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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८६८

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श्र्व श्रोष एवं फर्कश वर्णों का व्यवहार दुःश्रवणस्य (०) व्यापारियों की पंचायत का मुखिया । --चोदनं, (न० ) –चोदना (श्री०) वेद की | थे ( घा०प० ) [ थायति ] पसीना निकालना | आशा वेदवाक्य-जीविका, (बी०) स्मृति पसोजना २ रांधना। उबालना । धर्मशास्त्र ।—द्वैधं, (न० ) वेदवाक्यों का परस्पर विरोध या अनैक्य-निदर्शनं. (न० ) वेद का प्रमाण साइन ( वि० ) कर्णमधुर । श्रामारापं, न० ) -मण्डलं, ( २० ) कान का बाहिरी भाग - भूलं, (न०) १ कान के नीचे का भाग २ वेद- | संहिता ।~-मूलक, (वि०) बेद् से प्रमाणित :--- का प्रमाण । श्रोणा ( स्त्री० ) १ कॉजी | भात का माँड २ श्रवणनचत्र | विषयः, (पु०) १ शब्द। ध्वनि। आवाज़ | २ वेद | श्रोणिः ) (स्त्री०) १ कटि | कमर | २ चूतड़। नितंब | सम्बन्धी विषय | ४ कोई भी वैदिक आज्ञा - स्मृति ( श्री० ) चेद और धर्मशाख । श्री ३ मार्ग सड़क रास्ता-फलकं, ( न० ) १ चौड़े चूतड़ | २ चूतड़ | नितंब - बिम्बं ( न० ) १ गोल कमर | २ कमरबंद | पटुका /-सूत्रं, (न० ) करधनी । मेखला । श्रोतस् ( न० ) १ कर्ण | कान ) २ हाथी की सूद। ३ इन्द्रिय | सोता। चश्मा | ध्रुवः ( पु० ) १ यश | २ श्रुषा । थवा ( श्री० ) ध्रुवा | चम्मच नुमा लकड़ी का पात्र जिसमें भर कर शाकल्य की आहुति अनि में दोबी जाती है:-वृत्तः (g० ) विकंकट वृक्ष | भेदी (स्त्री० ) एक प्रकार का पहाड़ा। श्रेण: (००) १ रेखा | पंक्ति अवजी २ श्रेणी (स्त्री० ) 5 समूह | समुदाय। गिरोह । ३ व्यवसाइयों का संघ कारीगरों का संघ | ४ बाएंटी। ढोल-धर्माः, (पु० बहु० ) व्यवसा इयों की मंडली या पंचायत की रीति या नियम श्रेणिका ( श्री० ) खेमा : श्रोण ( धा०प० ) [ श्रोति ] १ जमा करना । ढेर लगाना | २ एकत्रित किया जाना । श्रा (वि० ) जंगड़ा | लूखा | (पु० ) रोग विशेष | श्री (पु० ) १ सुनने वाला २ शिष्य । श्रोत्रं ( म० ) १ कान | २ वेदज्ञान | ३ वेद । श्रोत्रिय ( वि० ) १ वेद वेदाङ्ग में पारङ्गत | २ शिक्षा देने योग्य | काबू में लाने योग्य । -स्वं, (न०) विद्वान् ब्राह्मण की सम्पत्ति । श्रोत्रिय ( 50 ) विद्वान् ब्राह्मण वेद में या धर्म- शास्त्रों में निध्यात पुरुष - श्रेयस् ( वि० ) 1 बेहतर। अकृष्टतर । २ उत्कृष्टतम । सर्वोत्तम ३ बहुत प्रसन्न : सौभाग्यवान | ४ माङ्गलिक अवसर २ मोरा अर्थिन् (वि० ) सुख प्राप्ति का अभिलाषी । मङ्गलाभिनाषी । कर, ( वि० ) कल्याणकारी शुभदायक | -परिश्रमः, (पु० ) माह के लिये प्रयत्न । श्रेष्ठ (वि० ) १ सर्वोत्तम सर्वोत्कृट २ अत्यन्त प्रसन्न अत्यन्त समृद्धशाली ४ सब से अधिक युद्धाआश्रमः, ( पु० ) गृहस्थाश्रम | २ गृहस्थ-वाच्, ( वि० ) चाम्मी । 1 श्रेष्ठं ( न० ) गौ का दूध श्रौत्रं ( २० ) १ कान | २ वेद में योग्यता | श्रेष्ठः ( 50 )[1][ब्राह्मण |२ राजा |३ कुबेर | ४ | श्रौषट् (अन्याय० ) वपटू या वौषट् का पर्यायवाची विष्णु । शब्द । - श्रौत (वि० ) [ सी० श्रौती ] कान सम्बन्धी | वेदसम्बन्धी वेद पर अवलम्बित | बेदोक्त । श्रौतं १ चेदोक्त कर्म या क्रियाकलाप | २ वैदिक विधान। ३ यज्ञीय अग्नि का सदैव बनाये रखना ४ तीनों प्रकार की ( अर्थात् गार्हपत्र आहवनीय और दक्षिण ) अग्नि-सूत्रं, ( न० ) यज्ञादि के विधान वाले सूत्र कल्पग्रन्थ का वह अंश जिसमें पौर्णमास्येष्टि से लेकर अश्वमेध पर्यन्त यज्ञों के विधान का निरूपण किया गया है।