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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१३३

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यतिरेक्य आतिरेक्यं । ( न० ) विपुलता । फालतूपन । आतिरेक्यम् । अति आधिक्यता । अधिकाई । प्रातिशय्यम् (न०) आधिक्य बहुतायत । ज्यादती । मातुः (पु० ) लकड़ी या लट्ठों का येड़ा। धरनई या चौघड़ा। ( १२६ ३ आतुर (वि०) १ चोटिल | घायल | २ रोगी | दुःखी । पीड़ित ३ शरीर या मन का रोगी ४ उत्सुक अधीर चेचैन । ५ निर्बल कमज़ोर 1-~शाला, ( श्री० ) अस्पताल | आतुरः (पु० ) बीमार। मरीज़ | आताचं } ( म० ) वाद्य विशेष : एक प्रकार आतीयकम् ) का बाजा त (व० ० ) १ लिया हुआ । प्राप्त स्वीकार किया हुआ माना हुआ । २ इकरार किया हुआ। ३ आकर्षण किया हुआ | ४ निकाला हुआ। खींच कर बाहर निकाला हुआ 1-गन्ध, (दि०) 9 शत्रु ने जिसके अहकार को दूर कर डाला हो। शत्रु से पराजित | २ सूंघा हुआ।- -गर्व, (वि० ) नीचा दिखलाया हुआ । तिरस्कृत अध:पतित आत्मक (वि० ) बना हुआ ढंग का या स्वभाष आत्मकीय ( वि० ) अपना अपने से सम्बन्ध आत्मीय युक्त ! आत्मन् ( पु० ) १ यात्मा जीव २ परमात्मा ६ मन ४ बुद्धि | मननशक्ति । ६ स्फूर्ति । मूर्ति | शक्कमपुत्र | ७ "यात्मा ये दुधनाचाहि”। 1 १ उद्योग सावधानी । १० सूर्य ११ अग्नि । १२ पवन १३ सार । १४. विशेषता | लक्षण । १२ स्वभाव । प्रकृति । १६ पुरुष या समस्त शरीर ।-अधीन, ( वि० ) स्वावलम्बी। स्व तंत्र-आधीनः, ( पु० ) १ पुत्र | २ मोजाई । ३ विदूषक | मसनरा।अनुगमनम्, व्यक्तिगत उपस्थिति या विद्यमानता - अपहारकः, ( पु० ) पाखंडी। बहुरूपिया!~~ आराम ( वि० ) १ ज्ञान प्राप्ति का प्रयासी । अध्यात्मविद्या का खोजी २ अपने आत्मा में प्रस रहने वाला।-आशिन, (पु० ) मछली जो अपने बर्यो को खा जाया करती है - ) आत्मन् " - आश्रयः (पु०) अपने ऊपर निर्भर रहने वाला। - उद्भवः, (पु०) पुत्र कामदेव उद्भवा, (स्त्री०) पुत्री । - उपजीविन, (पु०) १ अपने परि- श्रम से उपार्जित आय पर रहने वाला २ दिन में काम करने वाला मज़दूर ३ अपनी पत्नी की कमाई खाने चाला | ४ नाटक का पात्र सार्व- जनिक अभिनेतृ ~~काम, ( वि ) १ आत्मा- भिमानी। यहङ्कारी। २ केवल ब्रह्म या पर मात्मा की भक्ति करने वाला /-गुतिः, (स्त्री० ) गुफा मांद /--माहिन्. ( वि० ) स्वार्थी | लालची )-घातः, ( पु० ) १ आत्महत्या | २ धर्मविरोध | चातिन, ( पु० ) - घातक, ( पु० ) आत्महत्या | २ धर्मविरोधी / घोषः, ( पु० ) १ मुर्गा | कुकुट २ काक | कौवा - जः, ( पु० ) जन्मन्, ( १० ) - जातः, ( पु० ) - प्रभवः ( पु० ) - सम्भवः, ( पु० ) १ पुत्र | २ कामदेव /-जा (स्त्री० ) १ पुत्री | २ तर्कशक्ति | समझने की शक्ति या समझ । बुद्धि । --जयः, (पु० ) अपने आपको जीतना । जितेन्द्रिय-ज्ञः, -विद्, ( पु० ) आत्म- ज्ञानी। ऋषि-ज्ञानं, ( न० ) आत्मा और परमात्मा सम्बन्धी ज्ञान । २ सत्यज्ञान - तस्वं, ( न० ) जीव या आत्मा का अथवा परमात्मा के स्वरूप का ज्ञान त्यागः, ( पु० ), आत्मोत्सर्ग २ आत्मनाश । आत्मघात /- त्यागिन (पु० ) १ आत्मघात आत्महत्या | २ स्वधर्मत्याग । - त्राणं, (न० ) १ आत्म- रक्षा २ शरीररक्षक | बादी-गार्ड -दर्शः, ( पु० ) दर्पण आईना।-दर्शनम् (न० ) १ अपना दर्शन करना। आत्मज्ञान सत्य ज्ञान । -द्रोहिन (वि० ) अपने ऊपर अत्याचार करने वाला । २ आत्मघाती । - नित्य, (वि०) अत्यन्त प्रिय /- निवेदनम्, (न०) अपने आप को समर्प करना । आत्मसमर्पण /- निष्ठ, ( चि० ) सदैव आरमविद्या की खोज में रहने वाला।-प्रशंसा, (स्त्री०) आत्मश्लाघा । अपनी बढ़ाई-बन्धुः -~बान्धवः, (५०) अपने नातेदार। [धर्मशास्त्र में नातेदारों के अन्तर्गत इतने लोगों की गणान है।