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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६

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अर्धीशः मूल्य । मूल्य में तारतम्य या उतार चढ़ाव या मूल्य का कमवेशी होना । - संख्यानम् संस्थापनम् (न० ) दाम कूतने की क्रिया । क्रीमत लगाना । ( ६ ) शः (पु०) शिव जी का नाम । अर्ध्य (वि० ) १ क्रीमती । मूल्यवान | २ पुज्य अर्थम् (न० ) किसी देवता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को सम्मान प्रदर्शक भेंट | अर्च ( धा० उभय० ) [ अति-अर्चि, अर्चित ] १ पूजा करना शृङ्गार करना। प्रणाम करना । सम्मान पूर्वक स्वागत करना | २ वैदिक साहित्य में ) स्तुति करना । अर्चक (वि० ) पूजा करने वाला । शृङ्गार करने वाला। सजाने वाला।

पु०) पुजारी। शृङ्गारिया ।

न (दि० ) पूजन करते हुए। स्तुति करते हुए। अर्चनम् ( न० ) अर्चना (स्त्री० ) अनी (( स० का० कृ० ) पूजनीय अर्च्य } पूजा 1 पूजन । आदर। सत्कार | शृङ्गार करने योग्य | पूज्य मान्य । प्रतिष्ठित । सम्मानित | [ मूर्ति या प्रतिमा । चर्चा (स्त्री० ) १ पूजा । शृङ्गार | २ पूजन करने की अर्चिः (स्त्री० ) किरन । अंगारा चमक । अविष्मत् } ( पु० ) सूर्य । अग्नि । अर्विस् (न०) } १ आग का विः (पु०) [ शोला या अंगारा । बभक । किरन । २ दीप्ति | आमा । ( पु० ) किरन । ३ अभि । [ २ सूर्य । असिह (वि० ) चमकीला । ( पु० ) १ अग्नि । (घा०प० ) [ अति, अति ] १ उपार्जन करना । कमाना। बावुई वृद्ध, जिसके अर्जक ( वि० ) [ स्त्री० - अर्जिका ] प्राप्त करने वाला। उपार्जन करने वाला। अर्जक: (वि० ) वृक्ष विशेष सूतों से रस्सी बटी जाती है। अर्जनम् ( न० ) प्राप्त करना । उपलब्धि अर्जुन ( वि० ) [ स्त्री० अर्जुना, १ सफेद | स्वच्छ । चमकीला । दिन के प्रकाश की तरह। यथा- प्राप्ति । अर्जुनी ] अर्थः “पिशंगनौजी पुल भर्जुनच्छविं।" -शिशुपालवध | २ रुपहला । अर्जुन: ( पु० ) सफेद रंग । २ मोर । मयूर ६ वृत्त विशेष जिसकी छाल बड़ी गुणदायक है। ४ महाराज युधिष्ठिर के छोटे भाई। इनका वृत्तान्त महाभारत में विस्तार से लिखा हुआ है। २ कार्त- वीर्य राजा का नाम, जिसको परशुराम जी ने मारा था । ६ इकलौता पुत्र |-ध्वजः ( पु० ) सफेद ध्वजा वाला। हनुमान जी का नाम । अर्जुनी (स्त्री० ) १ कुटनी | २ गौ । ३ करतोया नदी का दूसरा नाम | अर्जुनम् ( न० ) घास | अर्जुनोपमः ( पु० ) साखू का वृक्ष सागौन का पेड़ या सगौन। यः ( पु० ) १ साख, या सागौन का वृक्ष | २ [वर्ण- माला का ] एक वर्ण । अर्णवः ( पु० ) १ ( फैनों से युक्त ) समुद्र । — /-उद्भवा, (स्त्री० ) उद्भवः, (पु० ) चन्द्रमा लक्ष्मी उद्भवं, ( न० ) अमृत । -पोत, ( पु० ), –यानम्, ( न० ) - मन्दिरः ( पु० ) १ वरुण | २ समुद्रवासी । ३ विष्णु । अस् ( न० ) जल । - दः, (द ) ( पु० ) बादल । -भवः (पु०) शङ्ख । स्वत् ( वि० ) जिसमें बहुत जल हो । अस्वत् ( पु० ) समुद्र । सागर । अर्तनम् (न० ) धिक्कार | फिटकार | गाली । अर्तिः ( स्त्री० ) १ पीड़ा | दुःख। खेद। २ धनुष की नोंक । अर्तिका (स्त्री०) (नाव्य साहित्य में ) बड़ी बहिन । अर्थ ( धा० आत्म० ) [ अर्थयते, अर्थित ] १ माँगना । याचना करना प्रार्थना करना । बिनती करना । २ वान्छा करना । अभिलाषा करना । अर्थ: ( पु० ) १ उद्देश्य प्रयोजन | अभिलाषा । २ कारण । हेतु । भाव | आधार । जरिया। ३ विष्णु का नाम अधिकारः ( पु० ) खजानची का श्रोहदा/~-अधिकारिन, (पु० ) सं० श० कौ-१२