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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४५६

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नूतन नूल नूतन नून ( वि० ) १ नया | २ ताज़ा | जवान | ३ | नृप वर्तमान | प्रचलित | ४ तत्क्षण का २ हाल नृपति का । आधुनिक । अद्भुत । विलक्षण । अनौखा । नृपाल अपूर्व । नूनं (अन्य २ बहुत कर के नूपुरं ( ज० }} नेजकः ( पु० ) धोबी । नेजनम् ( न० ) धुलाई 1 सफाई | नेतु ( पु० ) १ नेता | अगुआ। सञ्चालक । व्यवस्था- नृ ( पु०) १ नर | मनुष्य | २ मनुष्य जाति । ३ शत- रंज की गोट या गुट्टी | ४ सूर्य घड़ी की कील । ५ पुल्लिङ्ग शब्द । - अस्थिमालिन, ( पु० ) शिव जी !- कपालं, ( न० ) मनुष्य की खोपड़ी 1- केसरिन (पु०) नृसिंहावतार । -जलं, (वि०) मनुष्य का सूत्र । - देवः, (पु०) राजा-धर्मन, (पु०) कुबेर । - मिथुनं, (न० ) मिथुन राशि । - मेधः, ( पु० ) नरमेध यज्ञ। वह यज्ञ जिसमें मनुष्य का बलिदान दिया जाता है । – यज्ञः, ( पु० ) पञ्चयज्ञों में से एक । -लोक, (पु० ) भूलोक । मर्त्यलोक | - वराह, ( पु० ) विष्णु का वराह अवतार । -चाहनः, ( पु० ) कुबेर | - वेटनः, ( पु० ) शिव । - शृङ्गं, ( न० ) असम्भावना के उदाहरण के लिये मनुष्य के सींग। नेत्रं ( न० ) १ अगुथापन | सञ्चालन । २ नेत्र | -सिंहः, ( पु० ) १ मनुष्यों में शेर या उत्तम पुरुष | २ विष्णु भगवान का चौथा नृसिंहावतार । -सेनं, ( न० ) – सेना, (स्त्री० ) मनुष्यों की फौज । - सोमः, ( पु० ) आदर्श मनुष्य । बढ़ा आदमी | पक अग्रगन्ता । २ आज्ञा देने वाला गुरु | ३ प्रधान । मालिक । मुखिया ४ दण्ड देने वाला । २ मालिक । स्वामी । ६ किसी अभिनय का मुख्यपात्र । ३ मथानी की रस्सी । ४ बना हुआ रेशमी वस्त्र । मिहीन रेशमी कपड़ा । ५ एक वृक्ष की जड़ । ६ वाद्ययंत्र | बाजा ७गाड़ी। सवारी। दो की संख्या ६ नेता । १० नक्षत्र | तारा । - श्रञ्जनम्, (न०) आँखों का सुर्मा । –अन्तः, ( पु० ) आँख के कोने का बाहरी भाग । भ्वु, अम्भसू, नृगः ( पु० ) वैवस्वतमनु के पुत्र महाराज नृग जिन्हें ( न० ) आँसू । आमयः, (पु० ) नेत्ररोग विशेष उत्सवः (पु० ) कोई भी मनोहर वस्तु /-उपमं, (न०) वादाम । -कनीनिका, ( स्त्री० ) आँख की पुतली / - कोषः, ( पु० ) १ आँख का ढेला । २ फूल की कली।-गोवर, (वि०) दृष्टि के भीतर । -छदः, (पु० ) पलक 1 -जं, – जलं, – वारि, (न०) आँसू । - पर्यन्त ( पु० ) आँख का कोया या कोना।– पिण्डः, ( पु० ) १ नेत्रगोलक । आँख का ढेल । २ बिल्ली । –मलं, (न० ) आँख का कीचड़ 1- योनिः, ( पु०) इन्द्र | २ चन्द्रमा रञ्जनम्, सं० श० कौ०-५७ ) अवश्य दरहकीकत | सचमुच नेवर | बिछिया । एक ब्राह्मण के शाप से गिरगट होना पड़ा था । नृत् ( धा० पर० ) [ नृत्यति, प्रसुत्यति, नृत्त ] १ नाचना। इधर उधर घूमना | २ रंगमञ्च पर अभिनय करना। ३ हावभाव दर्साना । मटकना। खेलना । नेत्र ( पु० ) राजा - नृपयध्वरः, ( पु० ) राजसूय यज्ञ | - भात्मजः, ( = नृपात्म- जः, ) पु०) राजकुमार । नृपयासीर, (न०) - नृपमानं, ( न० ) वह सङ्गीत जो राजा के भोजन करते समय होता है। नृपगृहं, (न० ) राजप्रासाद । महल :-नृपनीतिः, (स्त्री०) राज- नीति | नृपप्रियः, (पु०) श्राम का बुख-नृप- लक्ष्मन्, (न०) नृपलिङ्गम्, (न०) राजचिन्ह | विशेष कर सफेद छाता --नृपशासनं, (न०) राजाज्ञा /-नृपसभम् ( न० ) -नृपसभा, ( स्त्री० ) राजाओं का समारोह | नृशंस (वि० ) दुष्ट । मलिनचित्त । क्रूर। उपद्रवी । कमीना | नृतिः (स्त्री० ) नाच | नृत्य | नृतं ) ( न० ) नाच | अभिनय । मूक अभिनय । नृत्यं । भबई। अङ्ग विशेष मटकना 1-प्रियः, (पु० ) शिव-शाला, ( स्त्री० ) नृत्यशाला । नाच- घर । —स्थानं, (न०) रंगभूमि | अभिनयस्थान | स्टेज |