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|
विषयाः |
पृ. |
प.
|
वृक्षज्वलने फलम् |
४१८ |
१
|
वृक्षरोदने पलम् |
४४१ |
१०
|
वृक्षविशेषाद्भुतानि |
४४९ |
१४
|
वृक्षशाखाभङ्गेफलम् |
४४१ |
९
|
वृक्षहसने फलम् |
४४१ |
१०
|
वृक्षात् क्षीरस्रावे फलम् |
४४४ |
१०
|
वृक्षादिभिर्वृक्षनिष्पत्तिः |
४५० |
२१
|
वृक्षाद्भुतफलपाकः |
४४७ |
६
|
वृक्षाद्भुतशान्तिः |
४४७ |
१२
|
वृक्षाद्यद्भुतावर्त्तः |
४४१ |
६
|
वृक्षान्मद्यादिस्रावे फलम् |
४४४ |
१६
|
वृक्षे धूमज्वालादौ फलम् |
४४५ |
२५
|
वृक्षे नीलादिवस्त्रावृते फलम् |
४४६ |
११
|
वृश्चिकराशेर्द्रव्याणि |
२८० |
१६
|
वृश्चिकस्थसूर्यतः फलम् |
२२६ |
१९
|
वृषचेष्टा |
६४२ |
१०
|
वृषभयुद्धशान्तिः |
७११ |
१
|
वृषमहिषाद्भुतावर्त्तः |
६४२ |
२
|
वृषराशेर्द्रव्याणि |
२७८ |
१२
|
वृषविकारशान्तिः |
६४२ |
१७
|
वृषाद्यद्भुतशान्तिः |
६४५ |
२३
|
वृष्टिनियतदेशाः |
३७३ |
४
|
वृष्टिपरीक्षणम् |
७१५ |
२
|
वृष्टिपरीक्षणे निमित्तानि |
७१५ |
१९
|
वृष्टिप्रमाणम् |
३७२ |
६
|
वृष्टिलक्षणम् |
७३६ |
२१
|
वृष्टिविकृतौ शान्तिः |
७३४ |
११
|
वृष्ट्युत्पातशान्तिः |
३७५ |
१२
|
वेदनाशे शान्तिः |
७३४ |
५
|
|
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विषयाः |
पृ. |
प.
|
वेदव्यासविकारजं निमित्त-
|
फलम् |
४२८ |
१२
|
वैनाशिकर्क्षपीङाशान्तिः |
२७३ |
१७
|
वैश्वानरवीथी |
४५ |
२४
|
व्यभ्रवृष्टिफलपाकः |
७४७ |
१
|
|
[श] |
|
शकटादिचलने फलम् |
४७० |
२३
|
शकुनभेदाः |
५७२ |
१
|
शकुनविकारपाकः |
७४५ |
१०
|
शकुनः |
५६९ |
१२
|
शकुनोऽग्राह्य ऋतुवशेन |
५७० |
१९
|
शकुनोऽग्राह्य |
५७० |
४
|
शक्रध्वजरज्जुच्छेदेन बाल-
|
क्रीडातः- फलम् |
४३८ |
१९
|
शक्रध्वजाद्भुतावर्त्तः |
४३६ |
१५
|
शक्रध्वजानयने चक्रभङ्गा-
|
दिविचारः |
४३६ |
२२
|
शक्रध्वजापनयनदिक्फलम् |
४३८ |
१५
|
शक्रध्वजार्थ छिन्नवृक्षपात-
|
शब्दः |
४३६ |
१६
|
शक्रध्वजे गृध्रादिनिपाते-
|
फलम् |
४३९ |
१०
|
शक्रध्वजोत्पातफलपाकः |
४४१ |
२
|
शक्रध्वजोत्पातशान्तिः |
४४० |
१
|
शङ्खकेतोरमृतजस्योदयः |
१७७ |
१९
|
शङ्खमृदङ्गादावानाहते शब्दा-
|
यमाने फलम् |
४६८ |
२१
|
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