चुयाना २ गिर पड़ना। गिरजाना। ३ अदृश्य हो जाना। गायब हो जाना जाना खाना निगलना । लीलना स्थानान्तरेत हा 4 गल. (पु०) १ गला २ गर्दन । २ साल वृक्ष कीराल ३ वाद्ययंत्र या बाजा विशेष ।-! · www गले का रोग विशेष । -उद्भवः, (पुँ०) घोड़े के श्रयाल । ओघ:, (पु०) गुमड़ा जो गले में हो -कंबलः, (पु०) बैल या गाय के गरदन की खाल जो लटकती रहती है । - गण्डः ( पु० ) घेघा । गले का रोग विशेष । ग्रहः, ( पु० ) - ग्रहणं ( न० ) १ गरदनियाना । गर्दन में हाथ लगा कर पकड़ना । २ रोग विशेष । ३ कृष्णपक्ष की ४र्थी, ७मी, ममी क्ष्मी, १३शी, अमावस्या । ४ ऐसा दिवस जिसमें अध्ययन आरम्भ हो, किन्तु अगले दिन ही अन ध्याय हो १५ अपने थाप बिसाई विपत्ति । ६ मथली की चटनी । चर्मन्, (न० ) गला । नरेटी । नली । नरखड़ा । --द्वारं, (न० ) सुख । -मेखला, ( स्त्री० ) गुअ । हार । कण्ठा |-- गल्भ् (धा० आत्म०) [ गल्भते, गल्भित ] साहसी होना। आत्म निर्भर होना। गल्भ (वि०) साहसी । हिम्मती । गल्या ( स्त्री० ) गलों का समूह | गल्लंः ( पु० ) गाल । विशेष कर मुख के दोनों ओर के पास का भाग। चातुरी, (स्त्री०) छोटा गोल तकिया जो गाल के नीचे रखा जाता है। 3 वार्त, ( चि० ) १ स्वस्थ्य । तन्दुरुस्त | २ मुफ्त | गल्लकः ( पु० ) १ पानपात्र । जाँम मदिरा पीने का वरतन । २ नीलमणि । पुखराज गल्लर्कः ( पु० ) शराब पीने का प्याला । ० गवर्कः ( ५० ) १ स्फटिक मणि । २ लाजवर्द । ३ - खोर। खुशामदी टट्टू -व्रतः, (पु० ) मयूर 1 मोर । - शुण्डिका, (खो०) कव्या /- शुण्डी, (स्त्री०) गरदन की गिल्टियों की सूजन। - स्तनी, (गलेस्तनी) (स्त्री०) बकरी । - हस्तः, ( पु० ) १ अर्धचन्द्र । गलहत्था । गरदुनिया | २ अर्धचन्द्र बाण 1- हस्तित, (वि० ) गले में हाथ डाल गिलास । मदिरा-पान-पात्र | 1- कर पकड़ना । - गलकः ( पु० ) १ गला गरदम २ एक प्रकार की मछली | गलनं (न०) चूना । टपकना रिसना । गलंतिका- गलन्तिका ) ( स्त्री० ) १ कलसिया गलंती-गलन्ती छोटा कलसा । छोटा घड़ा । २ छोटा घड़ा जिसकी पेदी में छेद करके शिव जी के ऊपर टाँग देते हैं, जिससे उस छेद से बराबर शिव जी पर जल टपका करे। गलिः (पु०) पुष्ट किन्तु कामचोर बैल । हुआ | ३ चुधा हुआ बहा हुआ ४ खोया हुआ पृथक किया हुआ | नज़र से छिपा हुआ | ५ सयुक्त ढीला टपक कर खाली हुआ ६ रीता | खाली । टपक ७ साफ किया हुआ सी। निर्बल 1-कुष्ठं, (न०) कोढ़ के रोग की वह दशा जब अँगुलियाँ गल गल कर गिर पढ़ती हैं। -दन्त, ( वि० ) दन्तहीन || - नयन, ( वि० ) ऊँधा | - - गलितिकः ( पु० ) नृत्य विशेष | गलेगंड: ) ( पु० ) एक पची विशेष जिसकी गर- गलेगण्डः दन में खाल की थैली सी लटका करती है। गल्ह ( धा० आत्म० ) [ गव्हते-गल्हित ] कलङ्क लगाना। इलज़ाम लगाना | भर्त्सना करना । गव [ किसी किसी समासान्त पद के पहिले लगाया जानेवाला "" का परियाय] - प्रक्षः, (पु०) रोशनदान | झरोखा । –अक्षित् (वि० ) खिड़- कियोंदार /- अनं. ( न० ) गौधों का कुंड | रौहर (गोऽयं, गोअयं, गवाञं) - प्रदनं, (न०) चरागाह । गोचरभूमि --अदनी, ( स्त्री० ) १ गोचरभूमि। २ नाँद जिसमें गायों को सानी खिलायी जाती है। अधिका, (स्त्री०) लाख । लाचा ।—अहं, (वि० ) गौ के मूल्य का । - अविकं, (न०) पौहे और भेड़ /- प्रशनः, (पु० ) ! १ चमार | मोची । २ जातिच्युत :- आवं, (न०) -
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