पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७३७

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वका, वडा टेवा मेड़ा| २ भोखेबाज़ बेईमान / प्रोषः, ( पु० ) ऊँट / चन्बुः, (पु० ) तोता - तुण्डः, ( पु० ): गणेशजी । २ होता।-- दंष्ट्रः (पु०) शुकर/दृष्टि (वि०) १ ऐंचाताना | भैड़ा। २ वह जिसकी निगाह में दुष्टता भरी हो ३ डाही : ईर्ष्यालु। (स्त्री० ) भैड़ापन /~-नकः, ( पु० ) १ तोता । २ नीच आदमी।-नासिकः, (पु० ) उल्लू | पुच्चः (०) चकव्यं (नः ) : कथन | वकृता । २ अनुशासन । नियम ३ कलङ्क | भर्त्सना । धिकार वक्कू ( वि० पु० ) कथन । वार्तालाप । बोलने वाला २ वाग्मी | व्याख्यानदाता ३ शिक्षक व्याख्याता ४ विद्वान् । पण्डित धक् ( न० ) १ मुख | २ चेहरा | ३ थूथन चोंच ( पु० ) कुत्ता 1~पुष्पः, (५० ) पलास का वृक्ष - वालधिः, -: ( पु० ) कुत्ता १ -भावः, ( पु० ) १ चौकापन टेढ़ापन । २ दराबाजी। -वक्त्रः, ( पु० ) शूकर | वक्रः (पु० ) १ मङ्गलग्रह २ शनिग्रह | ३ शिव ● त्रिपुरासुर टोंटो | ४ आरम्भ | ५ ( तीर की ) नॉक | ६ | वर्क ( न० ) नदी का मोढ़ । ग्रह की वक्री गति । वर्तन की टोंटी । ६ वस्त्रविशेष | ७ अनुष्टुप छंद्र के समान एक छंद | ग्रासवः, (पु० ) थूक । चक्रयः ( पु० ) मूल्य । कीमत। - खखार 1-खुरा, (पु० ) दाँत~जः, (पु० ) ब्राह्मण। ~तालं, (न० ) वह ताल जो मुख से निकाला जाय। –दलं, (न० ) तालु। -रत्र, ( न० ) सुख का छेद 1- परिन्द ( पु० ) भाषण वाणी मेदिन, (वि० ) वीण | तीता। चरपरा । -वासः, (पु० ) नारंगी :- शोधनं. (२०) मुखप्रहालन | नीव विजौरा ( पु० ) बिजौरे का पेड़ | वकुल वकुल देखो बकुल धम् (धा० आ० ●) [ थकते ] जाना । वक्तव्य ( स० का ६० ) १ कहने लायक कहने योग्य | २ वह जिसके विषय में कहा जाय । २ तिरस्करणीय धिकारने योग्य फटकारने योग्य ४ कमीना नीच द ज़िम्मेदार उत्तर- दायी ६ पराधीन परतंत्र 1 1 चक्रिन् (वि० ) १ टेवामेड़ा | २ विपरीत | उल्टा | ( पु० ) जैनी या बौद्ध | वक्रिमन् ( पु० ) १ बाँकापन डिटाई २ इयर्थक श्लेष अथवा अनिश्चितार्थक वाक्य | श्लेषवाक्य ३ चालाकी । पोष्टिका (स्त्री० ) वक्रोष्टिः ( पु० ) ) मन्द मुसक्यान वत् (धा०प० ) [ वक्षति ] १ बढ़ना | उगना । २ बलिष्ठ होना। ३ क्रुद्ध होना। ४ जमा करना । वक ( वि० ) १ टेढ़ा। बाँका | २ गोलमोल | टाला | टूली का । ३ धुँघराला | छक्लेदार । ४ पश्चाङ्गामी । ५ येईमान। धोखेबाज । ६ निष्ठुर । | बेरहम छन्दःशाख के अनुसार दीर्घ श्रृङ्गं ( न० ) टेढ़ा शरीरावयव (अङ्गः, (पु०) १ हँस । २ चक्रवाक | चकई चकवा ३ सर्प । -उक्तिः, (स्त्री०) १एक प्रकार का काव्यालङ्कार। इसमें काकु या श्लेष से किसी वाक्य का और का और ही अर्थ किया जाता है। २ काकूक्ति । २ बढ़िया या चमत्कार पूर्ण कथन । कराठ: (पु०) वगाहः (5० ) देखो अवगाहः । चंकः बेर का पेड़ ।-~~-कण्ठकः, ( पु० ) खदिर पृष्ठ | | बकः } ( पु० ) नदी का मोत् | -खड्डः, गति, खड्ड़कः, (पु० ) असा गामिन्, ( बि० ) - वक्षस् ( न० ) छाती | कुच | चूची (~जः, रु, --रुहः, (= वक्षोजः, वक्षोरुह, यक्षोरुहः ) (पु० ) स्त्री के कुच । चूँची । --स्थलं, (न० ). (=पक्ष या वक्षःस्थल ) छाती | (धा०प० ) [ वखति, धंत्रति ] जाना । । चखे S राजदण्ड | चंका ) ( स्त्री० ) घोड़े के चारजानें की अगली धूमधुमौवा | | बङ्गा) मैड़ी।