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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९७

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अर्थः खजानची । कोषाध्यक्ष अन्तरम् ( न० ) ( अर्थान्तरम् ) १ भिन्न अर्थ यानी मानी । २ भिन्न उद्देश्य या हेतु । २ नया मामला। नयीपरिस्थिति । —भ्यासः (पु०) (अर्थान्तर- न्यासः ) काव्यालङ्कार विशेष जिसमें प्रकृति अर्थ की सिद्धि के लिये अन्य अर्थ लाना पड़ता है। अर्थालङ्कार का एक भेड़ | २ ( न्याय दर्शन में ) निग्रहस्थान अन्वित (= अर्धान्वित) ( वि० ) १ धनी । सम्पत्ति वाला । २ गूदार्थ प्रकाशक | गुरुतर | – अर्थ (अर्थ) ( वि० ) वह जो धन प्राप्त करना चाहे या जो कोई अपना उद्देश्य सिद्ध करना चाहे |- अलङ्कारः, (= अर्थालङ्कारः ) ( पु० ) वह अलंकार जिसमें अर्थ का चमत्कार दिखाया जाय। आगमः, (= अर्थागमः ) ( ० ) १ आय । आमदनी। धन की प्राप्ति | २ किसी शब्द के अभिप्राय को सूचना करना । आपत्तिः, (= [अर्थापत्तिः) (स्त्री० ) १ अर्थातकार जिसमें एक बात के कहने से दूसरी बात की सिद्धि हो । २ मीमांसाशास्त्रानुसार प्रमाण विशेष। जिसमें एक बात कहने से दूसरी बात की सिद्धि अपने आप हो जाय। - उत्पत्तिः (= अर्थोत्पत्तिः) ( स्त्री० ) धनोपार्जन : धनप्राप्ति ।-उपक्षेपकः, (पक्षेपकः) (पु० ) नाटक का आरम्भिक दृश्य विशेष । यथा- " सवेपिछेषकाः पश्च।” साहित्यदर्पण | उपमा, (= अर्थोपमा ) (स्त्री) उपमा विशेष जिसका सम्बन्ध शब्दार्थ या शब्द के भाव से रहता है ।-उष्मन () () धन की गर्मी- "यमिता विरक्षिः पुरुषः स एव | भागवत | घ:, (घ) ( 50 ) या - राशिः (अर्थराशि:) (पु०) खजाना या धन का ढेर --- कृत ( वि०) १ धनी बनानेवाला । २ उपयोगी । लाभकारी / काम, (वि० ) धनाकांची। -- कृच्छ्र, (न० ) १ कठिन विषय | २ धन सम्बन्धी अर्थना सद ।-कृत्यं (न०) धन का लाभ कराने वाले किसी कारोवार 1-गौरवं, (न० ) अर्थ की गम्भीरता 1-घ, ( वि० ) फ़िजूल खर्च | अपव्ययी । —जात, (वि० ) अर्थ से परिपूर्ण - जातम्, (न० ) १ वस्तुओं का संग्रह। धन की बड़ी भारी रक्क़म। बड़ी सम्पत्ति 1-तवं, (न०) १ यथार्थ सत्य | असली बात | २ किसी वस्तु का यथार्थ कारण या स्वभाव |द (वि० ) १ धनप्रद | २ उपयोगी लाभदायी ।-दूषणम् ( म० ) १ फ़िजूलखर्ची । अपन्ययिता | २ अन्या पूर्वक किली की सम्पत्ति छीन लेना या किसी का पावना ( रुपया या धन ) न देना । ३ ( किसी पद या शब्द के ) अर्थ में दोष निकालना । - निबंधन, ( वि० ) धन पर निर्भरता । ~पतिः, ( पु० १ धन का अधिष्ठाता । राजा २ कुबेर की उपाधि - पर, लुब्ध, (वि० ) १ धन प्राप्ति के लिये तुला हुया | लालची । लोभी | २ कृपण | व्ययकुण्ठ -प्रयोगः, ( पु० ) व्याज | सूद | कुसीद /-बुद्धि (वि०) स्वार्थी । -मात्रं, (न०) ~ मात्रा, (स्त्री०) सम्पत्ति । धन दौलत |-- लोभः (पु०) खालच /-वादः, (पु०) १ किसी उद्देश्य या अभिप्राय की घोषणा | २ प्रशंसा । स्तुति | तारीफ /विकल्पः, (पु० ) सत्य से डिगने की क्रिया । सत्य बात को बदलने की क्रिया | अपलाप।-वृद्धिः, (स्त्री०) धन को जोड़ना।-- व्ययः ( 30 ) खर्च - शास्त्रं, (न० ) सम्पत्ति शास्त्र | धन सम्बन्धी नीति को बताने वाला शास्त्र । - शौचं, (न०) रुपये के दैन लैन के मामले में सफाई या ईमानदारी । - संबन्धः (g०) किसी शब्द से उसके अर्थ का सम्बन्ध ।-सारः, ( 50 ) बहुत सा धन । - सिद्धिः, ( स्त्री० ) सफलता | मनोरथ का पूरा होना । अर्थतः (अव्यया० ) १ अर्थगौरव । २ दरहकीकत | सचमुच | यर्थार्थतः । ३ धन प्राप्ति लाभ या फायदे के लिये ४ इस कारण से अर्थना (स्त्री०) प्रार्थना | विनय | विनती | २ प्रार्थना- पन। अर्जी।