सामग्री पर जाएँ

पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२५५

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

कृक करना | २४ इस्तेमाल करना। व्यवहार में लाना। २५ विभाजित करना । बाँटना | २६ किसी दशह विशेष में लाकर डाल देना । कुकः ( पु० ) गला । कुकशा: } (पु० ) तीतर | ( २४८ कृकतास कृकुलासः कृकुवाकुः (पु०) १ मुर्गा | २ मोर | ३ छिपकली । विस्तुइया -ध्वजः, ( पु० ) कार्तिकेय की उपाधि | ( पु० ) छिपकली। गिरगट | कृकाटिका ( सी०) १ गरदन का उठा हुआ भाग २ गरदन का पिछला भाग घट्टी। कृ ( वि० ) १ कष्टकर | पोड़ाकारी | २ बुरा । विपत्तिकारी। दुष्ट । ३ पापी | ४ सङ्कट में फसा हुआ।- प्राण, (वि० ) जिसके प्राण सङ्कट में हों। २ कष्टपूर्वक स्वांस लेने वाला । ३ कठिनाई से जीवन निर्वाह करने वाला /- साध्य, (वि०) ( रोग ) जो कठिनाई से अच्छा हो सके । २ कठिनाई से पूर्ण किया हुआ। + कृच्छ (पु० ) ) १ कठिनाई। कष्ट पीड़ा सङ्कट कृ ( म० ) ) विपत्ति । २ शारीरिक कष्ट । तप | प्रायश्चित्त । कृच्छ्रीत } बढ़ी कठिनाई से । कष्टपूर्वक। कृत् (धा० परस्मै० ) [ कृतति, कृत ] १ काटना । काट कर अलग कर डालना । विभाजित कर डालना। चीर डालना। फार ढालना टुकड़े टुकड़े कर डालना | नष्ट कर डालना । [कृणत्ति, कृत्त. ] १ कातना | २ घेर लेना। कृत ( वि० ) करने वाला, कर्ता बनाने वाला रचने वाला ( पु० ) एक प्रकार के उपसर्ग। कृतं ( न० ) १ कर्म कार्य क्रिया २ सेवा । लाभ | ३ परिणाम | फल | ४ उद्देश्य प्रयोजन । ५ पोंसे का वह पहल जिसपर ४ बिंदु बने हों। ६ चार युगों में से प्रथम युग जिसमें मनुष्यों के १,२८००० वर्ष होते हैं। (मनु० अ० १ श्लो० ६६ और इस पर कुल्लूकभट्ट की व्याख्या] किन्तु महा भारत के अनुसार कृतयुग में मनुष्यों के ४८०० ) कृत वर्षों के ऊपर वर्ष होते हैं। ७ चार की संख्या - अकृत, ( दि० ) किया और अनकिया अर्थात् अधूरा 1–अङ्क, (वि०) चिन्हित | दागा हुआ | २ गिनती किया हुआ | -अङ्कः (१० ) पाँसे का वह पहल जिसपर चार बिंदकी बनी हों- अञ्जलि ( वि० ) हाथ जोड़े हुए अनुकर, ( वि० ) । उत्तर साधक सहायक अधीन - अनुसारः, ( पु० ) रीति | रस्म | रीति भाँति । --अन्तः, ( पु० ) १ यमराज २ प्रारब्ध क़िस्मत ३ सिद्धान्त ! ४ पापकर्म । दुष्टकर्म | शनिग्रह ६ शनिवार-अन्तजनकः, ( पु० ) सूर्य 1- अन्नं ( ० ) १ पकाया हुआ खाना २ पचा हुआ श्रन्न । ३ विष्ठा ।-अपराध, (दि०) कसूरवार अपराधी दोषी अभय ( वि० ) किसी सकट या भय से बचाया हुआ -अभि चेक. (वि० ) राजगद्दी पर बैठाया हुआ । राज- तिलक किया हुआ |-अभ्यास, ( वि० ) अभ्यस्त 1- अर्थ, (वि० ) १सफल | २ सन्तुष्ट | प्रसन्न | ३ चतुर । - अवधान, (वि० ) होशि- यार सावधान। -प्रवधि, (वि०) निद्धरित | नियत । २ सीमाबद्ध । मर्यादित अवस्थ, - ( वि० ) बुलाया हुआ । २ स्थिर | बसा हुआ । -अस्त्र, ( वि० ) १ हथियारबंद | २ अन्त्र विद्या में निपुण ।- धागम, ( पु० ) परमात्मा । --आत्मन्, ( वि० ) इन्द्रोजित | संयमी । २ पवित्र भन वाला । – आभरण, (वि०) भूषित | -आवास, ( वि० ) पीड़ित --श्राह्वान, ( वि० ) ललकारा हुआ | चुनौती दिया हुआ | -उद्वाह (वि० ) विवाहित ऊपर को बांहे उठा कर तप करने वाला उपकार, ( वि० ) अनुग्रहीत ।-कर्मन, ( वि० ) चतुर | निपुण । ( पु० ) १ परमात्मा २ संन्यासी । -काम, ( वि० ) वह जिसकी कामनाएँ पूरी हो चुकी हों। -काल, (वि०) १ निश्चित समय का | २ वह जिसने कुछ काल तक प्रतीक्षा की हो । –कालः, ( पु० ) निश्चित समय । -कृत्य, (वि० ) १ वह जिसकी उद्देश्य सिद्धि हो चुकी हो । २ सन्तुष्ट अघाया हुआ | ३ कर्तव्य पालन किये