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ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-६

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मण्डलम्-६
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-ऋ. वे. ४:४/३५-
(ऋ. वे. ६,१)
त्वम् | हि | अग्ने | प्रथमः | मनोता | अस्याः | धियः | अभवः | दस्म | होता | त्वम् | सीम् | वृषन् | अकृणोः | दुस्तरीतु | सहः | विश्वस्मै | सहसे | सहध्यै // ऋ. वे. ६,१.१ //
अध | हाता | नि | असीदः | यजीयान् | इऌअः | पदे | इषयन् | ईड्यः | सन् | तम् | त्वा | नरः | प्रथमम् | देव-यन्तः | महः | राये | चितयन्तः | अनु | ग्मन् // ऋ. वे. ६,१.२ //
वृताइव | यन्तम् | बहु-भिः | वसव्यैः | त्वे इति | रयिम् | जागृ-वांसः | अनु | ग्मन् | रुशन्तम् | अग्निम् | दर्शतम् | बृहन्तम् | वपावन्तम् | विश्वहा | दीदि-वांसम् // ऋ. वे. ६,१.३ //
पदम् | देवस्य | नमसा | व्यन्तः | श्रवस्यवः | श्रवः | आपन् | अमृक्तम् | नामानि | चित् | दधिरे | यज्ञियानि | भद्रायाम् | ते | रणयन्त | सम्-दृष्टौ // ऋ. वे. ६,१.४ //
त्वाम् | वर्धन्ति | क्षितयः | पृथिव्याम् | त्वाम् | रायः | उभयासः | जनानाम् | त्वम् | त्राता | तरणे | चेत्यः | भूः | पिता | माता | सदम् | इत् | मानुषाणाम् // ऋ. वे. ६,१.५ //
//३५//.

-ऋ. वे. ४:४/३६-
सपर्येण्यः | सः | प्रियः | विक्षु | अग्निः | होता | मन्द्रः | नि | सिसाद | यजीयान् | तम् | त्वा | वयम् | दमे | आ | दीदि-वांसम् | उप | ज्ञु-बाधः | नमसा | सदेम // ऋ. वे. ६,१.६ //
त्वम् | त्वा | वयम् | सु-ध्यः | नव्यम् | अग्ने | सुम्न-यवः | ईमहे | देव-यन्तः | त्वम् | विशः | अनयः | दीद्यानः | दिवः | अग्ने | बृहता | रोचनेन // ऋ. वे. ६,१.७ //
विशाम् | कविम् | विश्पतिम् | शश्वतीनाम् | नि-तोशनम् | वृषभम् | चर्षणीनाम् | प्रेति-इषणिम् | इषयन्तम् | पावकम् | राजन्तम् | अग्निम् | यजतम् | रयीणाम् // ऋ. वे. ६,१.८ //
सः | अग्ने | ईजे | शशमे | च | मर्तः | यः | ते | आनट् | सम्-इधा | हव्य-दातिम् | यः | आहुतिम् | परि | वेद | नमः-भिः | विश्वा | इत् | सः | वामा | दधते | त्वाऊतः // ऋ. वे. ६,१.९ //
अस्म्सि | ॐ इति | ते | महि | महे | विधेम | नमः-भिः | अग्ने | सम्-इधा | उत | हव्यैः | वेदी | सूनो इति | सहसः | गीः-भिः | उक्थैः | आ | ते | भद्रायाम् | सु-मतौ | यातेम // ऋ. वे. ६,१.१० //
आ | यः | ततन्थ | रोदसी इति | वि | भासा | श्रवः-भिः | च | श्रवस्यः | तरुत्रः | बृहत्-भिः | वाजैः | स्थविरेभिः | अस्मे इति | रेवत्-भिः | अग्ने | वि-तरम् | वि | भाहि // ऋ. वे. ६,१.११ //
नृ-वत् | वसो इति | सदम् | इत् | धेहि | अस्मे इति | भूरि | तोकाय | तनयाय | पश्वः | पूर्वीः | इषः | बृहतीः | आरे--अघाः | अस्मे इति | भद्रा | सौश्रवसानि | सन्तु // ऋ. वे. ६,१.१२ //
पुरूणि | अग्ने | पुरुधा | त्वाया | वसूनि | राजन् | वसुता | ते | अश्याम् | पुरूणि | हि | त्वे इति | पुरु-वार | सन्ति | अग्ने | वसु | विधते | राजनि | त्वे इति // ऋ. वे. ६,१.१३ //
//३६//.

-ऋ. वे. ४:५/१-
(ऋ. वे. ६,२)
त्वम् | हि | क्षैत-वत् | यशः | अग्ने | मित्रः | न | पत्यसे | त्वम् | वि-चर्षणे | श्रवः | वसो इति | पुष्टिम् | न | पुष्यसि // ऋ. वे. ६,२.१ //
त्वाम् | हि | स्म | चर्षणयः | यज्ञेभिः | गीः-भिः | ईऌअते | त्वाम् | वाजी | याति | अवृकः | रजः-तूः | विश्व-चर्षणिः // ऋ. वे. ६,२.२ //
स-जोषः | त्वा | दिवः | नरः | यज्ञस्य | केतुम् | इन्धते | यत् | ह | स्य | मानुषः | जनः | सुम्न-युः | जुह्वे | अध्वरे // ऋ. वे. ६,२.३ //
ऋधत् | यः | ते | सु-दानवे | धिया | मर्तः | शशमते | ऊती | सः | बृहतः | दिवः | द्विषः | अंहः | न | तरति // ऋ. वे. ६,२.४ //
सम्-इधा | यः | ते | आहुतिम् | नि-शितिम् | मर्त्यः | नशत् | वयावन्तम् | सः | पुष्यति | क्षयम् | अग्ने | शत-आयुषम् // ऋ. वे. ६,२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:५/२-
त्वेषः | ते | धूमः | ऋण्वति | दिवि | सन् | शुक्रः | आततः | सूरः | न | हि | द्युता | त्वम् | कृपा | पावक | रोचसे // ऋ. वे. ६,२.६ //
अध | हि | विक्षु | ईड्यः | असि | प्रियः | नः | अतिथिः | रण्वः | पुरि-इव | जूयर्ः | सूनुः | न | त्रययाय्यः // ऋ. वे. ६,२.७ //
क्रत्वा | हि | द्रोणे | अज्यसे | अग्ने | वाजी | न | कृत्व्यः | परिज्माइव | स्वधा | गयः | अत्यः | न | ह्वार्यः | शिशुः // ऋ. वे. ६,२.८ //
त्वम् | त्या | चित् | अच्युता | अग्ने | पशुः | न | यवसे | धाम | ह | यत् | ते | अजर | वना | वृश्चन्ति | शिक्वसः // ऋ. वे. ६,२.९ //
वेषि | हि | अध्वरि-यताम् | अग्ने | होता | दमे | विशाम् | सम्-ऋधः | विश्पते | कृणु | जुषस्व | हव्यम् | अङ्गिरः // ऋ. वे. ६,२.१० //
अच्छ | नः | मित्र-महः | देव | देवान् | अग्ने | वोचः | सु-मतिम् | रोदस्योः | वीहि | स्वस्तिम् | सु-क्षितिम् | दिवः | नॄन् | द्विषः | अंहांसि | दुः-इता | तरेम | ता | तरेम | तव | अवसा | तरेम // ऋ. वे. ६,२.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ४:५/३-
(ऋ. वे. ६,३)
अग्ने | सः | क्षेषत् | ऋत-पाः | ऋते--जाः | उरु | ज्योतिः | नशते | देव-युः | ते | यम् | त्वम् | मित्रेण | वरुणः | स-जोषाः | देव | पासि | त्यजसा | मर्तम् | अंहः // ऋ. वे. ६,३.१ //
ईजे | यज्ञेभिः | शशमे | शमीभिः | ऋधत्-वाराय | अग्नये | ददाश | एव | चन | तम् | यशसाम् | अजुष्टिः | न | अंहः | मर्तम् | नशते | न | प्र-दृप्तिः // ऋ. वे. ६,३.२ //
सूरः | न | यस्य | दृशतिः | अरेपाः | भीमा | यत् | एति | शुचतः | ते | आ | धीः | हेषस्वतः | शुरुधः | न | अयम् | अक्तोः | कुत्राअ | चित् | रण्वः | वसतिः | वने--जाः // ऋ. वे. ६,३.३ //
तिग्मम् | चित् | एम | महि | वर्पः | अस्य | भसत् | अश्वः | न | यमसान | आसा | वि-जेहमानः | परशुः | न | जिह्वाम् | द्रविः | न | द्रवयति | दारु | धक्षत् // ऋ. वे. ६,३.४ //
सः | इत् | अस्ताइव | प्रति | धात् | असिष्यन् | शिशीत | तेजः | अयसः | न | धाराम् | चित्र-ध्रजतिः | अरतिः | यः | अक्तोः | वेः | न | द्रु-सद्वा | रघुपत्म-जंहाः // ऋ. वे. ६,३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:५/४-
सः | ईम् | रेभः | न | प्रति | वस्ते | उस्राः | शोचिषा | ररपीति | मित्र्-अमहाः | नक्तम् | यः | ईम् | अरुषः | यः | दिवा | नॄन् | अमर्त्यः | अरुषः | यः | दिवा | नॄन् // ऋ. वे. ६,३.६ //
दिवः | न | यस्य | विधतः | नवीनोत् | वृषा | रुक्षः | ओषधीषु | नूनोत् | घृणा | न | यः | ध्रजसा | पत्मना | यन् | आ | रोदसी इति | वसुना | दम् | सुपत्नी इतिसु-पत्नी // ऋ. वे. ६,३.७ //
धायः-भिः | वा | यः | युज्येभिः | अर्कैः | विद्युत् | न | दविद्योत् | स्वेभिः | शुष्मैः | शर्धः | वा | यः | मरुताम् | ततक्ष | ऋभुः | न | त्वेषः | रभसानः | अद्यौत् // ऋ. वे. ६,३.८ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:५/५-
(ऋ. वे. ६,४)
यथा | होतः | मनुषः | देव-ताता | यज्ञेभिः | सूनो इति | सहसः | यजासि | एव | नः | अद्य | समना | समानान् | उशन् | अग्ने | उशसः | यक्षि | देवान् // ऋ. वे. ६,४.१ //
सः | नः | विभावा | चक्षणिः | न | वस्तोः | अग्निः | वन्दारु | वेद्यः | चनः | धात् | विश्व-आयुः | यः | अमृतः | मर्त्येषु | उषः-भुत् | भूत् | अतिथिः | जात-वेदाः // ऋ. वे. ६,४.२ //
द्यावः | न | यस्य | पनयन्ति | अभ्वम् | भासांसि | वस्ते | सूर्यः | न | शुक्रः | वि | यः | इनोति | अजरः | पावकः | अश्नस्य | चित् | शिश्नथत् | पूर्व्याणि // ऋ. वे. ६,४.३ //
वद्मा | हि | सूनो इति | असि | अद्म-सद्वा | चक्रे | अग्निः | जनुषा | अज्मा | अन्नम् | सः | त्वम् | नः | ऊर्ज-सने | ऊर्जम् | धाः | राजाइव | जेः | अवृके | क्षेषि | अन्तरिति // ऋ. वे. ६,४.४ //
नि-तिक्ति | यः | वारनम् | अन्नम् | अत्ति | वायुः | न | राष्ट्री | अति | एति | अक्तून् | तुयार्मः | यः | ते | आदिशाम् | अरातीः | अत्यः | न | ह्रुतः | पततः | परि-ह्रुत् // ऋ. वे. ६,४.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:५/६-
आ | सूर्यः | न | भानुमत्-भिः | अर्कैः | अग्ने | ततन्थ | रोदसी इति | वि | भासा | चित्रः | नयत् | परि | तमांसि | अक्तः | शोचिषा | पत्मन् | औशिजः | न | दीयन् // ऋ. वे. ६,४.६ //
त्वाम् | हि | मन्द्र-तमम् | अर्क-शोकैः | ववृमहे | महि | नः | श्रोषि | अग्ने | इन्द्रम् | न | त्वा | शवसा | देवता | वायुम् | पृणन्ति | राधसा | नृ-तमाः // ऋ. वे. ६,४.७ //
नु | नः | अग्ने | अवृकेभिः | स्वस्ति | वेषि | रायः | पथि-भिः | पर्षि | अंहः | ता | सूरि-भ्यः | गृणते | रासि | सुम्नम् | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,४.८ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:५/७-
(ऋ. वे. ६,५)
हुवे | वः | सूनुम् | सहसः | युवानम् | अद्रोघ-वाचम् | मति-भिः | यविष्ठम् | यः | इन्वति | द्रविणानि | प्र-चेताः | विश्व-वाराणि | पुरु-वारः | अध्रुक् // ऋ. वे. ६,५.१ //
त्वे इति | वसूनि | पुरु-अणीक | होतः | दोषा | वस्तोः | आ | ईरिरे | यज्ञियासः | क्षाम-इव | विश्वा | भुवनानि | यस्मिन् | सम् | सौभगानि | दधिरे | पावके // ऋ. वे. ६,५.२ //
त्वम् | विक्षु | प्र-दिवः | सीद | आसु | क्रत्वा | रथीः | अभवः | वार्याणाम् | अतः | इनोषि | विधते | चिकित्वः | वि | आनुषक् | जात-वेदः | वसूनि // ऋ. वे. ६,५.३ //
यः | नः | सनुत्यः | अभि-दासत् | अग्ने | यः | अन्तरः | मित्र-महः | वनुष्यात् | तम् | अजरेभिः | वृष-भिः | तव | स्वैः | तप | तपिष्ठ | तपसा | तपस्वान् // ऋ. वे. ६,५.४ //
यः | ते | यज्ञेन | सम्-इधा | यः | उक्थैः | अर्केभिः | सूनो इति | सहसः | ददाशत् | सः | मर्त्येषु | अमृत | प्र-चेता | राया | द्युम्नेन | श्रवसा | वि | भाति // ऋ. वे. ६,५.५ //
सः | तत् | कृधि | इषितः | तूयम् | अग्ने | स्पृधः | बाधस्व | सहसा | सहस्वान् | यत् | शस्यसे | द्यु-भिः | अक्तः | वचः-भिः | तत् | जुषस्व | जरितुः | घोषि | मन्म // ऋ. वे. ६,५.६ //
अश्याम | तम् | कामम् | अग्ने | तव | ऊती | अश्याम | रयिम् | रयि-वः | सु-वीरम् | अश्याम | वाजम् | अभि | वाजयन्त्स् | अश्याम | द्युम्नम् | अजर | अजरम् | ते // ऋ. वे. ६,५.७ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:५/८-
(ऋ. वे. ६,६)
प्र | नव्यसा | सहसः | सूनुम् | अच्छ | यज्ञेन | गातुम् | अवः | इच्छमानः | वृश्चत्-वनम् | कृष्णयामम् | रुशन्तम् | वीती | होतारम् | दिव्यम् | जिगाति // ऋ. वे. ६,६.१ //
सः | श्वितानः | तान्यतुः | रोचन-स्थाः | अजरेभिः | नानदत्-भिः | यविष्ठः | यः | पावकः | पुरु-तमः | पुरूणि | पृथूनि | अग्निः | अनु-याति | भर्वन् // ऋ. वे. ६,६.२ //
वि | ते | विष्वक् | वात-जूतासः | अग्ने | भामासः | शुचे | शुचयः | चरन्ति | तुवि-म्रक्षासः | दिव्याः | नव-ग्वाः | वना | वनन्ति | धृषता | रुजन्तः // ऋ. वे. ६,६.३ //
ये | ते | शुक्रासः | शुचयः | शुचिष्मः | क्षाम् | वपन्ति | वि-सितासः | अश्वाः | अध | भ्रमः | ते | उर्विया | वि | भाति | यातयमानः | अधि | सानु | पृश्नेः // ऋ. वे. ६,६.४ //
अध | जिह्वा | पापतीति | प्र | वृष्णः | गोषु-युधः | न | अशनिः | सृजाना | शूरस्य-इव | प्र-सितिः | क्षातिः | अग्नेः | दुः-वर्तुः | भीमः | दयते | वनानि // ऋ. वे. ६,६.५ //
आ | भानुना | पार्थिवानि | ज्रयांसि | महः | तोदस्य | धृषता | ततन्थ | सः | बाधस्व | अप | भया | सहः-भिः | स्पृधः | वनुष्यन् | वनुषः | नि | जूवर् // ऋ. वे. ६,६.६ //
सः | चित्र | चित्रम् | चितयन्तम् | अस्मे इति | चित्र-क्षत्र | चित्र-तमम् | वयः-धाम् | चन्द्रम् | रयिम् | पुरु-वीरम् | बृहन्तम् | चन्द्र | चन्द्राभिः | गृणते | युवस्व // ऋ. वे. ६,६.७ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:५/९-
(ऋ. वे. ६,७)
मूर्धानम् | दिवः | अरतिम् | पृथिव्याः | वैश्वानरम् | ऋते | आ | जातम् | अग्निम् | कविम् | सम्-राजम् | अतिथिम् | जनानाम् | आसन् | आ | पात्रम् | जनयन्त | देवाः // ऋ. वे. ६,७.१ //
नाभिम् | यज्ञानाम् | सदनम् | रयीणाम् | महाम् | आहावम् | अभि | सम् | नवन्त | वैश्वानरम् | रथ्यम् | अध्वराणाम् | यज्ञस्य | केतुम् | जनयन्त | देवाः // ऋ. वे. ६,७.२ //
त्वत् | विप्रः | जायते | वाजी | अग्ने | त्वत् | वीरासः | अभिमाति-साहः | वैश्वानर | त्वम् | अस्मासु | धेहि | वसूनि | राजन् | स्पृहयाय्याणि // ऋ. वे. ६,७.३ //
त्वाम् | विश्वे | अमृत | जायमानम् | शिशुम् | न | देवाः | अभि | सम् | नवन्ते | तव | क्रतु-भिः | अमृत-त्वम् | आयन् | वैश्वानर | यत् | पित्रोः | अदीदेः // ऋ. वे. ६,७.४ //
वैश्वानर | तव | तानि | व्रतानि | महानि | अग्ने | नकिः | आ | दधर्ष | यत् | जायमानः | पित्रोः | उप-स्थे | अविन्दः | केतुम् | वयुनेषु | अह्नाम् // ऋ. वे. ६,७.५ //
वैश्वानरस्य | वि-मितानि | चक्षसा | सानूनि | दिवः | अमृतस्य | केतुना | तस्य | इत् | ॐ इति | विश्वा | भुवना | अधि | मूर्धनि | वयाः-इव | रुरुहुः | सप्त | वि-स्रुहः // ऋ. वे. ६,७.६ //
वि | यः | रजांसि | अमिमीत | सु-क्रतुः | वैश्वानरः | वि | दिवः | रोचना | कवि ः | परि | यः | विश्वा | भुवनानि | पप्रथे | अदब्धः | गोपाः | अमृतस्य | रक्षि ता // ऋ. वे. ६,७.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:५/१०-
(ऋ. वे. ६,८)
पृक्षस्य | वृष्णः | अरुषस्य | नु | सहः | प्र | नु | वोचम् | विदथा | जात-वेदसः | वैश्वानराय | मतिः | नव्यसी | शुचिः | सोमः-इव | पवते | चारुः | अग्नये // ऋ. वे. ६,८.१ //
सः | जायमानः | परमे | वि-ओमनि | व्रतानि | अग्निः | व्रत-पाः | अरक्षत | वि | अन्तरिक्षम् | अमिमीत | सु-क्रतुः | वैश्वानरः | महिना | नाकम् | अस्पृशत् // ऋ. वे. ६,८.२ //
वि | अस्तभ्नात् | रोदसी इति | मित्रः | अद्भुतः | अन्तः-वावत् | अकृणोत् | ज्योतिषा | तमः | वि | चर्मणीइवेत् इचर्मणी-इव | धिषणेइति | अवर्तयत् | वैश्वानरः | विश्वम् | अधत्त | वृष्ण्यम् // ऋ. वे. ६,८.३ //
अपाम् | उप-स्थे | महिषाः | अगृभ्णत | विशः | राजानम् | उप | तस्थुः | ऋग्मियम् | आ | दूतः | अग्निम् | अभरत् | विवस्वतः | वैश्वानरम् | मातरिश्वा | परावतः // ऋ. वे. ६,८.४ //
युगे--युगे | विदथ्यम् | गृणत्-भ्यः | अग्ने | रयिम् | यशसम् | धेहि | नव्यसीम् | पव्याइव | राजन् | अघ-शंसम् | अजर | नीचा | नि | वृश्च | वनिनम् | न | तेजसा // ऋ. वे. ६,८.५ //
अस्माकम् | अग्ने | मघवत्-सु | धारय | अनामि | क्षत्रम् | अजरम् | सु-वीर्यम् | वयम् | जयेम | शतिनम् | सहस्रिणम् | वैश्वानर | वाजम् | अग्ने | तव | ऊति-भिः // ऋ. वे. ६,८.६ //
अदब्धेभिः | तव | गोपाभिः | इष्टे | अस्माकम् | पाहि | त्रि-सदस्थ | सूरीन् | रक्ष | च | नः | ददुषाम् | शर्धः | अग्ने | वैश्वानर | प्र | च | तारीः | स्तवानः // ऋ. वे. ६,८.७ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:५/११-
(ऋ. वे. ६,९)
अहः | च | कृष्णम् | अहः | अर्जुनम् | च | वि | वर्तेतेइति | रजसी इति | वेद्याभिः | वैश्वानरः | जायमानः | न | राजा | अव | अतिरत् | ज्योतिषा | अग्निः | तमांसि // ऋ. वे. ६,९.१ //
न | अहम् | तन्तुम् | न | वि | जानामि | ओतुम् | न | यम् | वयन्ति | सम्-अरे | अतमानाः | कस्य | स्वित् | पुत्रः | इह | वक्त्वानि | परः | वदाति | अवरेण | पित्रा // ऋ. वे. ६,९.२ //
सः | इत् | तन्तुम् | सः | वि | जानाति | ओतुम् | सः | वक्त्वानि | ऋतु-था | वदाति | यः | ईम् | चिकेतत् | अमृतस्य | गोपाः | अवः | चरन् | परः | अन्येन | पश्यन् // ऋ. वे. ६,९.३ //
अयम् | होता | प्रथमः | पश्यत | इमम् | इदम् | ज्योतिः | अमृतम् | मर्त्येषु | अयम् | सः | जज्ञे | ध्रुवः | आ | नि-सत्तः | अमर्त्यः | तन्वा | वर्धमानः // ऋ. वे. ६,९.४ //
ध्रुवम् | ज्योतिः | नि-हितम् | दृशये | कम् | मनः | जविष्ठम् | पतयत्-सु | अन्तरिति | विश्वे | देवाः | स-मनसः | स-केताः | एकम् | क्रतुम् | अभि | वि | यान्ति | साधु // ऋ. वे. ६,९.५ //
वि | मे | कर्णा | पतयतः | वि | चक्षुः | वि | इदम् | ज्योतिः | हृदये | आहितम् | यत् | वि | मे | मनः | चरति | दूरे--आधीः | किम् | स्वित् | वक्ष्यामि | किम् | ॐ इति | नु | मनिष्ये // ऋ. वे. ६,९.६ //
विश्वे | देवाः | अनमस्यन् | भियानाः | त्वाम् | अग्ने | तमसि | तस्थि-वांसम् | वैश्वानरः | अवतु | ऊतये | नः | अमर्त्यः | अवतु | ऊतये | नः // ऋ. वे. ६,९.७ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:५/१२-
(ऋ. वे. ६,१०)
पुरः | वः | मन्द्रम् | दिव्यम् | सु-वृक्तिम् | प्र-यति | यज्ञे | अग्निम् | अध्वरे | दधिध्वम् | पुरः | उक्थेभिः | सः | हि | नः | विभावा | सु-अध्वरा | कारति | जात-वेदाः // ऋ. वे. ६,१०.१ //
तम् | ॐ इति | द्यु-मः | पुरु-अणीक | होतः | अग्ने | अग्नि-भिः | मनुषः | इधानः | स्तोमम् | यम् | अस्मै | ममताइव | शूषम् | घृतम् | न | शुचि | मतयः | पवन्ते // ऋ. वे. ६,१०.२ //
पीपाय | सः | श्रवसा | मर्त्येषु | यः | अग्नये | ददाश | विप्रः | उक्थैः | चित्राभिः | तम् | ऊति-भिः | चित्र-शोचिः | व्रजस्य | साता | गो--मतः | दधाति // ऋ. वे. ६,१०.३ //
आ | यः | पप्रौ | जायमानः | उर्वी इति | दूरे--दृशा | भासा | कृष्ण-अध्वा | अध | बहु | चित् | तमः | ऊर्म्यायाः | तिरः | शोचिषा | ददृशे | पावकः // ऋ. वे. ६,१०.४ //
नु | नः | चित्रम् | पुरु-वाजाभिः | ऊती | अग्ने | रयिम् | मघवत्-भ्यः | च | धेहि | ये | राधसा | श्रवसा | च | अति | अन्यान् | सु-वीर्येभिः | च | अभि | सन्ति | जनान् // ऋ. वे. ६,१०.५ //
इमम् | यज्ञम् | चनः | धाः | अग्ने | उशन् | यम् | ते | आसानः | जुहुते | हविष्मान् | भरत्-वाजेषु | दधिषे | सु-वृक्तिम् | अवीः | वाजस्य | गध्यस्य | सातौ // ऋ. वे. ६,१०.६ //
वि | द्वेषांसि | इनुहि | वर्धय | इऌआम् | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,१०.७ //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:५/१३-
(ऋ. वे. ६,११)
यजस्व | होतः | इषितः | यजीयान् | अग्ने | बाधः | मरुताम् | न | प्र-युक्ति | आ | नः | मित्रावरुणा | नासत्या | द्यावा | होत्राय | पृथिवी इति | ववृत्याः // ऋ. वे. ६,११.१ //
त्वम् | होता | मन्द्र-तमः | नः | अध्रुक् | अन्तः | देवः | विदथा | मर्तेषु | पावकया | जुह्वा | वह्निः | आसा | अग्ने | यजस्व | तन्वम् | तव | स्वाम् // ऋ. वे. ६,११.२ //
धन्या | चित् | हि | त्वे इति | धिषणा | वष्टि | प्र | देवान् | जन्म | गृणते | यजध्यै | वेपिष्ठः | अङ्गिरसाम् | यत् | ह | विप्रः | मधु | छन्दः | भनति | रेभः | इष्टौ // ऋ. वे. ६,११.३ //
अदिद्युतत् | सु | अपाकः | वि-भावा | अग्ने | यजस्व | रोदसी इति | उरूची इति | /
आयुम् | न | यम् | नमसा | रात-हव्याः | अञ्जन्ति | सु-प्रयसम् | पञ्च | जनाः // ऋ. वे. ६,११.४ //
वृञ्जे | ह | यत् | नमसा | बर्हिः | अग्नौ | अयामि | स्रुक् | घृत-वती | सु-वृक्तिः | अम्यक्षि | सद्म | सदने | पृथिव्याः | अश्रायि | यज्ञः | सूर्ये | न | चक्षुः // ऋ. वे. ६,११.५ //
दृशस्य | नः | पुरु-अणीक | होतः | देवेभिः | अग्ने | अग्नि-भिः | इधानः | रायः | सूनो इति | सहसः | ववसानाः | अति | स्रसेम | वृजनम् | न | अंहः // ऋ. वे. ६,११.६ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:५/१४-
(ऋ. वे. ६,१२)
मध्ये | होता | दुरोणे | बर्हिषः | राट् | अग्निः | तोदस्य | रोदसी इति | यजध्यै | अयम् | सः | सूनुः | सहसः | ऋत-वा | दूरात् | सूर्यः | न | शोचिषा | ततान // ऋ. वे. ६,१२.१ //
आ | यस्मिन् | त्वे इति | सु | अपाके | यजत्र | यक्षत् | राजन् | सर्वताताइव | नु | द्यौः | त्रि-सधस्थः | ततरुषः | न | जंहः | हव्या | मघानि | मानुषा | यजध्यै // ऋ. वे. ६,१२.२ //
तेजिष्ठा | यस्य | अरतिः | वने--राट् | तोदः | अध्वन् | न | वृधसानः | अद्यौत् | अद्रोघः | न | द्रविता | चेतति | त्मन् | अमर्त्यः | अवर्त्रः | ओषधीषु // ऋ. वे. ६,१२.३ //
सः | अस्माकेभिः | एतरि | न | शूषैः | अग्निः | स्तवे | दमे | आ | जात-वेदाः | द्रु-अन्नः | वन्वन् | क्रत्वा | न | अर्वा | उस्रः | पिताइव | जारयायि | यज्ञैः // ऋ. वे. ६,१२.४ //
अध | स्म | अस्य | पनयन्ति | भासः | वृथा | यत् | तक्षत् | अनु-याति | पृथ्वीम् | सद्यः | यः | स्पन्द्रः | वि-सितः | धवीयान् | ऋणः | न | तायुः | अति | धन्व | राट् // ऋ. वे. ६,१२.५ //
सः | त्वम् | नः | अर्वन् | निदायाः | विश्वेभिः | अग्ने | अग्निभिः | इधानः | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,१२.६ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:५/१५-
(ऋ. वे. ६,१३)
त्वत् | विश्वा | सु-भग | सौभगानि | अग्ने | वि | यान्ति | वनिनः | न | वयाः | श्रुष्टी | रयिः | वाजः | वृत्र-तूर्ये | दिवः | वृष्टिः | ईड्यः | रीतिः | अपाम् // ऋ. वे. ६,१३.१ //
त्वम् | भगः | नः | आ | हि | रत्नम् | इषे | परिज्माइव | क्षयसि | दस्म-वर्चाः | अग्ने | मित्रः | न | बृहतः | ऋतस्य | असि | क्षत्ता | वामस्य | देव | भूरेः // ऋ. वे. ६,१३.२ //
सः | सत्-पतिः | शवसा | हन्ति | वृत्रम् | अग्ने | विप्रः | वि | पणेः | भर्ति | वाजम् | यम् | त्वम् | प्र-चेतः | ऋत-जात | राया | स-जोषाः | नप्त्रा | अपाम् | हिनोषि // ऋ. वे. ६,१३.३ //
यः | ते | सूनो इति | सहसः | गीः-भिः | उक्थैः | यज्ञैः | मर्तः | नि-शितम् | वेद्या | आनट् | विश्वम् | सः | देव | प्रति | वारम् | अग्ने | धत्ते | धान्यम् | पत्यते | वसव्यैः // ऋ. वे. ६,१३.४ //
ता | नृ-भ्यः | आ | सौश्रवसा | सु-वीरा | अग्ने | सूनो इति | सहसः | पुष्यसे | धाः | कृणोषि | यत् | शवसा | भूरि | पश्वः | वयः | वृकाय | अरये | जसुरये // ऋ. वे. ६,१३.५ //
वद्मा | सूनो इति | सहसः | नः | वि-हायाः | अग्ने | तोकम् | तनयम् | वाजि | नः | दाः | विश्वाभिः | गीः-भिः | अभि | पूर्तिम् | अश्याम् | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,१३.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:५/१६-
(ऋ. वे. ६,१४)
अग्ना | यः | मर्त्यः | दुवः | धियम् | जुजोष | धीति-भिः | भसत् | नु | सः | प्र | पूर्व्यः | इषम् | वुरीत | अवसे // ऋ. वे. ६,१४.१ //
अग्निः | इत् | हि | प्र-चेर्ताः | अग्निः | वेधः-तमः | ऋषिः | अग्निम् | होतारम् | ईऌअते | यज्ञेषु | मनुषः | विशः // ऋ. वे. ६,१४.२ //
नाना | हि | अग्ने | अवसे | स्पर्धन्ते | रायः | अर्यः | तूर्वन्तः | दस्युम् | आयवः | व्रतैः | सीक्षन्तः | अव्रतम् // ऋ. वे. ६,१४.३ //
अग्निः | अप्साम् | ऋति-सहम् | वीरम् | ददाति | सत्-पतिम् | यस्य | त्रसन्ति | शवसः | सम्-चक्षि | शत्रवः | भिया // ऋ. वे. ६,१४.४ //
अग्निः | हि | विद्मना | निदः | देवः | मर्तम् | उरुष्यति | सह-वा | यस्य | अवृतः | रयिः | वाजेषु | अवृतः // ऋ. वे. ६,१४.५ //
अच्छ | नः | मित्र-महः | देव | देवान् | अग्ने | वोचः | सु-मतिम् | रोदस्योः | वीहि | स्वस्तिम् | सु-क्षितिम् | दिवः | नॄन् | द्विषः | अंहांसि | दुः-इता | तरेम | ता | तरेम | तव | अवसा | तरेम // ऋ. वे. ६,१४.६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:५/१७-
(ऋ. वे. ६,१५)
इमम् | ॐ इति | सु | वः | अतिथिम् | उषः-बुधम् | विश्वासाम् | विशाम् | पतिम् | ऋञ्जसे | गिरा | वेत् इ | इत् | दिवः | जनुषा | कत् | चित् | आ | शुचिः | ज्योक् | चित् | अत्ति | गर्भः | यत् | अच्युतम् // ऋ. वे. ६,१५.१ //
मित्रम् | न | यम् | सु-धितम् | भृगवः | दधुः | वनस्पतौ | ईड्यम् | ऊर्ध्व-शोचिषम् | सः | त्वम् | सु-प्रीतः | वीत-हव्ये | अद्भुत | प्रशस्ति-भिः | महयसे | दिवे--दिवे // ऋ. वे. ६,१५.२ //
सः | त्वम् | दकस्य | अवृकः | वृधः | भूः | अर्यः | परस्य | अन्तरस्य | तरुषः | रायः | सूनो इति | सहसः | मर्त्येषु | आ | छर्दिः | यच्छ | वीत-हव्याय | स-प्रथः | भरत्-वाजाय | स-प्रथः // ऋ. वे. ६,१५.३ //
द्युतानम् | वः | अतिथिम् | स्वः-नरम् | अग्निम् | होतारम् | मनुषः | सु-अध्वरम् | विप्रम् | न | द्युक्ष-वचसम् | सुवृक्ति-भिः | हव्य-वाहम् | अरतिम् | देवम् | ऋञ्जसे // ऋ. वे. ६,१५.४ //
पावकया | यः | चितयन्त्या | कृपा | क्षामन् | रुरुचे | उषसः | न | भानुना | तूवर्न् | न | यामन् | एतशस्य | नु | रणे | यः | घृणे | न | ततृषाणः | अजरः // ऋ. वे. ६,१५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:५/१८-
अग्निम्-अग्निम् | वः | सम्-इधा | दुवस्यत | प्रियम्-प्रियम् | वः | अतिथिम् | गृणीषणि | उप | वः | गीः-भिः | अमृतम् | विवासत | देवः | देवेषु | वनते | हि | वार्यम् | देवः | देवेषु | वनते | हि | नः | दुवः // ऋ. वे. ६,१५.६ //
सम्-इद्धम् | अग्निम् | सम्-इधा | गिरा | गृणे | शुचिम् | पावकम् | पुरः | अध्वरे | ध्रुवम् | विप्रम् | होतारम् | पुरु-वारम् | अद्रुहम् | कविम् | सुम्नैः | ईमहे | जात-वेदसम् // ऋ. वे. ६,१५.७ //
त्वाम् | दूतम् | अग्ने | अमृतम् | युगे--युगे | हव्य-वाहम् | दधिरे | पायुम् | ईड्यम् | देवासः | च | मर्तासः | च | जागृविम् | वि-भुम् | विश्पतिम् | नमसा | नि | सेदिरे // ऋ. वे. ६,१५.८ //
वि-भूषन् | अग्ने | उभयान् | अनु | व्रता | दूतः | देवानाम् | रजसी इति | सम् | ईयसे | यत् | ते | धीतिम् | सु-मतिम् | आवृणीमहे | अध | स्म | नः | त्रि-वरूथः | शिवः | भव // ऋ. वे. ६,१५.९ //
तम् | सु-प्रतीकम् | सु-दृशम् | सु-अञ्चम् | अविद्वांसः | विदुः-तरम् | सपेम | सः | यक्षत् | विश्वा | वयुनानि | विद्वान् | प्र | हव्यम् | अग्निः | अमृतेषु | वोचत् // ऋ. वे. ६,१५.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:५/१९-
तम् | अग्ने | पासि | उत | तम् | पिपर्षि | यः | ते | आनट् | कवये | शूर | धीतिम् | यज्ञस्य | वा | नि-शितिम् | वा | उत्-इतिम् | वा | तम् | इत् | पृणक्षि | शवसा | उत | राया // ऋ. वे. ६,१५.११ //
त्वम् | अग्ने | वनुष्यतः | नि | पाहि | त्वम् | ॐ इति | नः | सहसावन् | अवद्यात् | सम् | त्वा | ध्वस्मन्-वत् | अभि | एतु | पाथः | सम् | रयिः | स्पृहयाय्यः | सहस्री // ऋ. वे. ६,१५.१२ //
अग्निः | होता | गृह-पतिः | सः | राजा | विश्वा | वेद | जनिम | जात-वेदाः | देवानाम् | उत | यः | मर्त्यानाम् | यजिष्ठः | सः | प्र | यजताम् | ऋत-वा // ऋ. वे. ६,१५.१३ //
अग्ने | यत् | अद्य | विशः | अध्वरस्य | होतरिति | पावक-शोचे | वेः | त्वम् | हि | यज्वा | ऋता | यजासि | महिना | वि | यत् | भूः | हव्या | वह | यविष्ठ | या | ते | अद्य // ऋ. वे. ६,१५.१४ //
अभि | प्रयांसि | सु-धितानि | हि | ख्यः | नि | त्वा | दधीत | रोदसी इति | यजध्यै | अव | नः | मघ-वन् | वाज-सातौ | अग्ने | विश्वानि | दुः-इता | तरेम | ता | तरेम | तव | अवसा | तरेम // ऋ. वे. ६,१५.१५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:५/२०-
अग्ने | विश्वेभिः | सु-अनीक | देवैः | ऊर्णावन्तम् | प्रथमः | सीद | योनिम् | कुलायनिम् | घृत-वन्तम् | सवित्रे | यज्ञम् | नय | यजमानाय | साधु // ऋ. वे. ६,१५.१६ //
इमम् | ॐ इति | त्यम् | अथर्व-वत् | अग्निम् | मन्थन्ति | वेधसः | यम् | अङ्कु-यन्तम् | आ | अनयन् | अमूरम् | स्याव्याभ्यः // ऋ. वे. ६,१५.१७ //
जनिष्व | देव-वीतये | सर्व-ताता | स्वस्तये | आ | देवान् | वक्षि | अमृतान् | ऋत-वृधः | यज्ञम् | देवेषु | पिस्पृशः // ऋ. वे. ६,१५.१८ //
वयम् | ॐ इति | त्वा | गृह-पते | जनानाम् | अग्ने | अकर्म | सम्-इधा | बृहन्तम् | अस्थूरि | नः | गार्हपत्यानि | सन्तु | तिग्मेन | नः | तेजसा | सम् | सिशाधि // ऋ. वे. ६,१५.१९ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:५/२१-
(ऋ. वे. ६,१६)
त्वम् | अग्ने | यज्ञानाम् | होता | विश्वेषाम् | हितः | देवेभिः | मानुषे | जने // ऋ. वे. ६,१६.१ //
सः | नः | मन्द्राभिः | अध्वरे | जिह्वाभिः | यज | महः | आ | देवान् | वक्षि | यक्षि | च // ऋ. वे. ६,१६.२ //
वेत्थ | हि | वेधः | अध्वनः | पथः | चे | देव | अञ्जसा | अग्ने | यज्ञेषु | सुक्रतो इतिसु-क्रतो // ऋ. वे. ६,१६.३ //
त्वाम् | ईऌए | अध | द्विता | भरतः | वाजि-भिः | शुनम् | ईजे | यज्ञेषु | यज्ञियम् // ऋ. वे. ६,१६.४ //
त्वम् | इमा | वार्या | पुरु | दिवः-दासाय | सुन्वते | भरत्-वाजाय | दाशुषे // ऋ. वे. ६,१६.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:५/२२-
त्वम् | दूतः | अमर्त्यः | आ | वह | दैव्यम् | जनम् | शृण्वन् | विप्रस्य | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. ६,१६.६ //
त्वाम् | अग्ने | सु-आध्यः | मर्तासः | देव-वीतये | यज्ञेषु | देवम् | ईऌअते // ऋ. वे. ६,१६.७ //
तव | प्र | यक्षि | सम्-दृशम् | उत | क्रतुम् | सु-दानवः | विश्वे | जुषन्त | कामिनः // ऋ. वे. ६,१६.८ //
त्वम् | होता | मनुः-हितः | वह्निः | आसा | विदुः-तरः | अग्ने | यक्षि | दिवः | विशः // ऋ. वे. ६,१६.९ //
अग्ने | आ | याहि | वीतये | गृणानः | हव्य-दातये | नि | होता | सत्सि | बर्हिषि // ऋ. वे. ६,१६.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:५/२३-
तम् | त्वा | समित्-भिः | अङ्गिरः | घृतेन | वर्धयामसि | बृहत् | शोच | यविष्ठ्य // ऋ. वे. ६,१६.११ //
सः | नः | पृथु | श्रवाय्यम् | अच्छ | देव | विवाससि | बृहत् | अग्ने | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ६,१६.१२ //
त्वाम् | अग्ने | पुष्करात् | अधि | अथर्वा | निः | अमन्थत | मूध्नर्ः | विश्वस्य | वाघतः // ऋ. वे. ६,१६.१३ //
तम् | ॐ इति | त्वा | दध्यङ् | ऋषिः | पुत्रः | ईधे | अथर्वणः | वृत्र-हनम् | पुरम्-दरम् // ऋ. वे. ६,१६.१४ //
तम् | ॐ इति | त्वा | पाथ्यः | वृषा | सम् | ईधे | दस्युहन्-तमम् | धनम्-जयम् | रणे--रणे // ऋ. वे. ६,१६.१५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:५/२४-
आ | इहि | ॐ इति | सु | ब्रवाणि | ते | अग्ने | इत्था | इतराः | गिरः | एभिः | वर्धासे | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ६,१६.१६ //
यत्र | क्व | च | ते | मनः | दक्षम् | दधसे | उत्-तरम् | तत्र | सदः | कृणवसे // ऋ. वे. ६,१६.१७ //
नहि | ते | पूरम् | अक्षि-पत् | भुवत् | नेमानाम् | वसो इति | अथ | दुवः | वनवसे // ऋ. वे. ६,१६.१८ //
आ | अग्निः | अगामि | भारतः | वृत्र-हा | पुरु-चेतनः | दिवः-दासस्य | सत्-पतिः // ऋ. वे. ६,१६.१९ //
सः | हि | विश्वा | अति | पार्थिवा | रयिम् | दाशत् | महि-त्वना | वन्वन् | अवातः | अस्तृतः // ऋ. वे. ६,१६.२० //
//२४//.
-ऋ. वे. ४:५/२५-
सः | प्रत्न-वत् | नवीयसा | अग्ने | द्युम्नेन | सम्-यता | बृहत् | ततन्थ | भानुना // ऋ. वे. ६,१६.२१ //
प्र | वः | सखायः | अग्नये | स्तोमम् | यज्ञम् | च | धृष्णु-या | अर्च | गाय | च | वेधसे // ऋ. वे. ६,१६.२२ //
सः | हि | यः | मानुषा | युगा | सीदत् | होता | कवि-क्रतुः | दूतः | च | हव्य-वाहनः // ऋ. वे. ६,१६.२३ //
ता | राजाना | शुचि-व्रता | आदित्यान् | मारुतम् | गणम् | वसो इति | यक्षि | इह | रोदसी इति // ऋ. वे. ६,१६.२४ //
वस्वी | ते | अग्ने | सम्-दृष्टिः | इष-यते | मर्त्याय | ऊर्जः | नपात् | अमृतस्य // ऋ. वे. ६,१६.२५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:५/२६-
क्रत्वा | दाः | अस्तु | श्रेष्ठः | अद्य | त्वा | वन्वन् | सु-रेक्णाः | मर्तः | आनाश | सु-वृक्तिम् // ऋ. वे. ६,१६.२६ //
ते | ते | अग्ने | त्वाऊताः | इषयन्तः | विश्वम् | आयुः | तरन्तः | अर्यः | अरातीः | वन्वन्तः | अर्यः | अरातीः // ऋ. वे. ६,१६.२७ //
अग्निः | तिग्मेन | शोचिषा | यासत् | विश्वम् | नि | अत्रिणम् | अग्निः | नः | वनते | रयिम् // ऋ. वे. ६,१६.२८ //
सु-वीरम् | रयिम् | आ | भर | जात-वेदः | वि-चर्षणे | जहि | रक्षांसि | सु-क्रतो इतिसु-क्रतो // ऋ. वे. ६,१६.२९ //
त्वम् | नः | पाहि | अंहसः | जात-वेदः | अघ-यतः | / रक्ष | नः | ब्रह्मणः | कवे // ऋ. वे. ६,१६.३० //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:५/२७-
यः | नः | अग्ने | दुः-एवः | आ | मर्तः | वधाय | दाशति | तस्मात् | नः | पाहि | अंहसः // ऋ. वे. ६,१६.३१ //
त्वम् | तम् | देव | जिह्वया | परि | बाधस्व | दुः-क्र्तम् | मर्तः | यः | नः | जिघांसति // ऋ. वे. ६,१६.३२ //
भरत्-वाजाय | स-प्रथः | शर्म | यच्छ | सहन्त्य | अग्ने | वरेण्यम् | वसु // ऋ. वे. ६,१६.३३ //
अग्निः | वृत्राणि | जङ्घनत् | द्रविणस्युः | विपन्यया | सम्-इद्धः | शुक्रः | आहुतः // ऋ. वे. ६,१६.३४ //
गर्भे | मातुः | पितुः | पिता | वि-दिद्युतानः | अक्षरे | सीदन् | ऋतस्य | योनिम् | आ // ऋ. वे. ६,१६.३५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:५/२८-
ब्रह्म | प्रजावत् | आ | भर | जात-वेदः | वि-चर्षणे | अग्ने | यत् | दीदयत् | द् इवि // ऋ. वे. ६,१६.३६ //
उप | त्वा | रण्व-सन्दृशम् | प्रयस्वन्तः | सहः-कृत | अग्ने | ससृज्महे | गिरः // ऋ. वे. ६,१६.३७ //
उप | छायाम्-इव | घृणेः | अगन्म | शर्म | ते | वयम् | अग्ने | हिरण्य-सन्दृशः // ऋ. वे. ६,१६.३८ //
यः | उग्रः-इव | शर्य-हा | तिग्म-शृङ्गः | न | वंस-गः | अग्ने | पुरः | रुरोजिथ // ऋ. वे. ६,१६.३९ //
आ | यम् | हस्ते | न | खादिनम् | शिशुम् | जातम् | न | बिभ्रति | विशाम् | अग्निम् | सु-अध्वरम् // ऋ. वे. ६,१६.४० //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:५/२९-
प्र | देवम् | देव-वीतये | भरत | वसुवित्-तमम् | आ | स्वे | योनौ | नि | सीदतु // ऋ. वे. ६,१६.४१ //
आ | जातम् | जात-वेदसि | प्रियम् | शिशीत | अतिथिम् | स्योने | आ | गृह-पतिम् // ऋ. वे. ६,१६.४२ //
अग्ने | युक्ष्व | हि | ये | तव | अश्वासः | देव | साधवः | अरम् | वहन्ति | मन्यवे // ऋ. वे. ६,१६.४३ //
अच्छ | नः | याहि | आ | वह | अभि | प्रयांसि | वीतये | आ | देवान् | सोम-पीतये // ऋ. वे. ६,१६.४४ //
उउ | अग्ने | भारत | द्यु-मत् | अजस्रेण | दविद्युतत् | शोच | वि | भाहि | अजर // ऋ. वे. ६,१६.४५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:५/३०-
वीती | यः | देवम् | मर्तः | दुवस्येत् | अग्निम् | ईऌईत | अध्वरे | हविष्मान् | होतारम् | सत्य-यजम् | रोदस्योः | उत्तान-हस्तः | नमसा | विवासेत् // ऋ. वे. ६,१६.४६ //
आ | ते | अग्ने | ऋचा | हविः | हृदा | तष्टम् | भरामसि | ते | ते | भवन्तु | उक्षणः | ऋषभासः | वशाः | उत // ऋ. वे. ६,१६.४७ //
अग्निम् | देवासः | अग्रियम् | इन्धते | वृत्रहन्-तमम् | येन | वसूनि | आभृता | तृऌहा | रक्षांसि | वाजिना // ऋ. वे. ६,१६.४८ //
//३०//.




-ऋ. वे. ४:६/१-
(ऋ. वे. ६,१७)
पिब | सोमम् | अभि | यम् | उग्र | तर्दः | ऊर्वम् | गव्यम् | महि | गृणानः | इन्द्र | वि | यः | धृष्णो इति | वधिषः | वज्र-हस्त | विश्वा | वृत्रम् | अमित्रिया | शवः-भिः // ऋ. वे. ६,१७.१ //
सः | ईम् | पाहि | यः | ऋजीषी | तरुत्रः | यः | शिप्र-वान् | वृषभः | यः | मतीनाम् | यः | गोत्र-भित् | वज्र-भृत् | यः | हरि-स्थाः | सः | इन्द्र | चित्रान् | अभि | तृन्धि | वाजान् // ऋ. वे. ६,१७.२ //
एव | पाहि | प्रत्न-था | मन्दतु | त्वा | श्रुधि | ब्रह्म | ववृधस्व | उत | गीः-भिः | आविः | सूर्यम् | कृणुहि | पीपिहीषः | जहि | शत्रून् | अभि | गाः | इन्द्र | तृन्धि // ऋ. वे. ६,१७.३ //
ते | त्वा | मदाः | बृहत् | इन्द्र | स्वधावः | इमे | पीताः | उक्षयन्त | द्यु-मन्तम् | महाम् | अनूनम् | तवसम् | वि-भूतिम् | मत्सरासः | जर्हृषन्त | प्र-साहम् // ऋ. वे. ६,१७.४ //
येभिः | सूर्यम् | उषसम् | मन्दसानः | अवासयः | अप | दृऌहानि | दर्द्रत् | महाम् | अद्रिम् | परि | गाः | इन्द्र | सन्तम् | नुत्थाः | अच्युतम् | सदसः | परि | स्वात् // ऋ. वे. ६,१७.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:६/२-
तव | क्रत्वा | तव | तत् | दंसनाभिः | आमासु | पक्वम् | शच्या | नि | दीधरितिदीधः | और्णोः | दुरः | उस्रियाभ्यः | वि | दृऌहा | उत् | ऊर्वात् | गाः | असृजः | अङ्गिरस्वान् // ऋ. वे. ६,१७.६ //
पप्राथ | क्षाम् | महि | दंसः | वि | उर्वीम् | उप | द्याम् | ऋष्वः | बृहत् | इन्द्र | स्तभायः | अधारयः | रोदसी इति | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | प्रत्ने इति | मातरा | यह्वी इति | ऋतस्य // ऋ. वे. ६,१७.७ //
अध | त्वा | विश्वे | पुरः | इन्द्र | देवाः | एकम् | तवसम् | दधिरे | भराय | अदेवः | यत् | अभि | औहिष्ट | देवान् | स्वः-साता | वृणते | इन्द्रम् | अत्र // ऋ. वे. ६,१७.८ //
अध | द्यौः | चित् | ते | अप | सा | नु | वज्रात् | द्विता | अनमत् | भियसा | स्वस्य | मन्योः | अहिम् | यत् | इन्द्रः | अभि | ओहसानम् | नि | चित् | विश्व-आयुः | शयथे | जघान // ऋ. वे. ६,१७.९ //
अध | त्वष्टा | ते | महः | उग्र | वज्रम् | सहस्र-भृष्टिम् | ववृतत् | शत-अश्रिम् | नि-कामम् | अर-मनसम् | येन | नवन्तम् | अहिम् | सम् | पिणक् | ऋजीषिन् // ऋ. वे. ६,१७.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ४:६/३-
वर्धान् | यम् | विश्वे | मरुतः | स-जोषाः | पचत् | शतम् | महिषान् | इन्द्र | तुभ्यम् | पूषा | विष्णुः | त्रीणि | सरांसि | धावन् | वृत्र-हनम् | मदिरम् | अंशुम् | अस्मै // ऋ. वे. ६,१७.११ //
आ | क्षोदः | महि | वृतम् | नदीनाम् | परि-स्थितम् | असृजः | ऊर्मिम् | अपाम् | तासाम् | अनु | प्र-वतः | इन्द्र | पन्थाम् | प्र | आर्दयः | नीचीः | अपसः | समुद्रम् // ऋ. वे. ६,१७.१२ //
एव | ता | विश्वा | चकृ-वांसम् | इन्द्रम् | महाम् | उग्रम् | अजुर्यम् | सहः-दाम् | सु-वीरम् | त्वा | सु-आयुधम् | सु-वज्रम् | आ | ब्रह्म | नव्यम् | अवसे | ववृत्यात् // ऋ. वे. ६,१७.१३ //
सः | नः | वाजाय | श्रवसे | इषे | च | राये | धेहि | द्यु-मतः | इन्द्र | विप्रान् | भरत्-वाजे | नृ-वतः | इन्द्र | सूरीन् | दिवि | च | स्म | एधि | पार्ये | नः | इन्द्र // ऋ. वे. ६,१७.१४ //
अया | वाजम् | देव-हितम् | सनेम | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,१७.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:६/४-
(ऋ. वे. ६,१८)
तम् | ॐ इति | स्तुहि | यः | अभिभूति-ओजाः | वन्वन् | अवातः | पुरु-हूतः | इन्द्रः | अषाऌहम् | उग्रम् | सहमानम् | आभिः | गीः-भिः | वर्ध | वृषभम् | चर्षणीनाम् // ऋ. वे. ६,१८.१ //
सः | युध्मः | सत्वा | खज-कृत् | समत्-वा | तुवि-म्रक्षः | नदनु-मान् | ऋजीषी | बृहत्-रेणुः | च्यवनः | मानुषीणाम् | एकः | कृष्टीनाम् | अभवत् | सह-वा // ऋ. वे. ६,१८.२ //
त्वम् | ह | नु | त्यत् | अदमयः | दस्यून् | एकः | कृष्टीः | अवनोः | आर्याय | अस्ति | स्वित् | नु | वीर्यम् | तत् | ते | इन्द्र | न | स्वित् | अस्ति | तत् | ऋतु-था | वि | वोचः // ऋ. वे. ६,१८.३ //
सत् | इत् | हि | ते | तुवि-जातस्य | मन्ये | सहः | सहिष्ठ | तुरतः | तुरस्य | उग्रम् | उग्रस्य | तवसः | तवीयः | अरध्रस्य | रध्र-तुरः | बभूव // ऋ. वे. ६,१८.४ //
तत् | नः | प्रत्नम् | सख्यम् | अस्तु | युष्मे इति | इत्था | वदत्-भिः | वलम् | अङ्गिरः-भिः | हन् | अच्युत-च्युत् | दस्म | इषयन्तम् | ऋणोः | पुरः | वि | दुरः | अस्य | विश्वाः // ऋ. वे. ६,१८.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:६/५-
सः | हि | धीभिः | हव्यः | अस्ति | उग्रः | ईशान-कृत् | महति | वृत्र-तूर्ये | सः | तोक-साता | तनये | सः | वज्री | वितन्तसाय्यः | अभवत् | समत्-सु // ऋ. वे. ६,१८.६ //
सः | मज्मना | जनिम | मानुषाणाम् | अमर्त्येन | नाम्ना | अति | प्र | सर्स्रे | सः | द्युम्नेन | सः | शवसा | उत | राया | सः | वीर्येण | नृ-तमः | सम्-ओकाः // ऋ. वे. ६,१८.७ //
सः | यः | न | मुहे | न | मिथु | जनः | भूत् | सुमन्तु-नामा | / चुमुरिम् | धुनिम् | च | वृणक् | पिप्रुम् | शम्बरम् | शुष्णम् | इन्द्रः | पुराम् | च्यौत्नाय | शयथाय | नु | चित् // ऋ. वे. ६,१८.८ //
उत्-अवता | त्वक्षसा | पन्यसा | च | वृत्र-हत्याय | रथम् | इन्द्र | तिष्ठ | धि ष्व | वज्रम् | हस्ते | आ | दक्षिण-त्रा | अभि | प्र | मन्द | पुरु-दत्र | मायाः // ऋ. वे. ६,१८.९ //
अग्निः | न | शुष्कम् | वनम् | इन्द्र | हेती | रक्षः | नि | धक्षि | अशनिः | न | भीमा | गम्भीरया | ऋष्वया | यः | रुरोज | स्ध्वनयत् | दुः-इता | दम्भयत् | च // ऋ. वे. ६,१८.१० //
//५//.

-ऋ. वे. ४:६/६-
आ | सहस्रम् | पथि-भिः | इन्द्र | राया | तुवि-द्युम्न | तुवि-वाजेभिः | अर्वाक् | याहि | सूनो इति | सहसः | यस्य | नु | चित् | अदेवः | ईशे | पुरु-हूत | योतोः // ऋ. वे. ६,१८.११ //
प्र | तुवि-द्युम्नस्य | स्थविरस्य | घृष्वेः | दिवः | ररप्शे | महिमा | पृथि व्याः | न | अस्य | शत्रुः | न | प्रति-मानम् | अस्ति | न | प्रति-स्थिः | पुरुय्मायस्य | सह्योः // ऋ. वे. ६,१८.१२ //
प्र | तत् | ते | अद्य | करणम् | कृतम् | भूत् | कुत्सम् | यत् | आयुम् | अतिथि-ग्वम् | अस्मै | पुरु | सहस्रा | नि | शिशाः | अभि | क्षाम् | उत् | तूर्वयाणम् | धृषता | निनेथ // ऋ. वे. ६,१८.१३ //
अनु | त्वा | अहि-घ्ने | अध | देव | देवाः | मदन् | विश्वे | कवि-तमम् | कवीनाम् | करः | यत्र | वरिवः | बाधिताय | दिवे | जनाय | तन्वे | गृणानः // ऋ. वे. ६,१८.१४ //
अनु | द्यावापृथिवी इति | तत् | ते | ओजः | अमर्त्याः | जिहते | इन्द्र | देवाः | कृष्व | कृत्नो इति | अकृतम् | यत् | ते | अस्ति | उक्थम् | नवीयः | जनयस्व | यज्ञैः // ऋ. वे. ६,१८.१५ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:६/७-
(ऋ. वे. ६,१९)
महान् | इन्द्रः | नृ-वत् | आ | चर्षणि-प्राः | उत | द्वि-बर्हाः | अमिनः | सहः-भिः | अस्मद्र्यक् | ववृधे | वीर्याय | उरुः | पृथुः | सु-कृतः | कर्तृ-भिः | भूत् // ऋ. वे. ६,१९.१ //
इन्द्रम् | एव | धिषणा | सातये | धात् | बृहन्तम् | ऋष्वम् | अजरम् | युवानम् | अषाऌहेन | शवसा | शूसु-वांसम् | सद्यः | चित् | यः | ववृधे | असामि // ऋ. वे. ६,१९.२ //
पृथू इति | करस्ना | बहुला | गभस्ती इति | अस्मद्र्यक् | सम् | मिमीहि | श्रवांसि | यूथाइव | पश्वः | पशु-पाः | दमूनाः | अस्मान् | इन्द्र | अभि | आ | ववृत्स्व | आजौ // ऋ. वे. ६,१९.३ //
तम् | वः | इन्द्रम् | चतिनम् | अस्य | शाकैः | इह | नूनम् | वाज-यन्तः | हुवेम | यथा | चित् | पूर्वे | जरितारः | आसुः | अनेद्याः | अनवद्याः | अरिष्टाः // ऋ. वे. ६,१९.४ //
धृत-व्रतः | धन-दाः | सोम-वृद्धः | सः | हि | वामस्य | वसुनः | पुरु-क्षुः | सम् | जिग्मिरे | पथ्याः | रायः | अस्मिन् | समुद्रे | न | सिन्धवः | यादमानाः // ऋ. वे. ६,१९.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:६/८-
शविष्ठम् | नः | आ | भर | शूर | शवः | ओजिष्ठम् | ओजः | अभि-भूते | उग्रम् | विश्वा | द्युम्ना | वृष्ण्या | मानुषाणाम् | अस्म्भ्यम् | दाः | हरि-वः | मादयध्यै // ऋ. वे. ६,१९.६ //
यः | ते | मदः | पृतनाषाट् | अमृध्रः | इन्द्र | तम् | नः | आ | भर | शूशु-वांसम् | येन | तोकस्य | तनयस्य | सातौ | मंसीमहि | जिगीवांसः | त्वाऊताः // ऋ. वे. ६,१९.७ //
आ | नः | भर | वृषणम् | शुष्मम् | इन्द्र | धन-स्पृतम् | शूशु-वांसम् | सु-दक्षम् | येन | वंसाम | पृतनासु | शत्रून् | तव | ऊति-भिः | उत | जामीन् | अजामीन् // ऋ. वे. ६,१९.८ //
आ | ते | शुष्मः | वृषभः | एतु | पश्चात् | आ | उत्तरात् | अधरात् | आ | पुरस्तात् | आ | विश्वतः | अभि | सम् | एतु | अर्वाङ् | इन्द्र | द्युम्नम् | स्वः-वत् | धेहि | अस्मे इति // ऋ. वे. ६,१९.९ //
नृ-वत् | ते | इन्द्र | नृ-तमाभिः | ऊती | वंसीमहि | वामम् | श्रोमतेभिः | ईक्षे | ह् इ | वस्वः | उभयस्य | राजन् | धाः | रत्नम् | महि | स्थूरम् | बृहन्तम् // ऋ. वे. ६,१९.१० //
मरुत्वन्तम् | वृषभम् | ववृधानम् | अकव-अरिम् | दिव्यम् | शासम् | इन्द्रम् | विश्व-सहम् | अवसे | नूतनाय | उग्रम् | सहः-दाम् | इह | तम् | हुवेम // ऋ. वे. ६,१९.११ //
जनम् | वज्रिन् | महि | चित् | मन्यमानम् | एभ्यः | नृ-भ्यः | रन्धय | येषु | अस्मि | अध | हि | त्वा | पृथिव्याम् | शूर-सातौ | हवामहे | तनये | गोषु | अप्-सु // ऋ. वे. ६,१९.१२ //
वयम् | ते | एभिः | पुरु-हूत | सख्यैः | शत्रोः-शत्रोः | उत्-तरे | इत् | स्याम | घ्नन्तः | वृत्राणि | उभयानि | शूर | राया | मदेम | बृहता | त्वाऊताः // ऋ. वे. ६,१९.१३ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:६/९-
(ऋ. वे. ६,२०)
द्यौः | न | यः | इन्द्र | अभि | भूम | अर्यः | तस्थौ | रयिः | शवसा | पृत्-सु | जनान् | तम् | नः | सहस्र-भरम् | उर्वरासाम् | दद्धि | सूनो इति | सहसः | वृत्र-तुरम् // ऋ. वे. ६,२०.१ //
दिवः | न | तुभ्यम् | अनु | इन्द्र | सत्रा | असुर्यम् | देवेभिः | धायि | विश्वम् | अहि म् | यत् | वृत्रम् | अपः | वव्रि-वांसम् | हन् | ऋजीषिन् | विष्णुना | सचानः // ऋ. वे. ६,२०.२ //
तूर्वन् | ओजीयान् | तवसः | तवीयान् | कृत-ब्रह्मा | इन्द्रः | वृद्ध-महाः | राजा | अभवत् | मधुनः | सोम्यस्य | विश्वासाम् | यत् | पुराम् | दत्नुर्म् | आवत् // ऋ. वे. ६,२०.३ //
शतैः | अपद्रन् | पणयः | इन्द्र | अत्र | दश-ओणये | कवये | अर्क-सातौ | वधैः | शुष्णस्य | अशुषस्य | मायाः | पित्वः | न | अरिरेचीत् | किम् | चन | प्र // ऋ. वे. ६,२०.४ //
महः | द्रुहः | अप | विश्व-आयु | धायि | वज्रस्य | यत् | पतने | पादि | शुष्णः | उरु | सः | स-रथम् | सारथये | कः | इन्द्रः | कुत्साय | सूर्यस्य | सातौ // ऋ. वे. ६,२०.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:६/१०-
प्र | श्येनः | न | मदिरम् | अंशुम् | अस्मै | शिरः | दासस्य | नमुचेः | मथायन् | प्र | आवत् | नमीम् | साप्यम् | ससन्तम् | पृणक् | राया | सम् | इषा | सम् | स्वस्त् इ // ऋ. वे. ६,२०.६ //
वि | पिप्रोः | अहि-मायस्य | दृऌहाः | पुरः | वज्रिन् | शवसा | न | दर्दरितिदर्दः | सु-दामन् | तत् | रेक्णः | अप्र-मृष्यम् | ऋजिश्वने | दात्रम् | दाशुषे | दाः // ऋ. वे. ६,२०.७ //
सः | वेतसुम् | दश-मायम् | दश-ओणिम् | तूतुजिम् | इन्द्रः | स्वभिष्टि-सुम्नः | आ | तुग्रम् | शश्वत् | इभम् | द्योतनाय | मातुः | न | सीम् | उप | सृज | इयध्यै // ऋ. वे. ६,२०.८ //
सः | ईम् | स्पृधः | वनते | अप्रति-इतः | बिभ्रत् | वज्रम् | वृत्र-हनम् | गभस्तौ | तिष्ठत् | हरी इति | अधि | अस्ताइव | गर्ते | वचः-युजा | वहतः | इन्द्रम् | ऋष्वम् // ऋ. वे. ६,२०.९ //
सनेम | ते | अवसा | नव्यः | इन्द्र | प्र | पूरवः | स्तवन्ते | एना | यज्ञैः | सप्त | यत् | पुरः | शर्म | शारदीः | दर्त | हन् | दासीः | पुरु-कुत्साय | शिक्षन् // ऋ. वे. ६,२०.१० //
त्वम् | वृधः | इन्द्र | पूर्व्यः | भूः | वरिवस्यन् | उशने | काव्याय | परा | नव-वास्त्वम् | अनु-देयम् | महे | पित्रे | ददाथ | स्वम् | नपातम् // ऋ. वे. ६,२०.११ //
त्वम् | धुनिः | इन्द्र | धुनि-मतीः | ऋणोः | अपः | सीराः | न | स्रवन्तीः | प्र | यत् | समुद्रम् | अति | शूर | पर्षि | पारय | तुर्वशम् | यदुम् | स्वस्ति // ऋ. वे. ६,२०.१२ //
तव | ह | त्यत् | इन्द्र | विश्वम् | आजौ | सस्तः | धुनीचुमुरी इति | या | ह | सिस्वप् | दीदयत् | इत् | तुभ्यम् | सोमेभिः | सुन्वन् | दभीतिः | इध्म-भृतिः | पक्थी | अर्कैः // ऋ. वे. ६,२०.१३ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:६/११-
(ऋ. वे. ६,२१)
इमाः | ॐ इति | त्वा | पुरु-तमस्य | कारोः | हव्यम् | वीर | हव्याः | हवन्ते | धियः | रथे--स्थाम् | अजरम् | नवीयः | रयिः | वि-भूतिः | ईयते | वचस्या // ऋ. वे. ६,२१.१ //
तम् | ॐ इति | स्तुषे | इन्द्रम् | यः | विदानः | गिर्वाहसम् | गीः-भिः | यज्ञ-वृद्धम् | यस्य | दिवम् | अति | मह्ना | पृथिव्याः | पुरु-मायस्य | रिरिचे | महि-त्वम् // ऋ. वे. ६,२१.२ //
सः | इत् | तमः | अवयुनम् | ततन्वत् | सूर्येण | वयुन-वत् | चकार | कदा | ते | मर्ताः | अमृतस्य | धाम | इयक्षन्तः | न | मिनन्ति | स्वधावः // ऋ. वे. ६,२१.३ //
यः | ता | चकार | सः | कुह | स्वित् | इन्द्रः | कम् | आ | जनम् | चरति | कासु | विक्षु | कः | ते | यज्ञः | मनसे | शम् | वराय | कः | अर्कः | इन्द्र | कतमः | सः | होता // ऋ. वे. ६,२१.४ //
इदा | हि | ते | वेविषतः | पुराजाः | प्रत्नासः | आसुः | पुरु-कृत् | सखायः | ये | मद्यमासः | उत | नूतनासः | उत | अवमस्य | पुरु-हूत | बोधि // ऋ. वे. ६,२१.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:६/१२-
तम् | पृच्छन्तः | अवरासः | पराणि | प्रत्ना | ते | इन्द्र | श्रुत्या | अनु | येमुः | अर्चामसि | वीर | ब्रह्म-वाहः | यात् | एव | विद्म | तात् | त्वा | महान्तम् // ऋ. वे. ६,२१.६ //
अभि | त्वा | पाजः | रक्षसः | वि | तस्थे | महि | जज्ञानम् | अभि | तत् | सु | तिष्ठ | तव | प्रत्नेन | युज्येन | सख्या | वज्रेण | धृष्णो इति | अप | ता | नुदस्व // ऋ. वे. ६,२१.७ //
सः | तु | श्रुधि | इन्द्र | नूतनस्य | ब्रह्मण्यतः | वीर | कारु-धायः | त्वम् | हि | आपिः | प्र-दिवि | पितॄणाम् | शश्वत् | बभूथ | सु-हवः | आइष्टौ // ऋ. वे. ६,२१.८ //
प्र | ऊतये | वरुणम् | मित्रम् | इन्द्रम् | मरुतः | कृष्व | अवसे | नः | अद्य | प्र | पूषणम् | विष्णुम् | अग्निम् | पुरम्-धिम् | सवितारम् | ओषधीः | पर्वतान् | च // ऋ. वे. ६,२१.९ //
इमे | ॐ इति | त्वा | पुरु-शाक | प्रयज्यो इतिप्र-यज्यो | जरितारः | अभि | अर्चन्ति | अर्कैः | श्रुधि | हवम् | आ | हुवतः | हुवानः | न | त्वावान् | अन्यः | अमृत | त्वत् | अस्ति // ऋ. वे. ६,२१.१० //
नु | मे | आ | वाचम् | उप | याहि | विद्वान् | विश्वेभिः | सूनो इति | सहसः | यजत्रैः | ये | अग्नि-जिह्वाः | ऋत-सापः | आसुः | ये | मनुम् | चक्रुः | उपरम् | दसाय // ऋ. वे. ६,२१.११ //
सः | नः | बोधि | पुरः-एता | सु-गेषु | उत | दुः-गेषु | पथि-कृत् | विदानः | ये | अश्रमासः | उरवः | वहिष्ठाः | तेभिः | नः | इन्द्र | अभि | वक्षि | वाजम् // ऋ. वे. ६,२१.१२ //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:६/१३-
(ऋ. वे. ६,२२)
यः | एकः | इत् | हव्यः | चर्षणीनाम् | इन्द्रम् | तम् | गीः-भिः | अभि | अर्चे | आभिः | यः | पत्यते | वृषभः | वृष्ण्य-वान् | सत्यः | सत्वा | पुरु-मायः | सहस्वान् // ऋ. वे. ६,२२.१ //
तम् | ॐ इति | नः | पूर्वे | पितरः | नव-ग्वाः | सप्त | विप्रासः | अभि | वाजयन्तः | नक्षत्-दाभम् | ततुरिम् | पर्वते--स्थाम् | अद्रोघ-वाचम् | मति-भिः | शविष्ठम् // ऋ. वे. ६,२२.२ //
तम् | ईमहे | इन्द्रम् | अस्य | रायः | पुरु-वीरस्य | नृ-वतः | पुरु-क्षोः | यः | अस्कृधोयुः | अजरः | स्वः-वान् | तम् | आ | भर | हरि-वः | मादयध्यै // ऋ. वे. ६,२२.३ //
तत् | नः | वि | वोचः | यदि | ते | पुरा | चित् | जरितारः | आनशुः | सुम्नम् | इन्द्र | कः | ते | भागः | किम् | वयः | दुध्र | खिद्वः | पुरु-हूत | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | असुर-घ्नः // ऋ. वे. ६,२२.४ //
तम् | पृच्छन्ती | वज्र-हस्तम् | रथे--स्थाम् | इन्द्रम् | वेपी | वक्वरी | यस्य | नु | गीः | तुवि-ग्राभम् | तुवि-कूर्मिम् | रभः-दाम् | गातुम् | इषे | नक्षते | तुम्रम् | अच्छ // ऋ. वे. ६,२२.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:६/१४-
अया | ह | त्यम् | मायया | ववृधानम् | मनः-जुवा | स्व-तवः | पर्वतेन | अच्युता | चित् | वीऌइता | सु-ओजः | रुजः | वि | दृऌहा | धृषता | वि-रप्शिन् // ऋ. वे. ६,२२.६ //
तम् | वः | धिया | नव्यस्या | शविष्ठम् | प्रत्नम् | प्रत्न-वत् | परि-तंसयध्यै | सः | नः | वक्षत् | अनि-मानः | सु-वह्ना | इन्द्रः | विश्वानि | अति | दुः-गहाणि // ऋ. वे. ६,२२.७ //
आ | जनाय | द्रुह्वणे | पार्थिवानि | दिव्यानि | दीपयः | अन्तरिक्षा | तप | वृषन् | विश्वतः | शोचिषा | तान् | ब्रह्म-द्विषे | शोचय | क्षाम् | अपः | च // ऋ. वे. ६,२२.८ //
भुवः | जनस्य | दिव्यस्य | राजा | पार्थिवस्य | जगतः | त्वेष-सन्दृक् | धिष्व | वज्रम् | दक्षिणे | इन्द्र | हस्ते | विश्वा | अजुर्य | दयसे | वि | मायाः // ऋ. वे. ६,२२.९ //
आ | सम्-यतम् | इन्द्र | णः | स्वस्तिम् | शत्रु-तूर्याय | बृहतीम् | अमृध्राम् | यया | दासानि | आर्याणि | वृत्रा | करः | वज्रिन् | सु-तुका | नाहुषाणि // ऋ. वे. ६,२२.१० //
सः | नः | नियुत्-भिः | पुरु-हूत | वेधः | विश्व-वाराभिः | आ | गहि | प्रयज्यो इतिप्र-यज्यो | न | याः | अदेवः | वरते | न | देवः | आ | आभिः | याहि | तूयम् | आ | मद्र्यद्रिक् // ऋ. वे. ६,२२.११ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:६/१५-
(ऋ. वे. ६,२३)
सुते | इत् | त्वम् | नि-मिश्लः | इन्द्र | सोमे | स्तोमे | ब्रह्मणि | शस्यमाने | उक्थे | यत् | वा | युक्ताभ्याम् | मघ-वन् | हरि-भ्याम् | बिभ्रत् | वज्रम् | बाह्वोः | इन्द्र | यासि // ऋ. वे. ६,२३.१ //
यत् | वा | दिवि | पार्ये | सुस्विम् | इन्द्र | वृत्र-हत्ये | वसि | शूर-सातौ | यत् | वा | दक्षस्य | बिभ्युषः | अबिभ्यत् | अरन्धयः | शर्धतः | इन्द्र | दस्यून् // ऋ. वे. ६,२३.२ //
पाता | सुतम् | इन्द्रः | अस्तु | सोमम् | प्र-नेनीः | उग्रः | जरितारम् | ऊती | कर्ता | वीराय | सुस्वये | ऊम् ंम् इति[?] | लोकम् | दाता | वसु | स्तुवते | कीरये | चित् // ऋ. वे. ६,२३.३ //
गन्ता | इयन्ति | सवना | हरि-भ्याम् | बभ्रिः | वज्रम् | पपिः | सोमम् | ददिः | गाः | कर्ता | वीरम् | नर्यम् | सर्व-वीरम् | श्रोता | हवम् | गृणतः | स्तोम-वाहाः // ऋ. वे. ६,२३.४ //
अस्मै | वयम् | यत् | ववान | तत् | विविष्मः | इन्द्राय | यः | नः | प्र-दिवः | अपः | करितिकः | सुते | सोमे | स्तुमसि | शंसत् | उक्था | इन्द्राय | ब्रह्म | वर्धनम् | यथा | असत् // ऋ. वे. ६,२३.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:६/१६-
ब्रह्माणि | हि | चकृषे | वर्धनानि | तावत् | ते | इन्द्र | मति-भिः | विविष्मः | सुते | सोमे | सुत-पाः | शम्-तमानि | रान्द्र्या | क्रियास्म | वक्षणानि | यज्ञैः // ऋ. वे. ६,२३.६ //
सः | नः | बोधि | पुरोऌआशम् | रराणः | पिब | तु | सोमम् | गो--ऋजीकम् | इन्द्र | आ | इदम् | बर्हिः | यजमानस्य | सीद | उरुम् | कृधि | त्वायतः | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. ६,२३.७ //
सः | मन्दस्व | हि | अनु | जोषम् | उग्र | प्र | त्वा | यज्ञासः | इमे | अश्नुवन्तु | प्र | इमे | हवासः | पुरु-हूतम् | अस्मे इति | आ | त्वा | इयम् | धीः | अवसे | इन्द्र | यम्याः // ऋ. वे. ६,२३.८ //
तम् | वः | सखायः | सम् | यथा | सुतेषु | सोमेभिः | ईम् | पृणत | भोजम् | इन्द्रम् | कुवित् | तस्मै | असति | नः | भराय | न | सुस्विम् | इन्द्रः | अवसे | मृधाति // ऋ. वे. ६,२३.९ //
एव | इत् | इन्द्रः | सुते | अस्तावि | सोमे | भरत्-वाजेषु | क्षयत् | इत् | मघोनः | असत् | यथा | जरित्रे | उत | सूरिः | इन्द्रः | रायः | विश्व-वारस्य | दाता // ऋ. वे. ६,२३.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:६/१७-
(ऋ. वे. ६,२४)
वृषा | मदः | इन्द्रे | श्लोकः | उक्था | सचा | सोमेषु | सुत-पाः | ऋजीषी | अर्चत्र्यः | मघ-वा | नृ-भ्यः | उक्थैः | द्युक्षः | राजा | गिराम् | अक्षित-ऊतिः // ऋ. वे. ६,२४.१ //
ततुरिः | वीरः | नर्यः | वि-चेताः | श्रोता | हवम् | गृणतः | उर्वि-ऊतिः | वसुः | शंसः | नराम् | कारु-धायाः | वाजी | स्तुतः | विदथे | दाति | वाजम् // ऋ. वे. ६,२४.२ //
अक्षः | न | चक्र्योः | शूर | बृहन् | प्र | ते | मह्ना | रिरिचे | रोदस्योः | वृक्षस्य | नु | ते | पुरु-हूत | वयाः | वि | ऊतयः | रुरुहुः | इन्द्र पूर्वीः // ऋ. वे. ६,२४.३ //
शची-वतः | ते | पुरु-शाक | शाकाः | गवाम्-इव | स्रुतयः | सम्-चरणीः | वत्सानाम् | न | तन्तयः | ते | इन्द्र | दामन्-वन्तः | अदामानः | सु-दामन् // ऋ. वे. ६,२४.४ //
अन्यत् | अद्य | कर्वरम् | अन्यत् | ॐ इति | श्वः | असत् | च | सत् | मुहुः | आ | चक्रिः | इन्द्रः | मित्रः | नः | अत्र | वरुणः | च | पूषा | अर्यः | वशस्य | परि-एता | अस्ति // ऋ. वे. ६,२४.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:६/१८-
वि | त्वत् | आपः | न | पर्वतस्य | पृष्ठात् | उक्थेभिः | इन्द्र | अनयन्त | यज्ञैः | तम् | त्वा | आभिः | सुस्तुति-भिः | वाजयन्तः | आजिम् | न | जग्मुः | गिर्वाहः | अश्वाः // ऋ. वे. ६,२४.६ //
न | यम् | जरन्ति | शरदः | न | मासाः | न | द्यावः | इन्द्रम् | अव-कर्शयन्ति | वृद्धस्य | चित् | वर्धताम् | अस्य | तनूः | स्तोमेभिः | उक्थैः | च | शस्यमाना // ऋ. वे. ६,२४.७ //
न | वीऌअवे | नमते | न | स्थिराय | न | शर्धते | दस्यु-जूताय | स्तवान् | अज्राः | इन्द्रस्य | गिरयः | चित् | ऋष्वाः | गम्भीरे | चित् | भवति | गाधम् | अस्मै // ऋ. वे. ६,२४.८ //
गम्भीरेण | नः | उरुणा | अमत्रिन् | प्र | इषः | यन्धि | सुत-पावन् | वाजान् | स्थाः | ॐ इति | सु | ऊर्ध्वः | ऊती | अरिषण्यन् | अक्तोः | वि-उष्टौ | परि-तक्म्यायाम् // ऋ. वे. ६,२४.९ //
सचस्व | नायम् | अवसे | अभीके | इतः | वा | तम् | इन्द्र | पाहि | रिषः | अमा | च | एनम् | अरण्ये | पाहि | रिषः | मदेम | शत-हिमाः | सु-वीराः // ऋ. वे. ६,२४.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:६/१९-
(ऋ. वे. ६,२५)
या | ते | ऊतिः | अवमा | या | परमा | या | मध्यमा | इन्द्र | शुष्मिन् | अस्ति | ताभिः | ॐ इति | सु | वृत्र-हत्ये | अवीः | नः | एभिः | च | वाजैः | महान् | नः | उग्र // ऋ. वे. ६,२५.१ //
आभिः | स्पृधः | मिथतीः | अरिषण्यन् | अमित्रस्य | व्यथय | मन्युम् | इन्द्र | आभिः | विश्वाः | अभि-युजः | विषूचीः | आर्याय | विशः | अव | तारीः | दासीः // ऋ. वे. ६,२५.२ //
इन्द्र | जामयः | उत | ये | अजामयः | अर्वाचीनासः | वनुषः | युयुज्रे | त्वम् | एषाम् | विथुरा | शवांसि | जहि | वृष्ण्यानि | कृणुहि | पराचः // ऋ. वे. ६,२५.३ //
शूरः | वा | शूरम् | वनते | शरीरैः | तनू-रुचा | तरुषि | यत् | कृण्वैतेइति | तोके | वा | गोषु | तनये | यत् | अप्-सु | वि | क्रन्दसी इति | उर्वरासु | ब्रवैतेइति // ऋ. वे. ६,२५.४ //
नहि | त्वा | शूरः | न | तुरः | न | धृष्णुः | न | त्वा | योधः | मन्यमानः | युयोध | इन्द्र | नकिः | त्वा | प्रति | अस्ति | एषाम् | विश्वा | जातानि | अभि | असि | तानि // ऋ. वे. ६,२५.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:६/२०-
सः | पत्यते | उभयोः | नृम्णम् | अयोः | यदि | वेधसः | सम्-इथे | हवन्ते | वृत्रे | वा | महः | नृ-वति | क्षये | वा | व्यचस्वन्ता | यदि | वितन्तसैतेइति // ऋ. वे. ६,२५.६ //
अध | स्म | ते | चर्षणयः | यत् | एजान् | इन्द्र | त्राता | उत | भव | वरूता | अस्माकासः | ये | नृ-तमासः | अर्यः | इन्द्र | सूरयः | दधिरे | पुरः | नः // ऋ. वे. ६,२५.७ //
अनु | ते | दायि | महे | इन्द्रियाय | सत्रा | ते | विश्वम् | अनु | वृत्र-हत्ये | अनु | क्षत्रम् | अनु | सहः | यजत्र | इन्द्र | देवेभिः | अनु | ते | नृ-सह्ये // ऋ. वे. ६,२५.८ //
एव | नः | स्पृधः | सम् | अज | समत्-सु | इन्द्र | ररन्धि | मिथतीः | अदेवीः | विद्याम | वस्तोः | अवसा | गृणन्तः | भरत्-वाजाः | उत | ते | इन्द्र | नूनम् // ऋ. वे. ६,२५.९ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:६/२१-
(ऋ. वे. ६,२६)
श्रुधि | नः | इन्द्र | ह्वयामसि | त्वा | महः | वाजस्य | सातौ | ववृषाणाः | सम् | यत् | विशः | अयन्त | शूर-सातौ | उग्रम् | नः | अवः | पार्ये | अहन् | दाः // ऋ. वे. ६,२६.१ //
त्वाम् | वाजी | हवते | वाजिनेयः | महः | वाजस्य | गध्यस्य | सातौ | त्वाम् | वृत्रेषु | इन्द्र | सत्-पतिम् | तरुत्रम् | त्वाम् | चष्टे | मुष्टि-हा | गोषु | युध्यन् // ऋ. वे. ६,२६.२ //
त्वम् | कविम् | चोदयः | अर्क-सातौ | त्वम् | कुत्साय | शुष्णम् | दाशुषे | वर्क | त्वम् | शिरः | अमर्मणः | परा | अहन् | अतिथि-ग्वाय | शंस्यम् | करिष्यन् // ऋ. वे. ६,२६.३ //
त्वम् | रथम् | प्र | भरः | योधम् | ऋष्वम् | आवः | युध्यन्तम् | वृषभम् | दश-द्युम् | त्वम् | तुग्रम् | वेतसवे | सचा | अहन् | त्वम् | तुजिम् | गृणन्तम् | इन्द्र | तूतोरितितूतोः // ऋ. वे. ६,२६.४ //
त्वम् | तत् | उक्थम् | इन्द्र | बर्हणा | करितिकः | प्र | यत् | शता | सहस्रा | शूर | दर्षि | अव | गिरेः | दासम् | शम्बरम् | हन् | प्र | आवः | दिवः-दासम् | चित्राभि ः | ऊती // ऋ. वे. ६,२६.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:६/२२-
त्वम् | श्रद्धाभिः | मन्दसानः | सोमैः | दभीतये | चुमुरिम् | इन्द्र | सिस्वप् | त्वम् | रजिम् | पिथीनसे | दशस्यन् | षष्टिम् | सहस्रा | शच्या | सचा | अहन् // ऋ. वे. ६,२६.६ //
अहम् | चन | तत् | सूरि-भिः | आनश्यान् | तव | ज्यायः | इन्द्र | सुम्नम् | ओजः | त्वया | यत् | स्तवन्ते | सध-वीर | वीराः | त्रि-वरूथेन | नहुषा | शविष्ठ // ऋ. वे. ६,२६.७ //
वयम् | ते | अस्याम् | इन्द्र | द्युम्न-हूतौ | सखायः | स्याम | महिन | प्रेष्ठाः | प्रातर्दनिः | क्षत्र-श्रीः | अस्तु | श्रेष्ठः | घने | वृत्राणाम् | सनये | धनानाम् // ऋ. वे. ६,२६.८ //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:६/२३-
(ऋ. वे. ६,२७)
किम् | अस्य | मदे | किम् | ॐ इति | अस्य | पीतौ | इन्द्रः | किम् | अस्य | सख्ये | चकार | रणाः | वा | ये | नि-सदि | कि म् | ते | अस्य | पुरा | विविद्रे | किम् | ॐ इति | नूतनासः // ऋ. वे. ६,२७.१ //
सत् | अस्य | मदे | सत् | ॐ इति | अस्य | पीतौ | इन्द्रः | सत् | अस्य | सख्ये | चकार | रणाः | वा | ये | नि-सदि | सत् | ते | अस्य | पुरा | विविद्रे | सत् | ॐ इति | नूतनासः // ऋ. वे. ६,२७.२ //
नहि | नु | ते | महिमनः | समस्य | न | मघ-वन् | मघवत्-त्वस्य | वि द्म | न | राधसः-राधसः | नूतनस्य | इन्द्र | नकिः | ददृशे | इन्द्रियम् | ते // ऋ. वे. ६,२७.३ //
एतत् | त्यत् | ते | इन्द्रियम् | अचेति | येन | अवधीः | वर-शिखस्य | शेषः | वज्रस्य | यत् | ते | नि-हतस्य | शुष्मात् | स्वनात् | चित् | इन्द्र | परमः | ददार // ऋ. वे. ६,२७.४ //
वधीत् | इन्द्रः | वर-शिखस्य | शेषः | अभि-आवर्तिने | चायमानाय | शिक्षन् | वृचीवतः | यत् | हरियूपीयायाम् | हन् | पूर्वे | अर्धे | भियसा | अपरः | दर्त // ऋ. वे. ६,२७.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:६/२४-
त्रिंशत्-शतम् | वर्मिणः | इन्द्र | साकम् | यव्यावत्याम् | पुरु-हूत | श्रवस्या | वृचीवन्तः | शरवे | पत्यमानाः | पात्रा | भिन्दानाः | नि-अर्थानि | आयन् // ऋ. वे. ६,२७.६ //
यस्य | गावौ | अरुषा | सुयवस्यू इतिसु-यवस्यू | अन्तः | ॐ इति | सु | चरतः | रेरिहाणा | सः | सृञ्जयाय | तुर्वशम् | परा | अदात् | वृचीवतः | दैव-वाताय | शिक्षन् // ऋ. वे. ६,२७.७ //
द्वयान् | अग्ने | रथिनः | विंशतिम् | गाः | वधू-मतः | मघ-वा | मह्यम् | सम्-राट् | अभि-आवर्ती | चायमानः | ददाति | दुः-नाशा | इयम् | दक्षिणा | पार्थवानाम् // ऋ. वे. ६,२७.८ //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:६/२५-
(ऋ. वे. ६,२८)
आ | गावः | अग्मन् | उत | भद्रम् | अक्रन् | सीदन्तु | गो--स्थे | रणयन्तु | अस्मे इति | प्रजावतीः | पुरु-रूपाः | इह | स्युः | इन्द्राय | पूर्वीः | उषसः | दुहानाः // ऋ. वे. ६,२८.१ //
इन्द्रः | यज्वने | पृणते | च | शिक्षति | उप | इत् | ददाति | न | स्वम् | मुषायति | भूयः-भूयः | रयिम् | इत् | अस्य | वर्धयन् | अभिन्ने | खिल्ये | नि | दधाति | देव-युम् // ऋ. वे. ६,२८.२ //
न | ताः | नशन्ति | न | दभाति | तस्करः | न | आसाम् | आमित्रः | व्यथिः | आ | दधर्षति | देवान् | च | याभिः | यजते | ददाति | च | ज्योक् | इत् | ताभिः | सचते | गो--पतिः | सह // ऋ. वे. ६,२८.३ //
न | ताः | अर्वा | रेणु-ककाटः | अश्नुते | न | संस्कृत-त्रम् | उप | यन्ति | ताः | अभि | उरु-गायम् | अभयम् | तस्य | ताः | अनु | गावः | मर्तस्य | वि | चरन्ति | यज्वनः // ऋ. वे. ६,२८.४ //
गावः | भगः | गावः | इन्द्रः | मे | अच्छान् | गावः | सोमस्य | प्रथमस्य | भक्षः | इमाः | याः | गावः | सः | जनासः | इन्द्रः | इच्छामि | इत् | हृदा | मनसा | चित् | इन्द्रम् // ऋ. वे. ६,२८.५ //
यूयम् | गावः | मेदयथ | कृशम् | चित् | अश्रीरम् | चित् | कृणुथ | सु-प्रतीकम् | भद्रम् | गृहम् | कृणुथ | भद्र-वाचः | बृहत् | वः | वयः | उच्यते | सभासु // ऋ. वे. ६,२८.६ //
प्रजावतीः | सु-यवसम् | रिशन्तीः | शुद्धाः | अपः | सु-प्रपाने | पिबन्तीः | मा | वः | स्तेनः | ईशत | मा | अघ-शंसः | परि | वः | हेतिः | रुद्रस्य | वृज्याः // ऋ. वे. ६,२८.७ //
उप | इदम् | उप-पर्चनम् | आसु | गोषु | उप | पृच्यताम् | उप | ऋषभस्य | रेतसि | उप | इन्द्र | तव | वीर्ये // ऋ. वे. ६,२८.८ //
//२५//.


-ऋ. वे. ४:७/१-
(ऋ. वे. ६,२९)
इन्द्रम् | वः | नरः | सख्याय | सेपुः | महः | यन्तः | सु-मतये | चकानाः | महः | हि | दाता | वज्र-हस्तः | अस्ति | महाम् | ॐ इति | रण्वम् | अवसे | यजध्वम् // ऋ. वे. ६,२९.१ //
आ | यस्मिन् | हस्ते | नर्याः | मिमिक्षुः | आ | रथे | हिरण्यये | रथे--स्थाः | आ | रश्मयः | गभस्त्योः | स्थूरयोः | आ | अध्वन् | अश्वासः | वृषणः | युजानाः // ऋ. वे. ६,२९.२ //
श्रिये | ते | पादा | दुवः | आ | मिमिक्षुः | धृष्णुः | वज्री | शवसा | दक्षिण-वान् | वसानः | अत्कम् | सुरभिम् | दृशे | कम् | स्वः | न | नृतो इति | इषिरः | बभूथ // ऋ. वे. ६,२९.३ //
सः | सोमः | आमिश्ल-तमः | सुतः | भूत् | यस्मिन् | पक्तिः | पच्यते | सन्ति | धानाः | इन्द्रम् | नरः | स्तुवन्तः | ब्रह्म-काराः | उक्था | शंसन्तः | देववात-तमाः // ऋ. वे. ६,२९.४ //
न | ते | अन्तः | शवसः | धायि | अस्य | वि | तु | बाबधे | रोदसी इति | महि-त्वा | आ | ता | सूरिः | पृणति | तूतुजानः | यूथाइव | अप्-सु | सम्-ईजमानः | ऊती // ऋ. वे. ६,२९.५ //
एव | इत् | इन्द्रः | सु-हवः | ऋष्वः | अस्तु | ऊती | अनूती | हिरि-शिप्रः | सत्वा | एव | हि | जातः | असमाति-ओजाः | पुरु | च | वृत्रा | हनति | नि | दस्यून् // ऋ. वे. ६,२९.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:७/२-
(ऋ. वे. ६,३०)
भूयः | इत् | ववृधे | वीर्याय | एकः | अजुर्यः | दयते | वसूनि | प्र | रिरिचे | द् इवः | इन्द्रः | पृथिव्याः | अर्धम् | इत् | अस्य | प्रति | रोदसी इति | उभे इति // ऋ. वे. ६,३०.१ //
अध | मन्ये | बृहत् | असुर्यम् | अस्य | यानि | दाधार | नकिः | आ | मिनाति | दिवे--दिवे | सूर्यः | दर्शतः | भूत् | वि | सद्मानि | उर्विया | सु-क्रतुः | धात् // ऋ. वे. ६,३०.२ //
अद | चित् | नु | चित् | तत् | अपः | नदीनाम् | यत् | आभ्यः | अरदः | गातुम् | इन्द्र | नि | पर्वताः | अद्म-सदः | न | सेदुः | त्वया | दृऌहानि | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | रजांसि // ऋ. वे. ६,३०.३ //
सत्यम् | इत् | तत् | न | त्वावान् | अन्यः | अस्ति | इन्द्र | देवः | न | मर्त्यः | ज्यायान् | अहन् | अहिम् | परि-शयानम् | अर्णः | अव | असृजः | अपः | अच्छ | समुद्रम् // ऋ. वे. ६,३०.४ //
त्वम् | अपः | वि | दुरः | विषूचीः | इन्द्र | दृऌहम् | अरुजः | पर्वतस्य | राजा | अभवः | जगतः | चर्षणीनाम् | साकम् | सूर्यम् | जनयन् | द्याम् | उषसम् // ऋ. वे. ६,३०.५ //
//२//.

-ऋ. वे. ४:७/३-
(ऋ. वे. ६,३१)
अभूः | एकः | रयि-पते | रयीणाम् | आ | हस्तयोः | अधिथाः | इन्द्र | कृष्टीः | वि | तोके | अप्-सु | तनये | च | सूरे | अवोचन्त | चर्षणयः | विवाचः // ऋ. वे. ६,३१.१ //
त्वत् | भिया | इन्द्र | पार्थिवानि | विश्वा | अच्युता | चित् | च्यवयन्ते | रजांसि | द्यावाक्षामा | पर्वतासः | वनानि | विश्वम् | दृऌहम् | भयते | अज्मन् | आ | ते // ऋ. वे. ६,३१.२ //
त्वम् | कुत्सेन | अभि | शुष्णम् | इन्द्र | अशुषम् | युध्य | कुयवम् | गविष्टौ | दश | प्र-पित्वे | अध | सूर्यस्य | मुषायः | चक्रम् | अविवेः | रपांसि // ऋ. वे. ६,३१.३ //
त्वम् | शतानि | अव | शम्बरस्य | पुरः | जघन्थ | अप्रतीनि | दस्योः | अशिक्षः | यत्र | शच्या | शची-वः | दिवः-दासाय | सुन्वते | सुत-क्रे | भरत्-वाजाय | गृणते | वसूनि // ऋ. वे. ६,३१.४ //
सः | सत्य-सत्वन् | महते | रणाय | रथम् | आ | तिष्ठ | तुवि-नृम्ण | भीमम् | याहि | प्र-पथिन् | अवसा | उप | मद्रिक् | प्र | च | श्रुत | श्रवय | चर्षणि-भ्यः // ऋ. वे. ६,३१.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:७/४-
(ऋ. वे. ६,३२)
अपूर्व्या | पुरु-तमानि | अस्मै | महे | वीराय | तवसे | तुराय | विरप्शिने | वज्रिणे | शम्-तमानि | वचांसि | आसा | स्थविराय | तक्षम् // ऋ. वे. ६,३२.१ //
सः | मातरा | सूर्येण | कवीनाम् | अवासयत् | रुजत् | अद्रिम् | गृणानः | सु-आधीभिः | ऋक्व-भिः | वावशानः | उत् | उस्रियाणाम् | असृजत् | नि-दानम् // ऋ. वे. ६,३२.२ //
सः | वह्नि-भिः | ऋक्व-भिः | गोषु | शश्वत् | मितज्ञु-भिः | पुरु-कृत्वा | जिगाय | पुरः | पुरः-हा | सखि-भिः | सखि-यन् | दृऌहा | रुरोज | कवि-भिः | कविः | सन् // ऋ. वे. ६,३२.३ //
सः | नीव्याभिः | जरितारम् | अच्छ | महः | वाजेभिः | महत्-भिः | च | शुष्मैः | पुरु-वीराभिः | वृषभ | क्षितीनाम् | आ | गिर्वणः | सुविताय | प्र | याहि // ऋ. वे. ६,३२.४ //
सः | सर्गेण | शवसा | तक्तः | अत्यैः | अपः | इन्द्रः | दक्षिणतः | तुराषाट् | इत्था | सृजानाः | अनप-वृत् | अर्थम् | दिवे--दिवे | विविषुः | अप्र-मृष्यम् // ऋ. वे. ६,३२.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:७/५-
(ऋ. वे. ६,३३)
यः | ओजिष्ठः | इन्द्र | तम् | सु | नः | दाः | मदः | वृषन् | सु-अभिष्टिः | दास्वान् | सौवश्व्यम् | यः | वन-वत् | सु-अश्वः | वृत्रा | समत्-सु | ससहत् | अमित्रान् // ऋ. वे. ६,३३.१ //
त्वाम् | हि | इन्द्र | अवसे | विवाचः | हवन्ते | चर्षणयः | शूर-सातौ | त्वम् | विप्रेभिः | वि | पणीन् | अशायः | त्वाऊतः | इत् | सनिता | वाजम् | अर्वा // ऋ. वे. ६,३३.२ //
त्वम् | तान् | इन्द्र | उभयान् | अमित्रान् | दासा | वृत्राणि | आर्या | च | शूर | वधीः | वनाइव | सु-धितेभिः | अत्कैः | आ | पृत्-सु | दर्षि | नृणाम् | नृ-तम // ऋ. वे. ६,३३.३ //
सः | त्वम् | नः | इन्द्र | अकवाभिः | ऊती | सखा | विश्व-आयुः | अविता | वृधे | भूः | स्वः-साता | यत् | ह्वयामसि | त्वा | युध्यन्तः | नेम-धिता | पृत्-सु | शूर // ऋ. वे. ६,३३.४ //
नूनम् | नः | इन्द्र | अपराय | च | स्याः | भव | मृऌईकः | उत | नः | अभिष्टौ | इत्था | गृणन्तः | महिनस्य | शर्मन् | दिवि | स्याम | पार्ये | गोस-तमाः // ऋ. वे. ६,३३.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:७/६-
(ऋ. वे. ६,३४)
सम् | च | त्वे
इति | जग्मुः | गिरः | इन्द्र | पूर्वीः | वि | च | त्वत् | यन्ति | वि-भ्वः | मनीषाः | पुरा | नूनम् | च | स्तुतयः | ऋषीणाम् | पस्पृध्रे | इन्द्रे | अधि | उक्थ-अर्का // ऋ. वे. ६,३४.१ //
पुरु-हूतः | यः | पुरु-गूर्तः | ऋभ्वा | एकः | पुरु-प्रशस्तः | अस्ति | यज्ञैः | रथः | न | महे | शवसे | युजानः | अस्माभिः | इन्द्रः | अनु-माद्यः | भूत् // ऋ. वे. ६,३४.२ //
न | यम् | हिंसन्ति | धीतयः | न | वाणीः | इन्द्रम् | नक्षन्ति | इत् | अभि | वधर्यन्तीः | यदि | स्तोतारः | शतम् | यत् | सहस्रम् | गृणन्ति | गिर्वणसम् | शम् | तत् | अस्मै // ऋ. वे. ६,३४.३ //
अस्मै | एतत् | दिवि | अर्चाइव | मासा | मिमिक्षः | इन्द्रे | नि | अयामि | सोमः | जनम् | न | धन्वन् | अभि | सम् | यत् | आपः | सत्राः | ववृधुः | हवनानि | यज्ञैः // ऋ. वे. ६,३४.४ //
अस्मै | एतत् | महि | आङ्गूषम् | अस्मै | इन्द्राय | स्तोत्रम् | मति-भिः | अवाचि | असत् | यथा | महति | वृत्र-तूर्ये | इन्द्रः | विश्व-आयुः | अविता | वृधः | च // ऋ. वे. ६,३४.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ४:७/७-
(ऋ. वे. ६,३५)
कदा | भुवन् | रथ-क्षयाणि | ब्रह्म | कदा | स्तोत्रे | सहस्र-पोष्यम् | दाः | कदा | स्तोमम् | वासयः | अस्य | राया | कदा | धियः | करसि | वाज-रत्नाः // ऋ. वे. ६,३५.१ //
कर्हि | स्वित् | तत् | इन्द्र | यत् | नृ-भिः | नॄन् | वीरैः | वीरान् | नीऌअयासे | जय | आजीन् | त्रि-धातु | गाः | अधि | जयासि | गोषु | इन्द्र | द्युम्नम् | स्वः-वत् | धेहि | अस्मे इति // ऋ. वे. ६,३५.२ //
कर्हि | स्वित् | तत् | इन्द्र | यत् | जरित्रे | विश्व-प्सु | ब्रह्म | कृणवः | शविष्ठ | कदा | धियः | न | नि-युतः | युवासे | कदा | गो--मघा | हवनानि | गच्छाः // ऋ. वे. ६,३५.३ //
सः | गो--मघाः | जरित्रे | अश्व-चन्द्राः | वाज-श्रवसः | अधि | धेहि | पृक्षः | पीपिहि | इषः | सु-दुघाम् | इन्द्र | धेनुम् | भरत्-वाजेषु | सु-रुचः | रुरुच्याः // ऋ. वे. ६,३५.४ //
तम् | आ | नूनम् | वृजनम् | अन्यथा | चित् | शूरः | यत् | शक्र | वि | दुरः | गृणीषे | मा | निः | अरम् | शुक्र-दुघस्य | धेनोः | आङ्गिरसान् | ब्रह्मणा | विप्र | जिन्व // ऋ. वे. ६,३५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:७/८-
(ऋ. वे. ६,३६)
सत्रा | मदासः | तव | विश्व-जन्याः | सत्रा | रायः | अध | ये | पार्थिवासः | सत्रा | वाजानाम् | अभवः | वि-भक्ता | यत् | देवेषु | धारयथाः | असुर्यम् // ऋ. वे. ६,३६.१ //
अनु | प्र | येजे | जनः | ओजः | अस्य | सत्रा | दधिरे | अनु | वीर्याय | स्यूम-गृभे | दुधये | अर्वते | च | क्रतुम् | वृञ्जन्ति | अपि | वृत्र-हत्ये // ऋ. वे. ६,३६.२ //
तम् | सध्रीचीः | ऊतयः | वृष्ण्यानि | पैंस्यानि | नि-युतः | सश्चुः | इन्द्रम् | समुद्रम् | न | सिन्धवः | उक्थ-शुष्माः | उरु-व्यचसम् | गिरः | आ | विशन्ति // ऋ. वे. ६,३६.३ //
सः | रायः | खाम् | उप | सृज | गृणानः | पुरु-चन्द्रस्य | त्वम् | इन्द्र | वस्वः | पतिः | बभूथ | असमः | जनानाम् | एकः | विश्वस्य | भुवनस्य | राजा // ऋ. वे. ६,३६.४ //
सः | तु | श्रुधि | श्रुत्या | यः | दुवः-युः | द्यौः | न | भूम | अभि | रायः | अर्यः | असः | यथा | नः | शवसा | चकानः | युगे--युगे | वयसा | चेकितानः // ऋ. वे. ६,३६.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:७/९-
(ऋ. वे. ६,३७)
अर्वाक् | रथम् | विश्व-वारम् | ते | उग्र | इन्द्र | युक्तासः | हरयः | वहन्तु | कीरिः | चित् | हि | त्वा | हवते | स्वः-वान् | ऋधीमहि | सध-मादः | ते | अद्य // ऋ. वे. ६,३७.१ //
प्रो इति | द्रोणे | हरयः | कर्म | अग्मन् | पुनानासः | ऋज्यन्तः | अभूवन् | इन्द्रः | नः | अस्य | पूर्व्यः | पापीयात् | द्युक्षः | मदस्य | सोम्यस्य | राजा // ऋ. वे. ६,३७.२ //
आसस्राणासः | शवसानम् | अच्छ | इन्द्रम् | सु-चक्रे | रथ्यासः | अश्वाः | अभि | श्रवः | ऋज्यन्तः | वहेयुः | नु | चित् | नु | वायोः | अमृतम् | वि | दस्येत् // ऋ. वे. ६,३७.३ //
वरिष्ठः | अस्य | दक्षिणाम् | इयर्ति | इन्द्रः | मघोनाम् | तुविकूर्मि-तमः | यया | वज्रि-वः | परि-यासि | अंहः | मघा | च | धृष्णो इति | दयसे | वि | सूरीन् // ऋ. वे. ६,३७.४ //
इन्द्रः | वाजस्य | स्थविरस्य | दाता | इन्द्रः | गीः-भिः | वर्धताम् | वृद्ध-महाः | इन्द्रः | वृत्रम् | हनिष्ठः | अस्तु | सत्वा | आ | ता | सूरिः | पृणति | तूतुजानः // ऋ. वे. ६,३७.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ४:७/१०-
(ऋ. वे. ६,३८)
अपात् | इतः | उत् | ॐ इति | नः | चित्र-तमः | महीम् | भर्षत् | द्यु-मतीम् | इन्द्र-हूतिम् | पन्यसीम् | धीतिम् | दैव्यस्य | यामन् | जनस्य | रातिम् | वनते | सु-दानुः // ऋ. वे. ६,३८.१ //
दूरात् | चित् | आ | वसतः | अस्य | कर्णा | घोषात् | इन्द्रस्य | तन्यति | ब्रुवाणः | आ | इयम् | एनम् | देव-हूतिः | ववृत्यात् | मद्र्यक् | इन्द्रम् | इयम् | ऋच्यमाना // ऋ. वे. ६,३८.२ //
तम् | वः | धिया | परमया | पुराजाम् | अजरम् | इन्द्रम् | अभि | अनूषि | अर्कैः | ब्रह्म | च | गिरः | दधिरे | सम् | अस्मिन् | महान् | च | स्तोमः | अधि | वर्धत् | इन्द्रे // ऋ. वे. ६,३८.३ //
वर्धात् | यम् | यज्ञः | उत | सोमः | इन्द्रम् | वर्धात् | ब्रह्म | गिरः | उक्था | च | मन्म | वर्ध | अह | एनम् | उषसः | यामन् | अक्तोः | वर्धान् | मासाः | शरदः | द्यावः | इन्द्रम् // ऋ. वे. ६,३८.४ //
एव | जज्ञानम् | सहसे | असामि | ववृधानम् | राधसे | च | श्रुताय | महाम् | उग्रम् | अवसे | विप्र | नूनम् | आ | विवासेम | वृत्र-तूर्येषु // ऋ. वे. ६,३८.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:७/११-
(ऋ. वे. ६,३९)
मन्द्रस्य | कवेः | दिव्यस्य | वह्नेः | विप्र-मन्मनः | वचनस्य | मध्वः | अप | नः | तस्य | सचनस्य | देव | इषः | युवस्व | गृणते | गो--अग्राः // ऋ. वे. ६,३९.१ //
अयम् | उशानः | परि | अद्रिम् | उस्राः | ऋतधीति-भिः | ऋत-युक् | युजानः | रुजय्त् | अरुग्णम् | वि | वलस्य | सानुम् | पणीन् | वचः-भिः | अभि | योधत् | इन्द्रः // ऋ. वे. ६,३९.२ //
अयम् | द्योतयत् | अद्युतः | वि | अक्तून् | दोषा | वस्तोः | शरदः | इन्दुः | इन्द्र | इमम् | केतुम् | अदधुः | नु | चित् | अह्नाम् | शुचि-जन्मनः | उषसः | चकार // ऋ. वे. ६,३९.३ //
अयम् | रोचयत् | अरुचः | रुचानः | अयम् | वासयत् | वि | ऋतेन | पूर्वीः | अयम् | ईयते | ऋतयुक्-भिः | अश्वैः | स्वः-विदा | नाभिना | चर्षणि-प्राः // ऋ. वे. ६,३९.४ //
नु | गृणानः | गृणते | प्रत्न | राजन् | इषः | पिन्व | वसु-देयाय | पूर्वीः | अपः | ओषधीः | अविषा | वनानि | गाः | अर्वतः | नॄन् | ऋचसे | रिरीहि // ऋ. वे. ६,३९.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:७/१२-
(ऋ. वे. ६,४०)
इन्द्र | पिब | तुभ्यम् | सुतः | मदाय | अव | स्य | हरी इति | वि | मुच | सखाया | उत | प्र | गाय | गणे | आ | नि-सद्य | अथ | यज्ञाय | गृणते | वयः | धाः // ऋ. वे. ६,४०.१ //
अस्य | पिब | यस्य | जज्ञनः | न्द्र | मदाय | क्रत्वे | अपिबः | वि-रप्शिन् | तम् | ॐ इति | ते | गावः | नरः | आपः | अद्रिः | इन्दुम् | सम् | अह्यन् | पीतये | सम् | अस्मै // ऋ. वे. ६,४०.२ //
सम्-इद्धे | अग्नौ | सुते | इन्द्र | सोमे | आ | त्वा | वहन्तु | हरयः | वहिष्ठाः | त्वायता | मनसा | जोहवीमि | इन्द्र | आ | याहि | सुविताय | महे | नः // ऋ. वे. ६,४०.३ //
आ | याहि | शश्वत् | उशता | ययाथ | इन्द्र | महा | मनसा | सोम-पेयम् | उप | ब्रह्माणि | शृणवः | इमा | नः | अथ | ते | यज्ञः | तन्वे | वयः | धात् // ऋ. वे. ६,४०.४ //
यत् | इन्द्र | दिवि | पार्ये | यत् | ऋधक् | यत् | वा | स्वे | सदने | यत्र | वा | असि | अतः | नः | यज्ञम् | अवसे | नियुत्वान् | स-जोषाः | पाहि | गिर्वणः | मरुत्-भिः // ऋ. वे. ६,४०.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:७/१३-
(ऋ. वे. ६,४१)
अहेऌअमानः | उप | याहि | यज्ञम् | तुभ्यम् | पवन्ते | इन्दवः | सुतासः | गावः | न | वाज्रिन् | स्वम् | ओकः | अच्छ | इन्द्र | आ | गहि | प्रथमः | यज्ञियानाम् // ऋ. वे. ६,४१.१ //
या | ते | काकुत् | सु-कृता | या | वरिष्ठा | यया | शश्वत् | पिबसि | मध्वः | ऊर्मिम् | तया | पाहि | प्र | ते | अध्वर्युः | अस्थात् | सम् | ते | वज्रः | वर्तताम् | इन्द्र | गव्युः // ऋ. वे. ६,४१.२ //
एषः | द्रप्सः | वृषभः | विश्व-रूपः | इन्द्राय | वृष्णे | सम् | अकारि | सोमः | एतम् | पिब | हरि-वः | स्थातः | उग्र | यस्य | ईशिषे | प्र-दिवि | यः | ते | अन्नम् // ऋ. वे. ६,४१.३ //
सुतः | सोमः | असुतात् | इन्द्र | वस्यान् | अयम् | श्रेयान् | चिकितुषे | रणाय | एतम् | तितिर्वः | उप | याहि | यज्ञम् | तेन | विश्वाः | तविषीः | आ | पृणस्व // ऋ. वे. ६,४१.४ //
ह्वयामसि | त्वा | आ | इन्द्र | याहि | अर्वाङ् | अरम् | ते | सोमः | तन्वे | भवाति | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | मादयस्व | सुतेषु | प्र | अस्मान् | अव | पृतनासु | प्र | विक्षु // ऋ. वे. ६,४१.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:७/१४-
(ऋ. वे. ६,४२)
प्रति | अस्मै | पिपीषते | विश्वानि | विदुषे | भर | अरम्-गमाय | जग्मये | अपश्चात्-दघ्वने | नरे // ऋ. वे. ६,४२.१ //
आ | ईम् | एनम् | प्रति-एतन | सोमेभिः | सोम-पातनम् | अमत्रेभिः | ऋजीषिणम् | इन्द्रम् | सुतेभिः | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ६,४२.२ //
यदि | सुतेभिः | इन्दु-भिः | सोमेभिः | प्रति-भूषथ | वेद | विश्वस्य | मेधिरः | धृषत् | तम्-तम् | इत् | आ | ईषते // ऋ. वे. ६,४२.३ //
अस्मै-अस्मै | इत् | अन्धसः | अध्वर्यो इति | प्र | भर | सुतम् | कुवित् | समस्य | जेन्यस्य | शर्धतः | अभि-शस्तेः | अव-स्परत् // ऋ. वे. ६,४२.४ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:७/१५-
(ऋ. वे. ६,४३)
यस्य | त्यत् | शम्बरम् | मदे | दिवः-दासाय | रन्धयः | अयम् | सः | सोमः | इन्द्र | ते | सुतः | पिब // ऋ. वे. ६,४३.१ //
यस्य | तीव्र-सुतम् | मदम् | मध्यम् अन्तम् | च | रक्षसे | अयम् | सः | सोमः | इन्द्र | ते | सुतः | पिब // ऋ. वे. ६,४३.२ //
यस्य | गाः | अन्तः | अश्मनः | मदे | दृऌहाः | अव-असृजः | अयम् | सः | सोमः | इन्द्र | ते | सुतः | पिब // ऋ. वे. ६,४३.३ //
यस्य | मन्दानः | अन्धसः | माघोनम् | दधिषे | शवः | अयम् | सः | सोमः | इन्द्र | ते | सुतः | पिब // ऋ. वे. ६,४३.४ //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:७/१६-
(ऋ. वे. ६,४४)
यः | रयि-वः | रयिम्-तमः | यः | द्युम्नैः | द्युम्नवत्-तमः | सोमः | सुतः | सः | इन्द्र | ते | अस्ति | स्वधापतेमदः // ऋ. वे. ६,४४.१ //
यः | शग्मः | तुवि-शग्म | ते | रायः | दामा | मतीनाम् | सोमः | सुतः | सः | इन्द्र | ते | अस्ति | स्वधापतेमदः // ऋ. वे. ६,४४.२ //
येन | वृद्धः | न | शवसा | तुरः | न | स्वाभिः | ऊति-भिः | सोमः | सुतः | सः | इन्द्र | ते | अस्ति | स्वधापतेमदः // ऋ. वे. ६,४४.३ //
त्यम् | ॐ इति | वः | अप्र-हनम् | गृणीषे | शवसः | पतिम् | इन्द्रम् | विश्व-सहम् | नरम् | मंहिष्ठम् | विश्व-चर्षणिम् // ऋ. वे. ६,४४.४ //
यम् | वर्धयन्ति | इत् | गिरः | पतिम् | तुरस्य | राधसः | तम् | इत् | नु | अस्य | रोदसी इति | देवी इति | शुष्मम् | सपर्यतः // ऋ. वे. ६,४४.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:७/१७-
तत् | वः | उक्थस्य | बर्हणा | इन्द्राय | उप-स्तृणीषणि | विपः | न | यस्य | ऊतयः | वि | यत् | रोहन्ति | स-क्षितः // ऋ. वे. ६,४४.६ //
अविदत् | दक्षम् | मित्रः | नवीयान् | पपानः | देवेभ्यः | वस्यः | अचैत् | सस-वान् | स्तौलाभिः | धौतरीभिः | उरुष्या | पायुः | अभवत् | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ६,४४.७ //
ऋतस्य | पथि | वेधाः | अपायि | श्रिये | मनांसि | देवासः | अक्रन् | दधानः | नाम | महः | वचः-भिः | वपुः | दृशये | वेन्यः | वि | आवर् इत्य् आवः // ऋ. वे. ६,४४.८ //
द्युमत्-तमम् | दक्षम् | धेहि | अस्मे इति | सेध | जनानाम् | पूर्वीः | अरातीः | वर्षीयः | वयः | कृणुहि | शचीभिः | धनस्य | सातौ | अस्मान् | अविड्ढि // ऋ. वे. ६,४४.९ //
इन्द्र | तुभ्यम् | इत् | मघ-वन् | अभूम | वयम् | दात्रे | हरि-वः | मा | वि | वेनः | नकिः | आपिः | ददृशे | मर्त्य-त्रा | किम् | अङ्ग | रध्र-चोदनम् | त्वा | आहुः // ऋ. वे. ६,४४.१० //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:७/१८-
मा | जस्वने | वृषभ | नः | ररीथाः | मा | ते | रेवतः | सख्ये | रिषाम | पूर्वीः | ते | इन्द्र | निः-सिधः | जनेषु | जहि | असुस्वीन् | प्र | वृह | अपृणतः // ऋ. वे. ६,४४.११ //
उत् | अभ्राणि-इव | स्तनयन् | इयर्ति | इन्द्रः | राधांसि | अश्व्यानि | गव्या | त्वम् | आसि | प्र-दिवः | कारु-धायाः | मा | त्वा | अदामानः | आ | दभन् | मघोनः // ऋ. वे. ६,४४.१२ //
अध्वर्यो इति | वीर | प्र | महे | सुतानाम् | इन्द्राय | भर | सः | हि | अस्य | राजा | यः | पूर्व्याभिः | उत | नूतनाभिः | गीः-भिः | ववृधे | गृणताम् | ऋषीणाम् // ऋ. वे. ६,४४.१३ //
अस्य | मदे | पुरु | वर्पांसि | विद्वान् | इन्द्रः | वृत्राणि | अप्रति | जघान | तम् | ॐ इति | प्र | होषि | मधु-मन्तम् | अस्मै | सोमम् | वीराय | शिप्रिणे | पिबध्यै // ऋ. वे. ६,४४.१४ //
पाता | सुतम् | इन्द्रः | अस्तु | सोमम् | हन्ता | वृत्रम् | वज्रेण | मन्दसानः | गन्ता | यज्ञम् | परावतः | चित् | अच्छ | वसुः | धीनाम् | अविता | कारु-धायाः // ऋ. वे. ६,४४.१५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:७/१९-
इदम् | त्यत् | पात्रम् | इन्द्र-पानम् | इन्द्रस्य | प्रियम् | अमृतम् | अपायि | मत्सत् | यथा | सौमनसाय | देवम् | वि | अस्मत् | द्वेषः | युयवत् | वि | अंहः // ऋ. वे. ६,४४.१६ //
एना | मन्दानः | जहि | शूर | शत्रून् | जामिम् | अजामिम् | मघ-वन् | अमित्रान् | अभि-सेणान् | अभि | आदेदिशानान् | पराचः | इन्द्र | प्र | मृण | जहि | च // ऋ. वे. ६,४४.१७ //
आसु | स्म | नः | मघ-वन् | इन्द्र | पृत्-सु | अस्मभ्यम् | महि | वरिवः | सु-गम् | करितिकः | अपाम् | तोकस्य | तनयस्य | जेषे | इन्द्र | सूरीन् | कृणुहि | स्म | नः | अर्धम् // ऋ. वे. ६,४४.१८ //
आ | त्वा | हरयः | वृषणः | युजानाः | वृष-रथासः | वृष-रश्मयः | अत्याः | अस्मत्राञ्चः | वृषणः | वज्र-वाहः | वृष्णे | मदाय | सु-युजः | वहन्तु // ऋ. वे. ६,४४.१९ //
आ | ते | वृषन् | वृषणः | द्रोणम् | अस्थुः | घृत-प्रुषः | न | ऊर्मयः | मदन्तः | इन्द्र | प्र | तुभ्यम् | वृष-भिः | सुतानाम् | वृष्णे | भरन्ति | वृषभाय | सोमम् // ऋ. वे. ६,४४.२० //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:७/२०-
वृषा | असि | दिवः | वृषभः | पृथिव्याः | वृषा | सिन्धूनाम् | वृषभः | स्तियानाम् | वृष्णे | ते | इन्दुः | वृषभ | पीपाय | स्वादुः | रसः | मधु-पेयः | वराय // ऋ. वे. ६,४४.२१ //
अयम् | देवः | सहसा | जायमानः | इन्द्रेण | युजा | पणिम् | अस्तभायत् | अयम् | स्वस्य | पितुः | आयुधानि | इन्दुः | अमुष्णात् | अशिवस्य | मायाः // ऋ. वे. ६,४४.२२ //
अयम् | अकृणोत् | उषसः | सु-पत्नीः | अयम् | सूर्ये | अदधात् | ज्योतिः | अन्तरिति | अयम् | त्रि-धातु | दिवि | रोचनेषु | त्रितेषु | विन्दत् | अमृतम् | नि-गूऌहम् // ऋ. वे. ६,४४.२३ //
अयम् | द्यावापृथिवी इति | वि | स्कभायत् | अयम् | रथम् | अयुनक् | सप्त-रश्मिम् | अयम् | गोषु | शच्या | पक्वम् | अन्तरिति | सोमः | दाधार | दश-यन्त्रम् | उत्सम् // ऋ. वे. ६,४४.२४ //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:७/२१-
(ऋ. वे. ६,४५)
यः | आ | अनयत् | परावतः | सु-नीती | तुर्वशम् | यदुम् | इन्द्रः | सः | नः | युवा | सखा // ऋ. वे. ६,४५.१ //
अविप्रे | चित् | वयः | दधत् | अनाशुना | चित् | अर्वता | इन्द्रः | जेता | हितम् | धनम् // ऋ. वे. ६,४५.२ //
महीः | अस्य | प्र-नीतयः | पूर्वीः | उत | प्र-शस्तयः | न | अस्य | क्षीयन्ते | ऊतयः // ऋ. वे. ६,४५.३ //
सखायः | ब्रह्म-वाहसे | अर्चत | प्र | च | गायत | सः | हि | नः | प्र-मतिः | मही // ऋ. वे. ६,४५.४ //
त्वम् | एकस्य | वृत्र-हन् | अविता | द्वयोः | असि | उत | ईदृशे | यथा | वयम् // ऋ. वे. ६,४५.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:७/२२-
नयसि | इत् | ॐ इति | अति | द्विषः | कृणोषि | उक्थ-शंसिनः | नृ-भिः | सु-वीरः | उच्यसे // ऋ. वे. ६,४५.६ //
ब्रह्माणम् | ब्रह्म-वाहसम् | गीः-भिः | सखायम् | ऋग्मियम् | गाम् | न | दोहसे | हुवे // ऋ. वे. ६,४५.७ //
यस्य | विश्वानि | हस्तयोः | ऊचुः | वसूनि | नि | द्विता | वीरस्य | पृतनासहः // ऋ. वे. ६,४५.८ //
वि | दृऌहानि | चित् | अद्रि-वः | जनानाम् | सची-पते | वृह | मायाः | अनानत // ऋ. वे. ६,४५.९ //
तम् | ॐ इति | त्वा | सत्य | सोम-पाः | इन्द्र | वाजानाम् | पते | अहूमहि | श्रवस्यवः // ऋ. वे. ६,४५.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:७/२३-
तम् | ॐ इति | त्वा | यः | पुरा | आसिथ | यः | वा | नूनम् | हिते | धने | हव्यः | सः | श्रुध् इ | हवम् // ऋ. वे. ६,४५.११ //
धीभिः | अर्वत्-भिः | अर्वतः | वाजान् | इन्द्र | श्रवाय्यान् | त्वया | जेष्म | हितम् | धनम् // ऋ. वे. ६,४५.१२ //
अभूः | ॐ इति | वीर | गिर्वणः | महान् | इन्द्र | धने | हिते | भरे | वितन्तसाय्यः // ऋ. वे. ६,४५.१३ //
या | ते | ऊतिः | अमित्र-हन् | मक्षुजवः-तमा | असति | तया | नः | हिनुहि | रथम् // ऋ. वे. ६,४५.१४ //
सः | रथेन | रथि-तमः | अस्माकेन | अभि-युग्वना | जेषि | जिष्णो इति | हितम् | धनम् // ऋ. वे. ६,४५.१५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:७/२४-
यः | एकः | इत् | तम् | ॐ इति | स्तुहि | कृष्टीनाम् | वि-चर्षणिः | पतिः | जज्ञे | वृष-क्रतुः // ऋ. वे. ६,४५.१६ //
यः | गृणताम् | इत् | आसिथ | आपिः | ऊती | शिवः | सखा | सः | त्वम् | नः | इन्द्र | मृऌअय // ऋ. वे. ६,४५.१७ //
धिष्व | वज्रम् | गभस्त्योः | रक्षः-हत्याय | वज्रि-वः | ससहीष्ठाः | अभि | स्पृधः // ऋ. वे. ६,४५.१८ //
प्रत्नम् | रयीणाम् | युजम् | सखायम् | कीरि-चोदनम् | ब्रह्म-वाहः-तमम् | हुवे // ऋ. वे. ६,४५.१९ //
सः | हि | विश्वानि | पार्थिवा | एकः | वसूनि | पत्यते | गिर्वणः-तमः | अध्रि-गुः // ऋ. वे. ६,४५.२० //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:७/२५-
सः | नः | नियुत्-भिः | आ | पृण | कामम् | वाजे--भिः | अश्वि-भिः | गोमत्-भिः | गो--पते | धृषत् // ऋ. वे. ६,४५.२१ //
तत् | वः | गाय | सुते | सचा | पुरु-हूताय | सत्वने | शम् | यत् | गवे | न | शाकिने // ऋ. वे. ६,४५.२२ //
न | घ | वसुः | नि | यमते | दानम् | वाजस्य | गो--मतः | यत् | सीम् | उप | श्रवत् | गिरः // ऋ. वे. ६,४५.२३ //
कुवित्-सस्य | प्र | हि | व्रजम् | गो--मन्तम् | दस्यु-हा | गमत् | शचीभिः | अप | नः | वरत् // ऋ. वे. ६,४५.२४ //
इमाः | ॐ इति | त्वा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | अभि | प्र | नोनुवुः | गिरः | इन्द्र | वत्सम् | न | मातरः // ऋ. वे. ६,४५.२५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:७/२६-
दुः-नशम् | सख्यम् | तव | गौः | असि | वीर | गव्यते | अश्वः | अश्व-यते | भव // ऋ. वे. ६,४५.२६ //
सः | मन्दस्व | हि | अन्धसः | राधसे | तन्वा | महे | न | स्तोतारम् | निदे | करः // ऋ. वे. ६,४५.२७ //
इमाः | ॐ इति | त्वा | सुते--सुते | नक्षन्ते | गिर्वणः | गिरः | वत्सम् | गावः | न | धेनवः // ऋ. वे. ६,४५.२८ //
पुरु-तमम् | पुरूणाम् | स्तोतॄणाम् | वि-वाचि | वाजेभिः | वाज-यताम् // ऋ. वे. ६,४५.२९ //
अस्माकम् | इन्द्र | भूतु | ते | स्तोमः | वाहिष्ठः | अन्तमः | अस्मान् | राये | महे | ह् इनु // ऋ. वे. ६,४५.३० //
अधि | बृबुः | पणीनाम् | वर्षिष्ठे | मूर्धन् | अस्थात् | उरुः | कक्षः | न | गाङ्ग्यः // ऋ. वे. ६,४५.३१ //
यस्य | वायोः-इव | द्रवत् | भद्रा | रातिः | सहस्रिणी | सद्यः | दानाय | मंहते // ऋ. वे. ६,४५.३२ //
तत् | सु | नः | विश्वे | अर्यः | आ | सदा | गृणन्ति | कारवः | बृबुम् | सहस्र-दातमम् | सूरिम् | सहस्र-सातमम् // ऋ. वे. ६,४५.३३ //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:७/२७-
(ऋ. वे. ६,४६)
त्वाम् | इत् | हि | हवामहे | साता | वाजस्य | कारवः | त्वाम् | वृत्रेषु | इन्द्र | सत्-पतिम् | नरः | त्वाम् | काष्ठासु | अर्वतः // ऋ. वे. ६,४६.१ //
सः | त्वम् | नः | चित्र | वज्र-हस्त | धृष्णु-या | महः | स्तवानः | अद्रि-वः | गाम् | अश्वम् | रथ्यम् | इन्द्र | सम् | किर | सत्रा | वाजम् | न | जिग्युषे // ऋ. वे. ६,४६.२ //
यः | सत्राहा | वि-चर्षणिः | इन्द्रम् | तम् | हूमहे | वयम् | सहस्र-मुष्क | तुवि-नृम्ण | सत्-पते | भव | समत्-सु | नः | वृधे // ऋ. वे. ६,४६.३ //
बाधसे | जनान् | वृषभाइव | मन्युना | घृषौ | मीऌहे | ऋचीषम | अस्माकम् | बोधि | अविता | महाधने | तनूषु | अप्-सु | सूर्ये // ऋ. वे. ६,४६.४ //
इन्द्र | ज्येष्ठम् | नः | आ | भर | ओजिष्ठम् | पपुरि | श्रवः | येन | इमे इति | चित्र | वज्र-हस्त | रोदसी इति | आ | उभे इति | सुशिप्र | प्राः // ऋ. वे. ६,४६.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:७/२८-
त्वाम् | उग्रम् | अवसे | चर्षणि-सहम् | राजन् | देवेषु | हूमहे | विश्वा | सु | नः | विथुरा | पिब्दना | वसो इति | अमित्रान् | सु-सहान् | कृधि // ऋ. वे. ६,४६.६ //
यत् | इन्द्र | नाहुषीषु | आ | ओजः | नृम्णम् | च | कृष्टिषु | यत् | वा | पञ्च | क्षितीनाम् | द्युम्नम् | आ | भर | सत्रा | विश्वानि | पैंस्या // ऋ. वे. ६,४६.७ //
यत् | वा | तृक्षौ | मघ-वन् | द्रुह्यौ | आ | जने | यत् | पूरौ | कत् | च | वृष्ण्यम् | अस्मभ्यम् | तत् | रिरीहि | सम् | नृ-सह्ये | अमित्रान् | पृत्-सु | तुर्वणे // ऋ. वे. ६,४६.८ //
इन्द्र | त्रि-धातु | शरणम् | त्रि-वरूथम् | स्वस्ति-मत् | छर्दिः | यच्छ | मघवत्-भ्यः | च | मह्यम् | च | यवय | दिद्युम् | एभ्यः // ऋ. वे. ६,४६.९ //
ये | गव्यता | मनसा | शत्रुम् | आदभुः | अभि-प्रघ्नन्ति | धृष्णु-या | अध | स्म | नः | मघ-वन् | इन्द्र | गिर्वणः | तनू-पाः | अन्तमः | भव // ऋ. वे. ६,४६.१० //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:७/२९-
अध | स्म | नः | वृधे | भव | इन्द्र | न | अयम् | अव | युधि | यत् | अन्तरिक्षे | पतयन्ति | पर्णिनः | दिद्यवः | तिग्म-मूर्धानः // ऋ. वे. ६,४६.११ //
यत्र | शूरासः | तन्वः | वि-तन्वते | प्रिया | शर्म | पितॄणाम् | अध | स्म | यच्छ | तन्वे | तने | च | छर्धिः | अचित्तम् | यवय | द्वेषः // ऋ. वे. ६,४६.१२ //
यत् | इन्द्र | सर्गे | अर्वतः | चोदयासे | महाधने | असमने | अध्वनि | वृज् इने | पथि | श्येनान्-इव | श्रवस्यतः // ऋ. वे. ६,४६.१३ //
सिन्धून्-इव | प्रवणे | आशु-या | यतः | यदि | क्लेशम् | अनु | स्वनि | आ | ये | वयः | न | वर्वृतति | आमिषि | गृभीताः | बाह्वोः | गवि // ऋ. वे. ६,४६.१४ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:७/३०-
(ऋ. वे. ६,४७)
स्वादुः | किल | अयम् | मधु-मान् | उत | अयम् | तीव्रः | किल | अयम् | रस-वान् | उत | अयम् | उतो इति | नु | अस्य | पपि-वांसम् | इन्द्रम् | न | कः | चन | सहते | आहवेषु // ऋ. वे. ६,४७.१ //
अयम् | स्वादुः | इह | मदिष्ठः | आस | यस्य | इन्द्रः | वृत्र-हत्ये | ममाद | पुरूणि | यः | च्यौत्ना | शम्बरस्य | वि | नवतिम् | नव | च | देह्यः | हन् // ऋ. वे. ६,४७.२ //
अयम् | मे | पीतः | उत् | इयर्ति | वाचम् | अयम् | मनीषाम् | उशतीम् | अजीगः | अयम् | षट् | उर्वीः | अमिमीत | धीरः | न | याभ्यः | भुवनम् | कत् | चन | आरे // ऋ. वे. ६,४७.३ //
अयम् | सः | यः | वरिमाणम् | पृथिव्याः | वर्ष्माणम् | दिवः | अकृणोत् | अयम् | सः | अयम् | पीयूषम् | तिसृषु | प्रवत्-सु | सोमः | दाधार | उरु | अन्तरिक्षम् // ऋ. वे. ६,४७.४ //
अयम् | विदत् | चित्र-दृशीकम् | अर्णः | शुक्र-सद्मनाम् | उषसाम् | अनीके | अयम् | महान् | महता | स्कम्भनेन | उत् | द्याम् | अस्तभ्नात् | वृषभः | मरुत्वान् // ऋ. वे. ६,४७.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ४:७/३१-
धृषत् | पिब | कलशे | सोमम् | इन्द्र | वृत्र-हा | शूर | सम्-अरे | वसूनाम् | माध्यन्दिने | सवने | आ | वृषस्व | रयि-स्थानः | रयिम् | अस्मासु | धेहि // ऋ. वे. ६,४७.६ //
इन्द्र | प्र | नः | पुरएताइव | पश्य | प्र | नः | नय | प्र-तरम् | वस्यः | अच्छ | भव | सु-पारः | अति-पारयः | नः | भव | सु-नीतिः | उत | वाम-नीतिः // ऋ. वे. ६,४७.७ //
उरुम् | नः | लोकम् | अनु | नेषि | विद्वान् | स्वर्-वत् | ज्योतिः | अभयम् | स्वस्ति | ऋष्वा | ते | इन्द्र | स्थविरस्य | बाहू
इति | उप | स्थेयाम | शरणा | बृहन्ता // ऋ. वे. ६,४७.८ //
वरिष्ठे | नः | इन्द्र | वन्धुरे | धाः | वहिष्ठयोः | शत-वन् | अश्वयोः | आ | इषम् | आ | वक्षि | इषाम् | वर्षिष्ठाम् | मा | नः | तारीत् | मघ-वन् | रायः | अर्यः // ऋ. वे. ६,४७.९ //
इन्द्र | मृऌअ | मह्यम् | जीवातुम् | इच्छ | चोदय | धियम् | अयसः | न | धाराम् | यत् | किम् | च | अहम् | त्वायुः | इदम् | वदामि | तत् | जुषस्व | कृधि | मा | देव-वन्तम् // ऋ. वे. ६,४७.१० //
//३१//.

-ऋ. वे. ४:७/३२-
त्रातारम् | इन्द्रम् | अवितारम् | इन्द्रम् | हवे--हवे | सु-हवम् | शूरम् | इन्द्रम् | ह्वयामि | शक्रम् | पुरु-हूतम् | इन्द्रम् | स्वस्ति | नः | मघ-वा | धातु | इन्द्रः // ऋ. वे. ६,४७.११ //
इन्द्रः | सु-त्रामा | स्व-वान् | अवः-भिः | सु-मृऌईकः | भवतु | विश्व-वेदाः | बाधताम् | द्वेषः | अभयम् | कृणोतु | सु-वीर्यस्य | पतयः | स्याम // ऋ. वे. ६,४७.१२ //
तस्य | वयम् | सु-मतौ | यज्ञियस्य | अपि | भद्रे | सौमनसे | स्याम | सः | सु-त्रामा | स्व-वान् | इन्द्रः | अस्मे इति | आरात् | चित् | द्वेषः | सनुतः | युयोतु // ऋ. वे. ६,४७.१३ //
अव | त्वे इति | इन्द्र | प्र-वतः | न | ऊर्मिः | गिरः | ब्रह्माणि | नि-युतः | धवन्ते | उरु | न | राधः | सवना | पुरूणि | अपः | गाः | वज्रिन् | युवसे | सम् | इन्दून् // ऋ. वे. ६,४७.१४ //
कः | ईम् | स्तवत् | कः | पृणात् | कः | यजाते | यत् | उग्रम् | इत् | मघ-वा | विश्वहा | अवेत् | पादौ-इव | प्र-हरन् | अन्यम्-अन्यम् | कृणोति | पूर्वम् | अपरम् | शचीभिः // ऋ. वे. ६,४७.१५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ४:७/३३-
शृण्वे | वीरः | उग्रम्-उग्रम् | दम-यन् | अन्यम्-अन्यम् | अति-नेनीयमानः | एधमान-द्विट् | उभयस्य | राजा | चोष्कूयते | विशः | इन्द्रः | मनुषयान् // ऋ. वे. ६,४७.१६ //
परा | पूर्वेषाम् | सख्या | वृणक्ति | वि-तर्तुराणः | अपरेभिः | एति | अननु-भूतीः | अव-धून्वानः | पूर्वीः | इन्द्रः | शरदः | तर्तरीति // ऋ. वे. ६,४७.१७ //
रूपम्-रूपम् | प्रति-रूपः | बभूव | तत् | अस्य | रूपम् | प्रति-चक्षणाय | इन्द्रः | मायाभिः | पुरु-रूपः | ईयते | युक्ताः | हि | अस्य | हरयः | शता | दश // ऋ. वे. ६,४७.१८ //
युजानः | हरिता | रथे | भूरि | त्वष्टा | इह | राजति | कः | विश्वाहा | द्विषतः | पक्षः | आसते | उत | आसीनेषु | सूरिषु // ऋ. वे. ६,४७.१९ //
अगव्यूति | क्षेत्रम् | आ | अगन्म | देवाः | उर्वी | सती | भूमिः | अंहूरणा | अभूत् | बृहस्पते | प्र | चिकित्स | गो--इष्टौ | इत्था | सते | जरित्रे | इन्द्र | पन्थाम् // ऋ. वे. ६,४७.२० //
//३३//.

-ऋ. वे. ४:७/३४-
दिवे--दिवे | स-दृशीः | अन्यम् | अर्धम् | कृष्णाः | असेधत् | अप | सद्मनः | जाः | अहन् | दासा | वृषभः | वस्नयन्ता | उद-व्रजे | वर्चिनम् | शम्बरम् | च // ऋ. वे. ६,४७.२१ //
प्रस्तोकः | इत् | नु | राधसः | ते | इन्द्र | दश | कोशयीः | दश | वाजिनः | अदात् | दिवः-दासात् | अतिथि-ग्वस्य | राधः | शाम्बरम् | वसु | प्रति | अग्रभीष्म // ऋ. वे. ६,४७.२२ //
दश | अश्वान् | दश | कोशान् | दश | वस्त्रा | अधि-भोजना | दसो इति | हिरण्य-पिण्डान् | दिवः-दासात् | असानिषम् // ऋ. वे. ६,४७.२३ //
दश | रथान् | प्रष्टि-मतः | शतम् | गाः | अथर्व-भ्यः | अश्वथः | पायवे | अदात् // ऋ. वे. ६,४७.२४ //
महि | राधः | विश्व-जन्यम् | दधानान् | भरत्-वाजान् | सञ्जर्यः | अभि | अयष्ट // ऋ. वे. ६,४७.२५ //
//३४//.

-ऋ. वे. ४:७/३५-
वनस्पते | वीऌउ-अङ्गः | हि | भूयाः | अस्मत्-सखा | प्र-तरणः | सु-वीरः | गोभिः | सम्-नद्धः | असि | वीऌअयस्व | आस्थाता | ते | जयतु | जेत्वानि // ऋ. वे. ६,४७.२६ //
दिवः | पृथिव्याः | परि | ओजः | उत्-भृतम् | वनस्पति-भ्यः | परि | आभृतम् | सहः | अपाम् | ओज्मानम् | परि | गोभिः | आवृतम् | इन्द्रस्य | वज्रम् | हविषा | रथम् | यज // ऋ. वे. ६,४७.२७ //
इन्द्रस्य | वज्रः | मरुताम् | अनीकम् | मित्रस्य | गर्भः | वरुणस्य | नाभिः | सः | इमाम् | नः | हव्यद्-आतिम् | जुषाणः | देव | रथ | प्रति | हव्या | गृभाय // ऋ. वे. ६,४७.२८ //
उप | श्वासय | पृथिवीम् | उत | द्याम् | पुरु-त्रा | ते | मनुताम् | वि-स्थितम् | जगत् | सः | दुन्दुभे | स-जूः | इन्द्रेण | देवैः | दूरात् | दवीयः | अप | सेध | शत्रून् // ऋ. वे. ६,४७.२९ //
आ | क्रन्दय | बलम् | ओजः | नः | आ | धाः | निः | स्तनिहि | दुः-इता | बाधमानः | अप | प्रोथ | दुन्दुभे | दुच्छुनाः | इतः | इन्द्रस्य | मुष्टिः | असि | वीऌअयस्व // ऋ. वे. ६,४७.३० //
आ | अमूः | अज | प्रति-आवर्तय | इमाः | केतु-मत् | दुन्दुभिः | वावदीति | सम् | अश्व-पर्णाः | चरन्ति | नः | नरः | अस्माकम् | इन्द्र | रथिनः | जयन्तु // ऋ. वे. ६,४७.३१ //
//३५//.




-ऋ. वे. ४:८/१-
(ऋ. वे. ६,४८)
यज्ञायज्ञा | वः | अग्नये | गिरागिरा | च | दक्षसे | प्र-प्र | वयम् | अमृतम् | जात-वेदसम् | प्रियम् | मित्रम् | न | शंसिषम् // ऋ. वे. ६,४८.१ //
ऊर्जः | नपातम् | सः | हिन | अयम् | अस्म-युः | दाशेम | हव्य-दातये | भुवत् | वाजेषु | अविता | भुवत् | वृधः | उत | त्राता | तनूनाम् // ऋ. वे. ६,४८.२ //
वृषा | हि | अग्ने | अजरः | महान् | वि-भासि | अर्चिषा | अजस्रेण | शोचिषा | शोशुचत् | शुचे | सुदीति-भिः | सु | दीदिहि // ऋ. वे. ६,४८.३ //
महः | देवान् | यजसि | यक्षि | आनुषक् | तव | क्रत्वा | उत | दंसना | अर्वाचः | सीम् | कृणुहि | अग्ने | अवसे | रास्व | वाजा | उत | वंस्व // ऋ. वे. ६,४८.४ //
यम् | आपः | अद्रयः | वना | गर्भम् | ऋतस्य | पिप्रति | सहसा | यः | मथ् इतः | जायते | नृ-भिः | पृथिव्याः | अधि | सानवि // ऋ. वे. ६,४८.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ४:८/२-
आ | यः | पप्रौ | भानुना | रोदसी इति | उभे इति | धूमेन | धावते | दिवि | तिरः | तमः | ददृशे | ऊर्म्यासु | आ | श्यावासु | अरुषः | वृषा | आ | श्यावाः | अरुषः | वृषा // ऋ. वे. ६,४८.६ //
बृहत्-भिः | अग्ने | अर्चि-भिः | शुक्रेण | देव | शोचिषा | भरत्-वाजे | सम्-इधानः | यविष्ठ्य | रेवत् | नः | शुक्र | दीदिहि | द्यु-मत् | पावक | दीदिहि // ऋ. वे. ६,४८.७ //
विश्वासाम् | गृह-पतिः | विशाम् | असि | त्वम् | अग्ने | मानुषीणाम् | शतम् | पूः-भिः | यविष्ठ | पाहि | अंहसः | सम्-एद्धारम् | शतम् | हिमाः | स्तोतृ-भ्यः | ये | च | ददति // ऋ. वे. ६,४८.८ //
त्वम् | नः | चित्रः | ऊत्या | वसो इति | राधांसि | चोदय | अस्य | रायः | त्वम् | अग्ने | रथीः | असि | विदाः | गाधम् | तुचे | तु | नः // ऋ. वे. ६,४८.९ //
पर्षि | तोकम् | तनयम् | पर्तृ-भिः | त्वम् | अदब्धैः | अप्रयुत्व-भिः | अग्ने | हेलांसि | दैव्या | युयोधि | नः | अदेवानि | ह्वरांसि | च // ऋ. वे. ६,४८.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ४:८/३-
आ | सखायः | सबः-दुघाम् | धेनुम् | अजध्वम् | उप | नव्यसा | वचः | सृजध्वम् | अनप-स्फुराम् // ऋ. वे. ६,४८.११ //
या | शर्धाय | मारुताय | स्व-भानवे | श्रवः | अमृत्यु | धुक्षत | या | मृऌईके | मरुताम् | तुराणाम् | या | सुम्नैः | एव-यावरी // ऋ. वे. ६,४८.१२ //
भरत्-वाजाय | अव | धुक्षत | द्विता | धेनुम् | च | विश्व-दोहसम् | इषम् | च | व् इश्व-भोजसम् // ऋ. वे. ६,४८.१३ //
तम् | वः | इन्द्रम् | न | सु-क्रतुम् | वरुणम्-इव | मायिनम् | अर्यमणम् | न | मन्द्रम् | सृप्र-भोजसम् | विष्णुम् | न | स्तुषे | आदिशे // ऋ. वे. ६,४८.१४ //
त्वेषम् | शर्धः | न | मारुतम् | तुवि-स्वणि | अनर्वाणम् | पूषणम् | सम् | यथा | शता | सम् | सहस्रा | कारिषत् | चर्षणि-भ्यः | आ | आविः | गूऌहा | वसु | करत् | सु-वेदा | नः | वसु | करत् // ऋ. वे. ६,४८.१५ //
आ | मा | पूषन् | उप | द्रव | शंसिषम् | नु | ते | अपि-कर्णे | आघृणे | अघाः | अर्यः | अरातयः // ऋ. वे. ६,४८.१६ //
//३//.

-ऋ. वे. ४:८/४-
मा | काकम्बीरम् | उत् | वृहः | वनस्पतिम् | अशस्तीः | वि | हि | नीनशः | मा | उत | सूरः | अहरिति | एव | चन | ग्रीवा | आदधते | वेः // ऋ. वे. ६,४८.१७ //
दृतेः-इव | ते | अवृकम् | अस्तु | सख्यम् | अच्छिद्रस्य | दधन्-वतः | सु-पूर्णस्य | दधन्-वतः // ऋ. वे. ६,४८.१८ //
परः | हि | मर्त्यैः | असि | समः | देवैः | उत | श्रिया | अभि | ख्यः | पूषन् | पृतनासु | नः | त्वम् | अव | नूनम् | यथा | पुरा // ऋ. वे. ६,४८.१९ //
वामी | वामस्य | धूतयः | प्र-नीतिः | अस्तु | सूनृता | देवस्य | वा | मरुतः | मर्त्यस्य | वेजानस्य | प्र-यज्यवः // ऋ. वे. ६,४८.२० //
सद्यः | चित् | यस्य | चर्कृतिः | परि | द्याम् | देवः | न | एति | सूर्यः | त्वेषम् | शवः | दधिरे | नाम | यज्ञियम् | मरुतः | वृत्र-हम् | शवः | ज्येष्ठम् | वृत्र-हम् | शवः // ऋ. वे. ६,४८.२१ //
सकृत् | ह | द्यौः | अजायत | सकृत् | भूमिः | अजायत | पृश्न्याः | दुग्धम् | सकृत् | पयः | तत् | अन्यः | न | अनु | जायते // ऋ. वे. ६,४८.२२ //
//४//.

-ऋ. वे. ४:८/५-
(ऋ. वे. ६,४९)
स्तुषे | जनम् | सु-व्रतम् | नव्यसीभिः | गीः-भिः | मित्रावरुणा | सुम्न-यन्ता | ते | आ | गमन्तु | ते | इह | श्रुवन्तु | सु-क्षत्रासः | वरुणः | मित्रः | अग्निः // ऋ. वे. ६,४९.१ //
विशः-विशः | ईड्यम् | अध्वरेषु | अदृप्त-क्रतुम् | अरतिम् | युवत्योः | दिवः | शिशुम् | सहसः | शूनुम् | अग्निम् | यज्ञस्य | केतुम् | अरुषम् | यजध्यै // ऋ. वे. ६,४९.२ //
अरुषस्य | दुहितरा | विरूपेइतिवि-रूपे | स्तृ-भिः | अन्या पिपिशे | सूरः | अन्या | मिथः-तुरा | विचरन्ती इतिवि-चरन्ती | पावके इति | मन्म | श्रुतम् | नक्षत | ऋच्यमानेइति // ऋ. वे. ६,४९.३ //
प्र | वायुम् | अच्छ | बृहती | मनीषा | बृहत्-रयिम् | विश्व-वारम् | रथ-प्राम् | द्युतद्-यामा | नि-युतः | पत्यमानः | कविः | कविम् | इयक्षसि | प्रयज्यो
इतिप्र-यज्यो // ऋ. वे. ६,४९.४ //
सः | मे | वपुः | छदयत् | अश्विनोः | यः | रथः | विरुक्मान् | मनसा | युजानः | येन | नरा | नासत्या | इषयध्यै | वर्तिः | याथः | तनयाय | त्मने | च // ऋ. वे. ६,४९.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ४:८/६-
पर्जन्यवाता | वृषभा | पृथिव्याः | पुरीषाणि | जिन्वतम् | अप्यानि | सत्य-श्रुतः | कवयः | यस्य | गीः-भिः | जगतः | स्थातः | जगत् | आ | कृणुध्वम् // ऋ. वे. ६,४९.६ //
पावीरवी | कन्या | चित्र-आयुः | सरस्वती | वीर-पत्नी | धियम् | धात् | ग्नाभिः | अच्छिद्रम् | शरणम् | स-जोषाः | दुः-आधर्षम् | गृणते | शर्म | यंसत् // ऋ. वे. ६,४९.७ //
पथः-पथः | परि-पतिम् | वचस्या | कामेन | कृतः | अभि | आनट् | अर्कम् | सः | नः | रासत् | शुरुधः | चन्द्र-अग्राः | धियम्-धियम् | सीसधाति | प्र | पूषा // ऋ. वे. ६,४९.८ //
प्रथम-भाजम् | यशसम् | वयः-धाम् | सु-पाणिम् | देवम् | सु-गभस्तिम् | ऋभ्वम् | होता | यक्षत् | यजतम् | पस्त्यानाम् | अग्निः | त्वष्टारम् | सु-हवम् | विभावा // ऋ. वे. ६,४९.९ //
भुवनस्य | पितरम् | गीः-भिः | आभिः | रुद्रम् | दिवा | वर्धय | रुद्रम् | अक्तौ | बृहन्तम् | ऋष्वम् | अजरम् | सु-सुम्नम् | ऋधक् | हुवेम | कविना | इषितासः // ऋ. वे. ६,४९.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ४:८/७-
आ | युवानः | कवयः | यज्ञियासः | मरुतः | गन्त | गृणतः | वरस्याम् | अच् इत्रम् | चित् | हि | जिन्वथ | वृधन्तः | इत्था | नक्षन्तः | नरः | अङ्गिरस्वत् // ऋ. वे. ६,४९.११ //
प्र | वीराय | प्र | तवसे | तुराय | अज | यूथाइव | पशु-रक्षिः | अस्तम् | सः | पिस्पृशति | तन्वि | श्रुतस्य | स्तृ-भिः | न | नाकम् | वचनस्य | विपः // ऋ. वे. ६,४९.१२ //
यः | रजांसि | वि-ममे | पार्थिवानि | त्रिः | चित् | विष्णुः | मनवे | बाधिताय | तस्य | ते | शर्मन् | उप-दद्यमाने | राया | मदेम | तन्वा | तना | च // ऋ. वे. ६,४९.१३ //
तत् | नः | अहिः | बुध्न्यः | अत्-भिः | अर्कैः | तत् | पर्वतः | तत् | सविता | चनः | धात् | तत् | ओषधीभिः | अभि | राति-साचः | भगः | पुरम्-धिः | जिन्वतु | प्र | राये // ऋ. वे. ६,४९.१४ //
नु | नः | रयिम् | रथ्यम् | चर्षणि-प्राम् | पुरु-वीरम् | महः | ऋतस्य | गोपाम् | क्षयम् | दात | अजरम् | येन | जनान् | स्पृधः | अदेवीः | अभि | च | क्रमाम | वि शः | आदेवीः अभि | अश्नवाम // ऋ. वे. ६,४९.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ४:८/८-
(ऋ. वे. ६,५०)
हुवे | वः | देवीम् | अदितिम् | नमः-भिः | मृऌईकाय | वरुणम् | मित्रम् | अग्निम् | अभि क्ष-दाम् | अर्यमणम् | सु-शेवम् | त्रातॄन् | देवान् | सवितारम् | भगम् | च // ऋ. वे. ६,५०.१ //
सु-ज्योतिषः | सूर्य | दक्ष-पितॄन् | अनागाः-त्वे | सु-महः | वीहि | देवान् | द्वि-जन्मानः | ये | ऋत-सापः | सत्याः | स्वः-वन्तः | यजताः | अग्नि-जिह्वाः // ऋ. वे. ६,५०.२ //
उत | द्यावापृथिवी इति | क्षत्रम् | उरु | बृहत् | रोदसी इति | शरणम् | सुसुम्नेइतिसु-सुम्ने | महः | करथः | वरिवः | यथा | नः | अस्मे इति | क्षयाय | धिषणेइति | अनेहः // ऋ. वे. ६,५०.३ //
आ | नः | रुद्रस्य | सूनवः | नमन्ताम् | अद्य | हूतासः | वसवः | अधृष्टाः | यत् | ईम् | अर्भे | महति | वा | हितासः | बाधे | मरुतः | अह्वाम | देवान् // ऋ. वे. ६,५०.४ //
मिम्यक्ष | येषु | रोदसी | नु | देवी | सिसक्ति | पूषा | अभ्यर्ध-यज्वा | श्रुत्वा | हवम् | मरुतः | यत् | ह | याथ | भूम | रेजन्ते | अध्वनि | प्र-विक्ते // ऋ. वे. ६,५०.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ४:८/९-
अभि | त्यम् | वीरम् | गिर्वणसम् | अर्च | इन्द्रम् | ब्रह्मणा | जरितः | नवेन | श्रवत् | इत् | हवम् | उप | च | स्तवानः | रासत् | वाजान् | उप | महः | गृणानः // ऋ. वे. ६,५०.६ //
ओमानम् | आपः | मानुषीः | अमृक्तम् | धात | तोकाय | तनयाय | शम् | योः | यूयम् | हि | स्थ | भिषजः | मातृ-तमाः | विश्वस्य | स्थातुः | जगतः | जनित्रीः // ऋ. वे. ६,५०.७ //
आ | नः | देवः | सविता | त्रायमाणः | हिरण्य-पाणिः | यजतः | जगम्यात् | यः | दत्र-वान् | उषसः | न | प्रतीकम् | वि-ऊर्णुते | दाशुषे | वार्याणि // ऋ. वे. ६,५०.८ //
उत | त्वम् | सूनो इति | सहसः | नः | अद्य | देवान् | अस्मिन् | अध्वरे | ववृत्याः | स्याम् | अहम् | ते | सदम् | इत् | रातौ | तव | स्याम् | अग्ने | अवसा | सु-वीरः // ऋ. वे. ६,५०.९ //
उत | त्या | मे | हवम् | आ | जग्म्यातम् | नासत्या | धीभिः | युवम् | अङ्ग | विप्रा | अत्रिम् | न | महः | तमसः | अमुमुक्तम् | तूर्वतम् | नरा | दुः-इतात् | अभीके // ऋ. वे. ६,५०.१० //
//९//.

-ऋ. वे. ४:८/१०-
ते | नः | रायः | द्यु-मतः | वाज-वतः | दातारः | भूत | नृ-वतः | पुरु-क्षोः | दशस्यन्तः | दिव्याः | पार्थिवासः | गो--जाताः | अप्याः | मृऌअत | च | देवाः // ऋ. वे. ६,५०.११ //
ते | नः | रुद्रः | सरस्वती | स-जोषाः | मीऌहुष्मन्तः | विष्णुः | मृऌअन्तु | वायुः | ऋभुक्षाः | वाजः | दैव्यः | वि-धाता | पर्जन्यावाता | पिप्यताम् | इषम् | नः // ऋ. वे. ६,५०.१२ //
उत | स्यः | देवः | सविता | भगः | नः | अपाम् | नपात् | अवतु | दानु | पप्रिः | त्वष्टा | देवेभिः | जनि-भिः | स-जोषाः | द्यौः | देवेभिः | पृथिवी | समुद्रैः // ऋ. वे. ६,५०.१३ //
उत | नः | अहिः | बुध्न्यः | शृणोतु | अजः | एक-पात् | पृथिवी | समुद्रः | विश्वे | देवाः | ऋत-वृधः | हुवानाः | स्तुताः | मन्त्राः | कवि-शस्ताः | अवन्तु // ऋ. वे. ६,५०.१४ //
एव | नपातः | मम | तस्य | धीभिः | भरत्-वाजाः | अभि | अर्चन्ति | अर्कैः | ग्नाः | हुतासः | वसवः | अधृष्टाः | विश्वे | स्तुतासः | भूत | यजत्राः // ऋ. वे. ६,५०.१५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ४:८/११-
(ऋ. वे. ६,५१)
उत् | ॐ इति | त्यत् | चक्षुः | महि | मित्रयोः | आ | एति | प्रियम् | वरुणयोः | अदब्धम् | ऋतस्य | शुचि | दर्शतम् | अनीकम् | रुक्मः | न | दिवः | उत्-इता | वि | अद्यौत् // ऋ. वे. ६,५१.१ //
वेद | यः | त्रीणि | विदथानि | एषाम् | देवानाम् | जन्म | सनुतः | आ | च | विप्रः | ऋजु | मर्तेषु | वृजिना | च | पश्यन् | अभि | चष्टे | सूरः | अर्यः | एवान् // ऋ. वे. ६,५१.२ //
स्तुषे | ॐ इति | वः | महः | ऋतस्य | गोपान् | अदितिम् | मित्रम् | वरुणम् | सु-जातान् | अर्यमणम् | भगम् | अदब्ध-धीतीन् | अच्छ | वोचे | स-धन्यः | पावकान् // ऋ. वे. ६,५१.३ //
रिशादसः | सत्-पतीन् | अदब्धान् | महः | राज्ञः | सु-वसनस्य | दातॄन् | यूनः | सु-क्षत्रान् | क्षयतः | दिवः | नॄन् | आदित्यान् | यामि | अदितिम् | दुवः-यु // ऋ. वे. ६,५१.४ //
द्यौः | पितः | पृथिवि | मातः | अध्रुक् | अग्ने | भ्रातः | वसवः | मृऌअत | नः | वि श्वे | आदित्याः | अदिते | स-जोषाः | अस्मभ्यम् | शर्म | बहुलम् | वि | यन्त // ऋ. वे. ६,५१.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ४:८/१२-
मा | नः | वृकाय | वृक्ये | समस्मै | अघ-यते | रीरधत | यजत्राः | यूयम् | हि | स्थ | रथ्यः | नः | तनूनाम् | यूयम् | दक्षस्य | वचसः | बभूव // ऋ. वे. ६,५१.६ //
मा | वः | एनः | अन्य-कृतम् | भुजेम | मा | तत् | कर्म | वसवः | यत् | चयध्वे | विश्वस्य | हि | क्षयथ | विश्व-देवाः | स्वयम् | रिपुः | तन्वम् | रिरिषीष्ट // ऋ. वे. ६,५१.७ //
नमः | इत् | उग्रम् | नमः | आ | विवासे | नमः | दाधार | पृथिवीम् | उत | द्याम् | नमः | देवेभ्यः | नमः | ईशे | एषाम् | कृतम् | चित् | एनः | नमसा | आ | विवासे // ऋ. वे. ६,५१.८ //
ऋतस्य | वः | रथ्यः | पूत-दक्षान् | ऋतस्य | पस्त्य-सदः | अदब्धान् | तान् | आ | नमः-भिः | उरु-चक्षसः | नॄन् | विश्वान् | वः | आ | नमे | महः | यजत्राः // ऋ. वे. ६,५१.९ //
ते | हि | श्रेष्ठ-वर्चसः | ते | ॐ इति | नः | तिरः | विश्वानि | दुः-इता | नयन्ति | सु-क्षत्रासः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | ऋत-धीतयः | वक्मराज-सत्याः // ऋ. वे. ६,५१.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ४:८/१३-
ते | नः | इन्द्रः | पृथिवी | क्षाम | वर्धन् | पूषा | भगः | अदितिः | पञ्च | जनाः | सु-शर्माणः | सु-अवसः | सु-नीथाः | भवन्तु | नः | सु-त्रात्रासः | सु-गोपाः // ऋ. वे. ६,५१.११ //
नु | सद्मानम् | दिव्यम् | नंशि | देवाः | भारत्-वाजः | सु-मतिम् | याति | होता | आसानेभिः | यजमानः | मियेधैः | देवानाम् | जन्म | वसु-युः | ववन्द // ऋ. वे. ६,५१.१२ //
अप | त्यम् | वृजिनम् | रिपुम् | स्तेनम् | अग्ने | दुः-आध्यम् | दविष्ठम् | अस्य | सत्-पते | कृधि | सु-गम् // ऋ. वे. ६,५१.१३ //
ग्रावाणः | सोम | नः | हि | कम् | सखि-त्वनाय | वावशुः | जहि | नि | अत्रिणम् | पणिम् | वृकः | हि | सः // ऋ. वे. ६,५१.१४ //
यूयम् | हि | स्थ | सु-दानवः | इन्द्र-ज्येष्ठाः | अभि-द्यवः | कर्ता | नः | अध्वन् | आ | सु-गम् | गोपाः | अमा // ऋ. वे. ६,५१.१५ //
अपि | पन्थाम् | अगन्महि | स्वस्ति-गाम् | अनेहसम् | येन | विश्वाः | परि | द्विषः | वृणक्ति | विन्दते | वसु // ऋ. वे. ६,५१.१६ //
//१३//.

-ऋ. वे. ४:८/१४-
(ऋ. वे. ६,५२)
न | तत् | दिवा | न | पृथिव्या | अनु | मन्ये | न | यज्ञेन | न | उत | शमीभिः | आभिः | उब्जन्तु | तम् | सु-भ्वः | पर्वतासः | नि | हीयताम् | अति-याजस्य | यष्टा // ऋ. वे. ६,५२.१ //
अति | वा | यः | मरुतः | मन्यते | नः | ब्रह्म | वा | यः | क्रियमाणम् | निनित्सात् | तपाऊंषि | तस्मै | वृजिनानि | सन्तु | ब्रह्म-द्विषम् | अभि | तम् | शोचतु | द्यौः // ऋ. वे. ६,५२.२ //
किम् | अङ्ग | त्वा | ब्रह्मणः | सोम | गोपाम् | किम् | अङ्ग | त्वा | आहुः | अभिशस्ति-पाम् | नः | किम् | अङ्ग | नः | पश्यसि | निद्यमानान् | ब्रह्म-द्विषे | तपुषिम् | हेतिम् | अस्य // ऋ. वे. ६,५२.३ //
अवन्तु | माम् | उषसः | जायमानाः | अवन्तु | मा | सिन्धवः | पिन्वमानाः | अवन्तु | मा | पर्वतासः | ध्रुवासः | अवन्तु | मा | पितरः | देव-हूतौ // ऋ. वे. ६,५२.४ //
विश्व-दानीम् | सु-मनसः | स्याम | पश्येम | नु | सूर्यम् | उच्चरन्तम् | तथा | करत् | वसु-पतिः | वसूनाम् | देवान् | ओहानः | अवसा | आगमिष्ठः // ऋ. वे. ६,५२.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ४:८/१५-
इन्द्रः | नेदिष्ठम् | अवसा | आगमिष्ठः | सरस्वती | सिन्धु-भिः | पिन्वमाना | पर्जन्यः | नः | ओषधीभिः | मयः-भुः | अग्निः | सु-शंसः | सु-हवः | पिताइव // ऋ. वे. ६,५२.६ //
विश्वे | देवासः | आ | गत | शृणुत | मे | इमम् | हवम् | आ | इदम् | बर्हिः | नि | सीदत // ऋ. वे. ६,५२.७ //
यः | वः | देवाः | घृत-स्नुना | हव्येन | प्रति-भूषति | तम् | विश्वे | उप | गच्छथ // ऋ. वे. ६,५२.८ //
उप | नः | सूनवः | गिरः | शृण्वन्तु | अमृतस्य | ये | सु-मृऌईकाः | भवन्तु | नः // ऋ. वे. ६,५२.९ //
विश्वे | देवाः | ऋत-वृधः | ऋतु-भिः | हवन-श्रुतः | जुषन्ताम् | युज्यम् | पयः // ऋ. वे. ६,५२.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ४:८/१६-
स्तोत्रम् | इन्द्रः | मरुत्-गणः | त्वष्टृ-मान् | मित्रः | अर्यमा | इमा | हव्या | जुषन्त | नः // ऋ. वे. ६,५२.११ //
इमम् | नः | अग्ने | अध्वरम् | होतः | वयुन-शः | यज | चिकित्वान् | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. ६,५२.१२ //
विश्वे | देवाः | शृणुत | इमम् | हवम् | मे | ये | अन्तरिक्षे | ये | उप | द्यवि | स्थ | ये | अग्नि-जिह्वाः | उत | वा | यजत्राः | आसद्य | अस्मिन् | बर्हिषि | मादयध्वम् // ऋ. वे. ६,५२.१३ //
विश्वे | देवाः | मम | शृण्वन्तु | यज्ञियाः | उभे इति | रोदसी इति | अपाम् | नपात् | च | मन्म | मा | वः | वचांसि | परि-चक्ष्याणि | वोचम् | सुम्नेषु | इत् | वः | अन्तमाः | मदेम // ऋ. वे. ६,५२.१४ //
ये | के | च | ज्मा | महिनः | अहि-मायाः | दिवः | जज्ञिरे | अपाम् | सध-स्थे | ते | अस्मभ्यम् | इषये | विश्वम् | आयुः | क्षपः | उस्राः | वरिवस्यन्तु | देवाः // ऋ. वे. ६,५२.१५ //
अग्नीपर्जन्यौ | अवतम् | धियम् | मे | अस्मिन् | हवे | सु-हवा | सु-स्तुतिम् | नः | इऌआम् | अन्यः | जनयत् | गर्भम् | अन्यः | प्रजावतीः | इषः | आ | धत्तम् | अस्मे इति // ऋ. वे. ६,५२.१६ //
स्तीर्णे | बर्हिषि | सम्-इधाने | अग्नौ | सु-उक्तेन | महा | नमसा | विवासे | अस्मिन् | नः | अद्य | विदथे | यजत्राः | / विश्वे | देवाः | हविषि | मादयध्वम् // ऋ. वे. ६,५२.१७ //
//१६//.

-ऋ. वे. ४:८/१७-
(ऋ. वे. ६,५३)
वयम् | ॐ इति | त्वा | पथः | पते | रथम् | न | वाज-सातये | धिये | पूषन् | अयुज्महि // ऋ. वे. ६,५३.१ //
अभि | नः | नर्यम् | वसु | वीरम् | प्रयत-दक्षिणम् | वामम् | गृह-पतिम् | नय // ऋ. वे. ६,५३.२ //
अदित्सन्तम् | चित् | आघृणे | पूषन् | दानाय | चोदय | पणेः | चित् | वि | म्रद | मनः // ऋ. वे. ६,५३.३ //
वि | पथः | वाज-सातये | चिनुहि | वि | मृधः | जहि | साधन्ताम् | उग्र | नः | धियः // ऋ. वे. ६,५३.४ //
परि | तृन्धिपणीनाम् | आरया | हृदया | कवे | अथ | ईम् | अस्मभ्यम् | रन्धय // ऋ. वे. ६,५३.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ४:८/१८-
वि | पूषन् | आरया | तुद पणेः | इच्छ | हृदि | प्रियम् | अथ | ईम् | अस्मभ्यम् | रन्धय // ऋ. वे. ६,५३.६ //
आ | रिख | किकिरा | कृणु | पणीनाम् | हृदया | कवे | अथ | ईम् | अस्मभ्यम् | रन्धय // ऋ. वे. ६,५३.७ //
याम् | पूषन् | ब्रह्म-चोदनीम् | आराम् | बिभर्षि | आघृणे | तया | समस्य | हृदयम् | आ | रिख | किकिरा | कृणु // ऋ. वे. ६,५३.८ //
या | ते | अष्ट्रा | गो--ओपशा | आघृणे | पशु-साधनी | तस्याः | ते | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. ६,५३.९ //
उत | नः | गो--सणिम् | धियम् | अश्वसाम् | वाजसाम् | उत | नृ-वत् | कृणुहि | वीतये // ऋ. वे. ६,५३.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ४:८/१९-
(ऋ. वे. ६,५४)
सम् | पूषन् | विदुषा | नय | यः | अञ्जसा | अनु-शासति | यः | एव | इदम् इति | ब्रवत् // ऋ. वे. ६,५४.१ //
सम् | ॐ इति | पूष्णा | गमेमहि | यः | गृहान् | अभि-शासति | इमे | एव | इति | च | ब्रवत् // ऋ. वे. ६,५४.२ //
पूष्णः | चक्रम् | न | रिष्यति | न | कोअः | अव | पद्यते | नो इति | अस्य | व्यथते | पविः // ऋ. वे. ६,५४.३ //
यः | अस्मै | हविषा | अविधत् | न | तम् | पूषा | अपि | मृष्यते | प्रथमः | विन्दते | वसु // ऋ. वे. ६,५४.४ //
पूषा | गाः | अनु | एतु | नः | पूषा | राक्षतु | अर्वतः | पूषा | वाजम् | सनोतु | नः // ऋ. वे. ६,५४.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ४:८/२०-
पूषन् | अनु | प्र | गाः | इहि | यजमानस्य | सुन्वतः | अस्माकम् | स्तुवताम् | उत // ऋ. वे. ६,५४.६ //
माकिः | नेशम् | माकीम् | रिषन् | माकीम् | सम् | शारि | केवटे | अथ | अरिष्टाभिः | आ | गाहि // ऋ. वे. ६,५४.७ //
शृण्वन्तम् | पूषणम् | वयम् | इर्यम् | अनष्ट-वेदसम् | ईशानम् | रायः | ईमहे // ऋ. वे. ६,५४.८ //
पूषन् | तव | व्रते | वयम् | न | रिष्येम | कदा | चन | स्तोतारः | ते | इह | स्मसि // ऋ. वे. ६,५४.९ //
परि | पूषा | परस्तात् | हस्तम् | दधातु | दक्षिणम् | पुनः | नः | नष्टम् | आ | अजतु // ऋ. वे. ६,५४.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. ४:८/२१-
(ऋ. वे. ६,५५)
आ | इहि | वाम् | वि-मुचः | नपात् | आघृणे | सम् | सचावहै | रथीः | ऋतस्य | नः | भव // ऋ. वे. ६,५५.१ //
रथि-तमम् | कपर्दिनम् | ईशानम् | राधसः | महः | रायः | सखायम् | ईमहे // ऋ. वे. ६,५५.२ //
रायः | धारा | असि | आघृणे | वसोः | राशिः | अज-अश्व | धीवतः-धीवतः | सखा // ऋ. वे. ६,५५.३ //
पूषणम् | नु | अज-अश्वम् | उप | स्तोषाम | वाजिनम् | स्वसुः | यः | जारः | उच्यते // ऋ. वे. ६,५५.४ //
मातुः | दिधिषुम् | अब्रवम् | स्वसुः | जारः | शृणोतु | नः | भ्राता | इन्द्रस्य | सखा | मम // ऋ. वे. ६,५५.५ //
आजासः | पूषणम् | रथे | नि-शृम्भाः | ते | जन-श्रियम् | देवम् | वहन्तु | बिभ्रतः // ऋ. वे. ६,५५.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ४:८/२२-
(ऋ. वे. ६,५६)
यः | एनम् | आदिदेशति | करम्भ-अत् | इति | पूषणम् | न | तेन | देवः | आदिशे // ऋ. वे. ६,५६.१ //
उत | घ | सः | रथि-तमः | सख्या | सत्-पतिः | युजा | इन्द्रः | वृत्राणि | जिघ्नते // ऋ. वे. ६,५६.२ //
उत | अदः | परुषे | गवि | सूरः | चक्रम् | हिरण्ययम् | नि | ऐरयत् | रथि-तमः // ऋ. वे. ६,५६.३ //
यद् अद्य | त्वा | पुरु-स्तुत | ब्रवाम | दस्र | मन्तु-मः | तत् | सु | नः | मन्म | साधय // ऋ. वे. ६,५६.४ //
इमम् | च | नः | गो--एषणम् | सातये | सीसधः | गणम् | आरात् | पूषन् | असि | श्रुतः // ऋ. वे. ६,५६.५ //
आ | ते | स्वस्तिम् | ईमहे | आरे--अघाम् | उप-वसुम् | अद्य | च | सर्व-तातये | श्वः | च | सर्व-तातये // ऋ. वे. ६,५६.६ //
//२२//.

-ऋ. वे. ४:८/२३-
(ऋ. वे. ६,५७)
इन्द्रा | नु | पूषणा | वयम् | सख्याय | स्वस्तये | हुवेम | वाज-सातये // ऋ. वे. ६,५७.१ //
सोमम् | अन्यः | उप | असदत् | पातवे | चम्वोः | सुतम् | करम्भम् | अन्यः | इच्छति // ऋ. वे. ६,५७.२ //
अजाः | अन्यस्य | वह्नयः | हरी इति | अन्यस्य | सम्-भृता | / ताभ्याम् | वृत्राणि | जिघ्नते // ऋ. वे. ६,५७.३ //
यत् | इन्द्रः | अनयत् | रितः | महीः | अपः | वृषन्-तमः | तत्र | पूषा | अभवत् | सचा // ऋ. वे. ६,५७.४ //
ताम् | पूष्णः | सु-मतिम् | वयम् | वृक्षस्य | प्र | वयाम्-इव | इन्द्रस्य | च | आ | रभामहे // ऋ. वे. ६,५७.५ //
उत् | पूषणम् | युवामहे | अभीशून्-इव | सारथिः | मह्यै | इन्द्रम् | स्वस्तये // ऋ. वे. ६,५७.६ //
//२३//.

-ऋ. वे. ४:८/२४-
(ऋ. वे. ६,५८)
शुक्रम् | ते | अन्यत् | यजतम् | ते | अन्यत् | विषुरूपेइतिविषु-रूपे | अहनी इति | द्यौः-इव | असि | विश्वाः | हि | मायाः | अवसि | स्वधावः | भद्रा | ते | पूषन् | इह | रातिः | अस्तु // ऋ. वे. ६,५८.१ //
अज-अश्वः | पशु-पाः | वाज-पस्त्यः | धियम्-जिन्वः | भुवने | विश्वे | अर्पितः | अष्ट्राम् | पूषा | शिथिराम् | उत्-वरीवृजत् | सम्-चक्षाणः | भुवना | देवः | ईयते // ऋ. वे. ६,५८.२ //
याः | ते | पूषन् | नावः | अन्तरिति | समुद्रे | हिरण्ययीः | अन्तरिक्षे | चरन्ति | ताभिः | यासि | दूत्याम् | सूर्यस्य | कामेन | कृत | श्रवः | इच्छमानः // ऋ. वे. ६,५८.३ //
पूषा | सु-बन्धुः | दिवः | आ | पृथिव्याः | इऌअः | पतिः | मघ-वा | दस्म-वचार्ः | यम् | देवासः | अददुः | सूर्यायै | कामेन | कृतम् | तवसम् | सु-अञ्चम् // ऋ. वे. ६,५८.४ //
//२४//.

-ऋ. वे. ४:८/२५-
(ऋ. वे. ६,५९)
प्र | नु | वोच | सुतेषु | वाम् | वीर्या | यानि | चक्रथुः | हतासः | वाम् | पितरः | देव-शत्रवः | इन्द्राग्नी इति | जीवथः | युवम् // ऋ. वे. ६,५९.१ //
बट् | इत्था | महिमा | वाम् | इन्द्राग्नी इति | पनिष्ठः | आ | समानः | वाम् | जनिता | भ्रातरा | युवम् | यमौ | इहेह-मातरा // ऋ. वे. ६,५९.२ //
ओकि-वांसा | सुते | सचा | अश्वा | सप्तीइवेतिसप्ती-इव | आदने | इन्द्रा | नु | अग्नी इति | अवसा | इह | वज्रिणा | वयम् | देवा | हवामहे // ऋ. वे. ६,५९.३ //
यः | इन्द्राग्नी इति | सुतेषु | वाम् | स्तवत् | तेषु | ऋत-वृधा | जोष-वाकम् | वदतः | पज्र-होषि णा | न | देवा | भसथः | चन // ऋ. वे. ६,५९.४ //
इन्द्राग्नी इति | कः | अस्य | वाम् | देवौ | मर्तः | चिकेतति | विषूचः | अश्वान् | युयुजानः | ईयते | एकः | समाने | आ | रथे // ऋ. वे. ६,५९.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ४:८/२६-
इन्द्राग्नी इति | अपात् | इयम् | पूर्वा | आ | अगात् | पत्-वतीभ्यः | हित्वी | शिरः | जिह्वया | वावदत् | चरत् | त्रिंशत् | पदा | नि | अक्रमीत् // ऋ. वे. ६,५९.६ //
इन्द्राग्नी इति | आ | हि | तन्वते | नरः | धन्वानि | बाह्वोः | मा | नः | अस्मिन् | महाधने | परा | वर्क्तम् | गो--इष्टिषु // ऋ. वे. ६,५९.७ //
इन्द्राग्नी इति | तपन्ति | मा | अघाः | अर्यः | अरातयः | अप | द्वेषांसि | आ | कृतम् | युयुतम् | सूर्यात् | अधि // ऋ. वे. ६,५९.८ //
इन्द्राग्नी इति | युवोः | अपि | वसु | दिव्यानि | पार्थिवा | आ | नः | इह | प्र | यच्छतम् | रयिम् | विश्वायु-पोषसम् // ऋ. वे. ६,५९.९ //
इन्द्राग्नी इति | उक्थ-वाहसा | स्तोमेभिः | हवन-श्रुता | विश्वाभिः | गीः-भिः | आ | गतम् | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ६,५९.१० //
//२६//.

-ऋ. वे. ४:८/२७-
(ऋ. वे. ६,६०)
श्नथत् | वृत्रम् | उत | सनोति | वाजम् | इन्द्रा | यः | अग्नी इति | सहुरी इति | सपर्यात् | इरज्यन्ता | वसव्यस्य | भूरेः | सहः-तमा | सहसा | वाज-यन्ता // ऋ. वे. ६,६०.१ //
ता | योधिष्टम् | अभि | गाः | इन्द्र | नूनम् | अपः | स्वः | उषसः | अग्ने | ऊऌहाः | दिशः | स्वः | उषसः | इन्द्र | चित्राः | अपः | गाः | अग्ने | युवसे | नियुत्वान् // ऋ. वे. ६,६०.२ //
आ | वृत्र-हना | वृत्रह-भिः | शुष्मैः | इन्द्र | यातम् | नमः-भिः | अग्ने | अर्वाक् | युवम् | राधः-भिः | अकवेभिः | इन्द्र | अग्ने | अस्मे इति | भवतम् | उत्-तमेभिः // ऋ. वे. ६,६०.३ //
ता | हुवे | ययोः | इदम् | पप्ने | विश्वम् | पुरा | कृतम् | इन्द्राग्नी इति | न | मर्धतः // ऋ. वे. ६,६०.४ //
उग्रा | वि-घनिना | मृधः | इन्द्राग्नी इति | हवामहे | ता | नः | मृऌआतः | ईदृशे // ऋ. वे. ६,६०.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ४:८/२८-
हतः | वृत्राणि | आर्या | हतः | दासानि | सत्पती इतिसत्-पती | हतः | विश्वाः | अप | द्विषः // ऋ. वे. ६,६०.६ //
इन्द्राग्नी इति | युवाम् | इमे | अभि | स्तोमाः | अनूषत | पिबतम् | शम्-भुवा | सुतम् // ऋ. वे. ६,६०.७ //
याः | वाम् | सन्ति | पुरु-स्पृहः | नि-युतः | दाशुषे | नरा | इन्द्राग्नी इति | ताभिः | आ | गतम् // ऋ. वे. ६,६०.८ //
ताभिः | आ | गच्छतम् | नरा | उप | इदम् | सवनम् | सुतम् | इन्द्राग्नी इति | सोम-पीतये // ऋ. वे. ६,६०.९ //
तम् | ईऌइष्व | यः | अर्चिषा | वना | विश्वा | परि-स्वजत् | कृष्णा | कृणोति | जिह्वया // ऋ. वे. ६,६०.१० //
//२८//.

-ऋ. वे. ४:८/२९-
यः | इद्धे | आविवासति | सुम्नम् | इन्द्रस्य | मर्त्यः | द्युम्नाय | सु-तराः | अपः // ऋ. वे. ६,६०.११ //
ता | नः | वाज-वतीः | इषः | आशून् | पिपृतम् | अर्वतः | इन्द्रम् | अग्निम् | च | वोऌहवे // ऋ. वे. ६,६०.१२ //
उभा | वाम् | इन्द्राग्नी इति | आहुवध्यै | उभा | राधसः | सह | मादयध्यै | उभा | दातारौ | इषाम् | रयीणाम् | उभा | वाजस्य | सातये | हुवे | वाम् // ऋ. वे. ६,६०.१३ //
आ | नः | गव्येभिः | अश्व्यैः | वसव्यैः | उप | गच्छतम् | सखायौ | देवौ | सख्याय | शम्-भुवा | इन्द्राग्नी इति | ता | हवामहे // ऋ. वे. ६,६०.१४ //
इन्द्राग्नी इति | शृणुतम् | हवम् | यजमानस्य | सुन्वतः | वीतम् | हव्यानि | आ | गतम् | प् इबतम् | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ६,६०.१५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ४:८/३०-
(ऋ. वे. ६,६१)
इयम् | अददात् | रभसम् | ऋण-च्युतम् | दिवः-दासम् | वध्रि-अश्वाय | दाशुषे | या | शश्वन्तम् | आचखाद | अवसम् | पणिम् | ता | ते | दात्राणि | तविषा | सरस्वति // ऋ. वे. ६,६१.१ //
इयम् | शुष्मेभिः | बिसखाः-इव | अरुजत् | सानु | गिरीणाम् | तविषेभिः | ऊर्मि-भिः | पारावत-घ्नीम् | अवसे | सुवृक्ति-भिः | सरस्वतीम् | आ | विवासेम | धीति-भिः // ऋ. वे. ६,६१.२ //
सरस्वति | देव-निदः | नि | बर्हय | प्र-जाम् | विश्वस्य | बृसयस्य | मायिनः | उत | क्षिति-भ्यः | अवनीः | अविन्दः | विषम् | एभ्यः | अस्रवः | वाजिनी-वति // ऋ. वे. ६,६१.३ //
प्र | नः | देवी | सरस्वती | वाजेभिः | वाजिनी-वती | धीनाम् | अवित्री | अवतु // ऋ. वे. ६,६१.४ //
यः | त्वा | देवि | सरस्वति | उप-ब्रूते | धने | हिते | इन्द्रम् | न | वृत्र-तूयेर् // ऋ. वे. ६,६१.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ४:८/३१-
त्वम् | देवि | सरस्वति | अव | वाजेषु | वाजिनि | रद | पूषाइव | नः | सनिम् // ऋ. वे. ६,६१.६ //
उत | स्या | नः | सरस्वती | घोरा | हिरण्य-वर्तनिः | वृत्र-घ्नी | वष्टि | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. ६,६१.७ //
यस्याः | अनन्तः | अहुतः | त्वेषः | चरिष्णुः | अर्णवः | अमः | चरति | रोरुवत् // ऋ. वे. ६,६१.८ //
सा | नः | विश्वा | अति | द्विषः | सव्सृॠः | अन्या | ऋत-वरी | अतन् | अहाइव | सूर्यः // ऋ. वे. ६,६१.९ //
उत | नः | प्रिया | प्रियासु | सप्त-स्वसा | सु-जुष्टा | सरस्वती | स्तोम्या | भूत् // ऋ. वे. ६,६१.१० //
//३१//.

-ऋ. वे. ४:८/३२-
आपप्रुषी | पार्थिवानि | उरु | रजः | अन्तरिक्षम् | सरस्वती | निदः | पातु // ऋ. वे. ६,६१.११ //
त्रि-सधस्था | सप्त-धातुः | पञ्च | जाता | वर्धयन्ती | वाजे--वाजे | हव्या | भूत् // ऋ. वे. ६,६१.१२ //
प्र | या | महिम्ना | महिनासु | चेकिते | द्युम्नेभिः | अन्या | अपसाम् | अपः-तमा | रथः-इव | बृहती | वि-भ्वने | कृता | उप-स्तुत्या | चिकितुषा | सरस्वती // ऋ. वे. ६,६१.१३ //
सरस्वति | अभि | नः | नेषि | वस्यः | मा | अप | स्फरीः | पयसा | मा | नः | आ | धक् | जुषस्व | नः | सख्या | वेश्या | च | मा | त्वत् | क्षेत्राणि | अरणानि | गन्म // ऋ. वे. ६,६१.१४ //
//३२//.




-ऋ. वे. ५:१/१-
(ऋ. वे. ६,६२)
स्तुषे | नरा | दिवः | अस्य | प्र-सन्ता | अश्विना | हुवे | जरमाणः | अर्कैः | या | सद्यः | उस्रा | वि-उषि | ज्मः | अन्तान् | युयाऊषतः | परि | उरु | वरांसि // ऋ. वे. ६,६२.१ //
ता | यज्ञम् | आ | शुचि-भिः | चक्रमाणा | रथस्य | भानुम् | रुरुचुः | रजः-भिः | पुरु | वरांसि | अमिता | मिमाना | अपः | धन्वानि | अति | याथः | अज्रान् // ऋ. वे. ६,६२.२ //
ता | ह | त्यत् | वर्तिः | यत् | अरध्रम् | उग्रा | इत्था | धियः | ऊहथुः | शश्वत् | अश्वैः | मनः-जवेभिः | इषिरैः | शयध्यै | परि | व्यर्थिः | दाशुषः | मर्त्यस्य // ऋ. वे. ६,६२.३ //
ता | नव्यसः | जरमाणस्य | मन्म | उप | भूषतः | युयुजानसप्ती इतियुयुजान-सप्ती | शुभम् | पृक्षम् | इषम् | ऊर्जम् | वहन्ता | होता | यक्षत् | प्रत्नः | अध्रुक् | युवाना // ऋ. वे. ६,६२.४ //
ता | वल्गू | दस्रा | पुरुशाक-तमा | प्रत्ना | नव्यसा | वचसा | आ | विवासे | या | शंसते | स्तुवते | शम्-भविष्ठा | बभूवतुः | गृणते | चित्रराती इतिचित्र-राती // ऋ. वे. ६,६२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:१/२-
ता | भुज्युम् | वि-भिः | अत्-भ्यः | समुद्रात् | तुग्रस्य | सूनुम् | ऊहथुः | रजः-भिः | अरेणु-भिः | योजनेभिः | भुजन्ता | पतत्रि-भिः | अर्णसः | निः | उप-स्थात् // ऋ. वे. ६,६२.६ //
वि | जयुषा | रथ्या | यातम् | अद्रिम् | श्रुतम् | हवम् | वृषणा | वध्रि-मत्याः | दशस्यन्ता | शयवे | पिप्यथुः | गाम् | इति | च्यवाना | सु-मतिम् | भुरण्यूइति // ऋ. वे. ६,६२.७ //
यत् | रोदसी इति | प्र-दिवः | अस्ति | भूमा | हेऌअः | देवानाम् | उत | मर्त्य-त्रा | तत् | आदित्याः | वसवः | रुद्रियासः | रक्षः-युजे | तपुः | अघम् | दधात // ऋ. वे. ६,६२.८ //
यः | ईम् | राजानौ | ऋतु-था | वि-दधत् | रजसः | मित्रः | वरुणः | चिकेतत् | गम्भीराय | रक्षसे | हेतिम् | अस्य | द्रोघाय | चित् | वचसे | आनवाय // ऋ. वे. ६,६२.९ //
अन्तरैः | चक्रैः | तनयाय | वर्तिः | द्यु-मता | आ | यातम् | नृ-वता | रथेन | सनुत्येन | त्यजसा | मर्त्यस्य | वनुष्यताम् | अपि | शीर्षा | ववृक्तम् // ऋ. वे. ६,६२.१० //
आ | परमाभिः | उत | मध्यमाभिः | नियुत्-भिः | यातम् | अवमाभिः | अर्वाक् | दृऌहस्य | चित् | गो--मतः | वि | व्रजस्य | दुरः | वर्तम् | गृणते | चित्रराती इतिचित्र-राती // ऋ. वे. ६,६२.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:१/३-
(ऋ. वे. ६,६३)
क्व | त्या | वल्गू इति | पुरु-हूता | अद्य | दूतः | न | स्तोमः | अविदत् | नमस्वान् | आ | यः | अर्वाक् | नासत्या | ववर्त | प्रेष्ठा | हि | असथः | अस्य | मन्मन् // ऋ. वे. ६,६३.१ //
अरम् | मे | गन्तम् | हवनाय | अस्मै | गृणाना | यथा | पिबाथः | अन्धः | परि | ह | त्यत् | वर्तिः | याथः | रिषः | न | यत् | परः | न | अन्तरः | तुतुर्यात् // ऋ. वे. ६,६३.२ //
अकारि | वाम् | अन्धसः | वरीमन् | अस्तारि | बर्हिः | सुप्र-अयनतमम् | उत्तान-हस्तः | युवयुः | ववन्द | आ | वाम् | नक्षन्तः | अद्रयः | आञ्जन् // ऋ. वे. ६,६३.३ //
ऊर्ध्वः | वाम् | अग्निः | अध्वरेषु | अस्थात् | प्र | रातिः | एति | जूर्णिनी | घृताची | प्र | होता | गूर्त-मनाः | उराणः | अयुक्त | यः | नासत्या | हवीमन् // ऋ. वे. ६,६३.४ //
अधि | श्रिये | दुहिता | सूर्यस्य | रथम् | तस्थौ | पुरु-भुजा | शत-ऊतिम् | प्र | मायाभिः | मायिना | भूतम् | अत्र | नरा | नृतूइति | जनिमन् | यज्ञियानाम् // ऋ. वे. ६,६३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:१/४-
युवम् | श्रीभिः | दर्शताभिः | अभिः | शुभे | पुष्टिम् | ऊहथुः | सूर्यायाः | प्र | वाम् | वयः | वपुषे | अनु | पप्तन् | नक्षत् | वाणी | सु-स्तुता | धिष्ण्या | वाम् // ऋ. वे. ६,६३.६ //
आ | वाम् | वयः | अश्वासः | वहिष्ठाः | अभि | प्रयः | नासत्या | वहन्तु | प्र | वाम् | रथः | मनः-जवाः | असर्जि | इषः | पृक्षः | इषिधः | अनु | पूर्वीः // ऋ. वे. ६,६३.७ //
पुरु | हि | वाम् | पुरु-भुजा | देष्णम् | धेनुम् | नः | इषम् | पिन्वतम् | असक्राम् | स्तुतः | च | वाम् | माध्वी इति | सु-स्तुतिः | च | रसाः | च | ये | वाम् | अनु | रातिम् | अग्मन् // ऋ. वे. ६,६३.८ //
उत | मे | ऋज्रे इति | पुरयस्य | रघ्वी इति | सु-मीऌहे | शतम् | पेरुके | च | पक्वअ | शाण्डः | दात् | हिरणिनः | स्मत्-दिष्टीन् | दश | वशासः | अभि-साचः | ऋष्वान् // ऋ. वे. ६,६३.९ //
सम् | वाम् | शता | नासत्या | सहस्रा | अश्वानाम् | पुरु-पन्थाः | गिरे | दात् | भरत्-वाजाय | वीर | नु | गिरे | दात् | हता | रक्षांसि | पुरु-दंससा | स्युरितिस्युः // ऋ. वे. ६,६३.१० //
आ | वाम् | सुम्ने | वरिमन् | सूरि-भिः | स्याम् // ऋ. वे. ६,६३.११ //
//४//.

-ऋ. वे. ५:१/५-
(ऋ. वे. ६,६४)
उत् | ॐ इति | श्रिये | उषसः | रोचमानाः | अस्थुः | अपाम् | न | ऊर्मयः | रुशन्तः | कृणोति | विश्वा | सु-पथा | सु-गानि | अभूत् | ॐ इति | वस्वी | दक्षिणा | मघोनी // ऋ. वे. ६,६४.१ //
भद्रा | ददृक्षे | उर्विया | वि | भासि | उत् | ते | शोचिः | भानवः | द्याम् | अपप्तन् | आविः | वक्षः | कृणुषे | शुम्भमाना | उषः | देवि | रोचमाना | महः-भिः // ऋ. वे. ६,६४.२ //
वहन्ति | सीम् | अरुणासः | रुशन्तः | गावः | सु-भगाम् | उर्विया | प्रथनाम् | अप | ईजते | शूरः | अस्ताइव | शत्रून् | बाधते | तमः | अजिरः | न | वोऌहा // ऋ. वे. ६,६४.३ //
सु-गा | उत | ते | सु-पथा | पर्वतेषु | अवाते | अपः | तरसि | स्वभानो इतिस्व-भानो | सा | नः | आ | वह | पृथु-यामन् | ऋष्वे | रयिम् | दिवः | दुहितः | इषयध्यै // ऋ. वे. ६,६४.४ //
सा | आ | वह | या | उक्ष-भिः | अवाता | उषः | वरम् | वहसि | जोषम् | अनु | त्वम् | दिवः | दुहितः | या | ह | देवी | पूर्व-हूतौ | मंहना | दर्शता | भूः // ऋ. वे. ६,६४.५ //
उत् | ते | वयः | चित् | वसतेः | अपप्तन् | नरः | च | ये | पितु-भाजः | वि-उष्टौ | अमा | सते | वहसि | भूरि | वामम् | उषः | देवि | दाशुषे | मर्त्याय // ऋ. वे. ६,६४.६ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:१/६-
(ऋ. वे. ६,६५)
एषा | स्या | नः | दुहिता | दिवः-जाः | क्षितीः | उच्छन्ती | मानुषीः | अजीगरिति | या | भानुना | रुशता | राम्यासु | अज्ञायि | तिरः | तमसः | चित् | अक्तून् // ऋ. वे. ६,६५.१ //
वि | तत् | ययुः | अरुणयुक्-भिः | अश्वैः | चित्रम् | भान्ति | उषसः | चन्द्र-रथाः | अग्रम् | यज्ञस्य | बृहतः | नयन्तीः | वि | ताः | बाधन्ते | तमः | ऊर्म्यायाः // ऋ. वे. ६,६५.२ //
श्रवः | वाजम् | इषम् | ऊर्जम् | वहन्तीः | नि | दाशुषे | उषसः | मर्त्याय | मघोनीः | वीर-वत् | पत्यमानाः | अवः | धात | विधते | रत्नम् | अद्य // ऋ. वे. ६,६५.३ //
इदा | हि | वः | विधते | रत्नम् | अस्ति | इदा | वीराय | दाशुषे | उषसः | इदा | विप्राय | जरते | यत् | उक्था | नि | स्म | मावते | वहथ | पुरा | चित् // ऋ. वे. ६,६५.४ //
इदा | हि | ते | उषः | अद्रिसानो इत्य् अद्रि-सानो | गोत्रा | गवाम् | अङ्गिरसः | गृणन्ति | वि | अर्केण | बिभिदुः | ब्रह्मणा | च | सत्या | नृणाम् | अभवत् | देव-हूतिः // ऋ. वे. ६,६५.५ //
उच्छ | दिवः | दुहितरिति | प्रत्न-वत् | नः | भरद्वाज-वत् | विधते | मघोनि | सु-वीरम् | रयिम् | गृणते | रिरीहि | उरु-गायम् | अधि | धेहि | श्रवः | नः // ऋ. वे. ६,६५.६ //
//६//.

-ऋ. वे. ५:१/७-
(ऋ. वे. ६,६६)
वपुः | नु | तत् | चिकितुषे | चित् | अस्तु | समानम् | नाम | धेनु | पत्यमानम् | मर्तेषु | अन्यत् | दोहसे | पीपाय | सकृत् | शुक्रम् | दुदुहे | पृश्निः | ऊधः // ऋ. वे. ६,६६.१ //
ये | अग्नयः | न | शोशुचन् | इधानाः | द्विः | यत् | त्रिः | मरुतः | ववृधन्त | अरेणवः | हिरण्ययासः | एषाम् | साकम् | नृम्णैः | पैंस्येभिः | च | भूवन् // ऋ. वे. ६,६६.२ //
रुद्रस्य | ये | मीऌहुषः | सन्ति | पुत्राः | यान् | चो इति | नु | दाधृविः | भरध्यै | विदे | हि | माता | महः | मही | सा | सा | इत् | पृश्निः | सु-भ्वे | गर्भम् | आ | अधात् // ऋ. वे. ६,६६.३ //
न | ये | ईषन्ते | जनुषः | अया | नु | अन्तरिति | सन्तः | अवद्यानि | पुनानाः | न् इः | यत् | दुह्रे | शुचयः | अनु | जोषम् | अनु | शृइया | तन्वम् | उक्षमाणाः // ऋ. वे. ६,६६.४ //
मक्षु | न | येषु | दोहसे | चित् | अयाः | आ | नाम | घृष्णु | मारुतम् | दधानाः | न | ये | स्तौनाः | अयासः | मह्ना | नु | चित् | सु-दानुः | अव | यासत् | उग्रान् // ऋ. वे. ६,६६.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:१/८-
ते | इत् | उग्राः | शवसा | धृष्णु-सेनाः | उभे इति | युजन्त | रोदसी इति | सुमेके इतिसु-मेके | अध | स्म | एषु | रोदसी | स्व-शोचिः | आ | अमवत्-सु | तस्थौ | न | रोकः // ऋ. वे. ६,६६.६ //
अनेनः | वः | मरुतः | यामः | अस्तु | अनश्वः | चित् | यम् | अजति | अरथीः | अनवसः | अनभीशुः | रजः-तूः | वि | रोदसी इति | पथ्याः | याति | साधन् // ऋ. वे. ६,६६.७ //
न | अस्य | वर्ता | न | तरुता | नु | अस्ति | मरुतः | यम् | अवथ | वाज-सातौ | तोके | वा | गोषु | तनये | यम् | अप्-सु | सः | व्रजम् | दर्ता | पार्ये | अध | द्योः // ऋ. वे. ६,६६.८ //
प्र | चित्रम् | अर्कम् | गृणते | तुराय | मारुताय | स्व-तवसे | भरध्वम् | ये | सहांसि | सहसा | सहन्ते | रेजते | अग्ने | पृथिवी | मखेभ्यः // ऋ. वे. ६,६६.९ //
त्विषि-मन्तः | अध्वरस्य-इव | दिद्युत् | तृषु-च्यवसः | जुह्वः | न | अग्नेः | अर्चत्रयः | धुनयः | न | वीराः | भ्राजत्-जन्मानः | मरुतः | अधृष्टाः // ऋ. वे. ६,६६.१० //
तम् | वृधन्तम् | मारुतम् | भ्राजत्-ऋष्टिम् | रुद्रस्य | सूनुम् | हवसा | आ | विवासे | दिवः | शर्धाय | शुचयः | मनीषा | गिरयः | न | आपः | उग्राः | अस्पृध्रन् // ऋ. वे. ६,६६.११ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:१/९-
(ऋ. वे. ६,६७)
विश्वेषाम् | वः | सताम् | ज्येष्ठ-तमा | गीः-भिः | मित्रावरुणा | ववृधध्यै | सम् | या | रश्माइव | यमतुः | यमिष्ठा | द्वा | जनान् | असमा | बाहु-भिः | स्वैः // ऋ. वे. ६,६७.१ //
इयम् | मत् | वाम् | प्र | स्तृणीते | मनीषा | उप | प्रिया | नमसा | बर्हिः | अच्छ | यन्तम् | नः | मित्रावरुणौ | अधृष्टम् | छर्दिः | यत् | वाम् | वरूथ्यम् | सुदानूइतिसु-दानू // ऋ. वे. ६,६७.२ //
आ | यातम् | मित्रावरुणा | सु-शस्ति | उप | प्रिया | नमसा | हूयमाना | सम् | यौ | अप्नः-स्थः | अपसाइव | जनान् | श्रुधि-यतः | चित् | यतथः | महित्वा // ऋ. वे. ६,६७.३ //
अश्वा | न | या | वाजिना | पूतबन्धूइतिपूत-बन्धू | ऋता | यत् | गर्भम् | अदितिः | भरध्यै | प्र | या | महि | महान्ता | जायमाना | घोरा | मर्ताय | रिपवे | नि | दीधरितिदीधः // ऋ. वे. ६,६७.४ //
विश्वे | यत् | वाम् | मंहना | मन्दमानाः | क्षत्रम् | देवासः | अदधुः | स-जोषाः | परि | यत् | भूथः | रोदसी इति | चित् | उर्वी इति | सन्ति | स्पशः | अदब्धासः | अमूराः // ऋ. वे. ६,६७.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:१/१०-
ता | हि | क्षत्रम् | धारयेथेइति | अनु | द्यून् | दृंहेथेइति | सानुम् | उपमात्-इव | द्योः | दृऌहः | नक्षत्रः | उत | विश्व-देवः | भूमिम् | आ | अतान् | द्याम् | धासिना | आयोः // ऋ. वे. ६,६७.६ //
ता | विग्रम् | धैथेइति | जठरम् | पृणध्यै | आ | यत् | सद्म | स-भृतयः | पृट्णन्ति | न | मृष्यन्ते | युवतयः | अवाताः | वि | यत् | पयः | विश्व-जिन्वा | भरन्ते // ऋ. वे. ६,६७.७ //
ता | जिह्वया | सदम् | आ | इदम् | सु-मेधाः | आ | यत् | वाम् | सत्यः | अरतिः | ऋते | भूत् | तत् | वाम् | महि-त्वम् | घृत-अन्नौ | अस्तु | युवम् | दाशुषे | वि | चयिष्टम् | अंहः // ऋ. वे. ६,६७.८ //
प्र | यत् | वाम् | मित्रावरुणा | स्पूर्धन् | प्रिया | धाम | युव-धिता | मिनन्ति | न | ये | देवासः | ओहसा | न | मर्ताः | अयज्ञ-साचः | अप्यः | न | पुत्राः // ऋ. वे. ६,६७.९ //
वि | यत् | वाचम् | कीस्तासः | भरन्ते | शंसन्ति | के | चित् | नि-विदः | मनानाः | आत् | वाम् | ब्रवाम | सत्यानि | उक्था | नकिः | देवेभिः | यतथः | महि-त्वा // ऋ. वे. ६,६७.१० //
अवोः | इत्था | वाम् | छर्दिषः | अभिष्टौ | युवोः | मित्रावरुणौ | अस्कृधोयु | अनु | यत् | गावः | स्फुरान् | ऋजिप्यम् | धृष्णुम् | यत् | रणे | वृषणम् | युनजन् // ऋ. वे. ६,६७.११ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:१/११-
(ऋ. वे. ६,६८)
श्रुष्टी | वाम् | यज्ञः | उत्-यतः | स-जोषाः | मनुष्वत् | वृक्त-बर्हिषः | यजध्यै | आ | यः | इन्द्रावरुणौ | इषे | अद्य | महे | सुम्नाय | महे | आववर्तत् // ऋ. वे. ६,६८.१ //
ता | हि | श्रेष्ठा | देव-ताता | तुजा | शूराणाम् | शविष्ठा | ता | हि | भूतम् | मघोनाम् | मंहिष्ठा | तुवि-शुष्मा | ऋतेन | वृत्र-तुरा | सर्व-सेना // ऋ. वे. ६,६८.२ //
ता | गृणीहि | नमस्येभिः | शूषैः | सुम्नेभिः | इन्द्रावरुणा | चकाना | वज्रेण | अन्यः | शवसा | हन्ति | वृत्रम् | सिसक्ति | अन्यः | वृजनेषु | विप्रः // ऋ. वे. ६,६८.३ //
ग्नाः | च | यत् | नरः | च | ववृधन्त | विश्वे | देवासः | नराम् | स्व-गूर्ताः | प्र | एभ्यः | इन्द्रावरुणा | महि-त्वा | द्यौः | च | पृथिवि | भूतम् | उर्वी इति // ऋ. वे. ६,६८.४ //
सः | इत् | सु-दानुः | स्व-वान् | ऋत-वा | इन्द्रा | यः | वाम् | वरुणा दाशति | त्मन् | इषा | सः | द्विषः | तरेत् | दास्वान् | वंसत् | रयिम् | रयि-वतः | च | जनान् // ऋ. वे. ६,६८.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:१/१२-
यम् | युवम् | दाशु-अध्वराय | देवा | रयिम् | धत्थः | वसु-मन्तम् | पुरु-क्षुम् | अस्मे इति | सः | इन्द्रावरुणौ | अपि | स्यात् | प्र | यः | भनक्ति | वनुषाम् | अशस्तीः // ऋ. वे. ६,६८.६ //
उत | नः | सु-त्रातः | देव-गोपाः | सूरि-भ्यः | इन्द्रावरुणा | रयिः | स्यात् | येषाम् | शुष्मः | पृतनासु | साह्वान् | प्र | सद्यः | द्युम्ना | तिरते | ततुरिः // ऋ. वे. ६,६८.७ //
नु | नः | इन्द्रावरुणा | गृणाना | पृङ्क्तम् | रयिम् | सौश्रवसाय | देवा | इत्था | गृणन्तः | महिनस्य | शर्धः | अपः | न | नावा | दुः-इता | तरेम // ऋ. वे. ६,६८.८ //
प्र | सम्-राजे | बृहते | मन्म | नु | प्रियम् | अर्च | देवाय | वरुणाय | स-प्रथः | अयम् | यः | उर्वी इति | महिना | महि-व्रतः | क्रत्वा | वि-भाति | अजरः | न | शोचिषा // ऋ. वे. ६,६८.९ //
इन्द्रावरुणा | सुत-पौ | इमम् | सुतम् | सोमम् | पिबतम् | मद्यम् | धृत-व्रता | युवोः | रथः | अध्वरम् | देव-वीतये | प्रति | स्वसरम् | उप | याति | पीतये // ऋ. वे. ६,६८.१० //
इन्द्रावरुणा | मधुमत्-तमस्य | वृष्णः | सोमस्य | वृषणा | आ | वृषेथाम् | इदम् | वाम् | अन्धः | परि-सिक्तम् | अस्मे इति | आसद्य | अस्मिन् | बर्हिषि | मादयेथाम् // ऋ. वे. ६,६८.११ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:१/१३-
(ऋ. वे. ६,६९)
सम् | वाम् | कर्मणा | सम् | इषा | हिनोमि | इन्द्राविष्णूइति | अपसः | पारे | अस्य | जुषेथाम् | यज्ञम् | द्रविणम् | च | धत्तम् | अरिष्टैः | नः | पथि-भिः | पारयन्ता // ऋ. वे. ६,६९.१ //
या | विश्वासाम् | जनितारा | मतीनाम् | इन्द्राविष्णूइति | कलशा | सोम-धाना | प्र | वाम् | गिरः | शस्यमानाः | अवन्तु | प्र | स्तोमासः | गीयमानासः | अर्कैः // ऋ. वे. ६,६९.२ //
इन्द्राविष्णूइति | मदपती इतिमद-पती | मदानाम् | आ | सोमम् | यातम् | द्रविणो इति | दधाना | सम् | वाम् | अञ्जन्तु | अक्तु-भिः | मतीनाम् | सम् | स्तोमासः | शस्यमानासः | उक्थैः // ऋ. वे. ६,६९.३ //
आ | वाम् | अश्वासः | अभिमाति-सहः | इन्द्राविष्णूइति | सध-मादः | वहन्तु | जुषेथाम् | विश्वा | हवना | मतीनाम् | उप | ब्रह्माणि | शृणुतम् | गिरः | मे // ऋ. वे. ६,६९.४ //
इन्द्राविष्णूइति | तत् | पनयाय्यम् | वाम् | सोमस्य | मदे | उरु | चक्रमाथेइति | अकृणुतम् | अन्तरिक्षम् | वरीयः | अप्रथतम् | जीवसे | नः | रजांसि // ऋ. वे. ६,६९.५ //
इन्द्राविष्णूइति | हविषा | ववृधाना | अग्र-अद्वाना | नमसा | रात-हव्या | घृतासुती इतिघृत-आसुती | द्रविणम् | धत्तम् | अस्मे इति | समुद्रः | स्थः | कलशः | सोम-धानः // ऋ. वे. ६,६९.६ //
इन्द्राविष्णूइति | पिबतम् | मध्वः | अस्य | सोमस्य | दस्रा | जठरम् | पृणेथाम् | आ | वाम् | अन्धांसि | मदिराणि | अग्मन् | उप | ब्रह्माणि | शृणुतम् | हवम् | मे // ऋ. वे. ६,६९.७ //
उभा | जिग्यथुः | न | परा | जयेथेइति | न | परा | जिग्ये | कतरः | चन | एनोः | इन्द्रः | च | विष्णो इति | यत् | अपसृधेथाम् | त्रेधा | सहस्रम् | वि | तत् | ऐरयेथाम् // ऋ. वे. ६,६९.८ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:१/१४-
(ऋ. वे. ६,७०)
घृतवती इतिघृत-वती | भुवनानाम् | अभि-श्रिया | उर्वी | पृथ्वी इति | मधुदुघेइतिमधु-दुघे | सु-पेशसा | द्यावापृथिवी इति | वरुणस्य | धर्मणा | विस्कभितेइतिवि-स्कभिते | अजरेइति | भूरि-रेतसा // ऋ. वे. ६,७०.१ //
असश्चन्ती इति | भूरिधारेइतिभूरि-धारे | पयस्वती इति | घृतम् | दुहातेइति | सु-कृते | शुचिव्रतेइतिशुचि-व्रते | / राजन्ती इति | अस्य | भुवनस्य | रोदसी इति | अस्मे इति | रेतः | सिञ्चतम् | यत् | मनुः-हितम् // ऋ. वे. ६,७०.२ //
यः | वाम् | ऋजवे | क्रमणाय | रोदसी इति | मर्तः | ददाश | धिषणेइति | सः | साधति | प्र | प्र-जाभिः | जायते | धमर्णः | परि | युवोः | सिक्ता | विषु-रूपाणि | स-व्रता // ऋ. वे. ६,७०.३ //
घृतेन | द्यावापृथिवी इति | अभीवृतेइत्य् अभि-वृते | घृत-श्रिया | घृत-पृचा | घृत-वृधा | उर्वी इति | पृथ्वी इति | होतृ-वूर्ये | पुरोहितेइतिपुरः-हिते | ते इति | इत् | विप्राः | ईऌअते | सुम्नम् | इष्टयेग // ऋ. वे. ६,७०.४ //
मधु | नः | द्यावापृथिवी इति | मिमिक्षताम् | मधु-श्चुता | मधुदुघेइतिमधु-दुघे | मधुव्रतेइतिमधु-व्रते | दधानेइति | यज्ञम् | द्रविणम् | च | देवता | महि | श्रवः | वाजम् | अस्मे इति | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ६,७०.५ //
ऊर्जम् | नः | द्यौः | च | पृथिवी | च | पिन्वताम् | पिता | माता | विश्व-विदा | सु-दंससा | संरराणे इतिसम्-रराणे | रोदसी
इति | विश्व-शम्भुवा | सनिम् | वाजम् | रयिम् | अस्मे इति | सम् | इन्वताम् // ऋ. वे. ६,७०.६ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:१/१५-
(ऋ. वे. ६,७१)
उत् | ॐ इति | स्यः | देवः | सविता | हिरण्यया | बाहू इति | अयंस्त | सवनाय | सु-क्रतुः | घृतेन | पाणी इति | अभि | प्रुष्णुते | मखः | युवा | सु-दक्षः | रजसः | वि-धर्मणि // ऋ. वे. ६,७१.१ //
देवस्य | वयम् | सवितुः | सवीमनि | श्रेष्ठे | स्याम | वसुनः | च | दावने | यः | विश्वस्य | द्वि-पदः | यः | चतुः-पदः | नि-वेशने | प्र-सवे | च | असि | भूमनः // ऋ. वे. ६,७१.२ //
अदब्धेभिः | सवितरिति | पयु-भिः | त्वम् | शिवेभिः | अद्य | परि | पाहि | नः | गयम् | हिरण्य-जिह्वः | सुविताय | नव्यसे | रक्ष | माकिः | नः | अघ-शंसः | ईशत // ऋ. वे. ६,७१.३ //
उत् | ॐ इति | स्यः | देवः | सविता | दमूनाः | हिरण्य-पाणिः | प्रति-दोषम् | अस्थात् | अयः-हनुः | यजतः | मन्द्र-जिह्वः | आ | दाशुषे | सुवति | भूरि | वामम् // ऋ. वे. ६,७१.४ //
उत् | ॐ इति | अयान् | उपवक्ताइव | बाहू इति | हिरन्यया | सविता | सु-प्रतीका | दिवः | रोहांसि | अरुहत् | पृथिव्याः | अरीरमत् | पतयत् | कत् | चित् | अभ्वम् // ऋ. वे. ६,७१.५ //
वामम् | अद्य | सवितः | वामम् | ॐ इति | श्वः | दिवे--दिवे | वामम् | अस्मभ्यम् | सावीः | वामस्य | हि | क्षयस्य | देव | भूरेः | अया | धिया | वाम-भाजः | स्याम // ऋ. वे. ६,७१.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:१/१६-
(ऋ. वे. ६,७२)
इन्द्रासोमा | महि | तत् | वाम् | महि-त्वम् | युवम् | महानि | प्रथमानि | चक्रथुः | युवम् | सूर्यम् | विविदथुः | युवम् | स्वः | विश्वा | तमांसि | अहतम् | निदः | च // ऋ. वे. ६,७२.१ //
इन्द्रासोमा | वासयथः | उषसम् | उत् | सूर्यम् | नयथः | ज्योतिषा | सह | उप | द्याम् | स्कम्भथुः | स्कम्भनेन | अप्रथतम् | पृथिवीम् | मातरम् | वि // ऋ. वे. ६,७२.२ //
इन्द्रासोमौ | अहिम् | अपः | परि-स्थाम् | हथः | वृत्रम् | अनु | वाम् | द्यौः | अमन्यत | प्र | अर्णांसि | ऐरयतम् | नदीनाम् | आ | समुद्राणि | पप्रथुः | पुरूणि // ऋ. वे. ६,७२.३ //
इन्द्रासोमा | पक्वम् | आमासु | अन्तः | नि | गवाम् | इत् | दधथुः | वक्षणासु | जगृभथुः | अनपि-नद्धम् | आसु | रुशत् | चित्रासु | जगतीषु | अन्तरिति // ऋ. वे. ६,७२.४ //
इन्द्रासोमा | युवम् | अङ्ग | तरुत्रम् | अपत्य-साचम् | श्रुत्यम् | रराथेइति | युवम् | शुष्मम् | नर्यम् | चर्षणि-भ्यः | सम् | विव्यथुः | पृतनासहम् | उग्रा // ऋ. वे. ६,७२.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:१/१७-
(ऋ. वे. ६,७३)
यः | अद्रि-भित् | प्रथम-जाः | ऋत-वा | बृहस्पतिः | आङ्गिरसः | हविष्मान् | द्विबर्ह-ज्मा | प्राघर्म-सत् | पिता | नः | आ | रोदसी इति | वृषभः | रोरवीति // ऋ. वे. ६,७३.१ //
जनाय | चित् | यः | ईवते | ॐ इति | लोकम् | बृहस्पतिः | देव-हूतौ | चकार | घ्नन् | वृत्राणि | वि | पुरः | दर्दरीति | जयन् | शत्रून् | अमित्रान् | पृत्-सु | साहन् // ऋ. वे. ६,७३.२ //
बृहस्पतिः | सम् | अजयत् | वसूनि | महः | व्रजान् | गो--मतः | देवः | एषः | अपः | सिसासन् | स्वः | अप्रति-इतः | बृहस्पतिः | हन्ति | अमित्रम् | अकैर्ः // ऋ. वे. ६,७३.३ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:१/१८-
(ऋ. वे. ६,७४)
सोमारुद्रा | धारयेथाम् | असुर्यम् | प्र | वाम् इष्टयः | अरम् | अश्नुवन्तु | दमे--दमे | सप्त | रत्ना | दधाना | शम् | नः | भूतम् | द्वि-पदे | शम् | चतुः-पदे // ऋ. वे. ६,७४.१ //
सोमारुद्रा | वि | वृहतम् | विषूचीम् | अमीवा | या | नः | गयम् | आविवेश | आरे | बाधेथाम् | निः-ऋतिम् | पराचैः | अस्मे इति | भद्रा | सौश्रवसानि | सन्तु // ऋ. वे. ६,७४.२ //
सोमारुद्रा | युवम् | एतानि | अस्मे इति | विश्वा | तनूषु | भेषजानि | धत्तम् | अव | स्यतम् | मुञ्चतम् | यत् | नः | अस्ति | तनूषु | बद्धम् | कृतम् | एनः | अस्मत् // ऋ. वे. ६,७४.३ //
तिग्म-आयुधौ | तिग्महेती इतितिग्म-हेती | सु-शेवौ | सोमारुद्रा | इह | सु | मृऌअतम् | नः | प्र | नः | मुञ्चतम् | वरुणस्य | पाशात् | गोपायतम् | नः | सु-मनस्यमाना // ऋ. वे. ६,७४.४ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:१/१९-
(ऋ. वे. ६,७५)
जीमूतस्य-इव | भवति | प्रतीकम् | यत् | वर्मी | याति | स-मदाम् | उप-स्थे | अनाविद्धया | तन्वा | जय | त्वम् | सः | त्वा | वर्मणः | महिमा | पिपर्तु // ऋ. वे. ६,७५.१ //
धन्वना | गाः | धन्वना | आजिम् | जयेम | धन्वना | तीव्राः | स-मदः | जयेम | धनुः | शत्रोः | अप-कामम् | कृणोति | धन्वना | सर्वाः | प्र-दिशः | जयेम // ऋ. वे. ६,७५.२ //
वक्ष्यन्ती-इव | इत् | आ | गनीगन्ति | कर्णम् | प्रियम् | सखायम् | परि-सस्वजाना | योषाइव | शिङ्क्ते | वि-तता | अधि | धन्वन् | ज्या | इयम् | समने | पारयन्ती // ऋ. वे. ६,७५.३ //
ते इति | आचरन्ती इत्य् आचरन्ती | समनाइव | योषा | माताइव | पुत्रम् | बिभृताम् | उप-स्थे | अप | शत्रून् | विध्यताम् | संविदाने इतिसम्-विदाने | आत्नीरिति | इमे इति | विस्फुरन्ती इतिवि-स्फुरन्ती | अमित्रान् // ऋ. वे. ६,७५.४ //
बह्वीनाम् | पिता | बहुरस्य | पुत्रः | चिश्चा | कृणोति | समना | अव-गत्य | इषु-धिः | सङ्काः | पृतनाः | च | सर्वाः | पृष्ठे | नि-नद्धः | जयति | प्र-सूतः // ऋ. वे. ६,७५.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:१/२०-
रथे | तिष्ठन् | नयति | वाजिनः | पुरः | यत्र-यत्र | कामयते | सु-सारथिः | अभीशूनाम् | महिमानम् | पनायत | मनः | पश्चात् | अनु | यच्छन्ति | रश्मयः // ऋ. वे. ६,७५.६ //
तीव्रान् | घोषान् | कृण्वते | वृष-पाणयः | अश्वाः | रथेभिः | सह | वाजयन्तः | अव-क्रामन्तः | प्र-पदैः | अमित्रान् | क्षिणन्ति | शत्रून् | अनप-व्ययन्तः // ऋ. वे. ६,७५.७ //
रथ-वाहनम् | हविः | अस्य | नाम | यत्र | आयुधम् | नि-हितम् | अस्य | वर्म | तत्र | रथम् | उप | शग्मम् | सदेम | विश्वाहा | वयम् | सु-मनस्यमानाः // ऋ. वे. ६,७५.८ //
स्वादु-संसदः | पितरः | वयः-धाः | कृच्छ्र-श्रितः | शक्ति-वन्तः | गभीराः | चित्र-सेनाः | इषु-बलाः | अमृध्राः | सतः-वीराः | उरवः | व्रात-सहाः // ऋ. वे. ६,७५.९ //
ब्राह्मणासः | पितरः | सोम्यासः | शिवे इति | नः | द्यावापृथिवी इति | अनेहसा | पूषा | नः | पातु | दुः-इतात् | ऋत-वृधः | रक्ष | माकिः | नः | अघ-शंसः | ईशत // ऋ. वे. ६,७५.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:१/२१-
सु-पर्णम् | वस्ते | मृगः | अस्याः | दन्तः | गोभिः | सम्-नद्धा | पतति | प्र-सूता | यत्र | नरः | सम् | च | वि | च | द्रवन्ति | तत्र | अस्मभ्यम् | इषवः | शर्म | यंसन् // ऋ. वे. ६,७५.११ //
ऋजीते | परि | वृङ्धि | नः | अश्मा | भवतु | नः | तनूः | सोमः | अधि | ब्रवीतु | नः | अदितिः | शर्म | यच्छतु // ऋ. वे. ६,७५.१२ //
आ | जङ्घन्ति | सानु | एषाम् | जघनान् | उप | जिघ्नते | अश्व-अजनि | प्र-चेतसः | अश्वान् | समत्-सु | चोदय // ऋ. वे. ६,७५.१३ //
अहिः-इव | भोगैः | परि | एति | बाहुम् | ज्यायाः | हेतिम् | परि-बाधमानः | हस्त-घ्नः | विश्वा | वयुनानि | विद्वान् | पुमान् | पुमांसम् | परि | पातु | विश्वतः // ऋ. वे. ६,७५.१४ //
आल-अक्ता | या | रुरु-शीर्ष्णी | अथो इति | यस्याः | अयः | मुखम् | इदम् | पर्जन्य-रेतसे | इष्वै | देव्यै | बृहत् | नमः // ऋ. वे. ६,७५.१५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:१/२२-
अव-सृष्टा | परा | पत | शरव्ये | ब्रह्म-संशिते | गच्छ | अमित्रान् | प्र | पद्यस्व | मा | अमीषाम् | कम् | चन | उत् | शिषः // ऋ. वे. ६,७५.१६ //
यत्र | बाणाः | सम्-पतन्ति | कुमाराः | विशिखाः-इव | तत्र | नः | ब्रह्मणः | पतिः | अदितिः | शर्म | यच्छतु | विश्वाहा | शर्म | यच्छतु // ऋ. वे. ६,७५.१७ //
मर्माणि | ते | वर्मणा | छादयामि | सोमः | त्वा | राजा | अमृतेन | अनु | वस्ताम् | उरोः | वरीयः | वरुणः | ते | कृणोतु | जयन्तम् | त्वा | अनु | देवाः | मदन्तु // ऋ. वे. ६,७५.१८ //
यः | नः | स्वः | अरणः | यः | च | निष्ट्यः | जिघांसति | देवाः | तम् | सर्वे | धूर्वन्तु | ब्रह्म | वर्म | मम | अन्तरम् // ऋ. वे. ६,७५.१९ //
//२२//.