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पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/१३७

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अ. १ आ. १ सू. ८
  1. ,ाच्या-बैल जो द्रव्य है;उसके विषय में 'घण्टे-वाला है;

यहज्ञानघण्टे । द्वव्य) की अपेक्षासे, “वत है ? यह गुण

गुणकर्मसुगुणकर्माभावाद्-गुणकर्मापेक्षं न

.. . गुण कर्मो में गुणकर्मोों के अभाव से गुण-कर्म की अपेक्षा वाला (ज्ञान ) नहीं होता है।

सै-सापेक्ष झान को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते है

समवायिनःश्वैत्याच्छ्वैत्यबुद्धेश्च श्वेते बुद्धिस्ते

से और वितता के ज्ञान सेश्वत (३ख आदि) का ज्ञानं होता ., व्या-सापेक्ष ज्ञान. इस प्रकार का होता है ।.५ऑखिों के सामने,शैख पहा है । उसके विपय में जो यह-ज्ञानडुआ कि यह चत इंख,है; यह-ज्ञानतव हुआ है; जवपहले शैखकी वक्ता का ज्ञान होता है, इसी प्रकार पहले ु समवायसे चतुता का ।