सामग्री पर जाएँ

ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-४

विकिस्रोतः तः
← मण्डलम्-३ ऋग्वेद-पदपाठः
मण्डलम्-४
[[लेखकः :|]]
मण्डलम्-५ →

-ऋ.वे. ३:४/१२-
(ऋ.वे. ४,१)
त्वाम् | हि | अग्ने | सदम् | इत् | स-मन्यवः | देवासः | देवम् | अरतिम् | नि-एरिरे | इति | क्रत्वा | नि-एरिरे | अमर्त्यम् | यजत | मर्त्येषु | आ | देवम् | आदेवम् | जनत | प्र-चेतसम् | विश्वम् | आदेवम् | जनत | प्र-चेतसम् // ऋ.वे. ४,१.१ //
सः | भ्रातरम् | वरुणम् | अग्ने | आ | ववृत्स्व | देवान् | अच्छ | सु-मती | यज्ञ-वनसम् | ज्येष्ठम् | यज्ञ-वनसम् | ऋत-वानम् | आदित्यम् | चर्षणि-धृतम् | राजानम् | चर्षणि-धृतम् // ऋ.वे. ४,१.२ //
सखे | सखायम् | अभि | आ | ववृत्स्व | आशुम् | न | चक्रम् | रथ्याइव | रंह्या | अस्मभ्यम् | दस्म | रंह्या | अग्ने | मृऌईकम् | वरुणे | सचा | विदः | मरुत्-सु | विश्व-भानुषु | तोकाय | तुजे | शुशुचान | शम् | कृधि | अस्मभ्यम् | दस्म | शम् | कृधि // ऋ.वे. ४,१.३ //
त्वम् | नः | अग्ने | वरुणस्य | विद्वान् | देवस्य | हेऌअः | अव | यासिसीष्ठाः | यजिष्ठः | वह्नि-तमः | शोशुचानः | विश्वा | द्वेषांसि | प्र मुमुग्धि | अस्मत् // ऋ.वे. ४,१.४ //
सः | त्वम् | नः | अग्ने | अवमः | भव | ऊती | नेदिष्ठः | अस्याः | उषसः | वि-उष्टौ | अव | यक्ष्व | नः | वरुणम् | रराणः | वीहि | मृऌईकम् | सु-हवः | नः | एधि // ऋ.वे. ४,१.५ //
//१२//.

-ऋ.वे. ३:४/१३-
अस्य | श्रेष्ठा | सु-भगस्य | सम्-दृक् | देवस्य | चित्र-तमा | मर्त्येषु | शुचि | घृतम् | न | तप्तम् | अघ्न्यायाः | स्पार्हा | देवस्य | मंहनाइव | धेनोः // ऋ.वे. ४,१.६ //
त्रिः | अस्य | ता | परमा | सन्ति | सत्या | स्पार्हा | देवस्य | जनिमानि | अग्नेः | अनन्ते | अन्तरिति | परि-वीतः | आ | अगात् | शुचिः | शुक्रः | अर्यः | रोरुचानः // ऋ.वे. ४,१.७ //
सः | दूतः | विश्वा | इत् | अभि | वष्टि | सद्म | होता | हिरण्य-रथः | रम्-सुजिह्वः | रोहित्-अश्वः | वपुष्यः | विभावा | सदा | रण्वः | पितुमती-इव | संसत् // ऋ.वे. ४,१.८ //
सः | चेतयत् | मनुषः | यज्ञ-बन्धुः | प्र | तम् | मह्या | रशनया | नयन्ति | सः | क्षेति | अस्य | दुर्यासु | साधन् | देवः | मर्तस्य | सधनि-त्वम् | आप // ऋ.वे. ४,१.९ //
सः | तु | नः | अग्निः | नयतु | प्र-जानन् | अच्छ | रत्नम् | देव-भक्तम् | यत् | अस्य | धिया | यत् | विश्वे | अमृताः | अकृण्वन् | द्यौः | पिता | जनिता | सत्यम् | उक्षन् // ऋ.वे. ४,१.१० //
//१३//.

-ऋ.वे. ३:४/१४-
सः | जायत | प्रथमः | पस्त्यासु | महः | बुध्ने | रजसः | अस्य | योनौ | अपात् | अशीर्षा | गुहमानः | अन्ता | आयोयुवानः | वृषभस्य | नीऌए // ऋ.वे. ४,१.११ //
प्र | शर्धः | आर्त | प्रथमम् | वि-पन्या | ऋतस्य | योना | वृषभस्य | नीऌए | स्पार्हः | युवा | वपुष्यः | विभावा | सप्त | प्रियासः | अजनयन्त | वृष्णे // ऋ.वे. ४,१.१२ //
अस्माकम् | अत्र | पितरः | मनुष्याः | अभि | प्र | सेदुः | ऋतम् | आशुषाणाः | अश्म-व्रजाः | सु-दुघा | वव्रे | अन्तः | उत् | उस्राः | आजन् | उषसः | हुवानाः // ऋ.वे. ४,१.१३ //
ते | मर्मृजत् अ | ददृ-वांसः | अद्रिम् | तत् | एषाम् | अन्ये | अभितः | वि | वोचन् | पश्व-यन्त्रासः | अभि | कारम् | अर्चन् | विदन्त | ज्योतिः | चकृपन्त | धीभिः // ऋ.वे. ४,१.१४ //
ते | गव्यता | मनसा | दृध्रम् | उब्धम् | गाः | येमानम् | परि | सन्तम् | अद्रिम् | दृऌहम् | नरः | वचसा | दैव्येन | व्रजम् | गो--मन्तम् | उशिजः | वि | वव्रुः // ऋ.वे. ४,१.१५ //
//१४//.

-ऋ.वे. ३:४/१५-
ते | मन्वत | प्रथमम् | नाम | धेनोः | त्रिः | सप्त | मातुः | परमाणि | विन्दन् | तत् | जानतीः | अभि | अनूषत | व्राः | आविः | भुवत् | अरुणीः | यशसा | गोः // ऋ.वे. ४,१.१६ //
नेशत् | तमः | दुधितम् | रोचत | द्यौः | उत् | देव्याः | उषसः | भानुः | अर्त | आ | सूर्यः | बृहतः | तिष्ठत् | अज्रान् | ऋजु | मर्तेषु | वृजिन | च | पश्यन् // ऋ.वे. ४,१.१७ //
आत् | इत् | पश्चा | बुबुधानाः | वि | अख्यन् | आत् | इत् | रत्नम् | धारयन्त | द्यु-भक्तम् | विश्वे | विश्वासु | दुर्यासु | देवाः | मित्र | धिये | वरुण | सत्यम् | अस्तु // ऋ.वे. ४,१.१८ //
अच्छ | वोचेय | शुशुचानम् | अग्निम् | होतारम् | विश्व-भरसम् | यजिष्ठम् | शुचि | ऊधः | अतृणत् | न | गवाम् | अन्धः | न | पूतम् | परि-सिक्तम् | अंशोः // ऋ.वे. ४,१.१९ //
विश्वेषाम् | अदितिः | यज्ञियानाम् | विश्वेषाम् | अतिथिः | मानुषाणाम् | अग्निः | देवानाम् | अवः | आवृणानः | सु-मृऌईकः | भवतु | जात-वेदाः // ऋ.वे. ४,१.२० //
//१५//.

-ऋ.वे. ३:४/१६-
(ऋ.वे. ४,२)
यः | मर्त्येषु | अमृतः | ऋत-वा | देवः | देवेषु | अरतिः | नि-धायि | होता | यजिष्ठः | मह्ना | शुचध्यै | हव्यैः | अग्निः | मनुषः | ईरयध्यै // ऋ.वे. ४,२.१ //
इह | त्वम् | सूनो इति | सहसः | नः | अद्य | जातः | जातान् | उभयान् | अन्तः | अग्ने | दूतः | ईयसे | य्य्जानः | ष्व् | ऋजु-मुष्कान् | वृषणः | शुक्रान् | च // ऋ.वे. ४,२.२ //
अत्या | वृधस्नू इतिवृध-स्नू | रोहिता | घृतस्नूइतिघृत-स्नू | ऋतस्य | मन्ये | मनसा | जविष्ठा | अन्तः | ईयसे | अरुषा | युजानः | युष्मान् | च | देवान् | विशः | आ | च | मर्तान् // ऋ.वे. ४,२.३ //
अर्यमणम् | वरुणम् | मित्रम् | एषाम् | इन्द्राविष्णूइति | मरुतः | अश्विना | उत | सु-अश्वः | अग्ने | सु-रथः | सु-राधाः | आ | इत् | ॐ इति | वह | सु-हविषे | जनाय // ऋ.वे. ४,२.४ //
गो--मान् | अग्ने | अवि-मान् | अश्वी | यज्ञः | नृवत्-सखा | सदम् | इत् | अप्र-मृष्यः | इऌआवान् | एषः | असुर | प्रजावान् | दीर्घः | रयिः | पृथु-बुध्नः | सभावान् // ऋ.वे. ४,२.५ //
//१६//.

-ऋ.वे. ३:४/१७-
यः | ते | इध्मम् | जभरत् | सिष्विदानः | मूर्धानम् | वा | ततपते | त्वाया | भुवः | तस्य | स्व-तवान् | पायुः | अग्ने | विश्वस्मात् | सीम् | अघ-यतः | उरुष्य // ऋ.वे. ४,२.६ //
यः | ते | भरात् | अन्नि-यते | चित् | अन्नम् | नि-शिषत् | मन्द्रम् | अतिथिम् | उत्-ईरत् | आ | देव-युः | इनधते | दुरोणे | तस्मिन् | रयिः | ध्रुवः | अस्तु | दास्वान् // ऋ.वे. ४,२.७ //
यः | त्वा | दोषा | यः | उषसि | प्र-शंसात् | प्रियम् | वा | त्वा | कृणवते | हविष्मान् | अश्वः | न | स्वे | दमे | आ | हेम्यावान् | तम् | अंहसः | पीपरः | दाश्वांसम् // ऋ.वे. ४,२.८ //
यः | तुभ्यम् | अग्ने | अमृताय | दाश-हुवः | त्वे इति | कृणवते | यत-स्रुक् | न | सः | राया | शशमानः | वि | योषत् | न | एनम् | अंहः | परि | वरत् | अघ-योः // ऋ.वे. ४,२.९ //
यस्य | त्वम् | अग्ने | अध्वरम् | जुजोषः | देवः | मर्तस्य | सु-धितम् | रराणः | प्रीता | इत् | असत् | होत्रा | सा | यविष्ठ | असाम | यस्य | विधतः | वृधासः // ऋ.वे. ४,२.१० //
//१७//.

-ऋ.वे. ३:४/१८-
चित्तिम् | अचित्तिम् | चिनवत् | वि | विद्वान् | पृष्टाइव | वीता | वृजिना | च | मर्तान् | राये | च | नः | सु-अपत्याय | देव | दितिम् | च | रास्व | अदितिम् | उरुष्य // ऋ.वे. ४,२.११ //
कविम् | शशासुः | कवयः | अदब्धाः | नि-धारयन्तः | दुर्यासु | आयोः | अतः | त्वम् | दृश्यान् | अग्ने | एतान् | पट्-भिः | पश्येः | अद्भुताम् | अर्यः | एवैः // ऋ.वे. ४,२.१२ //
त्वम् | अग्ने | वाघते | सु-प्रनीतिः | सुत-सोमाय | विधते | यविष्ठ | रत्नम् | भर | शशमानाय | घृष्वे | पृथु | चन्द्रम् | अवसे | चर्षणि-प्राः // ऋ.वे. ४,२.१३ //
अध | ह | यत् | वयम् | अग्ने | त्वाया | पट्-भिः | हस्तेभिः | चकृम | तनूभिः | रथम् | न | क्रन्तः | अपसा | भुरिजोः | ऋतम् | येमुः | सु-ध्यः | आशुषाणाः // ऋ.वे. ४,२.१४ //
अध | मातुः | उषसः | सप्त | विप्राः | जायेमहि | प्रथमाः | वेधसः | नॄन् | दिवः | पुत्राः | अङ्गिरसः | भवेम | अद्रिम् | रुजेम | धनिनम् | शुचन्तः // ऋ.वे. ४,२.१५ //
//१८//.

-ऋ.वे. ३:४/१९-
अध | यथा | नः | पितरः | परासः | प्रत्नासः | अग्ने | ऋतम् | आशुषाणाः | शुचि | इत् | अयन् | दीधितिम् | उक्थ-शासः | क्षामा | भिन्दन्तः | अरुणीः | अप | व्रन् // ऋ.वे. ४,२.१६ //
सु-कर्माणः | सु-रुचः | देव-यन्तः | अयः | न | देवाः | जनिम | धमन्तः | शुचन्तः | अग्निम् | ववृधन्तः | इन्द्रम् | ऊर्वम् | गव्यम् | परि-सदन्तः | अग्मन् // ऋ.वे. ४,२.१७ //
आ | यूथाइव | क्षु-मति | पश्वः | अख्यत् | देवानाम् | यत् | जनिम | अन्ति | उग्र | मर्तानाम् | चित् | उर्वशीः | अकृप्रन् | वृधे | चित् | अर्यः | उपरस्य | आयोः // ऋ.वे. ४,२.१८ //
अकर्म | ते | सि-अपसः | अभूम | ऋतम् | अवस्रन् | उषसः | वि-भातीः | अनूनम् | अग्निम् | पुरुधा | सु-चन्द्रम् | देवस्य | मर्मृजतः | चारु | चक्षुः // ऋ.वे. ४,२.१९ //
एता | ते | अग्ने | उचथानि | वेधः | अवोचाम | कवये | ता | जुषस्व | उत् | शोचस्व | कृणुहि | वस्यसः | नः | महः | रायः | पुरु-वार | प्र | यन्धि // ऋ.वे. ४,२.२० //
//१९//.

-ऋ.वे. ३:४/२०-
(ऋ.वे. ४,३)
आ | वः | राजानम् | अध्वरस्य | रुद्रम् | होतारम् | सत्य-यजम् | रोदस्योः | अग्निम् | पुरा | तनयित्नोः | अचित्तात् | हिरण्य-रूपम् | अवसे | कृणुध्वम् // ऋ.वे. ४,३.१ //
अयम् | योनिः | चकृम | यम् | वयम् | ते | जायाइव | पत्ये | उशती | सु-वासाः | अर्वाचीनः | परि-वीतः | नि | सीद | इमाः | ॐ इति | ते | सु-अपाक | प्रतीचीः // ऋ.वे. ४,३.२ //
आशृण्वते | अदृपिताय | मन्म | नृ-चक्षसे | सु-मृऌईकाय | वेधः | देवाय | शस्तिम् | अमृताय | शंस | ग्रावाइव | सोता | मधु-सुत् | यम् | ईऌए // ऋ.वे. ४,३.३ //
त्वम् | चित् | नः | शम्यै | अग्ने | अस्याः | ऋतस्य | बोधि | ऋत-चित् | सु-आधीः | कदा | ते | उक्था | सध-माद्यानि | कदा | भवन्ति | सख्या | गृहे | ते // ऋ.वे. ४,३.४ //
कथा | ह | तत् | वरुणाय | त्वम् | अग्ने | कथा दिवे गर्हसे | कत् | नः | आगः | कथा | मित्राय | मीऌहुषे | पृथिव्यै | ब्रवः | कत् | अर्यम्णे | कत् | भगाय // ऋ.वे. ४,३.५ //
//२०//.

-ऋ.वे. ३:४/२१-
कत् | धिष्ण्यासु | वृधसानः | अग्ने | कत् | वाताय | प्र-तवसे | शुभंम्ये | परि-ज्मने | नासत्याय | क्षे | ब्रवः | कत् | अग्ने | रुद्राय | नृ-घ्ने // ऋ.वे. ४,३.६ //
कथा | महे | पुष्तिम्-भराय | पूष्णे | कत् | रुद्राय | सु-मखाय | हविः-दे | कत् | व् इष्णवे | उरु-गायाय | रेतः | ब्रवः | कत् | अग्ने | शरवे | बृहत्यै // ऋ.वे. ४,३.७ //
कथा | शर्धाय | मरुताम् | ऋताय | कथा | सूरे | बृहते | पृच्छ्यमानः | प्रति | ब्रवः | अदितये | तुराय | साध | दिवः | जात-वेदः | चिकित्वान् // ऋ.वे. ४,३.८ //
ऋतेन | ऋतम् | नि-यतम् | ईऌए | आ | गोः | आमा | सचा | मधु-मत् | पक्वम् | अग्ने | कृष्णा | सती | रुशता | धासिना | एषा | जामर्येण | पयसा | प्प्य् // ऋ.वे. ४,३.९ //
ऋतेनः | हि | स्म | वृषभः | चित् | अक्तः | पुमान् | अग्निः | पयसा | पृष्ट्येन | अस्पन्दमानः | अचरत् | वयः-धाः | वृषा | शुक्रम् | दुदुहे | पृश्निः | ऊधः // ऋ.वे. ४,३.१० //
//२१//.

-ऋ.वे. ३:४/२२-
ऋतेन | अद्रिम् | वि | असन् | भिदन्तः | सम् | अङ्गिरसः | नवन्त | गो--भिः | शुनम् | नरः | परि | सदन् | उषसम् | आविः | स्वः | अभवत् | जाते | अग्नौ // ऋ.वे. ४,३.११ //
ऋतेन | देवीः | अमृताः | अमृक्ताः | अर्णः-भिः | आपः | मधुमत्-भिः | अग्ने | वाजी | न | सर्गेषु | प्र-स्तुभानः | प्र | सदम् | इत् | स्रवितवे | दधन्युह् // ऋ.वे. ४,३.१२ //
मा | कस्य | यक्षम् | सदम् | इत् | हुरः | गाः | मा | वेशस्य | प्र-मिनतः | मा | आपेः | मा | भ्रातुः | अग्ने | अनृजोः | ऋणम् | वेः | मा | सख्युः | दक्षम् | रिपोः | भुजेम // ऋ.वे. ४,३.१३ //
रक्षाणः | अग्ने | तव | रक्षणेभिः | ररक्षाणः | सु-मख | प्रीणानः | प्रति | स्फुर | वि | रुज | वीऌउ | अंहः | जहि | रक्षः | महि | चित् | ववृधानम् // ऋ.वे. ४,३.१४ //
एभिः | भव | सु-मनाः | अग्ने | अर्कैः | इमान् | स्पृश | मन्म-भिः | शूर | वाजान् | उत | ब्रह्माणि | अङ्गिरः | जुषस्व | सम् | ते | शस्तिः | देववाता | जरेत // ऋ.वे. ४,३.१५ //
एता | विश्वा | विदुषे | तुभ्यम् | वेधः | नीथानि | अग्ने | निण्या | वचांसि | नि-वचना | कवये | काव्यानि | अशंसिषम् | मति-भिः | विप्रः | उक्थैः // ऋ.वे. ४,३.१६ //
//२२//.

-ऋ.वे. ३:४/२३-
(ऋ.वे. ४,४)
कृणुष्व | पाजः | प्र-सितिम् | न | पृथ्वीम् | याहि | राजाइव | अम-वान् | इभेन | तृष्वीम् | अनु | प्र-सितिम् | द्रूणानः | अस्ता | असि | विध्य | रक्षसः | तपिष्ठैः // ऋ.वे. ४,४.१ //
तव | भ्रमासः | आशु-या | पतन्ति | अनु | स्पृश | धृषता | शोशुचानः | तपाऊंषि | अग्ने | जुह्वा | पतङ्गान् | असम्-दितः | वि | सृज | विष्वक् | उल्काः // ऋ.वे. ४,४.२ //
प्रति | स्पशः | वि | सृज | तूर्णि-तमः | भव | पायुः | विशः | अस्याः | अदब्धः | यः | नः | दूरे | अघ-शंसः | यः | अन्ति | अग्ने | माकिः | ते | व्यथिः | आ | दधर्षीत् // ऋ.वे. ४,४.३ //
उत् | अग्ने | तिष्ठ | प्रति | आ | तनुष्व | नि | अमित्रान् | ओषतात् | तिग्म-हेते | यः | नः | अरातिम् | सम्-इधान | चक्रे | नीचा | तम् | धक्षि | अतसम् | न | शुष्कम् // ऋ.वे. ४,४.४ //
ऊर्ध्वः | भव | प्रति | विध्य | अधि | अस्मत् | आविः | कृणुष्व | दैव्यानि | अग्ने | अव | स्थिरा | तनुहि | यातु-जूनाम् | जामिम् | अजामिम् | प्र | मृणीहि | शत्रून् // ऋ.वे. ४,४.५ //
//२३//.

-ऋ.वे. ३:४/२४-
सः | ते | जानाति | सु-मतिम् | यविष्ठ | यः | ईवते | ब्रह्मणे | गातुम् | ऐरत् | विश्वानि | अस्मै | सु-दिनानि | रायः | द्युम्नानि | अर्यः | वि | दुरः | अभि | द्यौत् // ऋ.वे. ४,४.६ //
सः | इत् | अग्ने | अस्तु | सु-भगः | सु-दानुः | यः | त्वा | नित्येन | हविषा | यः | उक्थैः | पिप्रीषति | स्वे | आयुषि | दुरोणे | विश्वा | इत् | अस्मै | सु-दिना | सा | असत् | इष्टिः // ऋ.वे. ४,४.७ //
अर्चामि | ते | सु-मतिम् | घोषि | अर्वाक् | सम् | ते | ववाता | जरताम् | इयम् | गीः | सु-अश्वाः | त्वा | सु-रथाः | मर्जयेम | अस्मे इति | क्षत्राणि | धारयेः | अनु | द्यून् // ऋ.वे. ४,४.८ //
इह | त्वा | भूरि | आ | चरेत् | उप | त्मन् | दोषावस्तः | दीदिवांसम् | अनु | द्यून् | क्रीऌअन्तः | त्वा | सु-मनसः | सपेम | अभि | द्युम्ना | तस्थिवांसः | जनानाम् // ऋ.वे. ४,४.९ //
यः | त्वा | सु-अश्वः | सु-हिरण्यः | अग्ने | उप-याति | वसु-मता | रथेन | तस्य | त्राता | भवसि | तस्य | सखा | यः | ते | आतिथ्यम् | आनुषक् | जुजोषत् // ऋ.वे. ४,४.१० //
//२४//.

-ऋ.वे. ३:४/२५-
महः | रुजामि | बन्धुता | वचः-भिः | तत् | मा | पितुः | गोतमात् | अनु | इयाय | त्वम् | नः | अस्य | वचसः | चिकिद्धि | होतः | यविष्ठ | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | दमूनाः // ऋ.वे. ४,४.११ //
अस्वप्न-जः | तरणयः | सु-शेवाः | अतन्द्रासः | अवृकाः | अश्रमिष्ठाः | ते | पायवः | सध्र्यञ्चः | नि-सद्य | अग्ने | तव | नः | पान्तु | अमूर // ऋ.वे. ४,४.१२ //
ये | पायवः | मामतेयम् | ते | अग्ने | पश्यन्तः | अन्धम् | दुः-इतात् | अरक्षन् | ररक्ष | तान् | सु-कृतः | विश्व-वेदाः | दिप्सन्तः | इत् | रिपवः | न | अह | देभुः // ऋ.वे. ४,४.१३ //
त्वया | वयम् | सधन्यः | त्वाऊताः | तव | प्र-नीती | अश्याम | वाजान् | उभा | शंसा | सूदय | सत्य-ताते | अनुष्ठुया | कृणुहि | अह्रयाण // ऋ.वे. ४,४.१४ //
अया | ते | अग्ने | सम्-इधा | विधेम | प्रति | स्तोमम् | शस्यमानम् | गृभाय | दह | अशसः | रक्षसः | पाहि | अस्मान् | द्रुहः | निदः | मित्र-महः | अवद्यात् // ऋ.वे. ४,४.१५ //
//२५//.





-ऋ.वे. ३:५/१-
(ऋ.वे. ४,५)
वैश्वानराय | मीऌहुषे | स-जोषाः | कथा | दाशेम | अग्नये | बृहत् | भाः | अनूनेन | बृहता | वक्षथेन | उप | स्तभायत् | उप-मित् | न | रोधः // ऋ.वे. ४,५.१ //
मा | निन्दत | यः | इमाम् | मह्यम् | रातिम् | देवः | ददौ | मर्याय | स्व-धावान् | पाकाय | गृत्सः | अमृतः | वि-चेताः | वैश्वानरः | नृ-तमः | यह्वः | अग्निः // ऋ.वे. ४,५.२ //
साम | द्वि-बर्हाः | महि | तिग्म-भृष्टिः | सहस्र-रेताः | वृषभः | तुविष्मान् | पदम् | न | गोः | अप-गूऌहम् | विविद्वान् | अग्निः | मह्यम् | प्र | इत् | ॐ इति | वोचत् | मनीषाम् // ऋ.वे. ४,५.३ //
प्र | तान् | अग्निः | बभसत् | तिग्म-जम्भः | तपिष्ठेन | शोचिषा | यः | सु-राधाः | प्र | ये | मिनन्ति | वरुणस्य | धाम | प्रिया | मित्रस्य | चेततः | ध्रुवाणि // ऋ.वे. ४,५.४ //
अभ्रातरः | न | योषणः | व्यन्तः | पति-रिपः | न | जनयः | दुः-एवाः | पापासः | सन्तः | अनृताः | असत्याः | इदम् | पदम् | अजनत | गभीरम् // ऋ.वे. ४,५.५ //
//१//.

-ऋ.वे. ३:५/२-
इदम् | मे | अग्ने | कियते | पावक | आमिनते | गुरुम् | भारम् | न | मन्म | बृहत् | दधाथ | धृषता | गभीरम् | यह्वम् | पृष्ठम् | प्रयसा | सप्त-धातु // ऋ.वे. ४,५.६ //
तम् | इत् | नु | एव | समना | समानम् | अभि | क्रत्वा | पुनती | धीतिः | अश्याः | ससस्य | चर्मन् | अधि | चारु | पृश्नेः | अग्ने | रुपः | अरुपितम् | जबारु // ऋ.वे. ४,५.७ //
प्र-वाच्यम् | वचसः | किम् | मे | अस्य | गुहा | हितम् | उप | निणिक् | वदन्ति | यत् | उस्रियाणाम् | अप | वाः-इव | व्रन् | पाति | प्रियम् | रुपः | अग्रम् | पदम् | वेः // ऋ.वे. ४,५.८ //
इदम् | ॐ इति | त्यत् | महि | महाम् | अनीकम् | यत् | उस्रिया | सचत | पूर्व्यम् | गौः | ऋतस्य | पदे | अधि | दीद्यानम् | गुहा | रघु-स्यत् | रघु-यत् | विवेद // ऋ.वे. ४,५.९ //
अध | द्युतानः | पित्रोः | सचा | आसा | अमनुत | गुह्यम् | चारु | पृश्नेः | मातुः | पदे | परमे | अन्ति | सत् | गोः | वृष्णः | शोचिषः | प्र-यतस्य | जिह्वा // ऋ.वे. ४,५.१० //
//२//.

-ऋ.वे. ३:५/३-
ऋतम् | वोचे | नमसा | पृच्छ्यमानः | तव | आशसा | जात-वेदः | यदि | इदम् | त्वम् | अस्य | क्षयसि | यत् | ह | विश्वम् | दिवि | यत् ॐ इति | द्रविणम् | यत् | पृथिव्याम् // ऋ.वे. ४,५.११ //
किम् | नः | अस्य | द्रविणम् | कत् | ह | रत्नम् | वि | नः | वोचः | जात-वेदः | चि कित्वान् | गुहा | अध्वनः | परमम् | यत् | नः | अस्य | रेकु | पदम् | न | नि-दानाः | अगन्म // ऋ.वे. ४,५.१२ //
का | मर्यादा | वयुना | कत् | ह | वामम् | अच्छ | गमेम | रघवः | न | वाजम् | कदा | नः | देवीः | अमृतस्य | पत्नीः | सूरः | वर्णेन | ततनन् | उषसः // ऋ.वे. ४,५.१३ //
अनिरेण | वचसा | फल्ग्वेन | प्रतीत्येन | कृधुना | अतृपासः | अध | ते | अग्ने | क् इम् | इह | वदन्ति | अनायुधासः | आसता | सचन्ताम् // ऋ.वे. ४,५.१४ //
अस्य | श्रिये | सम्-इधानस्य | वृष्णः | वसोः | अनीकम् | दमे | आ | रुरोच | रुशत् | वसानः | सुदृशीक-रूपः | क्षितिः | न | राया | पुरु-वारः | अद्यौत् // ऋ.वे. ४,५.१५ //
//३//.

-ऋ.वे. ३:५/४-
(ऋ.वे. ४,६)
ऊर्ध्वः | ॐ इति | सु | णः | अध्वरस्य | होतः | अग्ने | तिष्ठ | देव-ताता | यजीयान् | त्वम् | हि | विश्वम् | अभि | असि | मन्म | प्र | वेधसः | चित् | तिरसि | मनीषाम् // ऋ.वे. ४,६.१ //
अमूरः | होता | नि | असादि | विक्षु | अग्निः | मन्द्रः | विदथेषु | प्र-चेताः | ऊर्ध्वम् | भानुम् | सविताइव | अश्रेत् | मेताइव | धूमम् | स्तभायत् | उप | द्याम् // ऋ.वे. ४,६.२ //
यता | सु-जूर्णिः | रातिनी | घृताची | प्र-दक्षिणित् | देव-तातिम् | उराणः | उत् | ॐ इति | स्वरुः | नव-जाः | न | अक्रः | पश्वः | अनक्ति | सु-धितः | सु-मेकः // ऋ.वे. ४,६.३ //
स्तीर्णे | बर्हिषि | सम्-इधाने | अग्नौ | ऊर्ध्वः | अध्वर्युः | जुजुषाणः | अस्थात् | परि | अग्निः | पशु-पाः | न | होता | त्रि-विष्टि | एति | प्र-दिवः | उराणः // ऋ.वे. ४,६.४ //
परि | त्मना | मित-द्रुः | एति | होता | अग्निः | मन्द्रः | मधु-वचाः | ऋत-वा | द्रवन्ति | अस्य | वाजिनः | न | शोकाः | भयन्ते | विश्वा | भुवना | यत् | अभ्राट् // ऋ.वे. ४,६.५ //
//४//.

-ऋ.वे. ३:५/५-
भद्रा | ते | अग्ने | सु-अनीक | सम्-दृक् | घोरस्य | सतः | विषुणस्य | चारुः | न | यत् | ते | शोचिः | तमसा | वरन्त | न | ध्वस्मानः | तन्वि | रेपः | आ | धुरि ति // ऋ.वे. ४,६.६ //
न | यस्य | सातुः | जनितोः | अवारि | न | मातरापितरा | नु | चित् | इष्टौ | अध | मित्रः | न | सु-धितः | पावकः | अग्निः | दीदाय | मानुषीषु | विक्षु // ऋ.वे. ४,६.७ //
द्विः | यम् | पञ्च | जीजनन् | सम्-वसानाः | स्वसारः | अग्निम् | मानुषीषु | वि क्षु | उषः-बुधम् | अथर्यः | न | दन्तम् | शुक्रम् | सु-आसम् | परशुम् | न | त् इग्मम् // ऋ.वे. ४,६.८ //
तव | त्ये | अग्ने | हरितः | घृत-स्नाः | रोहितासः | ऋजु-अञ्चः | सु-अञ्चः | अरुषासः | वृषणः | ऋजु-मुष्काः | आ | देव-तातिम् | अह्वन्त | दस्माः // ऋ.वे. ४,६.९ //
ये | ह | त्ये | ते | सहमानाः | अयासः | त्वेषासः | अग्ने | अर्चयः | चरन्ति | श्येनासः | न | दुवसनासः | अर्थम् | तुवि-स्वणसः | मारुतम् | न | शर्धः // ऋ.वे. ४,६.१० //
अकारि | ब्रह्म | सम्-इधान | तुभ्यम् | शंसाति | उक्थम् | यजते | वि | ॐ इति | धाः | होतारम् | अग्निम् | मनुषः | नि | सेदुः | नमस्यन्तः | उशिजः | शंसम् | आयोः // ऋ.वे. ४,६.११ //
//५//.

-ऋ.वे. ३:५/६-
(ऋ.वे. ४,७)
अयम् | इह | प्रथमः | धायि | धातृ-भिः | होता | यजिष्ठः | अध्वरेषु | ईड्यः | यम् | अप्नवानः | भृगवः | वि-रुरुचुः | वनेषु | चित्रम् | वि-भ्वम् | विशे--विशे // ऋ.वे. ४,७.१ //
अग्ने | कदा | ते | आनुषक् | भुवत् | देवस्य | चेतनम् | अध | हि | त्वा | जगृभ्रिरे | मतार्सः | विक्षु ईड्यम् // ऋ.वे. ४,७.२ //
ऋत-वानम् | वि-चेतसम् | पश्यन्तः | द्याम्-इव | स्तृ-भिः | विश्वेषाम् | अध्वराणाम् | हस्कर्तारम् | दमे--दमे // ऋ.वे. ४,७.३ //
आशुम् | दूतम् | विवस्वतः | विश्वाः | यः | चर्षणीः | अभि | आ | जभ्रुः | केतुम् | आयवः | भृगवाणम् | विशे--विशे // ऋ.वे. ४,७.४ //
तम् | ईम् | होतारम् | आनुषक् | चिकित्वांसम् | नि | सेदिरे | रण्वम् | पावक-शोचिषम् | यजिष्ठम् | सप्त | धाम-भिः // ऋ.वे. ४,७.५ //
//६//.

-ऋ.वे. ३:५/७-
तम् | शश्वतीषु | मातृषु | वने | आ | वीतम् | अश्रितम् | चित्रम् | सन्तम् | गुहा | हितम् | सु-वेदम् | कूचित्-अर्थिनम् // ऋ.वे. ४,७.६ //
ससस्य | यत् | वि-युता | सस्मिन् | ऊधन् | ऋतस्य | धामन् | रणयन्त | देवाः | महान् | अग्निः | नमसा | रात-हव्यः | वेः | अध्वराय | सदम् | इत् | ऋत-वा // ऋ.वे. ४,७.७ //
वेः | अध्वरस्य | दूत्यानि | विद्वान् | उभे इति | अन्तरिति | रोदसी इति | सम्-चिकित्वान् | दूतः | ईयसे | प्र-दिवः | उराणः | विदुः-तरः | दिवः | आरोधनानि // ऋ.वे. ४,७.८ //
कृष्णम् | ते | एम | रुशतः | पुरः | भाः | चरिष्णु | अर्चिः | वपुषाम् | इत् | एकम् | यत् | अप्र-वीता | दधते | ह | गर्भम् | सद्यः | चित् | जातः | भवसि | इत् | ॐ इति | दूतः // ऋ.वे. ४,७.९ //
सद्यः | जातस्य | ददृशानम् | ओजः | यत् | अस्य | वातः | अनु-वाति | शोचिः | वृणक्ति | तिग्माम् | अतसेषु | जिह्वाम् | स्थिरा | चित् | अन्ना | दयते | वि | जम्भैः // ऋ.वे. ४,७.१० //
तृषु | यत् | अन्ना | तृषुणा | ववक्ष | तृषुम् | दूतम् | कृणुते | यह्वः | अग्निः | वातस्य | मेऌइम् | सचते | नि-जूर्वन् | आशुम् | न | वाजयते | हिन्वे | अर्वा // ऋ.वे. ४,७.११ //
//७//.

-ऋ.वे. ३:५/८-
(ऋ.वे. ४,८)
दूतम् | वः | विश्व-वेदसम् | हव्य-वाहम् | अमर्त्यम् | यजिष्ठम् | ऋञ्जसे | गिरा // ऋ.वे. ४,८.१ //
सः | हि | वेद | वसु-धितिम् | महान् | आरोधनम् | दिवः | सः | देवान् | आ | इह | वक्षति // ऋ.वे. ४,८.२ //
सः | वेद | देवः | आनमम् | देवान् | ऋत-यते | दमे | दाति | प्रियाणि | चित् | वसु // ऋ.वे. ४,८.३ //
सः | होता | सः | इत् | ॐ इति | दूत्यम् | चिकित्वान् | अन्तः | ईयते | विद्वान् | आरोधनम् | दिवः // ऋ.वे. ४,८.४ //
ते | स्याम | ये | अग्नये | ददाशुः | हव्य-दातिभिः | ये | ईम् | पुष्यन्तः | इन्धते // ऋ.वे. ४,८.५ //
ते | राया | ते | सु-वीर्यैः | सस-वांसः | वि | शृण्विरे | ये | अग्ना | दधिरे | दुवः // ऋ.वे. ४,८.६ //
अस्मे इति | रायः | दिवे--दिवे | सम् | चरन्तु | पुरु-स्पृहः | अस्मे इति | वाजासः | ईरताम् // ऋ.वे. ४,८.७ //
सः | विप्रः | चर्षणीनाम् | शवसा | मानुषाणाम् | अति | क्षिप्राइव | विध्यति // ऋ.वे. ४,८.८ //
//८//.

-ऋ.वे. ३:५/९-
(ऋ.वे. ४,९)
अग्ने | मृऌअ | महान् | असि | यः | ईम् | आ | देव-युम् | जनम् | इयेथ | बर्हिः | आसदम् // ऋ.वे. ४,९.१ //
सः | मानुषीषु | दुः-दभः | विक्षु | प्र-अवीः | अमर्त्यः | दूतः | विश्वेषाम् | भुवत् // ऋ.वे. ४,९.२ //
सः | सद्म | परि | नीयते | होता | मन्द्रः | दिविष्टिषु | उत | पोता | नि | सीदति // ऋ.वे. ४,९.३ //
उत | ग्नाः | अग्निः | अध्वरे | उतो इति | गृह-पतिः | दमे | उत | ब्रह्मा | नि | सीदति // ऋ.वे. ४,९.४ //
वेषि | हि | अध्वरि-यताम् | उप-वक्ता | जनानाम् | हव्या | च | मानुषाणाम् // ऋ.वे. ४,९.५ //
वेषि | इत् | ॐ इति | अस्य | दूत्यम् | यस्य | जुजोषः | अध्वरम् | हव्यम् | मर्तस्य | वोऌहवे // ऋ.वे. ४,९.६ //
अस्माकम् | जोषि | अध्वरम् | अस्माकम् | यज्ञम् | अङ्गिरः | अस्माकम् | शृणुधि | हवम् // ऋ.वे. ४,९.७ //
परि | ते | दुः-दभः | रथः | अस्मान् | अश्नोतु | विश्वतः | येन | रक्षसि | दाशुषः // ऋ.वे. ४,९.८ //
//९//.

-ऋ.वे. ३:५/१०-
(ऋ.वे. ४,१०)
अग्ने | तम् | अद्य | अश्वम् | न | स्तोमैः | क्रतुम् | न | भद्रम् | हृदि-स्पृशम् | ऋध्याम | ते | ओहैः // ऋ.वे. ४,१०.१ //
अध | हि | अग्ने | क्रतोः | भद्रस्य | दक्षस्य | साधोः | रथीः | ऋतस्य | बृहतः | बभूथ // ऋ.वे. ४,१०.२ //
एभिः | नः | अर्कैः | भव | नः | अर्वाङ् | स्वः | ण | ज्योतिः | अग्ने | विश्वेभिः | सु-मनाः | अनीकैः // ऋ.वे. ४,१०.३ //
आभिः | ते | अद्य | गीः-भिः | गृणन्तः | अग्ने | दाशेम | प्र | ते | दिवः | न | स्तनयन्ति | शुष्माः // ऋ.वे. ४,१०.४ //
तव | स्वादिष्ठा | अग्ने | सम्-दृष्टिः | इदा | चित् | अह्नः | इदा | चित् | अक्तोः | श्रिये | रुक्मः | न | रोचते | उपाके // ऋ.वे. ४,१०.५ //
घृतम् | न | पूतम् | तनूः | अरेपाः | शुचि | हिरण्यम् | तत् | ते | रुक्मः | न | रोचत | स्वधावः // ऋ.वे. ४,१०.६ //
कृतम् | चित् | हि | स्म | सनेमि | द्वेषः | अग्ने | इनोषि | मर्तात् | इत्था | यजमानात् | ऋत-वः // ऋ.वे. ४,१०.७ //
शिवा | नः | सख्या | सन्तु | भ्रात्रा | अग्ने | देवेषु | युष्मे इति | सा | नः | नाभिः | सदने | सस्मिन् | ऊधम् // ऋ.वे. ४,१०.८ //
//१०//.

-ऋ.वे. ३:५/११-
(ऋ.वे. ४,११)
भद्रम् | ते | अग्ने | सहसिन् | अनीकम् | उपाके | आ | रोचते | सूर्यस्य | रुशत् | दृशे | ददृशे | नक्त-या | चित् | अरूक्षितम् | दृशे | आ | रूपे | अन्नम् // ऋ.वे. ४,११.१ //
वि | साहि | अग्ने | गृणते | मनीषाम् | खम् | वेपसा | तुवि-जात | स्तवानः | विश्वेभिः | यत् | ववनः | शुक्र | देवैः | तत् | नः | रास्व | सु-महः | भूरि | मन्म // ऋ.वे. ४,११.२ //
त्वत् | अग्ने | काव्या | त्वम् | मनीषाः | त्वत् | उक्था | जायन्ते | राध्यानि | त्वत् | एति | द्रविणम् | वीर-पेशाः | इत्थाधिये | दाशुषे | मर्त्याय // ऋ.वे. ४,११.३ //
त्वत् | वाजी | वाजम्-भरः | वि-हायाः | अभिष्टि-कृत् | जायते | सत्य-शुष्मः | त्वत् | रयिः | देव-जूतः | मयः-भुः | त्वत् | आशुः | जूजु-वान् | अग्ने | अर्वा // ऋ.वे. ४,११.४ //
त्वाम् | अग्ने | प्रथमम् | देव-यन्तः | देवम् | भर्ता | अमृत | मन्द्र-जिह्वम् | द्वेषः-युतम् | आ | विवासन्ति | धीभिः | दमूनसम् | गृह-पतिम् | अमूरम् // ऋ.वे. ४,११.५ //
आरे | अस्मत् | अमतिम् | आरे | अंहः | आरे | विश्वाम् | दुः-मतिम् | यत् | नि-पासि | दोषा | शिवः | सहसः | सूनो इति | अग्ने | यम् | देवः | आ | चित् | सचसे | स्वस्ति // ऋ.वे. ४,११.६ //
//११//.

-ऋ.वे. ३:५/१२-
(ऋ.वे. ४,१२)
यः | त्वाम् | अग्ने | इनधते | यत-स्रुक् | त्रिः | ते | अन्नम् | कृणवत् | सस्मिन् | अहन् | सः | सु | द्युम्नैः | अभि | अस्तु | प्र-सक्षत् | तव | क्रत्वा | जात-वेदः | चिकित्वान् // ऋ.वे. ४,१२.१ //
इध्मम् | यः | ते | जभरत् | शश्रमाणः | महः | अग्ने | अनीकम् | आ | सपर्यन् | सः | इधानः | प्रति | दोषाम् | उषसम् | पुष्यन् | रयिम् | सचते | घ्नन् | अमित्रान् // ऋ.वे. ४,१२.२ //
अग्निः | आशे | बृहतः | क्षत्रियस्य | अग्निः | वाजस्य | परमस्य | रायः | दधाति | रत्नम् | विधते | यविष्ठः | वि | आनुषक् | मर्त्याय | स्वधावान् // ऋ.वे. ४,१२.३ //
यत् | चित् | हि | ते | पुरुष-त्रा | यविष्ठ | अचित्ति-भिः | चकृम | कत् | चित् | आगः | कृधि | सु | अस्मान् | अदितेः | अनागान् | वि | एनांसि | शिश्रथः | विष्वक् | अग्ने // ऋ.वे. ४,१२.४ //
महः | चित् | अग्ने | एनसः | अभीके | ऊर्वात् | देवानाम् | उत | मर्त्यानाम् | मा | ते | सखायः | सदम् | इत् | रिषाम | यच्छ | तोकाय | तनयाय | शम् | योः // ऋ.वे. ४,१२.५ //
यथा | ह | त्यत् | वसवः | गौर्यम् | चित् | पदि | सिताम् | अमुञ्चत | यजत्राः | एवो इति | सु | अस्मत् | मुञ्चत | वि | अंहः | प्र | तारि | अग्ने | प्र-तरम् | नः | आयुः // ऋ.वे. ४,१२.६ //
//१२//.
-ऋ.वे. ३:५/१३-
(ऋ.वे. ४,१३)
प्रति | अग्निः | उषसाम् | अग्रम् | अख्यत् | वि-भातीनाम् | सु-मनाः | रत्न-धेयम् | यातम् | अश्विना | सु-कृतः | दुरोणम् | उत् | सूर्यः | ज्योतिषा | देवः | एति // ऋ.वे. ४,१३.१ //
ऊर्ध्वम् | भानुम् | सविता | देवः | अश्रेत् | द्रप्सम् | दविध्वत् | गो--इषः | न | सत्वा | अनु | व्रतम् | वरुणः | यन्ति | मित्रः | यत् | सूर्यम् | दिवि | आरोहयन्ति // ऋ.वे. ४,१३.२ //
यम् | सीम् | अकृण्वन् | तमसे | वि-पृचे | ध्रुव-क्षेमाः | अनव-स्यन्तः | अथर्म् | तम् | सूर्यम् | हरितः | सप्त | यह्वीः | स्पशम् | विश्वस्य | जगतः | वहन्ति // ऋ.वे. ४,१३.३ //
वहिष्टेभिः | वि-हरन् | यासि | तन्तुम् | अव-व्ययन् | असितम् | देव | वस्म | दविध्वतः | रश्मयः | सूर्यस्य | चर्म-इव | अव | अधुः | तमः | अप्-सु | अन्तरिति // ऋ.वे. ४,१३.४ //
अनायतः | अनि-बद्धः | कथा | अयम् | न्यङ् | उत्तानः | अव | पद्यते | न | कया | याति | स्वधया | कः | ददर्श | दिवः | स्कम्भः | सम्-ऋतः | पाति | नाकम् // ऋ.वे. ४,१३.५ //
//१३//.

-ऋ.वे. ३:५/१४-
(ऋ.वे. ४,१४)
प्रति | अग्निः | उषसः | जात-वेदाः | अख्यत् | देवः | रोचमानाः | महः-भिः | आ | नासत्या | उरु-गाया | रथेन | इमम् | यज्ञम् | उप | नः | यातम् | अच्छ // ऋ.वे. ४,१४.१ //
ऊर्ध्वम् | केतुम् | सविता | देवः | अश्रेत् | ज्योतिः | विश्वस्मै | भुवनाय | कृण्वन् | आ | अप्राः | द्यावापृथिवी इति | अन्तरिक्षम् | वि | सूर्यः | रश्मि-भिः | चेकितानः // ऋ.वे. ४,१४.२ //
आवहन्ती | अरुणीः | ज्योतिषा | आ | अगात् | मही | चित्रा | रश्मि-भिः | चेकिताना | प्र-बोधयन्ती | सु-विताय | देवी | उषाः | ईयते | सु-युजा | रथेन // ऋ.वे. ४,१४.३ //
आ | वाम् | वहिष्ठाः | इह | ते | वहन्तु | रथाः | अश्वासः | उषसः | वि-उष्टौ | इमे | हि | वाम् | मधु-पेयाय | सोमाः | अस्मिन् | यज्ञे | वृषणा | मादयेथाम् // ऋ.वे. ४,१४.४ //
अनायतः | अनि-बद्धः | कथा | अयम् | न्यङ् | उत्तानः | अव | पद्यते | न | कया | याति | स्वधया | कः | ददर्श | दिवः | स्कम्भः | सम्-ऋतः | पाति | नाकम् // ऋ.वे. ४,१४.५ //
//१४//.

-ऋ.वे. ३:५/१५-
(ऋ.वे. ४,१५)
अग्निः | होता | नः | अध्वरे | वाजी | सन् | परि | नीयते | देवः | देवेषु | यज्ञियः // ऋ.वे. ४,१५.१ //
परि | त्रि-विष्टि | अध्वरम् | याति | अग्निः | रथीः-इव | आ | देवेषु | प्रयः | दधत् // ऋ.वे. ४,१५.२ //
परि | वाज-पतिः | कविः | अग्निः | हव्यानि | अक्रमीत् | दधत् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ.वे. ४,१५.३ //
अयम् | यः | सृञ्जये | पुरः | दैव-वाते | सम्-इध्यते | द्यु-मान् | अमित्र-दम्भनः // ऋ.वे. ४,१५.४ //
अस्य | घ | वीरः | ईवतः | अग्नेः | ईशीत | मर्त्यः | तिग्म-जम्भस्य | मीऌहुषः // ऋ.वे. ४,१५.५ //
//१५//.

-ऋ.वे. ३:५/१६-
तम् | अर्वन्तम् | न | सानसिम् | अरुषम् | न | दिवः | शिशुम् | मर्मृज्यन्ते | दिवे--दिवे // ऋ.वे. ४,१५.६ //
बोधत् | यत् | मा | हरि-भ्याम् | कुमारः | साह-देव्यः | अच्छ | न | हूतः | उत् | अरम् // ऋ.वे. ४,१५.७ //
उत | त्या | यजता | हरी इति | कुमारात् | साहदेव्यात् | प्र-यता | सद्यः | आ | ददे // ऋ.वे. ४,१५.८ //
एषः | वाम् | देवौ | अश्विना | कुमारः | साह-देव्यः | दीर्घ-आयुः | अस्तु | सोमकः // ऋ.वे. ४,१५.९ //
तम् | युवम् | देवौ | अश्विना | कुमारम् | साह-देव्यम् | दीर्घ-आयुषम् | कृणोतन // ऋ.वे. ४,१५.१० //
//१६//.

-ऋ.वे. ३:५/१७-
(ऋ.वे. ४,१६)
आ | सत्यः | यातु | मघ-वान् | ऋजीषी | द्रवन्तु | अस्य | हरयः | उप | नः | तस्मै | इत् | अन्धः | सुसुम | सु-दक्षम् | इह | अभि-पित्वम् | करते | गृणानः // ऋ.वे. ४,१६.१ //
अव | स्य | शूर | अध्वनः | न | अन्ते | अस्मिन् | नः | अद्य | सवने | मन्दध्यै | शंसाति | उक्थम् | उशनाइव | वेधाः | चिकितुषे | असुर्याय | मन्म // ऋ.वे. ४,१६.२ //
कविः | न | निण्यम् | विदथानि | साधन् | वृषा | यत् | सेकम् | वि-पिपानः | अर्चात् | दिवः | इत्था | जीजनत् | सप्त | कारून् | अह्ना | चित् | चक्रुः | वयुना | गृणन्तः // ऋ.वे. ४,१६.३ //
स्वः | यत् | वेदि | सु-दृशीकम् | अर्कैः | महि | ज्योतिः | रुरुचुः | यत् | ह | वस्तोः | अन्धा | तमांसि | दुधिता | वि-चक्षे | नृ-भ्यः | चकार | नृ-तमः | अभिष्टौ // ऋ.वे. ४,१६.४ //
ववक्षे | इन्द्रः | अमितम् | ऋजीषी | उभे इति | आ | पप्रौ | रोदसी इति | महि-त्वा | अतः | चित् | अस्य | महिमा | वि | रेचि | अभि | यः | विश्वा | भुवना | बभूव // ऋ.वे. ४,१६.५ //
//१७//.

-ऋ.वे. ३:५/१८-
विश्वानि | शक्रः | नर्याणि | विद्वान् | अपः | रिरेच | सखि-भिः | नि-कामैः | अश्मानम् | चित् | ये | बिभिदुः | वचः-भिः | व्रजम् | गो--मन्तम् | उशिजः | वि | वव्रुरितिवव्रुः // ऋ.वे. ४,१६.६ //
अपः | वृत्रम् | वव्रि-वांसम् | परा | अहन् | प्र | आवत् | ते | वज्रम् | पृथिवी | स-चेताः | प्र | अर्णासि | समुद्रियाणि | ऐनोः | पतिः | भवन् | शवसा | शूर | धृष्णो इति // ऋ.वे. ४,१६.७ //
अपः | यत् | अद्रिम् | पुरु-हूत | दर्दः | आविः | भुवत् | सरमा | पूर्व्यम् | ते | सः | नः | नेता | वाजम् | आ | दर्षि | भूरिम् | गोत्रा | रुजन् | अङ्गिरः-भिः | गृणानः // ऋ.वे. ४,१६.८ //
अच्छ | कविम् | नृ-मनः | गाः | अभिष्टौ | स्वः-साता | मघ-वन् | नादमानम् | ऊति-भिः | तम् | इषणः | द्युम्न-हूतौ | नि | मायावान् | अब्रह्मा | दस्युः | अर्त // ऋ.वे. ४,१६.९ //
आ | दस्यु-घ्ना | मनसा | याहि | अस्तम् | भुवत् | ते | कुत्सः | सख्ये | नि-कामः | स्वे | योनौ | नि | सदतम् | स-रूपा | वि | वाम् | चिकित्सत् | ऋत-चित् | ह | नारी // ऋ.वे. ४,१६.१० //
//१८//.

-ऋ.वे. ३:५/१९-
यासि | कुत्सेन | स-रथम् | अवस्युः | तोदः | वातस्य | हर्योः | ईशानः | ऋज्रा | वाजम् | न | गध्यम् | युयूषन् | कविः | यत् | अहन् | पार्याय | भूषात् // ऋ.वे. ४,१६.११ //
कुत्साय | शुष्णम् | अशुषम् | नि | बर्हीः | प्र-पित्वे | अह्नः | कुयवम् | सहस्रा | सद्यः | दस्यून् | प्र | मृण | कुत्स्येन | प्र | सूरः | चक्रम् | वृहतात् | अभीके // ऋ.वे. ४,१६.१२ //
त्वम् | पिप्रुम् | मृगयम् | शूशु-वांसम् | ऋजिश्वने | वैदथिनाय | रन्धीः | पञ्चाशत् | कृष्णा | नि | वपः | सहस्रा | आत्कम् | न | पुरः | जरिमा | वि | दर्दः // ऋ.वे. ४,१६.१३ //
सूरः | उपाके | तन्वम् | दधानः | वि | यत् | ते | चेति | अमृतस्य | वर्पः | मृगः | न | हस्ती | तविषीम् | उषाणः | सिंहः | न | भीमः | आयुधानि | बभ्रत् // ऋ.वे. ४,१६.१४ //
इन्द्रम् | कामाः | वसु-यन्तः | अग्मन् | स्वः | मीऌहे | न | सवने | चकानाः | श्रवस्यवः | शशमानासः | उक्थैः | ओकः | न | रण्वा | सुदृशी-इव | पुष्टिः // ऋ.वे. ४,१६.१५ //
//१९//.

-ऋ.वे. ३:५/२०-
तम् | इत् | वः | इन्द्रम् | सु-हवम् | हुवेम | यः | ता | चकार | नर्या | पुरूणि | यः | मावते | जरित्रे | गध्यम् | चित् | मक्षु | वाजम् | भरति | स्पार्ह-राधाः // ऋ.वे. ४,१६.१६ //
तिग्मा | यत् | अन्तः | अशनिः | पताति | कस्मिन् | चित् | शूर | मुहुके | जनानाम् | घोरा | यत् | अर्य | सम्-ऋतिः | भवाति | अध | स्म | नः | तन्वः | बोधि | गोपाः // ऋ.वे. ४,१६.१७ //
भुवः | अविता | वाम-देवस्य | धीनाम् | भुवः | सखा | अवृकः | वाज-सातौ | त्वाम् | अनु | प्र-मतिम् | आ | जगन्म | उरु-शंसः | जरित्रे | विश्वध | स्याः // ऋ.वे. ४,१६.१८ //
एभिः | नृ-भिः | इन्द्र | त्वायु-भिः | त्वा | मघवत्-भिः | मघ-वन् | विश्वे | आजौ | द्यावः | न | द्युम्नैः | अभि | सन्तः | अर्यः | क्षपः | मदेम | शरदः | च | पूर्वीः // ऋ.वे. ४,१६.१९ //
एव | इत् | इन्द्राय | वृषभाय | वृष्णे | ब्रह्म | अकर्म | भृगवः | न | रथम् | नु | चित् | यथा | नः | सख्या | वि-योषत् | असत् | नः | उग्रः | अविता | तनू-पाः // ऋ.वे. ४,१६.२० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,१६.२१ //
//२०//.

-ऋ.वे. ३:५/२१-
(ऋ.वे. ४,१७)
त्वम् | महान् | इन्द्र | तुभ्यम् | ह | क्षाः | अनु | क्षत्रम् | मंहना | मन्यत | द्यौः | त्वम् | वृत्रम् | शवसा | जघन्वान् | सृजः | सिन्धून् | अहिना | जग्रसानान् // ऋ.वे. ४,१७.१ //
तव | त्विषः | जनिमन् | रेजत | द्यौः | रेजत् | भूमिः | भियसा | स्वस्य | मन्योः | ऋघायन्त | सु-भ्वः | पर्वतासः | आर्दन् | धन्वानि | सरयन्ते | आपः // ऋ.वे. ४,१७.२ //
भिनत् | गिरिम् | शवसा | वज्रम् | इष्णन् | आविः-कृण्वानः | सहसानः | ओजः | वधीत् | वृत्रम् | वज्रेण | मन्दसानः | सरन् | आपः | जवसा | हत-वृष्णीः // ऋ.वे. ४,१७.३ //
सु-वीरः | ते | जनिता | मन्यत | द्यौः | इन्द्रस्य | कर्ता | स्वपः-तमः | भूत् | यः | ईम् | जजान | स्वर्यम् | सु-वज्रम् | अनप-च्युतम् | सदसः | न | भूम // ऋ.वे. ४,१७.४ //
यः | एकः | इत् | च्यावयति | प्र | भूमा | राजा | कृष्टीनाम् | पुरु-हूतः | इन्द्रः | सत्यम् | एनम् | अनु | विश्वे | मदन्ति | रातिम् | देवस्य | गृणतः | मघोनः // ऋ.वे. ४,१७.५ //
//२१//.

-ऋ.वे. ३:५/२२-
सत्रा | सोमाः | अभवन् | अस्य | विश्वे | सत्रा | मदासः | बृहतः | मदिष्ठाः | सत्रा | अभवः | वसु-पतिः | वसूनाम् | दत्रे | विश्वाः | अधिथाः | इन्द्र | कृष्टीः // ऋ.वे. ४,१७.६ //
त्वम् | अध | प्रथमम् | जायमानः | अमे | विश्वाः | अधिथाः | इन्द्र | कृष्टीः | त्वम् | प्रति | प्र-वतः | आशयानम् | अहिम् | वज्रेण | मघ-वन् | वि | वृश्चः // ऋ.वे. ४,१७.७ //
सत्राहनन् | दधृषिम् | तुम्रम् | इन्द्रम् | महाम् | अपारम् | वृषभम् | सु-वज्रम् | हन्ता | यः | वृत्रम् | सनिता | उत | वाजम् | दाता | मघानि | मघ-वा | सु-राधाः // ऋ.वे. ४,१७.८ //
अयम् | वृतः | चातयते | सम्-ईचीः | यः | आजिषु | मघ-वा | शृण्वे | एकः | अयम् | वाजम् | भरति | यम् | सनोति | अस्य | प्रियासः | सख्ये | स्याम // ऋ.वे. ४,१७.९ //
अयम् | शृण्वे | अध | जयन् | उत | घ्नन् | अयम् | उत | प्र | कृणुते | युधा | गाः | यदा | सत्यम् | कृणुते | मन्युम् | इन्द्रः | विश्वम् | दृऌहम् | भयते | एजत् | अस्मात् // ऋ.वे. ४,१७.१० //
//२२//.

-ऋ.वे. ३:५/२३-
सम् | इन्द्रः | गाः | अजयत् | सम् | हिरण्या | सम् | अश्विया | मघ-वा | यः | ह | पूर्वीः | एभिः | नृ-भिः | नृ-तमः | अस्य | शाकैः | रायः | वि-भक्ता | सम्-भरः | च | वस्वः // ऋ.वे. ४,१७.११ //
कियत् | स्वित् | इन्द्रः | अधि | एति | मातुः | कियत् | पितुः | जनितुः | यः | जजान | यः | अस्य | शुष्मम् | मुहुकैः | इयर्ति | वातः | न | जूतः | स्तनयत्-भिः | अभ्रैः // ऋ.वे. ४,१७.१२ //
क्षियन्तम् | त्वम् | अक्षियन्तम् | कृणोति | इयर्ति | रेणुम् | मघ-वा | सम्-ओहम् | वि--भञ्जनुः | अशनिमान्-इव | द्यौः | उत | स्तोतारम् | मघ-वा | वसौ | धात् // ऋ.वे. ४,१७.१३ //
अयम् | चक्रम् | इषणत् | सूर्यस्य | नि | एतशम् | रीरमत् | ससृमाणम् | आ | कृष्णः | ईम् | जुहुराणः | जिघर्ति | त्वचः | बुध्ने | रजसः | अस्य | योनौ // ऋ.वे. ४,१७.१४ //
असिक्नयाम् | यजमानः | न | होता // ऋ.वे. ४,१७.१५ //
//२३//.

-ऋ.वे. ३:५/२४-
गव्यन्तः | इन्द्रम् | सख्याय | विप्राः | अश्व-यन्तः | वृषणम् | वाजयन्तः | जनि-यन्तः | जनि-दाम् | अक्षित-ऊतिम् | आ | च्यवयामः | अवते | न कोशम् // ऋ.वे. ४,१७.१६ //
त्राता | नः | बोधि | ददृशानः | आपिः | अभि-ख्याता | मर्डिता | सोम्यानाम् | सखा | पिता | पितृ-तमः | पितॄणाम् | कर्ता | ईम् | ॐ इति | लोकम् | उशते | वयः-धाः // ऋ.वे. ४,१७.१७ //
सखि-यताम् | अविता | बोधि | सखा | गृणानः | इन्द्र | स्तुवते | वयः | धाः | वयम् | हि | आ | ते | चकृम | स-बाधः | आभिः | शमीभिः | महयन्तः | इन्द्र // ऋ.वे. ४,१७.१८ //
स्तुतः | इन्द्रः | मघ-वा | यत् | ह | वृत्रा | भूरीणि | एकः | अप्रतीनि | हन्ति | अस्य | प्रियः | जरिता | यस्य | शर्मन् | नकिः | देवाः | वारयन्ते | न | मर्ताः // ऋ.वे. ४,१७.१९ //
एव | नः | इन्द्रः | मघ-वा | वि-रप्शी | करत् | सत्या | चर्षणि-धृत् | अनवार् | त्वम् | राजा | जनुषाम् | धेहि | अस्मे इति | अधि | श्रवः | माहिनम् | यत् | जरित्रे // ऋ.वे. ४,१७.२० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,१७.२१ //
//२४//.

-ऋ.वे. ३:५/२५-
(ऋ.वे. ४,१८)
अयम् | पन्थाः | अनु-वित्तः | पुराणः | यतः | देवाः | उत्-अजायन्त | विश्वे | अतः | चित् | आ | जनिषीष्ट | प्र-वृद्धः | मा | मातरम् | अमुया | पत्तवे | करितिकः // ऋ.वे. ४,१८.१ //
न | अहम् | अतः | निः | अय | दुः-गहा | एतत् | तिरश्चता | पार्श्वात् | निः | गमानि | बहूनि | मे | अकृता | कर्त्वानि | युध्यै | त्वेन | सम् | त्वेन | पृच्छै // ऋ.वे. ४,१८.२ //
परायतीम् | मातरम् | अनु | अचष्ट | न | न | अनु | गानि | अनु | नु | गमानि | त्वष्टुः | गृहे | अपिबत् | सोमम् | इन्द्रः | शत-धन्यम् | चम्वोः | सुतस्य // ऋ.वे. ४,१८.३ //
किम् | सः | ऋधक् | कृणवत् | यम् | सहस्रम् | मासः | जभार | शरदः | च | पूर्वीः | नही | नु | आस्य | प्रति-मानम् | अस्ति | अन्तः | जतेषु | उत | ये | जनि-त्वाः // ऋ.वे. ४,१८.४ //
अवद्यम्-इव | मन्यमाना | गुहा | अकः | इन्द्रम् | माता | वीर्येण | नि-ऋष्तम् | अथ | उत् | अस्थात् | स्वयम् | अत्कम् | वसानः | आ | रोदसी इति | अपृणात् | जायमानः // ऋ.वे. ४,१८.५ //
//२५//.

-ऋ.वे. ३:५/२६-
एताः | अर्षन्ति | अललाभवन्तीः | ऋतवरीः-इव | सम्-क्रोशमानाः | एताः | वि | पृच्छ | किम् | इदम् | भनन्ति | कम् | आपः | अद्रिम् | परि-धिम् | रुजन्ति // ऋ.वे. ४,१८.६ //
किम् | ॐ इति | स्वित् | अस्मै | नि-विदः | भनन्त | इन्द्रस्य | अवद्यम् | दिधिषन्ते | आपः | मम | एतान् | पुत्रः | महता | वधेन | वृत्रम् | जघन्वान् | असृजत् | वि | सिन्धून् // ऋ.वे. ४,१८.७ //
ममत् | चन | त्वा | युवतिः | पराआस | ममत् | चन | त्वा | कुषवा | जगार | ममत् | चित् | आपः | शिशवे | ममृड्युः | ममत् | चित् | इन्द्रः | सहसा | उत् | अतिष्ठत् // ऋ.वे. ४,१८.८ //
ममत् | चन | ते | मघ-वन् | वि-अंसः | नि-विविध्वान् | अप | हनूइति | जघान | अध | नि-विद्धः | उत्-तरः | बभूवान् | शिरः | दासस्य | सम् | पिणक् | वधेन // ऋ.वे. ४,१८.९ //
गृष्टिः | सासूव | स्थविरम् | तवागाम् | अनाधृष्यम् | वृषभम् | तुम्रम् | इन्द्रम् | अरीऌहम् | वत्सम् | चरथाय | माता | स्वयम् | गातुम् | तन्वे | इच्छमानम् // ऋ.वे. ४,१८.१० //
उत | माता | महिषम् | अनु | अवेनत् | अमी इति | त्वा | जहति | पुत्र | देवाः | अथ | अब्रवीत् | वृत्रम् | इन्द्रः | हनिष्यन् | सखे | विष्णो इति | वि-तरम् | वि | क्रमस्व // ऋ.वे. ४,१८.११ //
कः | ते | मातरम् | विधवाम् | अचक्रत् | शयुम् | कः | त्वाम् | अजिघांसत् | चरन्तम् | कः | ते | देवः | अधि | मार्डीके | आसीत् | यत् | प्र | अक्षिणाः | पितरम् | पाद-गृह्य // ऋ.वे. ४,१८.१२ //
अवर्त्या | शुनः | आन्त्राणि | पेचे | न | देवेषु | विविदे | मर्डितारम् | अपश्यम् | जायाम् | अमहीयमानाम् | अध | मे | श्येनः | मधु | आ | जभार // ऋ.वे. ४,१८.१३ //
//२६//.




-ऋ.वे. ३:६/१-
(ऋ.वे. ४,१९)
एव | त्वाम् | इन्द्र | वज्रिन् | अत्र | विश्वे | देवासः | सु-हवासः | ऊमाः | महाम् | उभे इति | रोदसी इति | वृद्धम् | ऋष्वम् | निः | एकम् | इत् | गृणते | वृत्र-हत्ये // ऋ.वे. ४,१९.१ //
अव | असृजन्त | जिव्रयः | न | देवाः | भुवः | सम्-राट् | इन्द्र | सत्य-योनि ः | अहन् | अहिम् | परि-शयानम् | अर्णः | प्र | वर्तनीः | अरदः | विश्व-धेनाः // ऋ.वे. ४,१९.२ //
अतृप्णुवन्तम् | वि-यतम् | अबुध्यम् | अबुध्यमानम् | सुसुपाणम् | इन्द्र | सप्त | प्रति | प्र-वतः | आशयानम् | अहिम् | वज्रेण | वि | रिणाः | अपर्वन् // ऋ.वे. ४,१९.३ //
अक्षोदयत् | शवसा | क्षाम | बुध्नम् | वाः | न | वातः | तविषीभिः | इन्द्रः | दृऌहानि | औभ्नात् | उशमानः | ओजः | अव | अभिनत् | ककुभः | पर्वतानाम् // ऋ.वे. ४,१९.४ //
अभि | प्र | दद्रुः | जनयः | न | गर्भम् | रथाः-इव | प्र | ययुः | साकम् | अद्रयः | अतर्पयः | वि-सृतः | उब्जः | ऊर्मीन् | त्वम् | वृतान् | अरिणाः | इन्द्र | सिन्धून् // ऋ.वे. ४,१९.५ //
//१//.

-ऋ.वे. ३:६/२-
त्वम् | महीम् | अवनिम् | विश्व-धेनाम् | तुर्वीतये | वय्याय | क्षरन्तीम् | अरमयः | नमसा | एजत् | अर्णः | सु-तरणान् | अकृणोः | इन्द्र | सिन्धून् // ऋ.वे. ४,१९.६ //
प्र | अग्रुवः | नभन्वः | न | वक्वअः | ध्वस्राः | अपिन्वत् | युवतीः | ऋत-ज्ञाः | धन्वानि | अज्रान् | अपृणक् | तृषाणान् | अधोक् | इन्द्रः | स्तर्यः | दम्-सुपत्नीः // ऋ.वे. ४,१९.७ //
पूर्वीः | उषसः | शरदः | च | गूर्ताः | वृत्रम् | जघन्वान् | असृजत् | वि | सिन्धून् | परि-स्थिताः | अतृणत् | बद्बधानाः | सीराः | इन्द्रः | स्रवितवे | पृथिव्या // ऋ.वे. ४,१९.८ //
वम्रीभिः | पुत्रम् | अग्रुवः | अदानम् | नि-वेशनात् | हरि-वः | आ | जभर्थ | व् इ | अन्धः | अख्यत् | अहिम् | आददानः | निः | भूत् | उख-छित् | सम् | अरन्त | पर्व // ऋ.वे. ४,१९.९ //
प्र | ते | पूर्वाणि | करणानि | विप्र | आविद्वान् | आह | विदुषे | करांसि | यथायथा | वृष्ण्यानि | स्व-गूर्ता | अपांसि | राजन् | नर्या | अविवेषीः // ऋ.वे. ४,१९.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,१९.११ //
//२//.

-ऋ.वे. ३:६/३-
(ऋ.वे. ४,२०)
आ | नः | इन्द्रः | दूरात् | आ | नः | आसात् | अभिष्टि-कृत् | अवसे | यासत् | उग्रः | ओजिष्ठेभिः | नृ-पतिः | वज्र-बाहुः | सम्-गे | समत्-सु | पृतन्यून् // ऋ.वे. ४,२०.१ //
आ | नः | इन्द्रः | हरि-भिः | यातु | अच्छ | अर्वाचीनः | अवसे | राधसे | च | तिष्ठाति | वज्री | मघ-वा | वि-रप्शी | इमम् | यज्ञम् | अनु | नः | वाज-सातौ // ऋ.वे. ४,२०.२ //
इमम् | यज्ञम् | त्वम् | अस्माकम् | इन्द्र | पुरः | दधत् | सनिष्यसि | क्रतुम् | नः | श्वघ्नी-इव | वज्रिन् | सनये | धनानाम् | त्वया | वयम् | अर्यः | आजिम् | जयेम // ऋ.वे. ४,२०.३ //
उशन् | ॐ इति | सु | णः | सु-मनाः | उपाके | सोमस्य | नु | सु-सुतस्य | स्वधावः | पाः | इन्द्र | प्रति-भृतस्य | मध्वः | सम् | अन्धसा | ममदः | पृष्ठ्येन // ऋ.वे. ४,२०.४ //
वि | यः | ररप्शे | ऋषि-भिः | नवेभिः | वृक्षः | न | पक्वः | सृण्यः | न | जेता | मर्यः | न | योषाम् | अभि | मन्यमानः | अच्छ | विवक्मि | पुरु-हूतम् | इन्द्रम् // ऋ.वे. ४,२०.५ //
//३//.

-ऋ.वे. ३:६/४-
गिरिः | न | यः | स्व-तवान् | ऋष्वः | इन्द्रः | सनात् | एव | सहसे | जातः | उग्रः | आदर्ता | वज्रम् | स्थविरम् | न | भीमः | उद्नाइव | कोशम् | वसुना | नि-ऋष्टम् // ऋ.वे. ४,२०.६ //
न | यस्य | वर्ता | जनुषा | नु | अस्ति | न | राधसः | आमरीता | मघस्य | उत्-ववृषाणः | तविषी-वः | उग्र | अस्मभ्यम् | दद्धि | पुरु-हूत | रायः // ऋ.वे. ४,२०.७ //
ईक्षे | रायः | क्षयस्य | चर्षणीनाम् | उत | व्रजम् | अप-वर्ता | असि | गोनाम् | शिक्षानरः | सम्-इथेषु | प्रहावान् | वस्वः | राशिम् | अभि-नेता | असि | भूरिम् // ऋ.वे. ४,२०.८ //
कया | तत् | शृण्वे | शच्या | शचिष्ठः | यया | कृणोति | मुहु | का | चित् | दृष्वः | पुरु | दाशुषे | वि-चयिष्ठः | अंहः | अथ | दधाति | द्रविणम् | जरित्रे // ऋ.वे. ४,२०.९ //
मा | नः | मर्धीः | आ | भर | दद्धि | तत् | नः | प्र | दाशुषे | दातवे | भूरि | यत् | ते | नव्ये | देष्णे | शस्ते | अस्मिन् | ते | उक्थे | प्र | ब्रवाम | वयम् | इन्द्र | स्तुवन्तः // ऋ.वे. ४,२०.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,२०.११ //
//४//.

-ऋ.वे. ३:६/५-
(ऋ.वे. ४,२१)
आ | यातु | इन्द्रः | अवसे | उप | नः | इह | स्तुतः | सध-मात् | अस्तु | शूरः | ववृधानः | तविषीः | यस्य | पूर्वीः | द्यौः | न | क्षत्रम् | अभि-भूति | पुष्यात् // ऋ.वे. ४,२१.१ //
तस्य | इत् | इह | स्तवथ | वृष्ण्यानि | तुवि-द्युम्नस्य | तुवि-राधसः | नॄन् | यस्य | क्रतुः | विदथ्यः | न | सम्-राट् | सह्वान् | तरुत्रः | अभि | अस्ति | कृष्टीः // ऋ.वे. ४,२१.२ //
आ | यातु | इन्द्रः | दिवः | आ | पृथिव्याः | मक्षु | समुद्रात् | उत | वा | पुरीषात् | स्वः-नरात् | अवसे | नः | मरुत्वान् | परावतः | वा | सदनात् | ऋतस्य // ऋ.वे. ४,२१.३ //
स्थूरस्य | रायः | बृहतः | यः | ईशे | तम् | ॐ इति | स्तवाम | विदथेषु | इन्द्रम् | यः | वायुना | जयति | गो--मतीषु | प्र | धृष्णु-या | नयति | वस्यः | अच्छ // ऋ.वे. ४,२१.४ //
उप | यः | नमः | नमसि | स्तभायन् | इयर्ति | वाचम् | जनयन् | यजध्यै | ऋञ्जसानः | पुरु-वारः | उक्थैः | आ | इन्द्रम् | कृण्वीत | सदनेषु | होता // ऋ.वे. ४,२१.५ //
//५//.

-ऋ.वे. ३:६/६-
धिषा | यदि | धिषण्यन्तः | सरण्यान् | सदन्तः | अद्रिम् | औशिजस्य | गोहे | आ | दुरोषाः | पाश्त्यस्य | होता | यः | नः | महान् | सम्-वरणेषु | वह्निः // ऋ.वे. ४,२१.६ //
सत्रा | यत् | इम् | भार्वरस्य | वृष्णः | सिसक्ति | शुष्मः | स्तुवते | भराय | गुहा | यत् | ईम् | औशिजस्य | गोहे | प्र | यत् | धिये | प्र | अयसे | मदाय // ऋ.वे. ४,२१.७ //
वि | यत् | वरांसि | पर्वतस्य | वृण्वे | पयः-भिः | जिन्वे | अपाम् | जवांसि | विदत् | गौरस्य | गवयस्य | गोहे | यदि | वाजाय | सु-ध्यः | वहन्ति // ऋ.वे. ४,२१.८ //
भद्रा | ते | हस्ता | सु-कृता | उत | पाणी इति | प्र-यन्तारा | स्तुवते | राधः | इन्द्र | का | ते | नि-सत्तिः | किम् | ॐ इति | नः | ममत्सि | किम् | न | उत्-उत् | ॐ इति | हर्षसे | दातवै | ॐ इति // ऋ.वे. ४,२१.९ //
एव | वस्वः | इन्द्रः | सत्यः | सम्-राट् | हन्ता | वृत्रम् | वरिवः | पूरवे | करितिकः | पुरु-स्तुत | क्रत्वा | नः | शग्धि | रायः | भक्षीय | ते | अवसः | दैव्यस्य // ऋ.वे. ४,२१.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,२१.११ //
//६//.

-ऋ.वे. ३:६/७-
(ऋ.वे. ४,२२)
यत् | नः | इन्द्रः | जुजुषे | यत् | च | वष्टि | तत् | नः | महान् | करति | शुष्मी | आ | चित् | ब्रह्म | स्तोमम् | मघ-वा | सोमम् | उक्था | यः | अश्मानम् | शवसा | बिभ्रत् | एति // ऋ.वे. ४,२२.१ //
वृषा | वृषन्धिम् | चतुः-अश्रिम् | अस्यन् | उग्रः | बाहु-भ्याम् | नृ-तमः | शची-वान् | श्रिये | परुष्णीम् | उषमाणः | ऊर्णाम् | यस्याः | पर्वाणि | सख्याय | विव्ये // ऋ.वे. ४,२२.२ //
यः | देवः | देव-तमः | जायमानः | महः | वाजेभिः | महत्-भिः | च | शुष्मैः | दधानः | वज्रम् | बाह्वोः | उशन्तम् | द्याम् | अमेन | रेजयत् | प्र | भूम // ऋ.वे. ४,२२.३ //
विश्वा | रोधांसि | प्र-वतः | च | पूर्वीः | द्यौः | ऋष्वात् | जनिमन् | रेजत | क्षाः | आ | मातरा | भरति | शुष्मी | आ | गोः | नृ-वत् | परि-ज्मन् | नोनुवन्त | वाताः // ऋ.वे. ४,२२.४ //
ता | तु | ते | इन्द्र | महतः | महानि | विश्वेषु | इत् | सवनेषु | प्र-वाच्या | यत् | शूर | धृष्णो इति | धृषता | दधृष्वान् | अहिम् | वज्रेण | शवसा | अविवेषीः // ऋ.वे. ४,२२.५ //
//७//.

-ऋ.वे. ३:६/८-
ता | तु | ते | सत्या | तुवि-नृम्ण | विश्वा | प्र | धेनवः | सिस्रते | वृष्णः | ऊध्नः | अध | ह | त्वत् | वृष-मनः | भियानाः | प्र | सिन्धवः | जवसा | चक्रमन्त // ऋ.वे. ४,२२.६ //
अत्र | अह | ते | हरि-वः | ताः | ॐ इति | देवीः | अवः-भिः | इन्द्र | स्तवन्त | स्वसारः | यत् | सीम् | अनु | प्र | मुचः | बद्बधानाः | दीर्घाम् | अनु | प्र-सितिम् | स्यन्दयध्यै // ऋ.वे. ४,२२.७ //
पिपीऌए | अंशुः | मद्यः | न | सिन्धुः | आ | त्वा | शमी | शशमानस्य | शक्तिः | अस्मद्र्यक् | शुशुमानस्य | यम्याः | आशुः | न | रश्मिम् | तुवि-ओजसम् | गोः // ऋ.वे. ४,२२.८ //
अस्मे इति | वर्षिष्ठा | कृणुहि | ज्येष्ठा | नृम्णानि | सत्रा | सहुरे | सहांसि | अस्मभ्यम् | वृत्रा | सु-हनानि | रन्धि | जहि | वधः | वनुषः | मर्त्यस्य // ऋ.वे. ४,२२.९ //
अस्माकम् | इत् | सु | शृणुहि | त्वम् | इन्द्र | अस्मभ्यम् | चित्रान् | उप | माहि | वाजान् | अस्मभ्यम् | विश्वाः | इषणः | पुरम्-धीः | अस्माकम् | सु | मघ-वन् | बोधि | गोदाः // ऋ.वे. ४,२२.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,२२.११ //
//८//.

-ऋ.वे. ३:६/९-
(ऋ.वे. ४,२३)
कथा | महाम् | अवृधत् | कस्य | होतुः | यज्ञम् | जुषाणः | अभि | सोमम् | ऊधः | पिबन् | उशानः | जुषमाणः | अन्धः | ववक्षे | ऋष्वः | शुचते | धनाय // ऋ.वे. ४,२३.१ //
कः | अस्य | वीरः | सध-मादम् | आप | सम् | आनंश | सुमति-भिः | कः | अस्य | कत् | अस्य | चित्रम् | चिकिते | कत् | ऊती | वृधे | भुवत् | शशमानस्य | यज्योः // ऋ.वे. ४,२३.२ //
कथा | शृणोति | हूयमानम् | इन्द्रः | कथा | शृण्वन् | अवसाम् | अस्य | वेद | काः | अस्य | पूर्वीः | उप-मातयः | ह | कथा | एनम् | आहुः | पपुरिम् | जरित्रे // ऋ.वे. ४,२३.३ //
कथा | स-बाधः | शशमानः | अस्य | नशत् | अभि | द्रविणम् | दीध्यानः | देवः | भवत् | नवेदाः | मे | ऋतानाम् | नमः | जगृभ्वान् | अभि | यत् | जुजोषत् // ऋ.वे. ४,२३.४ //
कथा | कत् | अस्याः | उषसः | वि-उष्टौ | देवः | मर्तस्य | सख्यम् | जुजोष | कथा | कत् | अस्य | सख्यम् | सखि-भ्यः | ये | अस्मिन् | कामम् | सु-युजम् | ततस्रे // ऋ.वे. ४,२३.५ //
//९//.

-ऋ.वे. ३:६/१०-
किम् | आत् | अमत्रम् | सख्यम् | सखि-भ्यः | कदा | नु | ते | भ्रात्रम् | प्र | ब्रवाम | श्रिये | सु-दृशः | वपुः | अस्य | सर्गाः | स्वः | न | चित्र-तमम् | इषे | आ | गोः // ऋ.वे. ४,२३.६ //
दुहम् | जिघांसम् | ध्वरसम् | अनिन्द्राम् | तेतिक्ते | तिग्मा | तुजसे | अनीका | ऋणा | चित् | यत्र | ऋण-याः | नः | उग्रः | दूरे | अज्ञाताः | उषसः | बबाधे // ऋ.वे. ४,२३.७ //
ऋतस्य | हि | शुरु-धः | सन्ति | पूर्वीः | ऋतस्य | धीतिः | वृजिनानि | हन्ति | ऋतस्य | श्लोकः | बधिरा | ततर्द | कर्णा | बुधानः | शुचमानः | आयोः // ऋ.वे. ४,२३.८ //
ऋतस्य | दृऌहा | धरुणानि | सन्ति | पुरूणि | चन्द्रा | वपुषे | वपूंषि | ऋतेन | दीर्घम् | इषणन्त | पृक्षः | ऋतेन | गावः | ऋतम् | आ | विवेशुः // ऋ.वे. ४,२३.९ //
ऋतम् | येमानः | ऋतम् | इत् | वनोति | ऋतस्य | शुष्मः | तुर-याः | ॐ इति | गव्युः | ऋताय | पृथ्वी इति | बहुलेइति | गभीरे इति | ऋताय | धेनू इति | परमे इति | दुहातेइति // ऋ.वे. ४,२३.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,२३.११ //
//१०//.

-ऋ.वे. ३:६/११-
(ऋ.वे. ४,२४)
का | सु-स्तुतिः | शवसः | सूनुम् | इन्द्रम् | अर्वाचीनम् | राधसे | आ | ववर्तत् | ददिः | हि | वीरः | गृणते | वसूनि | सः | गो--पतिः | निः-सिधाम् | नः | जनासः // ऋ.वे. ४,२४.१ //
सः | वृत्र-हत्ये | हव्यः | सः | ईड्यः | सः | सु-स्तुतः | इन्द्रः | सत्य-राधाः | सः | यामन् | आ | मघ-वा | मर्त्याय | ब्रह्मण्यते | सुष्वये | वर् इवः | धात् // ऋ.वे. ४,२४.२ //
तम् | इत् | नरः | वि | ह्वयन्ते | सम्-ईके | रिरिक्वअंसः | तन्वः | कृण्वत | त्राम् | मिथः | यत् | त्यागम् | उभ्यासः | अग्मन् | नरः | तोकस्य | तनयस्य | सातौ // ऋ.वे. ४,२४.३ //
क्रतुअन्ति | क्षितयः | योगे | उग्र | आशुषाणासः | मिथः | अर्ण-सातौ | सम् | यत् | विशः | अववृत्रन्त | युध्माः | आत् | इत् | नेमे | इन्द्रयन्ते | अभीके // ऋ.वे. ४,२४.४ //
आत् | इत् | ह | नेमे | इन्द्रियम् | यजन्ते | आत् | इत् | पक्तिः | पुरोऌआशम् | रिरिच्यात् | आत् | इत् | सोमः | वि | पपृच्यात् | असुस्वीन् | आत् | इत् | जुजोष | वृषभम् | यजध्यै // ऋ.वे. ४,२४.५ //
//११//.

-ऋ.वे. ३:६/१२-
कृणोति | अस्मै | वरिवः | यः | इत्था | इन्द्राय | सोमम् | उशते | सुनोति | सध्रीचीनेन | मनसा | अवि-वेनम् | तम् | इत् | सखायम् | कृणुते | समत्-सु // ऋ.वे. ४,२४.६ //
यः | इन्द्राय | सुनवत् | सोमम् | अद्य | पचात् | पक्तीः | उत | भृज्जाति | धानाः | प्रति | मनायोः | उचथानि | हर्यन् | तस्मिन् | दधत् | वृषणम् | शुष्मम् | इन्द्रः // ऋ.वे. ४,२४.७ //
यदा | स-मर्यम् | वि | अचेत् | ऋघावा | दीर्घम् | यत् | आजिम् | अभि | अख्यत् | अर्यः | अचिक्रदत् | वृषणम् | पत्नी | अच्छ | दुरोणे | आ | नि-शितम् | सोमसुत्-भिः // ऋ.वे. ४,२४.८ //
भूयसा | वस्नम् | अचरत् | कनीयः | अवि-क्रीतः | अकानिषम् | पुनः | यन् | सः | भूयसा | कनीयः | न | अरिरेचीत् | दीनाः | दक्षाः | वि | दुहन्ति | प्र | वाणम् // ऋ.वे. ४,२४.९ //
कः | इमम् | दश-भिः | मम | इन्द्रम् | क्रीणाति | धेनु-भिः | यदा | वृत्राणि | जङ्घनत् | अथ | एनम् | मे | पुनः | ददत् // ऋ.वे. ४,२४.१० //
नु | स्तुतः | इन्द्र | नु | गृणानः | इषम् | जरित्रे | नद्यः | न | पीपेरितिपीपेः | अकारि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | नव्यम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,२४.११ //
//१२//.

-ऋ.वे. ३:६/१३-
(ऋ.वे. ४,२५)
कः | अद्य | नर्यः | देव-कामः | उशन् | इन्द्रस्य | सख्यम् | जुजोष | कः | वा | महे | अवसे | पार्याय | सम्-इद्धे | अग्नौ | सुत-सोमः | ईटे // ऋ.वे. ४,२५.१ //
कः | ननाम | वचसा | सोम्याय | मनायुः | वा | भवति | वस्ते | उस्राः | कः | इन्द्रस्य | युज्यम् | कः | सखि-त्वम् | कः | भ्रात्रम् | वष्टि | कवये | कः | ऊती // ऋ.वे. ४,२५.२ //
कः | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीते | कः | आदित्यान् | अदितिम् | ज्योतिः | ईटे | कस्य | अश्वि नौ | इन्द्रः | अग्निः | सुतस्य | अंशोः | पिबन्ति | मनसा | अवि-वेनम् // ऋ.वे. ४,२५.३ //
तस्मै | अग्निः | भारतः | शर्म | यंसत् | ज्योक् | पश्यात् | सूर्यम् | उत्-चरन्तम् | यः | इन्द्राय | सुनवाम | इति | आह | नरे | नर्याय | नृ-तमाय | नृणाम् // ऋ.वे. ४,२५.४ //
न | तम् | जिनन्ति | बहवः | न | दभ्राः | उरु | अस्मै | अदितिः | शर्म | यंसत् | प्रियः | सु-कृत् | प्रियः | इन्द्रे | मनायुः | प्रियः | सुप्र-अवीः | प्रियः | अस्य | सोमी // ऋ.वे. ४,२५.५ //
//१३//.

-ऋ.वे. ३:६/१४-
सुप्र-अव्यः | प्राशुषाट् | एषः | वीरः | सुस्वेः | पक्तिम् | कृणुते | केवला | इन्द्रः | न | असुस्वेः | अपिः | न | सखा | न | जामिः | दुःप्र-अव्यः | अव-हन्ता | इत् | अवाचः // ऋ.वे. ४,२५.६ //
न | रेवता | पणिना | सख्यम् | इन्द्रः | असुन्वता | सुत-पाः | सम् | गृणीते | आ | अस्य | वेदः | खिदति | हन्ति | नग्नम् | वि | सुस्वये | पक्तये | केवलः | भूत् // ऋ.वे. ४,२५.७ //
इन्द्रम् | परे | अवरे | मध्यमासः | इन्द्रम् | यान्तः | अव-सितासः | इन्द्रम् | इन्द्रम् | क्षियन्तः | उत | युध्यमानाः | इन्द्रम् | नरः | वाजयन्तः | हवन्ते // ऋ.वे. ४,२५.८ //
//१४//.

-ऋ.वे. ३:६/१५-
(ऋ.वे. ४,२६)
अहम् | मनुः | अभवम् | सूर्यः | च | अहम् | कक्षीवान् | ऋषिः | अस्मि | विप्रः | अहम् | कुत्सम् | आर्जुनेयम् | नि | ऋञ्जे | अहम् | कविः | उशना | पश्यत | मा // ऋ.वे. ४,२६.१ //
अहम् | भूमिम् | अददाम् | आर्याय | अहम् | वृष्टिम् | दाशुषे | मर्त्याय | अहम् | अपः | अनयम् | ववशानाः | मम | देवासः | अनु | केतम् | आयन् // ऋ.वे. ४,२६.२ //
अहम् | पुरः | मन्दसानः | वि | ऐरम् | नव | साकम् | नवतीः | शम्बरस्य | शत-तमम् | वेश्यम् | सर्व-ताता | दिवः-दासम् | अतिथि-ग्वम् | यत् | आवम् // ऋ.वे. ४,२६.३ //
प्र | सु | सः | वि-भ्यः | मरुतः | विः | अस्तु | प्र | श्येनः | श्येनेभ्यः | आशु-पत्वा | अचक्रया | यत् | स्वधया | सु-पर्णः | हव्यम् | भरत् | मनवे | देव-जुष्टम् // ऋ.वे. ४,२६.४ //
भरत् | यदि | विः | अतः | वेविजानः | पथा | उरुणा | मनः-जवाः | असर्जि | तूयम् | ययौ | मधुना | सोम्येन | उत | श्रवः | विविदे | श्येनः | अत्र // ऋ.वे. ४,२६.५ //
ऋजीपी | श्येनः | ददमानः | अंशुम् | परावतः | शकुनः | मन्द्रम् | मदम् | सोमम् | भरत् | ददृहाणः | देव-वान् | दिवः | अमुष्मात् | उत्-तारात् | आदाय // ऋ.वे. ४,२६.६ //
आदाय | श्येनः | अभरत् | सोमम् | सहस्रम् | सवान् | अयुतम् | च | साकम् | अत्र | पुरम्-धिः | अजहात् | अरातीः | मदे | सोमस्य | मूराः | अमूरः // ऋ.वे. ४,२६.७ //
//१५//.

-ऋ.वे. ३:६/१६-
(ऋ.वे. ४,२७)
गर्भे | नु | सन् | अनु | एषाम् | अवेदम् | अहम् | देवानाम् | जनिमानि | विश्वा | शतम् | मा | पुरः | आयसीः | अरक्षन् | अध | श्येनः | जवसा | निः | अदीयम् // ऋ.वे. ४,२७.१ //
न | घ | सः | माम् | अप | जोषम् | जभार | अभि | ईम् | आस | त्वक्षसा | वीर्येण | ईमार् | पुरम्-धिः | अजहात् | अरातीः | उत | वातान् | अतरत् | शूशुवानः // ऋ.वे. ४,२७.२ //
अव | यत् | श्येनः | अस्वनीत् | अध | द्योः | वि | यत् | यदि | वा | अतः | ऊहुः | पुरम्-धिम् | सृजत् | यत् | अस्मै | अव | ह | क्षिपत् | ज्याम् | कृशानुः | अस्ता | मनसा | भुरण्यन् // ऋ.वे. ४,२७.३ //
ऋजिप्यः | ईम् | इन्द्र-वतः | न | भुज्युम् | श्येनः | जभार | बृहतः | अधि | स्नोः | अन्तरिति | पतत् | पतत्रि | अस्य | पर्णम् | अध | यामनि | प्र-सितस्य | तत् | वेः // ऋ.वे. ४,२७.४ //
अध | श्वेतम् | कलशम् | गोभिः | अक्तम् | आपिप्यानम् | मघ-वा | शुक्रम् | अन्धः | अध्वर्यु-भिः | प्र-यतम् | मध्वः | अग्रम् | इन्द्रः | मदाय | प्रति | धत् | पिबध्यै | शूरः | मदाय | प्रति | धत् | पिबध्यै // ऋ.वे. ४,२७.५ //
//१६//.

-ऋ.वे. ३:६/१७-
(ऋ.वे. ४,२८)
त्वा | युजा | तव | तत् | सोम | सख्ये | इन्द्रः | अपः | मनवे | स-स्रुतः | करितिकः | अहन् | अहिम् | अरिणात् | सप्त | सिन्धून् | अप | अवृणोत् | अपिहिताइव | खानि // ऋ.वे. ४,२८.१ //
त्वा | युजा | नि | खिदत् | सूर्यस्य | इन्द्रः | चक्रम् | सहसा | सद्यः | इन्दो इति | अधि | स्नुना | बृहता | वर्तमानम् | महः | द्रुहः | अप | विश्व-आयु | धायि // ऋ.वे. ४,२८.२ //
अहन् | इन्द्रः | अदहत् | अग्निः | इन्दो इति | पुरा | दम्यून् | मध्यन्दिनात् | अभीके | दुः-गे | दुरोणे | क्रत्वा | न | याताम् | पुरु | सहस्रा | शर्वा | नि | बर्हीत् // ऋ.वे. ४,२८.३ //
विश्वस्मात् | सीम् | अधमान् | इन्द्र | दस्यून् | विशः | दासीः | अकृणोः | अप्र-शस्ताः | अबाधेथाम् | अमृणतम् | नि | शत्रून् | अविन्देथाम् | अप-चितिम् | वधत्रैः // ऋ.वे. ४,२८.४ //
एव | सत्यम् | मघवाना | युवम् | तत् | इन्द्रः | च | सोम | ऊर्वम् | अश्व्यम् | गोः | आ | अदर्दृतम् | अपि-हितानि | अश्ना | रिरिचथुः | क्षाः | चित् | ततृदाना // ऋ.वे. ४,२८.५ //
//१७//.

-ऋ.वे. ३:६/१८-
(ऋ.वे. ४,२९)
आ | नः | स्तुतः | उप | वाजेभिः | ऊती | इन्द्र | याहि | हरि-भिः | मन्दसानः | ति रः | चित् | अर्यः | सवना | पुरूणि | आङ्गूषेभिः | गृणानः | सत्य-राधाः // ऋ.वे. ४,२९.१ //
आ | हि | स्म | याति | नर्यः | चिकित्वान् | हूयमानः | सोतृ-भिः | उप | यज्ञम् | सु-अश्वः | यः | अभीरुः | मन्यमानः | सु-स्वाणेभिः | मदति | सम् | ह | वीरैः // ऋ.वे. ४,२९.२ //
श्रावय | इत् | अस्य | कर्णा | वाजयध्यै | जुष्टाम् | अनु | प्र | दिशम् | मन्दयध्यै | उत्-ववृषाणः | राधसे | तुविष्मान् | करत् | नः | इन्द्रः | सु-तीर्था | अभयम् | च // ऋ.वे. ४,२९.३ //
अच्छ | यः | गन्ता | नाधमानम् | ऊती | इत्था | विप्रम् | हवमानम् | गृणन्तम् | उप | त्मनि | दधानः | धुरि | आशून् | सहस्राणि | शतानि | वज्र-बाहुः // ऋ.वे. ४,२९.४ //
त्वाऊतासः | मघ-वन् | इन्द्र | विप्राः | वयम् | ते | स्याम | सूरयः | गृणन्तः | भेजानासः | बृहत्-दिवस्य | रायः | आकाय्यस्य | दावने | पुरु-क्षोः // ऋ.वे. ४,२९.५ //
//१८//.

-ऋ.वे. ३:६/१९-
(ऋ.वे. ४,३०)
नकिः | इन्द्र | त्वत् | उत्-तरः | न | ज्यायान् | अस्ति | वृत्र-हन् | नकिः | एव | यथा | त्वम् // ऋ.वे. ४,३०.१ //
सत्रा | ते | अनु | कृष्टयः | विश्वा | चक्राइव | ववृतुः | सत्रा | महान् | असि | श्रुतः // ऋ.वे. ४,३०.२ //
विश्वे | चन | इत् | अना | त्वा | देवासः | इन्द्र | युयुधुः | यत् | अहा | नक्तम् | आ | अत् इरः // ऋ.वे. ४,३०.३ //
यत्र | उत | बाधितेभ्यः | चक्रम् | कुत्साय | युध्यते | मुषायः | इन्द्र | सूर्यम् // ऋ.वे. ४,३०.४ //
यत्र | देवान् | ऋघायतः | विश्वान् | अयुध्यः | एकः | इत् | त्वम् | इन्द्र | वनून् | अहन् // ऋ.वे. ४,३०.५ //
//१९//.

-ऋ.वे. ३:६/२०-
यत्र | उत | मर्त्याय | कम् | अरिणाः | इन्द्र | सूर्यम् | प्र | आवः | शचीभिः | एतशम् // ऋ.वे. ४,३०.६ //
किम् | आत् | उत | असि | वृत्र-हन् | मघ-वन् | मन्युमत्-तमः | अत्र | अह | दानुम् | आ | अतिरः // ऋ.वे. ४,३०.७ //
एतत् | घ | इत् | उत | वीर्यम् | इन्द्र | चकर्थ | पैंस्यम् | स्त्रियम् | यत् | दुः-हनायुवम् | वधीः | दुहितरम् | दिवः // ऋ.वे. ४,३०.८ //
दिवः | चित् | घ | दुहितरम् | महान् | महीयमानाम् | उषसम् | इन्द्र | सम् | पिणक् // ऋ.वे. ४,३०.९ //
अप | उषाः | अनसः | सरत् | सम्-पिष्टात् | अह | बिभ्युषी | नि | यत् | सीम् | शिश्नथत् | वृषा // ऋ.वे. ४,३०.१० //
//२०//.

-ऋ.वे. ३:६/२१-
एतत् | अस्याः | अनः | शये | सु-सम्पिष्टम् | वि-पाशि | आ | ससार | सीम् | परावतः // ऋ.वे. ४,३०.११ //
उत | सिन्धुम् | वि-बाल्यम् | वि-तस्थानाम् | अधि | क्षमि | परि | स्थाः | इन्द्र | मायया // ऋ.वे. ४,३०.१२ //
उत | शुष्णस्य | धृष्णु-या | प्र | मृक्षः | अभि | वेदनम् | पुरः | यत् | अस्य | सम्-पिणक् // ऋ.वे. ४,३०.१३ //
उत | दासम् | कौलि-तरम् | बृहतः | पर्वतात् | अधि | अव | अहन् | इन्द्र | शम्बरम् // ऋ.वे. ४,३०.१४ //
उत | दासस्य | वर्चिनः | सहस्राणि | शता | अवधीः | अधि | पञ्च | प्रधीन्-इव // ऋ.वे. ४,३०.१५ //
//२१//.

-ऋ.वे. ३:६/२२-
उत | त्यम् | पुत्रम् | अग्रुवः | परावृक्तम् | शत-क्रतुः | उक्थेषु | इन्द्रः | आ | अभजत् // ऋ.वे. ४,३०.१६ //
उत | त्या | तुर्वशायदू इति | अस्नातारा | शची-पतिः | इन्द्रः | विद्वान् | अपारयत् // ऋ.वे. ४,३०.१७ //
उत | त्या | सद्यः | आर्या | सरयोः | इन्द्र | पारतः | अर्णाचित्ररथा | अवधीः // ऋ.वे. ४,३०.१८ //
अनु | द्वा | जहिता | नयः | अन्धम् | श्रोणम् | च | वृत्र-हन् | न | तत् | ते | सुम्नम् | अष्टवे // ऋ.वे. ४,३०.१९ //
शतम् | अश्मन्-मयीनाम् | पुराम् | इन्द्रः | वि | आस्यत् | दिवः-दासाय | दाशुषे // ऋ.वे. ४,३०.२० //
//२२//.

-ऋ.वे. ३:६/२३-
अस्वापयत् | दभीतये | सहस्रा | त्रिंशतम् | हथैः | दासानाम् | इन्द्रः | मायया // ऋ.वे. ४,३०.२१ //
सः | घ | इत् | उत | असि | वृत्र-हन् | समानः | इन्द्र | गो--पतिः | यः | ता | विश्वानि | चिच्युषे // ऋ.वे. ४,३०.२२ //
उत | नूनम् | यत् | इन्द्रियम् | करिष्याः | इन्द्र | पैंस्यम् | अद्य | नकिः | टत् | आ | मिनत् // ऋ.वे. ४,३०.२३ //
वमम्-वामम् | ते | आदुरे | देवः | ददातु | अर्यमा | वामम् | पूषा | वामम् | भगः | वामम् | देवः | करूऌअती // ऋ.वे. ४,३०.२४ //
//२३//.

-ऋ.वे. ३:६/२४-
(ऋ.वे. ४,३१)
कया | नः | चित्रः | आ | भुवत् | ऊती | सदावृधः | सखा | कया | शचिष्ठया | वृता // ऋ.वे. ४,३१.१ //
कः | त्वा | सत्यः | मदानाम् | मंहिष्ठः | मत्सत् | अन्धसः | दृऌहा | चित् | आरुजे | वसु // ऋ.वे. ४,३१.२ //
अभि | सु | नः | सखीनाम् | अविता | जरितॄणाम् | शतम् | भवासि | ऊति-भिः // ऋ.वे. ४,३१.३ //
अभि | नः | आ | ववृत्स्व | चक्रम् | न | वृत्तम् | अर्वतः | नियुत्-भिः | चर्षणीनाम् // ऋ.वे. ४,३१.४ //
प्र-वता | हि | क्रतूनाम् | आ | ह | पदाइव | गच्छसि | अभक्षि | सूर्ये | सचा // ऋ.वे. ४,३१.५ //
//२४//.

-ऋ.वे. ३:६/२५-
सम् | यत् | ते | इन्द्र | मन्यवः | सम् | चक्राणि | दधन्विरे | अध | त्वे इति | अध | सूर्ये // ऋ.वे. ४,३१.६ //
उत | स्म | हि | त्वाम् | आहुः | इत् | मघ-वानम् | शची-पते | दातारम् | अवि-दीधयुम् // ऋ.वे. ४,३१.७ //
उत | स्म | सद्यः | इत् | परि | शशमानाय | सुन्वते | पुरु | चित् | मंहसे | वसु // ऋ.वे. ४,३१.८ //
नहि | स्म | ते | शतम् | चन | राधः | वरन्ते | आमुरः | न | च्यौत्नानि | करिष्यतः // ऋ.वे. ४,३१.९ //
अस्मान् | अवन्तु | ते | शतम् | अस्मान् | सहस्रम् | ऊतयः | अस्मान् | विश्वाः | अभिष्टयः // ऋ.वे. ४,३१.१० //
//२५//.

-ऋ.वे. ३:६/२६-
अस्मान् | इह | वृणीष्व | सख्याय | स्वस्तये | महः | राये | दिवित्मते // ऋ.वे. ४,३१.११ //
अस्मान् | अविड्ढि | विश्व-हा | इन्द्र | राया | परीणसा | अस्मान् | विश्वाभिः | ऊति-भिः // ऋ.वे. ४,३१.१२ //
अस्मभ्यम् | तान् | अप | वृधि | व्रजान् | अस्ताइव | गो--मतः | नवाभिः | इन्द्र | ऊति-भिः // ऋ.वे. ४,३१.१३ //
अस्माकम् | धृष्णु-या | रथः | द्यु-मान् | इन्द्र | अनप-च्युतः | गव्युः | अश्वयुः | ईयते // ऋ.वे. ४,३१.१४ //
अस्माकम् | उत्-तमम् | कृधि | श्रवः | देवेषु | सूर्य | वर्षिष्ठम् | द्याम्-इव | उपरि // ऋ.वे. ४,३१.१५ //
//२६//.

-ऋ.वे. ३:६/२७-
(ऋ.वे. ४,३२)
आ | तु | नः | इन्द्र | वृत्र-हन् | अस्माकम् | अर्धम् | आ | गहि | महान् | महीभिः | ऊति-भिः // ऋ.वे. ४,३२.१ //
भृमिः | चित् | घ | असि | तूतुजिः | आ | चित्र | चित्रिणीषु | आ | चित्रम् | कृणोषि | ऊतये // ऋ.वे. ४,३२.२ //
दभ्रेभिः | चित् | शशीयांसम् | हंसि | व्राधन्तम् | ओजसा | सखि-भिः | ये | त्वे इति | सचा // ऋ.वे. ४,३२.३ //
वयम् | इन्द्र | त्वे इति | सचा | वयम् | त्वा | अभि | नोनुमः | अस्मान्-अस्मान् | इत् | उत् | अव // ऋ.वे. ४,३२.४ //
सः | नः | चित्राभिः | अद्रि-वः | अनवद्याभिः | ऊति-भिः | अनाधृष्टाभिः | आ | गह् इ // ऋ.वे. ४,३२.५ //
//२७//.

-ऋ.वे. ३:६/२८-
भूयामो इति | सु | त्वावतः | सखायः | इन्द्र | गो--मतः | युजः | वाजाय | घृष्वये // ऋ.वे. ४,३२.६ //
त्वम् | हि | एकः | ईशिषे | इन्द्र | वाजस्य | गो--मतः | सः | नः | यन्धि | महीम् | इषम् // ऋ.वे. ४,३२.७ //
न | त्वा | वरन्ते | अन्यथा | यत् | दित्ससि | स्तुतः | मघम् | स्तोतृ-भ्यः | इन्द्र | गिर्वणः // ऋ.वे. ४,३२.८ //
अभि | त्वा | गोतमाः | गिरा | अनूषत | प्र | दावने | इन्द्र | वाजाय | घृष्वये // ऋ.वे. ४,३२.९ //
प्र | ते | वोचाम | वीर्या | याः | मन्दसनः | आ | अरुजः | पुरः | दासीः | अभि-इत्य // ऋ.वे. ४,३२.१० //
//२८//.

-ऋ.वे. ३:६/२९-
ता | ते | गृणन्ति | वेधसः | यानि | चकर्थ | पैंस्या | सुतेषु | इन्द्र | गिर्वणः // ऋ.वे. ४,३२.११ //
अवीवृधन्त | गोतमाः | इन्द्र | त्वे इति | स्तोम-वाहसः | आ | एषु | धाः | वीर-वत् | यशः // ऋ.वे. ४,३२.१२ //
यत् | चित् | हि | शश्वताम् | असि | इन्द्र | साधारणः | त्वम् | तम् | त्वा | वयम् | हावामहे // ऋ.वे. ४,३२.१३ //
अर्वाचीनः | वसो इति | भव | अस्मे इति | सु | मत्स्व | अन्धसः | सोमानाम् | इन्द्र | सोम-पाः // ऋ.वे. ४,३२.१४ //
अस्माकम् | त्वा | मतीनाम् | आ | स्तोमः | इन्द्र | यच्छतु | अर्वाक् | आ | वर्तय | हरी इति // ऋ.वे. ४,३२.१५ //
पुरोऌआसम् | च | नः | घसः | जोषयासे | गिरः | च | नः | वधूयुः-इव | योषणाम् // ऋ.वे. ४,३२.१६ //
//२९//.

-ऋ.वे. ३:६/३०-
सहस्रम् | व्यतीनाम् | युक्तानाम् | इन्द्रम् | ईमहे | शतम् | सोमस्य | खार्यः // ऋ.वे. ४,३२.१७ //
सहस्रा | ते | शता | वयम् | गवाम् | आ | च्यावयामसि | अस्म-त्रा | राधः | एतु | ते // ऋ.वे. ४,३२.१८ //
दश | ते | कलशानाम् | हिरण्यानाम् | अधीमहि | भूरि-दाः | असि | वृत्र-हन् // ऋ.वे. ४,३२.१९ //
भूरि-दाः | भूरि | देहि | नः | मा | दभ्रम् | भूरि | आ | भर | भूरि | घ | इत् | इन्द्र | दित्ससि // ऋ.वे. ४,३२.२० //
भूरि-दाः | हि | असि | श्रुतः | पुरु-त्रा | शूर | वृत्र-हन् | आ | नः | भजस्व | राधसि // ऋ.वे. ४,३२.२१ //
प्र | ते | बभ्रू इति | वि-चक्षण | शंसामि | गो--सणः | नपात् | मा | आभ्याम् | गाः | अनु | शिश्रथः // ऋ.वे. ४,३२.२२ //
कनीनकाइव | विद्रधे | नवे | द्रु-पदे | अर्भके | बभ्रू इति | यामेषु | शोभेतेइति // ऋ.वे. ४,३२.२३ //
अरम् | मे | उस्र-याम्णे | अरम् | अनुस्र-याम्णे | बभ्रू इति | यामेषु | अस्रिधा // ऋ.वे. ४,३२.२४ //
//३०//.





-ऋ.वे. ३:७/१-
(ऋ.वे. ४,३३)
प्र | ऋभु-भ्यः | दूतम्-इव | वाचम् | इष्ये | उप-स्तिरे | श्वैतरीम् | धेनुम् | ईऌए | ये | वात-जूताः | तरणि-भिः | एवैः | परि | द्याम् | सद्यः | अपसः | बभूवुः // ऋ.वे. ४,३३.१ //
यदा | अरम् | अक्रन् | ऋभवः | पितृ-भ्याम् | परि-विष्टी | वेषणा | दंसनाभिः | आत् | इत् | देवानाम् | उप | सख्यम् | आयन् | धीरासः | पुष्टिम् | अवहन् | मनायै // ऋ.वे. ४,३३.२ //
पुनः | ये | चक्रुः | पितरा | युवाना | सना | यूपाइव | जरणा | शयाना | ते | वाजः | वि-भ्वा | ऋभुः | इन्द्रवन्तः | मधु-प्सरसः | नः | अवन्तु | यज्ञम् // ऋ.वे. ४,३३.३ //
यत् | सम्-वत्सम् | ऋभवः | गाम् | अरक्षन् | यत् | सम्-वत्सम् | ऋभवः | माः | अपिंशन् | यत् | सम्-वत्सम् | अभरन् | भासः | अस्याः | ताभिः | शमीभिः | अमृत-त्वम् | आशुः // ऋ.वे. ४,३३.४ //
ज्येष्ठः | आह | चमसा | द्वा | कर | इति | कनीयान् | त्रीन् | कृणवाम | इति | आह | कन् इष्ठः | आह | चतुरः | कर | इति | त्वष्टा | ऋभवः | तत् | पनयत् | वचः | वः // ऋ.वे. ४,३३.५ //
//१//.

-ऋ.वे. ३:७/२-
सत्यम् | ऊचुः | नरः | एव | हि | चक्रुः | अनु | स्वधाम् | ऋभवः | जग्मुः | एताम् | वि-भ्राजमानान् | चमसान् | अहाइव | अवेनत् | त्वष्टा | चतुरः | ददृश्वान् // ऋ.वे. ४,३३.६ //
द्वादश | द्यून् | यत् | अगोह्यस्य | आतिथ्ये | रणन् | ऋभवः | ससन्तः | सु-क्षेत्रा | अकृण्वन् | अनयन्त | सिन्धून् | धन्व | आ | अतिष्ठन् | ओषधीः | निम्नम् | आपः // ऋ.वे. ४,३३.७ //
रथम् | ये | चक्रुः | सु-वृतम् | नरे--स्थाम् | ये | धेनुम् | विश्व-जुवम् | विश्व-रूपाम् | ते | आ | तक्षन्तु | ऋभवः | रयिम् | नः | सु-अवसः | सु-अपसः | सु-हस्ताः // ऋ.वे. ४,३३.८ //
अपः | हि | एषाम् | अजुषन्त | देवाः | अभि | क्रत्वा | मनसा | दीध्यानाः | वाजः | देवानाम् | अभवत् | सु-कर्मा | इन्द्रस्य | ऋभुक्षाः | वरुणस्य | वि-भ्वा // ऋ.वे. ४,३३.९ //
ये | हरी इति | मेधया | उक्था | मदन्तः | इन्द्राय | चक्रुः | सु-युजा | ये | अश्वा | ते | रायः | पोषम् | द्रविणानि | अस्मे इति | धत्त | ऋभवः | क्षेम-यन्तः | न | मित्रम् // ऋ.वे. ४,३३.१० //
इदा | अह्नः पीतिम् | उत | वः | मदम् | धुः | न | ऋते | श्रान्तस्य | सख्याय | देवाः | ते | नूनम् | अस्मे इति | ऋभवः | वसूनि | तृतीये | अस्मिन् | सवने | दधात // ऋ.वे. ४,३३.११ //
//२//.

-ऋ.वे. ३:७/३-
(ऋ.वे. ४,३४)
ऋभुः | वि-भ्वा | वाजः | इन्द्रः | नः | अच्छ | इमम् | यज्ञम् | रत्न-धेया | उप | यात | इदा | हि | वः | धिषणा | देवी | अह्वाम् | अधात् | पीतिम् | सम् | मदाः | अग्मत | वः // ऋ.वे. ४,३४.१ //
विदानासः | जन्मनः | वाज-रत्नाः | उत | ऋतु-भिः | ऋभवः | मादयध्वम् | सम् | वः | मदाः | अग्मत | सम् | पुरम्-धिः | सु-वीराम् | अस्मे इति | रयिम् | आ | ईरयध्वम् // ऋ.वे. ४,३४.२ //
अयम् | वः | यज्ञः | ऋभवः | अकारि | यम् | आ | मनुष्वत् | प्र-दिवः | दधिध्वे | प्र | वः | अच्छ | जुजुषाणासः | अस्थुः | अभूत | विश्वे | अग्रिया | उत | वाजाः // ऋ.वे. ४,३४.३ //
अभूत् | ॐ इति | वः | विधते | रत्न-धेयम् | इदा | नरः | दाशुषे | मर्त्याय | पिबत | वाजाः | ऋभवः | ददे | वः | महि तृतीयम् | सवनम् | मदाय // ऋ.वे. ४,३४.४ //
आ | वाजाः | यात | उप | नः | ऋभुक्षाः | महः | नरः | द्रविणसः | गृणानाः | आ | वः | पीतयः | अभि-पित्वे | अह्नाम् | इमाः | अस्तम् | नवस्वः-इव | ग्मन् // ऋ.वे. ४,३४.५ //
//३//.

-ऋ.वे. ३:७/४-
आ | नपातः | शवसः | यातन | उप | इमम् | यज्ञम् | नमसा | हूयमानाः | स-जोषसः | सूरयः | यस्य | च | स्थ | मध्वः | पात | रत्न-धाः | इन्द्र-वन्तः // ऋ.वे. ४,३४.६ //
स-जोषाः | इन्द्र | वरुणेन | सोमम् | स-जोषाः | पाहि | गिर्वणः | मरुत्-भिः | अग्रे--पाभिः | ऋतु-पाभिः | स-जोषाः | ग्नाःपत्नीभिः | रत्न-धाभिः | स-जोषाः // ऋ.वे. ४,३४.७ //
स-जोषसः | आदित्यैः | मादयध्वम् | स-जोषसः | ऋभवः | पर्वतेभिः | स-जोषसः | दैव्येन | सवित्रा | स-जोषसः | सिन्धु-भिः | रत्न-धेभिः // ऋ.वे. ४,३४.८ //
ये | अस्विना | ये | पितरा | ये | ऊती | धेनुम् | ततक्षुः | ऋभवः | ये | अश्वा | ये | अंसत्रा | य ऋधक् | रोदसी इति | ये | वि-भ्वः | नरः | सु-अपत्यानि | चक्रुः // ऋ.वे. ४,३४.९ //
ये | गो--मन्तम् | वाज-वन्तम् | सु-वीरम् | रयिम् | धत्थ | वसु-मन्तम् | पुरु-क्षुम् | ते | अग्रे--पाः | ऋभवः | मन्दसानाः | अस्मे इति | धत्त | ये | च | रातिम् | गृणन्ति // ऋ.वे. ४,३४.१० //
न | अप | अभूत | न | वः | अतीतृषाम | अनिः-शस्ताः | ऋभवः | यज्ञे | अस्मिन् | सम् | इन्द्रेण | मदथ | सम् | मरुत्-भिः | सम् | राज-भिः | रत्न-धेयाय | देवाः // ऋ.वे. ४,३४.११ //
//४//.

-ऋ.वे. ३:७/५-
(ऋ.वे. ४,३५)
इह | उप | यात | शवसः | नपातः | सौधन्वनाः | ऋभवः | मा | अप | भूत | अस्मिन् | हि | वः | सवने | रत्न-धेयम् | गमन्तु | इन्द्रम् | अनु | वः | मदासः // ऋ.वे. ४,३५.१ //
आ | अगन् | ऋभूणाम् | इह | रत्न-धेयम् | अभूत् | सोमस्य | सु-सुतस्य | पीतिः | सु-कृत्यया | यत् | सु-अपस्यया | च | एकम् | वि-चक्र | चमसम् | चतुः-धा // ऋ.वे. ४,३५.२ //
वि | अकृणोत | चमसम् | चतुः-धा | सखे | वि | शिक्ष | इति | अब्रवीत | अथ | ऐत | वाजाः | अमृतस्य | पन्थाम् | गणम् | देवानाम् | ऋभवः | सु-हस्ताः // ऋ.वे. ४,३५.३ //
किम्-मयः | स्वित् | चमसः | एषः | आस | यम् | काव्येन | चतुरः | वि-चक्र | अथ | सुनुध्वम् | सवनम् | मदाय | पात | ऋभवः | मधुनः | सोम्यस्य // ऋ.वे. ४,३५.४ //
शच्या | अकर्त | पितरा | युवाना | शच्या | अकर्त | चमसम् | देव-पानम् | शच्या | हरी इति | धनु-तरौ | अतष्ट | इन्द्र-वाहौ | ऋभवः | वाज-रत्नाः // ऋ.वे. ४,३५.५ //
//५//.

-ऋ.वे. ३:७/६-
यः | वः | सुनोति | अभि-पित्वे | अह्नाम् | तीव्रम् | वाजासः | सवनम् | मदाय | तस्मै | रयिम् | ऋभवः | सर्व-वीरम् | आ | ताक्षत | वृषणः | मन्दसानाः // ऋ.वे. ४,३५.६ //
प्रातरिति | सुतम् | अपिबः | हरि-अश्व | माध्यन्दिनम् | सवनम् | केवलम् | ते | सम् | ऋभु-भिः | पिबस्व | रत्न-धेभिः | सखीन् | यान् | इन्द्र | चकृषे | सु-कृत्या // ऋ.वे. ४,३५.७ //
ये | देवासः | अभवत | सु-कृत्या | श्येनाः-इव | इत् | अधि | दिवि | नि-सेद | ते | रत्नम् | धात | शवसः | नपातः | सौधन्वनाः | अभवत | अमृतासः // ऋ.वे. ४,३५.८ //
यत् | तृतीयम् | सवनम् | रत्न-धेयम् | अकृणुध्वम् | सु-अपस्या | सु-हस्ताः | तत् | ऋभवः | परि-सिक्तम् | वः | एतत् | सम् | मदेभिः | इन्द्रियेभिः | पिबध्वम् // ऋ.वे. ४,३५.९ //
//६//.

-ऋ.वे. ३:७/७-
(ऋ.वे. ४,३६)
अनश्वः | जातः | अनभीशुः | उक्थ्यः | रथः | त्रि-चक्रः | परि | वर्तते | रजः | महत् | तत् | वः | देव्यस्य | प्र-वाचनम् | द्याम् | ऋभवः | पृथिवीम् | यत् | च | पुष्यथ // ऋ.वे. ४,३६.१ //
रथम् | ये | चक्रुः | सु-वृतम् | सु-चेतसः | अवि-ह्वरन्तम् | मनसः | परि | ध्यया | तान् | ॐ इति | नु | अस्य | सवनस्य | पीतये | आ | वः | वाजाः | ऋभवः | वेदयामसि // ऋ.वे. ४,३६.२ //
तत् | वः | वाजाः | ऋभवः | सु-प्रवाचनम् | देवेषु | वि-भ्वः | अभवत् | मह् इ-त्वनम् | जिव्री इति | यत् | सन्ता | पितरा | सनाजुरा | पुनः | युवाना | चरथाय | तक्षथ // ऋ.वे. ४,३६.३ //
एकम् | वि | चक्र | चमसम् | चतुः-वयम् | निः | चर्मणः | गाम् | अरिणीत | धीति-भिः | अथ | देवेषु | अमृत-त्वम् | आनश | श्रुश्टी | वाजाः | ऋभवः | तत् | वः | उक्थ्यम् // ऋ.वे. ४,३६.४ //
ऋभुतः | रयिः | प्रथमश्रवः-तमः | वाज-श्रुतासः | यम् | अजीजनन् | नरः | विभ्व-तष्टः | विदथेषु | प्र-वाच्यः | यम् | देवासः | अवथ | सः | वि-चर्षणिः // ऋ.वे. ४,३६.५ //
//७//.

-ऋ.वे. ३:७/८-
सः | वाजी | अर्वा | सः | ऋषिः | वचस्यया | सः | शूरः | अस्ता | पृतनासु | दुस्तरः | सः | रायः | पोषम् | सः | सु-वीर्यम् | दधे | यम् | वाजः | वि-भ्वा | ऋभवः | यम् | आविषुः // ऋ.वे. ४,३६.६ //
श्रेष्ठम् | वः | पेशः | अधि | धायि | दर्शतम् | स्तोमः | वाजाः | ऋभवः | तम् | जुजुष्टन | धीरासः | हि | स्थ | कवयः | विपः-चितः | तान् | वः | एना | ब्रह्मणा | आ | वेदयामसि // ऋ.वे. ४,३६.७ //
यूयम् | अस्मभ्यम् | धिषणाभ्यः | परि | विद्वांसः | विश्वा | नर्याणि | भोजना | द्यु-मन्तम् | वाजम् | वृष-शुष्मम् | उत्-तमम् | आ | नः | रयिम् | ऋभवः | तक्षत | आ | वयः // ऋ.वे. ४,३६.८ //
इह | प्र-जाम् | इह | रयिम् | रराणाः | इह | श्रवः | वीर-वत् | तक्षत | नः | येन | वयम् | चितयेम | अति | अन्यान् | तम् | वाजम् | चित्रम् | ऋभवः | दद | नः // ऋ.वे. ४,३६.९ //
//८//.

-ऋ.वे. ३:७/९-
(ऋ.वे. ४,३७)
उप | नः | वाजाः | अध्वरम् | ऋभुक्षाः | देवाः | यात | पथि-भिः | देव-यानैः | यथा | यज्ञम् | मनुषः | विक्षु | आसु | दधिध्वे | रण्वाः | सु-दिनेषु | अह्नाम् // ऋ.वे. ४,३७.१ //
ते | वः | ह्रदे | मनसे | सन्तु | यज्ञाः | जुष्टासः | अद्य | घृत-निर्निजः | गुः | प्र | वः | सुतासः | हरयन्त | पूर्णाः | क्रत्वे | दक्षाय | हर्षयन्त | पीताः // ऋ.वे. ४,३७.२ //
त्रि-उदायम् | देव-हितम् | वः | स्तोमः | वाजाः | ऋभुक्षणः | ददे | वः | जुह्वे | मनुष्वत् | उपरासु | विक्षु | युष्मे इति | सचा | बृहत्-दिवेषु | सोमम् // ऋ.वे. ४,३७.३ //
पीवः-अश्वाः | शुचत्--रथाः | हि | भूत | आयः-शिप्राः | वाजिनः | सु-निष्काः | इन्द्रस्य | सूनः | शवसः | नपातः | अनु | वः | चेति | अग्रियम् | मदाय // ऋ.वे. ४,३७.४ //
ऋभुम् | ऋभुक्षणः | रयिम् | वाजे | वाजिन्-तमम् | युजम् | इन्द्रस्वन्तम् | हवामहे | सदासातमम् | अश्विनम् // ऋ.वे. ४,३७.५ //
//९//.

-ऋ.वे. ३:७/१०-
सः | इत् | ऋभवः | यम् | अवथ | यूयम् | इन्द्रः | च | मर्त्यम् | सः | धीभिः | अस्तु | सनिता | मेध-साता | सः | अर्वता // ऋ.वे. ४,३७.६ //
वि | नः | वाजाः | ऋभुक्षणः | पथः | चितन | यष्टवे | अस्मभ्यम् | सूरयः | स्तुताः | विश्वाः | आशाः | तरीषणि // ऋ.वे. ४,३७.७ //
तम् | नः | वाजाः | ऋभुक्षणः | इन्द्र | नासत्या | रयिम् | सम् | अश्वम् | चर्षणि-भ्यः | आ | पुरु | शस्त | मघत्तये // ऋ.वे. ४,३७.८ //
//१०//.

-ऋ.वे. ३:७/११-
(ऋ.वे. ४,३८)
उतो इति | हि | वाम् | दात्रा | सन्ति | पूर्वा | या | पूरु-भ्यः | त्रसदस्युः | नि-तोशे | क्षेत्र-साम् | दादथुः | उर्वरासाम् | घनम् | दस्यु-भ्यः | अभि-भूतिम् | उग्रम् // ऋ.वे. ४,३८.१ //
उत | वाजिनम् | पुरुनिः-सिध्वानम् | दधि-क्राम् | ॐ इति | ददथुः | विश्व-कृष्तिम् | ऋजिप्यम् | श्येनम् | प्रुषित-प्सुम् | आशुम् | चर्कृत्यम् | अर्यः | नृ-पतिम् | न | शूरम् // ऋ.वे. ४,३८.२ //
यम् | सीम् | अनु | प्रवताइव | द्रवन्तम् | विश्वः | पूरुः | मदति | हर्षमाणः | पट्-भिः | गृध्यन्तम् | मेध-युम् | न | शूरम् | रथ-तुरम् | वातम्-इव | ध्रजन्तम् // ऋ.वे. ४,३८.३ //
यः | स्म | आरुन्धानः | गध्या | समत्-सु | सनु-तरः | चरति | गोषु | गच्छन् | आविः-ऋजीकः | विदथा | नि-चिक्यत् | तिरः | अरतिम् | परि | आपः | आयोः // ऋ.वे. ४,३८.४ //
उत | स्म | एनम् | वस्त्र-मथिम् | न | तायुम् | अनु | क्रोशन्ति | क्षितयः | भरेषु | नीचा | अयमानम् | जसुरिम् | न | श्येनम् | श्रवः | च | अच्छ | पशु-मत् | च | यूथम् // ऋ.वे. ४,३८.५ //
//११//.

-ऋ.वे. ३:७/१२-
उत | स्म | आसु | प्रथमः | सरिष्यन् | नि | वेवेति | श्रेणि-भिः | रथानाम् | स्रजम् | कृण्वानः | जन्यः | न | शुभ्वा | रेणुम् | रेरिहत् | किरणम् | दृश्वान् // ऋ.वे. ४,३८.६ //
उत | स्यः | वाजी | सहुरिः | ऋत-वा | शुश्रूषमाणः | तन्वा | स-मर्ये | तुरम् | यतीषु | तुरयन् | ऋजिप्यः | अधि | भ्रुवोः | किरते | रेणुम् | ऋञ्जन् // ऋ.वे. ४,३८.७ //
उत | स्म | अस्य | तन्यतोः-इव | द्योः | ऋघायतः | अभि-युजः | भयन्ते | यदा | सहस्रम् | अभि | सीम् | अयोधीत् | दुः-वर्तुः | स्म | भवति | भीमः | ऋञ्जन् // ऋ.वे. ४,३८.८ //
उत | स्म | अस्य | पनयन्ति | जनाः | जूतिम् | कृष्टि-प्रः | अभि-भूतिम् | आशोः | उत | एनम् | आहुः | सम्-इथे | वि-यन्तः | परा | दधि-क्राः | असरत् | सहस्रैः // ऋ.वे. ४,३८.९ //
आ | दधि-क्राः | शवसा | पञ्च | कृष्टीः | सूर्यः-इव | ज्योतिषाःअपःःततानःसहस्र-साःःशत-साःःवाजीःअर्वाःपृणक्तुःमध्वाःसम्ःइमाःवचांसि // ऋ.वे. ४,३८.१० //
//१२//.

-ऋ.वे. ३:७/१३-
(ऋ.वे. ४,३९)
आशुम् | दधि-क्राम् | तम् | ॐ इति | नु | स्तवाम | दिवः | पृथिव्याः | उत | चर्किराम | उच्छन्तीः | माम् | उषसः | सूदयन्तु | अति | विश्वानि | दुः-इतानि | पर्षन् // ऋ.वे. ४,३९.१ //
महः | चर्कर्मि | अर्वतः | क्रतु-प्राः | दधि-क्राव्णः | पुरु-वारस्य | वृष्णः | यम् | पूरु-भ्यः | दीदि-वांसम् | न | अग्निम् | ददथुः | मित्रावरुणा | ततुरि म् // ऋ.वे. ४,३९.२ //
यः | अश्वस्य | दधि-क्राव्णः | अकारीत् | सम्-इद्धे | अग्नौ | उषसः | वि-उष्टौ | अनागसम् | तम् | अदितिः | कृणोतु | सः | मित्रेण | वरुणेन | स-जोषाः // ऋ.वे. ४,३९.३ //
दधि-क्राव्णः | इषः | ऊर्जः | महः | यत् | अमन्महि | मरुताम् | नाम | भद्रम् | स्वस्तये | वरुणम् | मित्रम् | अग्निम् | हवामहे | इन्द्रम् | वज्र-बाहुम् // ऋ.वे. ४,३९.४ //
इन्द्रम्-इव | इत् | उभये | वि | ह्वयन्ते | उत्-ईराणाः | यज्ञम् | उप-प्रयन्तः | दधि-क्राम् | ॐ इति | सूदनम् | मर्त्याय | ददथुः | मित्रावरुणा | नः | अश्वम् // ऋ.वे. ४,३९.५ //
दधि-क्राव्णः | अकारिषम् | जिष्णोः | अश्वस्य | वाजिनः | सुरभि | नः | मुखा | करत् | प्र | णः | आयूंषि | तारिषत् // ऋ.वे. ४,३९.६ //
//१३//.

-ऋ.वे. ३:७/१४-
(ऋ.वे. ४,४०)
दधि-क्राव्णः | इत् | ॐ इति | नु | चार्किराम | विश्वा | इत् | माम् | उषसः | सूदयन्तु | अपाम् | अग्नेः | उषसः | सूर्यस्य | बृहस्पतेः | आङ्गिरसस्य | जिष्णोः // ऋ.वे. ४,४०.१ //
सत्वा | भरिषः | गो--इषः | दुवन्य-सत् | श्रवस्यात् | इषः | उषसः | तुरण्य-सत् | सत्यः | द्रवः | द्रवरः | पतङ्गरः | दधि-क्रावा | इषम् | ऊजर्म् | स्वः | जनत् // ऋ.वे. ४,४०.२ //
उत | स्म | अस्य | द्रवतः | तुरण्यतः | पर्णम् | न | वेः | अनु | वाति | प्र-गर्धिनः | श्येनस्य-इव | ध्रजतः | अङ्कसम् | परि | दधि-क्राव्णः | सह | ऊर्जा | तरित्रतः // ऋ.वे. ४,४०.३ //
उत | स्यः | वाजी | क्षिपणिम् | तुरण्यति | ग्रीवायाम् | बद्धः | आपि-कक्षे | आसनि | क्रतुम् | दधि-क्राः | अनु | सम्-तवीत्वत् | पथाम् | अङ्कांसि | अनु | आपनीफणत् // ऋ.वे. ४,४०.४ //
हंसः | शुचि-सत् | वसुः | अन्तरिक्ष-सत् | होता | वेदि-सत् | अतिथिः | दुरोण-सत् | नृ-सत् | वर-सत् | ऋत-सत् | व्योम-सत् | अब्जाः | गो--जाः | ऋत-जाः | आद्रि-जाः | ऋतम् // ऋ.वे. ४,४०.५ //
//१४//.

-ऋ.वे. ३:७/१५-
(ऋ.वे. ४,४१)
इन्द्रा | कः | वाम् | वरुणा | सुम्नम् | आप | स्तोमः | हविष्मान् | अमृतः | न | होता | यः | वाम् | हृदि | क्रतु-मान् | अस्मत् | उक्तः | पस्पर्शत् | इन्द्रावरुणा | नमस्वान् // ऋ.वे. ४,४१.१ //
इन्द्रा | ह | यः | वरुणा | चक्रे | आपी इति | देवौ | मर्तः | सख्याय | प्रयस्वान् | सः | हन्ति | वृत्रा | सम्-इथेषु | शत्रून् | अवः-भिः | वा | महत्-भिः | सः | प्र | शृण्वे // ऋ.वे. ४,४१.२ //
इन्द्रा | ह | रत्नम् | वरुणा | धेष्ठा | इत्था | नृ-भ्यः | शशमानेभ्यः | ता | यदि | सखाया | सख्याय | सोमैः | सुतेभिः | सु-प्रयसा | मादयैतेइति // ऋ.वे. ४,४१.३ //
इन्द्रा | युवम् | वरुणा | दिद्युम् | अस्मिन् | ओजिष्ठम् | उग्रा | नि | वधिष्टम् | वज्रम् | यः | नः | दुः-एवः | वृकतिः | दभीतिः | तस्मिन् | मिमाथाम् | अभि-भूति | ओजः // ऋ.वे. ४,४१.४ //
इन्द्रा | युवम् | वरुणा | भूतम् | अस्याः | धियः | प्रेतारा | वृषभाइव | धेनोः | सा | नः | दुहीयत् | यवसाइव | गत्वी | सहस्र-धारा | पयसा | मही | गौः // ऋ.वे. ४,४१.५ //
//१५//.

-ऋ.वे. ३:७/१६-
तोके | हिते | तनये | उर्वरासु | सूरः | दृशीके | वृषणः | च | पैंस्ये | इन्द्रा | नः | अत्र | वरुणा | स्याताम् | अवः-भिः | दस्मा | परि-तक्म्यायाम् // ऋ.वे. ४,४१.६ //
युवाम् | इत् | हि | अवसे | पूर्व्याय | परि | प्रभूती इतिप्र-भूती | गो--इषः | स्वापी इतिसु-आपी | वृणीमहे | सख्याय | प्रियाय | शूरा | मंहिष्ठा | पितराइव | शम्भू इतिशम्-भू // ऋ.वे. ४,४१.७ //
ताः | वाम् | धियः | अवसे | वाज-यन्तीः | आजिम् | न | जमुः | युव-यूः | सुदानूइतिसु-दानू | श्रिये | न | गावः | उप | सोमम् | अस्थुः | इन्द्रम् | गिरः | वरुणम् | मे | मनीषाः // ऋ.वे. ४,४१.८ //
इमाः | इन्द्रम् | वरुणम् | मे | मनीषाः | अग्मन् | उप | द्रविणम् | इच्छमानाः | उप | ईम् | अस्थुः | जोष्टारः-इव | वस्वः | रघ्वीः-इव | श्रवसः | भिक्षमाणाः // ऋ.वे. ४,४१.९ //
अश्व्यस्य | त्मना | रथ्यस्य | पुष्टेः | नित्यस्य | रायः | पतयः | स्याम | ता | चक्राणौ | ऊति-भिः | नव्यसीभिः | अस्म-त्रा | रायः | नि-युतः | सचन्ताम् // ऋ.वे. ४,४१.१० //
आ | नः | बृहन्ता | बृहतीभिः | ऊती | इन्द्र | यातम् | वरुण | वाज-सातौ | यत् | दिद्यवः | पृतनासु | प्र-क्रीऌआन् | तस्य | वाम् | स्याम | सनितारः | ओजः // ऋ.वे. ४,४१.११ //
//१६//.

-ऋ.वे. ३:७/१७-
(ऋ.वे. ४,४२)
मम | द्विता | राष्ट्रम् | क्षत्रियस्य | विश्व-आयोः | विश्वे | अमृताः | यथा | नः | क्रतुम् | सचन्ते | वरुणस्य | देवाः | राजामि | कृष्टेः | उपमस्य | वव्रेः // ऋ.वे. ४,४२.१ //
अहम् | राजा | वरुणः | मह्यम् | तानि | असुर्याणि | प्रथमा | धारयन्त | क्रतुम् | सचन्ते | वरुणस्य | देवाः | राजामि | कृष्टेः | उपमस्य | वव्रेः // ऋ.वे. ४,४२.२ //
अहम् | इन्द्रः | वरुणः | ते इति | महि-त्वा | उर्वी इति | गभीरे | रजसी
इति | सुमेके इतिसु-मेके | त्वष्टाइव | विश्वा | भुवनानि | विद्वान् | सम् | ऐरयम् | रोदसी इति | धारयम् | च // ऋ.वे. ४,४२.३ //
अहम् | अपः | अपिन्वम् | उक्षमाणाः | धरयम् | दिवम् | सदने | ऋतस्य | ऋतेन | पुत्रः | अदितेः | ऋत-वा | उत | त्रि-धातु | प्रथयत् | वि | भूम // ऋ.वे. ४,४२.४ //
माम् | नरः | सु-अश्वाः | वाज-यन्तः | माम् | वृताः | सम्-अरणे | हवन्ते | कृणोमि | आजिम् | मघ-वा | अहम् | इन्द्रः | इयर्मि | रेणुम् | अभिभूति-ओजाः // ऋ.वे. ४,४२.५ //
//१७//.

-ऋ.वे. ३:७/१८-
अहम् | ता | विश्वा | चकरम् | नकिः | मा | दैव्यम् | सहः | वरते | अप्रति-इतम् | यत् | मा | सोमासः | ममदन् | यत् | उक्था | उभे इति | भयेतेइति | रजसी इति | अपारे इति // ऋ.वे. ४,४२.६ //
विदुः | ते | विश्वा | भुवनानि | तस्य | ता | प्र | ब्रवीषि | वरुणाय | वेधः | त्वम् | वृत्राणि | शृण्विषे | जघन्वान् | त्वम् | वृताम् | अरिणाः | इन्द्र | सिन्धून् // ऋ.वे. ४,४२.७ //
अस्माकम् | अत्र | पितरः | ते | आसन् | सप्त | ऋषयः | दौः-गहे | बध्यमाने | ते | आ | अयजन्त | त्रसदस्युम् | अस्याः | इन्द्रम् | न | वृत्र-तुरम् | अर्ध-देवम् // ऋ.वे. ४,४२.८ //
पुरु-कुत्सानी | हि | वाम् | अदाशत् | हव्येभिः | इन्द्रावरुणा | नमः-भिः | अथ | राजानम् | त्रसदस्युम् | अस्याः | वृत्र-हनम् | ददथुः | अर्ध-देवम् // ऋ.वे. ४,४२.९ //
रायाः | वयम् | सस-वांसः | मदेम | हव्येन | देवाः | यवसेन | गावः | ताम् | धेनुम् | इन्द्रावरुणा | युवम् | नः | विश्वाहा | धत्तम् | अनप-स्फुरन्तीम् // ऋ.वे. ४,४२.१० //
//१८//.

-ऋ.वे. ३:७/१९-
(ऋ.वे. ४,४३)
कः | ॐ इति | श्रवत् | कतमः | यज्ञियानाम् | वन्दारु | देवः | कतमः | जुषाते | कस्य | इमाम् | देवीम् | अमृतेषु | प्रेष्ठाम् | हृदि | श्रेषाम | सु-स्तुतिम् | सु-हव्याम् // ऋ.वे. ४,४३.१ //
कः | मृऌआति | कतमः | आगमिष्ठः | देवानाम् | ॐ इतिकतमः | शम्-भविष्ठः | रथम् | कम् | आहुः | द्रवत्-अश्वम् | आशुम् | यम् | सूर्यस्य | दुहिता | अवृणीत // ऋ.वे. ४,४३.२ //
मक्षु | हि | स्म | गच्छथः | ईवतः | द्यून् | इन्द्रः | न | शक्तिम् | परि-तक्म्यायाम् | दिवः | आजाता | दिव्या | सु-पर्णा | कया | शचीनाम् | भवथः | शचिष्ठा // ऋ.वे. ४,४३.३ //
का | वाम् | भूत् | उप-मातिः | कया | नः | आ | अश्विना | गमथः | हूयमाना | कः | वाम् | महः | चित् | त्यजसः | अभीके | उरुष्यतम् | माध्वी इति | दस्रा | नः | ऊती // ऋ.वे. ४,४३.४ //
उरु | वाम् | रथः | परि | नक्षति | द्याम् | आ | यत् | समुद्रात् | अभि | वरते | वाम् | मध्वा | माध्वी इति | मधु | वाम् | प्रुषायन् | यत् | सीम् | वाम् | पृक्षः | भुरजन्त | पक्वअः // ऋ.वे. ४,४३.५ //
सिन्धुः | ह | वाम् | रसया | सिञ्चत् | अश्वान् | घृणा | वयः | अरुषासः | परि | ग्मन् | तत् | ॐ इति | सु | वाम् | अजिरम् | चेति | यानम् | येन | पती इति | भवथः | सूर्यायाः // ऋ.वे. ४,४३.६ //
इह-इह | यत् | वाम् | समना | पपृक्षे | सा | इयम् | अस्मे इति | सु-मतिः | वाज-रत्ना | उरुष्यतम् | जरितारम् | युवम् | ह | श्रितः | कामः | नासत्या | युवद्रिक् // ऋ.वे. ४,४३.७ //
//१९//.

-ऋ.वे. ३:७/२०-
(ऋ.वे. ४,४४)
तम् | वाम् | रथम् | वयम् | अद्य | हुवेम | पृथु-ज्रयम् | अश्विना | सम्-गतिम् | गोः | यः | सूर्याम् | वहति | वन्धुर-युः | गिर्वाहसम् | पुरु-तमम् | वसु-युम् // ऋ.वे. ४,४४.१ //
युवम् | श्रियम् | अश्विना | देवता | तान् | दिवः | नपाता | वनथः | शचीभिः | युवोः | वपुः | अभि | पृक्षः | सचन्ते | वहन्ति | यत् | ककुहासः | रथे | वाम् // ऋ.वे. ४,४४.२ //
कः | वाम् | अद्य | कारते | रात-हव्यः | ऊतये | वा | सुत-पेयाय | वा | अर्कैः | ऋतस्य | वा | वनुषे | पूर्व्याय | नमः | येमानः | अश्विना | आ | ववर्तत् // ऋ.वे. ४,४४.३ //
हिरण्ययेन | पुरुभूइतिपुरु-भू | रथेन | इमम् | यज्ञम् | नासत्या | उप | यातम् | पिबाथः | इत् | मधुनः | सोम्यस्य | दधथः | रत्नम् | विधते | जनाय // ऋ.वे. ४,४४.४ //
आ | नः | यातम् | दिवः | अच्छ | पृथिव्याः | हिरण्ययेन | सु-वृता | रथेन | मा | वाम् | अन्ये | नि | यमन् | देव-यन्तः | सम् | यत् | ददे | नाभिः | पूर्व्या | वाम् // ऋ.वे. ४,४४.५ //
नु | नः | रयिम् | पुरु-वीरम् | बृहन्तम् | दस्रा | मिमाथाम् | उभयेषु | अस्मे इति | नरः | यत् | वाम् | अश्विना | स्तोमम् | आवन् | सध-स्तुतिम् | आज-मीऌहासः | अग्मन् // ऋ.वे. ४,४४.६ //
इह-इह | यत् | वाम् | समना | पपृक्षे | सा | इयम् | अस्मे इति | सु-मतिः | वाज-रत्ना | उरुष्यतम् | जरितारम् | युवम् | ह | श्रितः | कामः | नासत्या | युवद्रिक् // ऋ.वे. ४,४४.७ //
//२०//.

-ऋ.वे. ३:७/२१-
(ऋ.वे. ४,४५)
एषः | स्यः | भानुः | उत् | इयर्ति | युज्यते | रथः | परि-ज्मा | दिवः | अस्य | सानवि | पृक्षासः | अस्मिन् | मिथुनाः | अधि | त्रयः | दृतिः | तुरीयः | मधुनः | वि | रप्शते // ऋ.वे. ४,४५.१ //
उत् | वाम् | पृक्षासः | मधु-मन्तः | ईरते | रथाः | अश्वासः | उषसः | वि-उष्टि षु | अप-ऊर्णुवन्तः | तन्मः | आ | परि-वृतम् | स्वः | न | शुक्रम् | तन्वन्तः | आ | रजः // ऋ.वे. ४,४५.२ //
मध्वः | पिबतम् | मधु-पेभिः | आस-भिः | उत | प्रियम् | मधुने | युञ्जाथाम् | रथम् | आ | वरनिम् | मधुना | जिन्वथः | पथः | दृतिम् | वहेथेइति | मधु-मन्तम् | अश्विना // ऋ.वे. ४,४५.३ //
हंसासः | ये | वाम् | मधु-मन्तः | अस्रिधः | हिरण्य-पर्णाः | उहुवः | उषः-बुधः | उद-प्रुतः | मन्दिनः | मन्दि-निस्पृशः | मध्वः | न | मक्षः | सवनानि | गच्छथः // ऋ.वे. ४,४५.४ //
सु-अधरासः | मधु-मन्तः | अग्नयः | उस्रा | जरन्ते | प्रति | वस्तोः | अश्वि ना | यत् | निक्त-हस्तः | तरणिः | वि-चक्षणः | सोमम् | सुसाव | मधु-मन्तम् | अद्रि-भिः // ऋ.वे. ४,४५.५ //
आके--निपासः | अह-भिः | दविध्वतः | स्वः | न | शुक्रम् | तन्वन्तः | आ | रजः | सूरः | चित् | अश्वान् | युयुजानः | ईयते | विश्वान् | अनु | स्वधया | चेतथः | पथः // ऋ.वे. ४,४५.६ //
प्र | वाम् | अवोचम् | अश्विना | धियम्-धाः | रथः | सु-अश्वः | अजरः | यः | अस्ति | येन | सद्यः | परि | रजांसि | याथः | हविष्मन्तम् | तरणिम् | भोजम् | अच्छ // ऋ.वे. ४,४५.७ //
//२१//.

-ऋ.वे. ३:७/२२-
(ऋ.वे. ४,४६)
अग्रम् | पिब | मधूनाम् | सुतम् | वयो
इति | दिविष्टिषु | त्वम् | हि | पूर्व-पाः | असि // ऋ.वे. ४,४६.१ //
शतेन | नः | अभिष्टि-भिः | नियुत्वान् | इन्द्र-सारथिः | वायो इति | सुतस्य | तृम्पतम् // ऋ.वे. ४,४६.२ //
आ | वाम् | सहस्रम् | हरयः | इन्द्रवायूइति | अभि | प्रयः | वहन्तु | सोम-पीतये // ऋ.वे. ४,४६.३ //
रथम् | हिरण्य-वन्धुरम् | इन्द्रवायूइति | सु-अध्वरम् | आ | हि | स्थाथः | दिव् इ-स्पृशम् // ऋ.वे. ४,४६.४ //
रथेन | पृथु-पाजसा | दाश्वांसम् | उप | गच्छतम् | इन्द्रवायूइति | इह | आ | गतम् // ऋ.वे. ४,४६.५ //
इन्द्रवायूइति | अयम् | सुतः | तम् | देवेभिः | स-जोषसा | पिबतम् | दाशुषः | गृहे // ऋ.वे. ४,४६.६ //
इह | प्र-यानम् | अस्तु | वाम् | इन्द्रवायूइति | वि-मोचनम् | इह | वाम् | सोम-पीतये // ऋ.वे. ४,४६.७ //
//२२//.

-ऋ.वे. ३:७/२३-
(ऋ.वे. ४,४७)
वायो इति | शुक्रः | अयामि | ते | मध्वः | अग्रम् | दिविष्टिषु | आ | याहि | सोम-पीतये | स्पार्हः | देव | नियुत्वता // ऋ.वे. ४,४७.१ //
इन्द्रः | च | वायो इति | एषाम् | सोमानाम् | पीतिम् | अर्हथः | युवाम् | हि | यन्ति | इन्दवः | निम्नम् | आपः | न | सध्र्यक् // ऋ.वे. ४,४७.२ //
वायो इति | इन्द्रः | च | शुष्मिणा | स-रथम् | शवसः | पती इति | नियुत्वन्ता | नः | ऊतये | आ | यातम् सोम-पीतये // ऋ.वे. ४,४७.३ //
याः | वाम् | सन्ति | पुरु-स्पृहः | नि-युतः | दाशुषे | नरा | अस्मे इति | ताः | यज्ञ-वाहसा | इन्द्रवायूइति | नि | यच्छतम् // ऋ.वे. ४,४७.४ //
//२३//.

-ऋ.वे. ३:७/२४-
(ऋ.वे. ४,४८)
विहि | होत्रा | अवीताः | विपः | न | रायः | अर्यः | वायो इति | आ | चन्द्रेणे | रथेन | याहि | सुतस्य | पीतये // ऋ.वे. ४,४८.१ //
निः-युवानः | अशस्तीः | नियुत्वान् | इन्द्र-सारथिः | वायो इति | आ | चन्द्रेणे | रथेन | याहि | सुतस्य | पीतये // ऋ.वे. ४,४८.२ //
अनु | कृष्णे | वसुधिती इतिवसु-धिती | येमातेइति | विश्व-पेशसा | वायो इति | आ | चन्द्रेणे | रथेन | याहि | सुतस्य | पीतये // ऋ.वे. ४,४८.३ //
वहन्तु | त्वा | मनः-युजः | युक्तासः | नवतिः | नव | वायो इति | आ | चन्द्रेणे | रथेन | याहि | सुतस्य | पीतये // ऋ.वे. ४,४८.४ //
वायो इति | शतम् | हरीणाम् | युवस्व | पोष्याणाम् | उत | वा | ते | सहस्रिणः | रथः | आ | यातु | पाजसा // ऋ.वे. ४,४८.५ //
//२४//.

-ऋ.वे. ३:७/२५-
(ऋ.वे. ४,४९)
इदम् | वाम् | आस्ये | हविः | प्रियम् | इन्द्राबृहस्पती इति | उक्थम् | मदः | च | शस्यते // ऋ.वे. ४,४९.१ //
अयम् | वाम् | परि | सिच्यते | सोमः | इन्द्राबृहस्पती इति | चारुः | मदाय | पीतये // ऋ.वे. ४,४९.२ //
आ | नः | इन्द्राबृहस्पती इति | गृहम् | इन्द्रः | च | गच्छतम् | सोम-पा | सोम-पीतये // ऋ.वे. ४,४९.३ //
अस्मे इति | इन्द्राबृहस्पती इति | रयिम् | धत्तम् | शत-ग्विनम् | अश्व-वन्तम् | सहस्रिणम् // ऋ.वे. ४,४९.४ //
इन्द्राबृहस्पती इति | वयम् | सुते | गीः-भिः | हवामहे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ.वे. ४,४९.५ //
सोमम् | इन्द्राबृहस्पती इति | पिबतम् | दाशुषः | गृहे | मादयेथाम् | तत्-ओकसा // ऋ.वे. ४,४९.६ //
//२५//.

-ऋ.वे. ३:७/२६-
(ऋ.वे. ४,५०)
यः | तस्तम्भ | सहसा | वि | ज्मः | अन्तान् | बृहस्पतिः | त्रि-सधस्थः | रवेण | तम् | प्रत्नासः | ऋषयः | दीध्यानाः | पुरः | विप्राः | दधिरे | मन्द्र-जिह्वम् // ऋ.वे. ४,५०.१ //
धुन-इतयः | सु-प्रकेतम् | मदन्तः | बृहस्पते | अभि | ये | नः | ततस्रे | पृषन्तम् | सृप्रम् | अदब्धम् | ऊर्वम् | बृहस्पते | रक्षतात् | अस्य | योनिम् // ऋ.वे. ४,५०.२ //
बृहस्पते | या | परमा | परावत् | अतः | आ | ते | ऋत-स्पृशः | नि | सेदुः | तुभ्यम् | खाताः | अवताः | अद्रि-दुग्धाः | मध्वः | श्चोतन्ति | अभितः | वि-रप्शम् // ऋ.वे. ४,५०.३ //
बृहस्पतिः | प्रथमम् | जायमानः | महः | ज्योतिषः | परमे | वि-ओमन् | सप्त-आस्यः | तुवि-जातः | रवेण | वि | सप्त-रश्मिः | अधमत् | तमांसि // ऋ.वे. ४,५०.४ //
सः | सु-स्तुभा | सः | ऋक्वता | गणेन | वलम् | रुरोज | फलि-गम् | रवेण | बृहस्पतिः | उस्रियाः | हव्य-सूदः | कनिक्रदत् | वावशतीः | उत् | आजत् // ऋ.वे. ४,५०.५ //
//२६//.

-ऋ.वे. ३:७/२७-
एव | पित्रे | विश्व-देवाय | वृष्णे | यज्ञैः | विधेम | नमसा | हविः-भिः | बृहस्पते | सु-प्रजाः | वीर-वन्तः | वयम् | स्याम | पतयः | रयीणाम् // ऋ.वे. ४,५०.६ //
सः | इत् | राजा | प्रति-जन्यानि | विश्वा | शुष्मेण | तस्थौ | अभि | वीर्येण | बृहस्पतिम् | यः | सु-भृतम् | बिभर्ति | वल्गु-यति | वन्दते | पूर्व-भाजम् // ऋ.वे. ४,५०.७ //
सः | इत् | क्षेति | सु-धितः | ओकसि | स्वे | तस्मै | इऌआ | पिन्वते | विश्व-दानीम् | तस्मै | विशः | स्वयम् | एव | नमन्ते | यस्मिन् | ब्रह्मा | राजनि | पूर्वः | एत् इ // ऋ.वे. ४,५०.८ //
अप्रति-इतः | जयति | सम् | धनानि | प्रति-जन्यानि | उत | या | स-जन्या | अवस्यवे | यः | वरिवः | कृणोति | ब्रह्मणे | राजा | तम् | अवन्ति | देवाः // ऋ.वे. ४,५०.९ //
इन्द्रः | च | सोमम् | पिबतम् | बृहस्पते | अस्मिन् | यज्ञे | मन्दसाना | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | आ | वाम् | विशन्तु | इन्दवः | सु-आभुवः | अस्मे इति | रयिम् | सर्व-वीरम् | नि | यच्छतम् // ऋ.वे. ४,५०.१० //
बृहस्पते | इन्द्र | वर्धतम् | नः | सचा | सा | वाम् | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति | अविष्टम् | धियः | जिगृतम् | पुरम्-धीः | जजस्तम् | अर्यः | वनुषाम् | अरातीः // ऋ.वे. ४,५०.११ //
//२७//.





-ऋ.वे. ३:८/१-
(ऋ.वे. ४,५१)
इदम् | ॐ इति | त्यत् | पुरु-तमम् | पुरस्तात् | ज्योतिः | तमसः | वयुन-वत् | अस्थात् | नूनम् | दिवः | दुहितरः | वि-भातीः | गातुम् | कृणवन् | उषसः | जनाय // ऋ.वे. ४,५१.१ //
अस्थुः | ॐ इति | चित्राः | उषसः | पुरस्तात् | मिताः-इव | स्वरवः | अध्वरेषु | वि | ॐ इति | व्रजस्य | तमसः | द्वारा | उच्छन्तीः | अव्रन् | शुचयः | पावकाः // ऋ.वे. ४,५१.२ //
उच्छन्तीः | अद्य | चितयन्त | भोजान् | राधः-देयाय | उषसः | मघोनीः | अचित्रे | अन्तरिति | पणयः | ससन्तु | अबुध्यमानाः | तमसः | वि-मध्ये // ऋ.वे. ४,५१.३ //
कुवित् | सः | देवीः | सनयः | नवः | वा | यामः | बभूयात् | उषसः | वः | अद्य | येन | नव-ग्वे | अङ्गिरे | दश-ग्वे | सप्त-आस्ये | रेवतीः | रेवत् | ऊष // ऋ.वे. ४,५१.४ //
यूयम् | हि | देवीः | ऋतयुक्-भिः | अश्वैः | परि-प्रयाथ | भुवनानि | सद्यः | प्र-बोधयन्तीः | उषसः | ससन्तम् | द्वि-पात् | चतुः-पात् | चरथाय | जीवम् // ऋ.वे. ४,५१.५ //
//१//.

-ऋ.वे. ३:८/२-
क्व | स्वित् | आसाम् | कतमा | पुराणी | यया | वि-धाना | वि-दधुः | ऋभूणाम् | शुभम् | यत् | शुभ्राः | उषसः | चरन्ति | न | वि | ज्ञायन्ते | स-दृशीः | अजुर्याः // ऋ.वे. ४,५१.६ //
ताः | घ | ताः | भद्राः | उषसः | पुरा | आसुः | अभिष्टि-द्युम्नाः | ऋतजात-सत्याः | यासु | ईजानः | शशमानः | उक्थैः | स्तुवन् | शंसन् | द्रविणम् | सद्यः | आप // ऋ.वे. ४,५१.७ //
ताः | आ | चरन्ति | समना | पुरस्तात् | समानतः | समना | पप्रथानाः | ऋतस्य | देवीः | सदसः | बुधानाः | गवाम् | न | सर्गाः | उषसः | जरन्ते // ऋ.वे. ४,५१.८ //
ताः | इत् | नु | एव | समना | समानीः | अमीत-वर्णाः | उषसः | चरन्ति | गूहन्तीः | अभ्वम् | असितम् | रुशत्-भिः | शुक्राः | तनूभिः | शुचयः | रुचानाः // ऋ.वे. ४,५१.९ //
रयिम् | दिवः | दुहितरः | वि-भातीः | प्रजावन्तम् | यच्छत | अस्मासु | देवीः | स्योनात् | आ | वः | प्रति-बुध्यमानाः | सु-वीर्यस्य | पतयः | स्याम // ऋ.वे. ४,५१.१० //
तत् | वः | दिवः | दुहितरः | वि-भातीः | उप | ब्रुवे | उषसः | यज्ञ-केतुः | वयम् | स्याम | यशसः | जनेषु | तत् | द्यौः | च | धत्ताम् | पृथिवी | च | देवी // ऋ.वे. ४,५१.११ //
//२//.

-ऋ.वे. ३:८/३-
(ऋ.वे. ४,५२)
प्रति | स्या | सूनरी | जनी | वि-उच्छन्ती | परि | स्वसुः | दिवः | अदर्शि | दुहिता // ऋ.वे. ४,५२.१ //
अश्वाइव | चित्रा | अरुषी | माता | गवाम् | ऋत-वरी | सखा | अभूत् | अश्विनोः | उषाः // ऋ.वे. ४,५२.२ //
उत | सखा | असि | अश्विनोः | उत | माता | गवाम् | असि | उत | उषः | वस्वः | ईशिषे // ऋ.वे. ४,५२.३ //
यावयत्-द्वेषसम् | त्वा | चिकित्वित् | सूनृतावरि | प्रति | स्तोमैः | अभुत्स्महि // ऋ.वे. ४,५२.४ //
प्रति | भद्राः | अदृक्षत | गवाम् | सर्गाः | न | रश्मयः | आ | उषाः | अप्राः | उरु | ज्रयः // ऋ.वे. ४,५२.५ //
आपप्रुषी | विभावरि | वि | आवः | ज्योतिषा | तमः | उषः | अनु | स्वधाम् | अव // ऋ.वे. ४,५२.६ //
आ | द्याम् | तनोषि | रश्मि-भिः | आ | अन्तरिक्षम् | उरु | प्रियम् | उषः | शुक्रेण | शोचिषा // ऋ.वे. ४,५२.७ //
//३//.

-ऋ.वे. ३:८/४-
(ऋ.वे. ४,५३)
तत् | देवस्य | सवितुः | वार्यम् | महत् | वृणीमहे | असुरस्य | प्रचेतसः | छर्दिः | येन | दाशुषे | यच्छति | त्मना | तत् | नः | महान् | उत् | अयान् | देवः | अक्तु-भिः // ऋ.वे. ४,५३.१ //
दिवः | धर्ता | भुवनस्य | प्रजापतिः | पिशङ्गम् | द्रापिम् | प्रति | मुञ्चते | कविः | वि-चक्षणः | प्रथयन् | आपृणन् | उरु | अजीजनत् | सविता | सुम्नम् | उक्थ्यम् // ऋ.वे. ४,५३.२ //
आ | अप्राः | रजांसि | दिव्यानि | पार्थिवा | श्लोकम् | देवः | कृणुते | स्वाय | धर्मणे | प्र | बाहू इति | अस्राक् | सविता | सवीमनि | नि-वेशयन् | प्र-सुवन् | अक्तु-भिः | जगत् // ऋ.वे. ४,५३.३ //
अदाभ्यः | भुवनानि | प्र-चाकशत् | व्रतानि | देवः | सविता | अभि | रक्षते | प्र | अस्राक् | बाहू इति | भुवनस्य | प्र-जाभ्यः | धृत-व्रतः | महः | अज्मस्य | राजति // ऋ.वे. ४,५३.४ //
त्रिः | अन्तरिक्षम् | सविता | महि-त्वना | त्री | रजांसि | परि-भूः | त्रीणि | रोचना | तिस्रः | दिवः | पृथिवीः | तिस्रः | इन्वति | त्रि-भिः | व्रतैः | अभि | नः | रक्षति | त्मना // ऋ.वे. ४,५३.५ //
बृहत्-सुम्नः | प्र-सविता | नि-वेशनः | जगतः | स्थातुः | उभयस्य | यः | वशी | सः | नः | देवः | सविता | शर्म | यच्छतु | अस्मे इति | क्षयाय | त्रि-वरूथम् | अंहसः // ऋ.वे. ४,५३.६ //
आ | अगन् | देवः | ऋतु-भिः | वर्धतु | क्षयम् | दधातु | नः | सविता | सु-प्रजाम् | इषम् | सः | नः | क्षपाभिः | अह-भिः | च | जिन्वतु | प्रजावन्तम् | रयिम् | अस्मे इति | सम् | इन्वतु // ऋ.वे. ४,५३.७ //
//४//.

-ऋ.वे. ३:८/५-
(ऋ.वे. ४,५४)
अभूत् | देवः | सविता | वन्द्यः | नु | नः | इदानीम् | अह्नः | उप-वाच्यः | नृ-भिः | वि | यः | रत्ना | भजति | मानवेभ्यः | श्रेष्ठम् | नः | अत्र | द्रविणम् | यथा | दधत् // ऋ.वे. ४,५४.१ //
देवेभ्यः | हि | प्रथमम् | यज्ञियेभ्यः | अमृत-त्वम् | सुवसि | भागम् | उत्-तमम् | आत् | इत् | दामानम् | सवितः | वि | ऊर्णुषे | अनूचीना | जीविता | मानुषेभ्यः // ऋ.वे. ४,५४.२ //
अचित्ती | यत् | चकृम | दैव्ये | जने | दीनैः | दक्षः | प्र-भूती | पुरुषत्वता | देवेषु | च | सवितः | मानुषेषु | च | त्वम् | नः | अत्र | सुवतात् | अनागसः // ऋ.वे. ४,५४.३ //
न | प्र-मिये | सवितुः | दैव्यस्य | तत् | यथा | विश्वम् | भुवनम् | धारयिष्यति | यत् | पृथिव्याः | वरिमन् | आ | सु-अङ्गुरिः | वर्ष्मन् | दिवः | सुवति | सत्यम् | अस्य | तत् // ऋ.वे. ४,५४.४ //
इन्द्र-ज्येष्ठान् | बृहत्-भ्यः | पर्वतेभ्यः | क्षयान् | एभ्यः | सुवसि | पस्त्य-वतः | यथायथा | पतयन्तः | वि-येमिरे | एव | एव | तस्थुः | सवितरिति | सवाय | ते // ऋ.वे. ४,५४.५ //
ये | ते | त्रिः | अहन् | सवितरिति | सवासः | दिवे--दिवे | सौभगम् | आसुवन्ति | इन्द्रः | द्यावापृथिवी इति | सिन्धुः | अत्-भिः | आदित्यैः | नः | अदितिः | शर्म | यंसत् // ऋ.वे. ४,५४.६ //
//५//.

-ऋ.वे. ३:८/६-
(ऋ.वे. ४,५५)
कः | वः | त्राता | वसवः | कः | वरूता | द्यावाभूमी इति | अदिते | त्रासीथाम् | नः | सहीयसः | वरुण | मित्र | मर्तात् | कः | वः | अध्वरे | वरिवः | धाति | देवाः // ऋ.वे. ४,५५.१ //
प्र | ये | धामानि | पूर्व्याणि | अर्चान् | वि | यत् | उच्छान् | वि-योतारः | अमूराः | वि-धातारः | वि | ते | दधुः | अजस्राः | ऋत-धीतयः | रुरुचन्त | दस्माः // ऋ.वे. ४,५५.२ //
प्र | पस्त्याम् | अदितिम् | सिन्धुम् | अर्कैः | स्वस्तिम् | ईऌए | सख्याय | देवीम् | उभे इति | यथा | नः | अहनी इति | नि-पातः | उषसानक्ता | करताम् | अदब्धेइति // ऋ.वे. ४,५५.३ //
वि | अर्यमा | वरुणः | चेति | पन्थाम् | इषः | पतिः | सुवितम् | गातुम् | अग्निः | इन्द्राविष्णूइति | नृ-वत् | ॐ इति | सु | स्तवाना | शर्म | नः | यन्तम् | अम-वत् | वरूथम् // ऋ.वे. ४,५५.४ //
आ | पर्वतस्य | मरुताम् | अवांसि | देवस्य | त्रातुः | अव्रि | भगस्य | पात् | पतिः | जन्यात् | अंहसः | नः | मित्रः | मित्रियात् | उत | नः | उरुष्येत् // ऋ.वे. ४,५५.५ //
//६//.

-ऋ.वे. ३:८/७-
नु | रोदसी
इति | अहिना | बुध्न्येन | स्तुवीत | देवी इति | अपि | एभिः | इष्टैः | समुद्रम् | न | सम्-चरणे | सनिष्यवः | घर्म-स्वरसः | नद्यः | अप | व्रन् // ऋ.वे. ४,५५.६ //
देवैः | नः | देवी | अदितिः | नि | पातु | देवः | त्राता | त्रायताम् | अप्र-युच्छन् | नहि | मित्रस्य | वरुणस्य | धासिम् | अर्हामसि | प्र-मियम् | सानु | अग्नेः // ऋ.वे. ४,५५.७ //
अग्निः | ईशे | वसव्यस्य | अग्निः | महः | सौभगस्य | तानि | अस्मभ्यम् | रासते // ऋ.वे. ४,५५.८ //
उषः | मघोनि | आ | वह | सूनृते | वार्या | पुरु | अस्मभ्यम् | वाजिनी-वति // ऋ.वे. ४,५५.९ //
तत् | सु | नः | सविता | भगः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | इन्द्रः | नः | राधसा | आ | गमत् // ऋ.वे. ४,५५.१० //
//७//.

-ऋ.वे. ३:८/८-
(ऋ.वे. ४,५६)
मही | द्यावापृथिवी इति | इह | ज्येष्ठेइति | रुचा | भवताम् | शुचयत्-भिः | अर्कैः | यत् | सीम् | वरिष्ठेइति | बृहती इति | वि-मिन्वन् | रुवत् | ह | उक्षा | पप्रथानेभिः | एवैः // ऋ.वे. ४,५६.१ //
देवी इति | देवेभिः | यजते इति | यजत्रैः | अमिनती इति | तस्थतुः | उक्षमाणेइति | ऋतवरी इत्य् ऋत-वरी | अद्रुहा | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | यज्ञस्य | नेत्री
इति | शुचयत्-भिः | अर्कैः // ऋ.वे. ४,५६.२ //
सः | इत् | सु-अपाः | भुवनेषु | आस | यः | इमे इति | द्यावापृथिवी इति | जजान | उर्वी इति | गभीरे इति | रजसी इति | सुमेके इतिसु-मेके | अवंशे | धीरः | शच्या | सम् | ऐरत् // ऋ.वे. ४,५६.३ //
नु | रोदसी इति | बृहत्-भिः | नः | वरूथैः | पत्नीवत्-भिः | इषयन्ती इति | स-जोषाः | उरूची इति | विश्वेइति | याजते इति | नि | पातम् | धिया | स्याम | रथ्यः | सदासाः // ऋ.वे. ४,५६.४ //
प्र | वाम् | महि | द्यवी इति | अभि | उप-स्तुतिम् | भरामहे | शुची इति | उप | प्र-शस्तये // ऋ.वे. ४,५६.५ //
पुनाने इति | तन्वा | मिथः | स्वेन | दक्षेण | राजथः | ऊह्याथेइति | सनात् | ऋतम् // ऋ.वे. ४,५६.६ //
मही इति | मित्रस्य | साधथः | तरन्ती इति | पिप्रती इति | ऋतम् | परि | यज्ञम् | नि | सेदथुः // ऋ.वे. ४,५६.७ //
//८//.

-ऋ.वे. ३:८/९-
(ऋ.वे. ४,५७)
क्षेत्रस्य | पतिना | वयम् | हितेन-इव | जयामसि | गाम् | अस्वम् | पोषयित्नु | आ | सः | नः | मृऌआति | ईदृशे // ऋ.वे. ४,५७.१ //
क्षेत्रस्य | पते | मधु-मन्तम् | ऊर्मिम् | धेनुः-इव | पयः | अस्मासु | धुक्ष्व | मधु-श्चुतम् | घृतम्-इव | सु-पाऊतम् | ऋतस्य | नः | पतयः | मृऌअयन्तु // ऋ.वे. ४,५७.२ //
मधु-मतीः | ओषधीः | द्यावः | आपः | मधु-मत् | नः | भवतु | अन्तरिक्षम् | क्षेत्रस्य | पतिः | मधु-मान् | नः | अस्तु | अरिष्यन्तः | अनु | एनम् | चरेम // ऋ.वे. ४,५७.३ //
शुनम् | वाहाः | शुनम् | नरः | शुनम् | कृषतु | लाङ्गलम् | /
शुनम् | वरत्राः | बध्यन्ताम् | शुनम् | अष्ट्राम् | उत् | इङ्गय // ऋ.वे. ४,५७.४ //
शुनासीरौ | इमाम् | वाचम् | जुषेथाम् | यत् | दिवि | चक्रथुः | पयः | तेन | इमाम् | उप | सिञ्चतम् // ऋ.वे. ४,५७.५ //
अर्वाची | सु-भगे | भव | सीते | वन्दामहे | त्वा | यथा | नः | सु-भगा | अससि | यथा | नः | सुफला | अससि // ऋ.वे. ४,५७.६ //
इन्द्रः | सीताम् | नि | गृह्णातु | ताम् | पूषा | अनु | यच्छतु | सा | नः | पयस्वती | दुहाम् | उत्तराम्-उत्तराम् | समाम् // ऋ.वे. ४,५७.७ //
शुनम् | नः | फालाः | वि | कृषन्तु | भूमिम् | शुनम् | कीनाशाः | अभि | यन्तु | वाहैः | शुनम् | पर्जन्यः | मधुना | पयः-भिः | शुनासीरा | शुनम् | अस्मासु | धत्तम् // ऋ.वे. ४,५७.८ //
//९//.

-ऋ.वे. ३:८/१०-
(ऋ.वे. ४,५८)
समुद्रात् | ऊर्मिः | मधु-मान् | उत् | आरत् | उप | अंशुना | सम् | अमृत-त्वम् | आनट् | घृतस्य | नाम | गुह्यम् | यत् | अस्ति | जिह्वा | देवानाम् | अमृतस्य | नाभिः // ऋ.वे. ४,५८.१ //
वयम् | नाम | प्र | ब्रआम | घृतस्य | अस्मिन् | यज्ञे | धारयाम | नमः-भिः | उप | ब्रह्मा | शृणवत् | शस्यमानम् | चतुः-शृङ्गः | अवमीत् | गौरः | एतत् // ऋ.वे. ४,५८.२ //
चत्वारि | शृङ्गा | त्रयः | अस्य | पादाः | द्वे इति | शीर्षे इति | सप्त | हस्तासः | अस्य | त्रिधा | बद्धः | वृषभः | रोरवीति | महः | देवः | मर्त्यान् | आ | विवेश // ऋ.वे. ४,५८.३ //
त्रिधा | हितम् | पणि-भिः | गुह्यमानम् | गवि | देवासः | घृतम् | अनु | अविन्दन् | इन्द्रः | एकम् | सूर्यः | एकम् | जजान | वेनात् | एकम् | स्वधया | निः | ततक्षुः // ऋ.वे. ४,५८.४ //
एताः | अर्षन्ति | हृद्यात् | समुद्रात् | शत-व्रजाः | रिपुणा | न | अव-चक्षे | घृतस्य | धाराः | अभि | चाकसीमि | हिरण्ययः | वेतसः | मध्ये | आसाम् // ऋ.वे. ४,५८.५ //
//१०//.

-ऋ.वे. ३:८/११-
सम्यक् | स्रवन्ति | सरितः | न | धेनाः | अन्तः | हृदा | मनसा | पूयमानाः | एते | अर्षन्ति | ऊर्मयः | घृतस्य | मृगाः-इव | क्षिपणोः | ईषमाणाः // ऋ.वे. ४,५८.६ //
सिन्धोः-इव | प्र-अध्वने | शूघनासः | वात-प्रमियः | पतयन्ति | यह्वाः | घृतस्य | धाराः | अरुषः | न | वाजी | काष्ठाः | भिन्दन् | ऊर्मिभिः | पिन्वमानः // ऋ.वे. ४,५८.७ //
अभि | प्रवन्त | समनाइव | योषाः | कल्याण्यः | स्मयमानासः | अग्निम् | घृतस्य | धाराः | सम्-इधः | नसन्त | ताः | जुषाणः | हर्यति | जात-वेदाः // ऋ.वे. ४,५८.८ //
कन्याः-इव | वहतुम् | एतवै | ॐ इति | अञ्जि | अञ्जानाः | अभि | चाकशीमि | यत्र | सोमः | सूयते | यत्र | यज्ञः | घृतस्य | धाराः | अभि | तत् | पवन्ते // ऋ.वे. ४,५८.९ //
अभि | अर्षत | सु-स्तुतिम् | गव्यम् | आजिम् | अस्मासु | भद्रा | द्रविणानि | धत्त | इमम् | यज्ञम् | नयत | देवता | नः | घृतस्य | धाराः | मधु-मत् | पवन्ते // ऋ.वे. ४,५८.१० //
धामन् | ते | विश्वम् | भुवनम् | अधि | श्रितम् | अन्तरिति | समुद्रे | हृदि | अन्तः | आयुषि | अपाम् | अनीके | सम्-इथे | यः | आभृतः | तम् | अश्याम | मधु-मन्तम् | ते | ऊर्मिम् // ऋ.वे. ४,५८.११ //
//११//.