मध्यमाधिकारः १०१ उपपत्तिः अशे अत्राचार्यमतेनवमशेषम् =च्चे ७ ९ इदं सावनं, चान्द्रकरणेन-- अशे ४७०३ अशे चन्द्रावमशेषम् -७०३४६६२- ६६२ अx१२ अशे ४३ द्वादशगुणमंशात्मकम् = ६९२ - १७३ अथ चन्द्रार्कयोरन्तरभागा द्वादशभक्ता तिथिः स्यात् . तिथ्यन्ते रविचन्द्रान्तरभाग:=१२ ति=च-र.
- च=१२ ति+र अत्रावमभागयोगेनौदयिकश्चन्द्रः=१२ ति+र+
३ अशे उपपन्नमाचार्योक्तम् । १७३ अब चन्द्रानयन कहते हैं हि- भा.-अवमावशेष ( क्षयशेष ) को तीन से गुणकर एक सौ तेहतर १७३ से भाग देने से जो लब्धांश होता है रवि में जोड़ना और बारह गुणित तिघ्यंश को जोड़ने से अंशात्मक चन्द्र होते हैं इति ।।४६। हिन्दी में अन्य ढंग से उपपत्ति अंशात्मक च-अशत्मिक र अहर्गणान्त कालिक तिथि=गति+क्षयघटीसंचान्द्र, १२ इसलिए अंशात्मक चं=अंशारमक र+१२ तिथि, अतअहर्गणान्तकालिक चं=अंशात्मक र १ क्षादि ॐ इक्षां +१२ (गति+क्षघसंच)=अंशात्मक र+ १२ गति +१२ क्षघसंचां ६४ चान्द्र क्षशे क्षयशी क्षघ =ग=द ६४ : ६४= ६० इसलिए अनुपात से क्षयष्टीसंचांदि - ६४ चांक्षशे क्षरे - ='ई’ एतत्सम्बन्धी कलात्मक व .. १२ क्षघसंचः 7 ६३ सावन ४६४६३ १२४६०४क्षञ्च_२०x१२४क्षते_२०४४ क्षो_८० कशे =ळ"इसको अंशात्मक करने ६३ १२ = = == = २१