पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२९१

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गवयः ( २८४ ) गाङ्गेय तरह ) घना होना । सधन होना। अप्रवेश्य या अप्रवेशनीय होना २ गम्भीरतापूर्वक प्रवेश करना या बैठना । साँड और घोड़े।—प्राकृति, (वि० ) गोमुखी | गह (घा० उभय०) [गहयति गहयते] १ ( वन की गौ की आकृति की। -आन्हिकं (न० ) नाप जिसके अनुसार रोज गौ को चारा दिया जाय । -इन्द्रः ( पु० ) १ गौ का मालिक | २ उत्तम साँड़ उद्धः, (पु०) उत्तम साँढ़ या गाय । गवयः ( पु० ) बैल की जाति विशेष । गवलः (पु० ) जङ्गली भैंसा । गवालूक: (पु०) ( देखा गवय ।) गविनी (स्त्री० ) गैौधों की हेड । रौहर । गव्य (दि० ) १ गौ या मवेशियों से युक्त। २ गौ से उत्पन्न यथा दूध, दही, मक्खन आदि । ३ मवेशियों के योग्य या उनके लिये उपयुक्त । गव्यं ( न० ) १ मवेशी। गौओं की हेड या रौहर । २ गोचरभूमि | ३ गौ का दूध | ४ पीला रङ्ग या रोगन | गहन (वि०) १ गहरा । सघन । गाड़ा। घना | २ अम वेश्य जिसमें कोई घुस या पैठ न सके। अगस्य | ३ष्टतापूर्वक समझने योग्य | दुरधिगम्य | दुर्वाध | रहस्यमय | ४ लिष्ट पीड़ा या दुःख देने वाला ५ गम्भीर असरल कठिन । प्रखर गव्यः (स्त्री०) १ गौओं की हेड़ या रौहर । २ माप विशेष, जो देर कोस या ४ मील के बरावर होता है। ३ रोदा। कमान की डोरी ४ पीला पदार्थ विशेष या पीला रङ्ग अथवा रोगन | गन्या (स्त्री० ) १ गायों की हेढ़ | २ दो कोस की दूरी का माप । ३ रोदा । धनुष की डोरी । ४ हरताल | गव्यूतम् ( न० ) ) १ माप विशेष जो एक कोस या गव्यतिः (स्त्री० ) ) दो मील के बराबर होता है। २ माप जो दो कोश या चार मील के बराबर होता है। गवेडुः (पु० ) ) गवेधुः ( पु० ) गवेधुका (स्त्री०) गवेरुकं (न०) गेरू | लाल खड़िया | मवेशियों के खाने योग्य घास या तृण विशेष । प्रचण्ड | गहनम् (न०) १ अगाध गर्त | गहराई | २ वन ऐसा सघन वन जिसमें कोई घुस न सके । ३ छिपने की जगह | ४ गुफा ५ पीढा । कष्ट । गहर (वि०) [ स्त्री० - गहरा, गहरी, ] अप्रवेश्य | गह्वरं (न० ) १ असलस्पर्शगर्त । २ गहराई । २ वन । जङ्गल | गुफा ४ धगम्य स्थान | छिपने का स्थान । ६ पहेली । ७ दम्भ | पाखंड |८ रोदन । क्रंदन । गहरः (पु०) लता मण्डप । निकुञ्ज । गहरी (स्त्री०) गुफा । कन्दरा । गा (स्त्री०) गीत | भजन । गांग ? (वि०) [ स्त्री०- गाङ्गी ] गङ्गा का या गाङ्ग ) गना से । गङ्गा से उत्पन्न या गङ्गा का। गांगं ) ( न०) १ आकाश गङ्गा का जल । [लोगों गांङ्ग ) को विश्वास है कि जब सूर्य के देखते देखते " जल की दृष्टि होती है तब वह आकाश गंगा का जल होता है २ सुवर्ण | सोना । गांगः गाङ्गः (पु०) १ भीष्म की उपाधि | २ कार्तिकेय की उपाधि | गांगटेयः, गाय: } (पु०) झींगा मछली। गांगायनि ) (वि०) १ भीष्म | २ कार्तिकेय । गाङ्गायनि गवेष (धा० आत्म० ) [गवेषते, गवेषयति, गवेषित] १ तलाश करना। खोजना | ढूंढ़ना | २ उद्योग करना । कड़ा परिश्रम करना। गवेष (वि०) ढूंढ़ने को। गवेषः ( पु० ) ढूँढ़ना । खोज तलाश । गवेषणम् } किसी वस्तु की खोज या तलाश । गवेषणा S (न०) सुवर्ण | सोना । गाङ्गेयं गवेषित (वि०) ढूंढा हुआ । तलाश किया हुआ | गांगेयः } (१०) १ भीष्म । २ कार्तिकेय । अनुसन्धान किया हुआ। गांगेय ) (वि०) [ स्त्री० — गाङ्गेयी ] गङ्गा का या गङ्गा में । गाङ्गेय गांगेयं