पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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सर्गसङ्ख्या | विषयः | पुटसङ्ख्या |
३५ | उभागङ्गोत्पत्तिकथनम् | .... .... २८६ |
३६ | देवानां प्रार्थना | .... .... २९१ |
३७ | कुमारसंभवः | .... .... २९९ |
३८ | सगरवृत्तान्तः | .... .... ३०६ |
३९ | पृथिवीविदारणम् | .... .... ३१० |
श्लोकसङ्ख्या | ३५ | ||
ततः शोणां च ते तीर्त्वा प्रापुर्गङ्गानदीं शुभाम् ॥ | .... | २८७ | |
५१ | गङ्गायाश्चरितं वक्तुं मुनिस्तत्रोपचक्रमे । | .... | २८९ |
३६ | |||
आसीत् हिमवतः कन्याद्वयं गङ्गेत्युमेति च ॥ | .... | २९१ | |
५२ | तयोरुमां तु रुद्राय ददौ शैलवरः सुताम् । | .... | २९३ |
सेनापतिमभीप्सन्तस्त्वस्तुवन् ईश्वरं सुराः ॥ | .... | २९५ | |
५३ | सोऽत्यजत् स्वीयतेजोंऽशं भूमौ संप्रार्थितः सुरैः । | .... | २९७ |
३७ | |||
तत्याजाग्नौ तु तत्तेजः पृथिवी वोढुमक्षमा ॥ | .... | २९९ | |
५४ | सोऽपि तत्याज गङ्गायां, कुमारस्तदजायत । | .... | ३०१ |
ववृधे षण्मुखो भूत्वा कृत्तिकानां पयः पिबन् ॥ । | .... | ३०३ | |
५५ | स भूत्वा देवसेनानीः अजयत् दैत्यवाहिनीम् । | .... | ३०५ |
३८ | |||
पूर्वमासीदयोध्यायां सगरो नाम भूमिपः ॥ | .... | ३०७ | |
५६ | स इयाज, जहाराश्वं यज्ञियं तस्य वासवः । | .... | ३०९ |
३९ | |||
स पुत्रान् संदिदेशाथ तस्याश्वस्य गवेषणे ॥ | .... | ३११ | |
५७ | ते विचिक्युर्महीं कृत्स्नां सपर्वतवनार्णवाम् । | .... | ३१३ |