आटीकनं 1 टीक ( न० ) बछड़े की उछलकूद | आटीकरः (पु० ) बैल । साँड़ । आटोपः ( पु० ) १ अभिमान | आत्महावा । २ सूजन | फैलाव | बढ़ाव । फुलाव | आडम्बर (पु० ) १ अभिमान | सद। औदय २ दिखावट। वाह्य उपाङ्ग ३ बिगुल या तुरही की आवाज़ जो थाक्रमण की सूचक हो । ४ आरम्भ शुरूआत | ५ रोप। क्रोध | ६ हर्पं । आनन्द | ७ बादलों की गर्जन। हाथियों की चिंघार। ८ लड़ाई में बजाया जाने वाला ढोल । २ युद्ध का कोलाहल या गर्जन तर्जन । ( १२५ ) तिदेशिक आतंचनम् | ( न० ) आतञ्चनम् ) दूध । आणिः ( पु० स्त्री० ) १ गाड़ी की धुरी की चावी या पिन २ घुटने के ऊपर का जांघ का भाग । ३ सीमा हद्द ४ तलवार की धार । आंड ) ( वि० ) अण्डज । वे जीव जो अंडे से | प्रातायिन् । उत्पन्न होते हैं। आइड: } 1 (पु०) हिरण्यगर्भं या ब्रह्मा की उपाधि । १ दही । २ जमा हुआ एक प्रकार का तोड़ या पछा ।४ प्रसन्न करना | सन्तुष्ट करना । ५ भय । खतरा । आपत्ति । सङ्कट | ६ रफ़्तार । गति । आतत (वि० ) १ फैला हुआ । बिछा हुआ । छाया हुआ। बड़ा हुआ | २ ताना हुआ (जैसे धनुष की प्रत्यंचा ) आततायिन् ( पु० ) १ महापापी । २ शस्त्र उठा कर किसी का वध करने को उद्यत । शुक्र नीति में छः प्रकार के आततायी बतलाये गये हैं। यथा- आग लगाने वाला । विषखिलाने वाला । शस्त्र हाथ में लिये किसी का वध करने को उद्यत धन का चोर। खेत का हरने वाला और स्त्रीचोर । “अग्निदो गरदश्वंद शस्रोन्नत्तो पनापदः । क्षेत्रदारहरश्चैतान् पड् विद्यादातनायिनः ॥” आडम्बरिन ( न० ) मदमत्त अभिमान में चूर आढक: (पु० ) ) कम् (न०) } द्रोण नामक तौल का चतुर्थांश । श्राव्य (वि० ) १ धनी धनवान | २ सम्पन्न ३ बहुतायत से । विपुल |~~चर, (पु० ) चरी, | ः (०) १ सूर्य अथवा आग की गर्मी । घाम ( स्त्री० ) जो एक बार धनी हो । यंकरण ( वि० ) धनवान करने वाला । आयकरणम् (न०) धन । सम्पत्ति । प्राण (वि० ) नीच । ओछा । दुष्ट | कम् ( न० ) मैथुन करने का आसन विशेष आणव (वि०) [ स्त्री० आणवी ] बहुत ही छोटा । आणवं ( न० ) बहुत ही छोटापन या अत्यन्त २ प्रकाश। - उदकं, (न० ) मृगतृष्णा - त्रं, - ( न० ) -त्रकं, (न०) छाता | छत्र- लंघनं, ( न० ) लपट का लगना । – चारणं, ( न० ) छाता |-शुष्क, (वि० ) धूप में सुखाया हुआ। तपन (पु०) शिव जी का नाम । प्रातरः सूक्ष्मता | } ( पु० ) नाव की उतराई या पुल का तर्पण ( न० ) १ सन्तोष | २ प्रसन्नता | सन्तुष्ट- करण । ३ दीवाल पर सफेदी पोतना। फर्श लीपना । । | ( ० ) पक्षी विशेष | चील । तिथेय ( वि० ) [ स्त्री० -आतिथेयी ] » अतियों का सत्कार । २ अतिथि के योग्य । अतिथि के लिये उपयुक्त । [ पहुई। आतिधेयं (न०) महमानदारी । अतिथि का सरकार । श्रांड } ( न० ) १ अँडों का ढेर | फोल | व्याँद । आण्डम् । २ अण्डकोश की थैली । आतिथ्य (वि० ) पहुँनई के योग्य । भांडीर } (वि० ) १ बहुत से अँडों वाला । २ बढ़ा | आासिध्या ( पु० ) पाहुना । महमान । अतिथि। आयडीर) हुआ पूर्णक्यप्राप्त (जैसे सांड ) भातक । (५० ) १ रोग शारीरिक रोग २ ध्यातिथ्य ( न० ) पहुन
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