सामग्री पर जाएँ

ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-२

विकिस्रोतः तः
← मण्डलम्-१ ऋग्वेद-पदपाठः
मण्डलम्-२
[[लेखकः :|]]
मण्डलम्-३ →

-ऋ. वे. २:५/१७-
(ऋ. वे. २,१)
त्वम् | अग्ने | द्यु-भिः | त्वम् | आशुशुक्षणिः | त्वम् | अत्-भ्यः | त्वम् | अश्मनः | परि | त्वम् | वनेभ्यः | त्वम् | ओषधीभ्यः | त्वम् | नृणाम् | नृ-पते | जायसे | शुचिः // ऋ. वे. २,१.१ //
तव | अग्ने | होत्रम् | तव | पोत्रम् | ऋत्वियम् | तव | नेष्ट्रम् | त्वम् | अग्नित् | ऋत-यतः | तव | प्र-शास्त्रम् | त्वम् | अध्वरि-यसि | ब्रह्मा | च | असि | गृठ-पतिः | च | नः | दमे // ऋ. वे. २,१.२ //
त्वम् | अग्ने | इन्द्रः | वृषभः | सताम् | असि | त्वम् | विष्णुः | उरु-गायः | नमस्यः | त्वम् | ब्रह्मा | रयि-वित् | ब्रह्मणः | पते | त्वम् | विधर्तरितिवि-धर्तः | सचसे | पुरम्-ध्या // ऋ. वे. २,१.३ //
त्वम् | अग्ने | राजा | वरुणः | धृत-व्रतः | त्वम् | मित्रः | भवसि | दस्मः | ईड्यः | त्वम् | अर्यमा | सत्-पतिः | यस्य | सम्-भुजम् | त्वम् | अंशः | विदथे | देव | भाजयुः // ऋ. वे. २,१.४ //
त्वम् | अग्ने | त्वष्टा | विधते | सु-वीर्यम् | तव | ग्नावः | मित्र-महः | स-जात्यम् | त्वम् | आशु-हेमा | ररिषे | सु-अश्व्यम् | त्वम् | नराम् | शर्धः | असि | पुरु-वसुः // ऋ. वे. २,१.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. २:५/१८-
त्वम् | अग्ने | रुद्रः | असुरः | महः | दिवः | त्वम् | शर्धः | मारुतम् | पृक्षः | ईशिषे | त्वम् | वातैः | अरुणैः | यासि | शम्-गयः | त्वम् | पूषा | विधतः | पासि | नु | त्मना // ऋ. वे. २,१.६ //
त्वम् | अग्ने | द्रविणः-दाः | अरम्-कृते | त्वम् | देवः | सविता | रत्न-धाः | असि | त्वम् | भगः | नृ-पते | वस्वः | ईशिषे | त्वम् | पायुः | दमे | यः | ते | अविधत् // ऋ. वे. २,१.७ //
त्वाम् | अग्ने | दमे | आ | विश्पतिम् | विशः | त्वाम् | राजानम् | सु-विदत्रम् | ऋञ्जते | त्वम् | विश्वानि | सु-अनीक | पत्यसे | त्वम् | सहस्राणि | शता | दश | प्रति // ऋ. वे. २,१.८ //
त्वाम् | अग्ने | पितरम् | इष्टि-भिः | नरः | त्वाम् | भ्रात्राय | शम्या | तनू-रुचम् | त्वम् | पुत्रः | भवसि | यः | ते | अविधत् | त्वम् | सखा | सु-शेवः | पासि | आधृषः // ऋ. वे. २,१.९ //
त्वम् | अग्ने | ऋभुः | आके | नमस्यः | त्वम् | वाजस्य | क्षु-मतः | रायः | ईशिषे | त्वम् | वि | भासि | अनु | धक्षि | दावने | त्वम् | वि-शिक्षुः | असि | यज्ञम् | आतनिः // ऋ. वे. २,१.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. २:५/१९-
त्वम् | अग्ने | अदितिः | देव | दाशुषे | त्वम् | होत्रा | भारती | वर्धसे | गिरा | त्वम् | इऌआ | शत-हिमा | असि | दक्षसे | त्वम् | वृत्र-हा | वसु-पते | सरस्वती // ऋ. वे. २,१.११ //
त्वम् | अग्ने | सु-भृतः | उत्-तमम् | वयः | तव | स्पार्हे | वर्णे | आ | सम्-दृशि | श्रियः | त्वम् | वाजः | प्र-तरणः | बृहन् | असि | त्वम् | रयिः | बहुलः | विश्वतः | पृथुः // ऋ. वे. २,१.१२ //
त्वाम् | अग्ने | आदित्यासः | आस्यम् | त्वाम् | जिह्वाम् | शुचयः | चक्रिरे | कवे | त्वाम् | राति-साचः | अध्वरेषु | सश्चिरे | त्वे इति | देवाः | हविः | अदन्ति | आहुतम् // ऋ. वे. २,१.१३ //
त्वे इति | अग्ने | विश्वे | अमृतासः | अद्रुहः | आसा | देवाः | हविः | अदन्ति | आहुतम् | त्वया | मर्तासः | स्वदन्ते | आसुतिम् | त्वम् | गर्भः | वीरुधाम् | जज्ञिषे | शुचिः // ऋ. वे. २,१.१४ //
त्वम् | तान् | सम् | च | प्रति | च | असि | मज्मना | अग्ने | सु-जात | प्र | च | देव | रि च्यसे | पृक्षः | यत् | अत्र | महिना | वि | ते | भुवत् | अनु | द्यावापृथिवी इति | रोदसी इति | उभे इति // ऋ. वे. २,१.१५ //
ये | स्तोतृ-भ्यः | गो--अग्राम् | अश्व-पेशसम् | अग्ने | रातिम् | उप-सृजन्ति | सूरयः | अस्मान् | च | तान् | च | प्र | हि | नेषि | वस्यः | आ | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१.१६ //
//१९//.

-ऋ. वे. २:५/२०-
(ऋ. वे. २,२)
यज्ञेन | वर्धत | जात-वेदसम् | अग्निम् | यजध्वम् | हविषा | तना | गिरा | सम्-इधानम् | सु-प्रयसम् | स्वः-नरम् | द्युक्षम् | होतारम् | वृजनेषु | धूः-सदम् // ऋ. वे. २,२.१ //
अभि | त्वा | नक्तीः | उषसः | ववाशिरे | अग्ने | वत्सम् | न | स्वसरेषु | धेनवः | दिवः-इव | इत् | अरतिः | मानुषा | युगा | आ | क्षपः | भासि | पुरु-वार | सम्-यतः // ऋ. वे. २,२.२ //
तं | देवाः | बुध्ने | रजसः | सु-दंससम् | दिवःपृथिव्योः | अरतिम् | नि | एर् इरे | रथम्-इव | वेद्यम् | शुक्र-शोचिषम् | अग्निम् | मित्रम् | न | क्षितिषु | प्र-शंस्यम् // ऋ. वे. २,२.३ //
तम् | उक्षमाणम् | रजसि | स्वे | आ | दमे | चन्द्रम्-इव | सु-रुचम् | ह्वारे | आ | दधुः | पृश्न्याः | पतरम् | चितयन्तम् | अक्ष-भिः | पाथः | न | पायुम् | जनसी इति | उभे इति | अनु // ऋ. वे. २,२.४ //
सः | होता | विश्वम् | परि | भूतु | अध्वरम् | तम् | ॐ इति | हव्यैः | मनुषः | ऋञ्जते | गिरा | हिरि-शिप्रः | वृधसानासु | जर्भुरत् | द्यौः | न | स्तृ-भिः | चितयत् | रोदसी इति | अनु // ऋ. वे. २,२.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. २:५/२१-
सः | नः | रेवत् | सम्-इधानः | स्वस्तये | सम्-ददस्वान् | रयिम् | अस्मासु | दीदिहि | आ | नः | कृणुष्व | सुविताय | रोदसी इति | अग्ने | हव्या | मनुषः | देव | वीतये // ऋ. वे. २,२.६ //
दाः | नः | अग्ने | बृहतः | दाः | सहस्रिणः | दुरः | न | वाजम् | श्रुत्यै | अप | वृधि | प्राची इति | द्यावापृथिवी इति | ब्रह्मणा | कृधि | स्वः | न | शुक्रम् | उषसः | वि | दिद्युतुः // ऋ. वे. २,२.७ //
सः | इधानः | उषसः | राम्याः | अनु | स्वः | न | दीदेत् | अरुषेण | भानुना | होत्राभिः | अग्निः | मनुषः | सु-अध्वरः | राजा | विशाम् | अतिथिः | चारुः | आयवे // ऋ. वे. २,२.८ //
एव | नः | / अग्ने | अमृतेषु | पूर्व्य | धीः | पीपाय | बृहत्-दिवेषु | मानुषा | दुहाना | धेनुः | वृजनेषु | कारवे | त्मना | शतिनम् | पुरु-रूपम् | इषणि // ऋ. वे. २,२.९ //
वयम् | अग्ने | अर्वता | वा | सु-वीर्यम् | ब्रह्मणा | वा | चितयेम | जनान् | अति | अस्माकम् | द्युम्नम् | अधि | पञ्च | कृष्टिषु | उच्चा | स्वः | न | शुशुचीत | दुस्तरम् // ऋ. वे. २,२.१० //
सः | नः | बोधि | सहस्य | प्र-शंस्यः | यस्मिन् | सु-जाताः | इषयन्त | सूरयः | यम् | अग्ने | यज्ञम् | उप-यन्ति | वाजिनः | नित्ये | तोके | दीदि-वांसम् | स्वे | दमे // ऋ. वे. २,२.११ //
उभयासः | जात-वेदः | स्याम | ते | स्तोतारः | अग्ने | सूरयः | च | शर्मणि | वस्वो | रायः | पुरु-चन्द्रस्य | भूयसः | प्रजावतः | सु-अपत्यस्य | शग्धि | नः // ऋ. वे. २,२.१२ //
ये | स्तोतृ-भ्यः | गो--अग्राम् | अश्व-पेशसम् | अग्ने | रातिम् | उप-सृजन्ति | सूरयः | अस्मान् | च | तान् | च | प्र | हि | नेषि | वस्यः | आ | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२.१३ //
//२१//.

-ऋ. वे. २:५/२२-
(ऋ. वे. २,३)
सम्-इद्धः | अग्निः | नि-हितः | पृथिव्याम् | प्रत्यङ् | विश्वानि | भुवनानि | अस्थात् | होता | पावकः | प्र-दिवः | सु-मेधाः | देवः | देवान् | यजतु | अग्निः | अर्हन् // ऋ. वे. २,३.१ //
नराशंसः | प्रति | धामानि | अञ्जन् | तिस्रः | दिवः | प्रति | मह्ना | सु-अर्चि ः | घृत-प्रुषा | मनसा | हव्यम् | उन्दन् | मूर्धन् | यज्ञस्य | सम् | अनक्तु | देवान् // ऋ. वे. २,३.२ //
ईऌइतः | अग्ने | मनसा | नः | अर्हन् | देवान् | यक्षि | मानुषात् | पूर्वः | अद्य | सः | आ | वह | मरुताम् | शर्धः | अच्युतम् | इन्द्रम् | नरः | बर्हि-सदम् | यजध्वम् // ऋ. वे. २,३.३ //
देव | बर्हिः | वर्धमानम् | सु-वीरम् | स्तीर्णम् | राये | सु-भरम् | वेदी इति | अस्याम् | घृतेन | अक्तम् | वसवः | सीदत | इदम् | विश्वे | देवाः | आदित्याः | यज्ञियासः // ऋ. वे. २,३.४ //
वि | श्रयन्ताम् | उर्विया | हूयमानाः | द्वारः | देवीः | सुप्र-अयनाः | नमः-भिः | व्यचस्वतीः | वि | प्रथन्ताम् | अजुर्याः | वर्णम् | पुनानाः | यशसम् | सु-वीरम् // ऋ. वे. २,३.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. २:५/२३-
साधु | अपांसि | सनता | नः | उक्षिते इति | उषसानक्ता | वय्याइव | रण्विते इति | तन्तुम् | ततम् | संवयन्ती इतिसम्-वयन्ती | समीची इतिसम्-ईची | यज्ञस्य | पेशः | सुदुघेइतिसु-दुघे | पयस्वती इति // ऋ. वे. २,३.६ //
दैव्या | होतारा | प्रथमा | विदुः-तरा | ऋजु | यक्षतः | सम् | ऋचा | वपुः-तरा | देवान् | यजन्तौ | ऋतु-था | सम् | अञ्जतः | नाभा | पृथिव्याः | अधि | सानुषु | त्रिषु // ऋ. वे. २,३.७ //
सरस्वती | साधयन्ती | धियम् | नः | इऌआ | देवी | भारती | विश्व-तूर्तिः | तिस्रः | देवीः | स्वधया | बर्हिः | आ | इदम् | अच्छिद्रम् | पान्तु | शरणम् | नि-सद्य // ऋ. वे. २,३.८ //
पिशङ्ग-रूपः | सु-भरः | वयः-धाः | श्रुष्टी | वीरः | जायते | देव-कामः | प्र-जाम् | त्वष्टा | वि | स्यतु | नाभिम् | अस्मे इति | अथ | देवानाम् | अपि | एतु | पाथः // ऋ. वे. २,३.९ //
वनस्पतिः | अव-सृजन् | उप | स्थात् | अग्निः | हविः | सूदयाति | प्र | धीभिः | त्रिधा | सम्-अक्तम् | नयतु | प्र-जानन् | देवेभ्यः | दैव्यः | शमिता | उप | हव्यम् // ऋ. वे. २,३.१० //
घृतम् | मिमिक्षे | घृतम् | अस्य | योनिः | घृते | श्रितः | घृतम् | ॐ इति | अस्य | धाम | अनु-स्वधम् | आ | वह | मादयस्व | स्वाहाकृतम् | वृषभ | वक्षि | हव्यम् // ऋ. वे. २,३.११ //
//२३//.

-ऋ. वे. २:५/२४-
(ऋ. वे. २,४)
हुवे | वः | सु-द्योत्मानम् | सु-वृक्तिम् | विशाम् | अग्निम् | अतिथिम् | सु-प्रयसम् | म् इत्रः-इव | यः | दिधिषाय्यः | भूत् | देवः | आदेवे | जने | जात-वेदाः // ऋ. वे. २,४.१ //
इमम् | विधन्तः | अपाम् | सध-स्थे | द्विता | अदधुः | भृगवः | विक्षु | आयोः | एषः | विश्वानि | अभि | अस्तु | भूम | देवानाम् | अग्निः | अरतिः | जीर-अश्वः // ऋ. वे. २,४.२ //
अग्निम् | देवासः | मानुषीषु | विक्षु | प्रियम् | धुः | क्षेष्यन्तः | न | मित्रम् | सः | दीदयत् | उशतीः | ऊर्म्याः | आ | दक्षाय्यः | यः | दास्वते | दमे | आ // ऋ. वे. २,४.३ //
अस्य | रण्वा | स्वस्य-इव | पुष्टिः | सम्-दृष्टिः | अस्य | हियानस्य | धक्षोः | वि | यः | भरिभ्रत् | ओषधीषु | जिह्वाम् | अत्यः | न | रथ्यः | दोधवीति | वारान् // ऋ. वे. २,४.४ //
आ | यत् | मे | अभ्वम् | वनदः | पनन्त | उशिक्-भ्यः | न | अमिमीत | वर्णम् | सः | चित्रेण | चिकिते | रम्-सु | भासा | जुजुर्वान् | यः | मुहुः | आ | युवा | भूत् // ऋ. वे. २,४.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. २:५/२५-
आ | यः | वना | ततृषाणः | न | भाति | वाः | न | पथा | रथ्याइव | स्वानीत् | कृष्ण-अध्वा | तपुः | रण्वः | चिकेत | द्यौः-इव | स्मयमानः | नभः-भिः // ऋ. वे. २,४.६ //
सः | यः | वि | अस्थात् | अभि | धक्षत् | उर्वीं | पशुः | न | एति | स्व-युः | अगोपाः | अग्निः | शोचिष्मान् | अतसान् | युष्णन् | कृष्ण-व्यथिः | अस्वदयत् | न | भूम // ऋ. वे. २,४.७ //
नु | ते | पूर्वस्य | अवसः | अधि-इतौ | तृतीये | विदथे | मन्म | शंसि | अस्मे इति | अग्ने | संयत्-वीरम् | बृहन्तम् | क्षु-मन्तम् | वाजम् | सु-अपत्यम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. २,४.८ //
त्वया | यथा | गृत्स-मदासः | अग्ने | गुहा | वन्वन्तः | उपरान् | अभि | स्युरितिस्युः | सु-वीरासः | अभिमाति-सहः | स्मत् | सूरि-भ्यः | गृणते | तत् | वयः | धाः // ऋ. वे. २,४.९ //
//२५//.

-ऋ. वे. २:५/२६-
(ऋ. वे. २,५)
होता | अजनिष्ट | चेतनः | पिता | पितृ-भ्यः | ऊतये | प्र-यक्षन् | जेन्यम् | वसु | शकेम | वाजिनः | यमम् // ऋ. वे. २,५.१ //
आ | यस्मिन् | सप्त | रश्मयः | तताः | यज्ञस्य | नेतरि | मनुष्वत् | दैव्यम् | अष्टमम् | पोता | विश्वम् | तत् | इन्वति // ऋ. वे. २,५.२ //
दधन्वे | वा | यत् | ईम् | अनु | वोचत् | ब्रह्माणि | वेः | ॐ इति | तत् | परि | विश्वानि | काव्या | नेमिः | चक्रम्-इव | अभवत् // ऋ. वे. २,५.३ //
साकम् | हि | शुचिना | शुचिः | प्र-शास्ता | क्रतुना | अजनि | विद्वान् | अस्य | व्रता | ध्रुवा | वयाः-इव | अनु | रोहते // ऋ. वे. २,५.४ //
ताः | अस्य | वर्णम् | आयुवः | नेष्टुः | सचन्त | धेनवः | कुवित् | तिसृ-भ्यः | आ | वरम् | स्वसारः | याः | इदम् | ययुः // ऋ. वे. २,५.५ //
यदि | मातुः | उप | स्वसा | घृतम् | भरन्ती | अस्थित | तासाम् | अध्वर्युः | आगतौ | यवः | वृष्टी-इव | मोदते // ऋ. वे. २,५.६ //
स्वः | स्वाय | धायसे | कृणुताम् | ऋत्विक् | ऋत्विजम् | स्तोमम् | यज्ञम् | च | आत् | अरम् | वनेम | ररिम | वयम् // ऋ. वे. २,५.७ //
यथा | विद्वान् | अरम् | करत् | विश्वेभ्यः | यजतेभ्यः | अयम् | अग्ने | त्वे इति | अपि | यम् | यज्ञम् | चकृम | वयम् // ऋ. वे. २,५.८ //
//२६//.

-ऋ. वे. २:५/२७-
(ऋ. वे. २,६)
इमाम् | मे | अग्ने | सम्-इधम् | इमाम् | उप-सदम् | वनेरितिवनेः | इमाः | ॐ इति | सु | श्रुधि | गिरः // ऋ. वे. २,६.१ //
अया | ते | अग्ने | विधेम | ऊर्जः | नपात् | अश्वम्-इष्टे | एना | सु-उक्तेन | सु-जात // ऋ. वे. २,६.२ //
तम् | त्वा | गीः-भिः | गिर्वणसम् | द्रविणस्युम् | द्रविणः-दः | सपर्येम | सपर्यवः // ऋ. वे. २,६.३ //
सः | बोधि | सूरिः | मघवा | वसु-पते | वसु-दावन् | युयोधि | अस्मत् | द्वेषांसि // ऋ. वे. २,६.४ //
सः | नः | वृष्टिम् | दिवः | परि | सः | नः | वाजम् | अनर्वाणम् | सः | नः | सहस्रिणीः | इषः // ऋ. वे. २,६.५ //
ईऌआनाय | अवस्यवे | यविष्ठ | दूत | नः | गिरा | यजिष्ठ | होतः | आ | गहि // ऋ. वे. २,६.६ //
अन्तः | हि | अग्ने | ईयसे | विद्वान् | जन्म | उभया | कवे | दूतः | जन्याइव | मित्र्यः // ऋ. वे. २,६.७ //
सः | विद्वान् | आ | च | पिप्रयः | यक्षि | चिकित्वः | आनुषक् | आ | च | अस्मिन् | सत्सि | बर्हिषि // ऋ. वे. २,६.८ //
//२७//.

-ऋ. वे. २:५/२८-
(ऋ. वे. २,७)
श्रेष्ठम् | यविष्ठ | भारत | अग्ने | द्यु-मन्तम् | आ | भर | वसो इति | पुरु-स्पृहम् | रयिम् // ऋ. वे. २,७.१ //
मा | नः | अरातिः | ईशत | देवस्य | मर्त्यस्य | च | पर्षि | तस्याः | उत | द्विषः // ऋ. वे. २,७.२ //
विश्वाः | उत | त्वया | वयम् | धाराः | उदन्याः-इव | अति | गाहेमहि | द्विषः // ऋ. वे. २,७.३ //
शुचिः | पावक | वन्द्यः | अग्ने | बृहत् | वि | रोचसे | त्वम् | घृतेभिः | आहुतः // ऋ. वे. २,७.४ //
त्वम् | नः | असि | भारत | अग्ने | वशाभिः | उक्ष-भिः | अष्टापदीभिः | आहुतः // ऋ. वे. २,७.५ //
द्रु-अन्नः | सर्पिः-आसुतिः | प्रत्नः | होता | वरेण्यः | सहसः | पुत्रः | अद्भुतः // ऋ. वे. २,७.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. २:५/२९-
(ऋ. वे. २,८)
वाजयन्-इव | नु | रथान् | योगान् | अग्नेः | उप | स्तुहि | यशः-तमस्य | मीऌहुषः // ऋ. वे. २,८.१ //
यः | सु-नीथः | ददाशुषे/ अजुर्यः | जरयन् | अरिम् | चारु-प्रतीकः | आहुतः // ऋ. वे. २,८.२ //
यः | ॐ इति | श्रिया | दमेषु | आ | दोषा | उषसि | प्र-शस्यते | यस्य | व्रतम् | न | मीयते // ऋ. वे. २,८.३ //
आ | यः | स्वः | न | भानुना | चित्रः | वि-भाति | अर्चिषा | अञ्जानः | अजरैः | अभि // ऋ. वे. २,८.४ //
अत्रिम् | अनु | स्व-राज्यम् | अग्निम् | उक्थानि | ववृधुः | विश्वाः | अधि | श्रियः | दधे // ऋ. वे. २,८.५ //
अग्नेः | इन्द्रस्य | सोमस्य | देवानाम् | ऊति-भिः | वयम् | अरिष्यन्तः | सचेमहि | अभि | स्याम | पृतन्यतः // ऋ. वे. २,८.६ //
//२९//.




-ऋ. वे. २:६/१-
(ऋ. वे. २,९)
नि | होता | होतृ-सदने | विदानः | त्वेषः | दीदि-वान् | असदत् | सु-दक्षः | अदब्ध-व्रतप्रमतिः | वसिष्ठः | सहस्रम्-भरः | शुचि-जिह्वः | अग्निः // ऋ. वे. २,९.१ //
त्वम् | दूतः | त्वम् | ॐ इति | नः | परः-पाः | त्वम् | वस्यः | आ | वृषभ | प्र-नेता | अग्ने | तोकस्य | नः | तने | तनूनाम् | अप्र-युच्छन् | दीद्यत् | बोधि | गोपाः // ऋ. वे. २,९.२ //
विधेम | ते | परमे | जन्मन् | अग्ने | विधेम | स्तोमैः | अवरे | सध-स्थे | यस्मात् | योनेः | उत्-आरिथ | यजे | तम् | प्र | त्वे इति | हवींषि | जुहुरे | सम्-इद्धे // ऋ. वे. २,९.३ //
अग्ने | यजस्व | हविषा | यजीयान् | श्रुष्टी | देष्णम् | अभि | गृणीहि | राधः | त्वम् | ह् इ | असि | रयि-पतिः | रयीणाम् | त्वम् | शुक्रस्य | वचसः | मनोता // ऋ. वे. २,९.४ //
उभयम् | ते | न | क्षीयते | वसव्यम् | दिवे--दिवे | जायमानस्य | दस्म | कृधि | क्षु-मन्तम् | जरितारम् | अग्ने | कृधि | पतिम् | सु-अपत्यस्य | रायः // ऋ. वे. २,९.५ //
सः | एना | अनीकेन | सु-विदत्रः | अस्मे इति | यष्टा | देवान् | आयजिष्ठः | स्वस्ति | अदब्धः | गोपाः | उत | नः | परः-पाः | अग्ने | द्यु-मत् | उत | रेवत् | दिदीहि // ऋ. वे. २,९.६ //
//१//.

-ऋ. वे. २:६/२-
(ऋ. वे. २,१०)
जोहूत्रः | अग्निः | प्रथमः | पिताइव | इऌअः | पदे | मनुषा | यत् | सम्-इद्धः | श्रियम् | वसानः | अमृतः | वि-चेताः | मर्मृजेन्यः | श्रवस्यः | सः | वाजी // ऋ. वे. २,१०.१ //
श्रुयाः | अग्निः | चित्र-भानुः | हवम् | मे | विश्वाभिः | गीः-भिः | अमृतः | वि-चेताः | श्यावा | रथम् | वहतः | रोहिता | वा | उत | अरुषा | अह | चक्रे | वि-भृत्रः // ऋ. वे. २,१०.२ //
उत्तानायाम् | अजनयन् | सु-सूतम् | भुवत् | अग्निः | पुरु-पेशासु | गर्भः | शिरिणायाम् | चित् | अक्तुना | महः-भिः | अपरि-वृतः | वसति | प्र-चेताः // ऋ. वे. २,१०.३ //
जिघर्मि | अग्निम् | हविषा | घृतेन | प्रति-क्षियन्तम् | भुवनानि | विश्वा | पृथुम् | त् इरश्चा | वयसा | बृहन्तम् | व्यचिष्ठम् | अन्नैः | रभसम् | दृशानम् // ऋ. वे. २,१०.४ //
आ | विश्वतः | प्रत्यञ्चम् | जिघर्मि | अरक्षसा | मनसा | तत् | जुषेत | मर्य-श्रीः | स्पृहयत्-वर्णः | अग्निः | न | अभि-मृशे | तन्वा | जर्भुराणः // ऋ. वे. २,१०.५ //
ज्ञेयाः | भागम् | सहसानः | वरेण | त्वादूतासः | मनु-वत् | वदेम | अनूनम् | अग्निम् | जुह्वा | वचस्या | मधु-पृचम् | धन-साः | जोहवीमि // ऋ. वे. २,१०.६ //
//२//.

-ऋ. वे. २:६/३-
(ऋ. वे. २,११)
श्रुधि | हवम् | इन्द्र | मा | रिषण्यः | स्याम | ते | दावने | वसूनाम् | इमाः | हि | त्वाम् | ऊर्जः | वर्धयन्ति | वसु-यवः | सिन्धवः | न | क्षरन्तः // ऋ. वे. २,११.१ //
सृजः | महीः | इन्द्र | याः | अपिन्वः | परि-स्थिताः | अहिना | शूर | पूर्वीः | अमर्त्यम् | चित् | दासम् | मन्यमानम् | अव | अभिनत् | उक्थैः | ववृधानः // ऋ. वे. २,११.२ //
उक्थेषु | इत् | नु | शूर | येषु | चाकन् | स्तोमेषु | इन्द्र | रुद्रियेषु | च | तुभ्य | इत् | एताः | यासु | मन्दसानः | प्र | वायवे | सिस्रते | न | शुभ्राः // ऋ. वे. २,११.३ //
शुभ्रम् | नु | ते | शुष्मम् | वर्धयन्तः | शुभ्रम् | वज्रम् | बाह्वोः | दधानाः | शुभ्रः | त्वम् | इन्द्र | ववृधानः | अस्मे इति | दासीः | विशः | सूर्येण | सह्याः // ऋ. वे. २,११.४ //
गुहा | हितम् | गुह्यम् | गूऌहम् | अप्सु | अपि-वृतम् | मायिनम् | क्षियन्तम् | उतो इति | अपः | द्याम् | तस्तभ्वांसम् | अहन् | अहिम् | शूर | वीर्येण // ऋ. वे. २,११.५ //
//३//.

-ऋ. वे. २:६/४-
स्तव | नु | ते | इन्द्र | पूर्व्या | महानि | उत | स्तवाम | नूतना | कृतानि | स्तव | वज्रम् | बाह्वोः | उशन्तम् | स्तव | हरी इति | सूर्यस्य | केतू इति // ऋ. वे. २,११.६ //
हरी इति | नु | ते | इन्द्र | वाजयन्ता | घृत-श्चुतम् | स्वारम् | अस्वार्ष्टाम् | वि | समना | भूमिः | अप्रथिष्ट | अरंस्त | पर्वतः | चित् | सरिष्यन् // ऋ. वे. २,११.७ //
नि | पर्वतः | सादि | अप्र-युच्छन् | सम् | मातृ-भिः | वावशानः | अक्रान् | दूरे | पारे | वाणीम् | वर्धयन्तः | इन्द्र-इषिताम् | धमनिम् | पप्रथन् | नि // ऋ. वे. २,११.८ //
इन्द्रः | महाम् | सिन्धुम् | आशयानम् | मायाविनम् | वृत्रम् | अस्फुरत् | निः | अरेजेताम् | रोदसी इति | भियाने इति | कनिक्रदतः | वृष्णः | अस्य | वज्रात् // ऋ. वे. २,११.९ //
अरोरवीत् | वृष्णः | अस्य | वज्रः | अमानुषम् | यत् | मानुषः | नि-जूर्वात् | नि | मायिनः | दानवस्य | मायाः | अपादयत् | पपि-वान् | सुतस्य // ऋ. वे. २,११.१० //
//४//.

-ऋ. वे. २:६/५-
पिब-पिब | इत् | इन्द्र | शूर | सोमम् | मन्दन्तु | त्वा | मन्दिनः | सुतासः | पृणन्तः | ते | कुक्षी इति | वर्धयन्तु | इत्था | सुतः | पौरः | इन्द्रम् | आव // ऋ. वे. २,११.११ //
त्वे इति | इन्द्र | अपि | अभूम | विप्राः | धियम् | वनेम | ऋत-या | सपन्तः | अवस्यवः | धीमहि | प्र-शस्तिम् | सद्यः | ते | रायः | दावने | स्याम // ऋ. वे. २,११.१२ //
स्याम | ते | ते | इन्द्र | ये | ते | ऊती | अवस्यवः | ऊर्जम् | वर्धयन्तः | शुष्मिन्-तमम् | यम् | चाकनाम | देव | अस्मे इति | रयिम् | रासि | वीर-वन्तम् // ऋ. वे. २,११.१३ //
रासि | क्षयम् | रासि | मित्रम् | अस्मे इति | रासि | शर्धः | इन्द्र | मारुतम् | नः | स-जोषसः | ये | च | मन्दसानाः | प्र | वायवः | पान्ति | अग्र-नीतिम् // ऋ. वे. २,११.१४ //
व्यन्तु | इत् | नु | येषु | मन्दसानः | तृपत् | सोमम् | पाहि | द्रह्यत् | इन्द्र | अस्मान् | सु | पृत्-सु | आ | तरुत्र | अवर्धयः | द्याम् | बृहत्-भिः | अर्कैः // ऋ. वे. २,११.१५ //
//५//.

-ऋ. वे. २:६/६-
बृहन्तः | इत् | नु | ये | ते | तरुत्र | उक्थेभिः | वा | सुम्नम् | आविवासान् | स्तृणानासः | बर्हिः | पस्त्य-वत् | त्वाऊताः | इत् | इन्द्र | वाजम् | अग्मन् // ऋ. वे. २,११.१६ //
उग्रेषु | इत् | नु | शूर | मन्दसानः | त्रि-कद्रुकेषु | पाहि | सोमम् | इन्द्र | प्र-दोधुवत् | श्मश्रुषु | प्रीणानः | याहि | हरि-भ्याम् | सुतस्य | पीतिम् // ऋ. वे. २,११.१७ //
धिष्व | शवः | शूर | येन | वृत्रम् | अव-अभिनत् | दानुम् | और्ण-वाभम् | अप | अवृणोः | ज्योतिः | आर्याय | नि | सव्यतः | सादि | दस्युः | इन्द्र // ऋ. वे. २,११.१८ //
सनेम | ये | ते | ऊति-भिः | तरन्तः | विश्वाः | स्पृधः | आर्येण | दस्यून् | अस्मभ्यम् | तत् | त्वाष्ट्रम् | विश्व-रूपम् | अरन्धयः | साख्यस्य | त्रिताय // ऋ. वे. २,११.१९ //
अस्य | सुवानस्य | मन्दिनः | त्रितस्य | नि | अर्बुदम् | ववृधानः | अस्तरि त्यस्तः | अवर्तयत् | सूर्यः | न | चक्रम् | भिनत् | वलम् | इन्द्रः | अङ्गिरस्वान् // ऋ. वे. २,११.२० //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,११.२१ //
//६//.

-ऋ. वे. २:६/७-
(ऋ. वे. २,१२)
यः | जातः | एव | प्रथमः | मनस्वान् | देवः | देवान् | क्रतुना | परि-अभूषत् | यस्य | शुष्मात् | रोदसी इति | अभ्यसेताम् | नृम्णस्य | मह्ना | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.१ //
यः | पृथिवीम् | व्यथमानाम् | अदृंहत् | यः | पर्वतान् | प्र-कुपितान् | अरम्णात् | यः | अन्तरिक्षम् | वि-ममे | वरीयः | यः | द्याम् | अस्तभ्नात् | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.२ //
यः | हत्वा | अहिम् | अरिणात् | सप्त | सिन्धून् | यः | गाः | उत्-आजत् | अप-धा | वलस्य | यः | अश्मनोः | अन्तः | अग्निम् | जजान | सम्-वृक् | समत्-सु | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.३ //
येन | इमा | विश्वा | च्यवना | कृतानि | यः | दासम् | वर्णम् | अधरम् | गुहा | अकर् इत्यकः | श्वघ्नी-इव | यः | जिगीवान् | लक्षम् | आदत् | अर्यः | पुष्टानि | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.४ //
यम् | स्म | पृच्छन्ति | कुह | सः | इति | घोरम् | उत | ईम् | आहुः | न | एषः | अस्ति | इति | एनम् | सः | अर्यः | पुष्टीः | विजः-इव | आ | मिनाति | श्रत् | अस्मै | धत्त | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.५ //
//७//.

-ऋ. वे. २:६/८-
यः | रध्रस्य | चोदिता | यः | कृशस्य | यः | ब्रह्मणः | नाधमानस्य | कीरेः | युक्त-ग्राव्णः | यः | अविता | सु-शिप्रः | सुत-सोमस्य | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.६ //
यस्य | अश्वासः | प्र-दिशि | यस्य | गावः | यस्य | ग्रामाः | यस्य | विश्वे | रथासः | यः | सूर्यम् | यः | उषसम् | जजान | यः | अपाम् | नेता | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.७ //
यम् | क्रन्दसी इति | संयती इतिसम्-यती | विह्वयेतेइतिवि-ह्वयेते | परे | अवरे | उभयाः | अमित्राः | समानम् | चित् | रथम् | आतस्थि-वांसा | नाना | हवेतेइति | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.८ //
यस्मात् | न | ऋते | वि-जयन्ते | जनासः | यम् | युध्यमानाः | अवसे | हवन्ते | यः | विश्वस्य | प्रति-मानम् | बभूव | यः | अच्युत-च्युत् | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.९ //
यः | शश्वतः | महि | एनः | दधानान् | अमन्यमानान् | शर्वा | जघान | यः | शर्धते | न | अनु-ददाति | शृध्याम् | यः | दस्योः | हन्ता | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.१० //
//८//.

-ऋ. वे. २:६/९-
यः | शम्बरम् | पर्वतेषु | क्षियन्तम् | चत्वारिंश्याम् | शरदि | अनु-अविन्दत् | ओजायमानम् | यः | अहिम् | जघान | दानुम् | शयानम् | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.११ //
यः | सप्त-रश्मिः | वृषभः | तुविष्मान् | अव-असृजत् | सर्तवे | सप्त | स् इन्धून् | यः | रौहिणम् | अस्फुरत् | वज्र-बाहुः | द्याम् | आरोहन्तम् | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.१२ //
द्यावा | चित् | अस्मै | पृथिवी इति | नमेतेइति | शुष्मात् | चित् | अस्य | पर्वताः | भयन्ते | यः | सोम-पाः | नि-चितः | वज्र-बाहुः | यः | वज्र-हस्तः | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.१३ //
यः | सुन्वन्तम् | अवति | यः | पचन्तम् | यः | शंसन्तम् | यः | शशमानम् | ऊती | यस्य | ब्रह्म | वर्धनम् | यस्य | सोमः | यस्य | इदम् | राधः | सः | जनासः | इन्द्रः // ऋ. वे. २,१२.१४ //
यः | सुन्वते | पचते | दुध्रः | आ | चित् | वाजम् | दर्दर्षि | सः | किल | असि | सत्यः | वयम् | ते | इन्द्र | विश्वह | प्रियासः | सु-वीरासः | विदथम् | आ | वदेम // ऋ. वे. २,१२.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. २:६/१०-
(ऋ. वे. २,१३)
ऋतुः | जनित्री | तस्याः | अपः | परि | मक्षु | जातः | आ | अविशत् | यासु | वर्धते | तत् | आहनाः | अभवत् | पिप्युषी | पयः | अंशोः | पीयूषम् | प्रथमम् | तत् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. २,१३.१ //
सध्री | ईम् | आ | यन्ति | परि | बिभ्रतीः | पयः | विश्व-प्स्न्याय | प्र | भरन्त | भोजनम् | समानः | अध्वा | प्र-वताम् | अनु-स्यदे | यः | ता | अकृणोः | प्रथमम् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.२ //
अनु | एकः | वदति | यत् | ददाति | तत् | रूपा | मिनन् | तत्-अपाः | एकः | ईयते | विश्वाः | एकस्य | वि-नुदः | तितिक्षते | यः | ता | अकृणोः | प्रथमम् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.३ //
प्र-जाभ्यः | पुष्टिम् | वि-भजन्तः | आसते | रयिम्-इव | पृष्ठम् | प्र-भवन्तम् | आयते | असिन्वन् | दंष्ट्रैः | पितुः | अत्ति | भोजनम् | यः | ता | अकृणोः | प्रथमम् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.४ //
अध | अकृणोः | पृथिवीम् | सम्-दृशे | दिवे | यः | धौतीनाम् | अहि-हन् | अरिणक् | पथः | तम् | त्वा | स्तोमेभिः | उद-भिः | न | वाजिनम् | देवम् | देवाः | अजनन् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. २:६/११-
यः | भोजनम् | च | दयसे | च | वर्धनम् | आर्द्रात् | आ | शुष्कम् | मधु-मत् | दुदोहिथ | सः | शेवधिम् | नि | दधिषे | विवस्वति | विश्वस्य | एकः | ईशिषे | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.६ //
यः | पुष्पिणीः | च | प्र-स्वः | च | धर्मणा | अधि | दाने | वि | अवनीः | अधारयः | यः | च | असमाः | अजनः | दिद्युतः | दिवः | उरुः | ऊर्वान् | अभितः | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.७ //
यः | नार्मरम् | सह-वसुम् | नि-हन्तवे | पृक्षाय | च | दास-वेशाय | च | अवहः | ऊर्जयन्त्याः | अपरि-विष्टम् | आस्यम् | उत | एव | अद्य | पुरु-कृत् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.८ //
शतम् | वा | यस्य | दश | साकम् | आ | अद्यः | एकस्य | श्रुष्टौ | यत् | ह | चोदम् | आव् इथ | अरज्जौ | दस्यून् | सम् | उनप् | दभीतये | सुप्र-अव्यः | अभवः | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.९ //
विश्वा | इत् | अनु | रोधनाः | अस्य | पैंस्यम् | ददुः | अस्मै | दधिरे | कृत्नवे | धनम् | षट् | अस्तभ्नाः | वि-स्तिरः | पञ्च | सम्-दृशः | परि | परः | अभवः | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.१० //
//११//.

-ऋ. वे. २:६/१२-
सु-प्रवाचनम् | तव | वीर | वीर्यम् | यत् | एकेन | क्रतुना | विन्दसे | वसु | जातू-स्थिरस्य | प्र | वयः | सहस्वतः | या | चकर्थ | सः | इन्द्र | विश्वा | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.११ //
अरमयः | सर-अपसः | तराय | कम् | तुर्वीतये | च | वय्याय | च | स्रुतिम् | नीचा | सन्तम् | उत् | अनयः | परावृजम् | प्र | अन्धम् | श्रोणम् | श्रवयन् | सः | असि | उक्थ्यः // ऋ. वे. २,१३.१२ //
अस्मभ्यम् | तत् | वसो इति | दानाय | राधः | सम् | अर्थयस्व | बहु | ते | वसव्यम् | इन्द्र | यत् | चित्रम् | श्रवस्याः | अनु | द्यून् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१३.१३ //
//१२//.

-ऋ. वे. २:६/१३-
(ऋ. वे. २,१४)
अध्वर्यवः | भरत | इन्द्राय | सोमम् | आ | अमत्रेभिः | सिञ्चत | मद्यम् | अन्धः | कामी | हि | वीरः | सदम् | अस्य | पीतिम् | जुहोत | वृष्णे | तत् | इत् | एषः | वष्ट् इ // ऋ. वे. २,१४.१ //
अध्वर्यवः | यः | अपः | वव्रिवांसम् | वृत्रम् | जघान | अशन्याइव | वृक्षम् | तस्मै | एतम् | भरत | तत्-वशाय | एषः | इन्द्रः | अर्हति | पीतिम् | अस्य // ऋ. वे. २,१४.२ //
अध्वर्यवः | यः | दृभीकम् | जघान | यः | गाः | उत्-आजत् | अप | हि | वलम् | वरितिवः | तस्मै | एतम् | अन्तरिक्षे | न | वातम् | इन्द्रम् | सोमैः | आ | ऊर्णुत | जूः | न | वस्त्रैः // ऋ. वे. २,१४.३ //
अध्वर्यवः | यः | उरणम् | जघान | नव | चख्वांसम् | नवतिम् | च | बाहून् | यः | अर्बुदम् | अव | नीचा | बबाधे | तम् | इन्द्रम् | सोमस्य | भृथे | हिनोत // ऋ. वे. २,१४.४ //
अध्वर्यवः | यः | सु | अश्नम् | जघान | यः | शुष्णम् | अशुषम् | यः | वि-अंसम् | यः | पिप्रुम् | नमुचिम् | यः | रुधि-क्राम् | तस्मै | इन्द्राय | अन्धसः | जुहोत // ऋ. वे. २,१४.५ //
अध्वर्यवः | यः | शतम् | शम्बरस्य | पुरः | बिभेद | अश्मनाइव | पूर्वीः | यः | वर्चिनः | शतम् | इन्द्रः | सहस्रम् | अप-अवपत् | भरत | सोमम् | अस्मै // ऋ. वे. २,१४.६ //
//१३//.

-ऋ. वे. २:६/१४-
अध्वर्यवः | यः | शतम् | आ | सहस्रम् | भूम्याः | उप-स्थे | अवपत् | जघन्वान् | कुत्सस्य | आयोः | अतिथि-ग्वस्य | वीरान् | नि | अवृणक् | भरत | सोमम् | अस्मै // ऋ. वे. २,१४.७ //
अध्वर्यवः | यत् | नरः | कामयाध्वे | श्रुष्टी | वहन्तः | नशथ | तत् | इन्द्रे | गभस्ति-पूतम् | भरत | श्रुताय | इन्द्राय | सोमम् | यज्यवः | जुहोत // ऋ. वे. २,१४.८ //
अध्वर्यवः | कर्तन | श्रुष्टिम् | अस्मै | वने | नि-पूतम् | वने | उत् | नयध्वम् | जुषाणः | हस्त्यम् | अभि | वावशे | वः | इन्द्राय | सोमम् | मदिरम् | जुहोत // ऋ. वे. २,१४.९ //
अध्वर्यवः | पयसा | ऊधः | यथा | गोः | सोमेभिः | ईम् | पृणत | भोजम् | इन्द्रम् | वेद | अहम् | अस्य | नि-भृतम् | मे | एतत् | दित्सन्तम् | भूयः | यजतः | चिकेत // ऋ. वे. २,१४.१० //
अध्वर्यवः | यः | दिव्यस्य | वस्वः | यः | पार्थिवस्य | क्षम्यस्य | राजा | तम् | ऊर्दरम् | न | पृणत | यवेन | इन्द्रम् | सोमेभिः | तत् | अपः | वः | अस्तु // ऋ. वे. २,१४.११ //
अस्मभ्यम् | तत् | वसो इति | दानाय | राधः | सम् | अर्थयस्व | बहु | ते | वसव्यम् | इन्द्र | यत् | चित्रम् | श्रवस्याः | अनु | द्यून् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१४.१२ //
//१४//.

-ऋ. वे. २:६/१५-
(ऋ. वे. २,१५)
प्र | घ | नु | अस्य | महतः | महानि | सत्या | सत्यस्य | करणानि | वोचम् | त्र् इ-कद्रुकेषु | अपिबत् | सुतस्य | अस्य | मदे | अहिम् | इन्द्रः | जघान // ऋ. वे. २,१५.१ //
अवंशे | द्याम् | अस्तभायत् | बृहन्तम् | आ | रोदसी इति | अपृणत् | अन्तरिक्षम् | सः | धारयत् | पृथिवीम् | पप्रथत् | च | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.२ //
सद्म-इव | प्राचः | वि | मिमाय | मानैः | वज्रेण | खानि | अतृणत् | नदीनाम् | वृथा | असृजत् | पथि-भिः | दीर्घ-याथैः | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.३ //
सः | प्र-वोऌहृन् | परि-गत्य | दभीतेः | विश्वम् | अधाक् | आयुधम् | इद्धे | अग्नौ | सम् | गोभिः | अश्वैः | असृजत् | रथेभिः | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.४ //
सः | ईम् | महीम् | धुनिम् | एतोः | अरम्णात् | सः | अस्नातॄन् | अपारयत् | स्वस्ति | ते | उत्-स्नाय | रयिम् | अभि | प्र | तस्थुः | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. २:६/१६-
सः | उदञ्चम् | सिन्धुम् | अरिणात् | महित्वा | वज्रेण | अनः | उषसः | सम् | पिपेष | अजवसः | जविनीभिः | वि-वृश्चन् | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.६ //
सः | विद्वान् | अप-गोहम् | कनीनाम् | आविः | भवन् | उत् | अतिष्ठत् | परावृक् | प्रति | श्रोणः | स्थात् | वि | अनक् | अचष्ट | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.७ //
भिनत् | वलम् | अङ्गिरः-भिः | गृणानः | वि | पर्वतस्य | दृंहितानि | ऐरत् | रिणक् | रोधांसि | कृत्रिमाणि | एषाम् | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.८ //
स्वप्नेन | अभि-उप्य | चुमुरिम् | धुनिम् | च | जघन्थ | दस्युम् | प्र | दभीतिम् | आवः | रम्भी | चित् | अत्र | विविदे | हिरण्यम् | सोमस्य | ता | मदे | इन्द्रः | चकार // ऋ. वे. २,१५.९ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१५.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. २:६/१७-
(ऋ. वे. २,१६)
प्र | वः | सताम् | ज्येष्ठतमाय | सु-स्तुतिम् | अग्नौ-इव | सम्-इधाने | हविः | भरे | इन्द्रम् | अजुर्यम् | जरयन्तम् | उक्षितम् | सनात् | युवानम् | अवसे | हवामहे // ऋ. वे. २,१६.१ //
यस्मात् | इन्द्रात् | बृहतः | किम् | चन | ईम् | ऋते | विश्वानि | अस्मिन् | सम्-भृता | अधि | वीर्या | जठरे | सोमम् | तन्वि | सहः | महः | हस्ते | वज्रम् | भरति | शीर्षणि | क्रतुम् // ऋ. वे. २,१६.२ //
न | क्षोणीभ्याम् | परि-भ्वे | ते | इन्द्रियम् | न | समुद्रैः | पर्वतैः | इन्द्र | ते | रथः | न | ते | वज्रम् | अनु | अश्नोति | कः | चन | यत् | आशु-भिः | पतसि | योजना | पुरु // ऋ. वे. २,१६.३ //
विश्वे | हि | अस्मै | यजताय | धृष्णवे | क्रतुम् | भरन्ति | वृषभाय | सश्चते | वृषा | यजस्व | हविषा | विदुः-तरः | पिब | इन्द्र | सोमम् | वृषभेण | भानुना // ऋ. वे. २,१६.४ //
वृष्णः | कोशः | पवते | मध्वः | ऊर्मिः | वृषभ-अन्नाय | वृषभाय | पातवे | वृषणा | अध्वर्यू इति | वृषभासः | अद्रयः | वृषणम् | सोमम् | वृषभाय | सुस्वति // ऋ. वे. २,१६.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. २:६/१८-
वृषा | ते | वज्रः | उत | ते | वृषा | रथः | वृषणा | हरी इति | वृषभाणि | आयुधा | वृष्णः | मदस्य | वृषभ | त्वम् | ईशिषे | इन्द्र | सोमस्य | वृषभस्य | तृप्णुहि // ऋ. वे. २,१६.६ //
प्र | ते | नावम् | न | समने | वचस्युवम् | ब्रह्मणा | यामि | सवनेषु | दधृषिः | कुवित् | नः | अस्य | वचसः | नि-बोधिषत् | इन्द्रम् | उत्सम् | न | वसुनः | सिचामहे // ऋ. वे. २,१६.७ //
पुरा | सम्-बाधात् | अभि | आ | ववृत्स्व | नः | धेनुः | न | वत्सम् | यवसस्य | पिप्युषी | सकृत् | सु | ते | सुमति-भिः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | सम् | पत्नीभिः | न | वृषणः | नसीमहि // ऋ. वे. २,१६.८ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१६.९ //
//१८//.

-ऋ. वे. २:६/१९-
(ऋ. वे. २,१७)
तत् | अस्मै | नव्यम् | अङ्गिरस्वत् | अर्चत | शुष्माः | यत् | अस्य | प्रत्न-था | उत्-ईरते | विश्वा | यत् | गोत्रा | सहसा | परि-वृता | मदे | सोमस्य | दृंहितानि | ऐरयत् // ऋ. वे. २,१७.१ //
सः | भूतु | यः | ह | प्रथमाय | धायसे | ओजः | मिमानः | महिमानम् | आ | अत् इरत् | शूरः | यः | युत्-सु | तन्वम् | परि-व्यत | शीर्षणि | द्याम् | महिना | प्रति | अमुञ्चत // ऋ. वे. २,१७.२ //
अध | अकृणोः | प्रथमम् | वीर्यम् | महत् | यत् | अस्य | अग्रे | ब्रह्मणा | शुष्मम् | ऐरयः | रथे--स्थेन | हरि-अश्वेन | वि-च्युताः | प्र | जीरयः | सिस्रते | सध्र्यक् | पृथक् // ऋ. वे. २,१७.३ //
अध | यः | विश्वा | भुवना | अभि | मज्मना | ईशान-कृत् | प्र-वयाः | अभि | अवर्धत | आत् | रोदसी इति | ज्योतिषा | वह्निः | आ | अतनोत् | सीव्यन् | तमांसि | दुधिता | सम् | अव्ययत् // ऋ. वे. २,१७.४ //
सः | प्राचीनान् | पर्वतान् | दृंहत् | ओजसा | अधराचीनम् | अकृणोत् | अपाम् | अपः | अधारयत् | पृथिवीम् | विश्व-धायसम् | अस्तभ्नात् | मायया | द्याम् | अव-स्रसः // ऋ. वे. २,१७.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. २:६/२०-
सः | अस्मै | अरम् | बाहु-भ्याम् | यम् | पिता | अकृणोत् | विश्वस्मात् | आ | जनुषः | वेदसः | परि | येन | पृथिव्याम् | नि | क्रिविम् | शयध्यै | वज्रेण | हत्वी | अवृणक् | तुवि-स्वनिः // ऋ. वे. २,१७.६ //
अमाजूः-इव | पित्रोः | सचा | सती | समानात् | आ | सदसः | त्वाम् | इये | भगम् | कृध् इ | प्र-केतम् | उप | मासि | आ | भर | दद्धि | भागम् | तन्वः | येन | ममहः // ऋ. वे. २,१७.७ //
भोजम् | त्वाम् | इन्द्र | वयम् | हुवेम | ददिः | त्वम् | इन्द्र | अपांसि | वाजान् | अवि ड्ढि | इन्द्र | चित्रया | नः | ऊती | कृधि | वृषन् | इन्द्र | वस्यसः | नः // ऋ. वे. २,१७.८ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१७.९ //
//२०//.

-ऋ. वे. २:६/२१-
(ऋ. वे. २,१८)
प्रातरिति | रथः | नवः | योजि | सस्निः | चतुः-युगः | त्रि-कशः | सप्त-रश्मिः | दश-अरित्रः | मनुष्यः | स्वः-साः | सः | इष्टि-भिः | मति-भिः | रंह्यः | भूत् // ऋ. वे. २,१८.१ //
सः | अस्मै | अरम् | प्रथमम् | सः | द्वितीयम् | उतो इति | तृतीयम् | मनुषः | सः | होता | अन्यस्याः | गर्भम् | अन्ये | ॐ इति | जनन्त | सः | अन्येभिः | सचते | जेन्यः | वृषा // ऋ. वे. २,१८.२ //
हरी इति | नु | कम् | रथे | इन्द्रस्य | योजम् | आयै | सूक्तेन | वचसा | नवेन | मो इति | सु | त्वाम् | अत्र | बहवः | हि | विप्राः | नि | रीरमन् | यजमानासः | अन्ये // ऋ. वे. २,१८.३ //
आ | द्वाभ्याम् | हरि-भ्याम् | इन्द्र | याहि | आ | चतुः-भिः | आ | षट्-भिः | हूयमानः | आ | अष्टाभिः | दश-भिः | सोम-पेयम् | अयम् | सुतः | सु-मख | मा | मृधः | करितिकः // ऋ. वे. २,१८.४ //
आ | विंशत्या | त्रिंशता | याहि | अर्वाङ् | आ | चत्वारिंशता | हरि-भिः | युजानः | आ | पञ्चाशता | सु-रथेभिः | इन्द्र | आ | षष्ट्या | सप्तत्या | सोम-पेयम् // ऋ. वे. २,१८.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. २:६/२२-
आ | अशीत्या | नवत्या | याहि | अर्वाङ् | आ | शतेन | हरि-भिः | उह्यमानः | अयम् | ह् इ | ते | शुन-होत्रेषु | सोमः | इन्द्र | त्वाया | परि-सिक्तः | मदाय // ऋ. वे. २,१८.६ //
मम | ब्रह्म | इन्द्र | याहि | अच्छ | विश्वा | हरी इति | धुरि | धिष्व | रथस्य | पुरु-त्रा | हि | वि-हव्यः | बभूथ | अस्मिन् | शूर | सवने | मादयस्व // ऋ. वे. २,१८.७ //
न | मे | इन्द्रेण | सख्यम् | वि | योषत् | अस्मभ्यम् | अस्य | दक्षिणा | दुहीत | उप | ज्येष्ठे | वरूथे | गभस्तौ | प्राये--प्राये | जिगीवांसः | स्याम // ऋ. वे. २,१८.८ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१८.९ //
//२२//.

-ऋ. वे. २:६/२३-
(ऋ. वे. २,१९)
अपायि | अस्य | अन्धसः | मदाय | मनीषिणः | सुवानस्य | प्रयसः | यस्म् इन् | इन्द्रः | प्र-दिवि | ववृधानः | ओकः | दधे | ब्रह्मण्यन्तः | च | नरः // ऋ. वे. २,१९.१ //
अस्य | मन्दानः | मध्वः | वज्र-हस्तः | अहिम् | इन्द्रः | अर्णः-वृतम् | वि | वृश्चत् | प्र | यत् | वयः | न | स्वसराणि | अच्छ | प्रयांसि | च | नदीनाम् | चक्रमन्त // ऋ. वे. २,१९.२ //
सः | माहिनः | इन्द्रः | अर्णः | अपाम् | प्र | ऐरयत् | अहि-हा | अच्छ | समुद्रम् | अजनयत् | सूर्यम् | विदत् | गाः | अक्तुना | अह्नाम् | वयुनानि | साधत् // ऋ. वे. २,१९.३ //
सः | अप्रतीनि | मनवे | पुरूणि | इन्द्रः | दाशत् | दाशुषे | हन्ति | वृत्रम् | सद्यः | यः | नृ-भ्यः | अतसाय्यः | भूत् | पस्पृधानेभ्यः | सूर्यस्य | सातौ // ऋ. वे. २,१९.४ //
सः | सुन्वते | इन्द्रः | सूर्यम् | आ | देवः | रिणक् | मर्त्याय | स्तवान् | आ | यत् | रयिम् | घत्-अवद्यम् | अस्मै | भरत् | अंशम् | न | एतशः | दशस्यन् // ऋ. वे. २,१९.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. २:६/२४-
सः | रन्धयत् | स-दिवः | सारथये | शुष्णम् | अशुषम् | कुयवम् | कुत्साय | द् इवः-दासाय | नवतिम् | च | नव | इन्द्रः | पुरः | वि | ऐरत् | शम्बरस्य // ऋ. वे. २,१९.६ //
एव | ते | इन्द्र | उचथम् | अहेम | श्रवस्या | न | त्मना | वाजयन्तः | अश्याम | तत् | साप्तम् | आशुषाणाः | ननमः | वधः | अदेवस्य | पीयोः // ऋ. वे. २,१९.७ //
एव | ते | गृत्स-मदाः | शूर | मन्म | अवस्यवः | न | वयुनानि | तक्षुः | ब्रह्मण्यन्तः | इन्द्र | ते | नवीयः | इषम् | ऊर्जम् | सु-क्षितिम् | सुम्नम् | अश्युः // ऋ. वे. २,१९.८ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,१९.९ //
//२४//.

-ऋ. वे. २:६/२५-
(ऋ. वे. २,२०)
वयम् | ते | वयः | इन्द्र | विद्धि | सु | णः | प्र | भरामहे | वाज-युः | न | रथम् | विपन्यवः | दीध्यतः | मनीषा | सुम्नम् | इयक्षन्तः | त्वावतः | नॄन् // ऋ. वे. २,२०.१ //
त्वम् | नः | इन्द्र | त्वाभिः | ऊती | त्वायतः | अभिष्टि-पा | असि | जनान् | त्वम् | इनः | दाशुषः | वरूता | इत्थाधीः | अभि | यः | नक्षति | त्वा // ऋ. वे. २,२०.२ //
सः | नः | युवा | इन्द्रः | जोहूत्रः | सखा | शिवः | नराम् | अस्तु | पाता | यः | शंसन्तम् | यः | शशमानम् | ऊती | पचन्तम् | च | स्तुवन्तम् | च | प्र-नेषत् // ऋ. वे. २,२०.३ //
तम् | ॐ इति | स्तुषे | इन्द्रम् | तम् | गृणीषे | यस्मिन् | पुरा | ववृधुः | शाशदुः | च | सः | वस्वः | कामम् | पीपरत् | इयानः | ब्रह्मण्यतः | नूतनस्य | आयोः // ऋ. वे. २,२०.४ //
सः | अङ्गिरसाम् | उचथा | जुजुष्वान् | ब्रह्मा | तूतोत् | इन्द्रः | गातुम् | इष्णन् | मुष्णन् | उषसः | सूर्येण | स्तवान् | अश्नस्य | चित् | शिश्नथत् | पूर्व्याणि // ऋ. वे. २,२०.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. २:६/२६-
सः | ह | शृउतः | इन्द्रः | नाम | देवः | ऊर्ध्वः | भुवन् | मनुषे | दस्म-तमः | अव | प्रियम् | अर्शसानस्य | शाह्वान् | शिरः | भरत् | दासस्य | स्वधावान् // ऋ. वे. २,२०.६ //
सः | वृत्र-हा | इन्द्रः | कृष्ण-योनीः | पुरम्-दरः | दासीः | ऐरयत् | वि | अजनयन् | मनवे | क्षाम-पः | च | सत्रा | शंसम् | यजमानस्य | तूतोत् // ऋ. वे. २,२०.७ //
तस्मै | तवस्यम् | अनु | दायि | सत्रा | इन्द्राय | देवेभिः | अर्ण-सातौ | प्रति | यत् | अस्य | वज्रम् | बाह्वोः | धुः | हत्वी | दस्यून् | पुरः | आयसीः | नि | तारीत् // ऋ. वे. २,२०.८ //
नूनम् | सा | ते | प्रति | वरम् | जरित्रे | दुहीयत् | इन्द्र | दक्षिणा | मघोनी | शिक्ष | स्तोतृ-भ्यः | मा | अति | धक् | भगः | नः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२०.९ //
//२६//.

-ऋ. वे. २:६/२७-
(ऋ. वे. २,२१)
विश्व-जिते | धन-जिते | स्वः-जिते | सत्राजिते | नृ-जिते | उर्वराजिते | अश्व-ज् इते | गो--जिते | अप्-जिते | भर | इन्द्राय | सोमम् | यजताय | हर्यतम् // ऋ. वे. २,२१.१ //
अभि-भुवे | अभि-भङ्गाय | वन्वते | अषाऌहाय | सहमानाय | वेधसे | तुवि-ग्रये | वह्नये | दुस्तरीतवे | सत्रासहे | नमः | इन्द्राय | वोचत // ऋ. वे. २,२१.२ //
सत्रासहः | जन-भक्षः | जनम्-सहः | च्यवनः | युध्मः | अनु | जोषम् | क्षितः | वृतम्-चयः | सहुरिः | विक्षु | आरितः | इन्द्रस्य | वोचम् | प्र | कृतानि | वीर्या // ऋ. वे. २,२१.३ //
अननु-दः | वृषभः | दोधतः | वधः | गम्भीरः | ऋष्वः | असमष्ट-काव्यः | रध्र-चोदः | श्नथनः | वीऌइतः | पृथुः | इन्द्रः | सु-यज्ञः | उषसः | स्वः | जनत् // ऋ. वे. २,२१.४ //
यज्ञेन | गातुम् | अप्तुरः | विविद्रिरे | धियः | हिन्वानाः | उशिजः | मनीषिणः | अभि-स्वरा | नि-सदा | गाः | अवस्यवः | इन्द्रे | हिन्वानाः | द्रविणानि | आशत // ऋ. वे. २,२१.५ //
इन्द्र | श्रेष्ठानि | द्रविणानि | धेहि | चित्तिम् | दक्षस्य | सु-भगत्वम् | अस्मे इति | पोषम् | रयीणाम् | अरिष्टिम् | तनूनाम् | स्वाद्मानम् | वाचः | सुदिन-त्वम् | अह्नाम् // ऋ. वे. २,२१.६ //
//२७//.

-ऋ. वे. २:६/२८-
(ऋ. वे. २,२२)
त्रि-कद्रुकेषु | महिषः | यव-आशिरम् | तुवि-शुष्मः | तृपत् | सोमम् | अपिबत् | विष्णुना | सुतम् | यथा | अवशत् | सः | ईम् | ममाद | महि | कर्म | कर्तवे | महाम् | उरुम् | सः | एनम् | सश्चत् | देवः | देवम् | सत्यम् | इन्द्रम् | सत्यः | इन्दुः // ऋ. वे. २,२२.१ //
अध | त्विषि-मान् | अभि | ओजसा | क्रिविम् | युधा | अभवत् | आ | रोदसी इति | अपृणत् | अस्य | मज्मना | प्र | ववृधे | अधत्त | अन्यम् | जठरे | प्र | ईम् | अरिच्यत | सः | एनम् | सश्चत् | देवः | देवम् | सत्यम् | इन्द्रम् | सत्यः | इन्दुः // ऋ. वे. २,२२.२ //
साकम् | जातः | क्रतुना | साकम् | ओजसा | ववक्षिथ | साकम् | वृद्धः | वीर्यैः | ससहिः | मृधः | विचर्षणिः | दाता | राधः | स्तुवते | काम्यम् | वसु | सः | एनम् | सश्चत् | देवः | देवम् | सत्यम् | इन्द्रम् | सत्यः | इन्दुः // ऋ. वे. २,२२.३ //
तव | त्यत् | नर्यम् | नृतः | अप | इन्द्र | प्रथमम् | पूर्व्यम् | दिवि | प्र-वाच्यम् | कृतम् | यत् | देवस्य | शवसा | प्र | अरिणा | असुम् | रिणन् | अपः | भुवत् | विश्वम् | अभि | अदेवम् | ओजसा | विदात् | ऊर्जम् | शत-क्रतुः | विदात् | इषम् // ऋ. वे. २,२२.४ //
//२८//.

-ऋ. वे. २:६/२९-
(ऋ. वे. २,२३)
गणानाम् | त्वा | गण-पतिम् | हवामहे | कविम् | कवीनाम् | उपमश्रवः-तमम् | ज्येष्ठ-राजम् | ब्रह्मणाम् | ब्रह्मणः | पते | आ | नः | शृण्वन् | ऊति-भिः | सीद | सादनम् // ऋ. वे. २,२३.१ //
देवाः | चित् | ते | असुर्य | प्र-चेतसः | बृहस्पते | यज्ञियम् | भागम् | आनशुः | उस्राः-इव | सूर्यः | ज्योतिषा | महः | विश्वेषाम् | इत् | जनिता | ब्रह्मणाम् | असि // ऋ. वे. २,२३.२ //
आ | वि-बाध्य | परि-रपः | तमांसि | च | ज्योतिष्मन्तम् | रथम् | ऋतस्य | तिष्ठसि | बृहस्पते | भीमम् | अमित्र-दम्भनम् | रक्षः-हनम् | गोत्र-भिदम् | स्वः-विदम् // ऋ. वे. २,२३.३ //
सुनीति-भिः | नयसि | त्रायसे | जनम् | यः | तुभ्यम् | दाशात् | न | तम् | अंहः | अश्नवत् | ब्रह्म-द्विषः | तपनः | मन्यु-मीः | असि | बृहस्पते | महि | तत् | ते | महि-त्वनम् // ऋ. वे. २,२३.४ //
न | तम् | अंहः | न | दुः-इतम् | कुतः | चन | न | अरातयः | तितिरुः | न | द्वयाविनः | विश्वाः | इत् | अस्मात् | ध्वरसः | वि | बाधसे | यम् | सु-गोपाः | रक्षसि | ब्रह्मणः | पते // ऋ. वे. २,२३.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. २:६/३०-
त्वम् | नः | गो--पाः | पथि-कृत् | वि-चक्षणः | तव | व्रताय | मति-भिः | जरामहे | बृहस्पते | यः | नः | अभि | ह्वरः | दधे | स्वा | तम् | मर्मर्तु | दुच्छुना | हरस्वती // ऋ. वे. २,२३.६ //
उत | वा | यः | नः | मर्चयात् | अनागसः | अराती-वा | मर्तः | सानुकः | वृकः | बृहस्पते | अप | तम् | वर्तय | पथः | सु-गम् | नः | अस्यै | देव-वीतये | कृधि // ऋ. वे. २,२३.७ //
त्रातारम् | त्वा | तनूनाम् | हवामहे | अव-स्पर्तः | अधि-वक्तारम् | अस्मयुम् | बृहस्पते | देव-निदः | नि | बर्हय | मा | दुः-एवाः | उत्-तरम् | सुम्नम् | उत् | नशन् // ऋ. वे. २,२३.८ //
त्वया | वयम् | सु-वृधा | ब्रह्मणः | पते | स्पार्हा | वसु | मनुष्या | आ | ददीमहि | याः | नः | दूरे | तऌइतः | याः | अरातयः | अभि | सन्ति | जम्भय | ताः | अनप्नसः // ऋ. वे. २,२३.९ //
त्वया | वयम् | उत्-तमम् | धीमहे | वयः | बृहस्पते | पप्रिणा | सस्निना | युजा | मा | नः | दुः-शंसः | अभि-दिप्सुः | ईशत | प्र | सु-शंसाः | मति-भिः | तारिषीमहि // ऋ. वे. २,२३.१० //
//३०//.

-ऋ. वे. २:६/३१-
अननु-दः | वृषभः | जग्मिः | आहवम् | निः-तप्ता | शत्रुम् | पृतनासु | ससहिः | असि | सत्यः | ऋण-याः | ब्रह्मणः | पते | उग्रस्य | चित् | दमिता | वीऌउ-हर्षिणः // ऋ. वे. २,२३.११ //
अदेवेव | मनसा | यः | रिषण्यति | शासाम् | उग्रः | मयमानः | जिघांसति | बृहस्पते | मा | प्रणक् | तस्य | नः | वधः | नि | कर्म | मन्युम् | दुः-एवस्य | शर्धतः // ऋ. वे. २,२३.१२ //
भरेषु | हव्य | नमसा | उप-सद्यः | गन्ता | वाजेषु | सनिता | धनम्-धनम् | विश्वाः | इत् | अर्यः | अभि-दिप्स्वः | मृधः | बृहस्पतिः | वि | ववर्ह | रथान्-इव // ऋ. वे. २,२३.१३ //
तेजिष्ठया | तपनी | रक्षसः | तप | ये | त्वा | निदे | दधिरे | दृष्ट-वीर्यम् | आविः | तत् | कृष्व | यत् | असत् | ते | उक्थ्यम् | बृहस्पते | वि | परि-रपः | अर्दय // ऋ. वे. २,२३.१४ //
बृहस्पते | अति | यत् | अर्यः | अर्हात् | द्यु-मत् | वि-भाति | क्रतु-मत् | जनेषु | यत् | दीदयत् | शवसा | ऋत-प्रजात | तत् | अस्मासु | द्रविणम् | धेहि | चित्रम् // ऋ. वे. २,२३.१५ //
//३१//.

-ऋ. वे. २:६/३२-
मा | नः | स्तेनेभ्यः | ये | अभि | द्रुहः | पदे | निरामिणः | रिपवः | अन्नेषु | जगृधुः | आ | देवानाम् | ओहते | वि | व्रयः | हृदि | बृहस्पते | न | परः | साम्नः | विदुः // ऋ. वे. २,२३.१६ //
विश्वेभ्यः | हि | त्वा | भुवनेभ्यः | परि | त्वष्टा | अजनत् | साम्नः-साम्नः | कविः | सः | ऋण-चित् | ऋण-याः | ब्रह्मणः | पतिः | द्रुहः | हन्ता | महः | ऋतस्य | धर्तरि // ऋ. वे. २,२३.१७ //
तव | श्रिये | वि | अजिहीत | पर्वतः | गवाम् | गोत्रम् | उत् | असृजः | यत् | अङ्गिरः | इन्द्रेण | युजा | तमसा | परि-वृतम् | बृहस्पते | निः | अपाम् | औब्जः | अर्णवम् // ऋ. वे. २,२३.१८ //
ब्रह्मणः | पते | त्वम् | अस्य | यन्ता | सु-उक्तस्य | बोधि | तनयम् | च | जिन्व | विश्वम् | तत् | भद्रम् | यत् | अवन्ति | देवाः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२३.१९ //
//३२//.




-ऋ. वे. २:७/१-
(ऋ. वे. २,२४)
सः | इमाम् | अविड्ढि | प्र-भृतिम् | यः | ईशिषे | अया | विधेम | नवया | महा | गिरा | यथा | नः | मीढवान् | स्तवते | सखा | तव | बृहस्पते | सीसधः | सः | उत | नः | मतिम् // ऋ. वे. २,२४.१ //
यः | नन्त्वानि | अनमत् | नि | ओजसा | उत | अदर्दः | मन्युना | शम्बराणि | वि | प्र | अच्यवयत् | अच्युता | ब्रह्मणः | पतिः | आ | च | अविशत् | वसु-मन्तम् | व् इ | पर्वतम् // ऋ. वे. २,२४.२ //
तत् | देवानाम् | देव-तमाय | कर्त्वम् | अश्रथ्नान् | दृऌहा | अव्रदन्त | वीऌइता | उत् | गाः | आजत् | अभिनत् | ब्रह्मणा | वलम् | अगूहत् | तमः | वि | अचक्षयत् | स्वर् इतिस्वः // ऋ. वे. २,२४.३ //
अश्म-आस्यम् | अवतम् | ब्रह्मणः | पतिः | मधु-धारम् | अभि | यम् | ओजसा | अतृणत् | तम् | एव | विश्वे | पपिरे | स्वः-दृशः | बहु | साकम् | सिसिचुः | उत्सम् | उद्रिणम् // ऋ. वे. २,२४.४ //
सना | ता | का | चित् | भुवना | भवीत्वा | मात्-भिः | शरत्-भिः | दुरः | वरन्त | वः | अयतन्ता | चरतः | अन्यत्-अन्यत् | इत् | या | चकार | वयुना | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२४.५ //
//१//.

-ऋ. वे. २:७/२-
अभि-नक्षन्तः | अभि | ये | तम् | आनशुः | निधिम् | पणीनाम् | परमम् | गुहा | हितम् | ते | विद्वांसः | प्रति-चक्ष्य | अनृता | पुनः | यतः | ॐ इति | आयन् | तत् | उत् | ईयुः | आविशम् // ऋ. वे. २,२४.६ //
ऋत-वानः | प्रति-चक्ष्य | अनृता | पुनः | आ | अतः | आ | तस्थुः | कवयः | महः | पथः | ते | बाहु-भ्याम् | धमितम् | अग्निम् | अस्मनि | नकिः | सः | अस्ति | अरणः | जुहुः | हि | तम् // ऋ. वे. २,२४.७ //
ऋत-ज्येन | क्षिप्रेण | ब्रह्मणः | पतिः | यत्र | वष्टि | प्र | तर् | अश्नोति | धन्वना | तस्य | साध्वीः | इषवः | याभिः | अस्यति | नृ-चक्षसः | दृशये | कर्ण-योनयः // ऋ. वे. २,२४.८ //
सः | सम्-नयः | सः | वि-नयः | पुरः-हितः | सः | सु-स्तुतः | सः | युधि | ब्रह्मणः | पतिः | चाक्ष्मः | यत् | वाजम् | भरते | मती | धना | आत् | इत् | सूर्यः | तपति | तप्यतुः | वृथा // ऋ. वे. २,२४.९ //
वि-भु | प्र-भु | प्रथमम् | मेहनावतः | बृहस्पतेः | सु-विदत्राणि | राध्या | इमा | सातानि | वेन्यस्य | वाजिनः | येन | जनाः | उभये | भुञ्जते | विशः // ऋ. वे. २,२४.१० //
//२//.

-ऋ. वे. २:७/३-
यः | अवरे | वृजने | विश्व-था | वि-भुः महाम् | ॐ इति | रण्वः | शवसा | ववक्षिथ | सः | देवः | देवान् | प्रति | पप्रथे | पृथु | विश्वा | इत् | ॐ इति | ता | परि-भूः | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२४.११ //
विश्वम् | सत्यम् | मघ-वाना | युवोः | इत् | आपः | चन | प्र | मिनन्ति | व्रतम् | वाम् | अच्छ | इन्द्राब्रह्मणस्पती इति | हविः | नः | अन्नम् | युजाइव | वाजिना | जिगातम् // ऋ. वे. २,२४.१२ //
उत | आशिष्ठाः | अनु | शृण्वन्ति | वह्नयः | सभेयः | विप्रः | भरते | मती | धना | वीऌउ-द्वेषाः | अनु | वशा | ऋणम् | आददिः | सः | ह | वाजी | सम्-इथे | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२४.१३ //
ब्रह्मणः | पतेः | अभवत् | यथावशम् | सत्यः | मन्युः | महि | कर्म | करिष्यतः | यः | गाः | उत्-आजत् | सः | दिवे | वि | च | अभजत् | मही-इव | रीतिः | शवसा | असरत् | पृथक् // ऋ. वे. २,२४.१४ //
ब्रह्मणः | पते | सु-यमस्य | विश्वहा | रायः | स्याम | रथ्यः | वयस्वतः | वीरेषु | वीरान् | उप | पृङ्धि | नः | त्वम् | यत् | ईशानः | ब्रह्मणा | वेषि | मे | हवम् // ऋ. वे. २,२४.१५ //
ब्रह्मणः | पते | त्वम् | अस्य | यन्ता | सु-उक्तस्य | बोधि | तनयम् | च | जिन्व | विश्वम् | तत् | भद्रम् | यत् | अवन्ति | देवाः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२४.१६ //
//३//.

-ऋ. वे. २:७/४-
(ऋ. वे. २,२५)
इन्धानः | अग्निम् | वनवत् | वनुष्यतः | कृत-ब्रह्मा | शूशुवत् | रात-हव्यः | इत् | जातेन | जातम् | अति | सः | प्र | सर्सृते | यम्-यम् | युजम् | कृणुते | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२५.१ //
वीरेभिः | वीरान् | वनवत् | वनुष्यतः | गोभिः | रयिम् | पप्रथत् | बोधति | त्मना | तोकम् | च | तस्य | तनयम् | च | वर्धते | यम्-यम् | युजम् | कृणुते | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२५.२ //
सिन्धुः | न | क्षोदः | शिमी-वान् | ऋघायतः | वृषाइव | वध्रीन् | अभि | वष्टि | ओजसा | अग्नेः-इव | प्र-सितिः | न | अह | वर्तवे | यम्-यम् | युजम् | कृणुते | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२५.३ //
तस्मै | अर्षन्ति | दिव्याः | असश्चतः | सः | सत्व-भिः | प्रथमः | गोषु | गच्छति | अनिभृष्ट-तविषिः | हन्ति | ओजसा | यम्-यम् | युजम् | कृणुते | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२५.४ //
तस्मै | इत् | विश्वे | धुनयन्त | सिन्धवः | अच्छिद्रा | शर्म | दधिरे | पुरूणि | देवानाम् | सुम्ने | सु-भगः | सः | एधते | यम्-यम् | युजम् | कृणुते | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. २,२५.५ //
//४//.

-ऋ. वे. २:७/५-
(ऋ. वे. २,२६)
ऋजुः | इत् | शंसः | वनवत् | वनुष्यतः | देवयन् | इत् | अदेव-यन्तम् | अभि | असत् | सुप्र-अवीः | इत् | वनवत् | पृत्-सु | दुस्तरम् | यज्वा | इत् | अयज्योः | वि | भजाति | भोजनम् // ऋ. वे. २,२६.१ //
यजस्व | वीर | प्र | विहि | मनायतः | भद्रम् | मनः | कृणुष्व | वृत्र-तूर्ये | हविः | कृणुष्व | सु-भगः | यथा | अससि | ब्रह्मणः | पतेः | अवः | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. २,२६.२ //
सः | इत् | जनेन | सः | विशा | सः | जन्मना | सः | पुत्रैः | वाजम् | भरते | धना | नृ-भिः | देवानाम् | यः | पितरम् | आविवासति | श्रद्धामनाः | हविषा | ब्रह्मणः | पतिम् // ऋ. वे. २,२६.३ //
यः | अस्मै | हव्यैः | घृतवत्-भिः | अविधत् | प्र | तम् | प्राचा | नयति | ब्रह्मणः | पतिः | उरुष्यतीम् | अंहसः | रक्षति | रिषः | अंहोः | चित् | अस्मै | उरु-चक्रिः | अद्भुतः // ऋ. वे. २,२६.४ //
//५//.

-ऋ. वे. २:७/६-
(ऋ. वे. २,२७)
इमाः | गिरः | आदित्येभ्यः | घृत-स्नूः | सनात् | राज-भ्यः | जुह्वा | जुहोमि | शृणोतु | मित्रः | अर्यमा | भगः | नः | तुवि-जातः | वरुणः | दक्षः | अंशः // ऋ. वे. २,२७.१ //
इमम् | स्तोमम् | स-क्रतवः | मे | अद्य | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | जुषन्त | आदित्यासः | शुचयः | धार-पूताः | अवृजिनाः | अनवद्याः | अरिष्टाः // ऋ. वे. २,२७.२ //
ते | आदित्यासः | उरवः | गभीराः | अदब्धासः | दिप्सन्तः | भूरि-अक्षाः | अन्तरिति | पश्यन्ति | वृजिना | उत | साधु | सर्वम् | राज-भ्यः | परमा | चित् | अन्ति // ऋ. वे. २,२७.३ //
धारयन्तः | आदित्यासः | जगत् | स्थाः | देवाः | विश्वस्य | भुवनस्य | गोपाः | दीर्घ-धियः | रक्षमाणाः | असुर्यम् | ऋत-वानः | चयमानाः | ऋणानि // ऋ. वे. २,२७.४ //
विद्याम् | आदित्याः | अवसः | वः | अस्य | यत् | अर्यमन् | भये | आ | चित् | मयः-भु | युष्माकम् | मित्रावरुणा | प्र-नीतौ | परि | श्वभ्राइव | दुः-इतानि | वृज्याम् // ऋ. वे. २,२७.५ //
//६//.

-ऋ. वे. २:७/७-
सु-गः | हि | वः | अर्यमन् | मित्र | पन्थाः | अनृक्षरः | वरुण | साधुः | अस्त् इ | तेन | आदित्याः | अधि | वोचत | नः | यच्छत | नः | दुः-परिहन्तु | शर्म // ऋ. वे. २,२७.६ //
पिपर्तु | नः | अदितिः | राज-पुत्रा | अति | द्वेषांसि | अर्यमा | सु-गेभिः | बृहत् | म् इत्रस्य | वरुणस्य | शर्म | उप | स्याम | पुरु-वीराः | अरिष्टाः // ऋ. वे. २,२७.७ //
तिस्रः | भूमीः | धारयन् | त्रीन् | उत | द्यून् | त्रीणि | व्रता | विदथे | अन्तः | एषाम् | ऋतेन | आदित्याः | महि | वः | महि-त्वम् | तत् | अर्यमन् | वरुण | मित्र | चारु // ऋ. वे. २,२७.८ //
त्री | रोचना | दिव्या | धारयन्त | हिरण्ययाः | शुचयः | धार-पूताः | अस्वप्न्-अजः | अनि-मिषाः | अदब्धाः | उरु-शंसाः | ऋजवे | मर्त्याय // ऋ. वे. २,२७.९ //
त्वम् | विश्वेषाम् | वरुण | असि | राजा | ये | च | देवाः | असुर | ये | च | मर्ताः | शतम् | नः | रास्व | शरदः | वि-चक्षे | अश्याम | आयूंषि | सुधितानि | पूर्वा // ऋ. वे. २,२७.१० //
//७//.

-ऋ. वे. २:७/८-
न | दक्षिणा | वि | चिकिते | न | सव्या | न | प्राचीनम् | आदित्याः | न | उत | पश्चा | पाक्या | चित् | वसवः | धीर्या | चित् | युष्मानीतः | अभयम् | ज्योतिः | अश्याम् // ऋ. वे. २,२७.११ //
यः | राज-भ्यः | ऋतनि-भ्यः | ददाश | यम् | वर्धयन्ति | पुष्टयः | च | न् इत्याः | सः | रेवान् | याति | प्रथमः | रथेन | वसु-दावा | विदथेषु | प्र-शस्तः // ऋ. वे. २,२७.१२ //
शुचिः | अपः | सु-यवसाः | अदब्धः | उप | क्षेति | वृद्ध-वयाः | सु-वीरः | नकिः | तम् | घ्नन्ति | अन्तितः | न | दूरात् | यः | आदित्यानाम् | भवति | प्र-नीतौ // ऋ. वे. २,२७.१३ //
अदिते | मित्र | वरुण | उत | मृऌअ | यत् | वः | वयम् | चकृम | कत् | चित् | आगः | उरु | अश्याम् | अभयम् | ज्योतिः | इन्द्र | मा | नः | दीर्घाः | अभि | नशन् | तमिस्राः // ऋ. वे. २,२७.१४ //
उभे इति | अस्मै | पीपयतः | समीची इतिसम्-ईची | दिवः | वृष्टिम् | सु-भगः | नाम | पुष्यन् | उभा | क्षयौ | आजयन् | याति | पृत्-सु | उभौ | अर्धौ | भवतः | साधू इति | अस्मै // ऋ. वे. २,२७.१५ //
याः | वः | मायाः | अभि-द्रुहे | यजत्राः | पाशाः | आदित्याः | रिपवे | वि-चृत्ताः | अश्वी-इव | तान् | अति | येषम् | रथेन | अरिष्टाः | उरौ | आ | शर्मन् | स्याम // ऋ. वे. २,२७.१६ //
मा | अहम् | मघोनः | वरुण | प्रियस्य | भूरि-दाव्नः | आ | विदम् | शूनम् | आपेः | मा | रायः | राजन् | सु-यमात् | अव | स्थाम् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२७.१७ //
//८//.

-ऋ. वे. २:७/९-
(ऋ. वे. २,२८)
इदम् | कवेः | आदित्यस्य | स्व-राजः | विश्वानि | सन्ति | अभि | अस्तु | मह्ना | अति | यः | मन्द्रः | यजथाय | देवः | सु-कीर्तिम् | भिक्षे | वरुणस्य | भूरेः // ऋ. वे. २,२८.१ //
तव | व्रते | सु-भगासः | स्याम | सु-आध्यः | वरुण | तुस्तु-वांसः | उप-अयने | उषसाम् | गो--मतीनाम् | अग्नयः | न | जरमाणाः | अनु | द्यून् // ऋ. वे. २,२८.२ //
अव | स्याम | पुरु-वीरस्य | शर्मन् | उरु-शंसस्य | वरुण | प्रनेतरित् इप्र-नेतः | यूयम् | नः | पुत्राः | अदितेः | अदब्धाः | अभि | क्षमध्वम् | युज्याय | देवाः // ऋ. वे. २,२८.३ //
प्र | सीम् | आदित्यः | असृजत् | वि-धर्ता | ऋतम् | सिन्धवः | वरुणस्य | यन्ति | न | श्राम्यन्ति | न | वि | मुचन्ति | एते | वयः | न | पप्तुः | रघु-या | परि-ज्मन् // ऋ. वे. २,२८.४ //
वि | मत् | श्रथय | रशनाम्-इव | आगः | ऋध्याम | ते | वरुण | खाम् | ऋतस्य | मा | तन्तुः | छेदि | वयतः | धियम् | मे | मा | मात्रा | शारि | अपसः | पुरा | ऋतोः // ऋ. वे. २,२८.५ //
//९//.

-ऋ. वे. २:७/१०-
अपो इति | सु | म्यक्ष | वरुण | भियसम् | मत् | सम्-राट् | ऋत-वः | अनु | मा | गृभाय | दाम-इव | वत्सात् | वि | मुमुग्धि | अंहः | नहि | त्वत् | आर्ते | नि-मिषः | चन | ईशे // ऋ. वे. २,२८.६ //
मा | नः | वधैः | वरुण | ये | ते | इष्टौ | एनः | कृण्वन्तम् | असुर | भ्रीणन्ति | मा | ज्योतिषः | प्र-वसथानि | गन्म | वि | सु | मृधः | शिश्रथः | जीवसे | नः // ऋ. वे. २,२८.७ //
नमः | पुरा | ते | वरुण | उत | नूनम् | उत | अपरम् | तुवि-जात | ब्रवाम | त्वे इति | हि | कम् | पर्वते | न | श्रितानि | अप्र-च्युतानि | दुः-दभ | व्रतानि // ऋ. वे. २,२८.८ //
परा | ऋणा | सावीः | अध | मत्-कृतानि | मा | अहम् | राजन् | अन्य-कृतेन | भोजम् | अव् इ-उष्टाः | इत् | नु | भूयसीः | उषसः | आ | नः | जीवान् | वरुण | तासु | शाधि // ऋ. वे. २,२८.९ //
यः | मे | राजन् | युज्यः | वा | सखा | वा | स्वप्ने | भयम् | भीरवे | मह्यम् | आह | स्तेनः | वा | यः | दिप्सति | नः | वृकः | वा | त्वम् | तस्मात् | वरुण | पाहि | अस्मान् // ऋ. वे. २,२८.१० //
मा | अहम् | मघोनः | वरुण | प्रियस्य | भूरि-दाव्नः | आ | विदम् | शूनम् | आपेः | मा | रायः | राजन् | सु-यमात् | अव | स्थाम् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२८.११ //
//१०//.

-ऋ. वे. २:७/११-
(ऋ. वे. २,२९)
धृत-व्रताः | आदित्याः | इषिराः | आरे | मत् | कर्त | रहसूः-इव | आगः | शृण्वतः | वः | वरुण | मित्र | देवाः | भद्रस्य | विद्वान् | अवसे | हुवे | वः // ऋ. वे. २,२९.१ //
यूयम् | देवाः | प्र-मतिः | यूयम् | ओजः | यूयम् | द्वेषांसि | सनुतः | युयोत | अभि-क्षत्तारः | अभि | च | क्षमध्वम् | अद्य | च | नः | मृऌअयत | अपरम् | च // ऋ. वे. २,२९.२ //
किम् | ॐ इति | नु | वः | कृणवाम | अपरेण | किम् | सनेन | वसवः | आप्येन | यूयम् | नः | मित्रावरुणा | अदिते | च | स्वस्तिम् | इन्द्रामरुतः | दधात // ऋ. वे. २,२९.३ //
हये | देवाः | यूयम् | इत् | आपयः | स्थ | ते | मृऌअत | नाधमानाय | मह्यम् | मा | वः | रथः | मध्यम-वाट् | ऋते | भूत् | मा | युष्मावत्-सु | आपिषु | श्रमिष्म // ऋ. वे. २,२९.४ //
प्र | वः | एकः | मिमय | भूरि | आगः | यत् | मा | पिताइव | कितवम् | शशास | आरे | पाशाः | आरे | अघानि | देवाः | मा | मा | अधि | पुत्रे | विम्-इव | ग्रभीष्ट // ऋ. वे. २,२९.५ //
अर्वाञ्चः | अद्य | भवता | यजत्राः | आ | वः | हार्दि | भयमानः | व्ययेयम् | त्राध्वम् | नः | देवाः | नि-जुरः | वृकस्य | त्राध्वम् | कर्तात् | अव-पदः | यजत्राः // ऋ. वे. २,२९.६ //
मा | अहम् | मघोनः | वरुण | प्रियस्य | भूरि-दाव्नः | आ | विदम् | शूनम् | आपेः | मा | रायः | राजन् | सु-यमात् | अव | स्थाम् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,२९.७ //
//११//.

-ऋ. वे. २:७/१२-
(ऋ. वे. २,३०)
ऋतम् | देवाय | कृण्वते | सवित्रे | इन्द्राय | अहि-घ्ने | न | रमन्ते | आपः | अहः-अहः | याति | अक्तुः | अपाम् | कियति | आ | प्रथमः | सर्गः | आसाम् // ऋ. वे. २,३०.१ //
यः | वृत्राय | सिनम् | अत्र | अभरिष्यत् | प्र | तम् | जनित्री | विदुषे | उवाच | पथः | रदन्तीः | अनु | जोषम् | अस्मै | दिवे--दिवे | धुनयः | यन्ति | अर्थम् // ऋ. वे. २,३०.२ //
ऊर्ध्वः | हि | अस्थात् | अधि | अन्तरिक्षे | अध | वृत्राय | प्र | वधम् | जभार | मिहम् | वसानः | उप | हि | ईम् | अदुद्रोत् | तिग्म-आयुधः | अजयत् | शत्रुम् | इन्द्रः // ऋ. वे. २,३०.३ //
बृहस्पते | तपुषा | अश्नाइव | विध्य | वृक-द्वरसः | असुरस्य | वीरान् | यथा | जघन्थ | धृषता | पुरा | चित् | एव | जहि | शत्रुम् | अस्माकम् | इन्द्र // ऋ. वे. २,३०.४ //
अव | क्षिप | दिवः | अश्मानम् | उच्चा | येन | शत्रुम् | मन्दसानः | नि-जूर्वाः | तोकस्य | सातौ | तनयस्य | भूरेः | अस्मान् | अर्धम् | कृणुतात् | इन्द्र | गोनाम् // ऋ. वे. २,३०.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. २:७/१३-
प्र | हि | क्रतुम् | वृहथः | यम् | वनुथः | रध्रस्य | स्थः | यजमानस्य | चोदौ | इन्द्रासोमा | युवम् | अस्मान् | अविष्टम् | अस्मिन् | भय-स्थे | कृणुतम् | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. २,३०.६ //
न | मा | तमत् | न | श्रमत् | न | उत | तन्द्रत् | न | वोचाम | मा | सुनोत | इति | सोमम् | यः | मे | पृणात् | यः | दृत् | यः | नि-बोधात् | यः | मा | सुन्वन्तम् | उप | गोभिः | आ | अयत् // ऋ. वे. २,३०.७ //
सरस्वति | त्वम् | अस्मान् | अविड्ढि | मरुत्वती | धृषती | जेषि | शत्रून् | त्यम् | चित् | शर्धन्तम् | तविषी-यमाणम् | इन्द्रः | हन्ति | वृषभम् | शण्डिकानाम् // ऋ. वे. २,३०.८ //
यः | नः | सनुत्य | उत | वा | जिघत्नुः | अभि-ख्याय | तम् | तिगितेन | विध्य | बृहस्पते | आयुधैः | जेषि | शत्रून् | दुहे | रिषन्तम् | परि | धेहि | राजन् // ऋ. वे. २,३०.९ //
अस्माकेभिः | सत्व-भिः | शूर | शूरैः | वीर्या | कृधि | यानि | ते | कर्त्वानि | ज्योक् | अभूवन् | अनु-धूपितासः | हत्वी | तेषाम् | आ | भर | नः | वसूनि // ऋ. वे. २,३०.१० //
तम् | वः | शर्धम् | मारुतम् | सुम्न-युः | गिरा | उप | ब्रुवे | नमसा | दैव्यम् | जनम् | यथा | रयिम् | सर्व-वीरम् | नशामहै | अपत्य-साचम् | श्रुत्यम् | द् इवे--दिवे // ऋ. वे. २,३०.११ //
//१३//.

-ऋ. वे. २:७/१४-
(ऋ. वे. २,३१)
अस्माकम् | मित्रावरुणा | अवतम् | रथम् | आदित्यैः | रुद्रैः | वसु-भिः | सचाभुवा | प्र | यत् | वयः | न | पप्तन् | वस्मनः | परि | श्रवस्यवः | हृषीवन्तः | वन-सदः // ऋ. वे. २,३१.१ //
अध | स्म | नः | उत् | अवत | स-जोषसः | रथम् | देवासः | अभि | विक्षु | वाज-युम् | यत् | आशवः | पद्याभिः | तित्रतः | रजः | पृथिव्याः | सानौ | जङ्घनन्त | पाणि-भिः // ऋ. वे. २,३१.२ //
उत | स्यः | नः | इन्द्रः | विश्व-चर्षणिः | दिवः | शर्धेन | मारुतेन | सु-क्रतुः | अनु | नु | स्थाति | अवृकाभिः | ऊति-भिः | रथम् | महे | सनये | वाज-सातये // ऋ. वे. २,३१.३ //
उत | स्यः | देवः | भुवनस्य | सक्षणिः | त्वष्टा | ग्नाभिः | स-जोषाः | जूजुवत् | रथम् | इऌआ | भगः | बृहत्-दिवा | उत | रोदसी इति | पूषा | पुरम्-धिः | अश्विनौ | अध | पती इति // ऋ. वे. २,३१.४ //
उत | त्ये | देवी इति | सुभगेइतिसु-भगे | मिथु-दृशा | उषसानक्ता | जगताम् | अपि-जुवा | स्तुषे | यत् | वाम् | पृथिवि | नव्यसा | वचः | स्थातुः | च | वयः | त्रि-वयाः | उप-स्तिरे // ऋ. वे. २,३१.५ //
उत | वः | शंसम् | उशिजाम्-इव | श्मसि | अहिः | बुध्न्यः | अज | एक-पात् | उत | त्रितः | ऋभु-क्षाः | सविता | चनः | दधे | अपाम् | नपात् | आशु-हेमा | धिया | शमि // ऋ. वे. २,३१.६ //
एता | वः | वश्मि | उत्-यता | यजत्राः | अतक्षन् | आयवः | नव्यसे | सम् | श्रवस्यवः | वाजम् | चकानाः | सप्तिः | न | रथ्यः | अह | धीतिम् | अश्याः // ऋ. वे. २,३१.७ //
//१४//.

-ऋ. वे. २:७/१५-
(ऋ. वे. २,३२)
अस्य | मे | द्यावापृथिवी इति | ऋत-यतः | भूतम् | अवित्री इति | वचसः | सिसासतः | ययोः | आयुः | प्र-तरम् | तेइति | इदम् | पुरः | उपस्तुतेइत्य् उप-स्तुते | वसु-युः | वा | महः | दधे // ऋ. वे. २,३२.१ //
मा | नः | गुह्याः | रिपः | आयोः | अहन् | दभन् | मा | नः | आभ्यः | रीरधः | दुच्छुनाभ्यः | मा | नः | वि | यौः | सख्या | विद्धि | तस्य | नः | सुम्न-यता | मनसा | तत् | त्वा | ईमहे // ऋ. वे. २,३२.२ //
अहेऌअता | मनसा | श्रुष्टिम् | आ | वह | दुहानाम् | धेनुम् | पिप्युषीम् | असश्चतम् | पद्याभिः | आशुम् | वचसा | च | वाजिनम् | त्वाम् | हिनोमि | पुरु-हूत | विश्वहा // ऋ. वे. २,३२.३ //
राकाम् | अहम् | सु-हवाम् | सु-स्तुती | हुवे | शृणोतु | नः | सु-भगा | बोधतु | त्मना | सीव्यतु | अपः | सूच्या | अच्छिद्यमानया | ददातु | वीरम् | शत-दायम् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. २,३२.४ //
याः | ते | राके | सु-मतयः | सु-पेशसः | याभिः | ददासि | दाशुषे | वसूनि | ताभिः | नः | अद्य | सु-मनाः | उप-आगहि | सहस्र-पोषम् | सु-भगे | रराणा // ऋ. वे. २,३२.५ //
सिनीवालि | पृथु-स्तुके | या | देवानाम् | असि | स्वसा | जुषस्व | हव्यम् | आहुतम् | प्र-जाम् | देवि | दिदिड्ढि | नः // ऋ. वे. २,३२.६ //
या | सु-बाहुः | सु-अङ्गुरिः | सु-सूमा | बहु-सूवरी | तस्यै | विश्पत्न्यै | हविः | सिनीवाल्यै | जुहोतन // ऋ. वे. २,३२.७ //
या | गुङ्गूः | या | सिनीवाली | या | राका | या | सरस्वती | इन्द्राणीम् | अह्वे | ऊतये | वरुणानीम् | स्वस्तये // ऋ. वे. २,३२.८ //
//१५//.

-ऋ. वे. २:७/१६-
(ऋ. वे. २,३३)
आ | ते | पितः | मरुताम् | सुम्नम् | एतु | मा | नः | सूर्यस्य | सम्-दृशः | युयोथाः | अभि | नः | वीरः | अर्वति | क्षमेत | प्र | जायेमहि | रुद्र | प्र-जाभिः // ऋ. वे. २,३३.१ //
त्वादत्तेभिः | रुद्र | शम्-तमेभिः | शतम् | हिमाः | अशीय | भेषजेभिः | वि | अस्मत् | द्वेषः | वि-तरम् | वि | अंहः | वि | अमीवाः | चातयस्व | विषूचीः // ऋ. वे. २,३३.२ //
श्रेष्ठः | जातस्य | रुद्र | श्रिया | असि | तवः-तमः | तवसाम् | वज्रबाहो इतिवज्र-बाहो | पर्षि | नः | पारम् | अंहसः | स्वस्ति | विश्वाः | अभि-इतीः | रपसः | युयोधि // ऋ. वे. २,३३.३ //
मा | त्वा | रुद्र | चुक्रुधाम | नमः-भिः | मा | दुः-स्तुती | वृषभ | मा | स-हूती | उत् | नः | वीरान् | अर्पय | भेषजेभिः | भिषक्-तमम् | त्वा | भिषजाम् | शृणोमि // ऋ. वे. २,३३.४ //
हवीम-भिः | हवते | यः | हविः-भिः | अव | स्तोमेभिः | रुद्रम् | दिषीय | ऋदूदरः | सु-हवः | मा | नः | अस्यै | बभ्रुः | सु-शिप्रः | रीरधत् | मनायै // ऋ. वे. २,३३.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. २:७/१७-
उत् | मा | ममन्द | वृषभः | मरुत्वान् | त्वक्षीयसा | वयसा | नाधमानम् | घृणि-इव | छायाम् | अरपाः | अशीय | विवासेयम् | रुद्रस्य | सुम्नम् // ऋ. वे. २,३३.६ //
क्व | स्यः | ते | रुद्र | मृऌअयाकुः | हस्तः | यः | अस्ति | भेषजः | जलाषः | अप-भर्ता | रपसः | दैव्यस्य | अभि | नु | मा | वृषभ | चक्षमीथाः // ऋ. वे. २,३३.७ //
प्र | बभ्रवे | वृषभाय | श्वितीचे | महः | महीम् | सु-स्तुतिम् | ईरयामि | नमस्य | कल्मलीकिनम् | नमः-भिः | गृणीमसि | त्वेषम् | रुद्रस्य | नाम // ऋ. वे. २,३३.८ //
स्थिरेभिः | अङ्गैः | पुरु-रूपः | उग्रः | बभ्रुः | शुक्रेभिः | पिपिशे | हिरण्यैः | ईशानात् | अस्य | भुवनस्य | भूरेः | न | वै | ॐ इति | योषत् | रुद्रात् | असुर्यम् // ऋ. वे. २,३३.९ //
अर्हन् | बिभर्षि | सायकानि | धन्व | अर्हन् | निष्कम् | यजतम् | विश्व-रूपम् | अर्हन् | इदम् | दयसे | विश्वम् | अभ्वम् | न | वै | ओजीयः | रुद्र | त्वत् | अस्ति // ऋ. वे. २,३३.१० //
//१७//.

-ऋ. वे. २:७/१८-
स्तुहि | श्रुतम् | गर्त-सदम् | युवानम् | मृगम् | न | भीमम् | उप-हत्नुम् | उग्रम् | मृऌअ | जरित्रे | रुद्र | स्तवानः | अन्यम् | ते | अस्मत् | नि | वपन्तु | सेनाः // ऋ. वे. २,३३.११ //
कुमारः | चित् | पितरम् | वन्दमानम् | प्रति | ननाम | रुद्र | उप-यन्तम् | भूरेः | दातारम् | सत्-पतिम् | गृणीषे | स्तुतः | त्वम् | भेषजा | रासि | अस्मे इति // ऋ. वे. २,३३.१२ //
या | वः | भेषजा | मरुतः | शुचीनि | या | शम्-तमा | वृषणः | या | मयः-भु | यानि | मनुः | अवृणीत | पिता | नः | ता | शम् | च | योः | च | रुद्रस्य | वश्मि // ऋ. वे. २,३३.१३ //
परि | नः | हेतिः | रुद्रस्य | वृज्याः | परि | त्वेषस्य | दुः-मतिः | मही | गात् | अव | स्थिरा | मघवत्-भ्यः | तनुष्व | मीढवः | तोकाय | तनयाय | मृऌअ // ऋ. वे. २,३३.१४ //
एव | बभ्रो इति | वृषभ | चेकितान | यथा | देव | न | हृणीषे | न | हंसि | हवन-श्रुत् | नः | रुद्र | इह | बोधि | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,३३.१५ //
//१८//.

-ऋ. वे. २:७/१९-
(ऋ. वे. २,३४)
धारावराः | मरुतः | घृष्णु-ओजसः | मृगाः | न | भीमाः | तविषीभिः | अर्चिनः | अग्नयः | न | शुशुचानाः | ऋजीषिणः | भृमिम् | धमन्तः | अप | गाः | अवृण्वत // ऋ. वे. २,३४.१ //
द्यावः | न | स्तृ-भिः | चितयन्त | खादिनः | वि | अभ्रियाः | न | द्युतयन्त | वृष्टयः | रुद्रः | यत् | वः | मरुतः | रुक्म-वक्षसः | वृषा | अजनि | पृश्न्याः | शुक्रे | ऊधनि // ऋ. वे. २,३४.२ //
उक्षन्ते | अश्वान् | अत्यान्-इव | आजिषु | नदस्य | कर्णैः | तुरयन्ते | आशु-भिः | ह् इरण्य-शिप्राः | मरुतः | दविध्वतः | पृक्षम् | याथ | पृषतीभिः | स-मन्यवः // ऋ. वे. २,३४.३ //
पृक्षे | ता | विश्वा | भुवना | ववक्षिरे | मित्राय | वा | सदम् | आ | जीर-दानवः | पृषत्-अश्वासः | अनवभ्र-राधसः | ऋजिप्यासः | न | वयुनेषु | धूः-सदः // ऋ. वे. २,३४.४ //
इन्धन्व-भिः | धेनु-भिः | रप्शदूध-भिः | अध्वस्म-भिः | पथि-भिः | भ्राजत्-ऋष्टयः | आ | हंसासः | न | स्वसराणि | गन्तन | मधोः | मदाय | मरुतः | स-मन्यवः // ऋ. वे. २,३४.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. २:७/२०-
आ | नः | ब्रह्माणि | मरुतः | स-मन्यवः | नराम् | न | शंसः | सवनानि | गन्तन | अश्वाम्-इव | पिप्यत | धेनुम् | ऊधनि | कर्ता | धियम् | जरित्रे | वाज-पेशसम् // ऋ. वे. २,३४.६ //
तम् | नः | दात | मरुतः | वाजिनम् | रथे | आपानम् | ब्रह्म | चितयत् | दिवे--दिवे | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | वृजनेषु | कारवे | सनिम् | मेधाम् | अरिष्टम् | दुस्तरम् | सहः // ऋ. वे. २,३४.७ //
यत् | युञ्जते | मरुतः | रुक्म-वक्षसः | अश्वान् | रथेषु | भगे | आ | सु-दानवः | धेनुः | न | शिश्वे | स्वसरेषु | पिन्वते | जनाय | रात-हविषे | महीम् | इषम् // ऋ. वे. २,३४.८ //
यः | नः | मरुतः | वृक-ताति | मर्त्यः | रिपुः | दधे | वसवः | रक्षत | रिषः | वर्तयत | वपुषा | चक्रिया | अभि | तम् | अव | रुद्राः | अशसः | हन्तन | वधरिति // ऋ. वे. २,३४.९ //
चित्रम् | तत् | वः | मरुतः | याम | चेकिते | पृश्न्याः | यत् | ऊधः | अपि | आपयः | दुहुः | यत् | वा | निदे | नवमानस्य | रुद्रियाः | त्रितम् | जराय | जुरताम् | अदाभ्याः // ऋ. वे. २,३४.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. २:७/२१-
तान् | वः | महः | मरुतः | एव-याव्नः | विष्णोः | एषस्य | प्र-भृथे | हवामहे | हिरण्य-वर्णान् | ककुहान् | यत-स्रुचः | ब्रह्मण्यन्तः | शंस्यम् | राधः | ईमहे // ऋ. वे. २,३४.११ //
ते | दश-ग्वाः | प्रथमाः | यज्ञम् | ऊहिरे | ते | नः | हिन्वन्तु | उषसः | वि-उष्टिषु | उषाः | न | रामीः | अरुणैः | अप | ऊर्णुते | महः | ज्योतिषा | शुचता | गो--अर्णसा // ऋ. वे. २,३४.१२ //
ते | क्षोणीभिः | अरुणेभिः | न | अञ्जि-भिः | रुद्राः | ऋतस्य | सदनेषु | ववृधुः | नि--मेघमानाः | अत्येन | पाजसा | सु-चन्द्रम् | वर्णम् | दधिरे | सु-पेशसम् // ऋ. वे. २,३४.१३ //
तान् | इयानः | महि | वरूथम् | ऊतये | उप | घ | इत् | एना | नमसा | गृणीमसि | त्रितः | न | यान् | पञ्च | होतृॠन् | अभिष्टये | आववर्तत् | अवरान् | चक्रिया | अवसे // ऋ. वे. २,३४.१४ //
यया | रध्रम् | पारयथ | अति | अंहः | यया | निदः | मुञ्चथ | वन्दितारम् | अर्वाची | सा | मरुतः | या | वः | ऊतिः | ओ इति | सु | वाश्राइव | सु-मतिः | जिगातु // ऋ. वे. २,३४.१५ //
//२१//.

-ऋ. वे. २:७/२२-
(ऋ. वे. २,३५)
उप | ईम् | असृक्षि | वाज-युः | वचस्याम् | चनः | दधीत | नाद्यः | गिरः | मे | अपाम् | नपात् | आशु-हेमा | कुवित् | सः | सु-पेशसः | करति | जोषिषत् | हि // ऋ. वे. २,३५.१ //
इमम् | सु | अस्मै | हृदः | आ | सु-तष्टम् | मन्त्रम् | वोचेम | कुवित् | अस्य | वेदत् | अपाम् | नपात् | असुर्यस्य | मह्ना | विश्वानि | अर्यः | भुवना | जजान // ऋ. वे. २,३५.२ //
सम् | अन्याः | यन्ति | उप | यन्ति | अन्याः | समानम् | ऊर्वम् | नद्यः | पृणन्ति | तम् | ॐ इति | शुचिम् | शुचयः | दीदि-वांसम् | अपाम् | नपातम् | परि | तस्थुः | आपः // ऋ. वे. २,३५.३ //
तम् | अस्मेराः | युवतयः | युवानम् | मर्मृज्यमानाः | परि | यन्ति | आपः | सः | शुक्रेभिः | शिक्व-भिः | रेवत् | अस्मे इति | दीदाय | अनिध्मः | घृत-निर्निक् | अप्-सु // ऋ. वे. २,३५.४ //
अस्मै | तिस्रः | अव्यथ्याय | नारीः | देवाय | देवीः | दिधिषन्ति | अन्नम् | कृताइव | उप | हि | प्र-सर्स्रे | अप्-सु | सः | पीयूषम् | धयति | पूर्व-सूनाम् // ऋ. वे. २,३५.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. २:७/२३-
अश्वस्य | अत्र | जनिम | अस्य | च | स्वः | द्रुहः | रिषः | सम्-पृचः | पाहि | सूरीन् | आमासु | पूर्षु | परः | अप्र-मृष्यम् | न | अरातयः | वि | नशन् | न | अनृतानि // ऋ. वे. २,३५.६ //
स्वे | आ | दमे | सु-दुघा | यस्य | धेनुः | स्वधाम् | पीपाय | सु-भु | अन्नम् | अत्ति | सः | अपाम् | नपात् | ऊर्जयन् | अप्-सु | अन्तः | वसु-देयाय | विधते | वि | भाति // ऋ. वे. २,३५.७ //
यः | अप्-सु | आ | शुचिना | दैव्येन | ऋत-वा | अजस्रः | उर्विया | वि-भाति | वयाः | इत् | अन्या | भुवनानि | अस्य | प्र | जायन्ते | वीरुधः | च | प्र-जाभिः // ऋ. वे. २,३५.८ //
अपाम् | नपात् | आ | हि | अस्थात् | उप-स्थम् | जिह्मानाम् | ऊर्ध्वः | विद्युतम् | वसानः | तस्य | ज्येष्ठम् | म्हिमानम् | वहन्तीः | हिरण्य-वर्णाः | परि | यन्ति | यह्वीः // ऋ. वे. २,३५.९ //
हिरण्य-रूपः | सः | हिरण्य-सन्दृक् | अपाम् | नपात् | सः | इत् | ॐ इति | हिरण्य-वर्णः | हिरण्ययात् | परि | योनेः | नि-सद्य | हिरण्य-दाः | ददति | अन्नम् | अस्मै // ऋ. वे. २,३५.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. २:७/२४-
तत् | अस्य | अनीकम् | उत | चारु | नाम | अपीच्यम् | वर्धते | नप्तुः | अपाम् | यम् | इन्धते | युवतयः | सम् | इत्था | हिरण्य-वर्णम् | घृतम् | अन्नम् | अस्य // ऋ. वे. २,३५.११ //
अस्मै | बहूनाम् | अवमाय | सख्ये | यज्ञैः | विधेम | नमसा | हविः-भिः | सम् | सानु | मार्ज्मि | दिधिषामि | बिल्मैः | दधामि | अन्नैः | परि | वन्दे | ऋक्-भिः // ऋ. वे. २,३५.१२ //
सः | ईम् | वृषा | अजनयत् | तासु | गर्भम् | सः | ईम् | शिशुः | धयति | तम् | रिहन्त् इ | सः | अपाम् | नपात् | अनभिम्लात-वर्णः | अन्यस्य-इव | इह | तन्वा | व् इवेष // ऋ. वे. २,३५.१३ //
अस्मिन् | पदे | परमे | तस्थि-वांसम् | अध्वस्म-भिः | विश्वहा | दीदि-वांसम् | आपः | नप्त्रे | घृतम् | अन्नम् | वहन्तीः | स्वयम् | अत्कैः | परि | दीयन्ति | यह्वीः // ऋ. वे. २,३५.१४ //
अयांसम् | अग्ने | सु-क्षितिम् | जनाय | अयांसम् | ॐ इति | मघवत्-भ्यः | सु-वृक्तिम् | विश्वम् | तत् | भद्रम् | यत् | अवन्ति | देवाः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,३५.१५ //
//२४//.

-ऋ. वे. २:७/२५-
(ऋ. वे. २,३६)
तुभ्यम् | हिन्वानः | वसिष्ट | गाः | अपः | अधुक्षन् | सीम् | अवि-भिः | अद्रि-भिः | नरः | पिब | इन्द्र | स्वाहा | प्र-हुतम् | वषट्-कृतम् | होत्रात् | आ | सोमम् | प्रथमः | यः | ईशिषे // ऋ. वे. २,३६.१ //
यज्ञैः | सम्-मिश्लाः | पृषतीभिः | ऋष्टि-भिः | यामन् | शुभ्रासः | अञ्जिषु | प्रियाः | उत | आसद्य | बर्हिः | भरतस्य | सूनवः | पोत्रात् | आ | सोमम् | पिबत | दिवः | नरः // ऋ. वे. २,३६.२ //
अमाइव | नः | सु-हवाः | आ | हि | गन्तन | नि | बर्हिषि | सदतन | रणिष्टन | अथ | मन्दस्व | जुजुषाणः | अन्धसः | त्वष्टः | देवेभिः | जनि-भिः | सुमत्-गणः // ऋ. वे. २,३६.३ //
आ | वक्षि | देवान् | इह | विप्र | यक्षि | च | उशन् | होतः | नि | सद | योनिषु | त्रिषु | प्रति | वीहि | प्र-स्थितम् | सोम्यम् | मधु | पिब | आग्नीध्रात् | तव | भागस्य | तृप्णुहि // ऋ. वे. २,३६.४ //
एषः | स्यः | ते | तन्वः | नृम्ण-वर्धनः | सहः | ओजः | प्र-दिवि | बाह्वोः | हितः | तुभ्यम् | सुतः | मघवन् | तुभ्यम् | आभृतः | त्वम् | अस्य | ब्राह्मणात् | आ | तृपत् | पिब // ऋ. वे. २,३६.५ //
जुषेथाम् | यज्ञम् | बोधतम् | हवस्य | मे | सत्तः | होता | नि-विदः | पूर्व्याः | अनु | अच्छ | राजाना | नमः | एति | आवृतम् | प्र-शास्त्रात् | आ | पिबतम् | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. २,३६.६ //
//२५//.




-ऋ. वे. २:८/१-
(ऋ. वे. २,३७)
मन्दस्व | होत्रात् | अनु | जोषम् | अन्धसः | अध्वर्यवः | सः | पूर्णाम् | वष्टि | आसिचम् | तस्मै | एतम् | भरत | तत्-वशः | ददिः | होत्रात् | सोमम् | द्रविणः-दः | पिब | ऋतु-भिः // ऋ. वे. २,३७.१ //
यम् | ॐ इति | पूर्वम् | अहुवे | तम् | इदम् | हुवे | सः | इत् | / ॐ इति | हव्यः | ददिः | यः | नाम | पत्यते | अध्वर्यु-भिः | प्र-स्थितम् | सोम्यम् | मधु | पोत्रात् | सोमम् | द्रविणः-दः | पिब | ऋतु-भिः // ऋ. वे. २,३७.२ //
मेद्यन्तु | ते | वह्नयः | येभिः | ईयसे | अरिषण्यन् | वीऌअयस्व | वनस्पते | आयूय | धृष्णो इति | अभि-गूर्य | त्वम् | नेष्ट्रात् | सोमम् | द्रविणः-दः | पिब | ऋतु-भिः // ऋ. वे. २,३७.३ //
अपात् | होत्रात् | उत | पोत्रात् | अमत्त | उत | नेष्ट्रात् | अजुषत | प्रयः | हितम् | तुरीयम् | पात्रम् | अमृक्तम् | अमर्त्यम् | द्रविणः-दाः | पिबतु | द्राविणोदसः // ऋ. वे. २,३७.४ //
अर्वाञ्चम् | अद्य | यय्यम् | नृ-वाहनम् | रथम् | युञ्जाथाम् | इह | वाम् | वि-मोचनम् | पृङ्क्तम् | हवींषि | मधुना | आ | हि | कम् | गतम् | अथ | सोमम् | पिबतम् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू // ऋ. वे. २,३७.५ //
जोषि | अग्ने | सम्-इधम् | जोषि | आहुतिम् | जोषि | ब्रह्म | जन्यम् | जोषि | सु-स्तुतिम् | विश्वेभिः | विश्वान् | ऋतुना | वसो इति | महः | उशन् | देवान् | उशतः | पायय | हविः // ऋ. वे. २,३७.६ //
//१//.

-ऋ. वे. २:८/२-
(ऋ. वे. २,३८)
उत् | ॐ इति | स्यः | देवः | सविता | सवाय | शश्वत्-तमम् | तत्-अपाः | वह्निः | अस्थात् | नूनम् | देवेभ्यः | वि | हि | धाति | रत्नम् | अथ | अभजत् | वीति-होत्रम् | स्वस्तौ // ऋ. वे. २,३८.१ //
विश्वस्य | हि | श्रुष्टये | देवः | ऊर्ध्वः | प्र | बाहवा | पृथु-पाणिः | सिसर्ति | आपः | चित् | अस्य | व्रते | आ | नि-मृग्राः | अयम् | चित् | वातः | रमते | परि-ज्मन् // ऋ. वे. २,३८.२ //
आशु-भिः | चित् | यान् | वि | मुचाति | नूनम् | अरीरमत् | अतमानम् | चित् | एतोः | अह्यर्षूणाम् | चित् | नि | अयान् | अविष्याम् | अनु | व्रतम् | सवितुः | मोकी | आ | अगात् // ऋ. वे. २,३८.३ //
पुनरिति | सम् | अव्यत् | वि-ततम् | वयन्ती | मध्या | कर्तोः | नि | अधात् | शक्म | धीरः | उत् | सम्-हाय | अस्थात् | वि | ऋतून् | अदर्धः | अरमतिः | सविता | देवः | आ | अगात् // ऋ. वे. २,३८.४ //
नाना | ओकांसि | दुर्यः | विश्वम् | आयुः | वि | तिष्ठते | प्र-भवः | शोकः | अग्नेः | ज्येष्ठम् | माता | सूनवे | भागम् | आ | अधात् | अनु | अस्य | केतम् | इषितम् | सवित्रा // ऋ. वे. २,३८.५ //
//२//.

-ऋ. वे. २:८/३-
सम्-आववर्ति | वि-स्थितः | जिगीषुः | विश्वेषाम् | कामः | चरताम् | अमा | अभूत् | शश्वान् | अपः | वि-कृतम् | हित्वी | आ | अगात् | अनु | व्रतम् | सवितुः | दैव्यस्य // ऋ. वे. २,३८.६ //
त्वया | हितम् | अप्यम् | अप्-सु | भागम् | धन्व | अनु | आ | मृगयसः | वि | तस्थुः | वनानि | वि-भ्यः | नकिः | अस्य | तानि | व्रता | देवस्य | सवितुः | मिनन्ति // ऋ. वे. २,३८.७ //
यात्-राध्यम् | वरुणः | योनिम् | अप्यम् | अनि-शितम् | नि-मिषि | जर्भुराणः | विश्वः | मार्ताण्डः | व्रजम् | आ | पशुः | गात् | स्थ-शः | जन्मानि | सविता | वि | आ | अकर् इत्य् अकः // ऋ. वे. २,३८.८ //
न | यस्य | इन्द्रः | वरुणः | न | मित्रः | व्रतम् | अर्यमा | न | मिनन्ति | रुद्रः | न | अरातयः | तम् | इदम् | स्वस्ति | हुवे | देवम् | सवितारम् | नमः-भिः // ऋ. वे. २,३८.९ //
भगम् | धियम् | वाजयन्तः | पुरम्-धिम् | नराशंसः | ग्नाःपतिः | नः | अव्याः | आअये | वामस्य | सम्-गथे | रयीणाम् | प्रियाः | देवस्य | सवितुः | स्याम // ऋ. वे. २,३८.१० //
अस्मभ्यम् | तत् | दिवः | अत्-भ्यः | पृथिव्याः | त्वया | दत्तम् | काम्यम् | राधः | आ | गात् | शम् | यत् | स्तोतृ-भ्यः | आपये | भवाति | उरु-शंसाय | सवितः | जरित्रे // ऋ. वे. २,३८.११ //
//३//.

-ऋ. वे. २:८/४-
(ऋ. वे. २,३९)
ग्रावाणाइव | तत् | इत् | अर्थम् | जरेथेइति | गृध्राइव | वृक्षम् | निधि-मन्तम् | अच्छ | ब्रह्माणाइव | विदथे | उक्थ-शसा | दूताइव | हव्या | जन्या | पुरु-त्रा // ऋ. वे. २,३९.१ //
प्रातः-यावाना | रथ्याइव | वीरा | अजाइव | यमा | वरम् | आ | सचेथेइति | मेनेइवेतिमेने--इव | तन्वा | शुम्भमानेइति | दम्पतीइवेतिदम्पती-इव | क्रतु-विदा | जनेषु // ऋ. वे. २,३९.२ //
शृण्गाइव | नः | प्रथमा | गन्तम् | अर्वाक् | शफौ-इव | जर्भुराणा | तरः-भिः | चक्रवाकाइव | प्रति | वस्तोः | उस्रा | अर्वाञ्चा | यातम् | रथ्याइव | शक्रा // ऋ. वे. २,३९.३ //
नावाइव | नः | पारयतम् | युगाइव | नभ्याइव | नः | उपधी इवेत्य् उपधी-इव | प्रधी इवेत्य् प्रधी-इव | / श्वानाइव | नः | अरिषण्या | तनूनाम् खृगलाइव | वि-स्रसः | पातम् | अस्मान् // ऋ. वे. २,३९.४ //
वाताइव | अजुर्या | नद्याइव | रीतिः | अक्षीइवेत्य् अक्षी-इव | चक्षुषा | आ | यातम् | अर्वाक् | हस्तौ-इव | तन्वे | शम्-भविष्ठा | पादाइव | नः | नयतम् | वस्यः | अच्छ // ऋ. वे. २,३९.५ //
//४//.

-ऋ. वे. २:८/५-
ओष्ठौ-इव | मधु | आस्ने | वदन्ता | स्तनौ-इव | पिप्यतम् | जीवसे | नः | नासाइव | नः | तन्वः | रक्षितारा | कर्णौ-इव | सु-श्रुता | भूतम् | अस्मे इति // ऋ. वे. २,३९.६ //
हस्ताइव | शक्तिम् | अभि | सन्ददी इतिसम्-ददी | नः | क्षामाइव | नः | सम् | अजतम् | रजांसि | इमाः | गिरः | अश्व् इना | युष्म-यन्तीः | क्ष्णोत्रेण-इव | स्व-धितिम् | सम् | शिशीतम् // ऋ. वे. २,३९.७ //
एतानि | वाम् | अश्विना | वर्धनानि | ब्रह्म | स्तोमम् | गृत्स-मदासः | अक्रन् | तानि | नरा | जुजुषाणा | उप | यातम् | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,३९.८ //
//५//.

-ऋ. वे. २:८/६-
(ऋ. वे. २,४०)
सोमापूषणा | जनना | रयीणाम् | जनना | दिवः | जनना | पृथिव्याः | जातौ | विश्वस्य | भुवनस्य | गोपौ | देवाः | अकृण्वन् | अमृतस्य | नाभिम् // ऋ. वे. २,४०.१ //
इमौ | देवौ | जायमानौ | जुषन्त | इमौ | तमांसि | गूहताम् | अजुष्टा | आभ्याम् | इन्द्रः | पक्वम् | आमासु | अन्तरिति | सोमापूष-भ्याम् | जनत् | उस्रियासु // ऋ. वे. २,४०.२ //
सोमापूषणा | रजसः | वि-मानम् | सप्त-चक्रम् | रथम् | अविश्व-मिन्वम् | विषु-वृतम् | मनसा | युज्यमानम् | तम् | जिन्वथः | वृषणा | पञ्च-रश्मिम् // ऋ. वे. २,४०.३ //
दिवि | अन्यः | सदनम् | चक्रे | उच्चा | पृथिव्याम् | अन्यः | अधि | अन्तरिक्षे | तौ | अस्मभ्यम् | पुरु-वारम् | पुरु-क्षुम् | रायः | पोषम् | वि | स्यताम् | नाभिम् | अस्मे इति // ऋ. वे. २,४०.४ //
विश्वानि | अन्यः | भुवना | जजान | विश्वम् | अन्यः | अभि-चक्षाणः | एति | सोमापूषणौ | अवतम् | धियम् | मे | युवाभ्याम् | विश्वाः | पृतनाः | जयेम // ऋ. वे. २,४०.५ //
धियम् | पूषा | जिन्वतु | विश्वम्-इन्वः | रयिम् | सोमः | रयि-पतिः | दधातु | अवतु | देवी | अदितिः | अनर्वा | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,४०.६ //
//६//.

-ऋ. वे. २:८/७-
(ऋ. वे. २,४१)
वायो इति | ये | ते | सहस्रिणः | रथासः | तेभिः | आ | गहि | नियुत्वान् | सोम-पीतये // ऋ. वे. २,४१.१ //
नियुत्वान् | वायो इति | आ | गहि | अयम् | शुक्रः | अयामि | ते | गन्ता | असि | सुन्वतः | गृहम् // ऋ. वे. २,४१.२ //
शुक्रस्य | अद्य | गो--आशिरः | इन्द्रवायूइति | नियुत्वतः | आ | यातम् | पिबतम् | नरा // ऋ. वे. २,४१.३ //
अयम् | वाम् | मित्रावरुणा | सुतः | सोमः | ऋत-वृधा | मम | इत् | इह | श्रतम् | हवम् // ऋ. वे. २,४१.४ //
राजानौ | अनभि-द्रुहा | ध्रुवे | सदसि | उत्-तमे | सहस्र-स्थूणे | आसातेइति // ऋ. वे. २,४१.५ //
//७//.

-ऋ. वे. २:८/८-
ता | सम्-राजा | घृतासुती इतिघृत-आसुती | आदित्या | दानुनः | पती | सचेतेइति | अनव-ह्वरम् // ऋ. वे. २,४१.६ //
गो--मत् | ॐ इति | सु | नासत्या | अस्व-वत् | यातम् | अश्विना | वर्तिः | रुद्रा | नृ-पाय्यम् // ऋ. वे. २,४१.७ //
न | यत् | परः | न | अन्तरः | आदधर्षत् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | दुः-शंसः | मर्त्यः | रिपुः // ऋ. वे. २,४१.८ //
ता | नः | आ | वोऌहम् | अश्विना | रयिम् | पिशङ्ग-सन्दृशम् | धिष्ण्या | वरिवः-विदम् // ऋ. वे. २,४१.९ //
इन्द्रः | अङ्ग | महत् | भयम् | अभि | सत् | अप | चुच्यवत् | सः | हि | स्थिरः | वि-चर्षणिः // ऋ. वे. २,४१.१० //
//८//.

-ऋ. वे. २:८/९-
इन्द्रः | च | मृऌअयाति | नः | न | नः | पश्चात् | अघम् | नशत् | भद्रम् | भवाति | नः | पुरः // ऋ. वे. २,४१.११ //
इन्द्रः | आशाभ्यः | परि | सर्वाभ्यः | अभयम् | करत् | जेता | शत्रून् | वि-चषर्णिः // ऋ. वे. २,४१.१२ //
विश्वे | देवासः | आ | गत | शृणुत | मे | इमम् | हवम् | आ | इदम् | बर्हिः | नि | सीदत // ऋ. वे. २,४१.१३ //
तीव्रः | वः | मधु-मान् | अयम् | शुन-होत्रेषु | मत्सरः | एतम् | पिबत | काम्यम् // ऋ. वे. २,४१.१४ //
इन्द्र-ज्येष्ठाः | मरुत्-गणाः | देवासः | पूष-रातयः | विश्वे | मम | श्रुत | हवम् // ऋ. वे. २,४१.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. २:८/१०-
अम्बि-तमे | नदी-तमे | देवि-तमे | सरस्वति | अप्रशस्ताः-इव | स्मसि | प्र-शस्तिम् | अम्ब | नः | कृधि // ऋ. वे. २,४१.१६ //
त्वे | विश्वा | सरस्वति | श्रिता | आयूंषि | देव्याम् | शुन-होत्रेषु | मत्स्व | प्र-जाम् | देवि | दिदिड्ढि | नः // ऋ. वे. २,४१.१७ //
इमा | ब्रह्म | सरस्वति | जुषस्व | वाजिनीवति | या | ते | मन्म | गृत्स-मदाः | ऋत-वरि | प्रिया | देवेषु | जुह्वति // ऋ. वे. २,४१.१८ //
प्र | इताम् | यज्ञस्य | शम्-भुवा | युवाम् | इत् | आ | वृणीमहे | अग्निम् | च | हव्य-वाहनम् // ऋ. वे. २,४१.१९ //
द्यावा | नः | पृथिवी इति | इमम् | सिध्रम् | अद्य | दिवि-स्पृशम् | यज्ञम् | देवेषु | यच्छताम् // ऋ. वे. २,४१.२० //
आ | वाम् | उप-स्थम् | अद्रुहा | देवाः | सीदन्तु | यज्ञियाः | इह | अद्य | सोम-पीतये // ऋ. वे. २,४१.२१ //
//१०//.

-ऋ. वे. २:८/११-
(ऋ. वे. २,४२)
कनिक्रदत् | जनुषम् | प्र-ब्रुवाणः | इयर्ति | वाचम् | अरिताइव | नावम् | सु-मङ्गलः | च | शकुने | भवासि | मा | त्वा | का | चित् | अभि-भा | विश्व्या | विदत् // ऋ. वे. २,४२.१ //
मा | त्वा | श्येनः | उत् | वधीत् | मा | सु-पर्णः | मा | त्वा | विदत् | इषु-मान् | वीरः | अस्ता | पित्र्याम् | अनु | प्र-दिशम् | कनिक्रदत् | सु-मङ्गलः | भद्र-वादी | वद | इह // ऋ. वे. २,४२.२ //
अव | क्रन्द | दक्षिणतः | गृहाणाम् | सु-मङ्गलः | भद्र-वादी | शकुन्ते | मा | नः | स्तेनः | ईशत | मा | अघ-शंसः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. २,४२.३ //
//११//.

-ऋ. वे. २:८/१२-
(ऋ. वे. २,४३)
प्र-दक्षिणित् | अभि | गृणन्ति | कारवः | वयः | वदन्तः | ऋतु-था | शकुन्तयः | उभे इति | वाचौ | वदति | साम-गाः-इव | गायत्रम् | च | त्रैस्तुभम् | च | अनु | राजति // ऋ. वे. २,४३.१ //
उद्गाताइव | शकुने | साम | गायसि | ब्रह्मपुत्रः-इव | सवनेषु | शंससि | वृषाइव | वाजी | शिशु-मतीः | अपि-इत्य | सर्वतः | नः | शकुने | भद्रम् | आ | वद | विश्वतः | नः | शकुने | पुण्यम् | आ | वद // ऋ. वे. २,४३.२ //
आवदन् | त्वम् | सकुने | भद्रम् | आ | वद | तूष्णीम् | आसीनः | सु-मतिम् | चिकिद्धि | नः | यत् | उत्-पतन् | वदसि | कर्करिः | यथा | बृहत् | वदेम | व् // ऋ. वे. २,४३.३ //
//१२//.