरुष-त्वता | वयम् | यतः | भगः | सविता | दाति | वार्यम् // ऋ. वे. ५,४८.५ //
//२//.

-ऋ. वे. ४:३/३-
(ऋ. वे. ५,४९)
देवम् | वः | अद्य | सवितारम् | आ | ईषे | भगम् | च | रत्नम् | वि-भजन्तम् | आयोः | आ | वाम् | नरा | पुरु-भुजा | ववृत्याम् | दिवे--दिवे | चित् | अश्विना | सखि-यन् // ऋ. वे. ५,४९.१ //
प्रति | प्र-यानम् | असुरस्य | विद्वान् | सु-उक्तैः | देवम् | सवितारम् | दुवस्य | उप | ब्रुवीत | नमसा | वि-जानन् | ज्येष्ठम् | च | रत्नम् | वि-भजन्तम् | आयोः // ऋ. वे. ५,४९.२ //
अदत्र-या | दयते | वार्याणि | पूषा | भगः | अदितिः | वस्ते | उस्रः | इन्द्रः | विष्णुः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | अहानि | भद्रा | जनयन्त | दस्माः // ऋ. वे. ५,४९.३ //
तत् | नः | अनर्वा | सविता | वरूथम् | तत् | सिन्धवः | इषयन्तः | अनु | ग्मन् | उप | यत् | वोचे | अध्वरस्य | होता | रायः | स्याम | पतयः | वाज-रत्नाः // ऋ. वे. ५,४९.४ //
प्र | ये | वसु-भ्यः | ईवत् | आ | नमः | दुः | ये | मित्रे | वरुणे | सूक्त-वाचः | अव | एतु | अभ्वम् | कृणुत | वरीयः | दिवःपृथिव्योः | अवसा | मदेम // ऋ. वे. ५,४९.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:३/४-
(ऋ. वे. ५,५०)
विश्वः | देवस्य | नेतुः | मर्तः | वुरीत | सख्यम् | विश्वः | राये | इषुध्यति | द्युम्नम् | वृणीत | पुष्यसे // ऋ. वे. ५,५०.१ //
ते | ते | देव | नेतः | ये | च | इमान् | अनु-शसे | ते | राया | ते | हि | आपृचे | सचेमहि | सचथ्यैः // ऋ. वे. ५,५०.२ //
अतः | नः | आ | नॄन् | अतिथीन् | अतः | पत्नीः | दशस्यत | आरे | विश्वम् | पथे--स्थाम् | द्विषः | युयोतुयूयुविः // ऋ. वे. ५,५०.३ //
यत्र | वह्निः | अभि-हितः | दुद्रवत् | द्रोण्यः | पशुः | नृ-मनाः | वीर-पस्त्यः | अर्णाः | धीराइव | सनिता // ऋ. वे. ५,५०.४ //
एषः | ते | देव | नेतरिति | रथःपतिः | शम् | रयिः | शम् | राये | शम् | स्वस्तये | इषः-स्तुतः | मनामहे | देव-स्तुतः | मनामहे // ऋ. वे. ५,५०.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:३/५-
(ऋ. वे. ५,५१)
अग्ने | सुतस्य | पीतये | विश्वैः | ऊमेभिः | आ | गहि | देवेभिः | हव्य-दातये // ऋ. वे. ५,५१.१ //
ऋत-धीतयः | आ | गत | सत्य-धर्माणः | अध्वरम् | अग्नेः | पिबत | जिह्वया // ऋ. वे. ५,५१.२ //
विप्रेभिः | विप्र | सन्त्य | प्रातर्याव-भिः | आ | गहि | देवेभिः | सोम-पीतये // ऋ. वे. ५,५१.३ //
अयम् | सोमः | चमू इति | सुतः | अमत्रे | परि | सिच्यते | प्रियः | इन्द्राय | वायवे // ऋ. वे. ५,५१.४ //
वायो इति | आ | याहि | वीतये | जुषाणः | हव्य-दातये | पिब | सुतस्य | अन्धसः | अभि | प्रयः // ऋ. वे. ५,५१.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:३/६-
इन्द्रः | च | वायो इति | एषाम् | सुतानाम् | पीतिम् | अर्हथः | तान् | जुषेथाम् | अरेपसौ | अभि | प्रयः // ऋ. वे. ५,५१.६ //
सुताः | इन्द्राय | वायवे | सोमासः | दधि-आशिरः | निम्नम् | न | यन्ति | सिन्धवः | अभि | प्रयः // ऋ. वे. ५,५१.७ //
स-जूः | विश्वेभिः | देवेभिः | अश्वि-भ्याम् | उषसा | स-जूः | आ | याहि | अग्ने | अत्रि-वत् | सुते | रण // ऋ. वे. ५,५१.८ //
स-जूः | मित्रावरुणाभ्याम् | स-जूः | सोमेन | विष्णुना | आ | याहि | अग्ने | अत्रि-वत् | सुते | रण // ऋ. वे. ५,५१.९ //
स-जूः | आदित्यैः | वसु-भिः | स-जूः | इन्द्रेण | वायुना | आ | याहि | अग्ने | अत्रि-वत् | सुते | रण // ऋ. वे. ५,५१.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ४:३/७-
स्वस्ति | नः | मिमीताम् | अश्विना | भगः | स्वस्ति | देवी | अदितिः | अनर्वणः | स्वस्ति | पूषा | असुरः | दधातु | नः | स्वस्ति | द्यावापृथिवी इति | सु-चेतुना // ऋ. वे. ५,५१.११ //
स्वस्तये | वयुम् | उप | ब्रवामहै | सोमम् | स्वस्ति | भुवनस्य | यः | पतिः | बृहस्पतिम् | सर्व-गणम् | स्वस्तये | स्वस्तये | आदित्यासः | भवन्तु | नः // ऋ. वे. ५,५१.१२ //
विश्वे | देवाः | नः | अद्य | स्वस्तये | वैश्वानरः | वसुः | अग्निः | स्वस्तये | देवाः | अवन्तु | ऋभवः | स्वस्तये | स्वस्ति | नः | रुद्रः | पातु | अंहसः // ऋ. वे. ५,५१.१३ //
स्वस्ति | मित्रावरुणा | स्वस्ति | पथ्ये | रेवति | स्वस्ति | नः | इन्द्रः | च | अग्निः | च | स्वस्ति | नः | अदिते | कृधि // ऋ. वे. ५,५१.१४ //
स्वस्ति | पन्थाम् | अनु | चरेम | सूर्याचन्द्रमसौ-इव | पुनः | ददता | अघ्नता | जानता | सम् | गमेमहि // ऋ. वे. ५,५१.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:३/८-
(ऋ. वे. ५,५२)
प्र | श्याव-अश्व | धृष्णु-या | अर्च | मरुत्-भिः | ऋक्व-भिः | ये | अद्रोघम् | अनु-स्वधम् | श्रवः | मदन्ति | यज्ञियाः // ऋ. वे. ५,५२.१ //
ते | हि | स्थिरस्य | शवसः | सखायः | सन्ति | धृष्णु-या | ते | यामन् | आ | धृषत्-विनः | त्मना | पान्ति | शश्वतः // ऋ. वे. ५,५२.२ //
ते | स्पन्द्रासः | न | उक्षणः | अति | स्कन्दन्ति | शर्वरीः | मरुताम् | अध | महः | दिवि | क्षमा | च | मन्महे // ऋ. वे. ५,५२.३ //
मरुत्-सु | वः | दधीमहि | स्तोमम् | यज्ञम् | च | धृष्णु-या | विश्वे | ये | मानुषा | युगा | पान्ति | मर्त्यम् | रिषः // ऋ. वे. ५,५२.४ //
अर्हन्तः | ये | सु-दानवः | नरः | असामि-शवसः | प्र | यज्ञम् | यज्ञियेभ्यः | दिवः | अर्च | मरुत्-भ्यः // ऋ. वे. ५,५२.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:३/९-
आ | रुक्मैः | आ | युधा | नरः | ऋष्वाः | ऋष्टीः | असृक्षत | अनु | एनान् | अह | वि-द्युतः | मरुतः | जज्झतीः-इव | भानुः | अर्त | त्मना | दिवः // ऋ. वे. ५,५२.६ //
ये | ववृधन्त | पार्थिवाः | ये | उरौ | अन्तरिक्षे | आ | वृजने | वा | नदीनाम् | सध-स्थे | वा | महः | दिवः // ऋ. वे. ५,५२.७ //
शर्धः | मारुतम् | उत् | शंस | सत्य-शवसम् | ऋभ्वसम् | उत | स्म | ते | शुभे | नरः | प्र | स्पन्द्राः | युजत | त्मना // ऋ. वे. ५,५२.८ //
उत | स्म | ते | परुष्ण्याम् | ऊर्णाः | वसत | शुन्ध्यवः | उत | पव्या | रथानाम् | अद्रिम् | भिन्दन्ति | ओजसा // ऋ. वे. ५,५२.९ //
आपथयः | वि-पथयः | अन्तः-पथाः | अनु-पथाः | एतेभिः | मह्यम् | नाम-भिः | यज्ञम् | वि-स्तारः | ओहते // ऋ. वे. ५,५२.१० //
//९//.

-ऋ. वे. ४:३/१०-
अध | नरः | नि | ओहते | अध | नि-युतः | ओहते | अध | पारावताः | इति | चित्रा | रूपाणि | दर्श्या // ऋ. वे. ५,५२.११ //
छन्दः-स्तुभः | कुभन्यवः | उत्सम् | आ | कीरिणः | नृतुः | ते | मे | के | चित् | न | तायवः | ऊमाः | आसन् | दृशि | त्विषे // ऋ. वे. ५,५२.१२ //
यः | ऋष्वाः | ऋष्टि-विद्युतः | कवयः | सन्ति | वेधसः | तम् | ऋषे | मारुतम् | गणम् | नमस्य | रमय | गिरा // ऋ. वे. ५,५२.१३ //
अच्छ | ऋषे | मारुतम् | गणम् | दाना | मित्रम् | न | योषणा | दिवः | वा | धृष्णवः | ओजसा | स्तुताः | धीभिः | इषण्यत // ऋ. वे. ५,५२.१४ //
नु | मन्वानः | एषाम् | देवान् | अच्छ | न | वक्षणा | दाना | सचेत | सूरि-भिः | याम-श्रुतेभिः | अञ्जि-भिः // ऋ. वे. ५,५२.१५ //
प्र | ये | मे | बन्धु-एषे | गाम् | वोचन्त | सूरयः | पृश्निम् | वोचन्त | मातरम् | अध | पितरम् | इष्मिणम् | रुद्रम् | वोचन्त | शिक्वसः // ऋ. वे. ५,५२.१६ //
सप्त | मे | सप्त | शाकिनः | एकम्-एका | शता | ददुः | यमुनायाम् | अधि | शृउतम् | उत् | राधः | गव्यम् | मृजे | नि | राधः | अश्व्यम् | मृजे // ऋ. वे. ५,५२.१७ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:३/११-
(ऋ. वे. ५,५३)
कः | वेद | जानम् | एषाम् | कः | वा | पुरा | सुम्नेषु | आस | मरुताम् | यत् | युयुज्रे | क् इलास्यः // ऋ. वे. ५,५३.१ //
आ | एतान् | रथेषु | तस्थुषः | कः | शुश्राव | कथा | ययुः | कस्मै | सस्रुः | सु-दासे | अनु | आपयः | इऌआभिः | वृष्टयः | सह // ऋ. वे. ५,५३.२ //
ते | मे | आहुः | ये | आययुः | उप | द्यु-भिः | वि-भिः | मदे | नरः | मर्याः | अरेपसः | इमान् | पश्यन् | इति | स्तुहि // ऋ. वे. ५,५३.३ //
ये | अञ्जिषु | ये | वाशीषु | स्व-भानवः | स्रक्षु | रुक्मेषु | खादिषु | श्रायाः | रथेषु | धन्व-सु // ऋ. वे. ५,५३.४ //
युष्माकम् | स्म | रथान् | अनु | मुदे | दधे | मरुतः | जीर-दानवः | वृष्टी | द्यावः | यतीः-इव // ऋ. वे. ५,५३.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:३/१२-
आ | यम् | नरः | सु-दानवः | ददाशुषे | दिवः | कोशम् | अचुच्यवुः | वि | पर्जन्यम् | सृजन्तिःरोदसी इतिःअनुःधन्वनाःयन्तिःवृष्टयः // ऋ. वे. ५,५३.६ //
ततृदानाः | सिन्धवः | क्षोदसा | रजः | प्र | सस्रुः | धेनवः | यथा | स्यन्नाः | अश्वाः-इव | अध्वनः | वि-मोचने | वि | यत् | वर्तन्ते | एन्यः // ऋ. वे. ५,५३.७ //
आ | यात | मरुतः | दिवः | आ | अन्तरिक्षात् | अमात् | उत | मा | अव | स्थात | परावतः // ऋ. वे. ५,५३.८ //
मा | वः | रसा | अनितभा | कुभा | क्रुमुः | मा | वः | सिन्धुः | नि | रीरमत् | मा | वः | परि | स्थात् | सरयुः | पुरीषिणी | अस्मे
इति | इत् | सुम्नम् | अस्तु | वः // ऋ. वे. ५,५३.९ //
तम् | वः | शर्धम् | रथानाम् | त्वेषम् | गणम् | मारुतम् | नव्यसीनाम् | अनु | प्र | यन्ति | वृष्टयः // ऋ. वे. ५,५३.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:३/१३-
शर्धम्-शर्धम् | वः | एषाम् | व्रातम्-व्रातम् | गणम्-गणम् | सुशस्ति-भिः | अनु | क्रामेम | धीति-भिः // ऋ. वे. ५,५३.११ //
कस्मै | अद्य | सु-जाताय | रात-हव्याय | प्र | ययुः | एना | यामेन | मरुतः // ऋ. वे. ५,५३.१२ //
येन | तोकाय | तनयाय | धान्यम् | बीजम् | वहध्वे | अक्षितम् | अस्मभ्यम् | तत् | धत्तन | यत् | वः | ईमहे | राधः | विश्व-आयु | सौभगम् // ऋ. वे. ५,५३.१३ //
अति | इयाम | निदः | तिरः | स्वस्ति-भिः | हित्वा | अवद्यम् | अरातीः | वृष्टवी | सम् | योः | आपः | उस्रि | भेषजम् | स्याम | मरुतः | सह // ऋ. वे. ५,५३.१४ //
सु-देवः | समह | असति | सु-वीरः | नरः | मरुतः | सः | मर्त्यः | यम् | त्रायध्वे | स्याम | ते // ऋ. वे. ५,५३.१५ //
स्तुहि | भोजान् | स्तुवतः | अस्य | यामनि | रणम् | गावः | न | यवसे | यतः | पूर्वान्-इव | सखीन् | अनु | ह्वय | गिरा | गृणीहि | कामिनः // ऋ. वे. ५,५३.१६ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:३/१४-
(ऋ. वे. ५,५४)
प्र | शर्धाय | मारुताय | स्व-भानवः | इमाम् | वाचम् | अनज | पर्वत-च्युते | घर्म-स्तुभे | दिवः | आ | पृष्ठ-यज्वने | द्युम्न-श्रवसे | महि | नृम्णम् | अर्चत // ऋ. वे. ५,५४.१ //
प्र | वः | मरुतः | तविषाः | उदन्यवः | वयः-वृधः | अश्व-युजः | परि-ज्रयः | सम् | वि-द्युता | दधति | वाशति | त्रितः | स्वरन्ति | आपः | अवना | परि-ज्रयः // ऋ. वे. ५,५४.२ //
विद्युत्-महसः | नरः | अश्म-दिद्यवः | वात-त्विषः | मरुतः | पर्वत-च्युतः | अब्द-या | चित् | मुहुः | आ | ह्रादुनि-वृतः | स्तनयत्-अमाः | रभसाः | उत्-ओजसः // ऋ. वे. ५,५४.३ //
वि | अक्तून् | रुद्राः | वि | अहानि | शिक्वसः | वि | अन्तरिक्षम् | वि | रजांसि | धूतयः | वि | यत् | अज्रान् | अजथ | नावः | ईम् | यथा | वि | दुः-गानि | मरुतः | न | अह | रिष्यथ // ऋ. वे. ५,५४.४ //
तत् | वीर्यम् | वः | मरुतः | महि-त्वनम् | दीर्घम् | ततान | सूर्यः | न | योजनम् | एताः | न | यामे | अगृभीत-शोचिषः | अनश्व-दाम् | यत् | नि | अयातन | गिरि म् // ऋ. वे. ५,५४.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:३/१५-
अभ्राजि | शर्धः | मरुतः | यत् | अर्णसम् | मोषथ | वृक्षम् | कपनाइव | वेधसः | अध | स्म | नः | अरमतिम् | स-जोषसः | चक्षुः-इव | यन्तम् | अनु | नेषथ | सु-गम् // ऋ. वे. ५,५४.६ //
न | सः | जीयते | मरुतः | न | हन्यते | न | स्रेधति | न | व्यथते | न | रिष्य्त् | न | अस्य | रायः | उप | दस्यन्ति | न | ऊतयः | र्षिम् | वा | यम् | राजानम् | वा | सुसूदथ // ऋ. वे. ५,५४.७ //
नियुत्वन्तः | ग्राम-जितः | यथा | नरः | अर्यमणः | न | मरुतः | कवन्धिनः | पिन्वन्ति | उत्सम् | यत् | इनासः | अस्वरन् | वि | उन्दन्ति | पृथिवीम् | मध्वः | अन्धसा // ऋ. वे. ५,५४.८ //
प्रवत्वती | इयम् | पृथिवी | मरुत्-भ्यः | प्रवत्वती | द्यौः | भवति | प्रयत्-भ्यः | प्रवत्वतीः | पथ्याः | अन्तरिक्ष्याः | प्रवत्वन्तः | पर्वताः | जीर-दानवः // ऋ. वे. ५,५४.९ //
यत् | मरुतः | स-भरसः | स्वः-नरः | सूर्ये | उत्-इते | मदथ | दिवः | नरः | न | वः | अश्वाः | श्रथयन्त | अह | सिस्रतः | सद्यः | अस्य | अध्वनः | पारम् | अश्नुथ // ऋ. वे. ५,५४.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:३/१६-
अंसेषु | वः | ऋष्टयः | पत्-सु | खादयः | वक्षः-सु | रुक्माः | मरुतः | रथे | शुभः | अग्नि-भ्राजसः | वि-द्युतः | गभस्त्योः | शिप्राः | शीऋष-सु | वि-तताः | हिरण्ययीः // ऋ. वे. ५,५४.११ //
तम् | नाकम् | अर्यः | अगृभीत-शोचिषम् | रुशत् | पिप्पलम् | मरुतः | वि | धूनुथ | सम् | अच्यन्त | वृजना | अतित्विषन्त | यत् | स्वरन्ति | घोषम् | वि-ततम् | ऋत-यवः // ऋ. वे. ५,५४.१२ //
युष्मादत्तस्य | मरुतः | वि-चेतसः | रायः | स्याम | रथ्यः | वयस्वतः | न | यः | युच्छति | तिष्यः | यथा | दिवः | अस्मे इति | रोरन्त | मरुतः | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ५,५४.१३ //
यूयम् | रयिम् | मरुतः | स्पार्ह-वीरम् | यूयम् | ऋषिम् | अवथ | साम-विप्रम् | यूयम् | अर्वन्तम् | भरताय | वाजम् | यूयम् | धत्थ | राजानम् | श्रुष्टि-मन्तम् // ऋ. वे. ५,५४.१४ //
तत् | वः | यामि | द्रविणम् | सद्यः-ऊतयः | येन | स्वः | न | ततनाम | नॄन् | अभि | इदम् | सु | मे | मरुतः | हर्यत | वचः | यस्य | तरेम | शतम् | हिमाः // ऋ. वे. ५,५४.१५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:३/१७-
(ऋ. वे. ५,५५)
प्र-यज्यवः | मरुतः | भ्राजत्-ऋष्टयः | बृहत् | वयः | दधिरे | रुक्म-वक्षसः | ईयन्ते | अश्वैः | सु-यमेभिः | आशु-भिः | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.१ //
स्वयम् | दधिध्वे | तविषीम् | यथा | विद | बृहत् | महान्तः | उर्विया | वि | राजथ | उत | अन्तरिक्षम् | ममिरे | वि | ओजसा | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.२ //
साकम् | जाताः | सु-भ्वः | साकम् | उक्षिताः | श्रिये | चित् | आ | प्र-तरम् | ववृधुः | नरः | वि-रोकिणः | सूर्यस्य-इव | रश्मयः | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.३ //
आभूषेण्यम् | वः | मरुतः | महि-त्वनम् | दिदृक्षेण्यम् | सूर्यस्य-इव | चक्षणम् | उतो इति | अस्मान् | अमृत-त्वे | दधातन | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.४ //
उत् | ईरयथ | मरुतः | समुद्रतः | यूयम् | वृष्टिम् | वर्षयथ | पुरीषिणः | न | वः | दस्रा | उप | दस्यन्ति | धेनवः | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:३/१८-
यत् | अश्वान् | धूः-सु | पृषतीः | अयुग्ध्वम् | हिरण्ययान् | प्रति | अत्कान् | अमुग्ध्वम् | विश्वाः | इत् | स्पृधः | मरुतः | वि | अस्यथ | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.६ //
न | पर्वताः | न | नद्यः | वरन्त | वः | यत्र | अचिध्वम् | मरुतः | गच्छथ | इत् | ॐ
इति | तत् | उत | द्यावापृथिवी इति | याथन | परि | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.७ //
यत् | पूर्व्यम् | मरुतः | यत् | च | नूतनम् | यत् | उद्यते | वसवः | यत् | च | शस्यते | विश्वस्य | तस्य | भवथ | नवेदसः | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.८ //
मृऌअत | नः | मरुतः | मा | वधिष्टन | अस्मभ्यम् | शर्म | बहुलम् | वि | यन्तन | अधि | स्तोत्रस्य | सख्यस्य | गातन | शुभम् | याताम् | अनु | रथाः | अवृत्सत // ऋ. वे. ५,५५.९ //
यूयम् | अस्मान् | नयत | वस्यः | अच्छ | निः | अंहति-भ्यः | मरुतः | गृणानाः | जुषध्वम् | नः | हव्य-दातिम् | यजत्राः | वयम् | स्याम | पतयः | रयीणाम् // ऋ. वे. ५,५५.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:३/१९-
(ऋ. वे. ५,५६)
अग्ने | शर्धन्तम् | आ | गणम् | पिष्टम् | रुक्मेभिः | अञ्जि-भिः | विशः | अद्य | मरुताम् | अव | ह्वये | दिवः | चित् | रोचनात् | अधि // ऋ. वे. ५,५६.१ //
यथा | चित् | मन्यसे | हृदा | तत् | इत् | मे | जग्मुः | आशसः | ये | ते | नेदिष्ठम् | हवनानि | आगमन् | तान् | वर्ध | भीम-सन्दृशः // ऋ. वे. ५,५६.२ //
मीऌहुष्मती-इव | पृथिवी | पराहता | मदन्ती | एति | अस्मत् | आ | ऋक्षः | न | वः | मरुतः | शिमी-वान् | अमः | दुध्रः | गौः-इव | भीम-युः // ऋ. वे. ५,५६.३ //
नि | ये | रिणन्ति | ओजसा | वृथा | गावः | न | दुः-धुरः | अश्मानम् | चित् | स्वर्यम् | पर्वतम् | गिरिम् | प्र | च्यवयन्ति | याम-भिः // ऋ. वे. ५,५६.४ //
उत् | तिष्ठ | नूनम् | एषाम् | स्तोमैः | सम्-उक्षितानाम् | मरुताम् | पुरु-तमम् | अपूर्व्यम् | गवाम् | सर्गम्-इव | ह्वये // ऋ. वे. ५,५६.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:३/२०-
युङ्ग्ध्वम् | हि | अरुषीः | रथे | युङ्ग्ध्वम् | रथेषु | रोहितः | युङ्ग्ध्वम् | हरी इति | अजिरा | धुरि | वोऌहवे | वहिष्ठा | धुरि | वोऌहवे // ऋ. वे. ५,५६.६ //
उत | स्यः | वाजी | अरुषः | तुवि-स्वणिः | इह | स्म | धायि | दर्शतः | मा | वः | यामेषु | मरुतः | चिरम् | करत् | प्र | तम् | रथेषु | चोदत // ऋ. वे. ५,५६.७ //
रथम् | नु | मारुतम् | वयम् | श्रवस्युम् | आ | हुवामहे | आ | यस्मिन् | तस्थौ | सुरणानि | बिभ्रती | सचा | मरुत्-सु | रोदसी // ऋ. वे. ५,५६.८ //
तम् | वः | शर्धम् | रथे--शुभम् | त्वेषम् | पनस्युम् | आ | हुवे | यस्मिन् | सु-जाता | सु-भगा | महीयते | सचा | मरुत्-सु | मीऌहुषी // ऋ. वे. ५,५६.९ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:३/२१-
(ऋ. वे. ५,५७)
आ | रुद्रासः | इन्द्र-वन्तः | स-जोषसः | हिरण्य-रथाः | सुविताय | गन्तन | इयम् | वः | अस्मत् | प्रति | हर्यते | मतिः | तृष्ण-जे | न | दिवः | उत्साः | उदन्यवे // ऋ. वे. ५,५७.१ //
वाशी-मन्तः | ऋष्टि-मन्तः | मनीषिणः | सु-धन्वानः | इषु-मन्तः | निषङ्गिणः | सु-अश्वाः | स्थ | सु-रथाः | पृश्नि-मातरः | सु-आयुधाः | मरुतः | याथन | शुभम् // ऋ. वे. ५,५७.२ //
धूनुथ | द्याम् | पर्वताम् | दाशुषे | वसु | नि | वः | वना | जिहते | यामनः | भिया | कोपयथ | पृथिवीम् | पृश्नि-मातरः | शुभे | यत् | उग्राः | पृषतीः | अयुग्ध्वम् // ऋ. वे. ५,५७.३ //
वात-त्विषः | मरुतः | वर्ष-निर्निजः | यमाः-इव | सु-सदृशः | सु-पेशसः | पिशङ्ग-अश्वाः | अरुण-अस्वाः | अरेपसः | प्र-त्वक्षसः | महिना | द्यौः-इव | उरवः // ऋ. वे. ५,५७.४ //
पुरु-द्रप्साः | अञ्जि-मन्तः | सु-दानवः | त्वेष-सन्दृशः | अनवभ्र-राधसः | सुजातासः | जनुषा | रुक्म-वक्षसः | दिवः | अर्काः | अमृतम् | नाम | भेजिरे // ऋ. वे. ५,५७.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:३/२२-
ऋष्टयः | वः | मरुतः | अंसयोः | अधि | सहः | ओजः | बाह्वोः | वः | बलम् | हितम् | नृम्णा | शीर्ष-सु | आयुधा | रथेषु | वः | विश्वा | वः | श्रीः | अधि | तनूषु | पिपिशे // ऋ. वे. ५,५७.६ //
गो--मत् | अश्व-वत् | रथ-वत् | सु-वीरम् | चन्द्र-वत् | राधः | मरुतः | दद | नः | प्र-शस्तिम् | नः | कृणुत | रुद्रियासः | भक्षीय | वः | अवसः | दैव्यस्य // ऋ. वे. ५,५७.७ //
हये | नरः | मरुतः | मृऌअत | नः | तुवि-मघासः | अमृताः | ऋत-ज्ञाः | सत्य-श्रुतः | कवयः | युवानः | बृहत्-गिरयः | बृहत् | उक्षमाणाः // ऋ. वे. ५,५७.८ //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:३/२३-
(ऋ. वे. ५,५८)
तम् | ॐ इति | नूनम् | तविषी-मन्तम् | एषाम् | स्तुषे | गणम् | मारुतम् | नव्यसीनाम् | ये | आशु-अश्वाः | अम-वत् | वहन्ते | उत | ईशिरे | अमृतस्य | स्व-राजः // ऋ. वे. ५,५८.१ //
त्वेषम् | गणम् | तवसम् | खादि-हस्तम् | धुनि-व्रतम् | मायिनम् | दाति-वारम् | मयः-भुवः | ये | अमिताः | महि-त्वा | वन्दस्व | विप्र | तुवि-राधसः | नॄन् // ऋ. वे. ५,५८.२ //
आ | वः | यन्तु | उद-वाहासः | अद्य | वृष्टिम् | ये | विश्वे | मरुतः | जुनन्ति | अयम् | यः | अग्निः | मरुतः | सम्-इद्धः | एतम् | जुषध्वम् | कवयः | युवानः // ऋ. वे. ५,५८.३ //
यूयम् | राजानम् | इर्यम् | जनाय | विभ्व-तष्टम् | जनयथ | यजत्राः | युष्मत् | एति | मुष्टि-हा | बाहु-जूतः | युष्मत् | सत्-अश्वः | मरुतः | सु-वीरः // ऋ. वे. ५,५८.४ //
अराः-इव | इत् | अचरमाः | अहाइव | प्र-प्र | जायन्ते | अकवाः | महः-भि ः | पृश्नेः | पुत्राः | उप-मासः | रभिष्ठाः | स्वया | मत्या | मरुतः | सम् | मि मिक्षुः // ऋ. वे. ५,५८.५ //
यत् | प्र | अयासिष्ट | पृषतीभिः | अश्वैः | वीऌउपवि-भिः | मरुतः | रथेभिः | क्षोदन्ते | आपः | रिणते | वनानि | अव | उस्रियः | वृषभः | क्रन्दतु | द्यौः // ऋ. वे. ५,५८.६ //
प्रथिष्ट | यामन् | पृथिवी | चित् | एषाम् | भर्ताइव | गर्भम् | स्वम् | इत् | शवः | धुः | वातान् | हि | अश्वान् | धुरि | आयुयुज्रे | वर्षम् | स्वेदम् | चक्रिरे | रुद्रियासः // ऋ. वे. ५,५८.७ //
हये | नरः | मरुतः | मृऌअत | नः | तुवि-मघासः | अमृताः | ऋत-ज्ञाः | सत्य-श्रुतः | कवयः | युवानः | बृहत्-गिरयः | बृहत् | उक्षमाणाः // ऋ. वे. ५,५८.८ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:३/२४-
(ऋ. वे. ५,५९)
प्र | वः | स्पट् | अक्रन् | सुविताय | दावने | अर्च | दिवे | प्र | पृथिव्यै | ऋतम् | भरे | उक्षन्ते | अश्वान् | तरुषन्ते | आ | रजः | अनु | स्वम् | भानुम् | श्रथयन्ते | अर्णवैः // ऋ. वे. ५,५९.१ //
अमात् | एषाम् | भियसा | भूमिः | एजति | नौः | न | पूर्णा | क्षरति | व्यथिः | यती | दूरे--दृशः | ये | चितयन्ते | एम-भिः | अन्तः | महे | विदथे | येतिरे | नरः // ऋ. वे. ५,५९.२ //
गवाम्-इव | श्रियसे | शृङ्गम् | उत्तमम् | सूर्यः | न | चक्षुः | रजसः | वि-सर्जने | अत्याः-इव | सु-भ्वः | चारवः | स्थन | मर्याः-इव | श्रियसे | चेतथ | नरः // ऋ. वे. ५,५९.३ //
कः | वः | महान्ति | महताम् | उत् | अश्नवत् | कः | काव्या | मरुतः | कः | ह | पैंस्या | यूयम् | ह | भूमिम् | किरणम् | न | रेजथ | प्र | यत् | भरध्वे | सुविताय | दावने // ऋ. वे. ५,५९.४ //
अश्वाः-इव | इत् | अरुषासः | स-बन्धवः | शूराः-इव | प्र-युधः | प्र | उत | युयुधुः | मर्याः-इव | सु-वृधः | ववृधुः | नरः | सूर्यस्य | चक्षुः | प्र | मिनन्ति | वृष्टि-भिः // ऋ. वे. ५,५९.५ //
ते | अज्येष्ठाः | अकनिष्ठासः | उत्-भिदः | अमध्यमासः | महसा | वि | ववृधुः | सु-जातासः | जनुषा | पृश्नि-मातरः | दिवः | मर्याः | आ | नः | अच्छ | जिगातन // ऋ. वे. ५,५९.६ //
वयः | न | ये | श्रेणीः | पप्तुः | ओजसा | अन्तान् | दिवः | बृहतः | सानुनः | परि | अश्वासः | एषाम् | उभये | यथा | विदुः | प्र | पर्वतस्य | नभनून् | अचुच्यवुः // ऋ. वे. ५,५९.७ //
मिमातु | द्यौः | अदितिः | वीतये | नः | सम् | दानु-चित्राः | उषसः | यतन्ताम् | आ | अचुच्यवुः | दिव्यम् | कोशम् | एते | ऋषे | रुद्रस्य | मरुतः | गृणानाः // ऋ. वे. ५,५९.८ //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:३/२५-
(ऋ. वे. ५,६०)
इऌए | अग्निम् | सु-अवसम् | नमः-भिः | इह | प्र-सत्तः | वि | चयत् | कृतम् | नः | रथैः-इव | प्र | भरे | वाजयत्-भिः | प्र-दक्षिणित् | मरुताम् | स्तोमम् | ऋध्याम् // ऋ. वे. ५,६०.१ //
आ | ये | तस्थुः | पृषतीषु | श्रुतासु | सु-खेषु | रुद्राः | मरुतः | रथेषु | वना | चित् | उग्राः | जिहते | नि | वः | भिया | पृथिवी | चित् | रेजते | पर्वतः | चित् // ऋ. वे. ५,६०.२ //
पर्वतः | चित् | महि | वृद्धः | बिभाय | दिवः | चित् | सानु | रेजत | स्वने | वः | यत् | क्रीऌअथ | मरुतः | ऋष्टि-मन्तः | आपः-इव | सध्र्यञ्चः | धवध्वे // ऋ. वे. ५,६०.३ //
वराः-इव | इत् | रैवतासः | हिरण्यैः | अभि | स्वधाभिः | तन्वः | पिपिश्रे | श्र् इये | श्रेयांसः | तवसः | रथेषु | सत्रा | महांसि | चक्रिरे | तनूषु // ऋ. वे. ५,६०.४ //
अज्येष्ठासः | अकनिष्ठासः | एते | सम् | भ्रातरः | ववृधुः | सौभगाय | युवा | प् इता | स्वपा | रुद्रः | एषाम् | सु-दुघा | पृश्निः | सु-दिना | मरुत्-भ्यः // ऋ. वे. ५,६०.५ //
यत् | उत्-तमे | मरुतः | मध्यमे | वा | यत् | वा | अवमे | सु-भगासः | दिवि | स्थ | अतः | नः | रुद्राः | उत | वा | नु | अस्य | अग्ने | वित्तात् | हविषः | यत् | यजाम // ऋ. वे. ५,६०.६ //
अग्निः | च | यत् | मरुतः | विश्व-वेदसः | दिवः | वहध्वे | उत्-तरात् | अधि | स्नु-भिः | ते | मन्दसानाः | धुनयः | रिशादसः | वामम् | धत्त | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. ५,६०.७ //
अग्ने | मरुत्-भिः | शुभयत्-भिः | ऋक्व-भिः | सोमम् | पिब | मन्दसानः | गणश्रि-भिः | पावकेभिः | विश्वम्-इन्वेभिः | आयु-भिः | वैश्वानर | प्र-दिवा | केतुना | स-जूः // ऋ. वे. ५,६०.८ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:३/२६-
(ऋ. वे. ५,६१)
कः | स्थ | नरः | श्रेष्ठ-तमाः | ये | एकः-एकः | आयय | परमस्याः | परावतः // ऋ. वे. ५,६१.१ //
क्व | वः | अश्वाः | क्व | अभीशवः | कथम् | शेक | कथा | यय | पृष्ठे | सदः | नसोः | यमः // ऋ. वे. ५,६१.२ //
जघने | चोदः | एषाम् | वि | सक्थानि | नरः | यमुः | पुत्र-कृथे | न | जनयः // ऋ. वे. ५,६१.३ //
परा | वीरासः | इतन | मर्यासः | भद्र-जानयः | अग्नि-तपः | यथा | असथ // ऋ. वे. ५,६१.४ //
सनत् | सा | अश्व्यम् | पशुम् | उत | गव्यम् | शत-अवयम् | श्यावाश्व-स्तुताय | या | दोः | वीराय | उप-बर्बृहत् // ऋ. वे. ५,६१.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:३/२७-
उत | त्वा | स्त्री | शशीयसी | पुंसः | भवति | वस्यसी | अदेव-त्रात् | अराधसः // ऋ. वे. ५,६१.६ //
वि | या | जानाति | जसुरिम् | वि | तृष्यन्तम् | वि | कामिनम् | देव-त्रा | कृणुते | मनः // ऋ. वे. ५,६१.७ //
उत | घ | नेमः | अस्तुतः | पुमान् | इति | ब्रुवे | पणिः | सः | वैर-देये | इत् | समः // ऋ. वे. ५,६१.८ //
उत | मे | अरपत् | युवतिः | ममन्दुषी | प्रति | श्यावाय | वर्तनिम् | वि | रोहिता | पुरु-मीऌहाय | येमतुः | विप्राय | दीर्घ-यशसे // ऋ. वे. ५,६१.९ //
यः | मे | धेनूनाम् | शतम् | वैदत्-अश्विः | यथा | ददत् | तरन्तः-इव | मंहना // ऋ. वे. ५,६१.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:३/२८-
ये | ईम् | वहन्ते | आशु-भिः | पिबन्तः | मदिरम् | मधु | अत्र | श्रवांसि | दधिरे // ऋ. वे. ५,६१.११ //
येषाम् | श्रिया | अधि | रोदसी इति | वि-भ्राजन्ते | रथेषु | आ | दिवि | रुक्मः-इव | उपरि // ऋ. वे. ५,६१.१२ //
युवा | सः | मारुतः | गणः | त्वेष-रथः | अनेद्यः | शुभम्-यावा | अप्रति-स्कुतः // ऋ. वे. ५,६१.१३ //
कः | वेद | नूनम् | एषाम् | यत्र | मदन्ति | धूतयः | ऋत-जाताः | अरेपसः // ऋ. वे. ५,६१.१४ //
यूयम् | मर्तम् | विपन्यवः | प्र-नेतारः | इत्था | धिया | श्रोतारः | याम-हूतिषु // ऋ. वे. ५,६१.१५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:३/२९-
ते | नः | वसूनि | काम्या | पुरु-चन्द्राः | रिशादसः | आ | यज्ञियासः | ववृत्तन // ऋ. वे. ५,६१.१६ //
एतम् | मे | स्तोमम् | ऊर्म्ये | दार्भ्याय | परा | वह | गिरः | देवि | रथीः-इव // ऋ. वे. ५,६१.१७ //
उत | मे | वोचतात् | इति | सुत-सोमे | रथ-वीतौ | न | कामः | अप | वेति | मे // ऋ. वे. ५,६१.१८ //
एषः | क्षेति | रथ-वीतिः | मघ-वा | गो--मतीः | अनु | पर्वतेषु | अप-श्रितः // ऋ. वे. ५,६१.१९ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:३/३०-
(ऋ. वे. ५,६२)
ऋतेन | ऋतम् | अपि-हितम् | ध्रुवम् | वाम् | सूर्यस्य | यत्र | वि-मुचन्ति | अश्वान् | दश | शता | सह | तस्थुः | तत् | एकम् | देवानाम् | श्रेष्ठम् | वपुषाम् | अपश्यम् // ऋ. वे. ५,६२.१ //
तत् | सु | वाम् | मित्रावरुणा | महि-त्वम् | ईर्मा | तस्थुषीः | अह-भिः | दुदुह्रे | विश्वाः | पिन्वथः | स्वसरस्य | धेनाः | अनु | वाम् | एकः | पविः | आ | ववतर् // ऋ. वे. ५,६२.२ //
अधारयतम् | पृथिवीम् | उत | द्याम् | मित्र-राजाना | वरुणा | महः-भिः | वर्धयतम् | ओषधीः | पिन्वतम् | गाः | अव | वृष्टिम् | सृजतम् | जीरदानूइतिजीर-दानू // ऋ. वे. ५,६२.३ //
आ | वाम् | अश्वासः | सु-युजः | वहन्तु | यत-रश्मयः | उप | यन्तु | अर्वाक् | घृतस्य | निः-निक् | अनु | वर्तते | वाम् | उप | सिन्धवः | प्र-दिवि | क्षरन्त् इ // ऋ. वे. ५,६२.४ //
अनु | श्रुताम् | अमतिम् | वर्धत् | उर्वीम् | बर्हिः-इव | यजुषा | रक्षमाणा | नमस्वन्ता | धृत-दक्षा | अधि | गर्ते | मित्र | आसाथेइति | वरुण | इऌआसु | अन्तरिति // ऋ. वे. ५,६२.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ४:३/३१-
अक्रवि-हस्ता | सु-कृते | परः-पा | यम् | त्रासाथे | वरुणा | इलासु | अन्तरिति | राजाना | क्षत्रम् | अहृणीयमाना | सहस्र-स्थूणम् | बिभृथः | सह | द्वौ // ऋ. वे. ५,६२.६ //
हिरण्य-निर्निक् | अयः | अस्य | स्थूणा | वि | भ्राजते | दिवि | अश्वाजनी-इव | भद्रे | क्षेत्रे | नि-मिता | तल्विले | वा | सनेम | मध्वः | अधि-गर्य्तस्य // ऋ. वे. ५,६२.७ //
हिरण्य-रूपम् | उषसः | वि-उष्टौ | अयः-स्थूणम् | उत्-इता | सूर्यस्य | आ | रोहथः | वरुण | मित्र | गर्तम् | अतः | चक्षाथेइति | अदितिम् | दितिम् | च // ऋ. वे. ५,६२.८ //
यत् | बंहिष्ठम् | न | अति-विधे | सुदानूइतिसु-दानू | अच्छिद्रम् | शर्म | भुवनस्य | गोपा | तेन | नः | मित्रावरुणौ | अविष्टम् | सिसासन्तः | जिगीवांसः | स्याम // ऋ. वे. ५,६२.९ //
//३१//.




-ऋ. वे. ४:४/१-
(ऋ. वे. ५,६३)
ऋतस्य | गोपौ | अधि | तिष्ठथः | रथम् | सत्य-धर्माणा | परमे | वि-ओमनि | यम् | अत्र | मित्रावरुणा | अवथः | युवम् | तस्मै | वृष्टिः | मधु-मत् | पिन्वते | दिवः // ऋ. वे. ५,६३.१ //
सम्-राजौ | अस्य | भुवनस्य | राजथः | मित्रावरुणा | विदथे | स्वः-दृशा | वृष्टिम् | वाम् | राधः | अमृत-त्वम् | ईमहे | द्यावापृथिवी इति | वि | चरन्ति | तन्यवः // ऋ. वे. ५,६३.२ //
सम्-राजौ | उग्रा | वृषभा | दिवः | पतीइति | पृथिव्याः | मित्रावरुणा | विचर्षणी इतिवि-चर्षणी | चित्रेभिः | अभ्रैः | उप | तिष्ठथः | रवम् | द्याम् | वर्षयथः | असुरस्य | मायया // ऋ. वे. ५,६३.३ //
माया | वाम् | मित्रावरुणा | दिवि | श्रिता | सूर्यः | ज्योतिः | चरति | चित्रम् | आयुधम् | तम् | अभ्रेण | वृष्ट्या | गूहथः | दिवि | पर्जन्य | द्रप्सा | मधु-मन्तः | ईरते // ऋ. वे. ५,६३.४ //
रथम् | युञ्जते | मरुतः | शुभे | सुखम् | शूरः | न | मित्रावरुणा | गो--इष्टिषु | रजांसि | चित्रा | वि | चरन्ति | तन्यवः | दिवः | सम्-राजा | पयसा | नः | उक्षतम् // ऋ. वे. ५,६३.५ //
वाचम् | सु | मित्रावरुणौ | इरावतीम् | पर्जन्यः | चित्राम् | वदति | त्विषि-मतीम् | अभ्रा | वसत | मरुतः | सु | मायया | द्याम् | वर्षयतम् | अरुणाम् | अरेपसम् // ऋ. वे. ५,६३.६ //
धर्मणा | मित्रावरुणा | विपः-चिता | व्रता | रक्षेथेइति | असुरस्य | मायया | ऋतेन | विश्वम् | भुवनम् | वि | राजथः | सूर्यम् | आ | धत्थः | दिवि | चित्र्यम् | रथम् // ऋ. वे. ५,६३.७ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:४/२-
(ऋ. वे. ५,६४)
वरुणम् | वः | रिशादसम् | ऋचा | मित्रम् | हवामहे | परि | व्रजाइव | बाह्वोः | जगन्वांसा | स्वः-नरम् // ऋ. वे. ५,६४.१ //
ता | बाहवा | सु-चेतुना | प्र | यन्तम् | अस्मै | अर्चते | शेवम् | हि | जार्यम् | वाम् | वि श्वासु | क्षासु | जोगुवे // ऋ. वे. ५,६४.२ //
यत् | नूनम् | अश्याम् | गतिम् | मित्रस्य | यायाम् | पथा | अस्य | प्रियस्य | शर्मण् इ | अहिंसानस्य | सश्चिरे // ऋ. वे. ५,६४.३ //
युवाभ्याम् | मित्रावरुणा | उप-मम् | धेयाम् | ऋचा | यत् | ह | क्षये | मघोनाम् | स्तोतॄणाम् | च | स्पूर्धसे // ऋ. वे. ५,६४.४ //
आ | नः | मित्र | सुदीति-भिः | वरुणः | च | सध-स्थे | आ | स्वे | क्षये | मघोनाम् | सखीनाम् | च | वृधसे // ऋ. वे. ५,६४.५ //
युवम् | नः | येषु | वरुणा | क्षत्रम् | बृहत् | च | बिभृथः | उरु | नः | वाज-सातये | कृतम् | राये | स्वस्तये // ऋ. वे. ५,६४.६ //
उच्छन्त्याम् | मे | यजता | देव-क्षत्रे | रुशत्-गवि | सुतम् | सोमम् | न | हस्ति-भि ः | आ | पट्-भिः | धावतम् | नरा | बिभ्रतौ | अर्चनानसम् // ऋ. वे. ५,६४.७ //
//२//.

-ऋ. वे. ४:४/३-
(ऋ. वे. ५,६५)
यः | चिकेत | सः | सु-क्रतुः | देव-त्रा | सः | ब्रवीतु | नः | वरुणः | यस्य | दर्शतः | मित्रः | वा | वनते | गिरः // ऋ. वे. ५,६५.१ //
ता | हि | श्रेष्ठ-वर्चसा | राजाना | दीर्घश्रुत्-तमा | ता | सत्पती इतिसत्-पती | ऋत-वृधा | ऋत-वाना | जने--जने // ऋ. वे. ५,६५.२ //
ता | वाम् | इयानः | अवसे | पूर्वौ | उप | ब्रुवे | सचा | सु-अश्वासः | सु | चेतुना | वाजान् | अभि | प्र | दावने // ऋ. वे. ५,६५.३ //
मित्रः | अंहोः | चित् | आत् | उरु | क्षयाय | गातुम् | वनते | मित्रस्य | हि | प्र-तूवर्तः | सु-मतिः | अस्ति | विधतः // ऋ. वे. ५,६५.४ //
वयम् | मित्रस्य | अवसि | स्याम | सप्रथः-तमे | अनेहसः | त्वाऊतयः | सत्रा | वरुण-शेषसः // ऋ. वे. ५,६५.५ //
युवम् | मित्रा | इमम् | जनम् | यतथः | सम् | च | नयथः | मा | मघोनः | पर् इ | ख्यतम् | मो इति | अस्माकम् | ऋषीणाम् | गो--पीथे | नः | उरुष्यतम् // ऋ. वे. ५,६५.६ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:४/४-
(ऋ. वे. ५,६६)
आ | चिकितान | सुक्रतूइतिसु-क्रतू | देवौ | मर्त | रिशादसा | वरुणाय | ऋत-पेशसे | दधीत | प्रयसे महे // ऋ. वे. ५,६६.१ //
ता | हि | क्षत्रम् | अवि-ह्रुतम् | सम्यक् | असुर्यम् | आशातेइति | अध | व्रताइव | मानुषम् | स्वः | न | धायि | दर्शतम् // ऋ. वे. ५,६६.२ //
ता | वाम् | एषे | रथानाम् | उर्वीम् | गव्यूतिम् | एषाम् | रात-हव्यस्य | सु-स्तुतिम् | दधृक् | स्तोमैः | मनामहे // ऋ. वे. ५,६६.३ //
अध | हि | काव्या | युवम् | दक्षस्य | पूः-भिः | अद्भुता | नि | केतुना | जनानाम् | चिकेथेइति | पूत-दक्षसा // ऋ. वे. ५,६६.४ //
तत् | ऋतम् | पृथिवि | बृहत् | श्रवः-एषे | ऋषीणाम् | ज्रयसानौ | अरम् | पृथु | अति | क्षरन्ति | याम-भिः // ऋ. वे. ५,६६.५ //
आ | यत् | वाम् | ईय-चक्षसा | मित्रा | वयम् | च | सूरयः | व्यचिष्ठे | बहु-पाय्ये | यतेमहि | स्व-राज्ये // ऋ. वे. ५,६६.६ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:४/५-
(ऋ. वे. ५,६७)
बट् | इत्था | देव | निः-कृतम् | आदित्या | यजतम् | बृहत् | वरुण | मित्र | अर्यमन् | वर्षिष्ठम् | क्षत्रम् | आशाथेइति // ऋ. वे. ५,६७.१ //
आ | यत् | योनिम् | हिरण्ययम् | वरुण | मित्र | सदथः | धर्तारा | चर्षणीनाम् | यन्तम् | सुम्नम् | रिशादसा // ऋ. वे. ५,६७.२ //
विश्वे | हि | विश्व-वेदसः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | व्रता | पदाइव | सश्चिरे | पान्ति | मर्त्यम् | रिषः // ऋ. वे. ५,६७.३ //
ते | हि | सत्याः | ऋत-स्पृशः | ऋत-वानः | जने--जने | सु-नीथासः | सु-दानवः | अंहोः | चित् | उरु-चक्रयः // ऋ. वे. ५,६७.४ //
कः | नु | वाम् | मित्र | अस्तुतः | वरुणः | वा | तनूनाम् | तत् | सु | वाम् | आ | ईषते | मतिः | अत्रि-भ्यः | आ | ईषते | मतिः // ऋ. वे. ५,६७.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:४/६-
(ऋ. वे. ५,६८)
प्र | वः | मित्राय | गायत | वरुणाय | विपा | गिरा | महि-क्षत्रौ | ऋतम् | बृहत् // ऋ. वे. ५,६८.१ //
सम्-राजा | या | घृतयोनी इतिघृत-योनी | मित्रः | च | उभा | वरुणः | च | देवा | देवेषु | प्र-शस्ता // ऋ. वे. ५,६८.२ //
ता | नः | शक्तम् | पार्थिवस्य | महः | रायः | दिव्यस्य | महि | वाम् | क्षत्रम् | देवेषु // ऋ. वे. ५,६८.३ //
ऋतम् | ऋतेन | सपन्ता | इषिरम् | दक्षम् | आशातेइति | अद्रुहा | देवौ | वर्धेतेइति // ऋ. वे. ५,६८.४ //
वृष्टि-द्यावा | रीति-आपा | इषः | पती इति | दानु-मत्याः | बृहन्तम् | गर्तम् | आशातेइति // ऋ. वे. ५,६८.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:४/७-
(ऋ. वे. ५,६९)
त्री | रोचना | वरुण | त्रीन् | उत | द्यून् | त्रीणि | मित्र | धारयथः | रजांसि | ववृधानौ | अमतिम् | क्षत्रियस्य | अनु | व्रतम् | रक्षमाणौ | अजुर्यम् // ऋ. वे. ५,६९.१ //
इरावतीः | वरुण | धेनवः | वाम् | मधु-मत् | वाम् | सिन्धवः | मित्र | दुह्रे | त्रयः | तस्थुः | वृषभासः | तिसॄणाम् | धिषणानाम् | रेतः-धाः | वि | द्यु-मन्तः // ऋ. वे. ५,६९.२ //
प्रातः | देवीम् | अदितिम् | जोहवीमि | मध्यन्दिने | उत्-इता | सूर्यस्य | राये | मित्रावरुणा | सर्व-ताता | ईऌए | तोकाय | तनयाय | शम् | योः // ऋ. वे. ५,६९.३ //
या | धर्तारा | रजसः | रोचनस्य | उत | आदित्या | दिव्या | पार्थिवस्य | न | वाम् | देवाः | अमृताः | आ | मिनन्ति | व्रतानि | मित्रावरुणा | ध्रुवाणि // ऋ. वे. ५,६९.४ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:४/८-
(ऋ. वे. ५,७०)
पुरु-उरुणा | चित् | हि | अस्ति | अवः | नूनम् | वाम् | वरुण | मित्र | वंसि | वाम् | सु-मतिम् // ऋ. वे. ५,७०.१ //
ता | वाम् | सम्यक् | अद्रुह्वाणा | इषम् | अश्याम | धायसे | वयम् | ते | रुद्रा | स्याम // ऋ. वे. ५,७०.२ //
पातम् | नः | रुद्रा | पायु-भिः | उत | त्रायेथाम् | सु-त्रात्रा | तुर्याम | दस्यून् | तनू-भिः // ऋ. वे. ५,७०.३ //
मा | कस्य | अद्भुतक्रतूइत्य् अद्भुत-क्रतू | यक्षम् | भुजेम | तनूभिः | मा | शेषसा | मा | तनसा // ऋ. वे. ५,७०.४ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:४/९-
(ऋ. वे. ५,७१)
आ | नः | गन्तम् | रिशादसा | वरुण | मित्र | बर्हणा | उप | इमम् | चारुम् | अध्वरम् // ऋ. वे. ५,७१.१ //
विश्वस्य | हि | प्र-चेतसा | वरुण | मित्र | राजथः | ईशाना | पिप्यतम् | धियः // ऋ. वे. ५,७१.२ //
उप | नः | सुतम् | आ | गतम् | वरुण | मित्र | दाशुषः | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ५,७१.३ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:४/१०-
(ऋ. वे. ५,७२)
आ | मित्रे | वरुणे | वयम् | गीः-भिः | जुहुमः | अत्रि-वत् | नि | बर्हिषि | सदतम् | सोम-पीतये // ऋ. वे. ५,७२.१ //
व्रतेन | स्थः | ध्रुव-क्षेमा | धर्मणा | यातयत्-जना | नि | बर्हिषि | सदतम् | सोम-पीतये // ऋ. वे. ५,७२.२ //
मित्रः | च | नः | वरुणः | च | जुषेताम् | यज्ञम् | इष्टये | नि | बर्हिषि | सदतम् | सोम-पीतये // ऋ. वे. ५,७२.३ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:४/११-
(ऋ. वे. ५,७३)
यत् | अद्य | स्थः | पारावति | यत् | आर्वावति | अश्विना | यत् | वा | पुरु | पुरु-भुजा | यत् | अन्तरिक्षे | आ | गतम् // ऋ. वे. ५,७३.१ //
इह | त्या | पुरु-भूतमा | पुरु | दंसांसि | बिभ्रता | वरस्या | यामि | अध्रिगूइत्य् अध्रि-गू | हुवे | तुविः-तमा | भुजे // ऋ. वे. ५,७३.२ //
ईर्मा | अन्यत् | वपुषे | वपुः | चक्रम् | रथस्य | येमथुः | परि | अन्या | नाहुषा | युगा | मह्ना | रजांसि | दीयथः // ऋ. वे. ५,७३.३ //
तत् | ॐ इति | सु | वाम् | एना | कृतम् | विश्वा | यत् | वाम् | अनु | स्तवे | नाना | जातौ | अरेपसा | सम् | अस्मे इति | बन्धुम् | आ | ईयथुः // ऋ. वे. ५,७३.४ //
आ | यत् | वाम् | सूर्या | रथम् | तिष्ठत् | रघु-स्यदम् | सदा | परि | वाम् | अरुषाः | वयः | घृणा | वरन्ते | आतपः // ऋ. वे. ५,७३.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:४/१२-
युवोः | अत्रिः | चिकेतति | नरा | सुम्नेन | चेतसा | घर्मम् | यत् | वाम् | अरेपसम् | नासत्या | आस्ना | भुरण्यति // ऋ. वे. ५,७३.६ //
उग्रः | वाम् | ककुहः | ययिः | शृण्वे | यामेषु | सम्-तनिः | यत् | वाम् | दंसः-भिः | अश्विना | अत्रिः | नरा | आववर्तति // ऋ. वे. ५,७३.७ //
मध्वः | ॐ इति | सु | मधु-युवा | रुद्रा | सिसक्ति | पिप्युषी | यत् | समुद्रा | अति | पर्षथः | पक्वाः | पृक्षः | भरन्त | वाम् // ऋ. वे. ५,७३.८ //
सत्यम् | इत् | वै | ॐ इति | अश्विना | युवाम् | आहुः | मयः-भुवा | ता | यामन् | याम-हूतमा | यामन् | आ | मृऌअयत्-तमा // ऋ. वे. ५,७३.९ //
इमा | ब्रह्माणि | वर्धना | अश्वि-भ्याम् | सन्तु | शम्-तमा | या | तक्षाम | रथान्-इव | अवोचाम | बृहत् | नमः // ऋ. वे. ५,७३.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:४/१३-
(ऋ. वे. ५,७४)
कू-स्थः | देवौ | अश्विना | अद्य | दिवः | मनावसूइति | तत् | श्रवथः | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | अत्रिः | वाम् | आ | विवासति // ऋ. वे. ५,७४.१ //
कुह | त्या | कुह | नु | श्रुता | दिवि | देवा | नासत्या | कस्मिन् | आ | यतथः | जने | कः | वाम् | नदीनाम् | सचा // ऋ. वे. ५,७४.२ //
कम् | याथः | कम् | ह | गच्छथः | कम् | अच्छ | युञ्जाथेइति | रथम् | कस्य | ब्रह्माणि | रण्यथः | वयम् | वाम् | उश्मसि | इष्टये // ऋ. वे. ५,७४.३ //
पौरम् | चित् | हि | उद-प्रुतम् | पौर | पौराय | जिन्वथः | यत् | ईम् | गृभीत-तातये | सिंहम्-इव | द्रुहः | पदे // ऋ. वे. ५,७४.४ //
प्र | च्यवानात् | जुजुरुषः | वव्रिम् | अत्कम् | न | मुञ्चथः | युवा | यदि | कृथः | पुनः | आ | कामम् | ऋण्वे | वध्वः // ऋ. वे. ५,७४.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:४/१४-
अस्ति | हि | वाम् | इह | स्तोता | स्मसि | वाम् | सम्-दृशि | शृइये | नु | श्रुतम् | मे | आ | गतम् | अवः-भिः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू // ऋ. वे. ५,७४.६ //
कः | वाम् | अद्य | पुरूणाम् | आ | वव्ने | मर्त्यानाम् | कः | विप्रः | विप्र-वाहसा | कः | यज्ञैः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू // ऋ. वे. ५,७४.७ //
आ | वाम् | रथः | रथानाम् | येष्ठः | यातु | अश्विना | पुरु | चित् | अस्म-युः | तिरः | आङ्गूषः | मर्त्येषु | आ // ऋ. वे. ५,७४.८ //
शम् | ॐ इति | सु | वाम् | मधु-युवा | अस्माकम् | अस्तु | चर्कृतिः | अर्वाचीना | वि-चेतसा | वि-भ् इः | श्येनाइव | दीयतम् // ऋ. वे. ५,७४.९ //
अश्विना | यत् | ह | कर्हि | चित् | शुश्रुयातम् | इमम् | हवम् | वस्वीः | ॐ इति | सु | वाम् | भुजः | पृञ्चन्ति | सु | वाम् | पृचः // ऋ. वे. ५,७४.१० //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:४/१५-
(ऋ. वे. ५,७५)
प्रति | प्रिय-तमम् | रथम् | वृषणम् | वसु-वाहनम् | स्तोता | वाम् | अश्विनौ | ऋषिः | स्तोमेन | प्रति | भूषति | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.१ //
अति-आयातम् | अश्विना | तिरः | विश्वाः | अहम् | सना | दस्रा | हिरण्य-वर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | सु-सुम्ना | सिन्धु-वाहसा | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.२ //
आ | नः | रत्नानि | बिभ्रतौ | अश्विना | गच्छतम् | युवम् | रुद्रा | हिरण्य-वर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | जुषाणा | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.३ //
सु-स्तुभः | वाम् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | रथे | वाणीची | आहिता | उत | वाम् | ककुहः | मृगः | पृक्षः | कृणोति | वापुषः | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.४ //
बोधित्-मनसा | रथ्या | इषिरा | हवन-श्रुता | वि-भिः | च्यवानम् | अश्विना | नि | याथः | अद्वयाविनम् | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:४/१६-
आ | वाम् | नरा | मनः-युजः | अश्वासः | प्रुषित-प्सवः | वयः | वहन्तु | पीतये | सह | सुम्नेभिः | अश्विना | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.६ //
अश्विनौ | आ | इह | गच्छतम् | नासत्या | मा | वि | वेनतम् | तिरः | चित् | अर्य-या | परि | वर्तिः | यातम् | अदाभ्या | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.७ //
अस्मिन् | यज्ञे | अदाभ्या | जरितारम् | शुभः | पती इति | अवस्युम् | अश्विना | युवम् | गृणन्तम् | उप | भूषथः | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.८ //
अभूत् | उषा | रुशत्-पशुः | आ | अग्निः | अधायि | ऋत्वियः | अयोजि | वाम् | वृषण्वसूइत् इवृषण्-वसू | रथः | दस्रौ | अमर्त्यः | माध्वी इति | मम | श्रुतम् | हवम् // ऋ. वे. ५,७५.९ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:४/१७-
(ऋ. वे. ५,७६)
आ | भाति | अग्निः | उषसाम् | अनीकम् | उत् | विप्राणाम् | देव-याः | वाचः | अस्थुः | अर्वाञ्चा | नूनम् | रथ्या | इह | यातम् | पीपि-वांसम् | अश्विना | घर्मम् | अच्छ // ऋ. वे. ५,७६.१ //
न | संस्कृतम् | प्र | मिमीतः | गमिष्ठा | अन्ति | नूनम् | अश्विना | उप-स्तुता | इह | दिवा | अभि-पित्वे | अवसा | आगमिष्ठा | प्रति | अवर्तिम् | दाशुषे | शम्-भविष्ठा // ऋ. वे. ५,७६.२ //
उत | आ | यातम् | सम्-गवे | प्रातः | अह्नः | मध्यन्दिने | उत्-इता | सूर्यस्य | दिवा | नक्तम् | अवसा | शम्-तमेन | न | इदानीम् | पीतिः | अश्विना | आ | ततान // ऋ. वे. ५,७६.३ //
इदम् | हि | वाम् | प्र-दिवि | स्थानम् | ओकः | इमे | गृहाः | अश्विना | इदम् | दुरोणम् | आ | नः | दिवः | बृहतः | पर्वतात् | आ | अत्-भ्यः | यातम् | इषम् | ऊर्जम् | वहन्ता // ऋ. वे. ५,७६.४ //
सम् | अश्विनोः | अवसा | नूतनेन | मयः-भुवा | सु-प्रनीती | गमेम | आ | नः | रयिम् | वहतम् | आ | उत | वीरान् | आ | विश्वानि | अमृता | सौभगानि // ऋ. वे. ५,७६.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:४/१८-
(ऋ. वे. ५,७७)
प्रातः-यावाना | प्रथमा | यजध्वम् | पुरा | गृध्रात् | अररुषः | पिबातः | प्रातः | हि | यज्ञम् | अश्विना | दधातेइति | प्र | शंसन्ति | कवयः | पूर्व-भाजः // ऋ. वे. ५,७७.१ //
प्रातः | यजध्वम् | अश्विना | हिनोत | न | सायम् | अस्ति | देव-याः | अजुष्टम् | उत | अन्यः | अस्मत् | यजते | वि | च | आवः | पूर्वः-पूर्वः | यजमानः | वनीयान् // ऋ. वे. ५,७७.२ //
हिरण्य-त्वक् | मधु-वर्णः | घृत-स्नुः | पृक्षः | वहन् | आ | रथः | वतर्ते | वाम् | मनः-जवाः | अश्विना | वात-रंहाः | येन | अति-याथः | दुः-रितानि | विश्वा // ऋ. वे. ५,७७.३ //
यः | भूयिष्ठम् | नासत्याभ्याम् | विवेष | चनिष्ठम् | पित्वः | ररते | वि-भागे | सः | तोकम् | अस्य | पीपरत् | शमीभिः | अनूर्ध्व-भासः | सदम् | इत् | तुतुर्यात् // ऋ. वे. ५,७७.४ //
सम् | अश्विनोः | अवसा | नूतनेन | मयः-भुवा | सु-प्रनीती | गमेम | आ | नः | रयिम् | वहतम् | आ | उत | वीरान् | आ | विश्वानि | अमृता | सौभगानि // ऋ. वे. ५,७७.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:४/१९-
(ऋ. वे. ५,७८)
अश्विनौ | आ | इह | गच्छतम् | नासत्या | मा | वि | वेनतम् | हंसौ-इव | पततम् | आ | सुतान् | उप // ऋ. वे. ५,७८.१ //
अश्विना | हरिणौ-इव | गौरौ-इव | अनु | यवसम् | हंसौ-इव | पततम् | आ | सुतान् | उप // ऋ. वे. ५,७८.२ //
अश्विना | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | जुषेथाम् | यज्ञम् | इष्टये | हंसौ-इव | पततम् | आ | सुतान् | उप // ऋ. वे. ५,७८.३ //
अत्रिः | यत् | वाम् | अव-रोहन् | ऋबीसम् | अजोहवीत् | नाधमानाइव | योषा | श्येनस्य | चित् | जवसा | नूतनेन | आ | अगच्छतम् | अश्विना | शम्-तमेन // ऋ. वे. ५,७८.४ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:४/२०-
वि | जिहीष्व | वनस्पते | योनिः | सूष्यन्त्याः-इव | श्रुतम् | मे | अश्विना | हवम् | सप्त-वध्रिम् | च | मुञ्चतम् // ऋ. वे. ५,७८.५ //
भीताय | नाधमानाय | ऋषये | सप्त-वध्रये | मायाभिः | अश्विना | युवम् | वृक्षम् | सम् | च | वि | च | अचथः // ऋ. वे. ५,७८.६ //
यथा | वातः | पुष्करिणीम् | सम्-इङ्गयति | सर्वतः | एव | ते | गर्भः | एजतु | निः-ऐतु | दश-मास्यः // ऋ. वे. ५,७८.७ //
यथा | वातः | यथा | वनम् | यथा | समुद्रः | एजति | एव | त्वम् | दश-मास्य | सह | अव | इहि | जरायुणा // ऋ. वे. ५,७८.८ //
दश | मासान् | शशयानः | कुमारः | अधि | मातरि | निः-ऐतु | जीवः | अक्षतः | जीवः | जीवन्त्या | अधि // ऋ. वे. ५,७८.९ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:४/२१-
(ऋ. वे. ५,७९)
महे | नः | अद्य | बोधय | उषः | राये | दिवित्मती | यथा | चित् | नः | अबोधयः | सत्य-श्रवसि | वाय्ये | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.१ //
या | सु-नीथे | शौचत्-रथे | वि | औच्छः | दुहितः | दिवः | सा | वि | उच्छ | सहीयसि | सत्य-श्रवसि | वाय्ये | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.२ //
सा | नः | अद्य | आभरत्-वसुः | वि | उच्छ | दुहितः | दिवः | यो इति | वि | औच्छः | सहीयसि | सत्य-श्रवसि | वाय्ये | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.३ //
अभि | ये | त्वा | विभावरि | स्तोमैः | गृणन्ति | वह्नयः | मघैः | मघोनि | सु-श्रियः | दामन्-वन्तः | सु-रातयः | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.४ //
यत् | चित् | हि | ते | गणाः | इमे | छदयन्ति | मघत्तये | परि | चित् | वष्टयः | दधुः | ददतः | राधः | अह्रयम् | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:४/२२-
आ | एषु | धाः | वीर-वत् | यशः | उषः | मघोनि | सूरिषु | ये | नः | राधांसि | अह्रया | मघ-वानः | अरासत | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.६ //
तेभ्यः | द्युम्नम् | बृहत् | यशः | उषः | मघोनि | आ | वह | ये | नः | राधांसि | अश्व्या | गव्या | भजन्त | सूरयः | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.७ //
उत | नः | गो--मतीः | इषः | आ | वह | दुहितः | दिवः | साकम् | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | शुक्रैः | शोचत्-भिः | अर्चि-भिः | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.८ //
वि | उच्छ | दुहितः | दिवः | मा | चिरम् | तनुथाः | अपः | न | इत् | त्वा | स्तेनम् | यथा | रिपुम् | तपाति | सूरः | अर्चिषा | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.९ //
एतावत् | वा | ओत् | उषः | त्वम् | भूयः | वा | दातुम् | अर्हसि | या | स्तोतृ-भ्यः | विभावरि | उच्छन्ती | न | प्र-मीयसे | सु-जाते | अश्व-सूनृते // ऋ. वे. ५,७९.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:४/२३-
(ऋ. वे. ५,८०)
द्युत-द्यामानम् | बृहतीम् | ऋतेन | ऋत-वरीम् | अरुण-प्सुम् | वि-भातीम् | देवीम् | उषसम् | स्वः | आवहन्तीम् | प्रति | विप्रासः | मति-भिः | जरन्ते // ऋ. वे. ५,८०.१ //
एषा | जनम् | दर्शता | बोधयन्ती | सु-मान् | पथः | कृण्वती | याति | अग्रे | बृहत्-रथा | बृहती | विश्वम्-इन्वा | उषाः | ज्योतिः | यच्छति | अग्रे | अह्नाम् // ऋ. वे. ५,८०.२ //
एषा | गोभिः | अरुणेभिः | युजाना | अस्रेधन्ती | रयिम् | अप्र-आयु | चक्रे | पथः | रदन्ती | सुविताय | पुरु-स्तुता | विश्व-वारा | वि | भाति // ऋ. वे. ५,८०.३ //
एषा | वि-एनी | भवति | द्वि-बर्हाः | आविः-कृण्वाना | तन्वम् | पुरस्तात् | ऋतस्य | पन्थाम् | अनु | एति | साधु | प्र-जानती-इव | न | दिशः | मिनाति // ऋ. वे. ५,८०.४ //
एषा | शुभ्रा | न | तन्वः | विदाना | ऊर्ध्वाइव | स्नाती | दृशये | नः | अस्थात् | अप | द्वेषः | बाधमाना | तमांसि | उषाः | दिवः | दुहिता | ज्योतिषा | आ | अगात् // ऋ. वे. ५,८०.५ //
एषा | प्रतीची | दुहिता | दिवः | नॄन् | योषाइव | भद्रा | नि | रिणीते | अप्सः | वि-ऊर्ण्वती | दाशुषे | वार्याणि | पुनः | ज्योतिः | युवतिः | पूर्व-था | अकर् इत्य् अकः // ऋ. वे. ५,८०.६ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:४/२४-
(ऋ. वे. ५,८१)
युञ्जते | मनः | उत | युञ्जते | धियः | विप्राः | विप्रस्य | बृहतः | विपः-चितः | वि | होत्राः | दधे | वयुन-वित् | एकः | इत् | मही | देवस्य | सवितुः | परि-स्तुतिः // ऋ. वे. ५,८१.१ //
विश्वा | रूपाणि | प्रति | मुञ्चते | कविः | प्र | असावीत् | भद्रम् | द्वि-पदे | चतुः-पदे | वि | नाकम् | अख्यत् | सविता | वरेण्यः | अनु | प्र-यानम् | उषसः | वि | राजति // ऋ. वे. ५,८१.२ //
यस्य | प्र-यामम् | अनु | अन्ये | इत् | ययुः | देवाः | देवस्य | महिमानम् | ओजसा | यः | पार्थिवानि | वि-ममे | सः | एतशः | रजांसि | देवः | सविता | महि-त्वना // ऋ. वे. ५,८१.३ //
उत | यासि | सवितरिति | त्रीणि | रोचना | उत | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | सम् | उच्यस् इ | उत | रात्रीम् | उभयतः | परि | ईयसे | उत | मित्रः | भवसि | देव | धर्म-भिः // ऋ. वे. ५,८१.४ //
उत | ईशिषे | प्र-सवस्य | त्वम् | एकः | इत् | उत | पूषा | भवसि | देव | याम-भिः | उत | इदम् | विश्वम् | भुवनम् | वि | राजसि | श्याव-अश्वः | ते | सवितरिति | स्तोमम् | आनशे // ऋ. वे. ५,८१.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:४/२५-
(ऋ. वे. ५,८२)
तत् | सवितुः | वृणीमहे | वयम् | देवस्य | भोजनम् | श्रेष्ठम् | सर्व-धातमम् | तुरम् | भगस्य | धीमहि // ऋ. वे. ५,८२.१ //
अस्य | हि | स्वयशः-तरम् | सवितुः | कत् | चन | प्रियम् | न | मिनन्ति | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. ५,८२.२ //
सः | हि | रत्नानि | दाशुषे | सुवाति | सविता | भगः | तम् | भागम् | चित्रम् | ईमहे // ऋ. वे. ५,८२.३ //
अद्य | नः | देव | सवितरिति | प्रजावत् | सावीः | सौभगम् | परा | दुः-स्वप्न्यम् | सुव // ऋ. वे. ५,८२.४ //
विश्वानि | देव | सवितः | दुः-इतानि | परा | सुव | यत् | भद्रम् | तत् | नः | आ | सुव // ऋ. वे. ५,८२.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:४/२६-
अनागसः | अदितये | देवस्य | सवितुः | सवे | विश्वा | वामानि | धीमहि // ऋ. वे. ५,८२.६ //
आ | विश्व-देवम् | सत्-पतिम् | सु-उक्तैः | अद्य | वृणीमहे | सत्य-सवम् | सवितारम् // ऋ. वे. ५,८२.७ //
यः | इमे इति | उभे इति | अहनी इति | पुरः | एति | अप्र-युच्छन् | सु-आधीः | देवः | सविता // ऋ. वे. ५,८२.८ //
यः | इमा | विश्वा | जातानि | आश्रावयति | श्लोकेन | प्र | च | सुवाति | सविता // ऋ. वे. ५,८२.९ //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:४/२७-
(ऋ. वे. ५,८३)
अच्छ | वद | तवसम् | गीः-भिः | आभिः | स्तुहि | पर्जन्यम् | नमसा | विवास | कनिक्रदत् | वृषभः | जीर-दानुः | रेतः | दधाति | ओषधीषु | गर्भम् // ऋ. वे. ५,८३.१ //
वि | वृक्षान् | हन्ति | उत | हन्ति | रक्षसः | विश्वम् | बिभाय | भुवनम् | महावधात् | उत | अनागाः | ईषते | वृष्ण्य-वतः | यत् | पर्जन्यः | स्तनयन् | हन्ति | दुः-कृतः // ऋ. वे. ५,८३.२ //
रथी-इव | कशया | अश्वान् | अभि-क्षिपन् | आविः | दूतान् | कृणुते | वर्ष्यान् | अह | दूरात् | सिंहस्य | स्तनथाः | उत् | ईरते | यत् | पर्जन्यः | कृणुते | वर्ष्यम् | नभः // ऋ. वे. ५,८३.३ //
प्र | वाताः | वान्ति | पतयन्ति | वि-द्युतः | उत् | ओषधीः | जिहते | पिन्वते | स्वः | इरा | विश्वस्मै | भुवनाय | जायते | यत् | पर्जन्यः | पृथिवीम् | रेतसा | अवति // ऋ. वे. ५,८३.४ //
यस्य | व्रते | पृथिवी | नन्नमीति | यस्य | व्रते | शफ-वत् | जर्भुरीति | यस्य | व्रते | ओषधीः | विश्व-रूपाः | सः | नः | पर्जन्य | महि | शर्म | यच्छ // ऋ. वे. ५,८३.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:४/२८-
दिवः | नः | वृष्टिम् | मरुतः | ररीध्वम् | प्र | पिन्वत | वृष्णः | अश्वस्य | धाराः | अर्वाङ् | एतेन | स्तनयित्नुना | आ | इहि | अपः | नि-सिञ्चन् | असुरः | प् इता | नाः // ऋ. वे. ५,८३.६ //
अभि | क्रन्द | स्तनय | गर्भम् | आ | धाः | उदन्-वता | परि | दीय | रथेन | दृतिम् | सु | कर्ष | वि-सितम् | न्यञ्चम् | समाः | भवन्तु | उत्-वतः | नि-पादाः // ऋ. वे. ५,८३.७ //
महान्तम् | कोशम् | उत् | अच | नि | सिञ्च | स्यन्दन्ताम् | कुल्याः | वि-सिताः | पुरस्तात् | घृतेन | द्यावापृथिवी इति | वि | उन्धि | सु-प्रपानम् | भवतु | अघ्न्याभ्यः // ऋ. वे. ५,८३.८ //
यत् | पर्जन्य | कनिक्रदत् | स्तनयन् | हंसि | दुः-कृतः | प्रति | इदम् | विश्वम् | मोदते | यत् | किम् | च | पृथिव्याम् | अधि // ऋ. वे. ५,८३.९ //
अवर्षीः | वर्षम् | उत् | ॐ
इति | सु | गृभाय | अकः | धन्वानि | अति-एतवै | ॐ इति | अजीजनः | ओषधीः | भोजनाय | कम् | उत | प्र-जाभ्यः | अविदः | मनीषाम् // ऋ. वे. ५,८३.१० //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:४/२९-
(ऋ. वे. ५,८४)
बट् | इत्था | पर्वतानाम् | खिद्रम् | बिभर्षि | पृथिवि | प्र | या | भूमिम् | प्रवत्वति | मह्ना | जिनोषि | महिनि // ऋ. वे. ५,८४.१ //
स्तोमासः | त्वा | वि-चारिणि | प्रति | स्तोभन्ति | अक्तु-भिः | प्र | या | वाजम् | न | हेषन्तम् | पेरुम् | अस्यसि | अर्जुनि // ऋ. वे. ५,८४.२ //
दृऌहा | चित् | या | वनस्पतीन् | क्ष्मया | दर्धर्षि | ओजसा | यत् | ते | अभ्रस्य | वि-द्युतः | दिवः | वर्षन्ति | वृष्टयः // ऋ. वे. ५,८४.३ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:४/३०-
(ऋ. वे. ५,८५)
प्र | सम्-राजे | बृहत् | अर्च | गभीरम् | ब्रह्म | प्रियम् | वरुणाय | श्रुताय | वि | यः | जघान | शमिताइव | चर्म | उप-स्तिरे | पृथिवीम् | सूर्याय // ऋ. वे. ५,८५.१ //
वनेषु | वि | अन्तरिक्षम् | ततान | वाजम् | अर्वत्-सु | पयः | उस्रियासु | हृत्-सु | क्रतुम् | वरुणः | अप्-सु | अग्निम् | दिवि | सूर्यम् | अदधात् | सोमम् | अद्रौ // ऋ. वे. ५,८५.२ //
नीचीन-बारम् | वरुणः | कवन्धम् | प्र | ससर्ज | रोदसी इति | अन्तरिक्षम् | तेन | विश्वस्य | भुवनस्य | राजा | यवम् | न | वृष्टिः | वि | उनत्ति | भूम // ऋ. वे. ५,८५.३ //
उनत्ति | भूमिम् | पृथिवीम् | उत | द्याम् | यदा | दुग्धम् | वरुणः | वष्टि | आत् | इत् | सम् | अभ्रेण | वसत | पर्वतासः | तविषी-यन्तः | श्रथयन्त | वीराः // ऋ. वे. ५,८५.४ //
इमाम् | ॐ इति | सु | आसुरस्य | श्रुतस्य | महीम् | मायाम् | वरुणस्य | प्र | वोचम् | मानेन-इव | तस्थि-वान् | अन्तरिक्षे | वि | यः | ममे | पृथिवीम् | सूर्येण // ऋ. वे. ५,८५.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ४:४/३१-
इमाम् | ॐ इति | नु | कवि-तमस्य | मायाम् | महीम् | देवस्य | नकिः | आ | दधर्ष | एकम् | यत् | उद्ना | न | पृणन्ति | एनीः | आसिञ्चन्तीः | अवनयः | समुद्रम् // ऋ. वे. ५,८५.६ //
अर्यम्यम् | वरुण | मित्र्यम् | वा | सखायम् | वा | सदम् | इत् | भ्रातरम् | वा | वेशम् | वा | नित्यम् | वरुण | अरणम् | वा | यत् | सीम् | आगः | चकृम | शिश्रथः | तत् // ऋ. वे. ५,८५.७ //
कितवासः | यत् | रिरिपुः | न | दीवि | यत् | वा | घ | सत्यम् | उत | यत् | न | विद्म | सर्वा | ता | वि | स्य | शिथिराइव | देव | अध | ते | स्याम | वरुण | प्रियासः // ऋ. वे. ५,८५.८ //
//३१//.

-ऋ. वे. ४:४/३२-
(ऋ. वे. ५,८६)
इन्द्राग्नी इति | यम् | अवथः | उभा | वाजेषु | मर्त्यम् | दृऌहा | चित् | सः | प्र | भेदति | द्युम्ना | वाणीः-इव | त्रितः // ऋ. वे. ५,८६.१ //
या | पृतनासु | दुस्तरा | या | वाजेषु | श्रवाय्या | या | पञ्च | चर्षणीः | अभि | इन्द्राग्नी इति | ता | हवामहे // ऋ. वे. ५,८६.२ //
तयोः | इत् | अम-वत् | शवः | तिग्मा | दिद्युत् | मघोनोः | प्रति | द्रुणा | गभस्त्योः | गवाम् | वृत्र-घ्ने | आ | ईषते // ऋ. वे. ५,८६.३ //
आ | वाम् | एषे | रथानाम् | इन्द्राग्नी इति | हवामहे | पती इति | तुरस्य | राधसः | विद्वांसा | गिर्वणः-तमा // ऋ. वे. ५,८६.४ //
ता | वृधन्तौ | अनु | द्यून् | मर्ताय | देवौ | अदभा | अर्हन्ता | चित् | पुरः | दधे | अंशाइव | देवौ | अर्वते // ऋ. वे. ५,८६.५ //
एव | इन्द्राग्नि-भ्याम् | अहावि | हव्यम् | सूष्यम् | घृतम् | न | पूतम् | अद्रि-भिः | ता | सूरिषु | श्रवः | बृहत् | रयिम् | गृणत्-सु | दिधृतम् | इषम् | गृणत्-सु | दिधृतम् // ऋ. वे. ५,८६.६ //
//३२//.

-ऋ. वे. ४:४/३३-
(ऋ. वे. ५,८७)
प्र | वः | महे | मतयः | यन्तु | विष्णवे | मरुत्वते | गिरि-जाः | एवयामरुत् | प्र | शर्धाय | प्र-यज्यवे | सु-खादये | तवसे | भन्दत्-इष्टये | धुनि-व्रताय | शवसे // ऋ. वे. ५,८७.१ //
प्र | ये | जाताः | महिना | ये | च | नु | स्वयम् | प्र | विद्मना | ब्रुवते | एवयामरुत् | क्रत्वा | तत् | वः | मरुतः | न | आधृषे | शवः | दाना | मह्ना | तत् | एषाम् | अधृष्टासः | न | अद्रयः // ऋ. वे. ५,८७.२ //
प्र | ये | दिवः | बृहतः | शृण्विरे | गिरा | सु-शुक्वानः | सु-भ्वः | एवयामरुत् | न | येषाम् | इरी | सध-स्थे | ईष्टे | आ | अग्नयः | न | स्व-विद्युतः | प्र | स्पन्द्रासः | धुनीनाम् // ऋ. वे. ५,८७.३ //
सः | चक्रमे | महतः | निः | उरु-कृअमः | समानस्मात् | सदसः | एवयामरुत् | यदा | अयुक्त | त्मना | स्वात् | अधि | स्नु-भिः | वि-स्पर्धसः | वि-महसः | जिगाति | शे--वृधः | नृ-भिः // ऋ. वे. ५,८७.४ //
स्वनः | न | वः | अम-वान् | रेजयत् | वृषा | त्वेषः | ययिः | तविषः | एवयामरुत् | येन | सहन्तः | ऋञ्जत | स्व-रोचिषः | स्थाः-रश्मानः | हिरण्ययाः | सु-आयुधासः | इष्मिणः // ऋ. वे. ५,८७.५ //
//३३//.

-ऋ. वे. ४:४/३४-
अपारः | वः | महिमा | वृद्ध-शवसः | त्वेषम् | शवः | अवतु | एवयामरुत् | स्थातारः | हि | प्र-सितौ | सम्-दृशि | स्थन | ते | नः | उरुष्यत | निदः | शुशुक्वांसः | न | अग्नयः // ऋ. वे. ५,८७.६ //
ते | रुद्रासः | सु-मखाः | अग्नयः | यथा | तुवि-द्युम्नाः | अवन्तु | एवयामरुत् | दीर्घम् | पृथु | पप्रथे | सद्म | पार्थिवम् | येषाम् | अज्मेषु | आ | महः | शर्धांस् इ | अद्भुत-एनसाम् // ऋ. वे. ५,८७.७ //
अद्वेषः | नः | मरुतः | गातुम् | आ | इतन | श्रोत | हवम् | जरितुः | एवयामरुत् | विष्णोः | महः | स-मन्यवः | युयोतन | स्मत् | रथ्यः | न | दंसना | अप | द्वेषांसि | सनुतरिति // ऋ. वे. ५,८७.८ //
गन्त | नः | यज्ञम् | यज्ञियाः | सु-शमि | श्रोत | हवम् | अरक्षः | एवयामरुत् | ज्येष्ठासः | न | पर्वतासः | वि-ओमनि | यूयम् | तस्य | प्र-चेतसः | स्यात | दुः-धर्तवः | निदः // ऋ. वे. ५,८७.९ //
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