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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११

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> अखण्डित अतिगत (वि० ) १ दृष्टिगोचर | २ उपस्थित | वर्तमान | आँख में पड़ी हुई ( किरकिरी ) । का उदमा । ३ घृणित यथा—“अचिगतो- हमस्ख हास्यो जातः । दशकुमारच० 39 ध्वनि को सूचित करने वाले सङ्केत २ लिखत | टीप | दस्तावेज | ३ अविनाशी | श्रक्षिपूक्ष्मन् ( ( न० ) बन्हीं। पलकों के किनारों के आत्मा अझ जल। २ आकाश । ६ अतिलोमन ऊपर के वाल। 1 इसी किली का रोग विशेष । विशेष | ( न० ) समुद्री परमानन्द । मोक्ष | —अर्थ शब्दार्थ | चयक्षिपटलम् (न०) (१) आँख के कोए पर की किल्ली । ( बुं ) चुः चणः (नः ) ( यु० ) लेखक | नकलनवीस । प्रतिलिपि करने वाला यही अर्थ अत्तरजीवी अथवा अक्षरजीवकः अथवा प्रक्षर जीविकः का भी है। चन्बु (पु०) लेखक । क्लार्कच्युतकं (न० ) किसी अक्षर के जोड़ देने से किसी शब्द का भिन्न अर्थं करता। वॅदसू (२०) वृत्तं (न०) किसी पद्य का एक पाद-जननी-तूलिका (स्त्री०) नरकुल या सेंटे की कलम ।-न्यासः (वि० ) १ लेख । २ अकारादि वर्ण । ग्रन्थ ४ तंत्र की एक क्रिया जिसमें मंत्र के एक एक अक्षर पढ़ कर हृदय, अँगुलिया, कण्ठ धादि अंगस्पर्श किये जाते हैं। -भूमिका (श्री०) पट्टी या काठ का तस्ता जिस पर लिखा जाय । यक्षिविकूणितं ) (२०) तिरछी नज़र | कनखियों की अतिविकूशितं देखन। प्रतिवः | ( पु० ) पौधा अतीवः | लवण | अक्षुण्ण ( वि० ) 2 २ अनाड़ी अभग्न | अनटूटा समूचा अकुशल ३ जो परास्त न हुआ - हो जो जीता न गया हो। सफलमनोरथ यथा "अनुगणोनुनयः” ( वेणीसंहार ) ४ जो कुचला या फूटा या पीटा गया हो। ५ असाधा- रण। गैरमामूली । मुखः (०) विद्वान् । शास्त्री। वर्जित अपढ़ मूर्ख- शिक्षा (स्त्री० ) तांत्रिक प्रत्तर शिक्षाविशेष | --संस्थान (न० ) 1 लेख । २ वर्णमाला | अक्षरकं (न० ) एक स्वर। एक अक्षर अक्षरशः ( क्रि० वि०) अञ्चर | अञ्चर | शब्द व शब्द | २~~ बिल्कुल सम्पूर्णतया । अक्षर ( ( 1 अक्षर ( वि० ) १अच्युत स्थिर | नित्य | अवि- नाशी । - १ शिव । २ विष्णु -रं अकारादिवर्ण | मनुष्य के मुख से निकली हुई अक्षांतिः अक्षान्तिः प्रक्षेत्र (वि० ) विना खेत वाला बिना जोता बोगा हुआ। - वाद (वि० ) जिसको आध्यात्मिक ज्ञान न हो । विद्यार्थी | २ | अक्षेत्र ( म० ) पुरा या खराब खेत । (आ०) कुशिष्य अयोग्य पात्र । 1 अो (पु० ) अखरोट । } (स्त्री०) असहिष्णुता । ईर्ष्या • दाह । अक्षर (वि०) जिसमें बनावटी निमकीनपन न हो। अक्षारः ( पु० ) असली निमक। प्रति ( न० ) [ अतिणी, अक्षोणि, अदणा, यणः ] १ नेत्र | २ दो की संख्या | प्रतिकम्पः (पु० ) आँख भएकता। अति: ( 50 ) अक्षिटकः (पु०) आँख की पुतली अतिगालः पु०) अतितारा (बी०). } अक्षोभ्य (वि० ) जिस में होम न हो। अनुहोगी। शान्त हड़ धीर स्थिर | अक्षौहिणी (स्त्री० ) पूरी चतरंगिनी सेना सेना का एक परिमाण सेना की संख्या विशेष एक 1 चीहिणी में १०६३५० पैदल सिपाही, ६५६१० घोड़े, २१८७० रथ और २१८७० हाथी होते हैं। अखंड रे (वि०) अभन्न जो टूटा न हो। सम्पूर्ण अखण्ड समूचा अटूट। अविवि लगातार । अखंडनम् । (न०) जिसको कोई काट न सके । अखण्डनम् | जिसका खनन हो सके। अखंडनः अखण्डनः ( पु० ) काळ समय । वत अखंडित ३ (वि० ) जिसके टुकड़े न हुए हों। अखण्डित विभागरहित अविदित मृतु