महाभारतम्-05-उद्योगपर्व-089
← उद्योगपर्व-088 | महाभारतम् पञ्चमपर्व महाभारतम्-05-उद्योगपर्व-089 वेदव्यासः |
उद्योगपर्व-090 → |
महाभारतस्य पर्वाणि |
---|
प्रातः कृताह्निकस्य श्रीकृष्णस्य वृकस्थलात्कुरुपुरमुपेत्य धृतराष्ट्रभवनपरवेशः ।। 1 ।।
तथा धृतराष्ट्रपूजां स्वीकृत्य विदुरसदनगमनम् ।। 2 ।।
वैशंपायन उवाच। | 5-89-1x |
प्रातरुत्थाय कृष्णस्तु कृतवान्सर्वमाह्निकम्। | 5-89-1a 5-89-1b |
तं प्रयान्तं महाबाहुमनुज्ञाप्य महाबलम् । | 5-89-2a 5-89-2b |
` प्रददौ पुण्डरीकाक्षो रत्नानि च धनानि च। | 5-89-3a 5-89-3b |
धार्तराष्ट्रास्तमायान्तं प्रत्युञ्जग्मुः स्वलङ्कृताः । | 5-89-4a 5-89-4b |
पौराश्च बहुला राजन्हृषीकेशं दिदृक्षवः । | 5-89-5a 5-89-5b |
स वै पथि समागम्य भीष्मेणाक्लिष्टकर्मणा । | 5-89-6a 5-89-6b |
कृष्णसंमाननार्थं च नगरं समलङ्कृतम्। | 5-89-7a 5-89-7b |
न च कश्चिद्गृहे राजंस्तदाऽऽसीद्भरतर्षभ। | 5-89-8a 5-89-8b |
राजमार्गे नरास्तस्मिन्संस्तुवन्त्यवनिं गताः । | 5-89-9a 5-89-9b |
आवृतानि वरस्त्रीभिर्गृहाणि सुमहान्त्यपि । | 5-89-10a 5-89-10b |
तथा च गतिमन्तस्ते वासुदेवस्य वाजिनः । | 5-89-11a 5-89-11b |
स गृहं धृतराष्ट्रस्य प्राविशच्छत्रुकर्शनः। | 5-89-12a 5-89-12b |
तिस्रः कक्ष्या व्यतिक्रम्य केशवो राजवेश्मनः । | 5-89-13a 5-89-13b |
अभ्यागच्छति दाशार्हे प्रज्ञाचक्षुर्नराधिपः । | 5-89-14a 5-89-14b |
कृपश्च सोमदत्तश्च महाराजश्च बाह्लिकः। | 5-89-15a 5-89-15b |
ततो राजानमासाद्य धृतराष्ट्रं यशस्विनम्। | 5-89-16a 5-89-16b |
तेषु धर्मानुपूर्वी तां प्रयुज्य मधुसूदनः । | 5-89-17a 5-89-17b |
अथ द्रोणं सबाह्लीकं सपुत्रं च यशस्विनम्। | 5-89-18a 5-89-18b |
तत्रासीदूर्जितं मृष्टं काञ्चनं महदासनम् । | 5-89-19a 5-89-19b |
अथ गां मधुपर्कं चाप्युदकं च जनार्दने । | 5-89-20a 5-89-20b |
कृतातिथ्यस्तु गोविन्दः सर्वान्परिहसन्कुरून् । | 5-89-21a 5-89-21b |
सोऽर्चितो धृतराष्ट्रेण पूजितश्च महायशाः । | 5-89-22a 5-89-22b |
तैः समेत्य यथान्यायं कुरुभिः कुरुसंसदि । | 5-89-23a 5-89-23b |
विदुरः सर्वकल्याणैरभिगम्य जनार्दनम् । | 5-89-24a 5-89-24b |
कृतातिथ्यं तु गोविन्दं विदुरः सर्वधर्मवित्। | 5-89-25a 5-89-25b |
प्रीयमाणस्य सुहृदो विदुरो बुद्धिसत्तमः । | 5-89-26a 5-89-26b |
तस्य सर्वं सविस्तारं पाण्डवानां विचेष्टितम् । | 5-89-27a 5-89-27b |
।। इति श्रीमन्महाभारते उद्योगपर्वणि |
5-89-22 पूजितः स्तुतः ।। 5-89-26 विदुरः पाण्डवानां विचेष्टितं तस्य तं कृष्णं प्रति अपृच्छदित्यनुकृष्यान्वयः। षष्ठ्यो द्वितीयार्थे ।।
उद्योगपर्व-088 | पुटाग्रे अल्लिखितम्। | उद्योगपर्व-090 |