धकिलः, पडिलः पंकिलः ( पु० ) भाँदा । वंकिः ( पु० ) १ पसली २ छत का शहतीर ३ वचनीयं ( न० ) कलङ्क | अपवाड़ | एक प्रकार का बाजा | बंतुः ( पु० ) गंगा की शाखा | धंग् ) ( धा० प० ) [ चंगति ] १ जाना | २ चङ्गे , लंगड़ाना । घंगाः ) बङ्गाः ) वंगः } ( ५ ) १ रुईं । २ बैगन । ( बहु० ) बंगाल | वंग ( न० ) १ सीसा | २ रांगा | टीन ( पु० ) हरताल --जः, ( पु० ) ईगुर| सेंदुर 1-जीवनं, ( २० ) चाँदी | - शुल्यजं, (न० ) काँसा । बंधू ] ( धा० ० ) [ धंघते ] १ जाना | तेजी के साथ जाना। २ धारम्भ करना। ३ भर्त्सना करना । दोष लगाना | चंच | वश्चः । अरः, पीतल । २ वंचं । पञ्चम् ) ( पु० ) १ तोता । ३ सूर्य । घंचा । ( स्त्री० ) एक पक्षी विशेष जो बातचीत करे । बच्चा । एक खुशबुदार जड़। वच ( धा०प० ) १ कहना | बोलना | २ वर्णन : वजू: ( पु० ) १ न्यूहरचना विशेष | २ कुश | ३ करना। निरूपण करना। ३ वतलाना । भिन्न भिन्न पौधों के नाम ( न० ) वार्तालाप | घातचीत | वजू • 1 वसनीय ( वि० ) १ कहने योग्य वर्णन करने योग्य । २ विक्कारने योग्य | वचनं (न०) : बोलने की क्रिया | २ वाणी | कथन | ३ पुनरावृत्ति । पाठ ४ नियम | आदेश | २ निर्देश ६ परामर्श सलाह । ७ शपथ पूर्वक वर्णन | बयान । ८ शब्दार्थ | ६ ( व्याकरण में) घप्चन यथा एकवचन द्विवचन बहुवचन | १० सोंठ । --उपक्रमः, (पु० ) भूमिका | आरम्भिक वक्तव्य । -करः, (वि० ) आज्ञाकारी आज्ञा पालक ।--कारिन (वि० ) आज्ञाकारी - क्रमः, (५० ) संवाद | कथोपकथन । - ग्राहिन् ( वि० ) विनम्र । आज्ञाकारी 1-पटु. ( वि० ) बोलने में चतुर। -विरोधः, ( पु० ) कथन में परस्पर विरोध ~~-स्थितः, ( पु० ): आशाकारी । • वचरः (पु० ) १ मुर्गा | २ दुष्ट नीच शठ | वचम् (न०) १ वाक्य | शब्द | २ प्रदेश | आज्ञा । ३ परामर्श | मशवरा । ४ (व्याकरण में ) वचन | -कर. ( वि० ) १ २ दूसरे की आज्ञा के अनुसार काम करने वाला /- ग्रहः, ( पु० ) कान | --प्रवृत्तिः ( स्त्री० ) बोलने का प्रयत्न ! वचसांपनि: ( पु० ) वृहस्पति । वजू ( धा०प० ) [ वजति ] १ चलना । सम्हालना | तैयार करना २ तीर में पर लगाना ३ चलना। 1 इन्द्र का बज्र २ कोई भी विनाशक हथियार । ३ हीरा काटने का औज़ार | ४ हीरा । ५ काँजी । वजू ( न० ) ) वज्रः ( पु० ) ) वजू ( न० ) १ ईसपात। अवरक | ३ वज्र या कठोर भाषा ४ बच्चा १ वज्रपुष्प श्रृङ्गः, (५०) सर्प । अशनिः ( पु० ) इन्द्र का वज्र - श्राकारः, ( पु० ) हीरा की खान ।-आयुधः, ( पु० ) इन्द्र कङ्कट: ( पु० ) हनुमान ! -- कोलः. ( पु० ) वज्र 1 - तारं, (न० ) वैद्यक का एक रसायन योग ।गोपः इन्द्रगोप -चञ्चुः, ( पु० ) गीध । -चर्मन, ( पु० ) गैंड़ा - जित्, ( पु० ) गरुड़ का नाम :- ज्वलनं, = ज्वाला, (स्त्री० ) चिजनी । -तुण्डः (पु० १ गीध | २ मच्छर डाँस ३ गरुड़ | 3 गणेश - दं: ( पु० ) कीट विशेष |– दन्तः, ( पु० ) १ शूकर । २ चूहा | – दशनः, ( पु० ) चूहा। देह,-देहिन् (वि०) हृढ़ शरीर वाला । -घरः, ( पु० ) इन्द्र ।-नासः, ( पु० ) श्री कृष्ण का चक्र । - निर्घोषः, (पु० ) इन्द्र -निष्पेषः, ( पु० ) बादल की गड़गड़ाहट -
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