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ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-३

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मण्डलम्-३
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-ऋ. वे. २:८/१३-
(ऋ. वे. ३,१)
सोमस्य | मा | तवसम् | वक्षि | अग्ने | वह्निम् | चकर्थ | विदथे | यजध्यै | देवान् | अच्छ | दीद्यत् | युञ्जे | अद्रिम् | शम्-आये | अग्ने | तन्वम् | जुषस्व // ऋ. वे. ३,१.१ //
प्राञ्चम् | यज्ञम् | चकृम | वर्धताम् | गीः | समित्-भिः | अग्निम् | नमसा | दुवस्यन् | दिवः | शशासुः | विदथा | कवीनाम् | गृसाय | चित् | तवसे | गातुम् | ईषुः // ऋ. वे. ३,१.२ //
मयः | दधे | मेधिरः | पूत-दक्षः | दिवः | सु-बन्धुः | जनुषा | पृथिव्याः | अविन्दन् | ॐ इति | दर्शतम् | अप्-सु | अन्तः | देवासः | अग्निम् | अपसि | स्वसॄणाम् // ऋ. वे. ३,१.३ //
अवर्धयन् | सु-भगम् | सप्त | यह्वीः | श्वेतम् | जज्ञानम् | अरुषम् | महि-त्वा | शिशुम् | न | जातम् | अभि | आरुः | अश्वाः | देवासः | अग्निम् | जनिमन् | वपुष्यन् // ऋ. वे. ३,१.४ //
शुक्रेभिः | अङ्गैः | रजः | आततन्वान् | क्रतुम् | पुनानः | कवि-भिः | पवित्रैः | शोचिः | वसानः | परि | आयुः | अपाम् | श्रियः | मिमीते | बृहतीः | अनूनाः // ऋ. वे. ३,१.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. २:८/१४-
वव्राज | सीम् | अनदतीः | अदब्धाः | दिवः | यह्वीः | अवसानाः | अनग्नाः | सनाः | अत्र | युवतयः | स-योनीः | एकम् | गर्भम् | दधिरे | सप्त | वाणीः // ऋ. वे. ३,१.६ //
स्तीर्णाः | अस्य | सम्-हतः | विश्व-रूपा | घृतस्य | योनौ | स्रवथे | मधूनाम् | अस्थुः | अत्र | धेनवः | पिन्वमानाः | मही इति | दस्मस्य | मातरा | समीची इतिसम्-ईची // ऋ. वे. ३,१.७ //
बभ्राणः | सूनो इति | सहसः | वि | अद्यौत् | दधानः | शुक्रा | रभसा | वपूंषि | श्चोतन्ति | धाराः | मधुनः | घृतस्य | वृषा | यत्र | ववृधे | काव्येन // ऋ. वे. ३,१.८ //
पितुः | चित् | ऊधः | जनुषा | विवेद | वि | अस्य | धाराः | असृजत् | वि | धेनाः | गुहा | चरन्तम् | सखि-भिः | शिवेभिः | दिवः | यह्वीभिः | न | गुहा | बभूव // ऋ. वे. ३,१.९ //
पितुः | च | गर्भम् | जनितुः | च | बभ्रे | पूर्वीः | एकः | अधयत् | पीप्यानाः | वृष्णे | सपत्नी इतिसपत्नी | शुचये | सबन्धू इतिस-बन्धू | उभे इति | अस्मै | मनुष्ये इति | नि | पाहि // ऋ. वे. ३,१.१० //
//१४//.

-ऋ. वे. २:८/१५-
उरौ | महान् | अनि-बाधे | ववर्ध | आपः | अग्निम् | यशसः | सम् | हि | पूर्वीः | ऋतस्य | योनौ | अशयत् | दमूनाः | जामीनाम् | अग्निः | अपसि | स्वसृॠणाम् // ऋ. वे. ३,१.११ //
अक्रः | न | बभ्रिः | सम्-इथे | महीनाम् | दिदृक्षेयः | सूनवे | भाः-ऋजीकः | उत् | उस्रियाः | जनिता | यः | जजान | अपाम् | गर्भः | नृ-तमः | यह्वः | अग्निः // ऋ. वे. ३,१.१२ //
अपाम् | गर्भम् | दर्शतम् | ओषधीनाम् | वना | जजान | सु-भगा | वि-रूपम् | देवासः | चित् | मनसा | सम् | हि | जग्मुः | पनिष्ठम् | जातम् | तवसम् | दुवस्यन् // ऋ. वे. ३,१.१३ //
बृहन्तः | इत् | भानवः | भाः-ऋजीकम् | अग्निम् | सचन्त | वि-द्युतः | न | शुक्राः | गुहाइव | वृद्धम् | सदसि | स्वे | अन्तः | अपारे | ऊर्वे | अमृतम् | दुहानाः // ऋ. वे. ३,१.१४ //
ईऌए | च | त्वा | यजमानः | हविः-भिः | ईऌए | सखि-त्वम् | सु-मतिम् | नि-कामः | देवैः | अवः | मिमीहि | सम् | जरित्रे | रक्ष | च | नः | दम्ये--भिः | अनीकैः // ऋ. वे. ३,१.१५ //
//१५//.

-ऋ. वे. २:८/१६-
उप-क्षेतारः | तव | सु-प्रनीते | अग्ने | विश्वानि | धन्या | दधानाः | सु-रेतसा | श्रवसा | तुञ्जमानाः | अभि | स्याम | पृतनायून् | अदेवान् // ऋ. वे. ३,१.१६ //
आ | देवानाम् | अभवः | केतुः | अग्ने | मन्द्रः | विश्वानि | काव्यानि | विद्वान् | प्रति | मर्तान् | अवासयः | दमूनाः | अनु | देवान् | रथिरः | यासि | साधन् // ऋ. वे. ३,१.१७ //
नि | दुरोणे | अमृतः | मर्त्यानाम् | राजा | ससाद | विदथानि | साधन् | घृत-प्रतीकः | उर्विया | वि | अद्यौत् | अग्निः | विश्वानि | काव्यानि | विद्वान् // ऋ. वे. ३,१.१८ //
आ | नः | गहि | सख्येभिः | शिवेभिः | महान् | महीभिः | ऊति-भिः | सरण्यन् | अस्मे इति | रयिम् | बहुलम् | सम्-तरुत्रम् | सु-वाचम् | भागम् | यशसम् | कृधि | नः // ऋ. वे. ३,१.१९ //
एता | ते | अग्ने | जनिम | सनानि | प्र | पूर्व्याय | नूतनानि | वोचम् | महान्ति | वृष्णे | सवना | कृता | इमा | जन्मन्-जन्मन् | नि-हितः | जात-वेदाः // ऋ. वे. ३,१.२० //
जन्मन्-जन्मन् | नि-हितः | जात-वेदाः | विश्वामित्रेभिः | इध्यते | अजस्रः | तस्य | वयम् | सु-मतौ | यज्ञियस्य | अपि | भद्रे | सौमनसे | स्याम // ऋ. वे. ३,१.२१ //
इमम् | यज्ञम् | सहसावन् | त्वम् | नः | देव-त्रा | धेहि | सु-क्रतो इतिसु-क्रतो | रराणः | प्र | यंसि | होतः | बृहतीः | इषः | नः | अग्ने | महि | द्रविणम् | आ | यजस्व // ऋ. वे. ३,१.२२ //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,१.२३ //
//१६//.

-ऋ. वे. २:८/१७-
(ऋ. वे. ३,२)
वैश्वानराय | धिषणाम् | ऋत-वृधे | घृतम् | न | पूतम् | अग्नये | जनामसि | द्विता | होतारम् | मनुषः | च | वाघतः | धिया | रथम् | न | कुलिशः | सम् | ऋण्वति // ऋ. वे. ३,२.१ //
सः | रोचयत् | जनुषा | रोदसी इति | उभे इति | सः | मात्रोः | अभवत् | पुत्रः | ईड्यः | हव्य-वाट् | अग्निः | अजरः | चनः-हितः | दुः-दभः | विशाम् | अतिथिः | विभावसुः // ऋ. वे. ३,२.२ //
क्रत्वा | दक्षस्य | तरुषः | वि-धर्मणि | देवासः | अग्निम् | जनयन्त | चित्ति-भिः | रुरुचानम् | भानुना | ज्योतिषा | महाम् | अत्यम् | न | वाजम् | सनिष्यन् | उप | ब्रुवे // ऋ. वे. ३,२.३ //
आ | मन्द्रस्य | सनिष्यन्तः | वरेण्यम् | वृणीमहे | अह्रयम् | वाजम् | ऋग्मियम् | रातिम् | भृगाऊणाम् | उशिजम् | कवि-क्रतुम् | अग्निम् | राजन्तम् | दिव्येन | शोचिषा // ऋ. वे. ३,२.४ //
अग्निम् | सुम्नाय | दधिरे | पुरः | जनाः | वाज-श्रवसम् | इह | वृक्त-बर्हि षः | यत-स्रुचः | सु-रुचम् | विश्व-देव्यम् | रुद्रम् | यज्ञानाम् | साधत्-इष्टि म् | अपसाम् // ऋ. वे. ३,२.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. २:८/१८-
पावक-शोचे | तव | हि | क्षयम् | परि | होतः | यज्ञेषु | वृक्त-बर्हिषः | नरः | अग्ने | दुवः | इच्छमानासः | आप्यम् | उप | आसते | द्रविणम् | धेहि | तेभ्यः // ऋ. वे. ३,२.६ //
आ | रोदसी इति | अपृणत् | आ | स्वः | महत् | जातम् | यत् | एनम् | अपसः | अधारयन् | सः | अध्वराय | परि | नीयते | कविः | अत्यः | न | वाज-सातये | चनः-हितः // ऋ. वे. ३,२.७ //
नमस्यत | हव्य-दातिम् | सु-अध्वरम् | दुवस्यत | दभ्यम् | जात-वेदसम् | रथीः | ऋतस्य | बृहतः | वि-चर्षणिः | अग्निः | देवानाम् | अभवत् | पुरः-हितः // ऋ. वे. ३,२.८ //
तिस्रः | यह्वस्य | सम्-इधः | परि-ज्मनः | अग्नेः | अपुनन् | उशिजः | अमृत्यवः | तासाम् | एकाम् | अदधुः | मर्त्ये | भुजम् | ॐ इति | लोकम् | ॐ इति | द्वे इति | उप | जामिम् | ईयतुः // ऋ. वे. ३,२.९ //
विशाम् | कविम् | विश्पतिम् | मानुषीः | इषः | सम् | सीम् | अकृण्वन् | स्व-धितिम् | न | तेजसे | सः | उत्-वतः | नि-वतः | याति | वेविषत् | सः | गर्भम् | एषु | भुवनेषु | दीधरत् // ऋ. वे. ३,२.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. २:८/१९-
सः | जिन्वते | जठरेषु | प्रजज्ञि-वान् | वृषा | चित्रेषु | नानदत् | न | सिंहः | वैश्वानरः | पृथु-पाजाः | अमर्त्यः | वसु | रत्ना | दयमानः | वि | दाशुषे // ऋ. वे. ३,२.११ //
वैश्वानरः | प्रत्न-था | नाकम् | आ | अरुहत् | दिवः | पृष्ठम् | भन्दमानः | सुमन्म-भिः | सः | पूर्व-वत् | जनयन् | जन्तवे | धनम् | समानम् | अज्मम् | परि | एति | जागृविः // ऋ. वे. ३,२.१२ //
ऋत-वानम् | यज्ञियम् | विप्रम् | उक्थ्यम् | आ | यम् | दधे | मातरिश्वा | दिवि | क्षयम् | तम् | चित्र-यामम् | हरि-केशम् | ईमहे | सुद्-ईतिम् | अग्निम् | सु-विताय | नव्यसे // ऋ. वे. ३,२.१३ //
शुचिम् | न | यामन् | इषिरम् | स्वः-दृशम् | केतुम् | दिवः | रोचन-स्थाम् | उषः-बुधम् | अग्निम् | मूर्धानम् | दिवः | अप्रति-स्कुतम् | तम् | ईमहे | नमसा | वाजिनम् | बृहत् // ऋ. वे. ३,२.१४ //
मन्द्रम् | होतारम् | शुचिम् | अद्वयाविनम् | दमूनसम् | उक्थ्यम् | विश्व-चर्षण् इम् | रथम् | न | चित्रम् | वपुषाय | दर्शतम् | मनुः-हितम् | सदम् | इत् | रायः | ईमहे // ऋ. वे. ३,२.१५ //
//१९//.

-ऋ. वे. २:८/२०-
(ऋ. वे. ३,३)
वैश्वानराय | पृथु-पाजसे | विपः | रत्ना | विधन्त | धरुणेषु | गातवे | अग्निः | हि | देवान् | अमृतः | दुवस्यति | अथ | धर्माणि | सनता | न | दूदुषत् // ऋ. वे. ३,३.१ //
अन्तः | दूतः | रोदसी इति | दस्मः | ईयते | होता | नि-सत्तः | मनुषः | पुरः-हितः | क्षयम् | बृहन्तम् | परि | भूषति | द्यु-भिः | देवेभिः | अग्निः | इषितः | धियावसुः // ऋ. वे. ३,३.२ //
केतुम् | यज्ञानाम् | विदथस्य | साधनम् | विप्रासः | अग्निम् | महयन्त | चित्ति-भिः | अपांसि | यस्मिन् | अधि | सम्-दधुः | गिरः | तस्मिन् | सुम्नानि | यजमानः | आ | चके // ऋ. वे. ३,३.३ //
पिता | यज्ञानाम् | असुरः | विपः-चिताम् | वि-मानम् | अग्निः | वयुनम् | च | वाघताम् | आ | विवेश | रोदसी इति | भूरि-वर्पसा | पुरु-प्रियः | भन्दते | धाम-भिः | कविः // ऋ. वे. ३,३.४ //
चन्द्रम् | अग्निम् | चन्द्र-रथम् | हरि-व्रतम् | वैश्वानरम् | अप्सु-सदम् | स्वः-विदम् | वि-गाहम् | तूर्णिम् | तविषीभिः | आवृतम् | भूर्णिम् | देवासः | इह | सु-श्रियम् | दधुः // ऋ. वे. ३,३.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. २:८/२१-
अग्निः | देवेभिः | मनुषः | च | जन्तु-भिः | तन्वानः | यज्ञम् | पुरु-पेशसम् | धिया | रथीः | अन्तः | ईयते | साधदिष्टि-भिः | जीरः | दमूनाः | अभिशस्ति-चातनः // ऋ. वे. ३,३.६ //
अग्ने | जरस्व | सु-अपत्ये | आयुनि | ऊर्जा | पिन्वस्व | सम् | इषः | दिदीहि | नः | वयांसि | जिन्व | बृहतः | च | जागृवे | उशिक् | देवानाम् | असि | सु-क्रतुः | विपाम् // ऋ. वे. ३,३.७ //
विश्पतिम् | यह्वम् | अतिथिम् | नरः | सदा | यन्तारम् | धीनाम् | उशिजम् | च | वाघताम् | अध्वराणाम् | चेतनम् | जात-वेदसम् | प्र | शंसन्ति | नमसा | जूति-भिः | वृधे // ऋ. वे. ३,३.८ //
विभावा | देवः | सु-रणः | परि | क्षितीः | अग्निः | बभूव | शवसा | सुमत्-रथः | तस्य | व्रतानि | भूरि-पोषिणः | वयम् | उप | भूषेम | दमे | आ | सुवृक्ति-भिः // ऋ. वे. ३,३.९ //
वैश्वानर | तव | धामानि | आ | चक्रे | येभिः | स्वः-वित् | अभवः | वि-चक्षण | जातः | आ | अपृणः | भुवनानि | रोदसी इति | अग्ने | ता | विश्वा | परि-भूः | असि | त्मना // ऋ. वे. ३,३.१० //
वैश्वानरस्य | दंसनाभ्यः | बृहत् | अरिणात् | एकः | सु-अपस्यया | कविः | उभा | पितरा | महयन् | अजायत | अग्निः | द्यावापृथिवी इति | भूरि-रेतसा // ऋ. वे. ३,३.११ //
//२१//.

-ऋ. वे. २:८/२२-
(ऋ. वे. ३,४)
समित्-समित् | सु-मनाः | बोधि | अस्मे इति | शुचाशुचा | सु-मतिम् | रासि | वस्वः | आ | देव | देवान् | यजथाय | वक्षि | सखा | सखीन् | सु-मनाः | यक्षि | अग्ने // ऋ. वे. ३,४.१ //
यम् | देवासः | त्रिः | अहन् | आयजन्ते | दिवे--दिवे | वरुणः | मित्रः | अग्निः | सः | इमम् | यज्ञम् | मधु-मन्तम् | कृधि | नः | तनू-नपात् | घृत-योनिम् | विधन्तम् // ऋ. वे. ३,४.२ //
प्र | दीधितिः | विश्व-वारा | जिगाति | होतारम् | इऌअः | प्रथमम् | यजध्यै | अच्छ | नमः-भिः | वृषभम् | वन्दध्यै | सः | देवान् | यक्षत् | इषितः | यजीयान् // ऋ. वे. ३,४.३ //
ऊर्ध्वः | वाम् | गातुः | अध्वरे | अकारि | ऊर्ध्वा | शोचींषि | प्रस्थिता | रजांसि | दिवः | वा | नाभा | नि | असादि | होता | स्तृणीमहि | देव-व्यचाः | वि | बर्हिः // ऋ. वे. ३,४.४ //
सप्त | होत्राणि | मनसा | वृणानाः | इन्वन्तः | विश्वम् | प्रति | यन् | ऋतेन | नृ-पेशसः | विदथेषु | प्र | जाताः | अभि | इमम् | यज्ञम् | वि | चरन्त | पूर्वीः // ऋ. वे. ३,४.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. २:८/२३-
आ | भन्दमानेइति | उषसौ | उपाके इति | उत | स्मयेतेइति | तन्वा | विरूपेइतिवि-रूपे | यथा | नः | मित्रः | वरुणः | जुजोषत् | इन्द्रः | मरुत्वान् | उत | वा | महः-भिः // ऋ. वे. ३,४.६ //
दैव्या | होतारा | प्रथमा | नि | ऋञ्जे | सप्त | पृक्षासः | स्वधया | मदन्ति | ऋतम् | शंसन्तः | ऋतम् | इत् | ते | आहुः | अनु | व्रतम् | व्रत-पाः | दीध्यानाः // ऋ. वे. ३,४.७ //
आ | भारती | भारतीभिः | स-जोषाः | इऌआः | देवैः | मनुष्येभिः | अग्निः | सरस्वती | सारस्वतेभिः | अर्वाक् | तिस्रः | देवीः | बर्हिः | आ | इदम् | सदन्तु // ऋ. वे. ३,४.८ //
तत् | नः | तुरीपम् | अध | पोषयित्नु | देव | त्वष्टः | वि | रराणः | स्यस्वेति स्यस्व | यतः | वीरः | कर्मण्यः | सु-दक्षः | युक्त-ग्रावा | जायते | देव-कामः // ऋ. वे. ३,४.९ //
वनस्पते | अव | सृज | उप | देवान् | अग्निः | हविः | शमिता | सूदयाति | सः | इत् | ॐ इति | होता | सत्य-तरः | यजाति | यथा | देवानाम् | जनिमानि | वेद // ऋ. वे. ३,४.१० //
आ | याहि | अग्ने | सम्-इधानः | अर्वाङ् | इन्द्रेण | देवैः | स-रथम् | तुरेभिः | बर्हिः | नः | आस्ताम् | अदितिः | सु-पुत्रा | स्वाहा | देवाः | अमृताः | मादयन्ताम् // ऋ. वे. ३,४.११ //
//२३//.

-ऋ. वे. २:८/२४-
(ऋ. वे. ३,५)
प्रति | अग्निः | उषसः | चेकितानः | अबोधि | विप्रः | पद-वीः | कवीनाम् | पृथु-पाजाः | देवयत्-भिः | समिद्धः | अप | द्वारा | तमसः | वह्निः | आवर् इत्य् आवः // ऋ. वे. ३,५.१ //
प्र | इत् | ॐ इति | अग्निः | ववृधे | स्तोमेभिः | गीः-भिः | स्तोतॄणाम् | नमस्यः | उक्थैः | पूर्वीः | ऋतस्य | सम्-दृशः | चकानः | सम् | दूतः | अद्यौत् | उषसः | वि-रोके // ऋ. वे. ३,५.२ //
अधायि | अग्निः | मानुषीषु | विक्षु | अपाम् | गर्भः | मित्रः | ऋतेन | साधन् | आ | हिर्यतः | यजतः | सानु | अस्थात् | अभूत् | ॐ इति | विप्रः | हव्यः | मतीनाम् // ऋ. वे. ३,५.३ //
मित्रः | अग्निः | भवति | यत् | सम्-इद्धः | मित्रः | होता | वरुणः | जत-वेदाः | मित्रः | अध्वर्युः | इषिरः | दमूनाः | मित्रः | सिन्धूनाम् | उत | पर्वतानाम् // ऋ. वे. ३,५.४ //
पाति | प्रियम् | रिपः | अग्रम् | पदम् | वेः | पाति | यह्वः | चरणम् | सूर्यस्य | पाति | नाभा | सप्त-शीर्षाणाम् | अग्निः | पाति | देवानाम् | उप-मादम् | ऋष्वः // ऋ. वे. ३,५.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. २:८/२५-
ऋभुः | चक्रे | ईड्यम् | चारु | नाम | विश्वानि | देवः | वयुनानि | विद्वान् | समस्य | चर्म | घृत-वत् पदम् | वेः | तत् | इत् | अग्निः | रक्षति | अप्र-युच्छन् // ऋ. वे. ३,५.६ //
आ | योनिम् | अग्निः | घृत-वन्तम् | अस्थात् | पृथु-प्रगानम् | उशन्तम् | उशानः | दीद्यानः | शुचिः | ऋष्वः | पावकः | पुनः-पुनः | मातरा | नव्यसी इति | करितिकः // ऋ. वे. ३,५.७ //
सद्यः | जातः | ओषधीभिः | ववक्षे | यदि | वर्धन्ति | प्र-स्वः | घृतेन | आपः-इव | प्र-वता | शुम्भमानाः | उरुष्यत् | अग्निः | पित्रोः | उप-स्थे // ऋ. वे. ३,५.८ //
उत् | ऊआम् इति | स्तुतः | सम्-इधा | यह्वः | अद्यौत् | वर्ष्मन् | दिवः | अधि | नाभा | पृथिव्याः | मित्रः | अग्निः | ईड्यः | मातरिश्वा | आ | दूतः | वक्षत् | यजथाय | देवान् // ऋ. वे. ३,५.९ //
उत् | अस्तम्भीत् | सम्-इधा | नाकम् | ऋष्वः | अग्निः | भवन् | उत्-तमः | रोचनानाम् | यदि | भृगु-भ्यः | परि | मातरिश्वा | गुहा | सन्तम् | हव्य-वाहम् | सम्-ईधे // ऋ. वे. ३,५.१० //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,५.११ //
//२५//.

-ऋ. वे. २:८/२६-
(ऋ. वे. ३,६)
प्र | कारवः | मनना | वच्यमानाः | देवद्रीचीन् | नयत | देव-यन्तः | दक्षिणावाट् | वाजिनी | प्राची | एति | हविः | भरन्ती | अग्नये | घृताची // ऋ. वे. ३,६.१ //
आ | रोदसी इति | अपृणाः | जायमानः | उत | प्र | रिक्थाः | अध | नु | प्रयज्यो इतिप्र-यज्यो | देवः | चित् | अग्ने | महिना | पृथिव्याः | वच्यन्ताम् | ते | वह्नयः | सप्त-जिह्वाः // ऋ. वे. ३,६.२ //
द्यौः | च | त्वा | पृथिवी | यज्ञियासः | नि | होतारम् | सादयन्ते | दमाय | यदि | विशः | मानुषीः | देव-यन्तीः | प्रयस्वतीः | ईऌअते | शुक्रम् | अर्चिः // ऋ. वे. ३,६.३ //
महान् | सध-स्थे | ध्रुवः | आ | नि-सत्तः | अन्तः | द्यावा | माहिनेइति | हर्यमाणः | आस्क्रे इति | सपत्नी इतिस-पत्नी | अजरेइति | अमृक्ते इति | सबर्दुघेइतिसबः-दुघे | उरु-गायस्य | धेनू इति // ऋ. वे. ३,६.४ //
व्रता | ते | अग्ने | महतः | महानि | तव | क्रत्वा | रोदसी इति | आ | ततन्थ | त्वम् | दूतः | अभवः | जायमानः | त्वम् | नेता | वृषभ | चषर्णीनाम् // ऋ. वे. ३,६.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. २:८/२७-
ऋतस्य | वा | केशिना | योग्याभिः | घृत-स्नुवा | रोहिता | धुरि | धिष्व | अथ | वह | देवान् | देव | विश्वान् | सु-अध्वरा | कृणुहि | जात-वेदः // ऋ. वे. ३,६.६ //
दिवः | चित् | आ | ते | रुचयन्त | रोकाः | उषः | वि-भातीः | अनु | भासि | पूर्वीः | अपः | यत् | अग्ने | उशधक् | वनेषु | होतुः | मन्द्रस्य | पनयन्त | देवाः // ऋ. वे. ३,६.७ //
उरौ | वा | ये | अन्तरिक्षे | मदन्ति | दिवः | वा | ये | रोचने | सन्ति | देवाः | ऊमाः | वा | ये | सु-हवासः | यजत्राः | आयेमिरे | रथ्यः | अग्ने | अश्वाः // ऋ. वे. ३,६.८ //
आ | एभिः | अग्ने | स-रथम् | याहि | अर्वाङ् | नानारथम् | वा | वि-भवः | हि | अश्वाः | पत्नी-वतः | त्रिंशतम् | त्रीन् | च | देवान् | अनु-स्वधम् | आ | वह | मादयस्व // ऋ. वे. ३,६.९ //
सः | होता | यस्य | रोदसी इति | चित् | उर्वी इति | यज्ञम्-यज्ञम् | अभि | वृधे | गृणीतः | प्राची इति | अध्वराइव | तस्थतुः | सुमेके इतिसु-मेके | ऋतवरी इत्य् ऋत-वरी | ऋत-जातस्य | सत्ये इति // ऋ. वे. ३,६.१० //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,६.११ //
//२७//.





-ऋ. वे. ३:१/१-
(ऋ. वे. ३,७)
प्र | ये | आरुः | शिति-पृष्ठस्य | धासेः | आ | मातरा | विविशुः | सप्त | वाणीः | परि-क्षिताः | पितरा | सम् | चरेते | प्र | सर्स्रातेइति | दीर्घम् | आयुः | प्र-यक्षे // ऋ. वे. ३,७.१ //
दिवक्षसः | धेनवः | वृष्णः | अश्वाः | देवीः | आ | तस्थौ | मधु-मत् | वहन्तीः | ऋतस्य | त्वा | सदसि | क्षेम-यन्तम् | परि | एका | चरति | वर्तनिम् | गौः // ऋ. वे. ३,७.२ //
आ | सीम् | अरोहत् | सु-यमाः | भवन्तीः | पतिः | चिकित्वान् | रयि-वित् | रयीणाम् | प्र | नील-पृष्ठः | अतसस्य | धासेः | ताः | अवासयत् | पुरुध-प्रतीकः // ऋ. वे. ३,७.३ //
महि | त्वाष्ट्रम् | ऊर्जयन्तीः | अजुर्यम् | स्तभु-यमानम् | वहतः | वहन्त् इ | वि | अङ्गेभिः | दिद्युतानः | सध-स्थे | एकाम्-इव | रोदसी इति | आ | विवेश // ऋ. वे. ३,७.४ //
जानन्ति | वृष्णः | अरुषस्य | शेवम् | उत | ब्रध्नस्य | शासने | रणन्ति | दिवः-रुचः | सु-रुचः | रोचमानाः | इऌआ | येषाम् | गण्या | माहिना | गीः // ऋ. वे. ३,७.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ३:१/२-
उतो इति | पितृ-भ्याम् | प्र-विदा | अनु | घोषम् | महः | महत्-भ्याम् | अनयन्त | शूषम् | उक्षा | ह | यत्र | परि | धानम् | अक्तोः | अनु | स्वम् | धाम | जरितुः | ववक्ष // ऋ. वे. ३,७.६ //
अध्वर्यु-भिः | पञ्च-भिः | सप्त | विप्राः | प्रियम् | रक्षन्ते | नि-हितम् | पदम् | वेः | प्राञ्चः | मदन्ति | उक्षणः | अजुर्याः | देवाः | देवानाम् | अनु | हि | व्रता | गुरितिगुः // ऋ. वे. ३,७.७ //
दैव्या | होतारा | प्रथमा | नि | ऋञ्जे | सप्त | पृक्षासः | स्वधया | मदन्ति | ऋतम् | शंसन्तः | ऋतम् | इत् | ते | आहुः | अनु | व्रतम् | व्रत-पा | दीध्यानाः // ऋ. वे. ३,७.८ //
वृषायन्ते | महे | अत्याय | पूर्वीः | वृष्णे | चित्रायःरश्मयःःसु-यामाःःदेवःहोतःःमन्द्र-तरःःचिकित्वान्ःमहःःदेवान्ःरोदसी इतिःआःइहःवक्षि // ऋ. वे. ३,७.९ //
पृक्ष-प्रयजः | द्रविणः | सु-वाचः | सु-केतवः | उषसः | रेवत् | ऊषुः | उतो इति | चित् | अग्ने | महिना | पृथिव्याः | कृतम् | चित् | एनः | सम् | महे | दशस्य // ऋ. वे. ३,७.१० //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,७.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ३:१/३-
(ऋ. वे. ३,८)
अञ्जन्ति | त्वाम् | अध्वरे | देव-यन्तः | वनस्पते | मधुना | दैव्येन | यत् | ऊर्ध्वः | तिष्ठाः | द्रविना | इह | धत्तात् | यत् | वा | क्षयः | मातुः | अस्याः | उप-स्थे // ऋ. वे. ३,८.१ //
सम्-इद्धस्य | श्रयमाणः | पुरस्तात् | ब्रह्म | वन्वानः | अजरम् | सु-वीरम् | आरे | अस्मत् | अमतिम् | बाधमानः | उत् | श्रयस्व | महते | सौभगाय // ऋ. वे. ३,८.२ //
उत् | श्रयस्व | वनस्पते | वर्ष्मन् | पृथिव्याः | अधि | सु-मिती | मीयमानः | वर्चः | धाः | यज्ञ-वाहसे // ऋ. वे. ३,८.३ //
युवा | सु-वासाः | परि-वीतः | आ | अगात् | सः | ॐ इति | श्रेयान् | भवति | जायमानः | तम् | धीरासः | कवयः | उत् | नयन्ति | सु-आध्यः | मनसा | देव-यन्तः // ऋ. वे. ३,८.४ //
जातः | जायते | सुदिन-त्वे | अह्नाम् | स-मर्ये | आ | विदथे | वर्धमानः | पुनन्ति | धीराः | अपसः | मनीषा | देव-याः | विप्रः | उत् | इयर्ति | वाचम् // ऋ. वे. ३,८.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ३:१/४-
यान् | वः | नरः | देव-यन्तः | नि-मिम्युः | वनस्पते | स्व-धितिः | वा | ततक्ष | ते | देवासः | स्वरवः | तस्थि-वांसः | प्रजावत् | अस्मे इति | दिधिषन्तु | रत्नम् // ऋ. वे. ३,८.६ //
ये | वृक्णासः | अधि | क्षमि | नि-मितासः | यत-स्रुचः | ते | नः | व्यन्तु | वायर्म् | देव-त्रा | क्षेत्र-साधसः // ऋ. वे. ३,८.७ //
आदित्याः | रुद्राः | वसवः | सु-नीथाः | द्यावाक्षामा | पृथिवी | अन्तरिक्षम् | स-जोषसः | यज्ञम् | अवन्तु | देवाः | ऊर्ध्वम् | कृण्वन्तु | अध्वरस्य | केतुम् // ऋ. वे. ३,८.८ //
हंसाः-इव | श्रेणिशः | यतानाः | शुक्राः | वसानाः | स्वरवः | नः | आ | अगुः | उत्-नीयमानाः | कवि-भिः | पुरस्तात् | देवाः | देवानाम् | अपि | यन्ति | पाथः // ऋ. वे. ३,८.९ //
शृङ्गाणि-इव | शृङ्गिणाम् | सम् | ददृश्रे | चषाल-वन्तः | स्वरवः | पृथिव्याम् | वाघत्-भिः | वा | वि-हवे | श्रोषमाणाः | अस्मान् | अवन्तु | पृतनाज्येषु // ऋ. वे. ३,८.१० //
वनस्पते | शत-वल्शः | वि | रोह | सहस्र-वल्शाः | वि | वयम् | रुहेम | यम् | त्वाम् | अयम् | स्व-धितिः | तेजमानः | प्र-निनाय | महते | सौभगाय // ऋ. वे. ३,८.११ //
//४//.

-ऋ. वे. ३:१/५-
(ऋ. वे. ३,९)
सखायः | त्वा | ववृमहे | देवम् | मर्तासः | ऊतये | अपाम् | नपातम् | सु-भगम् | सु-दीदितिम् | सु-प्रतूर्तिम् | अनेहसम् // ऋ. वे. ३,९.१ //
कायमानः | वना | त्वम् | यत् | मातॄः | अजगन् | अपः | न | तत् | ते | अग्ने | प्र-मृषे | नि-वर्तनम् | यत् | दूरे | सन् | इह | अभवः // ऋ. वे. ३,९.२ //
अति | तृष्टम् | ववक्षिथ | अथ | एव | सु-मनाः | असि | प्र-प्र | अन्ये | यन्ति | परि | अन्ये | आसते | येषाम् | सख्ये | असि | श्रितः // ऋ. वे. ३,९.३ //
ईयि-वांसम् | अति | स्रिधः | शश्वतीः | अति | सश्चतः | अनु | ईम् | अविन्दन् | नि-चिरासः | अद्रुहः | अप्-सु | सिंहम्-इव | श्रितम् // ऋ. वे. ३,९.४ //
ससृवांसम्-इव | त्मना | अग्निम् | इत्था | तिरः-हितम् | आ | एनम् | नयत् | मातर् इश्वा | परावतः | देवेभ्यः | मथितम् | परि // ऋ. वे. ३,९.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ३:१/६-
तम् | त्वा | मर्ताः | अगृभ्णत | देवेभ्यः | हव्य-वाहन | विश्वान् | यत् | यज्ञान् | अभि-पासि | मानुष | तव | क्रत्वा | यविष्ठ्य // ऋ. वे. ३,९.६ //
तत् | भद्रम् | तव | दंसना | पाकाय | चित् | छदयति | त्वाम् | यत् | अग्ने | पशवः | सम्-आसते | सम्-इद्धम् | अपि-शर्वरे // ऋ. वे. ३,९.७ //
आ | जुहोत | सु-अध्वरम् | शीरम् | पावक-शोचिषम् | आशुम् | दूतम् | अजिरम् | प्रत्नम् | ईड्यम् | श्रुष्टी | देवम् | सपर्यत // ऋ. वे. ३,९.८ //
त्रीणि | शता | त्री | सहस्राणि | अग्निम् | त्रिंशत् | च | देवाः | नव | च | असपर्यन् | औक्षन् | घृतैः | अस्तृणन् | बर्हिः | अस्मै | आत् | इत् | होतारम् | नि | असादयन्त // ऋ. वे. ३,९.९ //
//६//.

-ऋ. वे. ३:१/७-
(ऋ. वे. ३,१०)
त्वाम् | अग्ने | मनीषिणः | सम्-राजम् | चर्षणीनाम् | देवम् | मर्तासः | इन्धते | सम् | अध्वरे // ऋ. वे. ३,१०.१ //
त्वाम् | यज्ञेषु | ऋत्विजम् | अग्ने | होतारम् | ईऌअते | गोपाः | ऋतस्य | दीदिहि | स्वे | दमे // ऋ. वे. ३,१०.२ //
सः | घ | यः | ते | ददाशति | समिधा | जात-वेदसे | सः | अग्ने | धत्ते | सु-वीर्यम् | सः | पुष्यति // ऋ. वे. ३,१०.३ //
सः | केतुः | अध्वराणाम् | अग्निः | देवेभिः | आ | गमत् | अञ्जानः | सप्त | होतृ-भिः | हविष्मते // ऋ. वे. ३,१०.४ //
प्र | होत्रे | पूर्व्यम् | वचः | अग्नये | भरत | बृहत् | विपाम् | ज्योतींषि | बिभ्रते | न | वेधसे // ऋ. वे. ३,१०.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ३:१/८-
अग्निम् | वर्धन्तु | नः | गिरः | यतः | जायते | उक्थ्यः | महे | वाजाय | द्रविणाय | दर्शतः // ऋ. वे. ३,१०.६ //
अग्ने | यजिष्ठः | अध्वरे | देवान् | देव-यते | यज | होता | मन्द्रः | वि | राजसि | अति | स्रिधः // ऋ. वे. ३,१०.७ //
सः | नः | पावक | दीदिहि | द्यु-मत् | अस्मे इति | सु-वीर्यम् | भव | स्तोतृ-भ्यः | अन्तमः | स्वस्तये // ऋ. वे. ३,१०.८ //
तम् | त्वा | विप्राः | विपन्यवः | जागृ-वांसः | सम् | इन्धते | हव्य-वाहम् | अमर्त्यम् | सहः-वृधम् // ऋ. वे. ३,१०.९ //
//८//.

-ऋ. वे. ३:१/९-
(ऋ. वे. ३,११)
अग्निः | होता | पुरः-हितः | अध्वरस्य | वि-चर्षणिः | सः | वेद | यज्ञम् | आनुषक् // ऋ. वे. ३,११.१ //
सः | हव्य-वाट् | अमर्त्यः | उशिक् | दूतः | चनः-हितः | अग्निः | धिया | सम् | ऋण्वति // ऋ. वे. ३,११.२ //
अग्निः | धिया | सः | चेतति | केतुः | यज्ञस्य | पूर्व्यः | अर्थम् | हि | अस्य | तरणि // ऋ. वे. ३,११.३ //
अग्निम् | सूनुम् | सन-श्रुतम् | सहसः | जात-वेदसम् | वह्निम् | देवाः | अकृण्वत // ऋ. वे. ३,११.४ //
अदाभ्यः | पुरः-एता | विशाम् | अग्निः | मानुषीणाम् | तूर्णिः | रथः | सदा | नवः // ऋ. वे. ३,११.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ३:१/१०-
साह्वान् | विश्वाः | अभि-युजः | क्रतुः | देवानाम् | अमृक्तः | अग्निः | तुविश्रवः-तमः // ऋ. वे. ३,११.६ //
अभि | प्रयांसि | वाहसा | दाश्वान् | अश्नोति | मर्त्यः | क्षयम् | पावक-शोचिषः // ऋ. वे. ३,११.७ //
परि | विश्वानि | सु-धिता | अग्नेः | अश्याम | मन्म-भिः | विप्रासः | जात-वेदसः // ऋ. वे. ३,११.८ //
अग्ने | विश्वानि | वार्या | वाजेषु | सनिषामहे | त्वे इति | देवासः | आ | ईरिरे // ऋ. वे. ३,११.९ //
//१०//.

-ऋ. वे. ३:१/११-
(ऋ. वे. ३,१२)
इन्द्राग्नी इति | आ | गतम् | सुतम् | गीः-भिः | नभः | वरेण्यम् | अस्य | पातम् | धिया | इषिता // ऋ. वे. ३,१२.१ //
इन्द्राग्नी इति | जरितुः | सचा | यज्ञः | जिगाति | चेतनः | अया | पातम् | इमम् | सुतम् // ऋ. वे. ३,१२.२ //
इन्द्रम् | अग्निम् | कवि-छदा | यज्ञस्य | जूत्या | वृणे | ता | सोमस्य | इह | तृम्पताम् // ऋ. वे. ३,१२.३ //
तोशा | वृत्र-हना | हुवे | स-जित्य्वाना | अपराजिता | इन्द्राग्नी इति | वाज-सातमा // ऋ. वे. ३,१२.४ //
प्र | वाम् | अर्चन्ति | उक्थिनः | नीथ-विदः | जरितारः | इन्द्राग्नी इति | इषः | आ | वृणे // ऋ. वे. ३,१२.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ३:१/१२-
इन्द्राग्नी इति | नवतिम् | पुरः | दास-पत्नीः | अधूनुतम् | साकम् | एकेन | कर्मणा // ऋ. वे. ३,१२.६ //
इन्द्राग्नी इति | अपसः | परि | उप | प्र | यन्ति | धीतयः | ऋतस्य | पथ्याः | अनु // ऋ. वे. ३,१२.७ //
इन्द्राग्नी इति | तविषाणि | वाम् | सध-स्थानि | प्रयांसि | च | युवोः | अप्-तूर्यम् | हितम् // ऋ. वे. ३,१२.८ //
इन्द्राग्नी इति | रोचना | दिवः | परि | वाजेषु | भूषथः | तत् | वाम् | चेति | प्र | वीर्यम् // ऋ. वे. ३,१२.९ //
//१२//.

-ऋ. वे. ३:१/१३-
(ऋ. वे. ३,१३)
प्र | वः | देवाय | अग्नये | बर्हिष्ठम् | अर्च | अस्मै | गमत् | देवेभिः | आ | सः | नः | यजिष्ठः | बर्हिः | आ | सदत् // ऋ. वे. ३,१३.१ //
ऋत-वा | यस्य | रोदसी इति | दक्षम् | सचन्ते | ऊतयः | हविष्मन्तः | तम् | ईऌअते | तम् | सनिष्यन्तः | अवसे // ऋ. वे. ३,१३.२ //
सः | यन्ता | विप्रः | एषाम् | सः | यज्ञानाम् | अथ | हि | सः | अग्निम् | तम् | वः | दुवस्यत | दाता | यः | वनिता | मघम् // ऋ. वे. ३,१३.३ //
सः | नः | शर्माणि | वीतये | अग्निः | यच्छतु | शम्-तमा | यतः | नः | प्रुष्णवत् | वसु | दिवि | क्षिति-भ्यः | अप्-सु | आ // ऋ. वे. ३,१३.४ //
दीदि-वांसम् | अपूर्व्यम् | वस्वीभिः | अस्य | धीति-भिः | ऋक्वअणः | अग्निम् | इन्धते | होतारम् | विश्पतिम् | विशाम् // ऋ. वे. ३,१३.५ //
उत | नः | ब्रह्मन् | अविषः | उक्थेषु | देव-हूतमः | शम् | नः | शोच | मरुत्-वृधः | अग्ने | सहस्र-सातमः // ऋ. वे. ३,१३.६ //
नु | नः | रास्व | सहस्र-वत् | तोक-वत् | पुष्टि-मत् | वसु | द्युमत् | अग्ने | सु-वीर्यम् | वर्षिष्ठम् | अनुप-क्षितम् // ऋ. वे. ३,१३.७ //
//१३//.

-ऋ. वे. ३:१/१४-
(ऋ. वे. ३,१४)
आ | होता | मन्द्रः | वदथानि | अस्थात् | सत्यः | यज्वा | कवि-तमः | सः | वेधाः | विद्युत्-रथः | सहसः | पुत्रः | अग्निः | शोचिः-केशः | पृथिव्याम् | पाजः | अश्रेत् // ऋ. वे. ३,१४.१ //
अयामि | ते | नमः-उक्तिम् | जुषस्व | ऋत-वः | तुभ्यम् | चेतते | सहस्वः | विद्वान् | आ | वक्षि | विदुषः | नि | षत्सि | मध्ये | आ | बर्हिः | ऊतये | यजत्र // ऋ. वे. ३,१४.२ //
द्रवताम् | ते | उषसा | वाजयन्ती इति | अग्ने | वातस्य | पथ्याभिः | अच्छ | यत् | सीम् | अञ्जन्ति | पूर्व्यम् | हविः-भिः | आ | वन्धुराइव | तस्थतुः | दुरोणे // ऋ. वे. ३,१४.३ //
मित्रः | च | तुभ्यम् | वरुणः | सहस्वः | अग्ने | विश्वे | मरुतः | सुम्नम् | अर्चन् | यत् | शोचिषा | सहसः | पुत्र | तिष्ठाः | अभि | क्षितीः | प्रथयन् | सूर्यः | नॄन् // ऋ. वे. ३,१४.४ //
वयम् | ते | अद्य | ररिम | हि | कामम् | उत्तान-हस्ताः | नमसा | उप-सद्य | यजिष्ठेन | मनसा | यक्षि | देवान् | अस्रेधता | मन्मना | विप्रः | अग्ने // ऋ. वे. ३,१४.५ //
त्वत् | हि | पुत्र | सहसः | वि | पूर्वीः | देवस्य | यन्ति | ऊतयः | वि | वाजाः | त्वम् | देहि | सहस्रिणम् | रयिम् | नः | अद्रोघेण | वचसा | सत्यम् | अग्ने // ऋ. वे. ३,१४.६ //
तुभ्यम् | दक्ष | कविक्रतो इतिकवि-क्रतो | यानि | इमा | देव | मर्तासः | अध्वरे | अकर्म | त्वम् | विश्वस्य | सु-रथस्य | बोधि | सर्वम् | तत् | अग्ने | अमृत | स्वद | इह // ऋ. वे. ३,१४.७ //
//१४//.

-ऋ. वे. ३:१/१५-
(ऋ. वे. ३,१५)
वि | पाजसा | पृथुना | शोशुचानः | बाधस्व | द्विषः | रक्षसः | अमीवाः | सु-शर्मणः | बृहतः | शर्मणि | स्याम् | अग्नेः | अहम् | सु-हवस्य | प्र-नीतौ // ऋ. वे. ३,१५.१ //
त्वम् | नः | अस्याः | उषसः | वि-उष्टौ | त्वम् | सूरे | उत्-इते | बोधि | गोपाः | जन्म-इव | नित्यम् | तनयम् | जुषस्व | स्तोमम् | मे | अग्ने | तन्वा | सु-जात // ऋ. वे. ३,१५.२ //
त्वम् | नृ-चक्षाः | वृषभ | अनु | पूर्वीः | कृष्णासु | अग्ने | अरुषः | वि | भाहि | वसो इति | नेषि | च | पर्षि | च | अति | अंहः | कृधि | नः | राये | उशिजः | यविष्ठ // ऋ. वे. ३,१५.३ //
अषाऌहः | अग्ने | वृषभः | दिदीहि | पुरः | विश्वाः | सौभगा | सम्-जिगीवान् | यज्ञस्य | नेता | प्रथमस्य | पायोः | जात-वेदः | बृहतः | सु-प्रनीते // ऋ. वे. ३,१५.४ //
अच्छिद्रा | शर्म | जरितरिति | पुरूणि | देवान् | अच्छ | दीद्यानः | सु-मेधाः | रथः | न | सस्निः | अभि | वक्षि | वाजम् | अग्ने | त्वम् | रोदसी इति | नः | सुमेके इतिसु-मेके // ऋ. वे. ३,१५.५ //
प्र | पीपय | वृषभ | जिन्व | वाजान् | अग्ने | त्वम् | रोदसी इति | नः | सुदोघेइतिसु-दोघे | देवेभिः | देव | सु-रुचा | रुचानः | मा | नः | मर्तस्य | दुः-मतिः | परि | स्थात् // ऋ. वे. ३,१५.६ //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,१५.७ //
//१५//.

-ऋ. वे. ३:१/१६-
(ऋ. वे. ३,१६)
अयम् | अग्निः | सु-वीर्यस्य | ईशे | महः | सौभगस्य | रायः | ईशे | सु-अअपत्यस्य | गो--मतः | ईशे | वृत्र-हथानाम् // ऋ. वे. ३,१६.१ //
इमम् | नरः | मरुतः | सश्चत | वृधम् | यस्मिन् | रायः | शे--वृधासः | अभि | ये | सन्ति | पृतनासु | दुः-ध्यः | विश्वाहा | शत्रुम् | आदभुः // ऋ. वे. ३,१६.२ //
सः | त्वम् | नः | रायः | शिशीहि | मीढवः | अग्ने | सु-वीर्यस्य | तुवि-द्युम्न | वर्षिष्ठस्य | प्रजावतः | अनमीवस्य | शुष्मिणः // ऋ. वे. ३,१६.३ //
चक्रिः | यः | विश्वा | भुवना | अभि | ससहिः | चक्रिः | देवेषु | आ | दुवः | आ | देवेषु | यतते | आ | सु-वीर्ये | आ | शंसे | उत | नृणाम् // ऋ. वे. ३,१६.४ //
मा | नः | अग्ने | अमतये | मा | अवीरतायै | रीरधः | मा | अगोतायै | सहसः | पुत्र | मा | निदे | अप | द्वेषांसि | आ | कृधि // ऋ. वे. ३,१६.५ //
शग्धि | वाजस्य | सु-भग | प्रजावतः | अग्ने | बृहतः | अध्वरे | सम् | राया | भूयसा | सृज | मयः-भुना | तुवि-द्युम्न | यशस्वता // ऋ. वे. ३,१६.६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ३:१/१७-
(ऋ. वे. ३,१७)
सम्-इध्यमानः | प्रथमा | अनु | धर्म | सम् | अक्तु-भिः | अज्यते | विश्व-वारः | शोचिः-केशः | घृत-निर्निक् | पावकः | सु-यज्ञः | अग्निः | यजथाय | देवान् // ऋ. वे. ३,१७.१ //
यथा | अयजः | होत्रम् | अग्ने | पृथिव्याः | यथा | दिवः | जात-वेदः | चिकित्वान् | एव | अनेन | हविषा | यक्षि | देवान् | मनुष्वत् | यज्ञम् | प्र | तिर | इमम् | अद्य // ऋ. वे. ३,१७.२ //
त्रीणि | आयूंषि | तव | जात-वेदः | तिस्रः | आजानीः | उषसः | ते | अग्ने | ताभिः | देवानाम् | अवः | यक्षि | विद्वान् | अथ | भव | यजमानाय | शम् | योः // ऋ. वे. ३,१७.३ //
अग्निम् | सु-दीतिम् | सु-दृशम् | गृणन्तः | नमस्यामः | त्वा | ईड्यम् | जात-वेदः | त्वाम् | दूतम् | अरतिम् | हव्य-वाहम् | देवाः | अकृण्वन् | अमृतस्य | नाभिम् // ऋ. वे. ३,१७.४ //
यः | त्वत् | होता | पूर्वः | अग्ने | यजीयान् | द्विता | च | सत्ता | स्वधया | च | शम्-भुः | तस्य | अनु | धर्म | प्र | यज | चिकित्वः | अथ | नः | धाः | अध्वरम् | देव-वीतौ // ऋ. वे. ३,१७.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ३:१/१८-
(ऋ. वे. ३,१८)
भव | नः | अग्ने | सु-मनाः | उप-इतौ | सखाइव | सख्ये | पितराइव | साधुः | पुरु-द्रुहः | हि | क्षितयः | जनानाम् | प्रति | प्रतीचीः | दहतात् | अरातीः // ऋ. वे. ३,१८.१ //
तपो इति | सु | अग्ने | अन्तरान् | अमित्रान् | तप | शंसम् | अररुषः | परस्य | तपो इति | वसो इति | चिकितानः | अचित्तान् | वि | ते | तिष्ठन्ताम् | अजराः | अयासः // ऋ. वे. ३,१८.२ //
इध्मेन | अग्ने | इच्छमानः | घृतेन | जुहोमि | हव्यम् | तरसे | बलाय | यावत् | ईशे | ब्रह्मणा | वन्दमानः | इमाम् | धियम् | शत-सेयाय | देवीम् // ऋ. वे. ३,१८.३ //
उत् | शोचिषा | सहसः | पुत्र | स्तुतः | बृहत् | वयः | शशमानेषु | धेहि | रेवत् | अग्ने | विश्वामित्रेषु | शम् | योः | मर्मृज्म | ते | तन्वम् | भूरि | कृत्वः // ऋ. वे. ३,१८.४ //
कृधि | रत्नम् | सु-सनितः | धनानाम् | सः | घ | इत् | अग्ने | भवसि | यत् | समि द्धः | स्तोतुः | दुरोणे | सु-भगस्य | रेवत् | सृप्रा | करस्ना | दधिषे | वपूंषि // ऋ. वे. ३,१८.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ३:१/१९-
(ऋ. वे. ३,१९)
अग्निम् | होतारम् | प्र | वृणे | मियेधे | गृत्सम् | कविम् | विश्व-विदम् | अमूरम् | सः | नः | यक्षत् | देव-ताता | यजीयान् | राये | वाजाय | वनते | मघानि // ऋ. वे. ३,१९.१ //
प्र | ते | अग्ने | हविष्मतीम् | इयर्मि | अच्छ | सु-द्युम्नाम् | रातिनीम् | घृताचीम् | प्र-दक्षिणित् | देवतातिम् | उराणः | सम् | राति-भिः | वसु-भिः | यज्ञम् | अश्रेत् // ऋ. वे. ३,१९.२ //
सः | तेजीयसा | मनसा | त्वाऊतः | उत | शिक्ष | सु-अपत्यस्य | शिक्षोः | अग्ने | रायः | नृ-तमस्य | प्र-भूतौ | भूयाम | ते | सु-स्तुतयः | च | वस्वः // ऋ. वे. ३,१९.३ //
भूतीनि | हि | त्वे इति | दधिरे | अनीका | अग्ने | देवस्य | यज्यवः | जनासः | सः | आ | वह | देवतातिम् | यविष्ठ | शर्धः | यत् | अद्य | दिव्यम् | यजासि // ऋ. वे. ३,१९.४ //
यत् | त्वा | होतारम् | अनजन् | मियेधे | नि-षादयन्तः | यजथाय | देवाः | सः | त्वम् | नः | अग्ने | अविता | इह | बोधि | अधि | श्रवांसि | धेहि | नः | तनूषु // ऋ. वे. ३,१९.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ३:१/२०-
(ऋ. वे. ३,२०)
अग्निम् | उषसम् | अश्विना | दधि-क्राम् | वि-उष्टिषु | हवते | वह्निः | उक्थैः | सु-ज्योतिषः | नः | शृण्वन्तु | देवाः | स-जोषसः | अध्वरम् | वावशानाः // ऋ. वे. ३,२०.१ //
अग्ने | त्री | ते | वाजिना | त्री | षध-स्था | तिस्रः | ते | जिह्वाः | ऋत-जात | पूर्वीः | ति स्रः | ॐ इति | ते | तन्वः | देव-वाताः | ताभिः | नः | पाहि | गिरः | अप्र-युच्छन् // ऋ. वे. ३,२०.२ //
अग्ने | भूरीणि | तव | जात-वेदः | देव | स्वधावः | अमृतस्य | नाम | याः | च | माया | मायिनाम् | विश्वम्-इन्व | त्वे इति | पूर्वीः | सम्-दधुः | पृष्टबन्धो इतिपृष्ट-बन्धो // ऋ. वे. ३,२०.३ //
अग्निः | नेता | भगः-इव | क्षितीनाम् | दैवीनाम् | देवः | ऋतु-पाः | ऋत-वा | सः | वृत्र-हा | सनयः | विश्व-वेदाः | पर्षत् | विश्वा | अति | दुः-इता | गृणन्तम् // ऋ. वे. ३,२०.४ //
दधि-क्राम् | अग्निम् | उषसम् | च | देवीम् | बृहस्पतिम् | सवितारम् | च | देवम् | अश्व् इना | मित्रावरुणा | भगम् | च | वसून् | रुद्रान् | आदित्यान् | इह | हुवे // ऋ. वे. ३,२०.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ३:१/२१-
(ऋ. वे. ३,२१)
इमम् | नः | यज्ञम् | अमृतेषु | धेहि | ईमा | हव्या | जात-वेदः | जुषस्व | स्तोकानाम् | अग्ने | मेदसः | घृतस्य | होतरिति | प्र | अशान | प्रथमः | नि-सद्य // ऋ. वे. ३,२१.१ //
घृत-वन्तः | पावक | ते | स्तोकाः | श्चोतन्ति | मेदसः | स्व-धर्मन् | देव-वीतये | श्रेष्ठम् | नः | धेहि | वार्यम् // ऋ. वे. ३,२१.२ //
तुभ्यम् | स्तोकाः | घृत-श्चुतः | अग्ने | विप्राय | सन्त्य | ऋषिः | श्रेष्ठः | सम् | इध्यसे | यज्ञस्य | प्र-अविता | भव // ऋ. वे. ३,२१.३ //
तुभ्यम् | श्चोतन्ति | अध्रिगो इत्य् अधिर्-गो | शची-वः | स्तोकासः | अग्ने | मेदसः | घृतस्य | कवि-शस्तः | बृहता | भानुना | आ | अगाः | हव्या | जुषस्व | मेधिर // ऋ. वे. ३,२१.४ //
ओजिष्ठम् | ते | मध्यतः | मेदः | उत्-भृतम् | प्र | ते | वयम् | ददामहे | श्चोतन्ति | ते | व्स् इति | स्तोकाः | अधि | त्वचि | प्रति | तान् | देव-शः | विहि // ऋ. वे. ३,२१.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ३:१/२२-
(ऋ. वे. ३,२२)
अयम् | सः | अग्निः | यस्मिन् | सोमम् | इन्द्रः | सुतम् | दधे | जठरे | वावशानः | सहस्रिणम् | वाजम् | अत्यम् | न | सप्तिम् | ससवान् | सन् | स्तूयसे | जात-वेदः // ऋ. वे. ३,२२.१ //
अग्ने | यत् | ते | दिवि | वर्चः | पृथिव्याम् | यत् | ओषधीषु | अप्-सु | आ | यजत्र | येन | अन्तरिक्षम् | उरु | आततन्थ | त्वेषः | सः | भानुः | अर्णवः | नृ-चक्षाः // ऋ. वे. ३,२२.२ //
अग्ने | दिवः | अर्णम् | अच्छ | जिगासि | अच्छ | देवान् | ऊचिषे | धिष्ण्या | ये | या | रोचने | परस्तात् | सूर्यस्य | याः | च | अवस्तात् | उप-तिष्ठन्ते | आपः // ऋ. वे. ३,२२.३ //
पुरीष्यासः | अग्नयः | प्रवणेभिः | स-जोषसः | जुषन्ताम् | यज्ञम् | अद्रुहः | अनमीवाः | इषः | महीः // ऋ. वे. ३,२२.४ //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,२२.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ३:१/२३-
(ऋ. वे. ३,२३)
निः-मथितः | सु-धितः | आ | सध-स्थे | युवा | कविः | अध्वरस्य | प्र-नेता | जूर्यत्-सु | अग्निः | अजरः | वनेषु | अत्र | दधे | अमृतम् | जात-वेदाः // ऋ. वे. ३,२३.१ //
अमन्थिष्टाम् | भारता | रेवत् | अग्निम् | देव-श्रवाः | देव-वातः | सु-दक्षम् | अग्ने | वि | पश्य | बृहता | अभि | राया | इषाम् | नः | नेता | भवतात् | अनु | द्यून् // ऋ. वे. ३,२३.२ //
दश | क्षिपः | पूर्व्यम् | सीम् | अजीजनन् | सु-जातम् | मातृषु | प्रियम् | अग्निम् | स्तुहि | दैव-वातम् | देव-श्रवः | यः | जनानाम् | असत् | वशी // ऋ. वे. ३,२३.३ //
नि | त्वा | दधे | वरे | आ | पृथिव्याः | इऌआयाः | पदे | सु-दिन-त्वे | अह्नाम् | दृषत्-वत्याम् | मानुषे | आपयायाम् | सरस्वत्याम् | रेवत् | अग्ने | दिदीहि // ऋ. वे. ३,२३.४ //
इऌआम् | अग्ने | पुरु-दंसम् | सनिम् | गोः | शश्वत्-तमम् | हवमानाय | साध | स्यात् | नः | सूनुः | तनयः | विजावा | अग्ने | सा | ते | सु-मतिः | भूतु | अस्मे इति // ऋ. वे. ३,२३.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ३:१/२४-
(ऋ. वे. ३,२४)
अग्ने | सहस्व | पृतनाः | अभि-मातीः | अप | अस्य | दुस्तरः | तरन् | अरातीः | वर्चः | धाः | यज्ञ-वाहसे // ऋ. वे. ३,२४.१ //
अग्ने | इऌआ | सम् | इध्यसे | वीति-होत्रः | अमर्त्यः | जुषस्व | सु | नः | अध्वरम् // ऋ. वे. ३,२४.२ //
अग्ने | द्युम्नेन | जागृवे | सहसः | सूनो इति | आहुत | आ | इदम् | बर्हिः | सदः | मम // ऋ. वे. ३,२४.३ //
अग्ने | विश्वेभिः | अग्नि-भिः | देवेभिः | महय | गिरः | यज्ञेषु | ये | ॐ इति | चायवः // ऋ. वे. ३,२४.४ //
अग्ने | दाः | दाशुषे | रयिम् | वीर-वन्तम् | परीणसम् | शिशीहि | नः | सूनु-मतः // ऋ. वे. ३,२४.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ३:१/२५-
(ऋ. वे. ३,२५)
अग्ने | दिवः | सूनुः | असि | प्र-चेताः | तना | पृथिव्याः | उत | विश्व-वेदाः | ऋधक् | देवान् | इह | यज | चिकित्वः // ऋ. वे. ३,२५.१ //
अग्निः | सनोति | वीर्याणि | विद्वान् | सनोति | वाजम् | अमृताय | भूषन् | सः | नः | देवान् | आ | इह | वह | पुरुक्षो इतिपुरु-क्षो // ऋ. वे. ३,२५.२ //
अग्निः | द्यावापृथिवी इति | विश्वजन्येइतिविश्व-जन्ये | आ | भाति | देवी इति | अमृतेइति | अमूरः | क्षयन् | वाजैः | पुरु-चन्द्रः | नमः-भिः // ऋ. वे. ३,२५.३ //
अग्ने | इन्द्रः | च | दाशुषः | दुरोणे | सुत-वतः | यज्ञम् | इह | उप | यातम् | अमर्धन्ता | सोम-पेयाय | देवा // ऋ. वे. ३,२५.४ //
अग्ने | अपाम् | सम् | इध्यसे | दुरोणे | नित्यः | सूनो इति | सहसः | जात-वेदः | सध-स्थानि | महयमानः | ऊती // ऋ. वे. ३,२५.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ३:१/२६-
(ऋ. वे. ३,२६)
वैश्वानरम् | मनसा | अग्निम् | नि-चाय्य | हविष्मन्तः | अनु-षत्यम् | स्वः-विदम् | सु-दानुम् | देवम् | रथिरम् | वसु-यवः | गीः-भिः | रण्वम् | कुशिकासः | हवामहे // ऋ. वे. ३,२६.१ //
तम् | शुभ्रम् | अग्निम् | अवसे | हवामहे | वैश्वानरम् | मातरिश्वानम् | उक्थ्यम् | बृहस्पतिम् | मनुषः | देव-तातये | विप्रम् | श्रोतारम् | अतिथिम् | रघु-स्यदम् // ऋ. वे. ३,२६.२ //
अश्वः | न | क्रन्दन् | जनि-भिः | सम् | इध्यते | वैश्वानरः | कुशिकेभिः | युगे--युगे | सः | नः | अग्निः | सु-वीर्यम् | सु-अश्व्यम् | दधातु | रत्नम् | अमृतेषु | जागृविः // ऋ. वे. ३,२६.३ //
प्र | यन्तु | वाजाः | तविषीभिः | अग्नयः | शुभे | सम्-मिश्लाः | पृषतीः | अयुक्षत | बृहत्-उक्षः | मरुतः | विश्व-वेदसः | प्र | वेपयन्ति | पर्वतान् | अदाभ्याः // ऋ. वे. ३,२६.४ //
अग्नि-श्रियः | मरुतः | विश्व-कृष्टयः | आ | त्वेषम् | उग्रम् | अवः | ईमहे | वयम् | ते | स्वानिनः | रुद्रियाः | वर्ष-निर्निजः | सिंहाः | न | हेष-क्रतवः | सु-दानवः // ऋ. वे. ३,२६.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ३:१/२७-
व्रातम्-व्रातम् | गणम्-गणम् | सुशस्ति-भिः | अग्नेः | भामम् | मरुताम् | ओजः | ईमहे | पृषत्-अश्वासः | अनवभ्र-राधसः | गन्तारः | यज्ञम् | विदथेषु | धीराः // ऋ. वे. ३,२६.६ //
अग्निः | अस्मि | जन्मना | जात-वेदाः | घृतम् | मे | चक्षुः | अमृतम् | मे | आसन् | अर्कः | त्रि-धातुः | रजसः | वि-मानः | अजस्रः | घर्मः | हविः | अस्मि | नाम // ऋ. वे. ३,२६.७ //
त्रि-भिः | पवित्रैः | अपुपोत् | हि | अर्कम् | हृदा | मतिम् | ज्योतिः | अनु | प्र-जानन् | वर्षिष्ठम् | रत्नम् | अकृत | स्वधाभिः | आत् | इत् | द्यावापृथिवी इति | परि | अपश्यत् // ऋ. वे. ३,२६.८ //
शत-धारम् | उत्सम् | अक्षीयमाणम् | विपः-चितम् | पितरम् | वक्त्वानाम् | मेऌइम् | मदन्तम् | पित्रोः | उप-स्थे | तम् | रोदसी इति | पिपृतम् | सत्य-वाचम् // ऋ. वे. ३,२६.९ //
//२७//.

-ऋ. वे. ३:१/२८-
(ऋ. वे. ३,२७)
प्र | वः | वाजाः | अभि-द्यवः | हविष्मन्तः | घृताच्या | देवान् | जिगाति | सुम्नयुः // ऋ. वे. ३,२७.१ //
ईऌए | अग्निम् | विपः-चितम् | गिरा | यज्ञस्य | साधनम् | श्रुष्टी-वानम् | धित-वानम् // ऋ. वे. ३,२७.२ //
अग्ने | शकेम | ते | वयम् | यमम् | देवस्य | वाजिनः | अति | द्वेषांसि | तरेम // ऋ. वे. ३,२७.३ //
सम्-इध्यमानः | अध्वरे | अग्निः | पावकः | ईड्यः | शोचिः-केशः | तम् | ईमहे // ऋ. वे. ३,२७.४ //
पृथु-पाजाः | अमर्त्यः | घृत-निर्निक् | सु-आहुतः | अग्निः | यज्ञस्य | हव्य-वाट् // ऋ. वे. ३,२७.५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ३:१/२९-
तम् | स-बाधः | यत-स्रुचः | इत्था | धिया | यज्ञ-वन्तः | आ | चक्रुः | अग्निम् | ऊतये // ऋ. वे. ३,२७.६ //
होता | देवः | अमर्त्यः | पुरस्तात् | एति | मायया | विदथानि | प्र-चोदयन् // ऋ. वे. ३,२७.७ //
वाजी | वाजेषु | धीयते | अध्वरेषु | प्र | नीयते | विप्रः | यज्ञस्य | साधनः // ऋ. वे. ३,२७.८ //
धिया | चक्रे | वरेण्यः | भूतानाम् | गर्भम् | आ | दधे | दक्षस्य | पितरम् | तना // ऋ. वे. ३,२७.९ //
नि | त्वा | दधे | वरेण्यम् | दक्षस्य | इऌआ | सहः-कृत | अग्ने | सु-दीतिम् | उशिजम् // ऋ. वे. ३,२७.१० //
//२९//.

-ऋ. वे. ३:१/३०-
अग्निम् | यन्तुरम् | अप्-तुरम् | ऋतस्य | योगे | वनुषः | विप्राः | वाजैः | सम् | इन्धते // ऋ. वे. ३,२७.११ //
ऊर्जः | नपातम् | अध्वरे | दीदि-वांसम् | उप | द्यवि | अग्निम् | ईऌए | कवि-क्रतुम् // ऋ. वे. ३,२७.१२ //
ईऌएन्यः | नमस्यः | तिरः | तमांसि | दर्शतः | सम् | अग्निः | इध्यते | वृषा // ऋ. वे. ३,२७.१३ //
वृषो इति | अग्निः | सम् | इध्यते | अश्वः | न | देव-वाहनः | तम् | हविष्मन्तः | ईऌअते // ऋ. वे. ३,२७.१४ //
वृषणम् | त्वा | वयम् | वृषन् | वृषणः | सम् | इधीमहि | अग्ने | दीद्यतम् | बृहत् // ऋ. वे. ३,२७.१५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ३:१/३१-
(ऋ. वे. ३,२८)
अग्ने | जुषस्व | नः | हविः | पुरोऌआशम् | जात-वेदः | प्रातः-सावे | धियावसो इतिधियावसो // ऋ. वे. ३,२८.१ //
पुरोऌआः | अग्ने | पचतः | तुभ्यम् | वा | घ | परि-कृतः | तम् | जुषस्व | यविष्ठ्य // ऋ. वे. ३,२८.२ //
अग्ने | वीहि | पुरोऌआशम् | आहुतम् | तिरः-अह्न्यम् | सहसः | सूनुः | असि | अध्वरे | हितः // ऋ. वे. ३,२८.३ //
माध्यन्दिने | सवने | जात-वेदः | पुरोऌआशम् | इह | कवे | जुषस्व | अग्ने | यह्वस्य | तव | भाग-धेयम् | न | प्र | मिनन्ति | विदथेषु | धीराः // ऋ. वे. ३,२८.४ //
अग्ने | तृतीये | सवने | हि | कानिषः | पुरोऌआशम् | सहसः | सूनो इति | आहुतम् | अथ | देवेषु | अध्वरम् | विपन्यया | धाः | रत्न-वन्तम् | अमृतेषु | जागृविम् // ऋ. वे. ३,२८.५ //
अग्ने | वृधानः | आहुतिम् | पुरोऌआशम् | जात-वेदः | जुषस्व | तिरः-अह्न्यम् // ऋ. वे. ३,२८.६ //
//३१//.

-ऋ. वे. ३:१/३२-
(ऋ. वे. ३,२९)
अस्ति | इदम् | अधि-मन्थनम् | अस्ति | प्र-जननम् | कृतम् | एताम् | विश्पत्नीम् | आ | भर | अग्निम् | मन्थाम | पूर्व-था // ऋ. वे. ३,२९.१ //
अरण्योः | नि-हितः | जात-वेदाः | गर्भः-इव | सु-धितः | गर्भिणीषु | दिवे--दि वे | ईड्यः | जागृवत्-भिः | हविष्मत्-भिः | मनुष्येभिः | अग्निः // ऋ. वे. ३,२९.२ //
उत्तानायाम् | अव | भर | चिकित्वान् | सद्यः | प्र-वीता | वृषणम् | जजान | अरुष-स्तूपः | रुशत् | अस्य | पाजः | इऌआयाः | पुत्रः | वयुने | अजनिष्ट // ऋ. वे. ३,२९.३ //
इऌआयाः | त्वा | पदे | वयम् | नाभा | पृथिव्याः | अधि | जात-वेदः | नि | धीमहि | अग्ने | हव्याय | वोऌहवे // ऋ. वे. ३,२९.४ //
मन्थत | नरः | कविम् | अद्वयन्तम् | प्र-चेतसम् | अमृतम् | सु-प्रतीकम् | यज्ञस्य | केतुम् | प्रथमम् | पुरस्तात् | अग्निम् | नरः | जनयत | सु-शेवम् // ऋ. वे. ३,२९.५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ३:१/३३-
यदि | मन्थन्ति | बाहु-भिः | वि | रोचते | अश्वः | न | वाजी | अरुषः | वनेषु | आ | चित्रः | न | यामन् | अश्विनोः | अनि-वृतः | परि | वृणक्ति | अश्मनः | तृणा | दहन् // ऋ. वे. ३,२९.६ //
जातः | अग्निः | रोचते | चेकितानः | वाजी | विप्रः | कवि-शस्तः | सु-दानुः | यम् | देवासः | ईड्यम् | विश्व-विदम् | हव्य-वाहम् | अदधुः | अध्वरेषु // ऋ. वे. ३,२९.७ //
सीद | होतरिति | स्वे | ॐ इति | लोके | चिकित्वान् | सादय | यज्ञम् | सु-कृतस्य | योनौ | देव-अवीः | देवान् | हविषा | यजासि | अग्ने | बृहत् | यजमाने | वयः | धाः // ऋ. वे. ३,२९.८ //
कृणोत | धूमम् | वृषणम् | सखायः | अस्रेधन्तः | इतन | वाजम् | अच्छ | अयम् | अग्निः | पृतनाषाट् | सु-वीरः | येन | देवासः | असहन्त | दस्यून् // ऋ. वे. ३,२९.९ //
अयम् | ते | योनिः | ऋत्वियः | यतः | जातः | अरोचथाः | तम् | जानन् | अग्ने | आ | सीद | अथ | नः | वर्धय | गिरः // ऋ. वे. ३,२९.१० //
//३३//.

-ऋ. वे. ३:१/३४-
तनू-नपात् | उच्यते | गर्भः | आसुरः | नराशंसः | भवति | यत् | वि-जायते | मातरिश्वा | यत् | अमिमीत | मातरि | वातस्य | सर्गः | अभवत् | सरीमणि // ऋ. वे. ३,२९.११ //
सुनिः-मथा | निः-मथितः | सु-निधा | नि-हितः | कविः | अग्ने | सु-अध्वरा | कृणु | देवान् | देव-यते | यज // ऋ. वे. ३,२९.१२ //
अजीजनन् | अमृतम् | मर्त्यासः | अस्रेमाणम् | तरणिम् | वीऌउ-जम्भम् | दश | स्वसारः | अग्रुवः | समीचीः | पुमांसम् | जातम् | अभि | सम् | रभन्ते // ऋ. वे. ३,२९.१३ //
प्र | सप्त-होता | सनकात् | अरोचत | मातुः | उप-स्थे | यत् | अशोचत् | ऊधनि | न | नि | मिषति | सु-रणः | दिवे--दिवे | यत् | असुरस्य | जठरात् | अजायत // ऋ. वे. ३,२९.१४ //
अमित्र-युधः | मरुताम्-इव | प्र-याः | प्रथम-जाः | ब्रह्मणः | विश्वम् | इत् | विदुः | द्युम्न-वत् | ब्रह्म | कुशिकासः | आ | ईरिरे | एकः-एकः | दमे | अग्न् इम् | सम् | ईधिरे // ऋ. वे. ३,२९.१५ //
यत् | अद्य | त्वा | प्र-यति | यज्ञे | अस्मिन् | होतरिति | चिकित्वः | अवृणीमहि | इह | ध्रुवम् | अयाः | ध्रुवम् | उत | अशमिष्ठ#अः | प्र-जानन् | विद्वान् | उप | याहि | सोमम् // ऋ. वे. ३,२९.१६ //
//३४//.




-ऋ. वे. ३:२/१-
(ऋ. वे. ३,३०)
इच्छन्ति | त्वा | सोम्यासः | सखायः | सुन्वन्ति | सोमम् | दधति | प्रयांसि | तत् इक्षन्ते | अभि-शस्तिम् | जनानाम् | इन्द्र | त्वत् | आ | कः | चन | हि | प्र-केतः // ऋ. वे. ३,३०.१ //
न | ते | दूरे | परमा | चित् | रजांसि | आ | तु | प्र | याहि | हरि-वः | हरि-भ्याम् | स्थ् इराय | वृष्णे | सवना | कृता | इमा | युक्ताः | ग्रावाणः | सम्-इधाने | अग्नौ // ऋ. वे. ३,३०.२ //
इन्द्रः | सु-शिप्रः | मघ-वा | तरुत्रः | महाव्रातः | तुवि-कूर्मिः | ऋघावान् | यत् | उग्रः | धाः | बाधितः | मर्त्येषु | क्व | त्या | ते | वृषभ | वीर्याणि // ऋ. वे. ३,३०.३ //
त्वम् | हि | स्म | च्यावयन् | अच्युतानि | एकः | वृत्रा | चरसि | जिघ्नमानः | तव | द्यावापृथिवी इति | पर्वतासः | अनु | व्रताय | निमिताइव | तस्थुः // ऋ. वे. ३,३०.४ //
उत | अभये | पुरु-हूत | श्रवः-भिः | एकः | दृऌहम् | अवदः | वृत्र-हा | सन् | इमे | चित् | इन्द्र | रोदसी इति | अपारे इति | यत् | सम्-गृभ्णाः | मघवन् | काशिः | इत् | ते // ऋ. वे. ३,३०.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ३:२/२-
प्र | सु | ते | इन्द्र | प्र-वता | हरि-भ्याम् | प्र | ते | वज्रः | प्र-मृणन् | एतु | शत्रून् | जहि | प्रतीचः | अनूचः | पराचः | विश्वम् | सत्यम् | कृणुहि | विष्टम् | अस्तु // ऋ. वे. ३,३०.६ //
यस्मै | धायुः | अदधाः | मर्त्याय | अभक्तम् | चित् | भजते | गेह्यम् | सः | भद्रा | ते | इन्द्र | सु-मतिः | घृताची | सहस्र-दाना | पुरु-हूत | रातिः // ऋ. वे. ३,३०.७ //
सह-दानुम् | पुरु-हूत | क्षियन्तम् | अहस्तम् | इन्द्र | सम् | पिणक् | कुणारुम् | अभि | वृत्रम् | वर्धमानम् | पियारुम् | अपादम् | इन्द्र | तवसा | जघन्थ // ऋ. वे. ३,३०.८ //
नि | सामनाम् | इषिराम् | इन्द्र | भूमिम् | महीम् | अपाराम् | सदने | ससत्थ | अस्तभ्नात् | द्याम् | वृषभः | अन्तरिक्षम् | अर्षन्तु | आपः | त्वया | इह | प्र-सूताः // ऋ. वे. ३,३०.९ //
अलातृणः | वलः | इन्द्र | व्रजः | गोः | पुरा | हन्तोः | भयमानः | वि | आर | सु-गान् | पथः | अकृणोत् | निः-अजे | गाः | प्र | आवन् | वाणीः | पुरु-हूतम् | धमन्तीः // ऋ. वे. ३,३०.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ३:२/३-
एकः | द्वे इति | वसुमती इतिवसु-मती | समीची इतिसम्-ईची | इन्द्रः | आ | पप्रौ | पृथिवीम् | उत | द्याम् | उत | अन्तरिक्षात् | अभि | नः | सम्-ईके | इषः | रथीः | स-युजः | शूर | वाजान् // ऋ. वे. ३,३०.११ //
दिशः | सूर्यः | न | मिनाति | प्र-दिष्टाः | दिवे--दिवे | हर्यश्व-प्रसूताः | सम् | यत् | आनट् | अध्वनः | आत् | इत् | अश्वैः | वि-मोचनम् | कृणुते | तत् | तु | अस्य // ऋ. वे. ३,३०.१२ //
दिदृक्षन्ते | उषसः | यामन् | अक्तोः | विवस्वत्याः | महि | चित्रम् | अनीकम् | विश्वे | जानन्ति | महिना | यत् | आ | अगात् | इन्द्रस्य | कर्म | सु-कृता | पुरूणि // ऋ. वे. ३,३०.१३ //
महि | ज्योतिः | नि-हितम् | वक्षणासु | आमा | पक्वम् | चरति | बिभ्रती | गौः | विश्वम् | स्वाद्म | सम्-भृतम् उस्रियायाम् | यत् | सीम् | इन्द्रः | अदधात् | भोजनाय // ऋ. वे. ३,३०.१४ //
इन्द्र | दृह्य | याम-कोशाः | अभूवन् | यज्ञाय | शिक्ष | गृणते | सखि-भ्यः | दुः-मायवः | दुः-एवाः | मर्त्यासः | निषङ्गिणः | रिपवः | हन्त्वासः // ऋ. वे. ३,३०.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ३:२/४-
सम् | घोषः | शृण्वे | अवमैः | अमित्रैः | जहि | नि | एषु | अशनिम् | तपिष्ठाम् | वृश्च | ईम् | अधस्तात् | वि | रुज | सहस्व | जहि | रक्षः | मघ-वन् | रन्धयस्व // ऋ. वे. ३,३०.१६ //
उत् | वृह | रक्षः | सह-मूलम् | इन्द्र | वृश्च | मध्यम् | प्रति | अग्रम् | शृणीहि | आ | कीवतः | सललूकम् | चकर्थ | ब्रह्म-द्विषे | तपुषिम् | हेतिम् | अस्य // ऋ. वे. ३,३०.१७ //
स्वस्तये | वाजि-भिः | च | प्रनेतरितिप्र-नेतः | सम् | यत् | महीः | इषः | आसत्सि | पूर्वीः | रायः | वन्तारः | बृहतः | स्याम | अस्मे इति | अस्तु | भगः | इन्द्र | प्रजावान् // ऋ. वे. ३,३०.१८ //
आ | नः | भर | भगम् | इन्द्र | द्यु-मन्तम् | नि | ते | देष्णस्य | धीमहि | प्र-रेके | ऊर्वः-इव | पप्रथे | कामः | अस्मे इति | तम् | आ | पृण | वसु-पते | वसूनाम् // ऋ. वे. ३,३०.१९ //
इमम् | कामम् | मन्दय | गो--भिः | अश्वैः | चन्द्र-वता | राधसा | पप्रथः | च | स्वः-यवः | मति-भिः | तुभ्यम् | विप्राः | इन्द्राय | वाहः | कुशिकासः | अक्रन् // ऋ. वे. ३,३०.२० //
आ | नः | गोत्रा | ददृर्हि | गो--पते | गाः | सम् | अस्मभ्यम् | सनयः | यन्तु | वाजाः | दिवक्षाः | असि | वृषभ | सत्य-शुष्मः | अस्मभ्यम् | सु | मघ-वन् | बोधि | गो--दाः // ऋ. वे. ३,३०.२१ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३०.२२ //
//४//.

-ऋ. वे. ३:२/५-
(ऋ. वे. ३,३१)
शासत् | वह्निः | दुहितुः | नप्त्यम् | गात् | विद्वान् | ऋतस्य | दीधितिम् | सपर्यन् | पिता | यत्र | दुहितुः | सेकम् | ऋञ्जन् | सम् | शग्म्येन | मनसा | दधन्वे // ऋ. वे. ३,३१.१ //
न | जामये | तान्वः | रिक्थम् | अरैक् | चकार | गर्भम् | सनितुः | नि-धानम् | यदि | मातरः | जनयन्त | वह्निम् | अन्यः | कर्ता | सु-कृतोः | अन्यः | ऋन्धन् // ऋ. वे. ३,३१.२ //
अग्निः | जज्ञे | जुह्वा | रेजमानः | महः | पुत्रान् | अरुषस्य | प्र-यक्षे | महान् | गर्भः | महि | आ | जातम् | एषाम् | मही | प्र-वृत् | हरि-अश्वस्य | यज्ञैः // ऋ. वे. ३,३१.३ //
अभि | जैत्रीः | असचन्त | स्पृधानम् | महि | ज्योतिः | तमसः | निः | अजानन् | तम् | जानतीः | प्रति | उत् | आयन् | उषसः | पतिः | गवाम् | अभवत् | एकः | इन्द्रः // ऋ. वे. ३,३१.४ //
वीऌऔ | सतीः | अभि | धीराः | अतृन्दन् | प्राचा | अहिन्वन् | मनसा | सप्त | विप्राः | विश्वाम् | अविन्दन् | पथ्याम् | ऋतस्य | प्र-जानन् | इत् | ता | नमसा | विवेश // ऋ. वे. ३,३१.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ३:२/६-
विदत् | यदि | सरमा | रुग्णम् | अद्रेः | महि | पाथः | पूर्व्यम् | सध्र्यक् | करिति कः | अग्रम् | नयत् | सु-पदी | अक्षराणाम् | अच्छ | रवम् | प्रथमा | जानती | गात् // ऋ. वे. ३,३१.६ //
अगच्छत् | ॐ इति | विप्र-तमः | सखि-यन् | असूदयत् | सु-कृते | गर्भम् | अद्रिः | ससान | मर्यः | युव-भिः | मखस्यन् | अथ | अभवत् | अङ्गिराः | सद्यः | अर्चन् // ऋ. वे. ३,३१.७ //
सतः-सतः | प्रति-मानम् | पुरः-भूः | विश्वा | वेद | जनिम | हन्ति | शुष्णम् | प्र | णः | दिवः | पद-वीः | गव्युः | अर्चन् | सखा | सखीन् | अमुञ्चत् | निः | अवद्यात् // ऋ. वे. ३,३१.८ //
नि | गव्यता | मनसा | सेदुः | अर्कैः | कृण्वानासः | अमृत-त्वाय | गातुम् | इदम् | चि त् | नु | सदनम् | भूरि | एषाम् | येन | मासान् | असिसासन् | ऋतेन // ऋ. वे. ३,३१.९ //
सम्-पश्यमानाः | अमदन् | अभि | स्वम् | पयः | प्रत्नस्य | रेतसः | दुघानाः | वि | रोदसी इति | अतपत् | घोषः | एषाम् | जाते | निः-स्थाम् | अदधुः | गोषु | वीरान् // ऋ. वे. ३,३१.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ३:२/७-
सः | जातेभिः | वृत्र-हा | सः | इत् | ॐ इति | हव्यैः | उत् | उस्रियाः | असृजत् | इन्द्रः | अर्कैः | उरूची | अस्मै | घृत-वत् | भरन्ती | मधु | स्वाद्म | दुदुहे | जेन्या | गौः // ऋ. वे. ३,३१.११ //
पित्रे | चित् | चक्रुः | सदनम् | सम् | अस्मै | महि | त्विषि-मत् | सु-कृतः | वि | हि | ख्यन् | वि-स्कभ्नन्तः | स्कम्भनेन | जनित्री इति | आसीनाः | ऊर्ध्वम् | रभसम् | वि | मिन्वन् // ऋ. वे. ३,३१.१२ //
मही | यदि | धिषणा | शिश्नथे | धात् | सद्यः-वृधम् | वि-भ्वम् | रोदस्योः | गिरः | यस्मिन् | अनवद्याः | सम्-ईचीः | विश्वाः | इन्द्राय | तविषीः | अनुत्ताः // ऋ. वे. ३,३१.१३ //
महि | आ | ते | सख्यम् | वश्मि | शक्तीः | आ | वृत्र-घ्ने | नि-युतः | यन्ति | पूर्वीः | महि | स्तोत्रम् | अवः | आ | अगन्म | सूरेः | अस्माकम् | सु | मघवन् | बोधि | गोपाः // ऋ. वे. ३,३१.१४ //
महि | क्षेत्रम् | पुरु | चन्द्रम् | विविद्वान् | आत् | इत् | सखि-भ्यः | चरथम् | सम् | ऐरत् | इन्द्रः | नृ-भिः | अजनत् | दीद्यानः | साकम् | सूर्यम् | उषसम् | गातुम् | अग्न् इम् // ऋ. वे. ३,३१.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ३:२/८-
अपः | चित् | एषः | वि-भ्वः | दमूनाः | प्र | सध्रीचीः | असृजत् | विश्व-चन्द्राः | मध्वः | पुनानाः | कवि-भिः | पवित्रैः | द्यु-भिः | हिन्वन्ति | अक्तु-भिः | धनुत्रीः // ऋ. वे. ३,३१.१६ //
अनु | कृष्णे इति | वसुधिती इतिवसु-धिती | जिहातेइति | उभे इति | सूर्यस्य | मंहना | यजत्रे | परि | यत् | ते | महिमानम् | वृजध्यै | सखायः | इन्द्र | काम्याः | ऋजिप्याः // ऋ. वे. ३,३१.१७ //
पतिः | भव | वृत्र-हन् | सूनृतानाम् | गिराम् | विश्व-आयुः | वृषभः | वयः-धाः | आ | नः | गहि | सख्येभिः | शिवेभिः | महान् | महीभिः | ऊति-भिः | सरण्यन् // ऋ. वे. ३,३१.१८ //
तम् | अङ्गिरस्वत् | नमसा | सपर्यन् | नव्यम् | कृणोमि | सन्यसे | पुराजाम् | द्रुहः | वि | याहि | बहुलाः | अदेवीः | स्वर् इतिस्वः | च | नः | मघ-वन् | सातये | धाः // ऋ. वे. ३,३१.१९ //
मिहः | पावकाः | प्र-तताः | अभूवन् | स्वस्ति | नः | पिपृहि | पारम् | आसाम् | इन्द्र | त्वम् | रथिरः | पाहि | नः | रिषः | मक्षु-मक्षु | कृणुहि | गो--जितः | नः // ऋ. वे. ३,३१.२० //
अदेदिष्ट | वृत्र-हा | गो--पतिः | गाः | अन्तरिति | कृष्णान् | अरुषैः | धाम-भिः | गात् | प्र | सूनृताः | दिशमानः | ऋतेन | दुरः | च | विश्वाः | अवृणोत् | अप | स्वाः // ऋ. वे. ३,३१.२१ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३१.२२ //
//८//.

-ऋ. वे. ३:२/९-
(ऋ. वे. ३,३२)
इन्द्र | सोमम् | सोम-पते | पिब | इमम् | माध्यन्दिनम् | सवनम् | चारु | यत् | ते | प्र-प्रुथ्य | शिप्रेइति | मघ-वन् | ऋजीषिन् | वि-मुच्य | हरी इति | इह | मादयस्व // ऋ. वे. ३,३२.१ //
गो--आशिरम् | मन्थिनम् | इन्द्र | शुक्रम् | पिब | सोमम् | ररिम | ते | मदाय | ब्रह्म-कृता | मारुतेन | गणेन | स-जोषाः | रुद्रैः | तृपत् | आ | वृषस्व // ऋ. वे. ३,३२.२ //
ये | ते | शुष्मम् | ये | तविषीम् | अवर्धन् | अर्चन्तः | इन्द्र | मरुतः | ते | ओजः | माध्यन्दिने | सवने | वज्र-हस्त | पिब | रुद्रेभिः | स-गणः | सु-शिप्र // ऋ. वे. ३,३२.३ //
ते | इत् | नु | अस्य | मधु-मत् | विविप्रे | इन्द्रस्य | शर्धः | मरुतः | ये | आसन् | येभिः | वृत्रस्य | इषितः | विवेद | अमर्मणः | मन्यमानस्य | मर्म // ऋ. वे. ३,३२.४ //
मनुष्वत् | इन्द्र | सवनम् | जुषाणः | पिब | सोमम् | शश्वते | वीर्याय | सः | आ | ववृत्स्व | हरि-अश्व | यज्ञैः | सरण्यु-भिः | अपः | अर्णा | सिसर्षि // ऋ. वे. ३,३२.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ३:२/१०-
त्वम् | अपः | यत् | ह | वृत्रम् | जघन्वान् | अत्यान्-इव | प्र | असृजः | सर्तवै | आजौ | शयानम् | इन्द्र | चरता | वधेन | वव्रि-वांसम् | परि | देवीः | अदेवम् // ऋ. वे. ३,३२.६ //
यजामः | इत् | नमसा | वृद्धम् | इन्द्रम् | बृहन्तम् | ऋष्वम् | अजरम् | युवानम् | यस्य | प्रिये | ममतुः | यज्ञियस्य | न | रोदसी इति | महिमानम् | ममातेइति // ऋ. वे. ३,३२.७ //
इन्द्रस्य | कर्म | सु-कृता | पुरूणि | व्रतानि | देवाः | न | मिनन्ति | विश्वे | दाधार | यः | पृथिवीम् | द्याम् | उत | इमाम् | जजान | सूर्यम् | उषसम् | सु-दंसाः // ऋ. वे. ३,३२.८ //
अद्रोघ | सत्यम् | तव | तत् | महि-त्वम् | सद्यः | यत् | जातः | अपिबः | ह | सोमम् | न | द्यावः | इन्द्र | तवसः | ते | ओजः | न | अहा | न | मासाः | शरदः | वरन्त // ऋ. वे. ३,३२.९ //
त्वम् | सद्यः | अपिबः | जतः | इन्द्र | मदाय | सोमम् | परमे | वि-ओमन् | यत् | ह | द्यावापृथिवी इति | आ | अविवेशीः | अथ | अभवः | पूर्व्यः | कारु-धायाः // ऋ. वे. ३,३२.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ३:२/११-
अहन् | अहिम् | परि-शयानम् | अर्णः | ओजायमानम् | तुवि-जात | तव्यान् | न | ते | महि-त्वम् | अनु | भूत् | अध | द्यौः | यत् | अन्यया | स्फिग्या | क्षाम् | अवस्थाः // ऋ. वे. ३,३२.११ //
यज्ञः | हि | ते | इन्द्र | वर्धनः | भूत् | उत | प्रियः | सुत-सोमः | मियेधः | यज्ञेन | यज्ञम् | अव | यज्ञियः | सन् | यज्ञः | ते | वज्रम् | अहि-हत्ये | आवत् // ऋ. वे. ३,३२.१२ //
यज्ञेन | इन्द्रम् | अवसा | आ | चक्रे | अर्वाक् | आ | एनम् | सुम्नाय | नव्यसे | ववृत्याम् | यः | स्तोमेभिः | ववृधे | पूर्व्येभिः | यः | मध्यमेभिः | उत | नूतनेभ् इः // ऋ. वे. ३,३२.१३ //
विवेष | यत् | मा | धिषणा | जजान | स्तवै | पुरा | पार्यात् | इन्द्रम् | अह्नः | अंहसः | यत्र | पीपरत् | यथा | नः | नावाइव | यान्तम् | उभये | हवन्ते // ऋ. वे. ३,३२.१४ //
आपूर्णः | अस्य | कलशः | स्वाहा | सेक्ताइव | कोशम् | सिसिचे | पिबध्यै | सम् | ॐ इति | प्रियाः | आ | अववृत्रम् | मदाय | प्र-दक्षिणित् | अभि | सोमासः | इन्द्रम् // ऋ. वे. ३,३२.१५ //
न | त्वा | गभीरः | पुरु-हूत | सिन्धुः | न | अद्रयः | परि | सन्तः | वरन्त | इत्था | सखि-भ्यः | इषितः | यत् | इन्द्र | आ | दृऌहम् | चित् | अरुजः | गव्यम् | ऊर्वम् // ऋ. वे. ३,३२.१६ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३२.१७ //
//११//.

-ऋ. वे. ३:२/१२-
(ऋ. वे. ३,३३)
प्र | पर्वतानाम् | उशती इति | उप-स्थात् | अश्वेइवेत्यश्वे--इव | विसितेइतिवि-सिते | हासमानेइति | गावाइव | शुभ्रे इति | मातरा | रिहाणे इति | वि-पाट् | शुतुद्री | पयसा | जवेतेइति // ऋ. वे. ३,३३.१ //
इन्द्रेषितेइतीन्द्र-इषिते | प्र-सवम् | भिक्षमाणेइति | अच्छ | समुद्रम् | रथ्याइव | याथः | समाराणे इतिसम्-आराणे | ऊर्मि-भिः | पिन्वमानेइति | अन्या | वाम् | अन्याम् | अपि | एति | शुभ्रेइत् इ // ऋ. वे. ३,३३.२ //
अच्छ | सिन्धुम् | मातृ-तमाम् | अयासम् | विपाशम् | उर्वीम् | सु-भगाम् | अगन्म | वत्सम्-इव | मातरा | संरिहाणे इतिसम्-रिहाणे | समानम् | योनिम् | अनु | सम्-चरन्ती // ऋ. वे. ३,३३.३ //
एना | वयम् | पयसा | पिन्वमानाः | अनु | योनिम् | देव-कृतम् | चरन्तीः | न | वर्तवे | प्र-सवः | सर्ग-तक्तः | किम्-युः | विप्रः | नद्यः | जोहवीति // ऋ. वे. ३,३३.४ //
रमध्वम् | मे | वचसे | सोम्याय | ऋत-वरीः | उप | मुहूर्तम् | एवैः | प्र | सिन्धुम् | अच्छ | बृहती | मनीषा | अवस्युः | अह्ने | कुशिकस्य | सूनुः // ऋ. वे. ३,३३.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ३:२/१३-
इन्द्रः | अस्मान् | अरदत् | वज्र-बाहुः | अप | अहन् | वृत्रम् | परि-धिम् | नदीनाम् | देवः | अनयत् | सविता | सु-पाणिः | तस्य | वयम् | प्र-सवे | यामः | उर्वीः // ऋ. वे. ३,३३.६ //
प्र-वाच्यम् | शश्वधा | वीर्यम् | तत् | इन्द्रस्य | कर्म | यत् | अहिम् | वि-वृश्चत् | वि | वज्रेण | परि-षदः | जघान | आयन् | आपः | अयनम् | इच्छमानाः // ऋ. वे. ३,३३.७ //
एतत् | वचः | जरितः | मा | अपि | मृष्ठाः | आ | यत् | ते | घोषान् | उत्-तरा | युगानि | उक्थेषु | कारो इति | प्रति | नः | जुषस्व | मा | नः | नि | करितिकः | पुरुष-त्रा | नमः | ते // ऋ. वे. ३,३३.८ //
ओ इति | सु | स्वसारः | कारवे | शृणोत | ययौ | वः | दूरात् | अनसा | रथेन | नि | सु | नमध्वम् | भवत | सु-पाराः | अधः-अक्षाः | सिन्धवः | स्रोत्याभिः // ऋ. वे. ३,३३.९ //
आ | ते | कारो इति | शृणवाम | वचांसि | ययाथ | दूरात् | अनसा | रथेन | नि | ते | नंसै | पीप्यानाइव | योषा | मर्याय-इव | कन्या | शश्वचै | तैतिते // ऋ. वे. ३,३३.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ३:२/१४-
यत् | अङ्ग | त्वा | भरताः | सम्-तरेयुः | गव्यन् | ग्रामः | इषितः | इन्द्र-जूतः | अर्षात् | अह | प्र-सवः | सर्ग-तक्तः | आ | वः | वृणे | सु-मतिम् | यज्ञियानाम् // ऋ. वे. ३,३३.११ //
अतारिषुः | भरताः | गव्यवः | सम् | अभक्त | विप्रः | सु-मतिम् | नदीनाम् | प्र | पिन्वध्वम् | इषयन्तीः | सु-राधा | आ | वक्षणाः | पृणध्वम् | यात | शीभम् // ऋ. वे. ३,३३.१२ //
उत् | वः | ऊर्मिः | शम्याः | हन्तु | आपः | योक्त्राणि | मुञ्चत | मा | अदुः-कृतौ | वि-एनसा | अघ्न्यौ | शूनम् | आ | अरताम् // ऋ. वे. ३,३३.१३ //
//१४//.

-ऋ. वे. ३:२/१५-
(ऋ. वे. ३,३४)
इन्द्रः | पूः-भित् | आ | अतिरत् | दासम् | अर्कैः | विदत्-वसुः | दयमानः | वि | शत्रून् | ब्रह्म-जूतः | तन्वा | ववृधानः | भूरि-दात्रः | आ | अपृणत् | रोदसी इति | उभे इति // ऋ. वे. ३,३४.१ //
मखस्य | ते | तविषस्य | प्र | जूतिम् | इयर्मि | वाचम् | अमृताय | भूषन् | इन्द्र | क्षितीनाम् | असि | मानुषीणाम् | विशाम् | दैवीनाम् | उत | पूर्व-यावा // ऋ. वे. ३,३४.२ //
इन्द्रः | वृत्रम् | अवृणोत् | शर्ध-नीतिः | प्र | मायिनाम् | अमिनात् | वर्प-नीतिः | अहन् | वि-अंसम् | उशधक् | वनेषु | आविः | धेनाः | अकृणोत् | राम्याणाम् // ऋ. वे. ३,३४.३ //
इन्द्रः | स्वः-सा | जनयन् | अहानि | जिगाय | उशिक्-भिः | पृतनाः | अभिष्टिः | प्र | अरोचयत् | मनवे | केतुम् | अह्नाम् | अविन्दत् | ज्योतिः | बृहते | रणाय // ऋ. वे. ३,३४.४ //
इन्द्रः | तुजः | बर्हणाः | आ | विवेश | नृ-वत् | दधानः | नर्या | पुरूणि | अचेतयत् | धियः | इमाः | जरित्रे | प्र | इमम् | वर्णम् | अतिरत् | शुक्रम् | आसाम् // ऋ. वे. ३,३४.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ३:२/१६-
महः | महानि | पनयन्ति | अस्य | इन्द्रस्य | कर्म | सु-कृता | पुरूणि | वृजनेन | वृजिनान् | सम् | पिपेष | मायाभिः | दस्यूंन् | अभिभूति-ओजाः // ऋ. वे. ३,३४.६ //
युधा | इन्द्रः | मह्ना | वरिवः | चकार | देवेभ्यः | सत्-पतिः | चर्षणि-प्राः | विवस्वतः | सदने | अस्य | तानि | विप्राः | उक्थेभिः | कवयः | गृणन्ति // ऋ. वे. ३,३४.७ //
सत्रासहम् | वरेण्यम् | सहः-दाम् | ससवांसम् | स्वः | अपः | च | देवीः | ससान | यः | पृथिवीम् | द्याम् | उत | इमाम् | इन्द्रम् | मदन्ति | अनु | धी-रणासः // ऋ. वे. ३,३४.८ //
ससान | अत्यान् | उत | सूर्यम् | ससान | इन्द्रः | ससान | पुरु-भोजसम् | गाम् | हिरण्ययम् | उत | भोगम् | ससान | हत्वी | दस्यून् | प्र | अयम् | वर्णम् | आवत् // ऋ. वे. ३,३४.९ //
इन्द्रः | ओषधीः | असनोत् | अहानि | वनस्पतीन् | असनोत् | अन्तरिक्षम् | बिभेद | वलम् | नुनुदे | वि-वाचः | अथ | अभवत् | दमिता | अभि-क्रतूनाम् // ऋ. वे. ३,३४.१० //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३४.११ //
//१६//.

-ऋ. वे. ३:२/१७-
(ऋ. वे. ३,३५)
तिष्ठ | हरी इति | रथे | आ | युज्यमाना | याहि | वायुः | न | नि-युतः | नः | अच्छ | पिबासि | अन्धः | अभि-सृष्टः | अस्मे इति | इन्द्र | स्वाहा | ररिम | ते | मदाय // ऋ. वे. ३,३५.१ //
उप | अजिरा | पुरु-हूताय | सप्ती इति | हरी इति | रथस्य | धूः-सु | आ | युनज्मि | द्रवत् | यथा | सम्-भृतम् | विश्वतः | चित् | उप | इमम् | यज्ञम् | आ | वहातः | इन्द्रम् // ऋ. वे. ३,३५.२ //
उपो इति | नयस्व | वृषणा | तपुः-पा | उत | ईम् | अव | त्वम् | वृषभ | स्वधावः | ग्रसेताम् | अश्वा | वि | मुच | इह | शोणा | दिवे--दिवे | स-दृशीः | अद्धि | धानाः // ऋ. वे. ३,३५.३ //
ब्रह्मणा | ते | ब्रह्म-युजा | युनज्मि | हरी इति | सखाया | सध-मादे | आशू इति | स्थिरम् | रथम् | सुखम् | इन्द्र | अधि-तिष्ठन् | प्र-जानन् | विद्वाम् | उप | याहि | सोमम् // ऋ. वे. ३,३५.४ //
मा | ते | हरी इति | वृषणा | वीत-पृष्ठा | नि | रीरमन् | यजमानासः | अन्ये | अति-आयाहि | शश्वतः | वयम् | ते | अरम् | सुतेभिः | कृणवाम | सोमैः // ऋ. वे. ३,३५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ३:२/१८-
तव | अयम् | सोमः | त्वम् | आ | इहि | अर्वाङ् | शश्वत्-तमम् | सु-मनाः | अस्य | पाहि | अस्मिन् | यज्ञे | बर्हिषि | आ | नि-सद्य | दधिष्व | इमम् | जठरे | इन्दुम् | इन्द्र // ऋ. वे. ३,३५.६ //
स्तीर्णम् | ते | बर्हिः | सुतः | इन्द्र | सोमः | कृताः | धानाः | अत्तवे | ते | हरि-भ्याम् | तत्-ओकसे | पुरु-शाकाय | वृष्णे | मरुत्वते | तुभ्यम् | राता | हवींषि // ऋ. वे. ३,३५.७ //
इमम् | नरः | पर्वताः | तुभ्यम् | आपः | सम् | इन्द्र | गोभिः | मधु-मन्तम् | अक्रन् | तस्य | आगत्य | सु-मनाः | ऋष्व | पाहि | प्र-जानन् | विद्वान् | पथ्याः | अनु | स्वाः // ऋ. वे. ३,३५.८ //
यान् | आ | अभजः | मरुतः | इन्द्र | सोमे | ये | त्वाम् | अवर्धन् | अभवन् | गणः | ते | तेभिः | एतम् | स-जोषाः | वावशानः | अग्नेः | पिब | जिह्वया | सोमम् | इन्द्र // ऋ. वे. ३,३५.९ //
इन्द्र | पिब | स्वधया | चित् | सुतस्य | अग्नेः | वा | पाहि | जिह्वया | यजत्र | अध्वर्योः | वा | प्र-यतम् | शक्र | हस्तात् | होतुः | वा | यज्ञम् | हविषः | जुषस्व // ऋ. वे. ३,३५.१० //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३५.११ //
//१८//.

-ऋ. वे. ३:२/१९-
(ऋ. वे. ३,३६)
इमाम् | ॐ इति | सु | प्र-भृतिम् | सातये | धाः | शश्वत्-शश्वत् | ऊति-भिः | यादमानः | सुते--सुते | ववृधे | वर्धनेभिः | यः | कर्म-भिः | महत्-भिः | सु-श्रुतः | भूत् // ऋ. वे. ३,३६.१ //
इन्द्राय | सोमाः | प्र-दिवः | विदानाः | ऋभुः | येभिः | वृष-पर्वा | वि-हायाः | प्र-यम्यमानान् | प्रति | सु | गृभाय | इन्द्र | पिब | वृष-धूतस्य | वृष्णः // ऋ. वे. ३,३६.२ //
पिब | वर्धस्व | तव | घ | सुतासः | इन्द्र | सोमासः | प्रथमाः | उत | इमे | यथा | अपिबः | पूर्व्यान् | इन्द्र | सोमान् | एव | पाहि | पन्यः | अद्य | नवीयान् // ऋ. वे. ३,३६.३ //
महान् | अमत्रः | वृजने | वि-रप्शी | उग्रम् | शवः | पत्यते | धृष्णु | ओजः | न | अह | विव्याच | पृथिवी | चन | एनम् | यत् | सोमासः | हरि-अश्वम् | अमन्दन् // ऋ. वे. ३,३६.४ //
महान् | उग्रः | ववृधे | वीर्याय | सम्-आचक्रे | वृषभः | काव्येन | इन्द्रः | भगः | वाज-दाः | अस्य | गावः | प्र | जयन्ते | दक्षिणाः | अस्य | पूर्वीः // ऋ. वे. ३,३६.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ३:२/२०-
प्र | यत् | सिन्धवः | प्र-सवम् | यथा | आयन् | आपः | समुद्रम् | रथ्याइव | जग्मुः | अतः | चित् | इन्द्रः | सदसः | वरीयान् | यत् | ईम् | सोमः | पृणति | दुग्धः | अंशुः // ऋ. वे. ३,३६.६ //
समुद्रेण | सिन्धवः | यादमानाः | इन्द्राय | सोमम् | सुषुतम् | भरन्तः | अंशुम् | दुहन्ति | हस्तिनः | भरित्रैः | मध्वः | पुनन्ति | धारया | पवित्रैः // ऋ. वे. ३,३६.७ //
ह्रदाः-इव | कुक्षयः | सोम-धानाः | सम् | ईम् इति | विव्याच | सवना | पुरूणि | अन्ना | यत् | इन्द्रः | प्रथमा | वि | आश | वृत्रम् | जघन्वान् | अवृणीत | सोमम् // ऋ. वे. ३,३६.८ //
आ | तु | भर | माकिः | एतत् | परि | स्थात् | विद्म | हि | त्वा | वसु-पतिम् | वसूनाम् | इन्द्र | यत् | ते | माहिनम् | दत्रम् | अस्ति | अस्मभ्यम् | तत् | हरि-अश्व | प्र | यन्ध् इ // ऋ. वे. ३,३६.९ //
अस्मे इति | प्र | यन्धि | मघ-वन् | ऋजीषिन् | इन्द्र | रायः | विश्व-वारस्य | भूरेः | अस्मे इति | शतम् | शरदः | जीवसे | धाः | अस्मे इति | वीरान् | शश्वतः | इन्द्र | शिप्रिन् // ऋ. वे. ३,३६.१० //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३६.११ //
//२०//.

-ऋ. वे. ३:२/२१-
(ऋ. वे. ३,३७)
वार्त्र-हत्याय | शवसे | पृतनासह्याय | च | इन्द्र | त्वा | वरयामसि // ऋ. वे. ३,३७.१ //
अर्वाचीनम् | सु | ते | मनः | उत | चक्षुः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | इन्द्र | कृण्वन्तु | वाघतः // ऋ. वे. ३,३७.२ //
नामानि | ते | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | विश्वाभिः | गीः-भिः | ईमहे | इन्द्र | अभिमाति-सह्ये // ऋ. वे. ३,३७.३ //
पुरु-स्तुतस्य | धाम-भिः | शतेन | महयामसि | इन्द्रस्य | चर्षणि-धृतः // ऋ. वे. ३,३७.४ //
इन्द्रम् | वृत्राय | हन्तवे | पुरु-हूतम् | उप | ब्रुवे | भरेषु | वाज-सातये // ऋ. वे. ३,३७.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ३:२/२२-
वाजेषु | ससहिः | भव | त्वाम् | ईमहे | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | इन्द्र | वृत्राय | हन्तवे // ऋ. वे. ३,३७.६ //
द्युम्नेषु | पृतनाज्ये | पृत्सुतूर्षु | श्रवः-सु | च | इन्द्र | साक्ष्व | अभि-मातिषु // ऋ. वे. ३,३७.७ //
शुष्मिन्-तमम् | न | ऊतये | द्युम्निनम् | पाहि | जागृविम् | इन्द्र | सोमम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो // ऋ. वे. ३,३७.८ //
इन्द्रियाणि | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | या | ते | जनेषु | पञ्च-सु | इन्द्र | तानि | ते | आ | वृणे // ऋ. वे. ३,३७.९ //
अगन् | इन्द्र | श्रवः | बृहत् | द्युम्नम् | दधिष्व | दुस्तरम् | उत् | ते | शुष्मम् | तिरामसि // ऋ. वे. ३,३७.१० //
अर्वावतः | नः | आ | गहि | अथो इति | शक्र | परावतः | ॐ इति | लोकः | यः | ते | अद्रि-वः | इन्द्र | इह | ततः | आ | गहि // ऋ. वे. ३,३७.११ //
//२२//.

-ऋ. वे. ३:२/२३-
(ऋ. वे. ३,३८)
अभि | तष्टाइव | दीधय | मनीषाम् | अत्यः | न | वाजी | सु-धुरः | जिहानः | अभ् इ | प्रियाणि | मर्मृशत् | पराणि | कवीन् | इच्छामि | सम्-दृशे | सु-मेधाः // ऋ. वे. ३,३८.१ //
इना | उत | पृच्छ | जनिम | कवीनाम् | मनः-धृतः | सु-कृतः | तक्षत | द्याम् | इमाः | ॐ इति | ते | प्र-न्यः | वर्धमानाः | मनः-वाताः | अध | नु | धर्मणि | ग्मन् // ऋ. वे. ३,३८.२ //
नि | सीम् | इत् | अत्र | गुह्या | दधानाः | उत | क्षत्राय | रोदसी इति | सम् | अञ्जन् | सम् | मात्राभिः | ममिरे | येमुः | उर्वी इति | अन्तः | मही | समृतेइतिसम्-ऋते | धायसे | धुः // ऋ. वे. ३,३८.३ //
आतिष्ठन्तम् | परि | विश्वे | अभूषन् | श्रियः | वसानः | चरति | स्व-रोचिः | महत् | तत् | वृष्णः | असुरस्य | नाम | आ | विश्व-रूपः | अमृतानि | तस्थौ // ऋ. वे. ३,३८.४ //
असूत | पूर्वः | वृषभः | ज्यायान् | इमाः | अस्य | शुरुधः | सन्ति | पूर्वीः | द् इवः | नपाता | विदथस्य | धीभिः | क्षत्रम् | राजाना | प्र-दिवः | दधाथेइति // ऋ. वे. ३,३८.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ३:२/२४-
त्रीणि | राजाना | विदथे | पुरूणि | परि | विश्वानि | भूषथः | सदांसि | अपश्यम् | अत्र | मनसा | जगन्वान् | व्रते | गन्धर्वान् | अपि | वायु-केशान् // ऋ. वे. ३,३८.६ //
तत् | इत् | नु | अस्य | वृषभस्य | धेनोः | आ | नाम-भिः | ममिरे | सक्म्यम् | गोः | अन्यत्-अन्यत् | असुर्यम् | वसानाः | नि | मायिनः | ममिरे | रूपम् | अस्मिन् // ऋ. वे. ३,३८.७ //
अत् | इत् | नु | अस्य | सवितुः | नकिः | मे | हिरण्ययीम् | अमतिम् | याम् | अशिश्रेत् | आ | सु-स्तुती | रोदसी इति | विश्वमिन्वे इतिविश्वम्-इन्वे | अपि-इव | योषा | जनिमानि | वव्रे // ऋ. वे. ३,३८.८ //
युवम् | प्रत्नस्य | साधथः | महः | यत् | दैवी | स्वस्तिः | परि | णः | स्यातम् | गोपाजिह्वस्य | तस्थुषः | वि-रूपा | विश्वे | पश्यन्ति | मायिनः | कृतानि // ऋ. वे. ३,३८.९ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३८.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ३:२/२५-
(ऋ. वे. ३,३९)
इन्द्रम् | मतिः | हृदः | आ | वच्यमाना | अच्छ | पतिम् | स्तोम-तष्टा | जिगाति | या | जागृविः | विदथे | शस्यमाना | इन्द्र | यत् | ते | जायते | विद्धि | तस्य // ऋ. वे. ३,३९.१ //
दिवः | चित् | आ | पूर्व्या | जायमाना | वि | जागृविः | विदथेशस्यमाना | भद्रा | वस्त्राणि | अर्जुना | वसाना | सा | इयम् | अस्मे इति | सन-जा | पित्र्या | धीः // ऋ. वे. ३,३९.२ //
यमा | चित् | अत्र | यम-सूः | असूत | जिह्वाया | अग्रम् | पतत् | आ | हि | अस्थात् | वपूंषि | जाता | मिथुना | सचेतेइति | तमः-हना | तपुषः | बुध्ने | आइता // ऋ. वे. ३,३९.३ //
नकिः | एषाम् | निन्दिता | मर्त्येषु | ये | अस्माकम् | पितरः | गोषु | योधाः | इन्द्रः | एषाम् | दृंहिता | माहिन-वान् | उत् | गोत्राणि | ससृजे | दंसनावान् // ऋ. वे. ३,३९.४ //
सखा | ह | यत्र | सखि-भिः | नव-ग्वैः | अभि-ज्ञु | आ | सत्व-भिः | गाः | अनु-ग्मन् | सत्यम् | तत् | इन्द्रः | दश-भिः | दश-ग्वैः | सूर्यम् | विवेद | तमसि | क्षियन्तम् // ऋ. वे. ३,३९.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ३:२/२६-
इन्द्रः | मधु | सम्-भृतम् | उस्रियायाम् | पत्-वत् | विवेद | शफ-वत् | नमे | गोः | गुहा | हितम् | गुह्यम् | गूऌहम् | अप्-सु | हस्ते | दधे | दक्षिणे | दक्षिण-वान् // ऋ. वे. ३,३९.६ //
ज्योतिः | वृणीत | तमसः | वि-जानन् | आरे | स्यम | दुः-इतात् | अभीके | इमाः | गिरः | सोम-पाः | सोम-वृद्ध | जुषस्व | इन्द्र | पुरु-तमस्य | कारोः // ऋ. वे. ३,३९.७ //
ज्योतिः | यज्ञाय | रोदसी इति | अनु | स्यात् | आरे | स्याम | दुः-इतस्य | भूरेः | भूरि | चित् | हि | तुजतः | मर्त्यस्य | सु-पारासः | वसवः | बर्हणावत् // ऋ. वे. ३,३९.८ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,३९.९ //
//२६//.




-ऋ. वे. ३:३/१-
(ऋ. वे. ३,४०)
इन्द्र | त्वा | वृषभम् | वयम् | सुते | सोमे | हवामहे | सः | पाहि | मध्वः | अन्धसः // ऋ. वे. ३,४०.१ //
इन्द्र | क्रतु-विदम् | सुतम् | सोमम् | हर्य | पुरु-स्तुत | पिब | आ | वृषस्व | ततृपिम् // ऋ. वे. ३,४०.२ //
इन्द्र | प्र | नः | धित-वानम् | यज्ञम् | विश्वेभिः | देवेभिः | तिर | स्तवान | विश्पते // ऋ. वे. ३,४०.३ //
इन्द्र | सोमाः | सुताः | इमे | तव | प्र | यन्ति | सत्-पते | क्षयम् | चन्द्रासः | इन्दवः // ऋ. वे. ३,४०.४ //
दधिष्व | जठरे | सुतम् | सोमम् | इन्द्र | वरेण्यम् | तव | द्युक्षासः | इन्दवः // ऋ. वे. ३,४०.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ३:३/२-
गिर्वणः | पाहि | नः | सुतम् | मधोः | धाराभिः | अज्यसे | इन्द्र | त्वादातम् | इत् | यशः // ऋ. वे. ३,४०.६ //
अभि | द्युम्नानि | वनिनः | इन्द्रम् | सचन्ते | अक्षिता | पीत्वी | सोमस्य | ववृधे // ऋ. वे. ३,४०.७ //
अर्वावतः | नः | आ | गहि | परावतः | च | वृत्रहन् | इमाः | जुषस्व | नः | गिरः // ऋ. वे. ३,४०.८ //
यत् | अन्तरा | परावतम् | अर्वावतम् | च | हूयसे | इन्द्र | इह | ततः | आ | गहि // ऋ. वे. ३,४०.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ३:३/३-
(ऋ. वे. ३,४१)
आ | तु | नः | इन्द्र | मद्र्यक् | हुवानः | सोम-पीतये | हरि-भ्याम् | याहि | अद्रि-वः // ऋ. वे. ३,४१.१ //
सत्तः | होता | नः | ऋत्वियः | तिस्तिरे | बर्हिः | आनुषक् | अयुज्रन् | प्रातः | अद्रयः // ऋ. वे. ३,४१.२ //
इमा | ब्रह्म | ब्रह्म-वाहः | क्रियन्ते | आ | बर्हिः | सीद | वीहि | शूर | पुरोऌआशम् // ऋ. वे. ३,४१.३ //
ररन्धि | सवनेषु | नः | एषु | स्तोमेषु | वृत्रहन् | उक्थेषु | इन्द्र | गिर्वणः // ऋ. वे. ३,४१.४ //
मतयः | सोम-पाम् | उरुम् | रिहन्ति | शवसः | पतिम् | इन्द्रम् | वत्सम् | न | मातरः // ऋ. वे. ३,४१.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ३:३/४-
सः | मन्दस्व | हि | अन्धसः | राधसे | तन्वा | महे | न | स्तोतारम् | निदे | करः // ऋ. वे. ३,४१.६ //
वयम् | इन्द्र | त्वायवः | हविष्मन्तः | जरामहे | उत | त्वम् | अम-युः | वसो इति // ऋ. वे. ३,४१.७ //
मा | आरे | अस्मत् | वि | मुमुचः | हरि-प्रिय | आर्वाङ् | याहि | इन्द्र | स्वधावः | मत्स्व | इह // ऋ. वे. ३,४१.८ //
अर्वाञ्चम् | त्वा | सु-खे | रथे | वहताम् | इन्द्र | केशिना | घृतस्नूइतिघृत-स्नू | बर्हिः | आसदे // ऋ. वे. ३,४१.९ //
//४//.

-ऋ. वे. ३:३/५-
(ऋ. वे. ३,४२)
उप | नः | सुतम् | आ | गहि | सोमम् | इन्द्र | गो--आशिरम् | हरि-भ्याम् | यः | ते | अस्म-युः // ऋ. वे. ३,४२.१ //
तम् | इन्द्र | मदम् | आ | गहि बर्हिः-स्थाम् | ग्राव-भिः | सुतम् | कुवित् | नु | अस्य | तृष्णवः // ऋ. वे. ३,४२.२ //
इन्द्रम् | इत्था | गिरः | मम | अच्छ | अगुः | इषिताः | इतः | आवृते | सोम-पीतये // ऋ. वे. ३,४२.३ //
इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये | स्तोमैः | इह | हवामहे | उक्थेभिः | कुवित् | आगमत् // ऋ. वे. ३,४२.४ //
इन्द्र | सोमाः | सुताः | इमे | तान् | दधिष्व | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | जठरे | वाजिनीवसो इतिवाजिनी-वसो // ऋ. वे. ३,४२.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ३:३/६-
विद्म | हि | त्वा | धनम्-जयम् | वाजेषु | दधृषम् | कवे | अध | ते | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. ३,४२.६ //
इमम् | इन्द्र | गो--आशिरम् | यव-आशिरम् | च | नः | पिब | आगत्य | वृष-भिः | सुतम् // ऋ. वे. ३,४२.७ //
तुभ्य | इत् | इन्द्र | स्वे | ओक्ये | सोमम् | चोदामि | पीतये | एषः | ररन्तु | ते | हृदि // ऋ. वे. ३,४२.८ //
त्वाम् | सुतस्य | पीतये | प्रत्नम् | इन्द्र | हवामहे | कुशिकासः | अवस्यवः // ऋ. वे. ३,४२.९ //
//६//.

-ऋ. वे. ३:३/७-
(ऋ. वे. ३,४३)
आ | याहि | अर्वाङ् | उप | वन्धुरे--स्थाः | तव | इत् | अनु | प्र-दिवः | सोम-पेयम् | प्रिया | सखाया | वि | मुच | उप | बर्हिः | त्वाम् | इमे | हव्य-वाहः | हवन्ते // ऋ. वे. ३,४३.१ //
आ | याहि | पूर्वीः | अति | चर्षणीः | आ | अर्यः | आशिषः | उप | नः | हरि-भ्याम् | इमाः | हि | त्वा | मतयः | स्तोम-तष्टाः | इन्द्र | हवन्ते | सख्यम् | जुषाणाः // ऋ. वे. ३,४३.२ //
आ | नः | यज्ञम् | नमः-वृधम् | स-जोषाः | इन्द्र | देव | हरि-भिः | याहि | तूयम् | अहम् | हि | त्वा | मति-भिः | जोहवीमि | घृत-प्रयाः | सध-मादे | मधूनाम् // ऋ. वे. ३,४३.३ //
आ | च | त्वाम् | एता | वृषणा | वहातः | हरी इति | सखाया | सु-धुरा | सु-अङ्गा | धानावत् | इन्द्रः | सवनम् | जुषाणः | सखा | सख्युः | शृणवत् | वन्दनानि // ऋ. वे. ३,४३.४ //
कुवित् | मा | गोपाम् | करसे | जनस्य | कुवित् | राजानम् | मघ-वन् | ऋजीषिन् | कुवित् | मा | ऋषिम् | पपि-वांसम् | सुतस्य | कुवित् | मे | वस्वः | अमृतस्य | शिक्षाः // ऋ. वे. ३,४३.५ //
आ | त्वा | बृहन्तः | हरयः | युजानाः | अर्वाक् | इन्द्र | सध-मादः | वहन्तु | प्र | ये | द्विता | दिवः | ऋञ्जन्ति | आताः | सु-सम्मृष्टासः | वृषभस्य | मूराः // ऋ. वे. ३,४३.६ //
इन्द्र | पिब | वृष-धूतस्य | वृष्णः | आ | यम् | ते | श्येनः | उशते | जभार | यस्य | मदे | च्यावयसि | प्र | कृष्टीः | यस्य | मदे | अप | गोत्रा | ववर्थ // ऋ. वे. ३,४३.७ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,४३.८ //
//७//.

-ऋ. वे. ३:३/८-
(ऋ. वे. ३,४४)
अयम् | ते | अस्तु | हर्यतः | सोमः | आ | हरि-भिः | सुतः | जुषाणः | इन्द्र | हरि-भिः | नः | आ | गहि | आ | तिष्ठ | हरितम् | रथम् // ऋ. वे. ३,४४.१ //
हर्यन् | उषसम् | अर्चयः | सूर्यम् | हर्यन् | अरोचयः | विद्वान् | चिकित्वान् | हरि-अश्व | वर्धसे | इन्द्र | विश्वा | अभि | श्रियः // ऋ. वे. ३,४४.२ //
द्याम् | इन्द्रः | हरि-धायसम् | पृथिवीम् | हरि-वर्पसम् | अधारयत् | हरि तोः | भूरि | भोजनम् | ययोः | अन्तः | हरिः | चरत् // ऋ. वे. ३,४४.३ //
जज्ञानः | हरितः | वृषा | विश्वम् | आ | भाति | रोचनम् | हरि-अश्वः | हरितम् | धत्ते | आयुधम् | आ | वज्रम् | बाह्वोः | हरिम् // ऋ. वे. ३,४४.४ //
इन्द्रः | हर्यन्तम् | अर्जुनम् | वज्रम् | शुक्रैः | अभि-वृतम् | अप | अवृणोत् | हरि-भिः | अद्रि-भिः | सुतम् | उत् | गाः | हरि-भिः | आजत // ऋ. वे. ३,४४.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ३:३/९-
(ऋ. वे. ३,४५)
आ | मन्द्रैः | इन्द्र | हरि-भिः | याहि | मयूररोम-भिः | मा | त्वा | के | चित् | नि | यमन् | विम् | न | पाशिनः | अति | धन्व-इव | तान् | इहि // ऋ. वे. ३,४५.१ //
वृत्र-खादः | वलम्-रुजः | पुराम् | दर्मः | अपाम् | अजः | स्थाता | रथस्य | हर्योः | अभि-स्वरे | इन्द्रः | दृऌहा | चित् | आरुजः // ऋ. वे. ३,४५.२ //
गम्भीरान् | उदधीन्-इव | क्रतुम् | पुष्यसि | गाः-इव | प्र | सु-गोपाः | यवसम् | धेनवः | यथा | ह्रदम् | कुल्याः-इव | आशत // ऋ. वे. ३,४५.३ //
आ | नः | तुजम् | रयिम् | भर | अंशम् | न | प्रति-जानते | वृक्षम् | पक्वम् | फलम् | अङ्की-इव | धूनुहि | इन्द्र | सम्-पारणम् | वसु // ऋ. वे. ३,४५.४ //
स्व-युः | इन्द्र | स्व-राट् | असि | स्मत्-दिष्टिः | स्वयशः-तरः | सः | ववृधानः | ओजसा | पुरु-स्तुत | भव | नः | सुश्रवः-तमः // ऋ. वे. ३,४५.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ३:३/१०-
(ऋ. वे. ३,४६)
युध्मस्य | ते | वृषभस्य | स्व-राजः | उग्रस्य | यूनः | स्थविरस्य | घृष्वेः | अजूर्यतः | वज्रिणः | वीर्याणि | इन्द्र | श्रुतस्य | महतः | महानि // ऋ. वे. ३,४६.१ //
महान् | असि | महिष | वृष्ण्येभिः | धन-स्पृत् | उग्र | सहमानः | अन्यान् | एकः | विश्वस्य | भुवनस्य | राजा | सः | योधया | च | क्षयया | च | जनान् // ऋ. वे. ३,४६.२ //
प्र | मात्राभिः | रिरिचे | रोचमानः | प्र | देवेभिः | विश्वतः | अप्रति-इतः | प्र | मज्मना | दिवः | इन्द्रः | पृथिव्याः | प्र | उरोः | महः | अन्तरिक्षात् | ऋजीषी // ऋ. वे. ३,४६.३ //
उरुम् | गभीरम् | जनुषा | अभि | उग्रम् | विश्व-व्यचसम् | अवतम् | मतीनाम् | इन्द्रम् | सोमासः | प्र-दिवि | सुतासः | समुद्रम् | न | स्रवतः | आ | विशन्ति // ऋ. वे. ३,४६.४ //
यम् | सोमम् | इन्द्र | पृथिवीद्यावा | गर्भम् | न | माता | बिभृतः | त्वाया | तम् | ते | हिन्वन्ति | तम् | ॐ इति | ते | मृजन्ति | अध्वर्यवः | वृषभ | पातवै | ॐ इति // ऋ. वे. ३,४६.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ३:३/११-
(ऋ. वे. ३,४७)
मरुत्वान् | इन्द्र | वृषभः | रणाय | पिब | सोमम् | अनु-स्वधम् | मदाय | आ | सिञ्चस्व | जठरे | मध्वः | ऊर्मिम् | त्वम् | राजा | असि | प्र-दिवः | सुतानाम् // ऋ. वे. ३,४७.१ //
स-जोषाः | इन्द्र | स-गणः | मरुत्-भिः | सोमम् | पिब | वृत्र-हा | शूर | विद्वान् | जहि | शत्रून् | अप | मृधः | नुदस्व | अथ | अभयम् | कृणुहि | विश्वतः | नः // ऋ. वे. ३,४७.२ //
उत | ऋतु-भिः | ऋतु-पाः | पाहि | सोमम् | इन्द्र | देवेभिः | सखि-भिः | सुतम् | नः | यान् | आ | अभजः | मरुतः | ये | त्वा | अनु | अहन् | वृत्रम् | अदधुः | तुभ्यम् | ओजः // ऋ. वे. ३,४७.३ //
ये | त्वा | अहि-हत्ये | मघ-वन् | अवर्धन् | ये | शाम्बरे | हरिवः | ये | गो--इष्टौ | ये | त्वा | न्नम् | अनु-मदन्तिःविप्राःःपिबःइन्द्रःसोमम्ःस-गणःःमरुत्-भिः // ऋ. वे. ३,४७.४ //
मरुत्वन्तम् | वृषभम् | ववृधानम् | अकव-अरिम् | दिव्यम् | शासम् | इन्द्रम् | विश्वासहम् | अवसे | नूतनाय | उग्रम् | सहः-दाम् | इह | तम् | हुवेम // ऋ. वे. ३,४७.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ३:३/१२-
(ऋ. वे. ३,४८)
सद्यः | ह | जतः | वृषभः | कनीनः | प्र-भर्तुम् | आवत् | अन्धसः | सुतस्य | साधोः | पिब | प्रति-कामम् | यथा | ते | रस-आशिरः | प्रथमम् | सोम्यस्य // ऋ. वे. ३,४८.१ //
यत् | जायथाः | तत् | अहः | अस्य | कामे | अंशोः | पीयूषम् | अपिबः | गिरि-स्थाम् | तम् | ते | माता | परि | योषा | जनित्री | महः | पितुः | दमे | आ | असिञ्चत् | अग्रे // ऋ. वे. ३,४८.२ //
उप-स्थाय | मातरम् | अन्नम् | ऐट | तिग्मम् | अपश्यत् | अभि | सोमम् | ऊधः | प्र-यवयन् | अचरत् | गृत्सः | अन्यान् | महानि | चक्रे | पुरुध-प्रतीकः // ऋ. वे. ३,४८.३ //
उग्रः | तुराषाट् | अभिभूति-ओजाः | यथावशम् | तन्वम् | चक्रे | एषः | त्वष्टारम् | इन्द्रः | जनुषा | अभि-भूय | आमुष्य | सोमम् | अपिबत् | चमूषु // ऋ. वे. ३,४८.४ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,४८.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ३:३/१३-
(ऋ. वे. ३,४९)
शंसा | महाम् | इन्द्रम् | यस्मिन् | विश्वाः | आ | कृष्टयः | सोम-पाः | कामम् | अव्यन् | यम् | सु-क्रतुम् | धिषणे | विभ्व-तष्टम् | घनम् | वृत्राणाम् | जनयन्त | देवाः // ऋ. वे. ३,४९.१ //
यम् | नु | नकिः | पृतनासु | स्व-राजम् | द्विता | तरति | नृ-तमम् | हरि-स्थाम् | इन-तमः | सत्व-भिः | यः | ह | शूषैः | पृथु-ज्रयाः | अमिनात् | आयुः | दस्योः // ऋ. वे. ३,४९.२ //
सह-वा | पृत्-सु | तरणिः | न | अर्वा | वि-आनशी इति | रोदसी इति | मेहनावान् | भगः | न | कारे | हव्यः | मतीनाम् | पिताइव | चारुः | सु-हवः | वयः-धाः // ऋ. वे. ३,४९.३ //
धर्ता | दिवः | रजसः | पृष्टः | ऊर्ध्वः | रथः | न | वायुः | वसु-भिः | नियुत्वान् | क्षपाम् | वस्ता | जनिता | सूर्यस्य | वि-भक्ता | भागम् | धिषणाइव | वाजम् // ऋ. वे. ३,४९.४ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,४९.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ३:३/१४-
(ऋ. वे. ३,५०)
इन्द्रः | स्वाहा | पिबतु | यस्य | सोमः | आगत्य | तुम्रः | वृषभः | मरुत्वान् | आ | उरु-व्यचाः | पृणताम् | एभिः | अन्नैः | आ | अस्य | हविः | तन्वः | कामम् | ऋध्याः // ऋ. वे. ३,५०.१ //
आ | ते | सपर्यू इति | जवसे | युनज्मि | ययोः | अनु | प्र-दिवः | श्रुष्टिम् | आवः | इह | त्वा | धेयुः | हरयः | सु-शिप्र | पिब | तु | अस्य | सु-सुतस्य | चारोः // ऋ. वे. ३,५०.२ //
गोभिः | मिमिक्षुम् | दधिरे | सु-पारम् | इन्द्रम् | ज्यैष्ठ्याय | धायसे | गृणानाः | मन्दानः | सोमम् | पपि-वान् | ऋजीषिन् | सम् | अस्मभ्यम् | पुरुधा | गाः | इषण्य // ऋ. वे. ३,५०.३ //
इमम् | कामम् | मन्दय | गोभिः | अश्वैः | चन्द्र-वता | राधसा | पप्रथः | च | स्वः-यवः | मति-भिः | तुभ्यम् | विप्राः | इन्द्राय | वाहः | कुशिकासः | अक्रन् // ऋ. वे. ३,५०.४ //
शुनम् | हुवेम | मघवानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. ३,५०.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ३:३/१५-
(ऋ. वे. ३,५१)
चर्षणि-धृतम् | मघ-वानम् | उक्थ्यम् | इन्द्रम् | गिरः | बृहतीः | अभि | अनूषत | ववृधनम् | पुरु-हूतम् | सुवृक्ति-भिः | अमर्त्यम् | जरमाणम् | दिवे--दिवे // ऋ. वे. ३,५१.१ //
शत-क्रतुम् | अर्णवम् | शाकिनम् | नरम् | गिरः | मे | इन्द्रम् | उप | यन्ति | विश्वतः | वाज-सनिम् | पूः-भिदम् | तूर्णिम् | अप्-तुरम् | धाम-साचम् | अभि-षाचम् | स्वः-विदम् // ऋ. वे. ३,५१.२ //
आकरे | वसोः | जरिता | पनस्यते | अनेहसः | स्तुभः | इन्द्रः | दुवस्यत् इ | विवस्वतः | सदने | आ | हि | पिप्रिये | सत्रासहम् | अभिमाति-हनम् | स्तुहि // ऋ. वे. ३,५१.३ //
नृणाम् | ॐ इति | त्वा | नृ-तमम् | गीः-भिः | उक्थैः | अभि | प्र | वीरम् | अर्चत | स-बाधः | सम् | सहसे | पुरु-मायः | जिहीते | नमः | अस्य | प्र-दिवः | एकः | ईशे // ऋ. वे. ३,५१.४ //
पूर्वीः | अस्य | निः-सिधः | मर्त्येषु | पुरु | वसूनि | पृथिवी | बिभर्ति | इन्द्राय | द्यावः | ओषधीः | उत | आपः | रयिम् | रक्षन्ति | जीरयः | वनानि // ऋ. वे. ३,५१.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ३:३/१६-
तुभ्यम् | ब्रह्माणि | गिरः | इन्द्र | तुभ्यम् | सत्रा | दधिरे | हरि-वः | जुषस्व | बोधि | आपिः | अवसः | नूतनस्य | सखे | वसो इति | जरितृ-भ्यः | वयः | धाः // ऋ. वे. ३,५१.६ //
इन्द्र | मरुत्वः | इह | पाहि | सोमम् | यथा | शार्याते | अपिबः | सुतस्य | तव | प्र-नीती | तव | शूर | शर्मन् | आ | विवासन्ति | कवयः | सु-यज्ञाः // ऋ. वे. ३,५१.७ //
सः | वावशानः | इह | पाहि | सोमम् | मरुत्-भिः | इन्द्र | सखि-भिः | सुतम् | नः | जातम् | यत् | त्वा | परि | देवाः | अभूषन् | महे | भराय | पुरु-हूत | विश्वे // ऋ. वे. ३,५१.८ //
अप्-तूर्ये | मरुतः | आपिः | एषः | अमन्दन् | इन्द्रम् | अनु | दाति-वाराः | तेभिः | साकम् | पिबतु | वृत्र-खादः | सुतम् | सोमम् | दाशुषः | स्वे | सध-स्थे // ऋ. वे. ३,५१.९ //
इदम् | हि | अनु | ओजसा | सुतम् | राधानाम् | पते | पिब | तु | अस्य | गिर्वणः // ऋ. वे. ३,५१.१० //
यः | ते | अनु | स्वधाम् | असत् | सुते | नि | यच्छ | तन्वम् | सः | त्वा | ममत्तु | सोम्यम् // ऋ. वे. ३,५१.११ //
प्र | ते | अश्नोतु | कुक्ष्योः | प्र | इन्द्र | ब्रह्मणा | शिरः | प्र | बाहू इति | शूर | राधसे // ऋ. वे. ३,५१.१२ //
//१६//.

-ऋ. वे. ३:३/१७-
(ऋ. वे. ३,५२)
धानावन्तम् | करम्भिणम् | अपूप-वन्तम् | उक्थिनम् | इन्द्र | प्रातः | जुषस्व | नः // ऋ. वे. ३,५२.१ //
पुरोऌआसम् | पचत्यम् | जुषस्व | इन्द्र | आ | गुरस्व | च | तुभ्यम् | हव्यानि | स् इस्रते // ऋ. वे. ३,५२.२ //
पुरोऌआसम् | च | नः | घसः | जोषयासे | गिरः | च | नः | वधूयुः-इव | योषणाम् // ऋ. वे. ३,५२.३ //
पुरोऌआसम् | सन-श्रुत | प्रातः-सावे | जुषस्व | नः | इन्द्र | क्रतुः | हि | ते | बृहन् // ऋ. वे. ३,५२.४ //
माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | धानाः | पुरोऌआसम् | इन्द्र | कृष्व | इह | चारुम् | प्र | यत् | स्तोता | जरिता | तूर्णि-अर्थः | वृष-यमाणः | उप | गीः-भिः | ईटे // ऋ. वे. ३,५२.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ३:३/१८-
तृतीये | धानाः | सवने | पुरु-स्तुत | पुरोऌआशम् | आहुतम् | ममहस्व | नः | ऋभु-मन्तम् | वाज-वन्तम् | त्वा | कवे | प्रयस्वन्तः | उप | शिक्षेम | धीति--भिः // ऋ. वे. ३,५२.६ //
पूषण्-वते | ते | चकृम | करम्भम् | हरि-वते | हरि-अश्वाय | धानाः | अपूपम् | अद्धि | स-गणः | मरुत्-भिः | सोमम् | पिब | वृत्र-हा | शूर | विद्वान् // ऋ. वे. ३,५२.७ //
प्रति | धानाः | भरत | तूयम् | अस्मै | पुरोऌआशम् | वीर-तमाय | नृणाम् | दिवे--दिवे | स-दृशीः | इन्द्र | तुभ्यम् | वर्धन्तु | त्वा | सोम-पेयाय | धृष्णो इति // ऋ. वे. ३,५२.८ //
//१८//.

-ऋ. वे. ३:३/१९-
(ऋ. वे. ३,५३)
इन्द्रापर्वता | बृहता | रथेन | वामीः | इषः | आ | वहतम् | सु-वीराः | वीतम् | हव्यानि | अध्वरेषु | देवा | वर्धेथाम् | गीः-भिः | इऌइया | मदन्ता // ऋ. वे. ३,५३.१ //
तिष्ठ | सु | कम् | मघ-वन् | मा | परा | गाः | सोमस्य | नु | त्वा | सु-सुतस्य | यक्षि | पितुः | न | पुत्रः | सिचम् | आ | रभे | ते | इन्द्र | स्वादिष्ठया | गिरा | शची-वः // ऋ. वे. ३,५३.२ //
शंसाव | अध्वर्यो इति | प्रति | मे | गृणीहि | इन्द्राय | वाहः | कृणवाव | जुष्टम् | आ | इदम् | बर्हिः | यजमानस्य | सीद | अथ | च | भूत् | उक्थम् | इन्द्राय | शस्तम् // ऋ. वे. ३,५३.३ //
जाया | इत् | अस्तम् | मघ-वन् | सा | इत् | ॐ इति | योनिः | तत् | इत् | त्वा | युक्ताः | हरयः | वहन्तु | यदा | कदा | च | सुनवाम | सोमम् | अग्न् | त्वा | दूतः | धन्वाति | अच्छ // ऋ. वे. ३,५३.४ //
परा | याहि | मघ-वन् | आ | च | याहि | इन्द्र | भ्रातः | उभयत्र | ते | अर्थम् | यत्र | रथस्य | बृहतः | नि-धानम् | वि-मोचनम् | वाजिनः | रासभस्य // ऋ. वे. ३,५३.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ३:३/२०-
अपाः | सोमम् | अस्तम् | इन्द्र | प्र | याहि | कल्याणीः | जाया | सु-रणम् | गृहे | ते | यत्र | रथस्य | बृहतः | नि-धानम् | वि-मोचनम् | वाजिनः | दक्षिणावत् // ऋ. वे. ३,५३.६ //
इमे | भोजाः | अङ्गिरसः | वि-रूपाः | दिवः | पुत्रासः | असुरस्य | वीराः | विश्वामित्राय | ददतः | मघानि | सहस्र-सावे | प्र | तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. ३,५३.७ //
रूपम्-रूपम् | मघ-वा | बोभवीति | मायाः | कृण्वानः | तन्वम् | परि | स्वाम् | त्र् इः | यत् | दिवः | परि | मुहूर्तम् | आ | अगात् | स्वैः | मन्त्रैः | अनृतु-पाः | ऋत-वा // ऋ. वे. ३,५३.८ //
महान् | ऋषिः | देव-जाः | देव-जूतः | अस्तभ्नात् | सिन्धुम् | अर्णवम् | नृ-चक्षाः | विश्वामित्रः | यत् | अवहत् | सु-दासम् | अप्रियायत | कुशिकेभिः | इन्द्रः // ऋ. वे. ३,५३.९ //
हंसाः-इव | कृणुथ | श्लोकम् | अद्रि-भिः | मदन्तः | गीः-भिः | अध्वरे | सुते | सचा | देवेभिः | विप्राः | ऋषयः | नृ-चक्षसः | वि | पिबध्वम् | कुशिकाः | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ३,५३.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. ३:३/२१-
उप | प्र | इत | कुशिकाः | चेतयध्वम् | अश्वम् | राये | प्र | मुञ्चत | सु-दासः | राजा | वृत्रम् | जङ्घनत् | प्राक् | अपाक् | उदक् | अथ | यजाते | वरे | आ | पृथिव्याः // ऋ. वे. ३,५३.११ //
यः | इमे इति | रोदसी इति | उभे इति | अहम् | इन्द्रम् | अतुस्तवम् | विश्वामित्रस्य | रक्षति | ब्रह्म | इदम् | भारतम् | जनम् // ऋ. वे. ३,५३.१२ //
विश्वामित्राः | अरासत | ब्रह्म | इन्द्राय | वज्रिणे | करत् | इत् | नः | सु-राधसः // ऋ. वे. ३,५३.१३ //
किम् | ते | कृण्वन्ति | कीकटेषु | गावः | न | आशिरन् | दुह्रे | न | तपन्ति | घर्मम् | आ | नः | भर | प्र-मगन्दस्य | वेदः | नैचाशाखम् | मघ-वन् | रन्धय | नः // ऋ. वे. ३,५३.१४ //
ससर्परीः | अमतिम् | बाधमाना | बृहत् | मिमाय | जमदग्नि-दत्ता | आ | सूर्यस्य | दुहिता | ततान | श्रवः | देवेषु | अमृतम् | अजुर्यम् // ऋ. वे. ३,५३.१५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ३:३/२२-
ससर्परीः | अभरत् | तूयम् | एभ्यः | अधि | श्रवः | पाञ्च-जन्यासु | कृष्टिषु | सा | पक्ष्या | नव्यम् | आयुः | दधाना | याम् | मे | पलस्ति-जमदग्नयः | ददुः // ऋ. वे. ३,५३.१६ //
स्थिरौ | गावौ | भवताम् | वीऌउः | अक्षः | मा | ईषा | वि | वर्हि | मा | युगम् | वि | शारि | इन्द्रः | पातल्ये इति | ददताम् | शरीतोः | अरिष्ट-नेमे | अभि | नः | सचस्व // ऋ. वे. ३,५३.१७ //
बलम् | धेहि | तनूषु | नः | बलम् | इन्द्र | अनऌउत्-सु | नः | बलम् | तोकाय | तनयाय | जीवसे | त्वम् | हि | बल-दाः | असि // ऋ. वे. ३,५३.१८ //
अभि | व्ययस्व | खदिरस्य | सारम् | ओजः | धेहि | स्पन्दने | शिंशपायाम् | अक्ष | वीऌओ इति | वीऌइत | वीऌअयस्व | मा | यामात् | अस्मात् | अव | जीहिपः | नः // ऋ. वे. ३,५३.१९ //
अयम् | अस्मान् | वनस्पतिः | मा | च | हाः | मा | च | रिरिषत् | स्वस्ति | आ | गृहेभ्यः | आ | अवसै | आ | वि-मोचनात् // ऋ. वे. ३,५३.२० //
//२२//.

-ऋ. वे. ३:३/२३-
इन्द्र | ऊति-भिः | बहुलाभिः | नः | अद्य | यात्-श्रेष्ठाभिः | मघ-वन् | शूर | जि न्व | यः | नः | द्वेष्टि | अधरः | सः | पदीष्ट | यम् | ॐ इति | द्विष्मः | तम् | ॐ इति | प्राणः | जहातु // ऋ. वे. ३,५३.२१ //
परशुम् | चित् | वि | तपति | शिम्बलम् | चित् | वि | वृश्चति | उखा | चित् | इन्द्र येषन्ती | प्र-यस्ता | फेनम् | अस्यति // ऋ. वे. ३,५३.२२ //
न | सायकस्य | चिकिते | जनासः | लोधम् | नयन्ति | पशु | मन्यमानाः | न | अवाजिनम् | वाजिना | हासयन्ति | न | गर्दभम् | पुरः | अश्वात् | नयन्ति // ऋ. वे. ३,५३.२३ //
इमे | इन्द्र | भरतस्य | पुत्राः | अप-पित्वम् | चिकितुः | न | प्र-पित्वम् | हि न्वन्ति | अश्वम् | अरणम् | न | नित्यम् | ज्यावाजम् | परि | नयन्ति | आजौ // ऋ. वे. ३,५३.२४ //
//२३//.

-ऋ. वे. ३:३/२४-
(ऋ. वे. ३,५४)
इमम् | महे | विदथ्याय | शूषम् | शश्वत् | कृत्वः | ईड्याय | प्र | जभ्रुः | शृणोतु | नः | दम्येभिः | अनीकैः | शृणोतु | अग्निः | दिव्यैः | अजस्रः // ऋ. वे. ३,५४.१ //
महि | महे | दिवे | अर्च | पृथिव्यै | कामः | मे | इच्छन् | चरति | प्र-जानन् | ययोः | ह | स्तोमे | विदथेषु | देवाः | सपर्यवः | मादयन्ते | सचा | आयोः // ऋ. वे. ३,५४.२ //
युवोः | ऋतम् | रोदसी इति | सत्यम् | अस्तु | महे | सु | णः | सु-विताय | प्र | भूतम् | इदम् | दिवे | नमः | अग्ने | पृथिव्यै | सपर्यामि | प्रयसा | यामि | रत्नम् // ऋ. वे. ३,५४.३ //
उतो इति | हि | वाम् | पूर्व्याः | आविविद्रे | ऋतवरी इत्य् ऋत-वरी | रोदसी इति | सत्य-वाचः | नरः | चित् | वाम् | सम्-इथे | शूर-सातौ | ववन्दिरे | पृथिवि | वेविदानाः // ऋ. वे. ३,५४.४ //
कः | अद्धा | वेद | कः | इह | प्र | वोचत् | देवान् | अच्छ | पथ्या | का | सम् | एति | ददृश्रे | एषाम् | अवमा | सदांसि | परेषु | या | गुह्येषु | व्रतेषु // ऋ. वे. ३,५४.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ३:३/२५-
कविः | नृ-चक्षा | अभि | सीम् | अचष्ट | ऋतस्य | योना | विघृतेइतिवि-घृते | मदन्ती इति | नाना | चक्रातेइति | सदनम् | यथा | वेः | समानेन | क्रतुना | संविदाने इतिसम्-विदाने // ऋ. वे. ३,५४.६ //
समान्या | वियुतेइतिवि-युते | दूरेअन्तेइतिदूरे--अन्ते | ध्रुवे | पदे | तस्थतुः जागरूके | उत | स्वसारा | युवती इति | भवन्ती इति | आत् | ॐ इति | ब्रुवातेइति | मिथुनानि | नाम // ऋ. वे. ३,५४.७ //
विश्वा | इत् | एते इति | जनिम | सम् | विविक्तः | महः | देवान् | बिभ्रती इति | न | व्यथेतेइति | एजत् | ध्रुवम् | पत्यते | विश्वम् | एकम् | चरत् | पतत्रि | व् इषुणम् | वि | जातम् // ऋ. वे. ३,५४.८ //
सना | पुराणम् | अधि | एमि | आरात् | महः | पितुः | जनितुः | जामि | तत् | नः | देवासः | यत्र | पनितारः | एवैः | उरौ | पथि | वि-उते | तस्थुः | अन्तरिति // ऋ. वे. ३,५४.९ //
इमम् | स्तोमम् | रोदसी इति | प्र | ब्रवीमि | ऋदूदराः | शृणवन् | अग्नि-जिह्वाः | मित्रः | सम्-राजः | वरुणः | युवानः | आदित्यासः | कवयः | पप्रथानाः // ऋ. वे. ३,५४.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ३:३/२६-
हिरण्य-पाणिः | सविता | सु-जिह्वः | त्रिः | आ | दिवः | विदथे | पत्यमानः | देवेषु | च | सवितरिति | श्लोकम् | अश्रेः | आत् | अस्मभ्यम् | आ | सुव | सर्व-तातिम् // ऋ. वे. ३,५४.११ //
सु-कृत् | सु-पाणिः | स्व-वान् | ऋत-वा | देवः | त्वष्टा | अवसे | तानि | नः | धात् | पूषण्-वन्तः | ऋभवः | मादयध्वम् | ऊर्ध्व-ग्रावाणः | अध्वरम् | अतष्ट // ऋ. वे. ३,५४.१२ //
विद्युत्-रथाः | मरुतः | ऋष्टि-मन्तः | दिवः | मर्याः | ऋत-जाताः | अयासः | सरस्वती | शृणवन् | यज्ञियासः | धात | रयिम् | सह-वीरम् | तुरासः // ऋ. वे. ३,५४.१३ //
विष्णुम् | स्तोमासः | पुरु-दस्मम् | अर्काः | भगस्य-इव | कारिणः | यामनि | ग्मन् | उरु-क्रमः | ककुहः | यस्य | पूर्वीः | न | मर्धन्ति | युवतयः | जनित्रीः // ऋ. वे. ३,५४.१४ //
इन्द्रः | विश्वैः | वीर्यैः | पत्यमानः | उभे इति | आ | पप्रौ | रोदसी इति | महि-त्वा | पुरम्-दरः | वृत्र-हा | धृष्णु-सेणः | सम्-गृभ्य | नः | आ | भर | भूरि | पश्वः // ऋ. वे. ३,५४.१५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ३:३/२७-
नासत्या | मे | पितरा | बन्धु-पृच्छा | स-जात्यम् | अश्विनोः | चारु | नाम | युवम् | ह् इ | स्थः | रयि-दौ | नः | रयीणाम् | दात्रम् | रक्षेथेइति | अकवैः | अदब्धा // ऋ. वे. ३,५४.१६ //
महत् | तत् | वः | कवयः | चारु | नाम | यत् | ह | देवाः | भवथ | विश्वे | इन्द्रे | सखाः | ऋभु-भिः | पुरु-हूत | प्रियेभिः | इमाम् | धियम् | सातये | तक्षत | नः // ऋ. वे. ३,५४.१७ //
अर्यमा | णः | अदितिः | यज्ञियासः | अदब्धानि | वरुणस्य | व्रतानि | युयोत | नः | अनपत्यानि | गन्तोः | प्रजावान् | नः | पशु-मान् | अस्तु | गातुः // ऋ. वे. ३,५४.१८ //
देवानाम् | दूतः | पुरुध | प्र-सूतः | अनागान् | नः | वोचतु | सर्व-ताता | शृणोतु | नः | पृथिवी | द्यौः | उत | आपः | सूर्यः | नक्षत्रैः | उरु | अन्तरिक्षम् // ऋ. वे. ३,५४.१९ //
शृण्वन्तु | नः | वृषणः | पर्वतासः | ध्रुव-क्षेमासः | इऌअया | मदन्तः | आदित्यैः | नः | अदितिः | शृणोतु | यच्छन्तु | नः | मरुतः | शर्म | भद्रम् // ऋ. वे. ३,५४.२० //
सदा | सु-गः | पितु-मान् | अस्तु | पन्था | मध्वा | देवाः | ओषधीः | सम् | पिपृक्त | भगः | मे | अग्ने | सख्ये | न | मृध्याः | उत् | रायः | अश्याम् | सदनम् | पुरु-क्षोः // ऋ. वे. ३,५४.२१ //
स्वदस्व | हव्या | सम् | इषः | दिदीहि | अस्मद्र्यक् | सम् | मिमीहि | श्रवांसि | विश्वान् | अग्ने | पृत्-सु | तान् | जेषि | शत्रून् | अहा | विश्वा | सु-मनाः | दीदिहि | नः // ऋ. वे. ३,५४.२२ //
//२७//.

-ऋ. वे. ३:३/२८-
(ऋ. वे. ३,५५)
उषसः | पूर्वाः | अध | यत् | वि-ऊषुः | महत् | वि | जज्ञे | अक्षरम् | पदे | गोः | व्रता | देवानाम् | उप | नु | प्र-भूषन् | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१ //
मो इति | सु | नः | अत्र | जुहुरन्त | देवाः | मा | पूर्वे | अग्ने | पितरः | पद-ज्ञाः | पुराण्योः | सद्मनोः | केतुः | अन्तः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.२ //
वि | मे | पुरु-त्रा | पतयन्ति | कामाः | शमि | अच्छ | दीद्ये | पूर्व्याणि | सम्-इद्धे | अग्नौ | ऋतम् | इत् | वदेम | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.३ //
समानः | राजा | वि-भृतः | पुरु-त्रा | शये | शयासु | प्र-युतः | वना | अनु | अन्या | वत्सम् | भरति | क्षेति | माता | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.४ //
आक्षित् | पूर्वासु | अपराः | अनूरुत् | सद्यः | जातासुतरुणीषु | अन्तरिति | अन्तः-वतीः | सुवते | अप्रवीताः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ३:३/२९-
शयुः | परस्तात् | अध | नु | द्वि-माता | अबन्धनः | चरति | वत्सः | एकः | मि त्रस्य | ता | वरुणस्य | व्रतानि | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.६ //
द्वि-माता | होता | विदथेषु | सम्-राट् | अनु | अग्रम् | चरति | क्षेति | बुध्नः | प्र | रण्यानि | रण्य-वाचः | भरन्ते | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.७ //
शूरस्य-इव | युध्यतः | अन्तमस्य | प्रतीचीनम् | ददृशे | विश्वम् | आयत् | अन्तः | मतिः | चरति | निः-सिधम् | गोः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.८ //
नि | वेवेति | पलितः | दूतः | आसु | अन्तः | महान् | चरति | रोचनेन | वपूंषि | बिभ्रत् | अभि | नः | वि | चष्टे | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.९ //
विष्णुः | गोपाः | परमम् | पाति | पाथः | प्रिया | धामानि | अमृता | दधानः | अग्निः | ता | विश्वा | भुवनानि | वेद | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१० //
//२९//.

-ऋ. वे. ३:३/३०-
नाना | चक्रातेइति | यम्या | वपाऊंषि | तयोः | अन्यत् | रोचते | कृष्णम् | अन्यत् | श्यावी | च | यत् | अरुषी | च | स्वसारौ | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.११ //
माता | च | यत्र | दुहिता | च | धेनू इति | सबर्दुघेइतिसबः-दुघे | धापयेतेइति | समीची इतिसम्-ईची | / ऋतस्य | ते | सदसि | ईऌए | अन्तः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१२ //
अन्यस्याः | वत्सम् | मिमाय | कया | भुवा | नि | दधे | धेनुः | ऊधः | ऋतस्य | सा | पयसा | अपिन्वत | इऌआ | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१३ //
पद्या | वस्ते | पुरु-रूपा | वपूंषि | ऊर्ध्वा | तस्थौ | त्रि-अविम् | रेरिहाणा | ऋतस्य | सद्म | वि | चरामि | विद्वान् | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१४ //
पदेइवेतिपदे--इव | निहितेइतिनि-हिते | दस्मे | अन्तरिति | तयोः | अन्यत् | गुह्यम् | आविः | अन्यत् | सध्रीचीना | पथ्या | सा | विषूची | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ३:३/३१-
आ | धेनवः | धुनयन्ताम् | अशिश्वीः | सबः-दुघाः | शशयाः | अप्र-दुग्धाः | नव्याः-नव्याः | युवतयः | भवन्तीः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१६ //
यत् | अन्यासु | वृषभः | रोरवीति | सः | अन्यस्मिन् | यूथे | नि | दधाति | रेतः | सः | हि | क्षपावान् | सः | भगः | सः | राजा | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१७ //
वीरस्य | नु | सु-अश्व्यम् | जनासः | प्र | नु | वोचाम | विदुः | अस्य | देवाः | षोऌहा | युक्ताः | पञ्च-पञ्च | आ | वहन्ति | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१८ //
देवः | त्वष्टा | सविता | विश्व-रूपः | पुपोष | प्र-जाः | पुरुधा | जजान | इमा | च | विश्वा | भुवनानि | अस्य | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.१९ //
मही | सम् | ऐरत् | चम्वा | समीची इतिसम्-ईची | उभे | ते | अस्य | वसुना | न्यृष्टेइतिनि-ऋष्टे | शृण्वे | वीरः | विन्दमानः | वसूनि | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.२० //
इमाम् | च | नः | पृथिवीम् | विश्व-धायाः | उप | क्षेति | हित-मित्रः | न | राजा | पुरः-सदः | शर्म-सदः | न | वीराः | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.२१ //
निः-सिध्वरीः | ते | ओषधीः | उत | आपः | रयिम् | ते | इन्द्र | पृथिवी | बिभर्ति | सखायः | ते | वाम-भाजः | स्याम | महत् | देवानाम् | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. ३,५५.२२ //
//३१//.




-ऋ. वे. ३:४/१-
(ऋ. वे. ३,५६)
न | ता | मिनन्ति | मायिनः | न | धीराः | व्रता | देवानाम् | प्रथमा | ध्रुवाणि | न | रोदसी इति | अद्रुहा | वेद्याभिः | न | पर्वताः | नि-नमे | तस्थि-वांसः // ऋ. वे. ३,५६.१ //
षट् | भारान् | एकः | अचरन् | बिभर्ति | ऋतम् | वर्षिष्ठम् | उप | गावः | आ | अगुः | तिस्रः | महीः | उपराः | तस्थुः | अत्याः | गुहा | द्वे इति | निहितेइतिनि-हिते | दर्शि | एका // ऋ. वे. ३,५६.२ //
त्रि-पाजस्यः | वृषभः | विश्व-रूपः | उत | त्रि-उधा | पुरुध | प्रजावान् | त्रि-अनीकः | पत्यते | माहिन-वान् | सः | रेतः-धा | वृषभः | शश्वतीनाम् // ऋ. वे. ३,५६.३ //
अभीके | आसाम् | पद-वीः | अबोधि | आदित्यानाम् | अह्वे | चारु | नाम | आपः | चित् | अस्मै | अरमन्त | देवीः | पृथक् | व्रजन्तीः | परि | सीम् | अवृञ्जन् // ऋ. वे. ३,५६.४ //
त्री | षध-स्था | सिन्धवः | त्रिः | कवीनाम् | उत | त्रि-माता | विदथेषु | सम्-राट् | ऋत-वरीः | योषणाः | तिस्रः | अप्याः | त्रिः | आ | दिवः | विदथे | पत्यमानाः // ऋ. वे. ३,५६.५ //
त्रिः | आ | दिवः | सवितः | वार्याणि | दिवे--दिवे | आ | सुव | त्रिः | नः | अह्नः | त्रि--धातु | रायः | आ | सुव | वसूनि भग | त्रातः | धिषणे | सातये | धाः // ऋ. वे. ३,५६.६ //
त्रिः | आ | दिवः | सविता | सोषवीति | राजाना | मित्रावरुणा | सुपाणी इतिसु-पाणी | आपः | चित् | अस्य | रोदसी इति | चित् | उर्वी इति | रत्नम् | भिक्षन्त | सवितुः | सवाय // ऋ. वे. ३,५६.७ //
त्रिः | उत्-तमा दुः-नशा | रोचनानि | त्रयः | राजन्ति | असुरस्य | वीराः | ऋत-वानः | इषिराः | दुः-दभासः | त्रिः | आ | दिवः | विदथे | सन्तु | देवाः // ऋ. वे. ३,५६.८ //
//१//.

-ऋ. वे. ३:४/२-
(ऋ. वे. ३,५७)
प्र | मे | विविक्वअन् | अविदत् | मनीषाम् | धेनुम् | चरन्तीम् | प्र-युताम् | अगोपाम् | सद्यः | चित् | या | दुदुहे | भूरि | धासेः | इन्द्रः | तत् | अग्निः | पनितारः | अस्याः // ऋ. वे. ३,५७.१ //
इन्द्रः | सु | पूषा | वृषणा | सु-हस्ता | दिवः | न | प्रीताः | शशयम् | दुदुह्रे | विश्वे | यत् | अस्याम् | रणयन्त | देवाः | प्र | वः | अत्र | वसवः | सुम्नम् | अश्याम् // ऋ. वे. ३,५७.२ //
या | जामय | वृष्णे | इच्छन्ति | शक्तिम् | नमस्यन्तीः | जानते | गर्भम् | अस्मिन् | अच्छ | पुत्रम् | धेनवः | वावशानाः | महः | चरन्ति | बिभ्रतम् | वपूंषि // ऋ. वे. ३,५७.३ //
अच्छ | विवक्मि | रोदसी इति | सुमेके इतिसु-मेके | ग्राव्णः | युजानः | अध्वरे | मनीषा | इमाः | ॐ इति | ते | मनवे | भूरि-वाराः | ऊर्ध्वाः | भवन्ति | दर्शताः | यजत्राः // ऋ. वे. ३,५७.४ //
या | ते | जिह्वा | मधु-मती | सु-मेधाः | अग्ने | देवेषु | उच्यते | उरूची | तया | इह | वि श्वान् | अवसे | यजत्रान् | आ | सादय | पायया | च | मधूनि // ऋ. वे. ३,५७.५ //
या | ते | अग्ने | पर्वतस्य-इव | धारा | असश्चन्ती | पीपयत् | द्व् | चित्रा | ताम् | अस्मभ्यम् | प्र-मतिम् | जात-वेदः | वसो इति | रास्व | सु-मतिम् | विश्व-जन्याम् // ऋ. वे. ३,५७.६ //
//२//.

-ऋ. वे. ३:४/३-
(ऋ. वे. ३,५८)
धेनुः | प्रत्नस्य | काम्यम् | दुहाना | अन्तरिति | पुत्रः | चरति | दक्षिणायाः | आ | द्योतनिम् | वहति | शुभ्र-यामा | उषसः | स्तोमः | अश्विनौ | अजीगरिति // ऋ. वे. ३,५८.१ //
सु-युक् | वहन्ति | प्रति | वाम् | ऋतेन | ऊर्ध्वा | भवन्ति | पितराइव | मेधाः | जरेथाम् | अस्मत् | वि | पणेः | मनीषाम् | युवोः | अवः | चकृम | आ | यातम् | अर्वाक् // ऋ. वे. ३,५८.२ //
सुयुक्-भिः | अश्वैः | सु-वृता | रथेन | दस्रौ | इमम् | शृणुतम् | श्लोकम् | अद्रेः | किम् | अङ्ग | वाम् | प्रति | अवर्तिम् | गमिष्ठा | आहुः | विप्रासः | अश्विना | पुराजाः // ऋ. वे. ३,५८.३ //
आ | मन्येथाम् | आ | गतम् | कत् | चित् | एवैः | विश्वे | जनासः | अश्विना | हवन्ते | इमा | हि | वाम् | गो--ऋजीका | मधूनि | प्र | मित्रासः | न | ददुः | उस्रः | अग्रे // ऋ. वे. ३,५८.४ //
तिरः | पुरु | चित् | अश्विना | रजांसि | आङ्गूषः | वाम् | मघ-वाना | जनेषु | आ | इह | यातम् | पथि-भिः | देव-यानैः | दस्रौ | इमे | वाम् | नि-धयः | मधूनाम् // ऋ. वे. ३,५८.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ३:४/४-
पुराणम् | ओकः | सख्यम् | शिवम् | वाम् | युवोः | नरा | द्रविणम् | जह्नाव्याम् | पुनरिति | कृण्वानाः | सख्या | शिवानि | मध्वा | मदेम | सह | नु | समानाः // ऋ. वे. ३,५८.६ //
अश्विना | वायुना | युवम् | सु-दक्षा | नियुत्-भिः | च | स-जोषसा | युवाना | नासत्या | तिरः-अह्न्यम् | जुषाणा | सोमम् | पिबतम् | अस्रिधा | सुदानूइतिसु-दानू // ऋ. वे. ३,५८.७ //
अश्विना | परि | वाम् | इषः | पुरूचीः | ईयुः | गीः-भिः | यतमानाः | अमृध्राः | रथः | ह | वाम् | ऋत-जाः | अद्रि-जूतः | परि | द्यावापृथिवी इति | याति | सद्यः // ऋ. वे. ३,५८.८ //
अश्विना | मधुसुत्-तमः | युवाकुः | सोमः | तम् | पातम् | आ | गतम् | दुरोणे | रथः | ह | वाम् | भूरि | वर्पः | करिक्रत् | सुत-वतः | निः-कृतम् | आगमिष्ठः // ऋ. वे. ३,५८.९ //
//४//.

-ऋ. वे. ३:४/५-
(ऋ. वे. ३,५९)
मित्रः | जनान् | यातयति | ब्रुवाणः | मित्रः | दाधार | पृथिवीम् | उत | द्याम् | मित्रः | कृष्टीः | अनिमिषा | अभि | चष्टे | मित्राय | हव्यम् | घृत-वत् | जुहोत // ऋ. वे. ३,५९.१ //
प्र | सः | मित्र | मर्तः | अस्तु | प्रयस्वान् | यः | ते | आदित्य | शिक्षति | व्रतेन | न | हन्यते | न | जीयते | त्वाऊतः | न | एनम् | अंहः | अश्नोति | अन्तितः | न | दूरात् // ऋ. वे. ३,५९.२ //
अनमीवासः | इऌअया | मदन्तः | मित-ज्ञवः | वरिमन् | आ | पृथिव्याः | आदित्यस्य | व्रतम् | उप-क्षियन्तः | वयम् | मित्रस्य | सु-मतौ | स्याम // ऋ. वे. ३,५९.३ //
अयम् | मित्रः | नमस्यः | सु-शेवः | राजा | सु-क्षत्रः | अजनिष्ट | वेधाः | तस्य | वयम् | सु-मतौ | यज्ञियस्य | अपि | भद्रे | सौमनसे | स्याम // ऋ. वे. ३,५९.४ //
महान् | आदित्यः | नमसा | उप-सद्यः | यातयत्-जनः | गृणते | सु-शेवः | तस्मै | एतत् | पन्य-तमाय | जुष्टम् | अग्नौ | मित्राय | हविः | आ | जुहोत // ऋ. वे. ३,५९.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ३:४/६-
मित्रस्य | चर्षणि-धृतः | अवः | देवस्य | सानसि | द्युम्नम् | चित्रश्रवः-तमम् // ऋ. वे. ३,५९.६ //
अभि | यः | महिना | दिवम् | मित्रः | बभूव | स-प्रथाः | अभि | श्रवः-भिः | पृथिवीम् // ऋ. वे. ३,५९.७ //
मित्राय | पञ्च | येमिरे | जनाः | अभिष्टि-शवसे | सः | देवान् | विश्वान् | बिभर्ति // ऋ. वे. ३,५९.८ //
मित्रः | देवेषु | आयुषु | जनाय | वृक्त-बर्हिषे | इषः | इष्ट-व्रताः | अकर् इत्य् अकः // ऋ. वे. ३,५९.९ //
//६//.

-ऋ. वे. ३:४/७-
(ऋ. वे. ३,६०)
इह-इह | वः | मनसा | बन्धुता | नरः | उशिजः | जग्मुः | अभि | तानि | वेदसा | याभिः | मायाभिः | प्रतिजूति-वर्पसः | सौधन्वनाः | यज्ञियम् | भगम् | आनश // ऋ. वे. ३,६०.१ //
याभिः | शचीभिः | चमसाम् | अपिंशत | यया | धिया | गाम् | अरिणीत | चर्मणः | येन | हरी इति | मनसा | निः-अतक्षत | तेन | देव-त्वम् | ऋभवः | सम् | आनश // ऋ. वे. ३,६०.२ //
इन्द्रस्य | सख्यम् | ऋभवः | सम् | आनशुः | मनोः | नपातः | अपसः | दधन्विरे | सौधन्वनासः | अमृत-त्वम् | आ | ईरिरे | विष्टवी | शमीभिः | सु-कृतः | सु-कृत्यया // ऋ. वे. ३,६०.३ //
इन्द्रेण | याथ | स-रथम् | सुते | सचा | अथो इति | वशानाम् | भवथ | सह | श्रिया | न | वः | प्रति-मै | सु-कृतानि | वाघतः | सौधन्वनाः | ऋभवः | वीर्याणि च // ऋ. वे. ३,६०.४ //
इन्द्र | ऋभु-भिः | वाजवत्-भिः | सम्-उक्षितम् | सुतम् | सोमम् | आ | वृषस्व | गभस्त्योः | धिया | इषितः | मघवन् | दाशुषः | गृहे | सौधन्वनेभिः | सह | मत्स्व | नृ-भिः // ऋ. वे. ३,६०.५ //
इन्द्र | ऋभु-मान् | वाज-वान् | मत्स्व | इह | नः | अस्मिन् | सवने | शच्या | पुरु-स्तुत | इमानि | तुभ्यम् | स्वसराणि | येमिरे | व्रता | देवानाम् | मनुषः | च | धर्म-भिः // ऋ. वे. ३,६०.६ //
इन्द्र | ऋभु-भिः | वाजि-भिः | वाजयन् | इह | स्तोमम् | जरितुः | उप | याहि | यज्ञि यम् | शतम् | केतेभिः | इषिरेभिः | आयवे | सहस्र-नीथः | अध्वरस्य | होमनि // ऋ. वे. ३,६०.७ //
//७//.

-ऋ. वे. ३:४/८-
(ऋ. वे. ३,६१)
उषः | वाजेन | वाजिनि | प्र-चेताः | स्तोमम् | जुषस्व | गृणतः | मघोनि | पुराणी | देवि | युवतिः | पुरम्-धिः | अनु | व्रतम् | चरसि | विश्व-वारे // ऋ. वे. ३,६१.१ //
उषः | देवि | अमर्त्या | वि | भाहि | चन्द्र-रथा | सूनृताः | ईरयन्ती | आ | त्वा | वहन्तु | सु-यमासः | अश्वाः | हिरण्य-वर्णाम् | पृथु-पाजसः | ये // ऋ. वे. ३,६१.२ //
उषः | प्रतीची | भुवनानि | विश्वा | ऊर्ध्वा | तिष्ठसि | अमृतस्य | केतुः | समानम् | अर्थम् | चरणीयमाना | चक्रम्-इव | नव्यसि | आ | ववृत्स्व // ऋ. वे. ३,६१.३ //
अव | स्यूम-इव | चिन्वती | मघोनी | उषा | याआइ | स्वसरस्य | पत्नी | स्वः | जनन्ती | सु-भगा | सु-दंसाः | आ | अन्तात् | दिवः | पप्रथे | आ | पृथिव्याः // ऋ. वे. ३,६१.४ //
अच्छ | वः | देवीम् | उषसम् | वि-भातीम् | प्र | वः | भरध्वम् | नमसा | सु-वृक्तिम् | ऊर्ध्वम् | मधुधा | दिवि | पाजः | अश्रेत् | प्र | रोचना | रुरुचे | रण्व-सन्दृक् // ऋ. वे. ३,६१.५ //
ऋत-वरी | दिवः | अर्कैः | अबोधि | आ | रेवती | रोदसी इति | चित्रम् | आस्थात् | आयतीम् | अग्ने | उषसम् | वि-भातीम् | वामम् | एषि | द्रविणम् | भि क्षमाणः // ऋ. वे. ३,६१.६ //
ऋतस्य | बुध्ने | उषसाम् | इषण्यन् | वृषा | मही इति | रोदसी इति | आ | विवेश | मही | मित्रस्य | वरुणस्य | माया | चन्द्राइव | भानुम् | वि | दधे | पुरु-त्रा // ऋ. वे. ३,६१.७ //
//८//.

-ऋ. वे. ३:४/९-
(ऋ. वे. ३,६२)
इमाः | ॐ इति | वाम् | भृमयः | मन्यमानाः | युवावते | न | तुज्याः | अभूवन् | क्व | त्यत् | इन्द्रावरुणा | यशः | वाम् | येन | स्म | सिनम् | भरथः | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ३,६२.१ //
अयम् | ॐ इति | वाम् | पुरु-तमः | रयि-यन् | शश्वत्-तमम् | अवसे | जोहवीति | स-जोषौ | इन्द्रावरुणा | मरुत्-भिः | दिवा | पृथिव्या | शृणुतम् | हवम् | मे // ऋ. वे. ३,६२.२ //
अस्मे इति | तत् | इन्द्रावरुणा | वसु | स्यात् | अस्मे इति | रयिः | मरुतः | सर्व-वीरः | अस्मान् | वरूत्रीः | शरणैः | अवन्तु | अस्मान् | होत्रा | भारती | दक्षिणाभिः // ऋ. वे. ३,६२.३ //
बृहस्पते | जुषस्व | नः | हव्यानि | विश्व-देव्य | रास्व | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. ३,६२.४ //
शुचिम् | अर्कैः | बृहस्पतिम् | अध्वरेषु | नमस्यत | अनामि | ओजः | आ | चके // ऋ. वे. ३,६२.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ३:४/१०-
वृषभम् | चर्षणीनाम् | विश्व-रूपम् | अदाभ्यम् | बृहस्पतिम् | वरेण्यम् // ऋ. वे. ३,६२.६ //
इयम् | ते | पूषन् | आघृणे | सु-स्तुतिः | देव | नव्यसी | अस्माभिः | तुभ्यम् | शस्यते // ऋ. वे. ३,६२.७ //
ताम् | जुषस्व | गिरम् | मम | वाज-यन्तीम् | अव | धियम् | वधूयुः-इव | योषणाम् // ऋ. वे. ३,६२.८ //
यः | विश्वा | अभि | वि-पश्यति | भुवना | सम् | च | पश्यति | सः | नः | पूषा | अविता | भुवत् // ऋ. वे. ३,६२.९ //
तत् | सवितुः | वरेण्यम् | भर्गः | देवस्य | धीमहि | धियः | यः | नः | प्र-चोदयात् // ऋ. वे. ३,६२.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ३:४/११-
देवस्य | सवितुः | वयम् | वाज-यन्तः | पुरम्-ध्या | भगस्य | रातिम् | ईमहे // ऋ. वे. ३,६२.११ //
देवम् | नरः | सवितारम् | विप्राः | यज्ञैः | सुवृक्ति-भिः | नमस्यन्ति | धिया | इषिताः // ऋ. वे. ३,६२.१२ //
सोमः | जिगाति | गातु-वित् | देवानाम् | एति | निः-कृतम् | ऋतस्य | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ३,६२.१३ //
सोमः | अस्मभ्यम् | द्वि-पदे | चतुः-पदे | च | पशवे | अनमीवाः | इषः | करत् // ऋ. वे. ३,६२.१४ //
अस्माकम् | आयुः | वर्धयन् | अभि-मातीः | सहमानः | सोमः | सध-स्थम् | आ | असदत् // ऋ. वे. ३,६२.१५ //
आ | नः | मित्रावरुणा | घृतैः | गव्यूतिम् | उक्षतम् | मध्वा | रजांसि | सुक्रतूइतिसु-क्रतू // ऋ. वे. ३,६२.१६ //
उरु-शंसा | नमः-वृधा | मह्ना | दक्षस्य | राजथः | द्राघिष्ठाभिः | शुचि-व्रता // ऋ. वे. ३,६२.१७ //
गृणाना | जमत्-अग्निना | योनौ | ऋतस्य | सीदतम् | पातम् | सोमम् | ऋत-वृधा // ऋ. वे. ३,६२.१८ //
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