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पृष्ठम्:श्रीपाञ्चरात्ररक्षा.djvu/२७५

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210 प्रमाणवचनादीनां वर्णानुक्रमणिका

न च क्रमन्न च हसन् १०७. व्या स्मृ न चान्यवस्रमाच्छाद्य १०४ म 4-129

                धृ

धृतोर्ध्वपुण्ड्रो देवर्षि १११ व 73 न चेद्रहस्यमत्यन्त ५० पा स (च)13-2 धृत्या यया धारयते91 भ गी 18-33 न तु तत्पुत्रतद्भृत्य ५ म सि 21 ध्यातृध्येयाविभागेन ८५ सा स 6-213 न तु द्रव्यान्तर चैव १७ पार स (प्र) ध्यात्वा तु मनसा देव ६6 व्या स्मृ 2-76 न तेभ्यो विद्यते तीर्थ १०४ इ स 25-20 ध्यानयोगेन दृष्टा १६१ वै ग ध्यानाना चैव मुद्राणा पार स (प्र) ननु देव त्वमेवैक १५७ वं 495 यायते ऽर्चयते योऽन्य १४१ क्र न पदा पद्माक्रम्य १०७ म भा यायन् कृते जपन् यज्ञे १६९ वि पु (आश्च) 98 6-2-17 न पूर्वाहमध्यन्दिन ९२ गौ ध 1-9-46 ध्यायन् जप्त्वोपतिष्ठत ११२ ना मु नमस्कार न कुयाच्चत् १४१ ध्यायन्नपि पर देवं ५३, ९१ व 35 नमस्कारार्चनादीनि १४१ अ ध्यायन्नारायण देव १२४ व 82 नमस्कुर्यात् प्रभाते तु ९६ पार स 2-14 ध्यायीत मनसेश्वर ६१ व्या स्मृ 1-2 नमस्ते चेतनाधार १५३ व 469 ध्यायेन्नारायण देव ७१ द स्मृ 2-14 नमस्ते पञ्चकालज्ञ ५१ जितते 32 ध्येयो नारायण सदा १६८ म भा 186-11 (आनु) नमस्ते पद्मनाभाय ९५ पार सं2-10

                          नमस्ते मन्त्रराजाय १५३ वं  459
       न                   नमस्ते मीनरूपाय ९१ पार स 2-11
                         नमत्रिविक्रमायाथ ९५ पार सं 2-9

न कदाचिदपि प्राज्ञ १९ ३४ का नम क्षितिधरायोलका ९६ पार स 2-17 न कुर्याच्छास्रसाकर्य ४१ पार स नमो नम केशवाय ९५ पार स 2-7 10-377 नमो वामनरूपाय ९५ पार स 2-12 न कुर्यात्तन्त्रसाङ्कर्य १८ पार सं (प्रा) नमोऽस्तु प्रियदत्तायै ९७ (मन्त्र) 19-557 नमो ऽस्त्वादिवराहाय ९५ पार स नखरोमाणि यश्चैव ११९ व पु 45 2-12 नगरप्रवेशनानि च वर्जयेत् ६२ न यानपादुकारूढ ११४ सा स 21-13 न गृहे करवीरोत्थै १२८ सा सं 21-30 नयेन्निरयमत्युग्रं १५ पार स (च) न च कर्तु करण २ शा मी 2-2-40 21-77