पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१२

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प्रर्व ( पु० ) यह फसल जिस में मामूली फल पुष्प उत्पन्न हों। सफल फलवान् । अखर्च (वि० ) जो बोना न हो, जो छोटा न हो। बड़ा। “असर्वेण गवें विराजमानः" । -दश | कुमार | (वि० ) बिना खोदा हुआ बिना गाड़ा बिना दफनाया हुआ | खातं (०) (जलाशय या भील या खाड़ी । २ (पु०) ११ बिना खोदा हुआ या स्वाभाविक हुआ अखातः , किसी मन्दिर के सामने की पुष्करिणी । अखिल ( वि० ) सम्पूर्ण समग्र समूचा सव अखिलेन ( क्रि० वि० ) १ सम्पूर्णतः । पूर्ण रूप से । २ गैरआबाद। गैर जोता हुआ। अटक (पु०) साधारणतः वृक्ष २ कुता जिसको शिकार खेलना सिखलाया गया हो। प्रख्यातिः ( स्त्री० ) बदनामी | अपकीर्ति निन्दा ( वि० ) निन्य । बदनाम । प्र] ( धा० परस्मै० ) [ अगति, आगीत, अगिष्यति | अगित ] टेदामेंदा, सर्प की तरह चलना। लहरियाद्वार गति । २ चलना | जाना । अग ( वि० ) १ चलने में असमर्थ २ जिसके पास कोई न पहुँच सके आत्मजा ( स्त्री० ) पर्वत की कन्या | पार्वती देवी । श्रोस् (पु० ) 3 पर्वत पर बसने वाला। २ ( वृक्षवासी ) पत्ती | ३ शरभ जन्तु जिसके आठ टोंगे बतलायी जाती हैं। ४ शेर सिंह | ( वि० ) पहाड़ों में होकर घूमने फिरने वाला। जंगली :-जं (न०) शिलाजीत शैलज तेल । अगः (०) १ वृक्ष । २ पहाड़ | ३ सर्प | ४ सूर्य २७ की संख्या । अगच्छ ( वि० ) अचल । जो चल न सके। अगच्छ: ( पु० ) वृष्ठ | पेड़ | अगतिः ( स्त्री० ) १ उपाय रहित बिना उपाय का । २ अनवबोध | (वि० ) 'जिसकी कहीं गति न हो' । | जिसका कहीं ठिकाना न हो। अशरण। अनाथ निराश्रित निरावलम्ब | 1 रोगरहित । स्वस्थ | अगतिक अगतीक अगद (वि० ) नीरोग 1 अगुरु अगदः (४०) यौषध दवा २ स्वास्थ्य | ३ विष नाश करने का विज्ञान | } अगद, ( पु० ) चिकित्सक वैय अगदंकारः अगदङ्कारः ) रोग दूर करने वाला। अगदतन्त्रम् (न० ) आयुर्वेद का एक अंग विशेष इसमें सांप बिच्छू आदि के विष उतारने की दवाइयाँ लिखी हैं। ध्यगम देखो, घग अगम्य (वि०) १ गमन के अयोग्य । जहाँ कोई न पहुँच सके। २ अज्ञेय जानने १ अयोग्य ३ विकट | कठिन ४ अपार बहुत अत्यन्त २ प्रधाह, बहुत गहरा अगम्या (स्त्री० ) न गमन करने योग्य मैथुन करने के प्रयोग्य स्त्री। एक अस्पृश्य नीच जाति -गमनं ( न० ) न गमन करने योग्य स्त्री के साथ गमन करना ।गामिन् । (वि०) मैथुन न करने योग्य स्त्री के साथ गमन किये हुए। अगरु (न० ) ऊद | अगर लकड़ी। अगस्तिः २ (पु० ) : कुम्भव । एक ऋषि का नाम । अगस्त्यः २ एक का नाम | ३ एक वृक्ष का नाम। -कूट (पु० ) दक्षिण भारत के मंदरास प्रान्त के एक पर्वत का नाम, जिससे ताम्रपर्णी नदी निकलती है। - अगाध ( वि० ) 1 अथाह । बहुत गहरा । अतल- अपार बहुत अधिक I स्पर्शी | २ असीम | ३ बोधगम्य । दुवेध | अगावः ( 30 ) छेद गड्ढा दरार | अगाधं (न०) | भगायजतः ( पु० ) हद | तालाब । ( वि० ) अथाह जल वाला। अगारं ( न० ) घर मकान । अगिरः (पु० ) स्वर्ग। आकाश। प्रोकस (वि०) स्वर्ग में यावास करने वाला (देवताओं की तरह)। अगुण ( वि० ) 1 निर्गुण २ जिसमें कोई सद्गुण न हो। निकम्मा । अगुणः (पु० ) अपराध अगुरु ( ( वि० ) हल्का (छन्दः शास्त्र में ) छोटा कोई गुरु न हो। ( न० सुगन्धित काह विशेष | खराबी। बुराई। जो भारी न हो। २ ३ निगुरा। जिसका और पु० में भी ) अगर