महाभारतम्-05-उद्योगपर्व-166
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महाभारतस्य पर्वाणि |
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भीष्मेण दुर्योधनसेनायां रथातिरथसंख्यानम् ।। 1 ।।
भीष्म उवाच। | 5-166-1x |
सुदक्षिणस्तु काम्भोजो रथ एकगुणो मतः। | 5-166-1a 5-166-1b |
एतस्य रथसिंहस्य तवार्थे राजसत्तम। | 5-166-2a 5-166-2b |
एतस्य रथवंशे हि तिग्मवेगप्रहारिणः । | 5-166-3a 5-166-3b |
नीलो माहिष्यतीवासी नीलवर्मा रथस्तव। | 5-166-4a 5-166-4b |
कृतवैरः पुरा चैव सहदेवेन मारिष। | 5-166-5a 5-166-5b |
विन्दानुविन्दावावन्त्यौ संमतौ रथसत्तमौ । | 5-166-6a 5-166-6b |
एतौ तौ पुरुषव्याघ्रौ रिपुसैन्यं प्रधक्ष्यतः। | 5-166-7a 5-166-7b |
युद्धाभिकामौ समरे क्रीडन्ताविव यूथपौ । | 5-166-8a 5-166-8b |
त्रिगर्ता भ्रातरः पञ्च रथोदारा मता मम। | 5-166-9a 5-166-9b |
मकरा इव राजेन्द्र समुद्धततरङ्गिणीम् । | 5-166-10a 5-166-10b |
ते रथाः पञ्च राजेन्द्र येषां सत्यरथो मुखम्। | 5-166-11a 5-166-11b |
व्यलीकं पाण्डवेयेन भीमसेनानुजेन ह। | 5-166-12a 5-166-12b |
ते हनिष्यन्ति पार्थानां तानासाद्य महारथान्। | 5-166-13a 5-166-13b |
लक्ष्णणस्तव पुत्रश्च तथा दुःशासनस्य च। | 5-166-14a 5-166-14b |
तरुणौ सुकुमारौ च राजपुत्रौ रतस्विनौ । | 5-166-15a 5-166-15b |
रथौ तौ कुरुशार्दूल मतौ मे रथसत्तमौ । | 5-166-16a 5-166-16b |
दण्डधारो महाराज रथ एको नरर्षभ । | 5-166-17a 5-166-17b |
बृहद्बलस्तथा राजा कौसल्यो रथसत्तमः । | 5-166-18a 5-166-18b |
एष योत्स्यति सङ्ग्रामे स्वान्बन्धून्संप्रहर्षयन् । | 5-166-19a 5-166-19b |
कृपः शारद्वतो रजन्रथयूथपयूथपः। | 5-166-20a 5-166-20b |
गौतमस्य महर्षेर्य आचार्यस्य शरद्वतः। | 5-166-21a 5-166-21b |
एष सेनाः सुबहुला विविधायुधकार्मुकाः । | 5-166-22a 5-166-22b |
।। इति श्रीमन्महाभारते |
5-166-10 समुद्धततरङ्गिणीं उच्छ्रितपताकां सेनां उच्छ्रिततरङ्गवतीं गङ्गां ।।
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