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पृष्ठम्:धम्मपद (पाली-संस्कृतम्-हिन्दी).djvu/५२

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स७३ ॥ पण्डितवंग [ ४१ जो गर्मिहके परित्यागपूर्वक अपप्रिझमें रत हैं । ऐते, विसकै मकोंसे निर्मुक (=}णलव ), द्युतिमान् ( ऽरूप ) कमें निर्वाण प्राप्त हो गये हैं। ई-पण्डितवर्ग समाप्त