पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१०

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ध्यक्ष ११ गरुड़ | १२ आत्मा व्यवहार। मामला । १५ १३ ज्ञान १४ मुकदमा । जन्मान्ध | ३ (स्त्री० ) १ इन्द्रिय | २ तृतिया | ३ सोहागा। अक्ष + अग्रकोलः अतलकः (पु०) गाड़ी के पहिये में जो कील लगायी जाती है, वह अ + धावपनम् (न० ) चौसर की छाँत या बोर्ड । ध्यक्ष + ध्यावापः (पु० ) ज्वारी । + कर्णः (पु० ) समकोण त्रिभुज के सामने | की बाहु | अकुशल अ} (बि०) जुआ खेलने में प्रवीण। अक्षकूट: (पु० ) आँख की पुतली | अक्षकोविद ३ (वि०) पाँसे या चौसर के खेल में ) निपुण या उसका ज्ञाता | अक्षज्ञ अग्लहः (पु० ) जथा। पाँसे का खेल। अक्षजं ( न० ) 3 ज्ञान | अवगति । २ वज्र | ३ हीरा । अक्षजः (पु० ) विष्णु का नाम विशेष | अक्षतत्वं (न०) अक्षविद्या (बी०) । (जुआ खेलने की कला या विद्या । अक्षदर्शकः }२ एका व्यक ( ( पु० ) : जुए का निर्णायक । अदृश् देविन ( पु० ) ज्वारी द्यूतं ( न० ) जुआ | चौसर। पाँसे का खेल। अधूर्तः (पु० ) ज्वारी । अधूर्तिलः (पु० ) गाड़ी के जुर्थों में जुता हुआ सांड़ या बैल ( न० ) १ न्यायालय | २ वह स्थान या कमरा, जहाँ श्रदालती काग़जात रखे जाते हों। (०) अखाड़ा । पटक (०) आईन के ज्ञान में निपुण । जज । न्यायाधीश | अक्षभागः अक्षांशः अक्षपातः (पु० ) पाँसे का फिकाव । अक्षपाद (पु० ) सोलह पदार्थ वादी न्यायशास्त्र के रचयिता गौतम ऋषि अथवा न्यायवादी । (पु० ) ये रेखाएं जो किसी मानचित्र - में उत्तर से दक्षिण की ओर खिंची हों, उन रेखाओं का कुछ बैँश अक्षभारः (पु० ) गाड़ी भर बोझा । अक्षय्य अक्षमाला ( स्त्री० ) ( रुद्राफ की माला । अक्षसूत्रं ( न० ) अक्षराजः (पु० ) वह जिसे जुआ खेलने का व्यसन हो अथवा पाँसों में प्रधान अक्षवाट: ( पु० ) वह घर जिसमें जुआ होता हो । जुभाइखाना | ध्यक्षहृदयं (न० ) जुआ के खेल में पूर्ण निपुणता । अक्षवतो (स्त्री० ) चौसर का खेल | अक्षणिक ( वि० ) डढ़ | मजबूत । जो क्षणिक या स्थायी न हो । प्रक्षत (वि० ) १ जो चोटिल न हो । २ जो टूटा न हो। ३ सम्पूर्ण | ४ अविभक्त । जो विभाजित न हो। अक्षतः ( पु० ) १ शिव । २ कूटे हुए या पछोरे हुए चावल, जो धूप में सुखाये गये हों। ( बहु- वचन में ) सम्पूर्ण अनाज | २ चावल जो जल से धोये हुए हों और पूजन में किसी देवता पर चढ़ाने को रखे जाँय । ३ यव । अक्षतं ( न० ) अनाज किसी भी प्रकार का २ हिजड़ा । नपुंसक । ( यह पुल्लिङ्ग भी हैं ) । श्रतयोनिः (स्त्री०) कन्या जिसका पुरुष से संसर्ग न हुआ हो। वह कन्या जिसका विवाह तो हो गया हो, परन्तु पुरुष के साथ संसर्ग न हुआ हो। अक्षता (पु० ) १ वारी । २ धर्मशास्त्रानुसार वह पुनर्भं स्त्री जिसने पुनर्विवाह तक पुरुष से संसर्ग न किया हो । ३ काँकड़ासिंगी । अक्षम (वि० ) १ असमर्थ । अयोग्य | लाचार । अशक्त असहिष्णु। ३ समारहित ४ अधीर । अक्षमा ( स्त्री० ) १ ईर्ष्या | २ अधैर्य | ३ क्रोध | रोप । अविनाशी । कभी जो न अक्षय (वि० ) जिसका नाश न हो। अनश्वर सदा बना रहने वाला चुके । २ कल्पान्तस्थायी । कल्प से अन्त तक रहने वाला तृतीया ( स्त्री० ) १ वैशाख शुक्ला ३ | आखातीज । २ सतयुग का आरम्भ दिवस | अक्षय्य (वि०) कभी न चुकने वाला। अविनाशी । सदा बना रहने वाला।